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अन्तर्वासना पर चुदाई की कहानी के शैदाई सभी पाठक दोस्तो, मेरा नाम निशा है. घर में सभी मुझे प्यार से निशु बुलाते हैं. मेरे यार भी मुझे निशु कहते हैं.
घर में छोटे भाई और मम्मी पापा के सामने मैं बहुत शरीफ हूं. मैं दिल्ली से हूँ लेकिन पिछले तीन साल से अहमदाबाद में रहती हूँ. पापा का ट्रान्सफर अहमदाबाद हुआ है. मैं अपने बारे में बता दूँ. मेरी आयु 19 साल है, कद 5 फीट पांच इंच है. मेरा रंग गोरा और बदन भरा हुआ है. मेरे बाल और आंखों का रंग गहरा काला है. होंठ सुर्ख लाल हैं और जांघें मोटी हैं. मेरी गांड काफी बाहर को निकली हुई एकदम उभरी और गोल है. मेरी फिगर का नाप 34डी-26-36 है. चूत तथा गांड के छेद बिल्कुल टाईट हैं और बदन भी कसा हुआ है.
मेरे सारे दोस्त मर्द दोस्त मुझे सेक्सी माल, चिकना माल, चालू, मस्त, सेक्सी मम्मे, सेक्सी गांड, आईटम गर्ल आदि अलग अलग नाम से बुलाते हैं. मैं ज्यादातर टाईट जींस, टाईट टॉप या टाईट शर्ट पहनती हूं. जब मैं टाईट कपड़े पहन कर चलती हूं, तो लड़कों, शादीशुदा मर्दों और बुड्डों के लंड खड़े हो जाते हैं.
मर्दों की नजर ज्यादातर मेरे बड़े बड़े मम्मों, मोटी गांड तथा पतली कमर को निहारती हैं. मुझे देख कर उनका बस चले, तो वे मुझे वहीं पटक कर चोद दें.
वैसे तो कॉलेज जाने के लिए मेरे पास स्कूटी है, लेकिन चलानी नहीं आती है. यही स्कूटी मेरी पहली चुदाई की वजह बनी. दिल्ली में अंकल की तबियत खराब थी, तो मम्मी पापा को दिल्ली जाना पड़ा और भाई भी साथ चला गया. मुझे पापा ने मेरी एक फ्रेंड के घर 3-4 दिन रहने को बोल दिया और स्कूटी चलाने का मना करके चले गए. मैंने दूसरे ही दिन मेरी फ्रेंड को कॉन्फ्रेंस में लेकर पापा से बात भी करा दी कि मैं उसके घर पर ही हूँ.
मैंने सोचा कि चलो अब थोड़ा स्कूटी घुमा लूँ. मैंने डेस्क से दूसरी चाबी निकाली और स्कूटी लेकर एसजी हाईवे पर निकल पड़ी. स्कूटी चलाने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. तभी ऐसे ही बीच रास्ते में गाय आ गई. मैंने पूरी ताकत से ब्रेक मारे, पर मुझसे स़्कूटी नहीं संभली और मैं वहीं गिर गई.
मुझे थोड़ी लग भी गई. लेकिन मैं जल्दी ही खड़ी हो गयी. पापा ने 6000 रूपए दिए थे, वे भी इस दुर्घटना में गिर गए. मुझे उस वक्त पैसों का होश नहीं रहा और बाद में कोई उठा ले गया. जिसका मुझे पता ही नहीं चला. जैसे तैसे मैंने स्कूटी चालू की, लेकिन मैं उसे चला नहीं पाई.
एक अंकल वहीं खड़े होकर मुझे लाचार देखकर देख रहे थे. उन्होंने मुझसे बोला कि चल मैं तुझे घर छोड़ दूँगा. वो करीब 55-60 साल के लगते थे. वो मुझे घर तक छोड़ने आए.
मेरा घर तीसरी मंजिल पर था, तो वो मुझे सहारा देकर मेरे रूम तक ले आए. वहां पर नया नया मकान थे, तो लोग ज्यादा नहीं थे और न ही लिफ्ट थी. अंकल का स्वभाव अच्छा था, तो मैंने उनको सब कुछ बता दिया और अंकल मेरे पास आकर बैठ गए.
मैंने बोला कि कोई चोट भी नहीं लगी. फिर भी अंकल मुझे लिटा के चैक करने लगे. तभी उसकी नजर मेरी जांघ पर पड़ी, वहां खून के धब्बे साफ दिखाई दे रहे थे.
अंकल ने हाथ लगा कर कहा कि अरे तुमको खून निकल आया है. मैंने बोला भी कि कुछ नहीं है. फिर भी वो नहीं माने और मेरे मना करने पर भी बोले कि मैं तेरे पापा के समान हूँ. और तू मुझसे शर्म ना कर, मुझे ठीक से देखने दे.
मैं उनकी बात मान गई.
उन्होंने मुझे उल्टा लिटा कर मेरा ड्रेस निकलवा दिया. मेरे को बहुत दर्द भी हो रहा था और शर्म भी आ रही थी. क्योंकि मैं उनके सामने सिर्फ पेन्टी में बिस्तर पर पड़ी थी.
मैं डर और दर्द से रोने लगी. अंकल मेरी जांघ को सहला रहे थे. उनके हाथ से मुझे थोड़ा मजा भी आ रहा था. उन्होंने चोट पर एक पट्टी बाँध दी. तभी उनका कहीं से कॉल आया, तो वो जाने लगे. उन्होंने मुझे नंबर भी दिया कि कोई काम हो, तो मुझे कॉल कर देना. इसके बाद वो हल्की मुस्कान के साथ मेरे माथे पे एक किस दे कर चले गए.
कुछ देर मैं भी बिस्तर से उठ कर इधर उधर घूम रही थी.
तभी मकान मालिक किराया लेने आ गया और मुझसे बोला कि तेरे पापा से बात हुई थी. मैं कल नहीं आ पाया था, तो आज आ गया.
मैंने उसको पैसा देने के लिए पर्स को हर जगह ढूंढा, लेकिन मुझे कहीं नहीं मिला. मैंने उसे बोला- मैं कल आपको दे दूँ, तो चलेगा? वो भी बिना किसी हील हुज्जत के चला गया.
तब मुझे याद आया कि वो पर्स तो वहीं गिर गया था. अब वो मुझे नहीं मिलने वाला था. तो मैं रोने लगी क्योंकि पापा को भी हिसाब देना था. मैंने 5 फ्रेंड को भी कॉल किया, लेकिन मुझे 6000 रूपए देने कोई आगे नहीं आया. मुझे पश्चाताप हुआ कि कोई ब्वॉयफ्रेंड बनाया होता, तो आज काम बन जाता. लेकिन अभी कुछ समझ नहीं आ रहा था.
अब तक शाम हो चुकी थी.
मुझे अंकल की याद आई. अंकल ने मुझे नंबर दिया था. मैंने वो नम्बर डायल किया. अंकल ने कॉल उठाया और मैंने उनको सारी बात बतायी. अंकल बोले- कोई बात नहीं. मैं एक घंटे में आता हूँ और तेरा काम करता हूँ.
उस वक्त नाईट में 9 बज रहे थे. तो मैंने खाने के लिए फिर कॉल किया, तो अंकल बोले कि बना ले, मैं भी खा लूंगा. मैंने सोचा कि यार ये कितना अच्छा इंसान हैं. हालांकि बाद में पता चला था कि वो साला कितना बड़ा मादरचोद था.
मैंने कुछ पल बाद उनको फिर से कॉल किया और उनकी पसंद पूछी. मैंने उनकी पसंद का खाना बनाने की बात कही. तो वो बोले- पागल मुझे खाना नहीं, तू पसंद है. उनकी इस बात पर मैं शर्मा गयी और फोन काट के ऩहाने चली गयी. मुझे पता नहीं था कि वो मेरे लिए बेकरार हैं, तो जल्दी ही आ जाएंगे.
मैं जल्द जल्द नहा कर छोटे से टॉवल में बाहर आ गई. मैंने देखा कि वो कमरे में आ चुके थे. मैं उन्हें देख कर शर्मा गयी और दूसरे रूम की ओर दौड़ी, तो ठोकर लगने से गिर गयी. मेरा टॉवल भी मेरे जिस्म से दूर चला गया था. उसका मुझे पता ही नहीं चला और मैं बिल्कुल नंगे बदन उस अंकल के सामने पड़ी थी.
मैंने खड़ा होना चाहा, लेकिन मस्कुलर पेन के कारण मेरी सब कोशिशें नाकाम हो गई थीं. तभी वो अंकल मेरे करीब आ गए और मुझे नंगे बदन उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया. मैं शर्म से पानी पानी हो गयी, लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था. बिस्तर पर ओढ़ने वाली चादर भी नहीं थी.
तभी अंकल ने बोला- बेटी ओवर एक्टिंग नहीं करनी चाहिए, कहीं ज्यादा चोट लग गयी तो..! ऐसे भी मैं तेरी मदद कर दूंगा. इतना सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोली, तो अंकल को थोड़ी और हिम्मत आयी और वो मेरा नंगा बदन सहलाने लगे. उनको लगा था कि मैंने उसके सामने नंगी होने का ड्रामा किया था ताकि अंकल मेरी पैसे से मदद कर दे.
जब अंकल ने मेरे शरीर पर हाथ फेरा, तो मैंने इस बात का थोड़ा विरोध किया. मैंने अपने मम्मों को ढकने की भी नाकाम कोशिश की, पर अंकल को पता चल गया था कि मेरी क्या इच्छा है. उन्होंने मेरे को खड़ा किया और अन्दर वाले रूम में उठा कर ले जाने लगे.
मैंने बोला- मैं चल सकती हूँ. वो बोले कि अब तू दीपक की रानी है और तुझे चलने की ज़रूरत नहीं है. अंकल का नाम दीपक था, ये मुझे अभी ही मालूम चला था.
उन्होंने मुझे उस पलंग पर नंगी लिटा दिया, जिस पर पापा मम्मी सोते थे. वो मुझे किस करने लगे. दीपक अंकल ने मुझे बांहों में जकड़ लिया, मैंने बहुत इंकार किया, पर वो नहीं माने. उन्होंने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया. साथ ही दूसरे हाथ से वो मेरे मम्मों को दबा रहे थे. मैं बेड पर पड़ी तड़प रही थी.
तभी मैंने करवट ली तो मेरा हाथ दीपक अंकल की पेन्ट में चला गया. वो कैसे चला गया, ये मुझे भी नहीं पता चला.
तभी दीपक अंकल 69 की पोजीशन में आ गए और मेरी चूत को चाटने लगे. कुछ ही मिनट में मैं भी गर्म हो चुकी थी और उनकी पेन्ट और चड्डी को हटा कर उनके खड़े औजार को मैंने आजाद कर दिया. मैंने देखा कि उनके लंड पर बहुत काले काले घने झांट के बाल उगे हुए थे. लेकिन उनका लंड बहुत मोटा था. मैंने उनके लंड को सिर्फ हाथ से ही सहलाया.
तभी दीपक अंकल बोले- मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है. यहां पर मैं अकेला रहता हूँ. अभी 6 माह पहले मेरी मम्मी भी ऊपर चली गईं. मैंने 60 साल निकाल दिए, पर अब तक शादी नहीं की है. उनकी बात सुनकर मैंने सोचा कि आज पक्का मेरी चूत का बाजा बजेगा.
इधर उन्होंने मेरी चूत के दाने को रगड़ रगड़ के लाल कर दिया था. मेरी चुत से पानी बहने लगा था. मेरे पूरे में बदन में करंट सा चल रहा था. मेरा मन कर रहा था कि अंकल तुरंत मेरी चूत में लंड घुसेड़ दें. लेकिन लाजवश मैं उनसे ऐसा कहा नहीं सकती थी और मैं दिखावे के लिए उनका विरोध कर रही थी.
अचानक वो मेरी टांगें उठा कर बीच में जगह बना कर सैट हो गए. मैंने धक्का मारके अंकल से छूटने की कोशिश भी की, लेकिन मर्द की बांहों से छुटकारा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है. उस स्थिति में तो और भी ज्यादा मुश्किल होता है, जब लड़की की चूत में भी आग लगी हो.
फिर दीपक अंकल ने मेरे मम्मों को बेहद जोर से मसल दिया. मुझे बहुत दर्द हुआ, तो मैं चीख पड़ी. लेकिन वो अब मेरी एक भी सुनने वाले नहीं थे. उन्होंने मेरी चूत पर थूक लगाया और अपना खड़ा लंड सैट कर दिया था.
मैंने मना किया- मत करो, यह पाप है.. प्लीज मुझे जाने दो. अंकल ने बोला कि मेरे औजार को तूने ही बाहर निकाला और सहलाया था, तो अब कोई फायदा नहीं है. बस तू 5 मिनट, जो भी करूं, सह ले.
उन्होंने मेरे मुँह पर एक हाथ रख के एक जोर से झटका दे मारा. मेरी चीख निकल गयी. मैंने हाथ लगा कर महसूस किया तो उनका जरा सा भी लंड मेरे अन्दर नहीं घुसा था. तभी उन्होंने दूसरा झटका मारा, तो मैं दर्द से बिलबिला उठी, मेरी आंखों के आगे अँधेरा छा गया, मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं. मुझे लगा कि अब मेरी मौत आ गई है.
पर उनको मेरे इस दर्द का कोई फर्क नहीं पड़ा. उन्होंने ताबड़तोड़ धक्के देना चालू कर दिए. उन्होंने कितने झटके दिए, वो मुझे मालूम ही नहीं पड़ा. मैं कुछ पलों के लिए एकदम बेसुध हो गई थी. उन्होंने अपना पूरा का पूरा लंड ठोक कर मेरी चूत को फाड़ दिया था.
जब मुझे दर्द कम हुआ और मैंने आंखें खोलीं, तो अंकल ने बोला कि रानी अब आगे जारी रखूं? मैंने उनसे सर हिलाते हुए साफ मना किया और मरी सी आवाज में कहा कि मेरी यह हालत हो गई है और आपको शर्म नहीं आती. वो बोला- मेरे लंड की क्या हालत है.. वो पहले देख रांड साली. वो गालियां दे कर धीमे धीमे फिर से लंड पेलने में चालू हो गए.
इस बार तो मुझे दर्द का तो नाम ही नहीं था, खाली खून बह रहा था. सच में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने मजा लेना शुरू किया तो मेरी कराहें मीठी आहों में बदल गईं. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ये देख कर दीपक अंकल ने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.
मैं भी बस चूत ऊपर नीचे करके दीपक अंकल से चुदवा रही थी. पहली बार मैं उनकी चूत चुसाई के समय ही झड़ चुकी थी, अब मैं दूसरी बार झड़ने वाली थी. दीपक अंकल तो मुझे लगातार ठोके जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी चूत को चीर कर मेरी चीख निकलवा दी. फिर मेरी चूचियों को मसलते हुए वो मेरे ऊपर लद गए और धकापेल चुदाई करते हुए उन्होंने अपने लंड का पूरा पानी मेरे चूतड़ों पर गिरा दिया. फिर उन्होंने मेरी चूत को चाट कर साफ कर दिया.
इसके बाद उन्होंने मुझे घुटनों के बल बिठा कर मेरा सिर पकड़ कर जबरदस्ती अपना काला लंड मेरे मुँह में डाल दिया. मुझे उनका लंड चूसना बहुत गंदा लगा, पर मैं लाचार थी. उन्होंने मेरी नाक को बंद कर दिया था, तो उनका वीर्य सीधा मेरे पेट में चला गया.
उनका वीर्य मेरे हलक में जाते ही मुझे उल्टियां चालू हो गईं. मैं ऐसे ही नंगी उठ कर बाथरूम में जाने लगी. मेरी चाल लड़खड़ा रही थी, तो दीपक अंकल ने मेरे को पकड़ के बाथरूम तक पहुंचा दिया.
दीपक अंकल की चुदाई से मेरा पूरा बदन टूट रहा था. मेरी चुत में अभी भी खून आ रहा था.
मैंने पूरा बदन साफ किया और बाहर आकर ब्रा और पेन्टी पहनने लगी. इधर दीपक अंकल भी कपड़े पहन चुके थे. मैंने जल्दबाजी में ड्रेस पहनी.
इस वक्त रात के 11 बज चुके थे और मुझे भूख भी लग रही थी. हम दोनों नीचे उतरे और अंकल की कार से सीधे एक होटल चले गए. दीपक अंकल ने होटल में खाना ऑर्डर किया और जल्द ही खाना आ गया था. मुझे भूख लगी थी, लेकिन जैसे ही मैंने खाने को हाथ लगाया, मेरा मन खाने से हट गया. मेरी भूख ही खत्म हो गई थी.
मैं दीपक अंकल से नजरें नहीं मिला पा रही थी और बेचैन बैठी थी. मुझे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि यार चंद पैसे के लिए मैंने क्या कर दिया.
होटल में ही दीपक अंकल ने मुझे किस किया और मेरी पीठ को सहलाया. उन्होंने अपने हाथ से मुझे खाना खिलाया. मैं थोड़ा खाना खा कर उनकी कार में बैठ कर वापस घर जाने को कहने लगी.
वो मुझे घर तक छोड़ने आए. आधी रात हो चुकी थी और सन्नाटा भी था. वो मुझे रूम तक छोड़ने आए और उन्होंने मुझे 2000 के 5 नोट निकाल कर दिए. मैंने उससे 6000 का ही बोला था, पर वो नहीं माने.
उन्होंने कहा- ये रख ले, तेरे काम आएंगे. मैं तो सिंगापुर चला जाऊंगा, तो अभी अपना मिलन होगा कि नहीं, वो मैं नहीं बोल सकता कि तुझे कब मिलूंगा. न जाने क्यों मेरी आंखें भर आईं और मैं उनसे लिपट कर रोने लगी. वो मुझे बेड पर फिर से ले आए और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगे. पर अब मैं अंकल से साँप की तरह लिपट गयी थी. दीपक अंकल बोले- चल अब तेरे साथ पूरी नाईट ही रूक जाता हूँ. वो दरवाजे पर कुंडी मार कर आ गए.
वो बोले- यार सचमुच चुदक्कड़ लड़की है तू. अंकल फिर से चालू हो गए. उस रात को उन्होंने मुझे फिर से दो बार चोदा और अबकी बार उन्होंने मेरी गांड की भी सील तोड़ दी.
सुबह मैं जब उठी, तो वो मेरे पास नहीं थे और मैं बिस्तर पर नंगे बदन पड़ी थी. वो मेरे लिए फिर से 4000 रूपए छोड़ कर गए थे. मैंने उन्हें कॉल लगाया, पर उन्होंने रिसीव नहीं किया. मैंने कपड़े पहने और उस रंगीन रात के बारे में सोच कर मजा लेने लगी.
आज इस बात को 3 माह हो गए हैं, लेकिन मुझे उनकी कोई खबर नहीं मिल रही है. आज भी उनके साथ की चुदाई को सोच कर कभी कभी अपनी चूत में उंगली कर लेती हूँ.
दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है. आपको कैसी लगी.. कमेन्ट या मेल जरूर करना. आपके मेल से मुझे हौसला मिलेगा. आगे मेरे साथ भी कोई घटना घटित होगी, तो मैं उसकी कहानी आपके लिए लिख सकूंगी. [email protected]
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