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यह कहानी उस समय की है, जब मैं 21 साल का था. हम अपने गांव में रहते थे. मैं मेरे माँ बाप का इकलौता बेटा हू्ँ. गांव में हमारा एक बहुत बड़ा खेत है, जिसमें हम फल और सब्जियां उगाया करते थे. इन सब्जियों को हम पास के बाज़ार में बेच देते थे. इसी से हमारे घर का गुजारा चलता था.
परिवार की आर्थिक हालत अच्छी न होने से मैंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पिताजी की खेत के काम में मदद करने लगा. दिन भर खेत में काम करने के बाद हम रात को खाना खाकर सो जाते थे.
एक रात गर्मी की वजह से मेरी नींद खुल गयी. अपने बिस्तर से उठकर जब मैं पानी पीने जा रहा था कि मुझे बगल वाले कमरे से कुछ आवाज आ रही थी. मैंने खिड़की से झाँककर देखा तो देखता ही रह गया. मेरी माँ चारपाई पर बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और मेरे पिताजी माँ की चूत में उंगली कर रहे थे. माँ जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी. क्या बदन था मेरी माँ का. मैं अपने जीवन में पहली बार अपनी नंगी माँ को देख रहा था, शीशे जैसा चमकीला बदन, बड़े बड़े चुचे और गुलाबी चूत.
यह सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने बाथरूम में जाकर माँ के नाम की मुट्ठी मारी.
उस दिन के बाद से मेरा माँ को देखने का नजरिया बदल गया. मुझे अपनी माँ सेक्सी लगने लगी. जब वो आंगन में झुककर झाड़ू लगाती थी तो मैं उसकी गांड देखकर बेकाबू हो उठता था. ऐसा मन करता था कि उसे पकड़कर जी भर के उसकी गांड मारूं … पर डर के कारण कुछ नहीं कर सका.
अब मेरा काम में मन नहीं लगता था. मैं दिन भर माँ के ख्यालों में खोया रहता था. पिताजी रोज माँ को चोदते थे और मैं रोज उनके नाम की मुट्ठी मारता था. यकीनन मुझे अपने पिताजी से जलन होने लगी कि उनको इतना अच्छा माल चोदने को मिला है. धीरे-धीरे समय बीतता गया और मेरी माँ को लेकर चाहत बढ़ती चली गयी.
तभी हमारे गांव में एक महामारी फैल गयी और मेरे पिताजी इस महामारी में चल बसे. अब मेरे घर में मैं और माँ ही बचे थे पिताजी की मौत के कारण खेत का काम मेरे सिर पर आ गया. हालांकि अब माँ ने भी मेरा हाथ बंटाना चालू कर दिया. एक दिन हम खेत पर काम कर रहे थे कि माँ की साड़ी का पल्लू झाड़ में अटक गया और मुझे ब्लाउज के ऊपर से उसके चुचे दिखने लगे. यह सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैंने सोच लिया कि चाहे कुछ हो जाए, मैं माँ को चोदकर ही रहूंगा.
मैंने एक तरकीब सोची. मेरी माँ ताँत्रिक जैसी चीजों में बहुत विश्वास करती है. मैंने इसी बात का फ़ायदा उठाकर एक चलते फिरते बाबा को पटाया और उसे कुछ रुपया देकर अपनी बात समझायी.
अगले दिन ही तांत्रिक हमारे घर पर आया और आवाज देने लगा- बाहर निकल बालिके बाबा आये हैं. माँ ने आवाज़ सुनी और दौड़कर बाहर गयी- प्रणाम बाबा … धन्य हो गयी मेरी कुटिया जो आप पधारे, कृपा करके अन्दर पधारें.
मेरे बताये अनुसार तांत्रिक कहने लगा- हम यहां बैठने नहीं आये हैं, तेरे परिवार पर घोर विपदा आने वाली है. यदि इसका निदान नहीं किया तो तेरे बेटे की मृत्यु हो जाएगी. माँ घबरा गयी और रोने लगी.
तब तांत्रिक ने कहा- रो मत बालिके तेरी परेशानी का हल है मेरे पास, पर तुझे इसके लिये कठिन कष्ट होगा. माँ ने कहा- आप बस बतायें कि मुझे क्या करना होगा. तांत्रिक ने कहा- तुझे अपने बेटे से शादी करनी होगी और इसको जीवन भर इसको पति के हर सुख देने होंगे. माँ चिल्लाकर बोली- यह आप क्या कह रहे हैं. ऐसा कैसे हो सकता है, यह मेरा बेटा है. तांत्रिक गुस्से में बोला- यदि तूने ऐसा नहीं किया, तो तेरे बेटे की मृत्यु निश्चित है. माँ डर गयी और बोली- मुझे माफ कर दो बाबा … मुझसे भूल हो गयी, मैं शादी करने के लिये तैयार हूं. तांत्रिक ने कहा- ठीक है हम कल तुम्हारी शादी करवा देंगे. यह कहकर तांत्रिक चला गया.
यह सब सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि कल से माँ मेरी हो जाएगी. अगले दिन तांत्रिक ने हमारी शादी करा दी. रात में हमारी सुहागरात थी.
मैं दारू पीकर लौटा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था. मैंने दरवाज़ा खोला तो अन्दर का माहौल देखने लायक था, पूरा कमरा फूलों से सजा था. माँ बिस्तर पर दुल्हन की तरह सजकर बैठी थी. मुझे देखकर वह खड़ी हो गयी और दूध का गिलास मुझे दे दिया और मेरे पैर छूने लगी. मैंने पूछा- माँ, मेरे पैर क्यूँ छू रही हो? तो वो बोली- आज से मैं आपकी माँ नहीं आपकी पत्नी हूं. एक पत्नी का काम होता है, पति की सेवा करना, मैं वही कर रही हूं. आप भी आज से मुझे पत्नी कहकर बुलाया करें.
यह सुनकर मैं बेकाबू हो गया, मैंने दूध का गिलास पिया और माँ को अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने उसकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया. उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया. वह भी जीभ चलाकर मेरा साथ दे रही थी. दस मिनट तक लंबे चुम्बन के बाद मैंने उसकी साड़ी को निकाल फेंका और ब्लाउज को उतार दिया. अब उसके चुचे मेरे सामने थे. मैं उन्हें मुठ्ठी में भरकर दबाने और चूसने लगा. माँ छटपटाने लगी.
फिर धीरे-धीरे मेरा हाथ माँ की चूत के पास तक चला गया. अब माँ की चूत के बाहर बड़ी-बड़ी झांटें थीं. फिर जब मेरा हाथ माँ की झांटों वाली चूत के पास गया, तो माँ ने अपने दोनों पैरों को फैला लिया. अब मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था. मैंने अपनी जीभ से चूत चूसने लगा. माँ सिसकारियां ले रही थी.
अब मैंने मेरा 7 इंच का लंड माँ की चूत की फांकों में रख कर धक्का लगा दिया और पूरा लंड चूत में घुसा दिया. माँ की चूत काफी दिन से न चुदने के कारण टाईट हो गई थी. वो हल्के से कराह उठी.
फिर मैंने कस-कसकर अपनी माँ की चूत को अपने लंड से पेलना शुरू किया. अब माँ की चूचियों से अपने आप दूध जैसा कोई रस सा निकलने लगा था. तो मैं माँ की चूचियों का दूध पीते हुए माँ की चूत को पेल रहा था.
इस वक्त माँ को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो मुझे जोश दिला रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पेलो राजा, मेरे सैयां, चोदो मेरे बलम, फाड़ दो मेरी चूत को राजा.. आहहहह बेटा..
मैं अपने होंठों को माँ के होंठों से सटाकर उनके होंठों को चूसते हुए माँ की चूत को पेल रहा था. मेरी माँ भी नीचे से अपनी गांड को उछाल-उछालकर मेरे लंड से अपनी चूत को चुदवा रही थी. मेरा लंड माँ की चूत को खूब अच्छी तरह से चोद रहा था. माँ भी खूब मस्ती में चिल्लाकर अपनी चूत को चुदवाने लगी थी.
फिर कुछ मिनट के बाद माँ की चूत झड़ गयी लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था. मैंने माँ को घोड़ी बनाया और माँ से कहा- माँ, मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड पेल दूँ? माँ की गांड बड़ी और फूली हुई थी, वह बोली- मैंने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई.
फिर मैंने किसी तरह से उन्हें समझाकर राज़ी किया और माँ के दोनों चूतड़ को फैलाकर उनकी गांड के छेद को देखने लगा. माँ की गांड का छेद काफ़ी सिकुड़ा हुआ और कूल्हे उभरे हुए थे. माँ की गांड एकदम गोरे कलर की थी और अब मैं उनकी गांड के छेद को देखकर ललचा गया था और माँ की गांड को अपनी जीभ से चाटने लगा था. माँ भी मेरा सहयोग करने लगी थी और अब तो वो अपने हाथों से अपनी गांड को चीरकर अपनी गांड को फैलाकर चटवा रही थी.
फिर मैंने माँ की गांड में खूब अन्दर तक वैसलीन लगाई और अपने लंड पर भी लगाई और फिर अपने लंड को पकड़ कर माँ की गांड में पेलना शुरू किया. माँ थोड़ी कसमसाई, लेकिन वो भी गांड मरवाने के लिए तैयार थी.
फिर मैंने माँ की गांड के छेद में अपने लंड को ज़ोर से दबाकर घुसाया, तो मेरे लंड का सुपाड़ा वैसलीन की चिकनाई से अन्दर तक घुस गया. लंड घुसते ही माँ जोर से चिल्लाई- मेरी गांड फट जाएगी, बाहर निकाल लो ना. मैं बोला- माँ कुछ नहीं होगा.
इतना कहने के बाद मैंने ज़ोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड माँ की गांड को फाड़कर अन्दर तक घुस गया और फिर मैं धीरे-धीरे अपनी सगी माँ की गांड को मारने लगा. मैं माँ की गांड को कस-कस कर मार रहा था. इस वक्त माँ की कसी हुई गांड में मेरा लंड फँसकर जा रहा था. माँ को दर्द हो रहा था.
कुछ देर बाद दर्द खत्म हो गया. अब धीरे-धीरे माँ को भी मज़ा आने लगा था और वो भी अपनी गांड को मरवाने में मदद करने लगी थी. उनकी मस्त आवाजें निकलने लगी थीं- आह फाड़ दो राजा… और पेलो सैयां, आश ओह, उफ आउच पेलो राजा अपनी माँ की गांड को, चोदो मेरी चूत को राजा, अपने मोटे लंड से अपनी माँ की गांड को मारो राजा और कसकर मारो बेटा, आह उह.
मैं भी अपनी माँ की गांड को अपने मोटे लंड से पेल रहा था और माँ की टाईट गांड को ढीला कर रहा था. फिर मैं बोला- माँ मेरी जान तुम्हारी गांड मारने में बड़ा मज़ा आ रहा है … बड़े मस्त चूतड़ है तुम्हारे. माँ भी मस्त थी.
अब मेरा लंड झड़ने वाला था, तो मैंने झट से माँ की गांड से अपना लंड बाहर निकाला और माँ के मुँह में डाला और उनके मुँह में ही झड़ गया. माँ मेरे लंड का पूरा रस पी गई.
अब मैं माँ को रोज चोदता हूँ, हमारा एक बेटा भी हो गया है.
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