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बहू ससुर सेक्स की यह कहानी एक ठरकी ससुर के बारे में है जिसकी वासना इतनी ज्यादा थी कि उसने अपने बेटे की नयी नवेली पत्नी पर ही हाथ साफ कर दिया.
हैलो मित्रो, मेरा नाम हरी है. मैं पहली बार आपके लिये एक सच्ची बहू ससुर सेक्स की कहानी लेकर आया हूं।
दोस्तो, वासना इंसान के शरीर में एक भूख की तरह होती है. वासना को दबाना एक कठिन काम होता है. हर कोई इसको वश में नहीं कर सकता है.
जैसे स्वादिष्ट व्यंजन देखकर हमें उसे खाने की इच्छा होती है उसी तरह जब हम किसी सुन्दर स्त्री को देखते हैं तो उसे भोगने का मन करता है। यह इन्सान के शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
जब हमारे शरीर में वासना पूरे चरम पर हो तो उसमें फिर रिश्ते भी दिखाई नहीं देते हैं.
मगर कई बार ऐसा होता है कि मजबूरन भी सेक्स करना पड़ जाता है क्योंकि भौतिक जीवन में पैसे की भी बहुत कीमत हो गयी है.
मेरी बहू ससुर सेक्स कहानी भी कुछ इसी तरह की है.
जिस समाज में हम रहते हैं वहां पर परिवारों में कुछ न कुछ घटित होता रहता है. कुछ घटनाएँ सबके सामने होती हैं और कुछ ऐसी होती हैं जो नीचे ही नीचे होती रहती हैं. मगर बाद में फिर कहीं से पता लग जाता है.
यह कहानी मध्य प्रदेश के एक शहर की सच्ची घटना पर आधारित है.
मुझे ये कहानी जब से पता लगी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने इसको आपके लिए लिख डाला. आप इसका मजा लें.
कहानी एक सामान्य परिवार की है जिसमें एक दम्पति और उनका एक जवान बेटा था. पति का नाम भानू सिंह था. वो अब सेवानिवृत्त कर्मचारी था. उम्र उसकी 55 साल हो चुकी थी.
भानू की पत्नी का नाम प्रेमा था. वो 52 साल की हो चुकी थी और एक धार्मिक किस्म की महिला थी. उनका लड़का प्रमोद, जो कि 26 साल का था, एक प्राइवेट कम्पनी में गार्ड की नौकरी कर रहा था.
उनके दो मकान हैं जिसमें एक में ये लोग खुद रहते थे और दूसरे को किराये पर दे रखा था. कहने का मतलब है कि घर में आय का अच्छा साधन था. आर्थिक रूप से ये लोग सक्षम थे.
भानू एक रंगीले स्वभाव का आदमी था और उसको पीने का भी शौक था. उसका बेटा भी नशा करता था और एक जगह टिककर काम नहीं कर सकता था.
इन दोनों बाप बेटों का इस बात को लेकर अक्सर झगड़ा हो जाता था. क्योंकि प्रमोद कमाता भी कम था और जो कमाता था उसको जल्दी ही उड़ा भी देता था.
प्रमोद की मां प्रेमा इन दोनों के झगड़े से तंग रहती थी. दूसरे उसको प्रमोद की चिंता भी सता रही थी कि अगर ये ऐसे ही पैसे को बर्बाद करता रहा तो घर की जिम्मेदारी कभी नहीं समझ पायेगा.
प्रेमा ने प्रमोद की शादी कर देने का विचार किया और सोचा कि घर में बहू आयेगी तो इस पर कुछ जिम्मेदारी पड़ेगी और ये सही रास्ते पर आ जायेगा और सुधर जायेगा.
प्रमोद की शादी शालू नाम की एक लड़की से हुई. देखने में शालू बहुत सुन्दर थी. प्रमोद उसके सामने बहुत फीका था.
शालू को देखकर तो किसी भी लंड खड़ा हो सकता था. वो 24 साल की पढ़ी लिखी समझदार लड़की थी.
शालू के माता पिता ने उसकी शादी प्रमोद के साथ इसलिए कर दी कि वो देखने में भी ठीक था और घर में पैसे या सुख सुविधा की कोई कमी नहीं थी.
प्रमोद के आवारा होने की बात शालू के घरवालों से छुपा दी गयी थी.
जब वो प्रमोद की बीवी बनकर आ गयी तो भानू की नजर भी अपने बेटे की बीवी पर रहने लगी. वो उसके बदन को ताड़ता रहता था.
शालू को इस बात का पता लग गया कि उसका ससुर उसको गंदी नजर से देखता है. मगर उसने कभी इस बात पर गौर नहीं किया और नजरअन्दाज करती रही.
जब धीरे धीरे शालू को प्रमोद की आदतों और उसके बर्ताव के बारे में पता लगने लगा तो वो परेशान रहने लगी. प्रमोद उसकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं देता था. शालू को पति से अच्छे से शारीरिक सुख भी नहीं मिल पा रहा था.
मगर प्रेमा अपनी बहू का बहुत ध्यान रखती थी. प्रेमा के अच्छे बर्ताव के कारण ही शालू अब तक इस घर में टिकी हुई थी. और प्रेमा भी जानती थी कि अगर शालू को कहीं से सहारा नहीं मिला तो वह ज्यादा दिन नहीं रह पायेगी प्रमोद के साथ।
उधर भानू अपनी बहू की चूत चुदाई करने की फिराक में रहता था. प्रेमा तो पूजा-पाठ में व्यस्त रहती थी और वो भानू को पास नहीं फटकने देती थी.
मगर भानू की जवानी ढली नहीं थी. भानू अपने शरीर का बहुत ध्यान रखता था और इस उम्र में भी खुद को फिट रखे हुए था.
एक दिन की बात है कि शालू अपने घर में आराम से सो रही थी. वो बाहर हॉल में लेटी हुई थी और उसकी सास सत्संग में गयी हुई थी.
उसने चादर डाली हुई थी. उसकी साड़ी भी उसकी सास के जैसे ही थी. भानू ने जब उसको सोफे पर सोते देखा तो उसका लगा कि उसकी पत्नी प्रेमा सो रही है.
वो उसके पास गया और उसकी साड़ी को ऊपर कर दिया.
शालू की चिकनी गोरी जांघें देख वो अचंभे में पड़ गया. फिर उसको अहसास हुआ कि ये प्रेमा नहीं शालू है.
मगर अब तो उसके अंदर की वासना जाग चुकी थी. उसके हाथ अब रुकने वाले नहीं थे वो शालू की चिकनी पिंडलियों पर हाथ फिराने लगा.
एकदम से शालू की नींद खुल गयी और वो झटके से उठ बैठी. वो बोली- पापा, आप ये क्या कर रहे हो?
ससुर नाटक करके बोला- ओह्ह, बेटी शालू! मुझे लगा तेरी सास सो रही है. ये कहते हुए भी उसके हाथ रुक नहीं रह थे. वो उसकी टांगों को सहला रहा था.
फिर वो भानू को रोकने लगी और हटने लगी. मगर भानू ने उसको पकड़ लिया. वो उसको चूमने की कोशिश करने लगा.
शालू ने विरोध किया लेकिन भानू तगड़ा आदमी था. उसने एकदम से शालू की साड़ी में हाथ डाला और उसकी पैंटी खींच ली. पैंटी को उसने बाहर निकाल दिया.
उसने फिर से उसको पकड़ा और शालू की चूत पर हाथ फेरने लगा. जवानी से भरपूर शालू को भी मर्दाने हाथों के स्पर्श से मजा आया. लेकिन लाजवश वो खुल नहीं पा रही थी.
नयी नवेली दुल्हन की चूत पर हाथ फेरकर भानू बेकाबू हो गया और उसने अपना पजामा भी खोल लिया.
उसने अपना कच्छा निकाला और लंड को हाथ में लेकर शालू पर लेट गया. वो उसके बोझ तले दब गयी और भानू ने लंड को शालू की चूत पर रख दिया.
मगर भानू के लंड को चूत का स्पर्श मिल चुका था और अब उसको रोक पाना नामुमकिन था.
शालू भी ये बात जान गयी थी कि लंड चूत पर आ चुका है और अब इसे अपने जिस्म में समा कर मजा लेने में ही सुख है.
फिर भानू उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा. फिर उसने एक धक्का मारा तो शालू तिलमिला गयी. इतने में ही उसने दूसरा धक्का मारा और पूरा लंड शालू की टाइट चूत में उतार दिया.
वो उस पर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर लिया. शालू अंदर ही अंदर गूं गूं … करती रही लेकिन भानू तो जैसे उसकी चूत के स्वर्ग में था. वो उस पर पड़ा हुआ उसको नोंचने की कोशिश कर रहा था.
अब जब मर्द का स्पर्श हो और लंड चूत में घुसा हो तो वो वासना के वश हो गयी.
भानू ने अपनी बहू की चूत चुदाई शुरू कर दी और उसकी चूत में धक्के लगाते हुए चोदने लगा. फिर वो उसकी चूचियों को भी दबाने लगा. शालू उस सांड के नीचे दबी हुई थी और उसकी ठुकाई को बर्दाश्त कर रही थी और मजा ले रही थी.
भानू ने अब अपनी रफ्तार बढा़ दी. वो तेजी से उसकी चूत मारने लगा.
लंड अब पूरा शालू की चूत में अच्छी तरह सेट हो गया था और शालू को मजा आने लगा था. वो आराम से चुदने लगी.
शालू के मुंह से अब धीरे धीरे सिसकारी निकल रही थी. शालू को प्रमोद से ऐसा सुख शायद नहीं मिला था. उसकी सिसकारियां बता रही थीं कि वो सम्भोग के आनंद में डूबती जा रही है.
कुछ देर के बाद शालू ने अपने ससुर के गले में बांहें डाल लीं और अच्छी तरह टांगें खोलकर चुदवाने लगी.
भानू तो स्वर्ग की सैर पर था. उसकी बहू की टाइट चूत में उसका लंड पक-पक की आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.
लगभग 10 मिनट की चुदाई के बाद भानू ने अपना वीर्य शालू की चूत में निकाल दिया. फिर वो दो मिनट उसके ऊपर पड़ा रहा और फिर उठ गया.
अलग होने के बाद शालू ने अपने आप को संभाला और अपनी साड़ी ठीक की.
अब उसकी वासना शांत हो चुकी थी. उसे हालात का भाब हुआ तो वो रोने लगी और बोली- पापा ये ठीक नहीं किया आपने. मैं आपकी बहू हूं. भानू को भी शायद थोड़ा बुरा लगा और वो चुपचाप अपना पजामा बांधकर वहां से बाहर निकल गया.
उसको डर था कि कहीं शालू इस घटना के बारे में अपने घरवालों या प्रेमा को न बता दे. वो रात के 9-10 बजे डरते हुए घर आया.
घर में माहौल शांत था. सब अपने काम में लगे हुए थे.
फिर सबने खाना खाया मगर शालू भानू के सामने नहीं आयी.
भानू को इतना तो मालूम चल गया कि शालू ने चुदाई वाली घटना का जिक्र किसी से नहीं किया.
शालू अपने कमरे में लेटी हुई सोचने लगी कि ससुर ने उसको साथ जो किया वो ठीक था या नहीं. उसको कुछ बुरा तो लग रहा था लेकिन उसको ससुर से चुदवाते हुए मजा भी आया था. इसलिए उसका मन सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा था.
वो सोचने लगी कि इस बात को अगर वो किसी को बतायेगी तो बात घर से बाहर भी जा सकती है. उसकी बदनामी होगी. हो सकता है कि प्रमोद भी ये जानने के बाद उसको पत्नी रूप में स्वीकार ही न करे. इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा.
वो लेटी हुई थी कि प्रमोद कमरे में आ गया. वो बोला- क्या बात है? उदास लग रही हो? शालू- नहीं, काम के कारण थकान हो गयी है.
फिर प्रमोद अपने कपड़े बदल कर आ गया और उसने शालू को अपनी बांहों में भर लिया. शालू बोली- मैं बहुत थक गयी हूं आज. प्रमोद- नहीं जानू, आज तो तुम बहुत अच्छी लग रही हो.
फिर वो शालू की चूचियों को दबाने लगा. शालू मना करती रही लेकिन धीरे धीरे प्रमोद उस पर चढ़ गया. उसने उसकी साड़ी को हटाकर उसकी पैंटी में उंगली देकर उसकी चूत में घुसा दी.
प्रमोद चूत में उंगली करने लगा और शालू धीरे धीरे गर्म होने लगी. फिर उसने शालू को नंगी किया और उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा. उसके मम्मों को मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगा.
काफी देर तक चूचियां चूसने के बाद उसने अपनी बीवी की टांगें खोलकर फैला दीं और उसकी चूत में लंड दे दिया. शालू दिन में ही चुद चुकी थी इसलिए उसकी आह्ह निकल गयी.
फिर वो शालू को चोदने लगा. शालू की आंखें बंद हो गयीं. वो आनंद में आ गयी और प्रमोद भी पूरे जोश में उसकी चूत मारने लगा. 4-5 मिनट के बाद प्रमोद उसकी चूत में झड़ गया.
झड़ने के बाद वो अलग हो गया और एक तरफ लेटकर सो गया.
मगर शालू की आँखों में अभी भी नींद नहीं थी. वो सोचने लगी कि ससुर ने जो चुदाई की वो तो मेरे पति के द्वारा की गयी चुदाई से कहीं ज्यादा बेहतर थी.
ससुर का लंड भी उसके पति से बड़ा था और उसको ससुर से चुदने में ज्यादा मजा आया. ऐसे ही सोचते हुए वो सो गयी.
अगले दिन वो अपने रोजमर्रा के काम में लग गयी.
वो अपनी गृहस्थी में व्यस्त रहने लगी. इधर भानू को दोबारा ऐसा मौका नहीं मिल रहा था कि वो शालू को फिर से पकड़ कर चोद दे. भानू को डर भी था कि कहीं इस बार जोर देकर चूत मारी तो कहीं शालू इसकी शिकायत न कर दे.
फिर ऐसे ही तीन महीने निकल गये.
बात तब पलटी जब प्रमोद की गार्ड वाली नौकरी भी छूट गयी. वो घर बैठ गया.
इधर भानू ने मौका देखा और घर में उनको पैसे देने बंद कर दिये.
अब शालू को अपना घर खर्च चलाने में दिक्कत होने लगी. प्रमोद तो कुछ कमा नहीं रहा था और वो पैसे अपने सास-ससुर से मांग नहीं सकती थी. शालू परेशान रहने लगी.
फिर आगे कहानी में क्या हुआ वो मैं आपको इसके अगले भाग में बताऊंगा.
आपको बहू ससुर सेक्स की यह कहानी पसंद मजा दे रही होगी. जरूर मुझे मैसेज में लिखें. आपकी प्रतिक्रियाएं बहुत मायने रखती हैं. धन्यवाद। [email protected]
बहू ससुर सेक्स कहानी का अगला भाग:
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