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डॉक्टर और अंशु ने मुझे अपना अपना मूत सीधे अपनी चूत से पिलाया और फिर हम तीनों बिस्तर पे आ गए। “अंशु पेल दे अपनी बीवी को!” “आशा जी पहले आप!”
“चल फिर कामिनी पोजीशन ले ले!” मैं घोड़ी बन गयी। आशा जी मेरे पीछे घुटनों पे बैठी और डिल्डो मेरे चूतड़ों के बीच छेद पे लगाया। वो ठंडा ठंडा अहसास बड़ा अच्छा लगा। फिर बड़े प्यार से उन्होंने धीरे धीरे उसे मेरी गांड में घुसा दिया। डॉक्टर की कमर हिलने लगी। डिल्डो मेरी गांड में अंदर बाहर होने लगा। वो बड़े प्यार से मेरी मार रही थी।
“कामिनी धीरे धीरे लेट जा। तेरे ऊपर लेट के लूंगी तेरी!” अब उनके धक्के तेज़ होने लगे। उनकी चिकनी जाँघें मेरे चूतड़ों से टकरा रही थीं, नर्म नर्म चुचियाँ मेरी पीठ पे दब रही थीं। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। उपिंदर के मर्दाने धक्कों का अपना नशा था तो एक औरत से मरवाने का अलग मज़ा था।
आशा जी थोड़ी देर के बाद बोली- अंशु, अब तू चढ़ जा इसके ऊपर! “मैं इसे सीधी लिटा के इसकी टांगें उठा के इसकी मारूंगी. थकी तो नहीं कामिनी?” “बिल्कुल नहीं, तुम तो मेरे पति हो, मेरे हर अंग पे हक है तुम्हारा, जब चाहो जैसे चाहो मेरी लो!” मैं लेट गयी, टांगें उठाने लगी.
तभी “एक मिनट कामिनी, रानी बड़ा मज़ा आया तेरी गांड मार के, अब तू मेरी गांड की खुशबू और स्वाद का मज़ा ले!” और आशा जी मेरे चेहरे पे बैठ गयीं। मेरी जीभ उनकी गांड पे मचलने लगी। अंशु ने मेरी टांगें उठाईं, चौड़ी कीं, अपने कंधों पे रखीं और डिल्डो मेरी गांड में पेल दिया और मारने लगी मेरी। आशा जी अपने चूतड़ों में मेरा चेहरा दबोच के मेरी चुचियाँ मसल रही थीं, अंशु दनादन धक्के मार रही थी और मैं मस्ती की चरम सीमा पे थी. धुआंधार गांड चुदाई हुई।
दोनों ने मेरे होंठों को चूमा।
जाने का टाइम हो गया तो मैं कपड़े पहनने लगी। पैंटी और ब्रा पहनी। “अंशु, तू कुछ भूल रही है.” “क्या आशा जी?” “कामिनी को नहलाना भी है.” “अरे हाँ!” हम बाथरूम में गए। मैं, ब्रा पैंटी में घुटनों पे बैठी। दोनों मेरे सामने खड़ी हुई नंगी और फिर सुनहरी रंग का फव्वारा शुरू हो गया, मेरे चेहरे गर्दन पूरे जिस्म, ब्रा और कच्छी को भिगाने लगा।
मैंने अपने भीगे जिस्म पर जीन्स और टॉप पहना। अंशु भी तैयार हो गयी। जब हम चलने लगे तो डॉक्टर आशा ने कहा- कामिनी बड़ा मज़ा आया तेरे साथ, आती रहा कर! “जी ज़रूर!” और हम दोनों घर आ गए.
छुट्टी का दिन था, दोपहर को उपिंदर आया हुआ था। हम तीनों बैठे हुए थे। एक सोफे पे उपिंदर और अंशु, सामने दूसरे पर मैं। खाना पीना चल रहा था। अंशु के कपड़े उतरने शुरू हो गए थे। साड़ी ब्लाउज उतर चुका था और अब वो ब्रा और पेटिकोट में थी, दोनों का चुम्मा चाटी, दबाना मसलना चल रहा था।
उपिंदर का फोन बजा, अंशु ने उठा के उसे दिया और मुस्कुरा के बोली- हमारी रखैल का है. उपिंदर ने स्पीकर ऑन किया- और मालिनी कैसी है, बड़े दिनों से तेरी सवारी नहीं की, कब आ रही है? “तुम्हें मेरे ऊपर चढ़ने की पड़ी है, यहां बड़ी गड़बड़ हो गयी.” “क्या हो गया?” “इस बार पीरियड नहीं आये। टेस्ट किट से चेक किया। मैं गर्भवती हो गयी हूँ.” “अरे वाह! अंशु, कामिनी मुझे बधाई दो, मैं बाप बनने वाला हूँ.” “मज़ाक मत करो उपिंदर। मुझे बहुत घबराहट हो रही है.” “तू घबरा मत, आज ही आजा, सफाई करवा देंगे.” “ठीक है मैं शाम को ही आती हूँ.”
उपिंदर ने अंशु की ब्रा खोल दी और चुचियाँ चूसने लगा। “जोश आ गया है तुम्हें, मतलब शाम को कामिनी की माँ पहले चुदेगी उसके बाद जाएगी डॉक्टर के पास!” उपिंदर बस मुस्कुरा दिया।
“अरे हाँ, मेरे भाई राजेश की डॉक्टर शोभा से अच्छी जान पहचान है। मैं उसे बोल देती हूँ कि डॉक्टर से बात कर के रखे.” “नहीं अंशु, तू राजेश को यहाँ बुला ले, बात मैं करूँगा.”
अंशु ने फोन कर दिया, राजेश ने कहा- मैं थोड़ी देर में आता हूँ। “उसे आने में एक घण्टा तो लगेगा, तब तक एक राउंड हो जाए अंशु?” “मैं तो हमेशा तैयार हूँ, पहले एक एक पेग और पी लें!”
हम तीनों ने अगला पेग शुरू किया। “कामिनी, पेग खत्म कर और आ के मेरा लौड़ा चूस!” मैं फर्श पे बैठी और लण्ड चूसने चाटने लगी। उन दोनों की चुम्मियां चलती रहीं।
“अंशु तुझे चूत चुसवानी है?” “बाद में सोचूंगी। अभी तो चोदो मुझे!” वो सोफे पे घोड़ी बनी और उपिंदर ने उसकी चूत में पेल दिया, मस्त चुदाई हुई। फिर मैंने लण्ड और चूत दोनों को चाटा।
सब ने कपड़े पहन लिए। मैं अजय बन गया क्योंकि राजेश को पता नहीं था। राजेश आया। मैं और अंशु दूसरे कमरे में चले गए।
बस उपिंदर और राजेश की आवाज़ें आ रही थीं। “राजेश, ये फ़ोटो देख, कैसी है?” “ये तो अंशु की सास है.” “मुझे पता है, ये बता कैसी है?” “अच्छी है। मैं कई बार मिला हूँ.” “तू समझ नहीं रहा अच्छा दूसरी फ़ोटो दिखाता हूँ, ये देख!” “अरे ये … इनकी फ़ोटो ब्रा पैंटी में … ये फ़ोटो तुझे कैसे मिली?”
यह सुन के अंशु ने मेरी चुचियाँ दबाईं। “कामिनी, अब समझ में आया? उपिंदर तेरी मम्मी को मेरे भाई से चुदवाने का प्रोग्राम बना रहा है.”
उधर उनकी बातचीत जारी थी:
“राजेश तू वो छोड़, ये बता माल कैसा है?” “यार मस्त चीज़ है। देख साली की छाती के उभार और एकदम चिकनी जाँघें … कच्छी के अंदर चूत भी गर्म होगी। चूतड़ तो साड़ी में भी देख के खड़ा हो जाता है। रगड़ने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए!” “मिल जाएगी कल सुबह!” “वो कैसे?” “मेरे से फुल फंसी हुई है। मैंने कई बार चोदा है इसे। अब ये मेरे लण्ड के पानी से पेट से है। सफाई करवाने आ रही है। कल सुबह तू इसे डॉक्टर शोभा के पास ले जाना। आगे का तू सोच ले.” “सोचना क्या, दिन में दो तीन बार तो पेलूँगा ही!” फिर चाय वगैरह पी के राजेश चला गया।
शाम को मम्मी आयी। उस वक़्त सिर्फ मैं थी घर पे। हमने चाय पीते हुए बात की। मम्मी ने कहा- सब ठीक हो जाएगा न? “हाँ मम्मी, राजेश ने डॉक्टर शोभा से बात कर ली है। कल सुबह वो आप की जांच करेंगी उसके बाद प्रोसीजर कर देंगी.”
मैं मन में सोच रही थी कि कल पहले तो मम्मी चुदेगी। डॉक्टर के क्लिनिक में या कहीं और बस ये पता नहीं था।
थोड़ी देर में उपिंदर और अंशु भी आ गए। आते ही उपिंदर ने मम्मी को बांहों में भरा और होंठ चूसे। “तुमने सब गड़बड़ कर दिया, मैं मना कर रही थी तब भी” “क्यों परेशान हो रही है मालिनी, कल सफाई हो जाएगी तेरी बच्चेदानी की। अभी तो ये बता कि पहले तेरे होंठों को क्या चाहिए?” “होंठों को क्या चाहिए मतलब?” “मतलब पहले मेरा लण्ड चूसेगी या अंशु की चूत?” मम्मी मुस्कुराई- जैसे तुम चाहो! अंशु बोली- जल्दी क्या है उपिंदर, सब होगा। माँ बेटी दोनों हैं हमारे पास। पहले थोड़ा नशा हो जाए! माँ बेटी तुम दोनों सिर्फ ब्रा पैंटी में बैठो!
शराब शुरू हो गयी।
अंशु ने मम्मी की जांघ दबाते हुए कहा- अब तू पिल कभी भूलेगी नहीं। आज खाई है? उपिंदर बोला- अब जब तक गर्भ नहीं गिरता, तब तक क्या ज़रूरत है। कितने भी लण्ड ले ले। क्यों मालिनी? “उस दिन तुम मान लेते मेरी बात मां कर गांड मार लेते तो कुछ नहीं होता.” “अब छोड़ उस बात को मालिनी, कल सब ठीक हो जाएगा। चलो अभी कुछ करते हैं। अंशु, कामिनी की चुम्मियां ले के प्रोग्राम शुरू कर!” और खुद उपिंदर मम्मी की चुचियाँ दबाने लगा।
अंशु मेरे पास आयी। “बैठ के नहीं, खड़े हो के!” हम खड़े होकर एक दूसरे से लिपट गए। अंशु मेरे होंठ चूसने लगी, अपने होंठों का रस पिलाने लगी। फिर उसने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी चुचियाँ चूसने लगी। मेरी पीठ उपिंदर और मम्मी की तरफ थी।
उपिंदर ने हाथ बढ़ा के मेरी कच्छी उतार दी- मालिनी देख तेरी बेटी के चूतड़ … अच्छे हैं न? “हाँ!” “तो सोच क्या रही है, प्यार कर इन्हें!” मम्मी ने मेरे चूतड़ चौड़े किये और मुंह लगा दिया, मैं मस्त होने लगी। अंशु के मुंह में मेरी चुचियाँ और मेरी गांड पे मम्मी के होंठ और जीभ।
फिर अंशु बोली- चलें बिस्तर पे? “थोड़ी देर में … आ जा मालिनी अब मेरा लौड़ा चूस!” मम्मी ज़मीन पे बैठ गयी और लण्ड मुंह में ले लिया, चूसने लगी।
अंशु भी नँगी हो गयी। उपिंदर के बगल में बैठ गयी और मुझे इशारा किया। मैं भी फर्श पे बैठ गयी और उसकी चूत चूसने चाटने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे दोनों पति नँगे सोफे पे बैठे थे, एक की जांघों के बीच मेरा चेहरा और दूसरे की जांघों के बीच में मेरी माँ का।
उपिंदर ने अंशु की चुचियाँ दबाईं और बोला- अब चलें बिस्तर पे! “चलो!” “मैं किसकी लूँ?” “जिसकी मर्ज़ी लो पर ऐसा कुछ करो जिसमे चारों एक साथ करें!” “ठीक है, मालिनी लेट जा!” मेरी मम्मी की चुचियाँ दबा के बोला- रानी, आज तेरे अंदर मेरा लण्ड नहीं घुसेगा। पर चिंता न कर कल तेरा मस्त प्रोग्राम होगा। अभी तूने मेरा लौड़ा चूसा अब मेरी प्रेमिका की गांड का स्वाद ले। अंशु बैठ जा इसके चेहरे पे!
उपिंदर ने मुझे पीछे से जकड़ रखा था, खड़ा लण्ड मेरे चूतड़ों के बीच में ठीक जगह पर दस्तक दे रहा था और मेरी चुचियाँ मसली जा रही थीं। सामने अंशु मेरी माँ के गालों पर अपने चूतड़ दबा रही थी और मम्मी की जीभ अंशु की चिकनी गांड पे फिसल रही थी।
“कामिनी देख अपनी जन्म स्थली!” “मतलब?” “अपनी माँ का भोसड़ा देख, जिसमें से तू निकली है” मैं मुस्कुराई। “उसको धन्यवाद तो कर दे!” “मैं समझी नहीं?” “अपनी मम्मी की चूत को प्यार कर!”
मैं बिस्तर पे चढ़ गयी, घुटनो पे बैठ मम्मी की खुली टांगों के बीच में झुकी, एक चुम्बन लिया, फिर दोनों फांकों को होंठों में दबाया और फिर जीभ घुसा के चूसने लगी।
और… तभी उपिंदर का तूफानी लौड़ा मेरी गांड में घुस गया। वो तगड़े धक्के मारने लगा। मेरी गांड चुदाई शुरू हो गयी। मेरी जीभ तेज़ी से मम्मी की भोसड़ी में अंदर बाहर होने लगी। अंशु के चूतड़ों ने मेरी माँ के गालों को दबोच लिया। उपिंदर का लण्ड मेरी गांड में तबाही मचाने लगा।
फिर तूफान रुक गया, मैं तृप्त हो गयी, उपिंदर का पानी मेरे अंदर आ गया। सब खुश थे … पूर्ण संतुष्ट!
सोने का टाइम हो गया, अंशु बोली- आज बहुत मज़ा आया। अब सोने से पहले लास्ट आइटम … मेरा प्रशाद कौन लेगा? “मैं!” “तो आ जा कामिनी, आज मैं खड़े खड़े पिलाऊंगी.” मैं घुटनों पे बैठी, अंशु की चूत को अपने होंठों से ढक लिया, उसके चूतड़ पकड़ लिए। उसने हाथों से मेरा सिर पकड़ा और मूतने लगी, उसका नमकीन पेशाब मेरे गले को तर करने लगा।
मेरे चूतामृत पीने के बाद सब सो गए।
सुबह उपिंदर को जाना था, मम्मी उसका हाथ पकड़ के बोली- बड़ी टेंशन हो रही है. उपिंदर ने उसके होंठों का एक भरपूर चुम्बन लिया- चिंता न कर … सब ठीक हो जाएगा. वो चला गया।
मम्मी तैयार हो गयी, राजेश आया, वो उसके साथ चली गयी।
अंशु ने डॉक्टर शोभा को फोन किया- मम्मी का जो प्रोसीजर होगा, वो हम भी देखना चाहते हैं, ऐसे कि उन्हें पता चले. “तुम अकेली?” “नही, हम दोनों!” “मतलब तुम और तुम्हारे पति?” “वो आ के बताऊंगी.” “ठीक है आ जाओ.”
“अंशु, मैं पैंट कमीज पहन लूँ?” “नहीं रानी, स्कर्ट और टॉप!” “डॉक्टर शोभा के सामने? उसे कुछ पता नहीं!” “बहस मत कर, तैयार हो जा!”
हम पहुंचे, एक कमरे में डॉक्टर शोभा मिली। मैंने पहली बार देखा, मर्दानी सी कद्दावर औरत। उसने हम दोनों को देखा, फिर अंशु को बांहों में भर लिया- तो तूने इसे अपनी बीवी बना लिया? अच्छा किया, क्या नाम रखा? “कामिनी!” “मस्त है। अगर तुझे ऐतराज़ न हो तो कभी एक रात के लिए मेरे पास भेज देना!” “ज़रूर!”
“अच्छा अंशु, एक बात बता ये तेरी सास के अंदर बीज किसने डाला?” “मेरे प्रेमी ने मेरे सामने!” “वाह … तू तेज़ है। पत्नी भी और उसकी माँ भी …” अंशु मुस्कुराई। “अच्छा मैं चलती हूँ। तुम ये पर्दा हटा दो बस, खिड़की में वन वे कांच लगा है। अंदर से बाहर कुछ नहीं दिखता, और बाहर से अंदर सब साफ साफ दिखता है.”
हमने पर्दा हटा दिया। तभी मम्मी अंदर आईं और एक नर्स। नर्स ने कहा- आप लेट जाइये और कपड़े खोल दीजिये, डॉक्टर अभी आएंगी. नर्स चली गयी।
मम्मी ने साड़ी थोड़ी ऊपर की, अंदर हाथ डाला और अपनी पैंटी उतार के साइड में रख दी। थोड़ी देर में नर्स वापस आयी- अरे आपसे कपड़े खोलने को कहा था. “खोल दिया है, डॉक्टर आएंगी तो साड़ी ऊपर कर के जांच कर लेंगी.” “हमारी डॉक्टर ऐसे नहीं देखती, सब खोलिए … पूरी नँगी!” “ऐसे तो कहीं नहीं होता?” “जल्दी करिए नहीं तो मैं करूँगी.”
मम्मी खड़ी हुईं और एक एक कर के सारे कपड़े उतार दिए, पूरी नंगी लेट गयी। अंशु ने मेरी चुचियाँ दबाई- सोच रही हैं कि जांच होगी। इसे पता नहीं कि अभी मेरा भाई इसके ऊपर चढ़ेगा.
डॉक्टर आयी, सीधा चूत पे हाथ रख के दबाया- खूब मज़े लिए? “जी, आपका मतलब?” “अरे जब गर्भ ठहर गया है तो चुदाई के मज़े तो लिए ही होंगे। वैसे एक लण्ड लेती हो या एक से ज्यादा?” “देखिए आप ऐसी बातें मत करिए, मैं वैसी नहीं हूँ.” “अरे इसमें ऐसी वैसी कोई बात नहीं है। तुम खूबसूरत हो, मस्त चूचियाँ हैं, चिकनी चूत है, ये सब मजे लेने के लिए ही तो हैं.” और डॉक्टर ने मम्मी की चूचियाँ पकड़ लीं और दबाने लगी।
तब तक राजेश आया, मम्मी के सिर के पास खड़ा हुआ, झुका और होंठों से होंठ जोड़ दिए। भरपूर चुम्बन के बाद मम्मी बोली- राजेश ये … ये ठीक नहीं है. राजेश ने होंठों पे एक और चुम्बन लिया और इस बार चूचियाँ भी दबाईं। डॉक्टर- राजेश, तुम इसके मज़े लो मैं जा रही हूँ.
राजेश एग्जामिनेशन टेबल पर चढ़ के मम्मी के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गया- ठीक है या गलत … पर अब तू मुझसे चुदेगी ज़रूर। इसलिए प्यार से घुसवा मेरा लौड़ा और चुदाई का मज़ा ले! उसने अपनी ज़िप खोली लण्ड निकाला और मम्मी की चूत में पेल दिया। इस तरह अंशु के भाई और मेरी मम्मी का शारीरिक संबंध बन गया। राजेश की कमर हिलने लगी, मेरी माँ चुदने लगी। थोड़ी देर में मम्मी भी मस्त हो गयी। “देख कामिनी, तेरी माँ पहले कैसे ठीक नहीं, ठीक नहीं कर रही थी, अब मजे ले के चूत मरवा रही है.” एक करारे धक्के के साथ मेरी माँ की चुदाई का समापन हो गया।
“अच्छा राजेश अब डॉक्टर के बुलवा लो!” “नहीं आज नहीं!” “क्यों तुमने मेरी ले तो ली, अब क्या?” “अरे आज तो हमारे सम्बन्ध की शुरुआत हुई है, घर चलते हैं, और करेंगे। वैसे आपको मज़ा आया?” “बिल्कुल भी नहीं!” “क्यों?” “ऐसे क्या मज़ा आएगा, तुमने तो अपने कपड़े भी नहीं उतारे, बस घुसा दिया.” और मम्मी कपड़े पहनने लगी।
अंशु मुझे देख कर मुस्कुराई- अब मूड बन गया है तेरी माँ का। पूरा दिन मेरे भाई के साथ हनीमून मनायेगी! वो चले गए, हम भी घर आ गए।
शाम को उपिंदर आया, उसने राजेश को फोन किया स्पीकर पे- और तेरा प्रोग्राम हो गया? “प्रोग्राम तो पूरे दिन का है.” “मतलब?” “एग्जामिनेशन टेबल पर चोदा, फिर घर ले आया, मुंह में दे के चुसवाया और मुंह में ही झाड़ा, फिर दोपहर को आराम किया, अब शाम की शुरुआत हो चुकी है.” “मतलब, मालिनी के कपड़े उतर चुके हैं?” “तू पागल है। अरे जब से आयी है, तब से नंगी ही है। अब इसकी गांड मारूंगा। रात ये मेरे पास ही रहेगी, सुबह डॉक्टर के पास जाएगी और अपना गर्भ गिरा के तुम्हारे पास आएगी.” “ठीक है, मज़े ले!” और फिर हम अपनी शाम की शुरुआत करने लगे.
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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