This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरी पहली चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरी पहली चुदाई ही अधूरी रह गई थी। मैं मछली की तरह तड़प रही थी। तो मेरी बुर की सील कैसे टूटी? मुझे मजा आया या नहीं?
मेरी पहली चुदाई कहानी के पहले भाग पहली चुदाई का जोश- 1 में आपने पढ़ा कि मैं अपनी मौसी के किरायेदार लड़के के साथ अपनी जिन्दगी के पहले सेक्स का मजा लेने लगी थी.
अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया.
मैं उसके लण्ड को थोड़ा और महसूस कर पाती … उससे पहले दरवाजे पर आहट हुई।
मैंने कहा- मौसी आ गई।
हम लोगों ने फुर्ती से अपने कपड़ पहने। मैं जल्दी में ब्रा नहीं पहन पाई। दीपक ने मेरी ब्रा अपनी जेब में रख ली थी।
इस तरह से मेरी पहली चुदाई ही अधूरी रह गई थी।
खाना खाकर सब सो गये और मैं मछली की तरह तड़प रही थी।
अब आगे मेरी पहली चुदाई कहानी:
तभी दीपक का फोन आया कि रात को 12 बजे कमरे में आ जाना। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
लेकिन सभी लोग घर पर ही थे तो मन ही मन डर भी लग रहा था.
फिर भी मैं 12 बजने का इंतज़ार करती रही. और 12 बजते ही दीपक के कमरे में जा पहुंची.
दीपक ने तुरन्त मुझे बाँहों में भर लिया.
मैंने भी उसे गले लगाया और कहा- दीपक घर में सब हैं. कोई आ गया तो क्या होगा? वो बोला- कुछ नहीं होगा, हम लोग छत पर चलते हैं. रात में छत पर कोई नहीं जाता है.
हमारी छत भी आस पड़ोस में सबसे ऊँची थी तो मुझे भी दीपक का सुझाव ठीक लगा.
मैंने उसको कहा- मेरी ब्रा तो दे दो! दीपक बोला- ब्रा मैं सुबह दूंगा धोकर! मैंने कहा- नहीं, ऐसे ही दे दो, धोने की क्या जरूरत है?
तो उसने मुझे वो ब्रा दिखाई. दीपक मेरी ब्रा को अपने वीर्य से भर चुका था,
मैंने अपनी ब्रा ले ली और कहा- तुम परेशान मत हो, मैं खुद ही धो लूंगी.
फिर हम दोनों छत पर पहुंचे. दीपक छत पर इंतजाम कर चुका था, वहाँ एक गद्दा और कम्बल जो हमारे लिए काफी थे.
दीपक ने पूछा- और कुछ चाहिए? मैंने कहा- नहीं … ठीक है.
इतना सुनते ही उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और गद्दे पर लिटा दिया. फिर फटाफट अपनी टी शर्ट और लोअर उतार दिए.
मैंने कहा- दीपक, ऐसी क्या जल्दी है? बोला- मेरी अंजू रानी … बस अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
और उसने अपना लंड निकाल कर सीधा मेरे मुंह की तरफ बढ़ा दिया.
उसका काला सा लम्बा और मोटा तगड़ा लंड देख कर मेरा तो हलक सूख गया. मैं आँखें फाड़ कर उसके लंड को देख रही थी.
मेरा हाथ पकड़ कर उसने अपने लंड पर रखा. उसका लंड लोहे की तरह सख्त और गर्म था, मैं डर के मारे सहम गयी थी.
लण्ड की लम्बाई चौड़ाई देख कर मैं बहुत सहम गई थी कि इतना मोटा लण्ड मेरी कमसिन चूत में कैसे जायेगा। लेकिन चुदाई के सुख को अनुभव भी करना चाहती थी।
फिर उसने अपना लंड मेरे मुंह में डालने की कोशिश की.
मुझे बहुत बुरा लगा, मैं थोड़ा अलग हटते हुए बोली- दीपक, ये क्या कर रहे हो? दीपक बोला- चूसोगी नहीं मेरा लंड?
मैं बोली- छी … ये भी कोई चूसने की चीज है? दीपक बोला- अंजू मेरी जान … इसे चूस कर ही चूत में डालते हैं.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मैंने दीपक का लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था. उसका लंड वाकई में बहुत मोटा और लम्बा था.
दीपक ने थोड़ा ज़ोर दिया तो मैंने उसका लंड अपने मुंह में लिया. लेकिन मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे उलटी हो जाएगी. मैंने दीपक को धक्का दिया और थोड़ा अलग हो गयी.
मैं बोली- दीपक, तुमको यही सब करना है तो … मैं जा रही हूँ.
दीपक को उसकी गलती का अहसास हुआ और मुझे गले लगा कर बोला- सॉरी अंजू, वो विडियो में देखा था ऐसे करते हुए, तो सॉरी गलती हो गयी.
मैं बोली- दीपक, मैं जानती हूँ ये तुम्हारा पहली बार है. और मेरा भी पहली बार है. तो अच्छा होगा, हम एक दूजे को सहयोग करें. वो बोला- ठीक है, मैं समझ गया अंजू.
उसने मेरी टी शर्ट उतार कर मुझे लिटाया और सीधा मेरे चूचों पर आ गया. वो एक हाथ से मेरी एक चूची दबा रहा था और दूसरी चूची को चूस रहा था. और एक हाथ उसने मेरी चूत तक पहुंचा दिया था.
वो बारी बारी से मेरे चूचे चूस रहा था. मेरे बदन में लहरें सी उठ रही थी.
उसकी उँगलियाँ मेरी चूत को सहला रही थी, चूत भट्टी की तरह धधक रही थी. वो जाने अनजाने मेरी चूत के दाने को मसल रहा था और मैं पागल हुई जा रही थी.
दीपक अपनी उंगली को चूत में घुसाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो वही जगह तक नहीं पहुँच पा रहा था.
एकदम अचानक से उसकी उंगली मेरी चूत में सरक गयी. और मेरे मुंह से आह की आवाज निकली … दीपक खुश हुआ.
दीपक मेरी लोअर और पैंटी उतार कर मेरे पैरों के बीच में आ गया और मेरे ऊपर झुक कर चूचों से खेलने लगा. फिर वो मुझे किस करने के लिए ऊपर बढ़ा और उसका लंड मेरी चूत से टकरा रहा था.
वो मुझे किस कर रहा था. और मेरा पूरा ध्यान नीचे चूत और लंड पर था. वो अपने लंड से मेरी चूत पर दबाव बना रहा था.
लेकिन चूत इतनी गीली थी कि उसका लंड इधर उधर फिसल जा रहा था.
मैंने अपने पैरों का थोड़ा सा और फैला दिया ताकि दीपक को चूत में लंड घुसेड़ने में दिक्कत न हो.
काफी देर की कोशिश के बाद उसने मुझसे कहा- तुम सहयोग करो न!
अब मुझे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसके लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर सेट किया. अब उसका लंड छेद पर अटक गया था.
दीपक ने दबाव बढ़ाया तो जैसे ही उसके लंड ने अन्दर घुसना शुरू किया मेरी तो दर्द के मारे चीख निकलने लगी जिसे दीपक ने किस करते हुए ही अपने मुंह से दबा लिया.
अभी तो शायद उसके लंड का टोपा ही अन्दर गया होगा.
इतने में दीपक ने एक झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में समा गया. शायद मेरी सील टूट गयी थी. और मैं दर्द से छटपटा गयी.
दीपक ने एक झटका और मारने की कोशिश की. लेकिन मैंने उसके लंड को पकड़ लिया था जिससे उसका लंड और अन्दर नहीं जा सका.
दीपक का बदन अकड़ने लगा था. मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी.
दीपक उसी हालत में दो और झटके मारे और निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गया।
वह झड़ चुका था. यह मुझे तब पता चला जब उसका रस मेरी चूत में से बहने लगा.
उसका लंड थोड़ा शांत हुआ तो मेरी जान में जान आई. मेरी चूत में आग सी निकल रही थी और जलन भी हो रही थी.
दीपक के लंड का रस बहुत गर्म था लेकिन उसके लंड के रस में मेरी जलन धीरे धीरे कुछ कम हो रही थी.
वो मेरे ऊपर ही लेटा रहा. हम दोनों ने एक दूजे को पहली चुदाई की बधाई दी. जबकि हम ये नहीं जानते थे कि चुदाई अधूरी रह गयी है.
फिलहाल जो भी था वो हमारी पहली चुदाई थी.
दीपक बहुत खुश था और मुझे किस कर रहा था, कभी मेरे चूचों को चूसता कभी मेरे होठों को चूसता!
5 मिनट बाद ही उसका लंड फिर से सख्त होने लगा. जब उसका लंड फिर से मेरी चूत से टकराया तो मुझे पता चला.
मैंने कहा- दीपक क्या हुआ? फिर से करना है? बोला- हाँ!
और इतना कह कर उसने अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया ताकि मैं उसे सही निशाने पर लगा सकूं.
मैं भी तुरंत उसका लंड चूत के छेद पर टिका कर बोली- ले लो मेरी जान … ये चूत तुम्हारी ही तो है.
उसके बाद क्या होने वाला था, उस से हम दोनों अनजान थे.
दीपक के लंड का रस अभी तक मेरी चूत से निकल ही रहा था तो इतना चिकनी हो चुकी थी मेरी चूत कि अब मेरी फटने वाली थी.
और मैं ये सोच कर अनजान थी, खुश थी कि जो अभी कुछ देर पहले हुआ था, वही दोबारा होगा.
दीपक का लंड भी पूरा चिकना हो चुका था, एक जरा से धक्के से ही उसका आधा लंड मेरी चूत में समा गया. और मैं फिर से दर्द से छटपटाने लगी, और जलन फिर से शुरू हो गयी.
मुझे लग रहा था कि दीपक 2 – 4 धक्के और मारेगा और फिर उसका लंड और वो दोनों शांत हो जायेंगे. इसलिए मैं थोड़ा निश्चिंत भी थी. इसलिए उसके धक्के को रोकने की कोशिश नहीं की.
अब जैसे ही दीपक ने अगला धक्का मारा, उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था. दीपक का मुंह मेरे मुंह पर था तो आवाज मुंह के अन्दर ही रह गयी. उसने अपने दोनों बाजू मेरे गले में डाल रखी थी तो मैं ऊपर की तरफ भी नहीं हट पा रही थी, मेरे आंसू बह रहे थे.
दीपक ने अपने लंड को मेरी चूत में थोड़ा हिलाया और दीपक अपने धक्के मरने में व्यस्त हो गया.
उसके 10 – 12 धक्कों के बाद मुझे दर्द में थोड़ा राहत मिलने लगी थी और थोड़ा अच्छा भी लगने लगा था. लेकिन 15 – 20 धक्कों के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और वो फिर से झड़ गया और उसने मेरी चूत को फिर से अपने लंड के रस से भर दिया.
वो मेरे ऊपर फिर से एक बार निढाल हो गया और मेरे ऊपर ही लेट गया. उसका लंड ढीला हो कर धीरे धीरे मेरी चूत से बाहर आ गया.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था. सहेलियों से चुदाई के जिस मजे के बारे में सुना था, वैसा तो कुछ महसूस नहीं किया मैंने! सिर्फ दर्द और सिर्फ दर्द!
दूसरी बार में जब थोड़ा सा मजा आना भी शुरू हुआ था, तब तक दीपक झड़ चुका था.
मैं समझ गयी थी कि हम दोनों चुदाई में नए खिलाड़ी थे. अब मुझे ही थोड़ी समझदारी दिखानी होगी.
ये सब मैं सोच ही रही थी कि 20 मिनट के बाद तब तक दीपक का लंड फिर से तैयार हो चुका था. वो लंड को चूत में डालने की कोशिश करने लगा.
मैंने उसे रोका और कहा- दीपक रुको जरा! हमें थोड़ी बात करनी चाहिए. वो बोला- क्या हुआ अंजू? मैंने कहा- देखो दीपक, इस तरह से तुम जल्दबाजी दिखा रहे हो, तो तुम्हारा बहुत जल्दी झड़ जा रहा है. हमें थोड़े आराम से काम करना चाहिए!
वो बोला- बताओ मैं क्या करूँ? मैंने कहा- सबसे पहले तो लंड को चूत में डाल कर छोड़ दो ताकि मुझे दर्द से थोड़ा आराम मिले!
वह बोला- ठीक है.
दीपक ने जल्दी से लंड को चूत के छेद पर टेका और इस बार एक ही झटके में पूरा लंड चूत में डाल दिया. मेरी आवाज निकल गयी.
मैंने फिर उसे टोका- दीपक जल्दबाजी मत करो; मैं कही भागी नहीं जा रही हूँ; आराम से चूत का मजा लो, और मुझे भी लंड का मजा लेने दो.
फिर वो थोड़ा शांत हुआ और लंड को मेरी चूत में डाल कर आराम से मेरे ऊपर लेट गया. वो मेरे चूचे चूसने लगा, मेरे बदन को छूने और मसलने लगा.
थोड़ी देर में उसका हाथ मेरी चूत पर पहुँचा और उसने मेरे दाने को छेड़ा. मुझे मजा आने लगा था.
इसी तरह वो मेरी चूत के दाने को मसलता रहा और मेरे चूचे चूसता रहा. थोड़ी ही देर में मैं आनंद की उड़ान उड़ने लगी और मेरा बदन अकड़ने लगा.
दीपक को भी मजा आ रहा था. मैं अपनी कमर को खुद ही हिला रही थी जिससे दीपक का लंड मेरी चूत में अन्दर ही अन्दर हिल रहा था.
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था.
मेरी अकड़न तेज होती गयी और मैंने अपनी जिंदगी का पहला चरम सुख अनुभव किया. 4 – 5 झटकों के साथ मेरा शरीर निढाल हो गया.
दीपक का लंड अभी भी मेरी चूत में था. वो समझ चुका था कि मैं झड़ गयी हूँ.
उसने कहा- तुम्हारा काम तो हो गया … क्या मैं अब अपना काम भी कर लूँ? मैंने कहा- हाँ करो; लेकिन आराम से ही करना और धीरे धीरे ही करना.
दीपक ने बड़े कायदे से धीरे धीरे धक्के मारना शुरू किये. अब उसे भी चूत का असली मजा आ रहा था.
धक्के मारते मारते वो कभी मेरी चूत के दाने को मसल देता, कभी मेरे चूचों पर काट लेता. वो मस्ती में पागल हो रहा था.
अब यह मस्ती मुझ पर भी चढ़ने लगी और मैं भी धक्के मारने में दीपक का साथ देने लगी.
15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपनी गति बढ़ा दी. अब हम दोनों सातवें आसमान में थे, और पूरे जोरों से चुदाई का मजा ले रहे थे.
मुझे महसूस हुआ कि दीपक का लंड अभी भी लगभग 1 इंच बाहर ही रह जा रहा था.
मैंने दीपक को रुकने का इशारा किया और अपने सर के नीचे से तकिया निकाल कर मेरी गांड के नीचे तकिया लगाने को कहा. दीपक ने वैसा ही किया. और फिर से हम चुदाई करने लगे.
दीपक का लंड अब पूरी गहराई तक जा रहा था. उसका लंड अब मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे मुझे और ज्यादा मजा आने लगा.
10 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों का शरीर अकड़ने लगा. मेरी चूत में भरा हुआ दो बार का दीपक का रस और मेरा भी रस मिल कर मलाई बन चुका था.
चुदाई में पट पट की आवाज आने लगी. दीपक भी पूरी ताकत से धक्के मार रहा था और मैं भी पूरे जोर से अपनी कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी.
मेरा शरीर इतना अकड़ रहा था कि मैंने जोश में कब दीपक की पीठ पर नाख़ून मार दिए, मुझे पता ही नहीं चला. और दीपक ने मेरे गाल पर काट लिया था.
हम दोनों एक साथ झड़े, 4-5 धक्कों के साथ … मानो इस शरीर से आत्मा निकल गयी, इतना हल्का महसूस हो रहा था.
उसका लंड मेरी चूत में रस उडेलता रहा और वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गया. हम दोनों इसी स्थिति में कब सो गये हमें पता ही नहीं चला.
सुबह 4 बजे जब चिड़ियों की आवाज मेरे कान में पड़ी तो मेरी आंख खुली और मैंने देखा कि दीपक मेरे सीने से एक बच्चे की तरह चिपका हुआ था.
मेरी चूत से रस बह कर गद्दा ख़राब हो गया था.
मैंने उठ कर देखा तो खून के धब्बे भी दिखे. दीपक मेरी सील तोड़ने का मजा ले चुका था.
मेरी हलचल से दीपक की भी आंख खुल गयी. सुबह सुबह उसने मुझे बांहों में भर लिया और बोला- नीचे चलने से पहले एक बार चुदाई और हो सकती है. अभी सिर्फ 4 बजे हैं.
मैंने भी टांगें फैला कर उसकी बात को सहमति दी.
दीपक का हाथ तुरंत मेरी चूत पर गया. अब वो जान गया था कि उसे क्या करना है.
उसने फालतू समय बर्बाद न करते हुए सीधा मेरी चूत के दाने को मसलना शुरू कर दिया. चुदाई का सिलसिला फिर से शुरू हो चुका था.
अब मैंने भी दीपक के लंड को पकड़ लिया. अब मुझे उसका लंड अच्छा लग रहा था. मैं भी उसके लंड को आगे पीछे कर रही थी. मैंने कहा- दीपक, अपनी रानी को अब ज्यादा मत तड़पाओ और अब आ जाओ और ये लंड डाल दो मेरी चूत में!
दीपक ने लंड को चूत पर सेट करके अन्दर डालना शुरू किया. दर्द था … मगर रात जितना नहीं था.
कुछ ही पलों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था. 20 मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद हमने अपने कपड़े पहने और अपने अपने कमरे में जा कर सो गये.
मैं अगले दिन 10 बजे तक सोती रही. जब जागी तो मेरा पूरा बदन दर्द हो रहा था और मेरी चूत का हाल बुरा था. मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था.
फिर भी मैं सामान्य तरीके से ही पेश आ रही थी जिससे किसी को शक न हो जाये.
धीरे धीरे दिन बीत गया और रात होते ही दीपक का फिर से फ़ोन आया कि रात को छत पर आ जाना. मैंने कहा- दीपक, मेरी हालत ठीक नहीं है, मैं नहीं आऊँगी. वो बोला- आ जाओ, चुदाई नहीं करेंगे.
मैंने उसकी बात मान कर छत पर आने के लिए हामी भर दी.
आपको मेरी पहली चुदाई कहानी में मजा आया होगा. मेरी कहानी को सुन कर मजा लें.
मुझे मेल से और कमेंट्स में बताएं.
[email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000