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अब तक की कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी बहन को मूवी हॉल में लेकर गया था. जहाँ मैंने उसकी पैंटी को उतरवा दिया था. वह नंगी हो चुकी थी. उसके बाद वापस आते हुए मैंने उसकी ब्रा को भी उतरवा दिया. जब हम अपने अपार्टमेंट पहुंचे तो उसका गाउन निकल गया और मैंने उसको पूरी की पूरी नंगी कर दिया. उसको उसी हालत में लेकर अपने फ्लैट की तरफ जाने लगा. अब आगे:
लिफ्ट थर्ड फ्लोर पर खुली. मैंने शॉपिंग का समान उठाया, बाहर आया। रास्ता बिलकुल साफ था, कोई जगा हुआ नहीं था। न ही इस फ्लोर के बाद किसी के मिलने की आशंका थी। मैंने उसके हाई हील्स निकाल दिए ताकि सीढ़ी चढ़ने में उसे परेशानी न हो। सीढ़ी लिफ्ट के बगल में ही थी।
वो बिल्कुल नंगी थी. उसके हाथ उसी के ब्रा से पीछे बंधे हुए थे. वो अपनी पैंटी मुँह में लिए सीढ़ियाँ चढ़ रही थीं मैं उसके पीछे-पीछे था। मैं उसके मटकते हुए चूतड़ों को देख रहा था। वो किसी गुब्बारे की तरह हिल रहे थे। वो मार की वजह से लाल हो गए थे।
जब वो सीढ़ी चढ़ने के लिए मुड़ी, क्योंकि हमारे अपार्टमेंट की सीढ़ियाँ स्पाइरल हैं, मैं उसके उरोजों को देख रहा था। जैसे जैसे वो सीढ़ियाँ चढ़ रही थी उसकी थैली जैसी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी। यह दृश्य काफी कामुक था। मेरा तो लौड़ा खड़ा हो गया था। उसके चूचुक एकदम कड़क हो गए थे. मतलब कि वो वासना विभूत हो रही थी। मैं बता दूं कि मेरी बहन की चूचियां एकदम सुडौल हैं जैसे किसी पॉर्न एक्ट्रेस की होती हैं। वो जिम भी करती है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।
वो सर झुकाये सीढ़ियाँ चढ़ रही थी। जैसे ही हम फोर्थ फ्लोर पर पहुंचे वो पांचवे फ्लोर के लिए सीढ़ियों की ओर मुड़ी. मैंने उसे रोका. उसके पास पहुंचा. मैंने हाथ उसकी पीठ पर रख कर दूसरी तरफ घुमाया और फोर्थ फ्लोर की तरफ चल दिया। वो वैसे ही नंगी हाथ पीछे किये हुए मेरे साथ चलने लगी. वो थोड़ी सी डरी हुई थी क्योंकि ये कोई होटल नहीं, उसका खुद का घर था। यहाँ सब उसे जानते थे। हालाँकि इस फ्लोर पर कोई रहता नहीं था. सारे फ्लैट्स बंद पड़े थे। मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे. मैं हाथों को सरका कर चूतडों पर ले गया और उन पर फेरने लगा। चूतड़ गर्म थे। मैं ऐसे ही उसके साथ चलने लगा।
फ़िलहाल तो हम यहाँ चुदाई भी कर सकते थे। लेकिन वो मेरी बहन है कोई रखैल नहीं, जो जहाँ मन करे चोद दूं। वो मेरे लिए बहुत खास थी। मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि मुझे मेरी ड्रीम गर्ल मेरी बहन के रूप में मिलेगी। ठंडा मौसम था। जब भी हवा उसके बदन को छू कर निकलती वो हल्की कांप सी जाती थी। हम फोर्थ फ्लोर आधा पार कर चुके थे।
उसका डर धीरे धीरे ख़त्म हो रहा था क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा था। मैं उसके हाथ को छोड़ कर आगे हुआ. मैंने आस पास देखा तो कोई नहीं था। मैं सीढ़ी के पास पहुंचा। मैंने सीढ़ी के पास की लाइट ऑफ कर दी। उसे रोका तो उसने आश्चर्य भरी निगाहों से मुझे देखा. मैं अनुमान लगा रहा था कि अब मेरी बहन यही सोच रही होगी कि मैं उसको अब यहीं पर चोदने वाला हूँ. मैंने मुस्कराते हुए उसे देखा। वो डरी हुई थी। मैंने उसे घुमाया. उसकी गर्दन पर किस करते हुए आँखों पर पट्टी बांध दी।
यह वही ब्लैक रिबन था जो कल रात मैंने उसकी आँखों पे बांधा था। मैं उसके हाथ पकड़ के सीढ़ियाँ चढने लगा. वो डर से बिल्कुल सहमी हुई थी। हम अपने फ्लैट के दरवाजे के पास पहुंचे।
हमारे फ्लोर पर दो फैमिली रहती थीं. एक हम और एक शर्मा अंकल की फैमिली। शर्मा अंकल की बेटी की डेस्टिनेशन वेडिंग हो रही थी तो वो एक महीने के लिए शहर से बाहर गये हुए थे। ये बात मुझे पता थी। लेकिन शायद मेरी बहन को ये बात नहीं पता थी।
पूरे फ्लोर पर मैं और मेरी नंगी बहन ही थे। मैंने सामान वहीं रखा. उसे फ्लैट के सामने वाली दिवार पर चिपका कर खड़ा कर दिया। मैंने पैंटी उसके मुंह से निकाली. उसने लंबी सांस ली. उसकी सांसें तेज थीं. वो डर रही थी। उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था।
मैं उसके पास गया. उसके होंठों पर किस किया. उसके होंठ कांप रहे थे. वो किस नहीं कर पा रही थी। मैंने उसके कानों में जाकर धीरे से कहा- ट्रस्ट मी! (मुझ पर विश्वास करो) यह सुनकर वो नॉर्मल हुई। मैंने उसे समय दिया. उसकी सांसें थोड़ी नार्मल हुई। उसका डर कम हुआ। तब तक मैं उसके चेहरे के पास ही था, उसकी खुशबू को महसूस कर रहा था। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी।
मैं बस उसके चहरे को देखे जा रहा था। उसकी आँखों पर काली पट्टी थी, लाल सुर्ख होंठ, बाल खुले हुए. मैंने उंगलियों से बालों को सहलाया और सीधा किया। उसे अच्छा लगा, उसने हांफना बंद कर दिया था। मैंने उसके माथे पर चूमा तो उसे अच्छा लगा। उसका डर काम हो रहा था क्योंकि वो मुझ पर विश्वास कर रही थी। विश्वास तो वो मुझ पर अटूट करती थी, नहीं तो कोई लड़की अपने आप को ऐसे ही किसी को समर्पित नहीं करती। मैंने भी उसका विश्वास आज तक नहीं तोड़ा। मैं भी उससे उतना ही प्यार करता था।
मैं इसी स्थिति में पीछे गया और उसके हाथों को खोला। मैंने उसके कंधे व गर्दन पर चुम्बन बरसा दिए। वो चुपचाप खड़ी थी। थोड़ा डर उसके मन में शायद अभी भी था. जोकि किसी भी लड़की को होना सामान्य था ‘बदनामी का डर’ फिर भी वो मुझ पर विश्वास करके मेरा साथ दे रही थी।
मैंने उसके हाथों को आगे करके फिर से उसकी लाल ब्रा से बांधा और ऊपर कर दिया। मैंने उसके होंठ चूसना चालू किया. वो मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी गर्दन पर किस किया. उसकी सांसें तेज हो रही थीं। इस बार उसकी सांसें कामुकता से तेज हो रही थी। डर को वो कुछ देर के लिए भूल चुकी थी।
मैं उसके बोबों पर गया, उसके चूचुक और कड़क चूचियां उठी हुई थीं मोटी गद्देदार … जैसे उनमें दूध भरा हो। मैं उसकी चूचियों को मुँह में भर कर चूसने लगा। मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि मेरी बहन बिल्कुल नंगी घर के बाहर मेरे से चूचियां चटवा रही थी। मैं उसकी चूचियां उमेठ कर चूस रहा था मानो जैसे मैं उनसे दूध निकालने की कोशिश कर रहा हूँ।
मैं अचानक से उसकी चूचियों को छोड़ कर ऊपर गया और उससे बोला- स्टे हियर! (यहीं रुको) मैं उसकी चूचियां चूसना चाहता था। लेकिन मैंने ऐसा उसे तड़पाने के लिए किया। मैंने उसे वहीं छोड़ा बरामदे में. शॉपिंग बैग उठाये, गेट खोला और फ्लैट के अंदर चला गया।
मेरी बहन प्रीति की जुबानी: 5 मिनट हो गए थे। मैं नंगी अपने ही फ्लैट के आगे दीवार के सहारे हाथ ऊपर किये खड़ी थी। मेरी आँखों पर पट्टी थी। मैं सब कुछ महसूस कर रही थी। मेरा दिमाग हाइपर एक्टिव मोड में था। चारों तरफ सन्नाटा था। मैं हवा के स्पर्श को अपने चूचुकों पर महसूस कर पा रही थी। मेरे चूचुक बहुत ही सेंसिटिव हो गए थे क्योंकि अभी 5 मिनट पहले मेरा भाई उनको बेदर्दी से चूस कर गया था।
ठंडी हवा जब मेरी चूचियों से टकराती तो मेरे बदन में झुरझुरी सी पैदा हो जाती, एक अजीब सी वासना की लहर दौड़ जाती मेरे नंगे बदन में। ऐसा ही कुछ अहसास मुझे तब हो रहा था जब मैं भाई के साथ नंगे चूतड़ लिए मॉल में घूम रही थी। मुझे याद आ रहा था कि कैसे भाई ने मेरी चूचियों को बीच सड़क पर नंगा कर दिया था, कैसे पार्किन्ग में उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया, कैसे लिफ्ट में मेरे नंगे चूतड़ों पर चपत लगाई।
चूतड़ों पर लगी चपत का ख्याल आते ही मेरे शरीर में वासना की लहर दौड़ गयी, मैंने चूतड़ दीवार से चिपका लिए। मैं ठंडी दीवार की खुरदरी सतह को अपने चूतड़ों पर महसूस कर पा रही थी। किस तरह से मैं नंगी अपने अपार्टमेंट में घूम रही थी। हालाँकि मेरा भाई मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा था. ये सब मेरी ही आउट डोर फैंटेसी थी। जो मैंने उसे पहले बता रखा था।
फ्लोर की बात याद आते ही मेरा ध्यान टूटा. मुझे अहसास हुआ कि मैं अभी भी तो नँगी हूँ। मुझे डर फिर से लगने लगा। बगल में शर्मा जी का फ्लैट है. कोई निकल के आ गया तो मैं क्या करुँगी? मैं डर से कांप गयी एक समय के लिए। फिर मुझे मेरे भाई की बात याद आयी। उसने कहा था कि मैं उस पर भरोसा रखूं। मैंने मन ही मन खुद से बोला मेरा भाई मुझे दूसरों के सामने नंगी थोड़ी न करेगा।
मेरा डर गायब हो गया। कुछ ही पल में मैं वापस लिफ्ट में थी। मुझे अहसास हो रहा था कि मेरा भाई आज मुझे थोड़ा ज्यादा जोर से चपत लगा रहा था। शायद मैं भी यही चाह रही था। यह विचार मुझे अंदर ही अंदर रोमांचित कर रहा था। मुझे याद आ रहा था कि कैसे में सीढ़ियों पर चढ़ते समय अपनी ही चूचियों को हिलते देख उत्तेजित हो रही थी। जब उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा तो मैं एक और चपत की कामना कर रही थी।
जब उसने मुझे लाइट ऑफ़ करके सीढ़ी के पास रोका, मैं चाह रही थी कि मेरा भाई मुझे यहीं पटक कर चोद दे। यहाँ मुझे नँगी गर्म कर आधी चूचियां चूस के छोड़ दिया साले ने। मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था। मैं ख्यालों से बाहर आ चुकी थी। सन्नाटा कायम था. मैं अंदाजा लगा रही थी कि उसने बरामदे की लाइट ऑफ कर दी है क्योंकि मैंने आँखे खोल के बाहर झांकने की कोशिश की. बाहर चारों तरफ अँधेरा था। बस हमारे फ्लैट से हल्की रोशनी आ रही थी।
मैं वर्तमान में आयी। चारों तरफ अँधेरा … चिर सन्नाटा। अंतिम आवाज मैंने अपने फ्लैट का गेट बन्द होने की सुनी थी। मेरे हाथ ऊपर मेरे ही ब्रा से बंधे हुए थे। मैं दीवार से अपनी नंगी पीठ और चूतड़ सटाये खड़ी थी. मैं खुरदरी सतह को महसूस कर सकती थी। खुरदरी दीवार मेरे मखमली जिस्म में चुभ रही थी। मेरे हाथ ऊपर थे। मेरे आर्मपिट से आ रही मेरे बदन और परफ्यूम की मिश्रित खुशबू मेरे नाक तक पहुँच रही थी।
मुझे कल की चुदाई याद आने लगी. कल रात पहली बार किसी ने मेरे आर्मपिट्स चूसे थे। ऐसा मजा मुझे मेरे बॉयफ्रेंड ने भी नहीं दिया कभी। यह सब सोच कर मैं सोचने लगी कि आज क्या करेगा भाई मेरे साथ। मैं इमैजिन कर रही थी कि मैं पुल-अप बार से लटकी हूँ. भाई मेरे चूतड़ों पर जोर-जोर से कौड़े बरसा रहा है. मैंने अपने दाँत भींच लिए।
मैंने ध्यान दिया, उत्तेजना में मैं चूतड़ दीवार से रगड़ रही थी। मेरी चूत नीचे गीली हो चुकी थी। मेरी चूत से पानी बह कर नीचे मेरी टांगों पर जा रहा था। तभी दरवाजा खुलने की आवाज मेरे कानों में आयी. मैं सहम गयी। मेरा सपना टूटा, मैं सावधान हो गयी। एक हाथ मेरी कमर पर मुझे महसूस हुआ। भाई मुझे खींच के अपने साथ ले जाने लगा. यह मेरा भाई था. मैं उसके पर्फ्यूम को पहचान रही थी। ये स्पर्श भी जाना पहचाना था. मैं उसके साथ हो ली।
विशाल: मैंने सरप्राइज प्लान किया था। इसलिए मैंने उसे बाहर ही रखा। जब मैं वापस आया तो मेरी बहन नंगी, हाथों को ऊपर किये खड़ी थी। वो गर्म हो चुकी थी। सेक्स का अहसास उसे पागल बना रहा था। मैंने उसे उसकी नंगी कमर से पकड़ा। मेरे दरवाजा खोलते ही वह डर गयी उसके चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था। मेरा स्पर्श पाकर वो सामान्य हुई। मेरा स्पर्श वो पहचानती थी। पहचाने भी क्यों न … पिछले तीन सालों से मैं उसे मजे देता आ रहा हूँ।
मैं उसे कमरे में ले आया। दरवाजा बंद किया। वो हॉल में नंगी हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी। शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं. एक फटी हुई ब्रा थी जिससे उसके हाथ बंधे हुए थे। मैं खड़ा हुआ उसको निहार रहा था। मैंने पूरा घर डेकोरेट कर रखा था. हर तरफ कैंडल लाइट्स थी। यह सरप्राइज था जो मैंने अपनी बहन के लिए प्लान किया था। मैं उसके पीछे से उसके पास गया। मैंने हाथ उसकी कमर पर रखा। वो थोड़ी कसमसाई क्योंकि गर्म तो वो पहले से ही थी।
मेरा स्पर्श उसे रोमांचित कर रहा था। मैंने बड़े ही प्यार से उसके जिस्म पर हाथ फेरा और फेरते हुए हाथ ऊपर ले जा रहा था। मेरे हाथ उसके बोबे तक पहुंचे. मैंने पीछे से उसकी नँगी पीठ से सट कर उसे हग किया। वो थोड़ा सिहर सी गयी. वो काफी गर्म हो चुकी थी आज की घटना से. मैंने उसके बोबे अपने हाथ में लिए और उसकी नंगी पीठ से बिल्कुल चिपक गया।
मेरे ऐसा करने से वो वासना में डूब गयी। मैं उसी अवस्था में उसके कंधों पर चूमने लगा। उसके मुंह से कामुक सिसकारी निकली- आहह! मैंने चुंबन जारी रखा. मैं उसकी गर्दन, कानों, कंधों के भाग में चुंबन कर रहा था। चूमते हुए मैंने उसकी पट्टी मुँह से ही खोल दी, पट्टी गिरते हुए उसके मम्मों पर अटक गयी।
वो आंख बंद किये, सर हल्का मेरी तरफ घुमाये हुए वासना के सागर में गोते लगा रही थी। मुझे उसके आधे लाल होंठ दिख रहे थे। उसका मुँह खुला हुआ। वो आहह! उम्म्म! की ठंडी आहें भर रही थी। बदन स्थिर था, कोई जल्दबाजी नहीं। हाँ वो अपने चूतड़ जरूर रगड़ रही थी मेरे लौड़े पर।
मैं चुम्बन करता हुआ कान के पास पंहुचा। मैंने उसके कान पर किस किया और बोला- सी! (देखो) आवाज सुनकर उसकी मृगतृष्णा टूटी। वो वासना के जोश में ये भी भूल गयी थी कि पट्टी नहीं रही है उसकी आँखों पर। उसने आँखें खोलीं जैसे सपने से जागी हो।
प्रीति: कुछ देर लगी मुझे वर्तमान में आने में और समझने में। मैंने चारों तरफ नजर दौड़ाई। पूरा घर मोमबत्तियों से सजा हुआ था। कमरे में सिर्फ कैंडल्स की सुनहरी रोशनी थी। सारी लाइट्स ऑफ थी. पूरा घर सजा हुआ था। वो नजारा देख कर मुझे अपनी ही आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था।
भाई ने ये सब मेरे लिए किया था। यह मेरा ड्रीम था कि मैं अपने चाहने वाले के साथ कैंडल लाइट्स में चुदूं। मैंने उसे बताया था। लेकिन सेक्स के बाद की हुई बातें कौन याद रखता है। मेरा भाई अलग था। उसने मुझे अहसास दिलाया कि मैं उसके लिए कितनी खास हूँ। मेरे भाई के लिए प्यार जग गया मेरे दिल में। मैं बस अब उसके लिए समर्पित हो जाना चाहती थी। ख़ुशी के कारण मैं वासना भूल चुकी थी। मैं पीछे मुड़ी, मैंने उसे बस गले से लगा लिया।
विशाल: वो मेरे गले में अपने बंधे हाथ डाल कर गले लगी थी। मैंने भी उसे कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ रखा था। मैंने इस कदर उसे अपने आग़ोश में ले लिया था कि वो जमीं से कुछ ऊपर तक हवा में मेरे से चिपकी हुई थी। मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ रख कर उसे अपने से पूरा चिपका लिया। उसने कांपती हुई आवाज में कहा- आई लव यू विशाल! आई ऍम सो लकी टू गेट यू! (मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो मैंने तुम्हें पाया) उसकी आवाज कांप रही थी। वो जज़्बाती हो गयी थी।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ रख कर अपने से और चिपकाते हुए कहा- आई लव यू टू! उसने मुझसे कहा- आज से मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ.
विशाल तुम मुझे बहन समझने की गलती मत करना। आज पूरी तरह से तुम्हें समर्पित हूँ। एक रखैल की तरह चोदो मुझे। मैंने कहा- जैसा तुम कहो मेरी जान!
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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