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अभी तक की कहानी में आपने पढ़ा कि अपनी पड़ोसन की विवाहिता बेटी मोनी के प्रति बढ़ती मेरी वासना के चलते मैंने एक रात को उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके उसकी पेंटी के अंदर अपने लंड को घुसा ही दिया. जब पहली बार मेरा लंड उसकी चूत से टकराया तो मैं ज्यादा देर उसकी चूत की गर्मी के सामने टिक नहीं पाया और आधा सुपाड़ा अंदर जाते ही मेरे लंड ने उसकी चूत पर वीर्य की पिचकारी मार दी. मैं नशे में था और चुपचाप करवट बदल कर सो गया. अब आगे:
अगले दिन मैं बाकी दिनों के मुकाबले काफी देर से उठा था मगर तब तक भी मोनी ने घर में कोई काम नहीं किया था। वो देर से सोकर उठी थी, या फिर शायद उसने जान-बूझकर घर का काम नहीं किया था ये तो मुझे नहीं पता, मगर जब मैं उठा उस समय मोनी कुर्सी पर बैठी हुई थी और काफी बैचेन सी लग रही थी। अब जैसे ही मैं उठा मुझे देखकर मोनी तुरन्त कुर्सी से उठकर मेरे पास आकर खड़ी हो गयी। मोनी को देखकर अब मैं भी घबरा सा गया, मगर मेरे पास आकर वो एक बार तो कुछ कहने को हुई फिर नजरें झुकाकर वो चुपचाप वापस रसोई की तरफ चली गयी।
शायद मोनी मुझसे कुछ कहना तो चाहती थी मगर नारी लज्जा ने उसे शायद मुंह खोलने से रोक लिया था. अब डर और शर्म के कारण मुझमें भी मोनी से कुछ पूछने की या कहने की हिम्मत तो थी नहीं, इसलिये अब मैं भी दैनिक क्रियाओं आदि से निवृत्त होने के लिये चुपचाप बाथरूम में घुस गया।
जब मैं नहाने के लिये अपने कपड़े लेने बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि मोनी ने अब भी घर का कोई काम नहीं किया था. वो अब भी बेचैन सी होकर कमरे में इधर-उधर ही चक्कर लगा रही थी। शायद वो मेरे ही बाहर निकलने का इन्तजार कर रही थी क्योंकि मैं अब जैसे ही बाथरूम से बाहर आया मोनी फिर से मेरे पास आकर खड़ी हो गयी। उसने अपने हाथ में अब एक कागज की पर्ची सी पकड़ी हुई थी। “यअ … ऐ … ये … बाजार से त … उ … तू … सामान ले आयेगा क्या?” मोनी ने मेरे पास आकर हकलाते हुए कहा।
“ह ह आ … हआ हाँआआ …” मुझे भी डर लग रहा था इसलिये मैंने भी घबराते हुए ही उसकी बात का जवाब दिया.
मोनी से वो सामान की पर्ची लेकर मैं तुरन्त ही बजार आ गया। अब बजार में आकर मैंने वो सामान की पर्ची दुकानदार को दे दी जिसमें से उस दुकानदार ने मुझे दाल, चावल, चीनी और चाय पत्ती तो दे दिये मगर एक चीज के बारे में मुझे बताते हुए कहा कि ये यहाँ नहीं दवाइयों की दुकान पर मिलेगी।
दवाइयों की दुकान का नाम सुनकर मुझे अब कुछ अजीब सा लगा। मुझे नहीं लग रहा था कि मोनी ने ये सब लिखा होगा क्योंकि उस दुकानदार ने मुझे जो भी सामान दिया था, वो सब सामान मैं अभी कुछ दिन पहले ही लेकर गया था जो कि इतनी जल्दी खत्म नहीं हो सकता था।
घर पर घबराहट में मैंने उस पर्ची में लिखे सामान को एक बार भी नहीं देखा था, मैंने उसे पढ़े बिना ऐसे ही अपनी जेब में डाल लिया था मगर मुझे अब शक हुआ तो मैंने दुकानदार से उस पर्ची को वापस लिया और उसमे लिखे सामान को देखने लगा …
उस पर्ची में सबसे पहले तो कुछ लिखकर काटा हुआ था फिर उसके नीचे एक किलो चना दाल, उसके नीचे एक किलो चावल और उसके नीचे एक गर्भनिरोधक दवाई का नाम लिखा हुआ था, फिर उसके नीचे दो किलो चीनी और आखिर में ढाई सौ ग्राम चाय पत्ती लिखी हुई थी।
ये सब सामान तो ठीक था मगर गर्भ निरोधक दवाई? गर्भ निरोधक दवाई के नाम से अब एक बार तो मुझे झटका सा लगा मगर फिर जल्दी ही मेरी सब कुछ समझ में आ गया। शायद मेरी कल रात की हरकत के कारण मोनी को गर्भ ठहरने का डर लग रहा था और ये बात वो मुझसे कहने में शरमा रही थी और इसलिये ही शायद वो सुबह इतनी बैचेन भी लग रही थी। ये सब सामान तो एक बहाना था, मोनी का असली मकसद तो ये गर्भ निरोधक दवाई मँगवाना था।
खैर, मैं वो सारा सामान लेकर अब दवाइयों की दुकान पर आ गया। अभी तक तो मैं भी मोनी से डरा हुआ था मगर गर्भ निरोधक दवाई के नाम से मुझे न जाने अब क्या सूझ गया कि दवाइयों की दुकान से मैंने गर्भ निरोधक दवाई के साथ-साथ एक कॉन्डोम का पैकट भी खरीद लिया।
दवाइयों की दुकान वाले ने गर्भ निरोधक दवाई और कॉन्डोम के पैकट को एक साथ छोटे लिफाफे में डालकर दिया था जिसको मैं एक बार तो अलग अलग करके कॉन्डोम के पैकट को अपने पास रखना चाहता था मगर तभी मुझे एक योजना सूझ गयी। मैंने उन्हे अब अलग-अलग तो कर दिया मगर कॉन्डोम के पैकट को अपने पास रखने की बजाय मैं उसे बैग में ही रख कर घर आ गया। दरसल मैं देखना चाहता था कि मोनी कॉन्डोम के पैकट को देखकर क्या प्रतिक्रिया करती है!
वैसे तो मैंने बाजार में सामान लेने में काफी जल्दी की थी मगर फिर भी घर पहुँचते पहुँचते मुझे दो बज गये थे। मैं घर पहुँचा उस समय मोनी ने घर के काम निपटा लिये थे और वो बाहर खड़ी होकर शायद मेरा ही इन्तजार कर रही थी। घर पहुँच कर मैंने अब उस सामान के थैले को रसोई में रख दिया और पलंग पर आकर बैठ गया। तब तक मोनी भी मेरे पीछे पीछे अन्दर आ गयी। उसने एक बार तो मेरी तरफ देखा फिर नजरें नीचे करके चुपचाप कोने में बनी नाम की रसोई में जाकर खाना बनाने लग गयी।
मैं सुबह नहाकर नहीं गया था इसलिये कुछ देर बैठने के बाद अब मैं भी अपने कपड़े लेकर नहाने के लिये बाथरूम में घुस गया। बाथरूम में जाकर मैंने पानी के नल को तो चालू कर दिया मगर नहाने की बजाय मैं अब मोनी को देखने लगा।
बाथरूम में दरवाजा नहीं था, दरवाजे की जगह चादर लगी हुई थी जिसको हल्का सा हटाकर मैं आसानी से मोनी को देख पा रहा था। अभी तक मोनी ने न तो मुझसे कुछ पूछा था और ना ही उस बैग की तरफ देखा था. मगर अब जैसे ही मैं बाथरूम में घुसा तो मोनी जल्दी-जल्दी उस बैग के सामान को देखने लगी। मैंने गर्भ निरोधक दवाई को ऊपर ही रखा हुआ था इसलिये वो आसानी से ही मोनी को मिल गयी। उसने उस गर्भ निरोधक दवाई को निकाल कर अब एक बार तो बाथरूम की तरफ देखा मगर अगले ही पल फिर जल्दी से उसमें से दवाई को निकाल कर खा लिया।
मोनी ने अभी तक अपनी दवाई खाने की जल्दी में उस बैग में रखे कॉन्डोम के पैकट पर ध्यान नहीं दिया था किंतु दवाई खाने के बाद वह जब उस बैग के सामान को बाहर निकालने लगी तो उसके हाथ में वो कॉन्डोम का पैकट भी आ गया! मैं भी यही तो चाहता था. सब कुछ अब मेरी योजना के मुताबिक हो रहा था. मैं देखना चाहता था कि मोनी उस पैकेट को देख कर क्या प्रतिक्रया करती है?
मैंने बाथरूम से झांक कर देखा कि जैसे ही उसके हाथ में वो पैकेट लगा उसी वक्त उसके हाथ कम्पकपा से गये और घबराकर वो बुत सी बन गयी। मोनी को शायद यकीन नहीं हो रहा था कि मैं कॉन्डोम भी खरीद कर ला सकता हूं इसलिये उस कॉन्डोम के पैकेट को पकड़ कर मोनी कभी उस कॉन्डोम के पैकेट को तो कभी बाथरूम की तरफ देखने लगी। जब वो बाथरूम की तरफ देखती तो मैं चादर के पीछे हो जाता ताकि उसको इस बात की भनक भी न लगे कि मैं भी उसको देख पा रहा हूँ.
उस कॉन्डोम के पैकट को हाथ में पकड़ कर मोनी अब कुछ देर तो वैसे के वैसे ही खड़ी रही और फिर जल्दी से उसने उसे वापस बैग में ही रख दिया। शायद मोनी सोच रही थी कि मैं उस कॉन्डोम के पैकेट को बैग से निकालना भूल गया हूं इसलिये उस कॉन्डोम के पैकट के साथ-साथ मोनी ने उस बैगे के सारे सामान को भी वापस बैग में ही रख दिया और चुपचाप खाना बनाने लग गयी. वह भी मेरे साथ चालाकी दिखाने की कोशिश कर रही थी कि कहीं मुझे ये पता न लग जाये कि उसने कॉन्डोम के पैकेट को देख लिया है. मगर मैं तो अन्दर से सब देख रहा था.
इतना सब होने के बाद मैं भी अब जल्दी से नहा कर बाहर आ गया. मैं नहा कर बाहर आया तब तक मोनी ने खाना बना लिया था इसलिये खाना खाकर रोजाना की तरह मैं टीवी चालू करके बैठ गया और मोनी बचे हुए काम निपटा कर अपनी पड़ोसन के घर चली गयी।
मगर मोनी को अपनी पड़ोसन के घर गये हुए अब कुछ ही देर हुई थी कि वो वापस आ गयी और उसके साथ में उसका पति भी था, जिसको देखकर मैं बुरी तरह से घबरा गया। मैं सोच रहा था कि कहीं मोनी ने अपने पति को मेरी शिकायत करने के लिये तो नहीं बुलाया? लेकिन जैसा मैं सोच रहा था वैसा कुछ भी नहीं था। दरअसल मोनी का पति तो बस मुझे ये बताने के लिये आया था कि मेरे भैया छुट्टी आ गये थे और वो मुझे वापस घर बुला रहे हैं।
उस समय मोबाइल फोन तो आ गये थे मगर वो फोन केवल बहुत ज्यादा पैसे वाले लोग ही इस्तेमाल करते थे. बाकी सामान्य लोग एस.टी.डी. और पी.सी.ओ. का ही इस्तेमाल करते थे। मोनी के पड़ोसी के घर फोन तो था परन्तु शायद उसकी लाइन खराब हो गयी थी. इसलिये मेरे भैया ने जहाँ मोनी का पति काम करता था वहाँ पर फोन करके मुझे आने के लिये बताया था और यही बात मोनी का पति अब मुझे बताने के लिये यहाँ आया था।
मोनी के साथ लगभग मेरा काम अब बन ही गया था इसलिये मेरा वहाँ से आने का दिल तो नहीं था मगर मेरे भैया के छुट्टी आने की वजह से मुझे अब वापस अपने घर आना पड़ गया। मैं मोनी के साथ वहाँ पर एक-दो दिन और भी रुक जाता और इसके लिये मेरे पास अपने रिजर्वेशन का बहुत अच्छा बहाना भी था किंतु अब मोनी के पति के वहाँ रहते मैं मोनी के साथ कुछ कर तो सकता नहीं था इसलिये मैं उसी दिन बगैर रिजर्वेशन के ही वापस अपने घर आ गया।
मेरे घर आने के बाद अब हफ्ते भर तक मेरे भैया भी कॉलेज के चक्कर लगाते रहे. जिस कॉलेज में मेरे भैया मेरा दाखिला करवाना चाहते थे, बहुत भाग-दौड़ करने के बाद भी उसमें मुझे दाखिला नहीं मिला। इसके लिये मेरे भैया ने एक-दो जगह से मेरे लिये सिफारिश भी लगवाई मगर फिर भी मुझे उस कॉलेज में दाखिला नहीं मिला. जिससे भैया मुझ पर बुरी तरह से गुस्सा हो गये और गुस्से में वे मेरे पीछे भाग रहे थे और मैं आगे आगे … इसी भागदौड़ में मैं फिसल कर गिर पडा और मेरे पैर की हड्डी ही टूट गयी जिसकी वजह से मुझे अब दो तीन महीने बिस्तर पर ही रहना पड़ा. जिसके कारण मैं किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं ले सका।
अब मैंने जब कहीं दाखिला तो लिया नहीं था इसलिये मैं अपने दोस्तों के साथ ही टाइम पास करता रहता था. मोनी के बारे में तो जैसे मैं भूल ही गया था. मगर कुछ दिन बाद ही एक रेलवे भर्ती परीक्षा के लिये मेरा बुलावा आ गया जो कि बिलासपुर में होनी थी। भर्ती परीक्षा की ये बात कहीं से कमला चाची को भी पता चल गयी कि मैं भर्ती परीक्षा देने के लिये बिलासपुर जा रहा हूं, इसलिये अगले दिन ही कमला चाची मेरे पास आकर मुझसे पूछने लगी कि अगर तुम बिलासपुर जा रहे हो तो मोनी का भी कुछ सामान अपने साथ ले जाओगे क्या?
वैसे मैं ये परीक्षा देने के लिये जाना नहीं चाहता था. मगर अब कमला चाची ने मुझे मोनी के पास रायपुर जाने की बात कही तो मुझे झटका सा लगा क्योंकि ये बात तो मैंने सोची ही नहीं थी कि बिलासपुर के पास ही तो रायपुर पड़ता है जो कि मोनी से मिलने का एक बहुत ही अच्छा बहाना है।
दरअसल मैंने अपने दोस्तों के साथ रेलवे भर्ती के लिये ऐसे ही आवेदन किया था और परीक्षा के बहाने हम सब दोस्तों ने घूमकर आने की योजना बनाई हुई थी। मगर मेरे बाकी दोस्तों का परीक्षा केन्द्र कहीं दूसरी जगह आया था और मेरा बिलासपुर आया था, इसलिये मैं ये परीक्षा देने के लिये जाना नहीं चाह रहा था। चूंकि अब कमला चाची ने मुझे मोनी के पास रायपुर जाने के लिये बताया तो मैं भी ये परीक्षा देने बिलासपुर जाने के लिये तैयार हो गया।
वैसे मोनी के पास ले जाने के लिये कोई ज्यादा सामान नहीं था, बस उसका एक छोटा सा बैग ही था जो कि शायद पिछली बार यहाँ रह गया था। कमला चाची उस बैग को मेरे जाने से एक दिन पहले ही हमारे घर दे गयी थी जिसको लेकर मैं परीक्षा देने बिलासपुर पहुँच गया। परीक्षा तो क्या देनी थी मैं तो बस मोनी की वजह से वहाँ आया था. वहाँ जाकर मैंने जैसे-तैसे वो परीक्षा दी और उसी दिन रायपुर के लिये निकल गया।
अब रायपुर पहुँचकर सबसे पहले तो मैंने कॉन्डोम का पैकेट खरीदा ताकि पिछली बार की तरह मोनी को गर्भ ठहरने वाली कोई दिक्कत ना हो क्योंकि ये महीने का वही समय चल रहा था जब मोनी ने पिछली बार मुझसे वो गर्भ निरोधक दवाई मँगवाई थी।
यूं तो बिलासपुर से रायपुर करीब सौ-सवा सौ किलोमीटर ही दूर है मगर परीक्षा की वजह से मैं बिलासपुर से ही देर से चला था इसलिये मोनी के घर पहुँचत-पहुँचते मुझे रात हो गयी थी। जब मैं मोनी के घर पहुँचा उस समय वो शायद खाना बनाने की तैयारी कर रही थी. जैसे उसने मुझे देखा वो थोड़ी घबरा सी गयी. मोनी को शायद पता नहीं था कि मैं आने वाला हूं. मेरे अचानक उसके घर पहुंचने के बाद भी मोनी ऐेसे जता रही थी कि सब सामान्य ही हो. मगर मैं जानता था कि वो अन्दर ही अन्दर घबरा रही थी.
घर पहुंचकर मैंने भी उससे ज्यादा कुछ बात-चीत नहीं की. दिन भर के सफर के बाद मैं काफी थक गया था और नहाना चाहता था. इसलिये कुछ देर बैठने के बाद मैं नहाने के लिये बाथरूम में चला गया और मोनी खाना बनाती रही। मैं नहाकर बाहर आया तब तक मोनी ने खाना बना लिया था. खाना खाकर पहले की तरह ही मैं टीवी चालू करके बैठ गया और मोनी बर्तन आदि साफ करने लग गयी। मोनी अभी भी मुझसे बात नहीं कर रही थी. मेरे आते ही उसने बस एक बार तो घर के बारे में पूछा था मगर उसके बाद उसने मुझसे कोई बात नहीं की, वो बस चुपचाप अपने काम में ही लगी रही।
कुछ ही देर में मोनी ने रसोई के सारे काम निपटा लिये थे और फारिग होकर उसने सोने के लिए अपना बिस्तर नीचे फर्श पर बिछा कर तैयार कर लिया था. अब सीधा-सीधा तो मोनी से कुछ कहने की मेरी भी हिम्मत नहीं थी. इसके साथ ही अब गर्मी भी नहीं थी कि मैं गर्मी के बहाने ही उसके साथ नीचे सो सकूं. मगर पिछली बार इतना सब कुछ हो जाने के बाद मैं ज्यादा देर तक उससे दूर नहीं रह सका.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपनी प्रतिक्रया देने के लिए कमेंट करें और अपने विचार साझा करने के लिए नीचे दी गई मेल आई-डी आप मेल भी कर सकते हैं. [email protected]
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