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सभी मचलती चूतों और खड़े लण्डों को विशू तिवारी का नमस्कार! दोस्तो, मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ विगत 4 वर्षों से पढ़ रहा हूँ. अन्तर्वासना में प्रकाशित सभी कहानियाँ बहुत ही अच्छी हैं. जहाँ तक मेरा मानना है कि इसमें प्रकाशित लगभग सभी (90 प्रतिशत तक) कहानियाँ बिल्कुल सत्य हैं. अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सच्ची कहानी है जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ. अगर इसमें कोई त्रुटि हो तो माफ करना. गोपनीयता बनाये रखने के लिए कहानी में नाम और जगह बदल दिए गए हैं.
दोस्तो, अब मैं अपना परिचय दे दूँ. मेरा नाम विशू तिवारी (बदला हुआ नाम) है. मेरी उम्र 30 वर्ष है और मैं उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर का रहने वाला हूँ. मेरा लण्ड 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. मैं अन्य लोगों की तरह ये नहीं कहता कि मेरा लण्ड साढ़े 8 इंच या 9 इंच लंबा व साढ़े 3 इंच मोटा है. भारत देश में लंड का साइज 3.9 इंच से लेकर 6.1 इंच तक लंबा होता है.
आमतौर पर औसत लम्बाई का लण्ड भी औरत को पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकता है. बशर्तें कि अगर चुदाई करने से पहले औरत को अच्छी तरह से गर्म कर दिया जाए. कुछ लोगों को सिर्फ अपनी संतुष्टि से मतलब होता है. उनको अपने पार्टनर की संतुष्टि से कोई मतलब नहीं होता है. अपना पानी निकाला और सो गये. औरत भले ही वासना की आग में जलती रहे. खासकर भारत जैसे देश में तो जिस तरह की जीवनशैली है उसका सीधा असर लोगों की सेक्स लाइफ पर पड़ता है. इसलिए यहाँ के अधिकतर पुरूष, या तो महिला की नीरसता के शिकार हो जाते हैं या फिर महिलाएं पुरूषों की नीरसता का बोझ उम्र भर अपनी वासना के कंधों पर ढोती रहती हैं.
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ. यह घटना आज से लगभग आठ वर्ष पूर्व की है जब मैं पहली बार घर से जॉब करने राजस्थान के अलवर शहर में गया था. वहाँ कंस्ट्रक्शन कम्पनी में सिविल सुपरवाइजर की जॉब मिल गयी. उसमें एक मिस्त्री था जिसकी पत्नी बहुत ही खूबसूरत थी. पहली नजर में तो वह मुझे एकदम मलाई के जैसी लगी. उसकी उम्र लगभग 30 साल थी मगर देखने में 23-24 साल की लगती थी. वो कभी-कभी साइट पर भी आ जाती थी. मैंने जब उसे पहली बार देखा तो देखता ही रह गया. उसका फिगर 32-28-32 था. क्या कयामत थी, आप उसके फिगर से ही अंदाजा लगा सकते हो.
मैं सोचने लगा कि इसे कैसे पटाया जाए. मगर समस्या थी कि मैं इस मामले में उस वक्त बहुत ही डरपोक किस्म का इन्सान था. वहीं एक इलेक्ट्रिशियन पाण्डे जी रहते थे. वो बहुत ही ठरकी थे. सब उनका सम्मान भी करते थे. मैंने सोचा कि शायद इनसे बात करूँ तो कुछ बात बन सकती है. सबसे पहले मैंने पाण्डे जी से पूछा कि मिस्त्री की पत्नी का क्या नाम है. उन्होंने बताया कि उसका नाम संगीता (बदला हुआ नाम) है.
फिर मैंने पाण्डे जी से बोला कि उससे किसी तरह से सेटिंग कराओ क्योंकि वो मुझे बहुत अच्छी लगती है. मेरी इस हसरत पर पाण्डे जी बोले कि उसके पीछे तो पूरी कम्पनी लगी हुई है. इतनी जल्दी थोड़े ही हाथ आ जायेगी? मैं बोला- कैसे भी करके मेरा काम करवा दो. पाण्डे जी बोले- ठीक है, मैं उसको किसी बहाने बुला लेता हूँ अकेले में. तुम वहीं बात कर लेना. मैंने कहा- पाण्डे जी, अगर मैंने बात की और उसने कुछ बोल दिया तो मेरी इज़्जत की तो वाट लग जायेगी. अभी नया-नया कम्पनी में आया हूँ और अगर उसने किसी को बोल दिया तो मेरी तो नौकरी भी जाएगी. पाण्डे जी बोले- तू क्या चाहता है कि मैं उससे कहूँ जा कर कि विशू को तू अच्छी लगती है और वो तुझे चोदना चाहता है? मैं बोला- पाण्डे जी, वह आपका काम है लेकिन कुछ भी करके मेरी सेटिंग करवा दो. वो बोले- थोड़ा मुश्किल है. मगर काम हो सकता है.
पाण्डे जी के आश्वासन पर अब मुझे कुछ आशा की किरण दिखाई दी. चुदाई के सुहाने सफर की सच्ची घटना आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़ डॉट कॉम पर पढ रहे हैं. दोस्तो, एक सप्ताह बाद पाण्डे जी बोले- विशू, मैंने बात कर ली है. तुम शाम को छह बजे दसवीं मंजिल पर चले जाना, वो वहीं मिलेगी. जब मैं शाम को छह बजे वहाँ गया और मैंने जाकर वहाँ देखा तो वो पहले से ही मौजूद थी.
मुझे देखते ही बोली- क्या बात करनी है बताओ. पहले तो मैंने सोचा कि क्या कहूँ कुछ समझ नहीं आ रहा. फिर मैंने कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. वो बोली- बस यही बोलने के लिए मुझे बुलाया था? मैंने मन ही मन सोचा कि बेटा काम बन रहा है. मैं बोला- मुझे तुमसे प्यार हो गया है. मेरी इस बात पर उसने शरमा कर गर्दन नीची कर ली. मैंने फौरन उसे पकड़ लिया और उसके होंठों को चूम लिया. वो छुड़ाते हुए बोली- कोई आ जायेगा!
उसकी इस रिक्वेस्ट पर मैंने उसे छोड़ दिया और बोला- कल मिलो न? तीसरी मंजिल में आकर मिलना. कुछ बात करेंगे. मैंने उसको तीसरी मंजिल पर इसलिए आने के लिए कहा क्योंकि तीसरी मंजिल के फ्लैट की चाभी मेरे पास ही रहती थी. वो बोली- देखेंगे. मैंने कहा- दिखाने के लिये ही तो बुला रहा हूँ. वो बोली- बहुत ही कमीने हो. इतना कह कर वह जाने लगी. उसे रोकते हुए मैंने कहा- नम्बर तो देती जाओ.
उसके बाद मेरे कहने पर फिर उसने नम्बर दिया और चली गयी. वहाँ से आने के बाद मुझे पूरी रात नींद नहीं आई. मैं इसी ख्याल में तड़प रहा था कि कब सुबह हो और मैं कब उसे बुलाऊँ. सुबह करीब 10 बजे उसकी मिस कॉल आयी. मैंने वापस कॉल किया तो संगीता बोली- मैं आज नहीं आ सकती.
इतना कह कर उसने फोन काट दिया. मेरा मन उदास हो गया. कहाँ मैं उसको चोदने के सपने देख रहा था और कहाँ के.एल.पी.डी (खड़े लंड पर धोखा) हो गया. एक बजे फिर उसकी मिस कॉल आयी. मैंने वापस कॉल किया तो बोली- कहाँ हो? पाँच मिनट में तीसरी मंजिल पर पहुँचो, मैं आ रही हूँ. मेरे मन में खुशी के लड्डू फूट पड़े. लंड ने उछाला दे दिया और मैं तुरंत वहाँ जा कर उसका इंतजार करने लगा.
दस मिनट बाद जब वह आयी तो मैं उसे देखता ही रह गया. क्या कयामत लग रही थी. मैंने जल्दी से उसको फ्लैट के अन्दर कर लिया. अन्दर आने के बाद मैंने भीतर से लॉक किया और उसे गोद में उठा कर कमरे में ले गया. नीचे उतार कर उसकी गर्दन पर किस करने लगा, होंठों पर चूमा, गाल पर चुम्मा चाटी करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. फिर मैं उसके कपड़े निकालने लगा. वो भी मेरे कपड़े उतारने लगी. अब हम दोनों मादरजात नंगे हो चुके थे. वो नीचे से हाथ ले जाकर अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगी तो मैं भी एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा. दूसरे हाथ से चूत को सहलाने लगा. इतने में उसे इतना जोश आया कि अपने दोनों हाथों से मेरे मुँह को ऊपर किया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
मुझे इतनी गर्म औरत आज तक नहीं मिली थी. फिर मैंने उसे फर्श पर लिटा कर ऊपर की तरफ जीभ से चाटते हुए धीरे-धीरे मैं नीचे जाने लगा. जैसे ही चूत के पास जीभ ले गया वो एकदम से उछल गयी. उसकी चूत एकदम पाव रोटी की तरह फूल कर लाल हो गयी. मैंने दोनों हाथों से बुर फैला कर भीतर तक जीभ को घुसेड़ दिया. बुर के भीतर जीभ जाते ही वो सिसकारी भरने लगी आह … ओह … ओह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाजें करने लगी. मुझे उसकी बुर चाटते समय ऐसा लग रहा था कि जैसे अमृत हो. अभी तक जिन लोगों ने चूत नहीं चाटी है मैं उनको बताना चाहता हूँ कि दुनिया का असली मज़ा चूत चाटने में ही है.
वो चूत चटवाते समय आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी. इतने में वो चूतड़ उठा कर मेरे मुँह में झटके मारने लगी. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है. अब मैं और अंदर तक जीभ घुसेड़ कर जोर-जोर से चाटने लगा. इतने में वो अकड़ने लगी और उसकी बुर से झरना बहने लगा. उसकी बुर से इतना अमृत रस निकला कि मेरा पूरा मुँह भर गया. मैंने जल्दी से सारा अमृत रस चाट लिया.
अब मैंने उसके मुँह के पास लण्ड लगा दिया और बोला- अब इसे चूसो और ज्यादा मज़ा आएगा. वो बोली- मैंने आज तक लण्ड मुँह में नहीं लिया और ना ही अपनी बुर चटवाई. मैं बोला- जब मैं बुर चाट रहा था तो तुम्हें कैसा लग रहा था? वो बोली- आज से पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया, न ही कभी इतना पानी निकला. तुमने जितना मज़ा दिया उतना मज़ा कभी मेरे पति ने नहीं दिया.
मैंने कहा- इसी बात पर लण्ड मुँह में लेकर चूस लो. वह बोली- नहीं, मुझे गन्दा लगता है. मुँह में नहीं लूँगी.
फिर उसने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी. मैं भी उसके चूचे मसलने लगा. साथ में बुर में भी उंगली डाल कर अन्दर घुमा रहा था. वो फिर से गर्म होने लगी. संगीता बोली- राजा, मेरी बुर में बहुत खुजली हो रही है. जल्दी से अपना लण्ड घुसाओ ना!
मगर मैं उसको थोड़ी देर और तड़पाना चाहता था. इसलिए बुर में और तेज उंगली चलाने लगा और साथ ही साथ उसके चूचे भी मसलता रहा. मैंने उसके चूचे मसल-मसल कर लाल कर दिए. अब उसकी सिसकारी तेज-तेज निकलने लगी. आह … आह … ओह … आह … करते हुए संगीता मुझे अपनी तरफ खींचने लगी.
फिर उसने मेरा लण्ड पकड़ कर बुर के छेद में लगा दिया और बोली- राजा, अब तो अन्दर घुसा दो. मैंने कहा- क्या घुसा दूँ? वो बोली- अपना लण्ड मेरी बुर में घुसा कर फाड़ दो. निगोड़ी जीने नहीं देती. मैंने उसकी चूत में अपने लंड को सेट करके धीरे से धक्का दिया तो मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया. वो सी-सी करने लगी. मैंने फिर लण्ड को बाहर निकल कर तेजी से झटका मारा तो 4 इंच की लम्बाई तक लण्ड घुस गया. उसकी साँस अटक गई. वो चिल्लाने को हुई तो मैंने झट से उसको होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
फिर थोड़ी देर बाद जब आराम हुआ तो बोली- तुम्हारा लण्ड इतना लम्बा और मोटा है. तुमने तो मेरी बुर को फाड़ कर रख दिया. जब मैंने उसको चोदना शुरू किया तो बोली- जरा आराम से करो. अब मैं धीरे-धीरे करने लगा. फिर अगले झटके में पूरा लण्ड उसकी बुर में घुसेड़ दिया. मेरे इस झटके पर संगीता के मुंह से दर्द भरी आह निकल गई. वह कराहने लगी. अपनी गर्दन को इधर-उधर पटकने लगी.
बोली- मादरचोद, मैंने कहा था कि आराम से करो. अपने आदमी से करवाती हूँ तो मुझे इतना दर्द कभी नहीं हुआ. लेकिन तुम्हारा ये लौड़ा इतना लम्बा और मोटा है कि मेरी जान ही निकाल देगा! मैंने कहा- ठीक है मेरी रानी, अब मैं थोड़ा आराम से ही चूत की चुदाई करूंगा. इतना कहकर मैंने धीरे-धीरे संगीता की चूत में अपने लंड को धकेलना शुरू किया. जब वह नॉर्मल हो गई तो मैंने अपने धक्कों की स्पीड को थोड़ा सा और ज्यादा तेज करने की कोशिश की. मगर मेरे धक्के तेज होते ही संगीता ने फिर से मुझे वापस धकेलना शुरू कर दिया. मैं ये नहीं समझ पा रहा था कि ये साली सच में ही इतनी टाइट चूत लेकर बैठी है या बेवजह नाटक कर रही है.
मेरे मन में ख्याल आया कि शायद इसके पति का लंड इतना लंबा नहीं होगा. मोटा भी कम ही होगा. नहीं तो अब तक तो इसको चुदाई का मजा लेना शुरू कर देना चाहिए था. कई बार औरतें बिना वजह का नाटक भी करती हैं ये दिखाने के लिए कि उनको दर्द हो रहा है. इसलिए मैं उसकी मंशा को समझ नहीं पा रहा था.
फिर मैंने उसकी चूत में अपने लंड की पिलाई शुरू कर दी. अब वह मेरे धक्कों का मजा लेने लगी थी. मैं समझ गया था कि इसकी गर्म भट्टी अब मेरे धक्कों से और ज्यादा गर्म हो रही है. संगीता ने मुझे अपने ऊपर खींचने की कोशिश की. वह मेरे होंठों को चूसने लगी. साथ में ही वह मेरी गांड को भी अपने हाथों से दबा रही थी. बार-बार मेरी गांड को अपनी चूत की तरफ धकेलने की कोशिश कर रही थी. मैं समझ गया था कि अब इसको चुदाई का पूरा मजा आने लगा है. मैंने भी अपने लंड की स्पीड को पूरी तरह से तेज कर दिया. मेरा लंड उसकी चूत को अंदर तक जाकर ठोकने लगा. मेरे इतने तेज धक्कों के बाद भी संगीता के चेहरे पर एक मस्ती सी चढ़ती जा रही थी. मैं समझ गया था कि साली रंडी अब चुदाई में मस्त हो चुकी है. अब इसके साथ कुछ भी किया जा सकता है. इतनी सुन्दर चूत को चोदकर मैं भी आनंद में डूबता ही जा रहा था. मैंने सोच लिया था कि आज इसकी चूत को चोदने के साथ-साथ इसकी गांड को भी अपने लंड से फाड़ दूंगा.
मगर अभी मैं किसी तरह की कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था. मैं उसको इस बात की भनक नहीं लगने देना चाहता था कि मैं इसकी गांड भी मारने की फिराक में हूँ. उससे पहले मैं यह पता करना चाहता था कि यह गांड मरवा भी लेगी या नहीं? कई औरतों को गांड मरवाने में दिक्कत नहीं होती है लेकिन कई औरतें गांड मरवाने से परहेज करती हैं. इसलिए पहले मैं उसकी तरफ से इस बात को पक्का कर देना चाहता था कि यह भी गांड मरवाने में रूचि रखती है या नहीं. इसके लिए मैं उसकी चुदाई करते करते सोच रहा था कि इसकी गांड मारने के लिए इसको कैसे पटाया जाये.
मैं सोच ही रहा था कि उसने मेरे चेहरे को देखा. वह बोली- क्या सोच रहे हो मेरे राजा? मैंने कहा- कुछ नहीं मेरी जान, तुम्हारी चूत को चोदने का मजा ले रहा हूँ. तुम्हें मेरे लंड से चुदकर कैसा लग रहा है? वह बोली- मैं तो तुम्हारे लंड से चुदते ही रहना चाहती हूँ. अब तुम ही मेरी चूत के मालिक हो. मेरे पति ने मुझे कभी इतना सुख नहीं दिया जितना तुमने मुझे दिया है. मैंने कहा- हां मेरी जान, अब मैं तुम्हारी चूत को कभी प्यासी नहीं रहने दूंगा.
मैंने मन ही मन सोचा कि अब अच्छा मौका है इससे पता करने का कि यह पीछे वाले छेद में भी मेरा लंड लेना चाहती है या नहीं. इसलिए मैंने उससे बातों ही बातों में पूछा- क्या तुमने कभी अपने पीछे वाले छेद में भी लंड लिया है? वह बोली- नहीं, मेरा पति तो आगे वाले छेद को ही शांत नहीं कर पाता. मुझे नहीं पता कि पीछे वाले छेद में भी लंड डाला जाता है. संगीता के मुंह से यह जवाब सुनकर अब मेरी शंका दूर हो गई थी. संगीता ने अभी तक अपनी गांड नहीं मरवाई थी. अब यह मेरे लिए आसान हो गया था कि मैं उसको गांड चुदाई का चस्का भी लगा दूं.
उसके बाद मैंने संगीता को उठने के लिए कहा. वह उठ गई और मैं भी उठ कर खड़ा हो गया. मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसकी चूत पर लंड को सेट करके उसको अपने लंड के ऊपर बैठा दिया. लंड गच्च की आवाज के साथ उसकी चूत में उतर गया. मैंने उसको गोद में उठाकर झुलाते हुए उसकी चुदाई शुरू कर दी. उसको जल्दी ही दर्द होने लगा लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था. जिन लोगों ने इस आसन में चुदाई की है उनको पता है कि इस आसन में चुदाई करने का अपना अलग ही मजा होता है. इसलिए मैं तो आनंद में खो सा गया था. उसके बाद मैंने उसको नीचे उतार दिया. नीचे उतारने के बाद मैंने संगीता को फिर से फर्श पर लेटा दिया और उसकी चूत में लंड को पेल दिया. फिर मैंने 20 मिनट तक उसकी चूत को फर्श पर लेटा कर पेला. इस बीच में संगीता दो बार झड़ चुकी थी. उसके बाद 5-6 धक्के जोर से लगाने के बाद मैंने भी उसकी चूत में अपना माल गिरा दिया. हम दोनों ही हाँफने लगे थे.
हम दोनों अभी नंगे ही पड़े हुए थे. मैं उसकी गांड को भी आज ही चोदना चाहता था लेकिन जब मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 2.30 बज चुके थे. संगीता बोली- जल्दी उठ जाओ, मेरा आदमी मुझे खोज रहा होगा. अगर उसको पता लग गया तो मैं फिर दोबारा तुमसे नहीं मिल पाऊंगी. मैंने संगीता की चूत को तो चोद दिया था लेकिन मेरी एक हसरत अभी अधूरी ही थी. मैं उसकी गांड की चुदाई भी करना चाहता था. मगर इस वक्त वह हसरत मैं पूरी नहीं कर पा रहा था.
अगर संगीता के आदमी को हमारी चुदाई के बारे में पता चल जाता तो वह अपनी सेक्सी बीवी को शायद फिर दोबारा अकेले आने का मौका नहीं देता. मैं संगीता की चूत चोद कर बहुत खुश था. मैं कई दिनों से उसकी चूत की चुदाई के सपने देख रहा था. मेरा एक सपना तो पूरा हो गया था लेकिन अभी मेरा दूसरा सपना पूरा होना बाकी था. मैं अपने इस चुदाई के सफर को और भी ज्यादा सुहाना बनाना चाहता था. इसलिए इस वक्त मेरे पास संगीता की बात मानने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. मुझे भी संगीता की बात सही लगी. अगर वह दोबारा मिली ही नहीं तो फिर उसकी गांड मारना तो दूर मैं तो उसकी चूत के दर्शन भी नहीं कर सकता था. इसलिए मुझे इस वक्त उस सेक्सी औरत की बात सही लगी.
मैंने कहा- ठीक है, तुम सही कह रही हो. अगर तुम्हारे आदमी को हमारे बारे में पता लग गया तो हम दोनों फिर कभी नहीं मिल सकेंगे. इसलिए हम दोनों को अब जल्दी ही यहाँ से निकल जाना चाहिए. हम दोनों ने उठकर अपने-अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिये. जब हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये तो हमने एक दूसरे को फिर से बांहों में भर लिया और एक लंबा चुम्बन एक दूसरे के होंठों पर किया. उसके बाद हम दोनों अलग हो गए. संगीता ने अगली बार फिर से मिलने का वादा किया और वह वहाँ से चली गई.
उसके बाद आगे क्या हुआ और उन आठ सालों में हम दोनों ने कौन-कौन से नए पोज में चुदाई का मजा लिया. यह सब मैं आपको अपनी अगली कहानियों में बताऊंगा. तब के लिए आप सब पाठकों से विदा चाहता हूँ. आशा करता हूं कि आपको मेरी यह सच्ची कहानी पसंद आई होगी. इस कहानी में अगर कोई गलती मुझसे हो गई हो तो मुझे माफ करना. साथ ही साथ कहानी के बार में आप अपने विचार रख कर भी मुझे मार्गदर्शित करें. अपना मेल आई-डी मैंने नीचे दिया हुआ है. आपका अपना दोस्त विशू तिवारी [email protected]
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