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मेरी पहली चुदाई की कहानी के प्रथम भाग मेरी मासूमियत का अंत और जवानी का शुरुआत-1 में आपने पढ़ा कि मैं अपनी सहेली के उकसाने पर उसी के एक दोस्त के पास अपनी पहली चुदाई करवाने को चली गयी.
लगभग दो मिनट तक मुझे किस करने के बाद उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने आँखें खोली, अब मेरा डर निकल चुका था और मैं मुसकुराते हुए नीचे देख रही थी। हर्षिल बोला- यार तुम इतनी मासूम सी हो दिखने में … कि ज़बरदस्ती करने का दिल नहीं कर रहा। और मैं मुस्कुरा दी।
फिर हर्षिल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कच्छे पे रख दिया। अंदर तो उसका लण्ड खड़ा हो गया था; मेरी तो हथेली में भी नहीं आ रहा था। मैंने चौंक के उसको देखा तो वो मुस्कुराने लगा और कहा- यही तुम्हारी चुदाई करेगा। मैंने डरते हुये कहा- ये तो अभी से बहुत बड़ा महसूस हो रहा है। उसने बोला- ये लो पूरा देख लो! और अपना कच्छा नीचे उतार दिया।
अब मेरे सामने एक लंबा तगड़ा लड़का पूरा नंगा खड़ा था और मैं आश्चर्य से उसके शरीर और काले मोटे लण्ड को देख रही थी। मैं खुश भी थी और हैरान भी! उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ में लण्ड रख दिया। मुझे बड़ी गुदगुदी सी हुयी और हाथ पीछे कर लिया।
हर्षिल बोला- डरो मत, इसे पकड़ो और सहलाओ। वो सोफ़े पे टांगें खोल के बैठ गया और मुझे अपने पास बुला कर घुटनों के बल कार्पेट पे बैठा दिया।
मैंने उसका लण्ड हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। उसका लण्ड तन के और सख्त हो गया और पूरा लण्ड जोश में उफान मार रहा था जैसे कोई साँप हो। हर्षिल ने बोला- हाथ से तो मैं भी सहला लेता हूँ, तुम इसे किस करो। मैंने घूर के उसको देखा और कहा- छीः! हर्षिल बोला- छीः नहीं बेबी, होंठों से किस करो टोपे को लण्ड के।
मैंने धीरे से उसके लण्ड के टोपे को किस किया तो वो झटका सा ले गया। हर्षिल ने जोर की आह भरी, मैं समझ गयी इससे और जोश आ रहा है इसे। हर्षिल ने कहा- फिर से करो ऊपर से किस। मैं जैसे ही किस करने के लिए झुकी, उसने मेरा सिर पीछे से दबा दिया और आधे से ज्यादा लण्ड मेरे मुंह में चला गया.
उसका लण्ड उफान मार रहा था और हर्षिल ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स’ करने लगा। मुझे बड़ी घिन्न सी आ रही थी शुरू में … पर फिर अच्छे से चूसने लगी. हर्षिल तो सातवें आसमान पे था, बोला- कितनी बार तुम्हारी फोटो देख के अपने लण्ड को बेवकूफ बनाया है, आज सच में तुम्हारे होंठों के बीच में है। लगभग 3-4 मिनट चूसने के बाद मैंने लण्ड मुंह से बाहर निकाला, वो मेरे थूक से चिकना हो गया था।
अब बारी मेरी थी, हर्षिल ने कहा- अब शरमाना कैसा? अपनी ब्रा और पैंटी उतार दो। मैं उठी और खड़ी हो गयी, मैंने कहा- ये काम तुम करो। हर्षिल की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और उसने पकड़ के खींच ली और पीछे फेंक दी।
वो मेरे गोरे और मोटे बूब्स को देख के पागल सा हो गया और मैं हल्का सा शरमा रही थी। वो मेरे पास आया और मेरे बांयें बूब को हाथ में भर के भींच दिया. मैं कसमसा गयी और उसे देखने लगी। वो बोला- ऐसे क्या देख रही है? मैंने कहा- आराम से दबाओ। वो हंसने लगा और फिर उसने मेरे दोनों बूब्स ज़ोर से भींच दिये. मैं दर्द से तिलमिला उठी, मैंने उसके हाथ हटा दिये। फिर उसने कहा- बुरा मत मानो, इसी में तो मजा है। और धीरे धीरे हाथ से मसलने लगा.
मेरे बूब्स कठोर होते चले गए और मुझे भी मदहोशी सी होने लगी। तभी उसे पता नहीं क्या शरारत सूझी उसने मेरे निप्पल अपनी उँगलियों से मसल दिये ज़ोर के … और मैं चिल्ला पड़ी दर्द से। वो हंसने लगा। मैंने गुस्से से कहा- आराम से करना है तो करो, वरना मैं चलती हूँ! और मुंह फेर के खड़ी हो गयी।
हर्षिल पीछे से आया और मेरे बूब्स को पकड़ को आराम आराम से दबाने लगा और बोला- सॉरी बेबी! मैं सिसकारियाँ लेने लगी, अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा था, मैं उसका पूरा साथ देने लगी।
उसने मुझे सोफ़े पे बैठने को कहा तो मैं बैठ गयी, वो मेरे पास आया और मेरे घुटने पकड़ के मेरी टाँगें एकदम से खोल दी और पैंटी को पकड़ के एक झटके में उतार के फेंक दिया। अब उसके सामने मेरी कुँवारी चूत थी, आधे मिनट तक तो वो देखता ही रहा, मैंने कहा- ऐसे क्या देख रहे हो? वो बोला- क्या चीज़ बनाई है खुदा ने, इससे पहले ऐसी खूबसूरत चूत नहीं देखी, जितनी भी मारी है सब खुली हुई थी। मैंने कहा- इसे भी तुम्हें ही खोलना है … पर प्यार से। उसने कहा- इस चूत का तो भोसडा बना दूंगा जानेमन, तुम देखती जाओ। मैं शरमा के मुस्कराने लगी और नीचे देखने लगी।
वो मेरी चूत के पास आके सूंघने लगा और कहा- क्या खुशबू है! और फिर किस करने लगा।
मुझे तो मानो जन्नत का सुख मिल गया हो, मैं ‘स्ससस स्सश सश्शसस उम्म म्म’ करने लगी। अब हर्षिल अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा और जीभ अंदर बाहर करने लगा। मैं ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी। करीब 3-4 मिनट तक वो मेरी चूत चाटता रहा और मैं उसका सिर अपनी चूत पे दबाती रही। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। अब वो समझ गया कि मैं लंड लेने के लिए तैयार हूँ। मैंने कहा- ऐसे ही लगे रहोगे या डालोगे भी? प्लीज डालो न … प्लीज प्लीज प्लीज डाल दो अब तो!
अब मेरी सील टूटने ही वाली थी।
हर्षिल खड़ा हुआ और बोला- चलो बेडरूम में चलो, मैं सबको वहीं चोदता हूँ। उसने मेरा हाथ पकड़ा और बेडरूम में ले आया।
उसने कहा- कैसे डालूँ … सामने से या पीछे से? मैंने कहा- सामने से डालो, मैं सील टूटते हुए तुम्हें देखना चाहती हूँ।
उसने मुझे लिटाया बेड पर और मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया चूत ऊपर करने को। अब नज़ारा मेरे सामने था। मेरी गोरी और चिकनी टाँगें खुली हुई थी और सामने था लंबा तगड़ा हर्षिल अपने 7 इंच के लन्ड को सहलाते हुए।
वो मेरे ऊपर आया और मेरी चूत पे अपने लण्ड का मुंह रख के रगड़ने लगा। मेरी हालत जोश से खराब हो रही थी और वो मुस्कुरा के मजे ले रहा था। मैंने कहा- प्लीज डाल दो। उसने उँगलियों से मेरी चूत का द्वार हल्का से खोला और लण्ड घुसाने की कोशिश करने लगा, सिर्फ लण्ड का ऊपरी हिस्सा ही लगाया था।
क्योंकि लण्ड बड़ा था तो मुझे शुरू में हल्का सा दर्द होने लगा। मैंने कहा- रुको रुको … दर्द सा हो रहा है। उसने कहा- अभी से दर्द हो रहा है अभी तो सील भी नहीं टूटी। और इतना कह के उसने और हल्का सा लण्ड अंदर डाला।
अब दर्द तेज़ होने लगा तो मैं ‘श्शस्स स्सस स्सस’ करने लगी और कहा- अब रुक जाओ, बहुत तेज़ दर्द हो रहा है। उसने मेरा साथ देते हुए लण्ड बाहर निकाल लिया और कहा- क्या हुआ सील तुड़वानी है या नहीं? मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
वो फिर डालने की कोशिश करने लगा और मुझे दर्द होने लगा तो मैंने हाथों से उसकी छाती को धक्का देते हुए फिर पीछे धकेल दिया। वह गुस्सा हो गया और कहने लगा- ऐसे कैसे चोदूंगा मैं? मैंने कहा- यार, बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज अभी रुक जाओ। उसने कहा- एक मिनट रुक! और बाहर चला गया।
वापस आया तो उसके हाथ में नारियल तेल की बोतल थी, उसने कहा- इससे चिकना कर देता हूँ, फिर आराम से घुस जाएगा। मैंने कहा- ठीक है। उसने मेरी चूत पे तेल डाला काफी सारा और हाथ से मालिश सी करने लगा। मेरी चूत और टाँगें सब चिकनी हो गयी और चमकने लगी।
अब हर्षिल से भी रुका नहीं जा रहा था, वो मेरे ऊपर आया और मेरे हाथ फैला के कहा- थोड़ा सा दर्द सहन कर लो, फिर मजा आने लगेगा। मैंने सिर हिला के हामी भर दी.
उसने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया तो मेरी दर्द से जान निकालने लगी, मैंने कहा- प्लीज रुको रुको! तो हर्षिल ने कहा- मुझे माफ करना! फिर उसने मेरे मुंह को हाथ से ज़ोर से दबाया और एक झटके में पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। चिकनी चूत होने की वजह से लण्ड मेरी सील तोड़ता हुआ पूरा अंदर चला गया। मुझे ज़ोर से दर्द हुआ और झटका सा लगा, चूत पहली बार चुदी थी तो उसे भी डालने में दिक्कत हुई।
मैं दर्द से छटपटा रही थी और उसने लण्ड अंदर ही डाले रखा और मेरे ऊपर लेट गया। मैं ‘उम्म उम्मह उम्मह …’ कर रही थी और वो ज़ोर से सांस ले रहा था। मेरी भी सांस तेज़ हो गयी थी। फिर उसने मेरे मुंह से हाथ हटाया तो मैंने कहा- प्लीज निकालो, मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा … बस दर्द हो रहा है। उसने कहा- रुको निकलता हूँ।
फिर उसने लण्ड निकाला और तुरंत झटके के साथ दुबारा डाल दिया और फिर लण्ड अंदर बाहर करने लगा। हर बार लण्ड अंदर बाहर होने से मुझे झटके लग रहे थे, मेरा पूरा शरीर ऊपर नीचे हिल रहा था। मेरी आँखों में आँसू थे और बहुत दर्द हो रहा था। पर हर्षिल रुकने का नाम नहीं ले रहा था; ‘हम्म हम्म हम्म हम्म …’ आवाज कर रहा था, उसे भी बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी चोदने में।
उसने कहा- थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लो, अभी धीरे धीरे मजा आना शुरू हो जाएगा। मैं गीली आंखों से उसकी आँखों में देखती रही और ‘स्सस्स श्सश स्सस्स …’ करती रही और वो लण्ड को अंदर बाहर अंदर बाहर कर धक्के मारता रहा। मैंने अपने होंठ दाँतों से दबा रखे थे और दर्द सह रही थी। फिर उसने लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया और हाँफने लगा। मैं भी हाँफ रही थी।
अब मेरा दर्द कम होने लगा था, मैंने उठ के देखा तो उसका लण्ड मेरे खून से सना हुआ था और मेरी चूत पे भी खून था, कुछ बूंदें चादर पे भी पड़ी थी. उसने कहा- मुबारक हो … अब तुम्हारी चुत कुँवारी नहीं रही। मैंने साइड में पड़े टिशू पेपर से खून साफ किया और शीशे में देखा, चूत का दरवाजा खुल चुका था।
हर्षिल ने अब मुझे बेड पे बुलाया और घोड़ी बनने को कहा और कहा- शीशे की तरफ मुंह कर लो। मैं शीशे की तरफ देख के घोड़ी बन गयी। उसने कहा- अब अपने आप को चुदते हुए देख! और हर्षिल पीछे से आकर मेरी चूत पे लण्ड रगड़ने लगा।
मुझे बैचनी सी होने लगी और फिर उसने एक झटके में अपना लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। अब भी हल्का सा दर्द हुआ तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी। उसने कहा- अब डरो मत, अब मजा आयेगा. और उसने ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने शुरू कर दिये। मेरे टाइट बूब्स हर धक्के के साथ हिल रहे थे और मैं खुद को शीशे में चुदते हुए देख रही थी।
हर्षिल की आंखें बंद थी और वो ऊपर देख कर धक्के मारे जा रहा था। अब दर्द का वक़्त गुज़र चुका था और मजा आने लगा था। उसका लण्ड मेरी चूत के जी स्पॉट यानि दाने पे रगड़ मार रहा था और मेरे सुख की सीमा नहीं रह गयी थी, मैं भी ‘आह आह आह …’ कर रही थी और पूरे मजे ले रही थी, खुद को ऐसे चुदते हुए देख के मेरी मुस्कुराहट देखने लायक थी। हर्षिल ने भी मुझे मुसकुराते हुए देखा तो कहा- क्यूँ डार्लिंग मजा आ रहा है न? मैंने कहा- हाँ, बहुत आ रहा है, बस अभी झड़ना मत। उसने कहा- चिंता मत करो … तुम्हें झाड़े बिना नहीं झड़ूँगा.
उसने मेरे बाल पीछे से पकड़े और पीछे खींचे और फिर बोला- ले बहन की लोड़ी और ले … और ज़ोर ज़ोर से ‘आह आह आह …’ करते हुए धक्के मारे जा रहा था। मैंने सोचा नहीं था इस दर्द में भी मजा आएगा, मैंने भी कहा- आह आहह आहह आहह … और चोद भोसडी के ज़ोर ज़ोर से! यह सुन के तो तो मानो उस पे भूत सवर हो गया हो और वो धक्के पे धक्के पे मारने लगा, उसकी सांस फूलने लगी। मेरी भी सांस फूलने लगी।
उसने लण्ड निकाला और साइड में उतर गया। मैंने कहा- क्या हुआ? थक गए? उसने कहा- मैं तो तुझे मासूम सी लड़की समझता था पर तू तो पूरी रांड निकली। इतनी आग लगी है तुझे कि मुझे सांस भी नहीं लेने दे रही। मैं हंसने लगी और कहा- अच्छा सांस ले लो, मैं भी पानी पी लूँ।
फिर मैंने पानी पिया और उसे भी दिया।
मैंने कहा- अब चोदोगे भी? या बस हो गया? उसने कहा- चोदता हूँ, चल सोफ़े पे चल! हम दोनों बाहर के कमरे में आ गए। उसने मुझे सोफ़े पे लिटाया और टाँगें खोल दी। अब उसने मेरी चुत पे किस किया और फिर शरारत में लण्ड थोड़ा सा घुसाया और निकाल लिया, फिर थोड़ा सा घुसाया और निकाल लिया।
मैंने कहा- ये क्या कर रहे हो, प्लीज पूरा डालो न! उसने कहा- डाल तो रहा हूँ! मुझे गुस्सा आया और मैंने उसकी गांड पे हाथ रख के पूरा लण्ड अंदर धकेल लिया अपनी चुत में। वो हंसने लगा और मैं आहें भरने लगी.
उसने कहा- पहली बार में ही इतनी आग चुदने की? मैंने कहा- चुपचाप चोदते रहो! और वो धक्के मारने लगा, पूरा कमरा हम दोनों की सिसकारियों से भर गया। सोफा ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था।
लगभग 15-20 मिनट लगातार चुदने के बाद मुझे अजीब सी गुदगुदी सी होने लगी, मेरा शरीर काँपने लगा और साँसें तेज़ होने लगी। हर्षिल समझ गया कि मैं झड़ने वाली हूँ तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
मैं ‘आह आह आह उम्म उम्म म्म…’ करके ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी.
और अचानक मेरे पूरे शरीर में अकड़न सी हुई और काँपती टाँगों के साथ मैं एक ज़ोर की ‘आअअअह …’ के साथ फच फ़च करके झड़ गयी। मैं हर्षिल को अपने नंगे बदन से अलग कर दिया और ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी। मेरे होंठों पे पहली चुदाई और झड़ने की खुशी थी।
हर्षिल ने कहा- अब मुझे भी तो झड़ने दो। मैंने मुसकुराते हुए सिर हाँ में हिला दिया। उसने मेरी गीली चूत में लण्ड डाला और धक्के मारने लगा। वो भी ‘आह आह आह आह … सुहानी आह … सुहानी बस बस आह आह सुहानी …’ कह के फच फच करके मेरी चुत में ही झड़ गया और मेरे ऊपर ही गिर गया।
हम लोग कुछ देर इसी नंगी हालत में एक दूसरे पे पड़े रहे और सांस नॉर्मल होने तक ऐसे ही रहे। मैंने कहा- अब उतरो … अब देख तो लेने दो कि तुमने मेरी चूत का क्या हाल करा है।
वो हटा तो उसका लण्ड पतला हो चला था और उसके वीर्य और मेरी चुत के पानी से सना हुआ था और थोड़ा वीर्य भी टपक रहा था। मैंने अपनी चूत का जायजा लिया तो सब गीला हो गया था और काफी चौड़ी हो गयी थी. और होती भी क्यूँ न … उसका 7 इंच का लंबा मोटा लण्ड अपना काम कर चुका था।
फिर हम दोनों करीब 2 घंटे कमरे में नंगे ही बैठे रहे और बात करते रहे। उसके बाद हम दोनों बाथरूम में एक साथ गए और नहाने लगे। उसने मेरे खूबसूरत गोरे नंगे जिस्म पे पानी की बूंदें फिसलती देखी तो उसका लण्ड फिर खड़ा होने लगा और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।
मेरे अंदर फिर चुदने की चाहत जाग गयी, मैंने कहा- दुबारा चोदोगे? तो उसने तुरंत खड़े खड़े मेरी चूत में लण्ड ठोक दिया। मैं सीईईई की आवाज के साथ उसकी बांहों में गिर गयी। उसने मुझे बाथरूम की दीवार से सटाया और मेरी चुदाई करने लगा। मेरे मुंह से चुदने की सिसकारियाँ निकाल रही थी, मेरे मुंह से ‘आहह आहह आहह …’ की आवाज निकाल रही थी, बाथरूम में मेरे चुदने की और लण्ड के चूत पे और गीले जिस्म से गीले जिस्म के टकराने की पट पट पट पट की आवाज गूंज रही थी। मुझे दूसरी बार चुद के बहुत मजा आ रहा था।
फिर उसने बोला- घूम जाओ। तो मैं दीवार की तरफ घूम गयी और उसने पीछे से चूत में लण्ड डाल के मुझे चोदना शुरू कर दिया।
लगभग 15 मिनट चोदने के बाद फिर मैं कम्पकापती हुई तेज़ आह के साथ झड़ गयी। पर वो चोदता रहा और थोड़ी देर बाद वो भी चूत में ही झड़ गया।
हम दोनों फिर शावर में एक साथ नहाये, नहा के बाहर आए। उसने कहा- अभी कपड़े मत पहन ना! मैंने कहा- अब क्या तीसरी बार भी चोदोगे आज ही? उसने बोला- अच्छा ठीक, अगली बार चोद लूँगा पर नंगी ही रहो। मैं मुस्कुरा दी और फिर हम शाम तक नंगे ही रहे उसके फ्लैट में।
फिर शाम को मैंने और उसने अपने कपड़े पहने और मैं वापस हॉस्टल जाने के लिए तैयार हो गयी। इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे चलने तक में भी दिक्कत हो रही थी। तब हर्षिल ने खाना ऑर्डर किया और हमने खाना खाया।
थोड़ी देर बात की, मैंने हर्षिल से कहा- प्लीज, इस बारे में कॉलेज में किसी को न बताना, वरना मेरी क्यूट और मासूम लड़की वाली इमेज खराब हो जाएगी। उसने कहा- चिंता मत करो, यह राज हमारे बीच ही रहेगा। फिर हमने एक दूसरे को एक लंबी किस दी। हर्षिल ने मोबाइल से कैब बुलवायी.
थोड़ी देर में कैब आ गयी और मैं चुपचाप हॉस्टल आ गयी।
अपने रूम पे पहुँच कर मैंने गेट खटकटाया, तन्वी ने दरवाजा खोला और मैं अंदर कमरे में चली गयी। तन्वी ने पूछा- इतना लड़खड़ा के क्यूँ चल रही है? लगता है आज ये कच्ची कली फूल बन के आयी है और खूब अच्छे से चुदी है आज। तो मैंने कहा- पूछ मत यार … मेरी चूत की कली को उस साले ने चोद चोद के फूल ही नहीं भोसडा बना दिया और सब कुछ दुख रहा है, पर मजा भी बहुत आया, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया आज तक।
फिर हम दोनों सहेलियां हंसने लगी और थोड़ी देर बाद सो गई। मैंने अगले दिन भी कॉलेज बँक मारा क्योंकि ठीक से चला नहीं जा रहा था।
उम्मीद है आप सबको मेरी पहली चुदाई की कहानी पसंद आई होगी। प्लीज अपने कमेंट्स मुझे नीचे मेल करके बतायें! धन्यवाद. [email protected]
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