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दोस्तो, मेरी नयी कहानी में आप सबका स्वागत है. मेरी कहानी एक छोटे से शहर की है, जो एक बड़ी फैक्ट्री के पास बसा है.
मेरी इस कहानी में चार लोग है, निखिल उम्र 20 साल, मीरा उम्र 38 साल, रितेश उम्र 40 साल और रीमा उम्र 21 साल.
मीरा फैक्ट्री के फाइनेंस डिपार्टमेंट में काम करती थी. रितेश उसी फैक्ट्री की डिस्पेंसरी में डॉक्टर था.
रितेश के भाई की लड़की रीमा रितेश के साथ रह कर पढ़ रही थी. रितेश के भाई गांव में रहकर और खेती-किसानी करते थे.
मीरा की बहन का बेटा है निखिल. निखिल के मम्मी पापा की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी, तब से निखिल अपनी मौसी मीरा के साथ ही रहता है. ये दोनों परिवार फैक्ट्री के टाउनहाउस में रहते थे. वहां घरों की बनावट मिले हुए रूप में थी. दोनों घरों की छत आपस में जुड़ी थीं.
मीरा को बागवानी का शौक था. उसने अपनी छत के बड़े हिस्से में काफ़ी सारे प्लांट्स लगा रखे थे. वहीं रितेश डॉक्टर होने की वजह से हेल्थ के बारे में ज़्यादा ध्यान रखता था और रोज छत पर योगा करता था. रितेश और मीरा एक दूसरे को जानते थे, पर उन दोनों में उतनी बात नहीं होती थी.
एक दिन सुबह छत पे जब मीरा अपने प्लांट्स की देखभाल कर रही थी और पानी डाल रही थी, तो वहां फर्श पे पानी फ़ैल जाने की वजह से वो फिसल कर गिर गयी और कराहने लगी.
सुबह का समय था, रितेश उस वक्त छत पर ही योगा कर रहा था. वो दौड़ कर मीरा के पास गया, उसे देखा और उठाने की कोशिश करने लगा.
मीरा को चोट लग जाने के कारण उससे खुद से उठा नहीं जा रहा था. रितेश ने बोला- मैं आपको गोद में उठा लेता हूँ.
मीरा ने कुछ नहीं कहा तो रितेश ने उसे अपनी गोद में उठा कर उसके घर नीचे ले गया. इस स्थिति में उन दोनों के शरीर एक दूसरे को छू रहे थे. या ऐसा कहें कि काफ़ी समय बाद एक औरत और मर्द के शरीर एक दूसरे को छू रहे थे. रितेश का लंड मीरा को साफ़ अकड़ता हुआ महसूस हो रहा था.
मीरा पानी में गिरने से पूरी गीली हो गयी थी. उसके कपड़े बाहरी पानी से गीले हो गए थे और उसकी चुत रितेश के जिस्म से रगड़ने से पानी पानी हो रही थी.
रितेश ने उसे ले जाकर उसके बेड पर उसे लिटाया और कहा कि मैं आपके गीले कपड़े बदल देता हूँ.
ऐसा कह कर रितेश ने पहले मीरा के ऊपर एक चादर डाली. फिर अन्दर हाथ डाल कर उसने मीरा के कपड़े खींच कर निकाल दिए. इस सबकी वजह से रितेश का हाथ मीरा के नाज़ुक अंगों को छू रहे थे.
इसके बाद रितेश अपने घर से कोई दवा वाली क्रीम ले आया. उसने मीरा के घुटने चादर से बाहर निकाल कर उसके घुटनों पर क्रीम को मलते हुए लगा दिया.
इस सब में रितेश की उत्तेजना बहुत अधिक बढ़ गई थी. वो किसी तरह अपने आपको संभालते हुआ मीरा के घर से चला गया.
रितेश की बीवी की मरने के बाद पहली बार उसने किसी औरत को इतने करीब से छुआ था. उसका लंड शांत होने का नाम नहीं ले रहा था.
इधर मीरा का भी यही हाल था. उसकी शादी उसके प्रेमी से टूटने के बाद आज वो पहली बार किसी मर्द के इतने करीब आई थी.
भले ही मीरा ने अपने प्रेमी से पहले कई बार चुदवाया था और कई बार अपनी जवानी में ग्रुप सेक्स भी किया था. लेकिन आज कई सालों बाद आज वो फिर से गर्म हुई थी.
रितेश को लेकर मीरा की सोच बदलने लगी और उसकी कामुकता फिर से अंगड़ाई लेने लगी. वो रितेश के व्यवहार को लेकर सोचने लगी. उसे मालूम था कि रितेश एक अन्तर्मुखी किस्म का बंदा है. वो इस चुदाई के खेल की शुरुआत अच्छे से नहीं कर पाएगा. उसे ही कुछ करना पड़ेगा.
मीरा को इस तरह सोचते सोचते दोपहर हो गयी. रितेश दोपहर को घर पे खाने आता था, जो उसका नौकर बनाता था.
लंच टाइम में वो अपने घर आया और उसने खाना खाया. फिर वो मीरा से मिलने उसके घर आ गया.
मीरा अकेली थी, उसके घुटनों का दर्द काफ़ी कम हो गया था. लेकिन उसने जानबूझ कर दर्द में होने का नाटक किया क्योंकि वो ये मौका खोना नहीं चाहती थी.
रितेश ने मीरा से पूछा- अब आपकी तबीयत कैसी है? मीरा ने जानबूझ कर कहा कि वो कपड़े बदलने के लिए उठी थी, लेकिन दर्द की वजह से लड़खड़ा कर गिर गयी थी. इस वजह से मेरी कमर में भी चोट आ गयी है. अभी मेरे घर पे कोई नहीं ही था, निखिल भी कॉलेज गया है. वो शाम को आएगा. तब तक मुझे इस दर्द को झेलना ही पड़ेगा.
रितेश ने उसको पेट के बल लेटने को कहा और बोला कि मैं चादर के अन्दर से ही हाथ डाल कर ये क्रीम लगा देता हूँ. लेकिन मीरा बोली कि नहीं ऐसे तो क्रीम चादर में लग जाएगी, आप चादर हटा कर लगाओ. रितेश का दिल तो खुश हो गया, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं.
तभी मीरा ने फिर कहा- आप तो डॉक्टर होकर इतना शरमाते हैं. यह कहते हुए मीरा ने एक मादक मुस्कान बिखेर दी.
रितेश ने कहा- मैं शरमाता नहीं हूँ. मैं तो आपके बारे में सोच रहा था कि कहीं आपको मेरा हाथ लगाना अच्छा न लगा तो. इस पर मीरा बोली- डॉक्टर और वकील से कुछ नहीं छुपाना चाहिए. यह कह कर वो चादर में पलट कर औंधी हो गई और उसने रितेश से चादर उठाने का इशारा किया.
रितेश के चादर उठाते ही उसके सामने औंधी लेटी मीरा की पतली पैन्टी में लिपटे उसके मोटे और गदराए हुए चूतड़ दिखे. जिनको देखते ही रितेश की पैन्ट में उसका लंड तंबू की तरह खड़ा हो गया था.
मीरा अपनी गर्दन घुमा कर देख रही थी. वो समझ गयी कि आज पक्का उसकी चुदाई होने वाली है. यह सोच कर ही उसकी चुत गीली हो गयी थी.
अब रितेश ने अपने हाथ से क्रीम के ट्यूब से क्रीम ली और मीरा की कमर में पर लगाना शुरू कर दी. उसने मीरा की कमर पर क्रीम लगाई और उस पूरे हिस्से में हाथ फेरते हुए रितेश मीरा की मालिश करने लगा.
मीरा की चूत तो एकदम से गनगना उठी थी. मीरा ने अपनी गांड फैला ली थी और रितेश के हाथ की गर्माहट का मजा लेने लगी थी.
तभी रितेश ने मीरा की पैन्टी को थोड़ा नीचे किया और मीरा के चूतड़ों पर भी क्रीम से मालिश करने लगा. इस समय रितेश मीरा के सर के पास था. जिससे मीरा से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी सारी शर्म छोड़ कर अपने एक हाथ से रितेश का लंड उसके पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया और उसे बाहर से ही सहलाने लगी.
रितेश को भी ये अहसास थोड़ी देर बाद हुआ क्योंकि वो भी मीरा के चूतड़ों की गर्माहट में खो गया था. जैसे ही उसको अपने लंड पे मीरा के हाथ के होने का अहसास हुआ, तो उसने मीरा की ओर देखा.
इस बार मीरा ने एक चुदास भरी मुस्कान दे दी. उसकी वासना में डूबी आंखें बता रही थीं कि जैसे वो कह रही हो कि अपना मूसल मेरे अन्दर ठोक दो.
ऐसा महसूस करते ही रितेश ने भी अपना पूरा हाथ मीरा की पैन्टी में डाल दिया और वो मीरा की मस्त गांड को मसलने लगा.
कुछ ही पलों की मालिश के बाद रितेश ने मीरा की पैन्टी खींच कर निकाल दी और अपने दोनों हाथों से मीरा के चूतड़ फैला दिए. फिर रितेश पीछे को आकर अपनी जीभ से मीरा की गांड और चुत चाटने लगा.
मीरा तो पहले से इतनी गर्म हो चुकी थी कि रितेश के 3-4 मिनट चाटने से ही वो एकदम से झड़ गयी.
फिर वो उठ गई और उसने रितेश की पैन्ट की ज़िप खोल दी. उसके लंड को सहलाते हुआ बाहर निकाला, तो देखा कि रितेश का लंड पहले से एकदम कड़क स्थिति में था.
मीरा ने उसे अगले ही पल अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. रितेश भी मीरा का सर पकड़ के अपना लंड उसके मुँह में ठूंसने लगा.
रितेश ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके साथ बेड पे लेट गया. रितेश ने मीरा की ब्रा उतार कर उसके भूरे निप्पल को पागलों की तरह चूसने लगा. मीरा भी उसे अपने अन्दर घुसा लेना चाह रही थी. वो रितेश का सिर पकड़ कर अपनी छाती में चिपकाए जा रही थी.
इधर रितेश कभी उसके निप्पलों को चूसता, तो कभी उसके होंठों को चूमता. वो अपने हाथों से मीरा की हल्के बालों वाली चुत को सहलाए जा रहा था.
मीरा को बड़ी चुदास चढ़ रही थी. वो बोल पड़ी कि आह रितेश अब मेरे अन्दर आ जाओ, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
रितेश ने मीरा को बिस्तर पे लिटाया और उसकी कमर के नीचे तकिया लगा कर उसने मीरा की पानी छोड़ती चुत को चूमा और अपना मोटा लंड उसकी चुत में फंसाते हुए एक ही झटके में पूरा घुसा दिया.
मीरा आज कई सालों बाद चुद रही थी. तो एक छोटी सी मीठी कराह के बाद मीरा अपनी कमर उछाल कर रितेश का साथ देने लगी. मीरा इतनी उत्तेजित हो रही थी कि वो जल्दी ही एक बार फिर से झड़ गयी.
रितेश ने फिर भी धक्के चालू रखे. वो कभी मीरा के होंठों को चूमता, तो कभी उसके निप्पल चाटता.
फिर करीब और 10 मिनट की चुदाई के बाद रितेश और मीरा एक साथ ही झड़ गए. रितेश मीरा की चुत के अन्दर ही झड़ गया. वो दोनों नंगे ही बिस्तर पर ही थोड़ी देर लेटे रहे, फिर एक दूसरे को चूम लिया.
रितेश ने उठकर अपने कपड़े पहने. मीरा को आराम से उठते देख रितेश समझ गया कि मीरा ने सिर्फ़ कमर में चोट लगने का नाटक किया था. लेकिन वो इस बारे में मीरा से कुछ नहीं बोला. क्योंकि मज़ा तो उसे भी बहुत आया था. आज सुबह की घटना के बाद वो भी उसे चोदना चाहता था.
फिर वो अपने कपड़े पहन कर अपनी डिस्पेंसरी के लिए निकल पड़ा.
करीब 2 घंटे बाद जब निखिल घर आया तो घर में अपनी मौसी को देख कर उसने पूछा- क्या बात है मौसी क्या आप आज फैक्ट्री नहीं गयी हैं? मीरा ने निखिल को बताया कि नहीं मेरी तबीयत ठीक नहीं थी. हालांकि आज मीरा बहुत खुश थी कि उसे उसकी प्यास बुझाने वाला मिल गया था.
कहानी जारी रहेगी. आप अपने विचार मुझे ईमेल कर सकते हैं. [email protected]
कहानी का दूसरा भाग: पड़ोसी को पटा कर चुत चुदवा ली-2
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