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मेरी सुध बुध गुम थी. मन रानी के मदमाते कामुकतापूर्ण शरीर में उलझा हुआ था. बार बार रानी ने जो जो किया या कहा था वो सब एक फिल्म की तरह मेरे मन में चल रहा था. कुछ नहीं पता घर पहुंचकर क्या कहा, क्या सुना, क्या खाया, क्या पिया. बस यह याद है कि पापा को रानी वाला पत्र थमा दिया था. और कुछ भी याद नहीं. रात को सोया भी बड़ी मुश्किल से. दो बार मुट्ठ भी मारी क्यूंकि लंड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.
अगला दिन
बड़ी मुश्किल से अगले दिन का स्कूल में समय गुज़रा. हर क्षण बाली रानी की बेपनाह खूबसूरती आँखों के सामने छा जाती थी और लंड अकड़ जाता था, अंडे भारी हो जाते थे. जैसे तैसे स्कूल की छुट्टी की घंटी बजी, मैं तेज़ तेज़ साइकिल दौड़ाता हुआ घर गया और कपड़े बदल के तुरंत रानी के बंगले की तरफ चल पड़ा. मम्मी कहती ही रह गयी कि बेटा अभी अभी स्कूल से थका मांदा लौटा है, कुछ खा पी तो ले फिर जाना पढ़ने. मगर मैंने एक न सुनी. सुनता भी कैसे, मुझे तो बाली रानी का मस्ताना बदन बुला रहा था.
रानी ने घंटी बजाते ही दरवाज़ा खोल दिया जैसे वह भी मेरी बाट लगाए तैयार बैठी थी. रानी ने सिर्फ एक झक सफ़ेद तौलिया चूचुक के ऊपर से लपेटा हुआ था. जैसे ही मैंने भीतर घुस के दरवाज़ा बंद किया कि रानी ने तौलिया गिरा दिया. अब वो एकदम मादरजात नंगी मेरे सामने खड़ी थी. मंत्रमुग्ध सा मैं रानी की सेक्सी काया को ताकने लगा. संभवतः रानी ने तौलिये पर कोई इत्र का छिड़काव किया हुआ था. तौलिया खुलते ही सब तरफ एक मादक इत्र की सुगंध फैल गयी.
मुझे अपनी पैंट की बेल्ट खुलती हुई महसूस हुई. रानी तब तक बेल्ट खोल चुकी थी और पैंट को ढीला करके ज़िप भी खोल दी थी. पैंट तुरंत ही मेरे पैरों पर गिर पड़ी. रानी ने मेरी टी शर्ट उतार कर वहीं नीचे डाल दी. इससे पहले कि रानी के नंगे, इत्र की सुगंध बिखेरते हुए शरीर से लगे बिजली के करंट से मैं होशोहवास में वापिस आता, रानी ने मेरा अंडरवियर और बनियान भी निकाल के फेंक दिए थे.
उसके बाद रानी ने नीच झुक कर मेरे जूते और मोज़े भी उतार दिया. मैं सन्न सा यह सब देख रहा था. झुकी हुई रानी जब मेरे जूते-मोज़े उतार रही थी, तब उसकी चूचियां जिस तरह हिल रही थीं वह देखकर मेरी काम वासना उड़ के आकाश तक जा पहुंची थी. रानी ने लपक मुझे आलिंगन में बांध लिया और मेरा मुंह अपने मुंह से लगा कर चूमने लगी. मेरे हाथ स्वतः ही रानी की कुचों पर जा पहुंचे और उनको सहलाने लगे. लौड़ा तो अकड़ कर लोहे की पाइप सरीखा सख्त हो गया था.
काफी देर तक रानी ने मुझे चूमते हुए मुखामृत का पान करवाया. उसकी उंगलियां मेरे लंड को जकड़े हुए थीं. दूसरा हाथ मेरी गर्दन से लिपटा हुआ मेरे मुंह को उसके मुंह से दबाए हुए था. “राजे डॉगी … अब अपनी बेग़म को बेडरूम तक ले चल … बेग़म के सामने घुटनों पर बैठ जा … बेग़म के पैरों के नीचे तौलिया लगा दे … फिर धीरे धीरे बेग़म की तारीफ करते हुए बैडरूम को चल.” रानी ने मेरे बालों में उंगलियां फेरते हुए मेरे कानों में शहद घोला.
मैंने खुद को घुटनों के बल कर लिया और देखा कि नंगी रानी तौलिये पर खड़ी है. रानी ने पैरों पर आज पहली बार नज़र पड़ी. क्या हसीन पांव थे. गुलाबी मुलायम बेहद सुन्दर पांव. तराशी हुई सी उंगलियां. अंगूठा थोड़ा सा लम्बा. सुडौल भरी भरी सी उँगलियाँ. पैरों का यह शवाब तो या लगता था कि किसी कुशल मूर्तिकार ने बड़े प्यार से गढ़ा हो. देखा जाए तो रानी का पूरा शरीर ही किसी पहुंचे हुए मूर्तिकार की उत्त्कृष्ट कला का नमूना लगता था.
रानी के हुक्म के अनुसार मैंने तौलिया आगे को फैलाया और रानी का एक पैर उठाकर आगे को रखा. जितना मेरी भाषा में संभव था उतनी मैंने प्रशंसा भी की. एक पैर जब आगे आ गया तो तौलिए का पीछे वाला सिरा खींच के आगे को कर दिया और रानी का दूसरा पैर तारीफ करते हुए उस सिरे पर रखा. इसी प्रकार से सरक सरक के हम शयन कक्ष की ओर बढ़ने लगे. बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं सचमुच दिल से रानी के मस्त बदन के एक एक अंग की तारीफ भी कर रहा था और उस अंग को चूम भी रहा था.
मेरा दिल तो हो रहा था कि रानी के सुन्दर पांवों को चूसूं, चाटूँ. असल में केवल चुम्मियों से मेरा मन संतोष नहीं पा रहा था. मेरी जीभ रानी के शरीर को लपलपा कर चाटने को उत्सुक थी. थोड़ी दूर सरकते हुए गए लेकिन फिर मेरा सब्र जवाब दे गया. मैंने लपक के रानी को उठाया और गोदी में उठाए हुए भागता हुआ बैडरूम जा पहुंचा. बैडरूम बहुत बढ़िया था. बहुत लम्बा चौड़ा आठ फुट आठ फुट का बेड जिसपर साटिन का खूबसूरत सा मैरून रंग का बेडकवर बिछा हुआ था. बिस्तर के सामने एक पांच सीट वाला सुन्दर सा सोफा सेट और बहुत कीमती बेलबूटेदार कालीन. खिड़कियों पर खूबसूरत गहरे नीले परदे और एक पूरी दीवार पर कपड़ों वाली अलमारियां. बाकी की दीवारों पर कुछ फोटो और पेंटिंग्स. एक दरवाज़ा दिख रह था जो शायद बाथरूम के लिए था.
मैंने आहिस्ता से रानी को बिस्तर पर टिकाया और नीचे ग़लीचे पर बैठ कर रानी के पैरों को पालतू कुत्ते की तरह चाटने लगा. रानी भी खुश होकर छटपटाने लगी. मुंह से आहें निकलने लगी. बहुत बहुत सुन्दर पांव थे रानी के. हाड़ मांस के नहीं बल्कि मलाई से बने हुए लगते थे. बिस्तर पर बिछी साटन की चादर से चिकने, और नर्म नर्म. रानी का अंगूठा बाकी की उँगलियों से ज़रा सा लम्बा था. नाख़ून आयताकार लम्बे, ज़रा से बढ़े हुए. त्वचा गुलाबी गुलाबी.
मैंने रानी के दोनों अंगूठे मुंह में लेकर एक साथ चूसे. फिर एक एक करके आठों उंगलियां चूसीं, तलवों के उभार चूसे, एड़ियां और टखने चाटे. चाट चाट के पांव बिल्कुल गीले कर दिए. वैसे भी मेरे मुंह में बेतहाशा लार टपक रही थी. एक अप्सरा सी लौंडिया अपना इतना ज़ायकेदार बदन चटवा चुसवा रही हो तो मुंह में पानी आना तो स्वाभाविक ही है.
पांव से ऊपर बढ़ के मैंने रानी के टाँगें चाटनी शुरू कर दी. जैसे ही मैं जांघों तक पहुंचा रानी कराह उठी. ऐसे तड़पी जैसे किसी मछली को जल से बाहर निकल दिया गया हो. “राजे … राजा.” रानी की आवाज़ फंसे फंसे गले से आती सुनाई दी- मादरचोद जान निकलेगा क्या … आजा राजा ऊपर आजा अपनी रानी के पास … देर न कर जल्दी से आजा मेरे रज्जजा!
मैं भी तब तक बहुत तीव्र वासना के तूफान में घिर चुका था. लंड अकड़ के पेट पर दस्तक दे रहा था. अंडे फूल गए थे और भारी भारी महसूस होने लगे थे. कूद के मैं बिस्तर पे चढ़ गया. रानी ने एक मोटा सा तकिया अपने चूतड़ों के नीचे लगाया जिससे चूत ऊपर को उठ गयी और एक गाव तकिया सर के नीचे रख लिया, टाँगें फैला लीं और बोली- राजे कर अब मेरी सवारी … लंड घुसाकर मेरे ऊपर लेट जा मेरी जान. इतना कह के रानी ने लंड पकड़ लिया और जैसे ही मैं रानी की टांगों के बीच में आया रानी ने लंड को चूत के होंठों से लगा दिया. चूत रसरसा रही थी. जूस बाहर तक आ चुका था. मैंने एक गहरी सांस लेकर चूतड़ ज़रा पीछे किये और हुमक के एक धक्का लगाया. रानी के हाथ न जाने कब मेरे चूतड़ों तक चले गए थे और उन को दबा कर धक्का लगाने में सहायता कर रहे थे. चूत रस से लबाबाब भरी हुई थी इसलिए लंड फिसलता हुआ पूरा भीतर जा घुसा जब तक कि सुपारा बच्चेदानी से लग के रुक नहीं गया. रानी ने मुझे पकड़ के अपने ऊपर लिटा लिया और मेरा मुंह चूचुक से लगाने लगी.
मैंने कुहनियों के बल उचक के एक चूचा मुंह में ले लिया जबकि दूसरा चूचा रानी स्वयं ही दबाने लगी. बहुत ही हौले हौले से धक्के लगाने शुरू किये. रानी का ऐसा ही आदेश था कि धक्के बहुत धीरे धीरे से शुरू करके बाद में तेज़ी दिखानी है. रानी ने फ़रमाया कि इस तरह से चुदेंगे तो आनंद भी बहुत आएगा और स्खलित भी काफी देर में होंगे. वैसे मेरा तो दिल हो रहा था कि खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के ठोकूं, जैसे मैं लौंडों की गांड मारते हुए किया करता था. किन्तु लड़की को चोदने का मैं कच्चा खिलाड़ी था और अब तक यह जान चुका था कि गांडू लौंडों की गांड मारने और लौंडियों को चोदने में बहुत फर्क होता है. इसलिए मैं बिना कोई प्रश्न किये जैसा रानी हुक्म देती थी बिल्कुल वैसा ही कर रहा था.
रानी सिसकारियाँ भरते हुए मेरे बालों में उंगलियां घुमा के मुझे सहला रही थी और खुद भी हल्के हल्के से चूतड़ उछाल के मेरे धक्के से धक्के की ताल मिला रही थी. मैं रानी के मस्त उरोजों को बारी बारी से चूस रहा था. मैं जो चूचा चूसता तो रानी दूसरा वाला चूचा दबाने लगती. रानी की चूत रस से लबालब भरी हुई थी. लंड उस चिकने चिकने गर्मागर्म रस में फिसल फिसल कर चोद रहा था. रानी मेरे सर को सहला सहला के मेरे मुंह को कभी एक चूची पर फिर दूसरी चूची पर लगा रही थी. मैं चूचुक को पूरा मुंह में घुसाने की चेष्टा करता. जितना भी मुँह में जा सकता उतना ले लेता फिर जीभ की नोक बना कर निप्पल पर ठोकर मारता तो कभी निप्पल पर गोल गोल जीभ घुमाता. रानी ऐसा करने से तड़फ उठती और कसमसा जाती. बाली रानी छटपटाते हुए बार बार आहें भर रही थी.
फिर उसने बाल खींच के मेरा मुंह चूचियों से हटाया और बोली- सुन राजे … अब थोड़ा तेज़ी करने का वक्त आ गया … मैं नीचे से कमर उछालूंगी और तू ऊपर से लंड पूरा बाहर निकाल के ठोकियो … मैं चाहती हूँ हम दोनों एक दूसरे को देखते हुए चुदाई करें … सेक्स करते हुए चेहरा पर कैसे कैसे हाव भाव आते यह देखने में बहुत अच्छा लगेगा. सुन ले मादरचोद, बहुत प्यार बढ़ता ऐसा करने से.
मैं रानी की दी हुई हिदायत के अनुसार थोड़ा सा ऊपर को हुआ और रानी की आँखों में आँखें डाल दी. जैसा रानी ने आदेश किया था, वैसे मैंने लंड बाहर निकाला तो, कितना खींचना है उसका अंदाज़ा सही न होने के कारण, वो पूरा का पूरा सड़प्प की आवाज़ से रानी की बुर से बाहर हो गया. रानी ने हँसते हुए मेरी नाक को पकड़ के हिलाया और बोली- राजे यार, तू तो अभी बिल्कुल ही अनाड़ी है … बुद्धूराम बहनचोद लौड़ा पूरा थोड़े ही निकालने को बोली थी मैं … लंड निकालना था लेकिन टोपा बाहर नहीं आना चाहिए … अब ठोक ज़ोर से … एक गहरी सांस लेकर ज़ोर से लंड पेल दे चूत में!
रानी ने लंड पकड़ के सुपारी को चूत के मुंह से सटाया और चूतड़ उठाकर लंड घुसाने का इशारा किया. मैं तो काफी देर से तैयार था कि धमाधम धक्के लगाऊं. जैसा रानी ने समझाया था वैसे मैंने एक गहरी सांस लेकर पूरी ताक़त से लंड को चूत में पेला. पिच्च्च करता हुआ लौड़ा रसरसाती चूत में घुसता चला गया और अंत में रानी की रानी की गुफा के अंतिम छोर पर यूट्रस से टकराया. धक्का इतना ज़बरदस्त था कि रानी का बदन झनझना उठा और ऐसा लगा कि लंड ने बच्चेदानी पीछे की धकेल डाली हो. रानी ने किलकारी मारी- हाय राज्ज्जे … आअह … .आअह्ह … क्या शॉट मारा है मादरचोद … आअह्ह … अब बस मेरी आँखों में देखता रह और लम्बे लम्बे धक्के लगाए जा … लौड़ा बाहर जाए लेकिन सुपारा अंदर रहे.
रानी ने मेरी कमर पर आपकी टाँगें कस के लपेट लीं और अपनी हाथों से मेरे कंधे जकड़ लिए. उसकी रेशमी टांगों की गिरफ्त में आकर मेरा दिमाग झन्ना उठा. काम वासना तीव्र से तीव्रतर हो चली. मैंने हचक हचक कर रानी के कहे मुताबिक लम्बे लम्बे धक्के देने शुरू कर दिए. मैं एकटक रानी के सुन्दर मुखड़े को देखे जा रहा था. सच में चुदती हुई लड़की के चेहरे के भाव देखते ही बनते हैं. वो भी अधमुंदी आँखों से मुझे ही ताके जा रही थी. शायद उसको भी उसकी चोदाई करते हुए लड़के का चेहरा देखना बहुत सुखद लग रहा था. रानी के बाल बिखर गए थे. उसके मनलुभावन नयनों में लाल लाल रेशमी बारीक धागे तैर रहे थे. एक हल्की सी मुस्कान मुंह पर थी और माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूँदें. चेहरा लाल सुर्ख हो चूका था. मुंह से हैं … हैं … हैं … हैं … की आवाज़ हर धक्के में निकलती. होंठों के दोनों सिरों से मुखरस एक बारीक सी रेखा की शक्ल में टपकने लगा था.
रानी वासना के ज़बरदस्त तूफ़ान में घिरी थी और यह बात मेरे जैसे अनाड़ी को भी समझ में आ रही थी. चुदास में डूबी हुई बाली रानी हद से ज़्यादा हसीन लग रही थी. मैं धक्के पर धक्के टिकाए जा रहा था. लंड बाहर टोपे तक, फिर धम्म से अंदर यूट्रस से टकराता हुआ. हालाँकि धक्कों की स्पीड ज़्यादा नहीं थी. स्पीड का कण्ट्रोल तो रानी के पास था. जैसे ही मैं उसकी इच्छा से ज़्यादा तेज़ झटके देता तो वो मेरी कमर से लिपटी टांगों को टाइट कर लेती और मैं फिर अपनी रफ़्तार घटा लेता.
काफी देर तक यह सिलसिला चला. रानी चुदाई की गति को बड़ी कुशलता से नियंत्रण कर रही थी. कुछ धक्के फुल स्पीड से, फिर कुछ धीमे और फिर कुछ तेज़. रानी ने बाद में बताया कि मेरा झड़ने का समय बढ़ाने के लिए उसने ऐसा किया था, बोली- राजे लंड जब चूत में घुस कर तुनक तुनक करता है तो मुझे उसकी ताल से अंदाज़ लग जाता है कि तू अब झड़ने के करीब है तो उस वक़्त मैं तुझे धीमे कर देती हूँ. मैं चाहती हूँ कि चुदाई का यह मदहोश कर देने वाला सुखद समय कभी ख़त्म ही न हो. इतना गहन आनंद को लम्बे से लम्बे चलाना कौन नहीं चाहेगा.
समय का पहिया रुक गया था. हम दोनों मिलन में ग़ुम प्रेमी इस समय बिल्कुल संज्ञाशून्य थे. कुछ दीन दुनिया की खबर नहीं थी. संसार में सब कुछ दिल-ओ-दिमाग से ओझल हो चुका था. बस मैं और बाली रानी. बाली रानी और मैं. मेरा लौड़ा और उसकी चूत व चूचुक. और कुछ भी नहीं.
जैसा किसी शायर ने लिखा है बिल्कुल वही हाल हमारा था. शायर कहता है “उम्मीद ग़ुम यास ग़ुम, हवास ग़ुम क़यास ग़ुम नज़र से आस पास ग़ुम, हमा बजुज़ चुदास ग़ुम” अर्थात चुदाई और सिर्फ चुदाई के सिवा दिल और दिमाग से सब कुछ ग़ुम हो चुका था.
रानी अब हांफने लगी थी. दीवानों की तरह इधर उधर मस्तक हिला रही थी. बदन बार बार फड़क उठता था. कभी कभी तो एक तेज़ कंपकंपी उसके शरीर में पैदा हो जाती जब वो सिसक सिसक कर मेरे कन्धों को ज़ोर से नोचती- राजे … हरामज़ादे राजे,” रानी ने फूली हुई साँस के साथ फुसफुसाते हुए कहा- हाथों को बूब्स पे कस के जमा ले … अब दिखा अपनी पूरी ताक़त … ठोक बॉक्सर के मुक्कों की तरह धक्के … बहनचोद हर धक्के से सिर तक धमक जानी चाहिए … चोद चोद कुत्ते चोद … भँभोड़ डाल इन मम्मों को … जल्दी कमीने.
मैंने वैसा ही किया. अपने पंजे रानी के गोलगोल कुचों पर गाड़ दिए और दे धक्के के पीछे धक्का. हर धक्का पहले वाले से अधिक तगड़ा. रानी ने आह आह आह करते हुए चूतड़ उछलने शुरू किये. वो भी पूरे ज़ोर से नितम्ब कुदा कुदा के चुदाई में साथ देने लगी. मेरे बदन का और धक्कों का सारा ज़ोर रानी के चूचुक पर आ रहा था, क्यूंकि मैंने उनमें अपने नाख़ून गाड़ के उन पर पंजे टिका के धक्के ठोक रहा था. रानी आनंद में ऐसी मस्त थी जैसे पूरी बोतल तेज़ दारू पीकर नशे में धुत्त हो. नशे में तो खैर मैं भी था. चुदास का नशा. रानी के बदन से लिपटे होने का नशा. रानी की आँखों में आँखें डालकर चोदने का नशा. रानी के शरीर के हर भाग को चाटने चूसने का नशा.
चूत में रस का बहाव थोक के हिसाब से होने लगा था. फचक फचक … फचाक फच … फचाक फचक … फचक फचाक जैसी चोदायी वाली आवाज़ें आ रही थीं. चुदाई इस समय अपने पूरे शवाब पर थी.
मेरे अण्डों में इकठ्ठा होती हुई मलाई का भार बहुत बढ़ चुका था. अंडे लावा से इतने भर गए थे कि उनमें हल्का हल्का दर्द होने लगा था. मैं जान गया था कि अब जल्दी ही मेरा विस्फोट हो जाएगा. इस बार रानी ने धक्कों की गति घटाने की कोई कोशिश नहीं की. बल्कि और तेज़ और तेज़ और तेज़ की पुकार लगा रही थी. आह आह करते हुए नितम्ब भी बहुत तेज़ तेज़ उछाल रही थी. वो भी बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर दौड़े जा रही थी- राजे मादरचोद … और ज़ोर से ठोक बहन के लंड … कचूमर कर दे मेरा … कुत्ते माँ चोद के रख दे मेरी … आह आह आह बहुत मज़ा देता कमीने तू … अहा अहा अहा अहा … हाय हाय हाय … दम निकाल दे साले … चोद चोद चोद और तेज़ और तेज़ … हाँ और तेज़. रानी आहें भरते हुए चिल्लाने लगी- फ़क माय ब्रेन्स आउट … यप्प यप्प … हार्ड हार्ड हार्डर … यप्प.
रानी की किलकारियों से मेरी हवस भी परवान चढ़ गयी और मैंने दनदना कर ज़बरदस्त तूफानी तेज़ी से शॉट लगाने शुरू कर दिए. फचक फचक … फचाक फच … फचाक फचक … फचक फचाक की आवाज़ें और भी ज़्यादा ऊँची हो गयीं. रानी की चूत में इतना रस भर गया था कि हर धक्के पर काफी सारा रस चूत के बाहर छलक आता था. मेरा पूरा लंड प्रदेश रानी के जूस से गीला हो गया था. चूत के आस पास भी खूब गीला हो गया था. धक्कों कि रगड़ से काफी सारा रस रानी कि जांघों तक भिगो चुका था. धक् धक् धक् धक् धक् धक् धक् … दे दनादन दन दन दन दन … धक् धक् धक् … चुदाई की स्पीड इस समय हवाई जहाज़ रफ़्तार को भी शर्मसार कर सकती थी.
अचानक रानी का शरीर अकड़ गया. उसने चूत भी खूब कस ली, मुंह खुल गया, गुलाबी गुलाबी जीभ थोड़ी सी बाहर निकल आई, आँखें कस के मींच लीं और चूतड़ उचका लिए. चरम आनंद के नज़दीक पहुँच गई रानी ने अपने नाखूनों से मेरी पीठ खुरच डाली और एक ऊंची आह भर के चूत ढीली कर ली. जैसे हो चूत ढीली हुई तो चूतामृत की एक तेज़ बौछार लौड़े पर पड़ी. रानी ने तेज़ तेज़ सिर दाएं बाएं हिलाते हुए एक और चीख मारी और जल्दी जल्दी से चूत को कसा, फिर ढीला किया. ऐसा सात आठ बार करके रानी ने एक सिसकी भरी और अकस्मात् ही निढाल हो गयी.
उधर चूत के रस की बौछार से लंड सनक गया और गोलियों में एक पटाखा फूटा. धम्म धम्म धम्म से ढेर सारा वीर्य, गर्म और गाढ़ा वीर्य लंड के छेद से गोली की भांति छूटा. मैंने बहुत ही ताक़तवर दस बारह धक्के लगाए और हर धक्के में एक मोटा सा लावा का लौंदा चूत में झाड़ दिया. मेरे मुंह से भी कुछ कुछ अजीब सी आवाज़ें निकली थीं लेकिन मुझे अब याद नहीं कि क्या क्या बकवास मैंने बोली. बस इतना स्मरण है कि झड़ने के बाद मैं भी अर्धमूर्छित होकर रानी के ऊपर पड़ गया था.
“राजे राजे … सो गया क्या कुत्ते ” रानी की कोयल जैसी मीठी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी. “नहीं रानी सोया नहीं बस थोड़ा सुस्ता रहा था … हो सकता है हल्की सी झपकी लग भी गयी हो.” मैंने अंगड़ाई लेकर कहा. देखा तो लंड चूत से फिसल का निकल चुका था. मुझे याद आया कि दोनों को एक दूसरे की सफाई भी करनी है. सफाई के साथ साथ रानी की चूत रस का स्वाद भी तो मिलता न. झट से मैं रानी के चूत की तरफ मुंह करके लेट गया और टाँगें रानी के मुंह की तरफ फैला लीं. पिछले दिन की भांति खूब मज़े लेते हुए जीभ से सब माल साफ कर डाला. दुबारा से अपने मक्खन और रानी की चूत अमृत का मिला जुला माल चाटा. रानी ने भी लंड, झांटें इत्यादि सब चाट लिया.
उसके बाद रानी उठकर कमरे से बाहर चली गयी और दो चार मिनट के बाद जब लौटकर आयी तो एक ट्रे में एक गिलास और एक बड़ी सी कटोरी लेकर आयी. गिलास में वाइन थी और कटोरे में रबड़ी. रबड़ी में खूब किशमिश, बादाम, पिस्ते, अखरोट, काजू और छुआरे पड़े हुए थे. रानी ने हुक्म दिया कि रबड़ी वाली कटोरा पलट के उसके चूचों पर रबड़ी डाल दूँ. “राजे आज तू यह रबड़ी मेरे दूधों पर रख के खाएगा … देख कितना मज़ा आएगा मादरचोद … तू भी क्या याद रखेगा कि क्या रबड़ी खायी थी.”
मैंने कटोरा पलट के थोड़ी रबड़ी दायीं चूची के ऊपर और थोड़ी बायीं चूची पर टपका दी. इस नए कार्य कलाप की कल्पना से ही मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. रानी ने अपने हाथ उरोजों की जड़ पर जमा के दबाया तो चूचे थोड़े ऊपर को उठ गए. मैंने झुक कर जीभ बाहर निकाल के चूचे को चाट के रबड़ी खानी शुरू की. खूब आनंद लेते हुए चटखारे भरते हुए मैंने रानी की चूचियों पर लगी हुई रबड़ी खायी. बाकि बच हुई रबड़ी मैंने रानी की झांटों पर लगा के चाटी. कहना न होगा कि यह करते हुए दोनों ही बेहद कामोत्तेजित हो गए थे. उसके बाद फिर एक राउंड चुदाई का चला.
जाने के समय रानी ने जो मैंने उसको चुदाई का ज़बरदस्त मज़ा दिया था, उसके इनाम में स्पेशल मुट्ठ मार कर दिया. यारों यह स्पेशल मुट्ठ कैसे मारी वह सुन कर बड़ा मज़ा आएगा. बाली रानी ने विशेष मुट्ठ मारने के लिए लौड़े की सुपारी नंगी करके मुंह में ले ली और उस पर जीभ फिराते हुए खाल आगे पीछे करके मुट्ठ मारी. मुंह में ही झड़वाया और सब लावा मुस्कुराते हुए निगल लिया.
मैंने देखा कि रानी के चूचुक पर मेरे हाथों के लाल लाल निशान पड़ गए थे. पूरा पंजा छपा हुआ था. मैंने दोनों मम्मों की चुम्मी लेकर पूछा- रानी, ज़्यादा दर्द तो नहीं हो रहा? रानी ने मुझे एक चपत हौले से लगाकर कहा- बहन के लौड़े अब ध्यान आया मेरे दर्द का … जब इनको कुचल रहा था तब न सोचा? रानी मेरा मुंह पकड़ के एक लम्बा सा चुम्मा लिया और मेरे कान में फुसफुसाई- राज्जा … दो तीन दिन अगर दर्द न हो तो कैसे पता चले कि किसी मर्द ने चोदा … इस दुखन में बहुत सुखद अहसास होता है राजे … ऐसी दुखन तो चुदाई का वरदान है … .चल जा अब … घर जा कुत्ते बहुत देर हो गई. इसके बाद रानी ने मुझे अपना स्वर्ण अमृत पिलाकर तृप्त किया और मैं मस्ती के समुद्र में गोते लगता हुआ घर चला गया.
यारो, यह सिलसिला फिर नित्यदिन चलने लगा. रानी ने मुझे लंड की क्षमता बढ़ने की ट्रेनिंग देनी शुरू की. कुछ लौड़े के व्यायाम सिखाए और कुछ खाने पीने के मशवरे दिए. मैंने भी बहुत दिल लगाकर रानी के दिए हुए सब निर्देशों का पालन किया. नतीजा यह हुआ कि तीन चार महीने में ही मेरा चुदाई में ठहराव एक घंटे से ऊपर निकल गया और लौड़े से झड़ने वाले लावा की मात्रा भी न सिर्फ काफी ज़्यादा हो गई बल्कि लावा ज़्यादा गाढ़ा भी हो गया. यदि कोई ये जानना चाहे तो मुझे मेल कर सकता है. मुझे सीखने में अच्छा लगता है. लड़के खुद के लिए और लड़कियां अपने पति या चोदू दोस्त के लिए सीख सकती हैं.
जैसा रानी ने कहा था, हर किस्म की शरीर सुरा पीने को मिली. एक दिन रानी ने वाइन को चूचियों के ऊपर से टपकाकर चूचुक-सुरा पिलाई. एक और दिन रानी की झांटों से होती हुई झांट-सुरा का स्वाद मिला तो एक दिन रानी ने अमृत धारा मारते हुए स्वर्ण-सुरा का ज़ायका दिया. एक दिन रानी के पैरों पर से लुढ़काकर पिलाई गयी चरण-सुरा का मज़ा भोगा. तीन चार दिन के बाद रानी को मासिक धर्म हुआ तो लगातार पांच दिन न सिर्फ रक्तामृत पीने को मिला बल्कि रक्त-सुरा का मज़ा भी लूटा. हमने पीरियड्स के दौरान चुदाई भी खूब की. यहाँ बता दूँ कि मेंसेस में खून से भरी हुई चूत बहुत ज़्यादा गर्म होती है. उसको चोदने के आनंद का बयां करना कठिन है. पढ़ने वालों को यह सम्भोग खुद करके ही आनंद प्राप्ति करनी होगी. और हाँ, लौंडिया की चुदास भी इन दिनों बहुत तेज़ होती है. तो हुआ न सोने पर सुहागा.
जब रानी का नौकर छुट्टी से आ गया तो चुदाई रानी की स्टडी में करनी शुरू कर दी. स्टडी में कोई नहीं आता था, ना नौकर और ना ही रानी के सास ससुर. स्टडी में हम फर्श पर कालीन पर या कभी कुर्सी पर, कभी लव सीट पर बैठ कर, तो कई बार खड़े खड़े चोदन करते थे. स्टडी में एक कोने में एक झूला भी लगा हुआ था, जिस पर चुदाई का कुछ विशेष ही अलग सा मज़ा आता था. सिर्फ रानी को बाथरूम में चुदना पसंद नहीं था उसका कहना था कि बाथरूम में चलते हुए शावर में एक दूसरे की जीभ और बदन के संपर्क का लुत्फ़ गायब हो जाता है.
रानी को अक्सर गांड भी मरवाने की इच्छा होती थी. समझ लो कि दो या तीन दिन में एक राउंड गांड मारने का भी हो जाता था.
हमने चुदाई के हर पोज़ में चुदाई के अनुभव लिए. एक पोज़ जो कुछ अलग ही है उसके विषय में बताना चाहूंगा. यह *** आसन कहलाता है. यह नाम क्यों दिया गया मुझे नहीं मालूम. मुझे तो बाली रानी ने बताया कि यह *** आसन है तो वही मैं कह रहा हूँ. बहुत ही मस्त आसन है. जिसे अंग्रेजी में माइंड ब्लोइंग फ़क कहते हैं यह आसन वही अनुभव देता है. माइंड ब्लोइंग फ़क को हिंदी में क्या कहना चाहिए यदि कोई दोस्त बता सके तो बड़ी मेहरबानी होगी.
इसकी विशेषता यह है कि इस में धक्के नहीं लगाए जाते. लगाए जा भी नहीं सकते. सिर्फ हिल डुल के जो लंड का चूत में घर्षण होता है उसमें ही बेहिसाब मज़ा आता है. आसन इस प्रकार से किया जाता है. पहले तो मैंने और रानी ने आमने सामने बैठ कर लंड को चूत में घुसेड़ दिया. उसके बाद मैंने अपनी एक टांग रानी की कमर से लपेट ली. दूसरी टांग उठाकर रानी के कंधे पर घुटने से मोड़ ली जिससे मेरा पैर रानी की पीठ पर टिक गया. इसी प्रकार रानी ने अपनी एक टांग मेरी कमर से लपेट ली और दूसरी वाली मेरे कंधे पर रखकर घुटने से मोड़ ली. फिर दोनों ने एक दूसरे की गर्दन पर बाहें लिपटा लीं. इस आसन में दोनों प्रेमियों के मुंह एक दूसरे के बहुत ही करीब आ जाते हैं, लेकिन होंठ चूसने जितने नहीं. अपनी अपनी जीभ निकाल के एक दूसरे की जीभ चूमते रहो और चुदाई का मज़ा लेते हुए अपने पार्टनर के चेहरे पर आते हुए मधुर आनंद के भाव देखते देखते प्यार की बातें फुसफुसाते रहो. लंड चूत में पूरी गहराई तक ठुंस जाता है और चूत के एक एक इंच के दबाब को, एक एक इंच से छूटते रस को महसूस करता है. चूत सिकुड़ के लंड को बहुत टाइट गिरफ्त में ले लेती है. धक्के मारना संभव नहीं होता. मंद मंद चुदाई लंड के तुनकने और चूत के कसमसाने से की जाती है. थोड़ा बहुत आगे पीछे डोला जा सकता है. ऐसी चुदाई बहुत अधिक देर तक चलती है और शरीर और आत्मा दोनों को भरपूर तृप्त कर देती है. पढ़ने वालों से निवेदन है कि इस आसन को ज़रूर आजमाएं. आनंद की पराकाष्ठा पर भेज देगी ऐसी मदमस्त करने वाली चुदाई.
गुरू चेले के ये सम्बन्ध अभी तक बने हुए हैं. बाली रानी आज भी उतनी ही सुन्दर, उतनी ही सेक्सी और उतनी ही चुदक्कड़ और गांड मराऊ है. दो बच्चे भी उसके मेरे से हुए. हालाँकि इस बात का पता मुझे बहुत साल के बाद लगा. पहले तो रानी ने एक लड़के का बताया था कि वो मेरा है. अभी कुछ दिन पहले रानी ने बताया कि दूसरा भी मेरा ही है.
तो यह थी उस रानी की कहानी जिसने मुझे चूतनिवास बनाया. यह कहानी बाली रानी की स्वीटी डार्लिंग, सब रानियों की महारानी, मेरी बेग़म जान, प्राणों से भी प्यारी अंजलि रानी को समर्पित है. बाली रानी अंजलि रानी से इतना प्यार करती है कि उसने ज़िद पकड़ ली यह कहानी अंजलि रानी को ही समर्पित हो. आशा है कि मेरी पहले वाली सब घटनाओं के वर्णनों की तरह यह भी पढ़ने वालों को पसंद आएगी. नमस्कार चूतनिवास [email protected]
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