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नमस्ते दोस्तो, मैं राजीव खंडेलवाल जालना महाराष्ट्र में रहता हूँ. मेरी उम्र 40 साल है और शादीशुदा हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 3 इंच और हथियार 6 इंच का है. मेरी सेक्स लाइफ अच्छी चल रही है. आज मैं अपने साथ घटी एक घटना बता रहा हूं.
बात है दिसंबर 2016 की है, उस समय मेरी अपनी वाइफ से थोड़ी अनबन चल रही थी, तो हमारे बीच शायद 20-25 दिनों से सेक्स नहीं हुआ था. मुझे अपने रिश्तेदार के यहां पूना जाना पड़ा. मैंने सरकारी बस में जाने का फैसला किया.
मैं रात की 9 बजे की गाड़ी से निकला. बस में बहुत भीड़ थी, तो मुझे सबसे आखिरी वाली सीट मिली. आखिरी लाइन में भी खिड़की वाली सीट मिली, जिसका एक शीशा टूट हुआ था. सर्दी के कारण कोई उधर बैठना नहीं चाहता था. गाड़ी चूंकि पूरी भर गई थी, अब मैं अपने आप को कोसने लगा कि प्रायवेट गाड़ी से जाता तो अच्छा होता. आते वक्त मैंने कोई कम्बल या शॉल भी नहीं लिया था. मेरे बगल में 2 बूढ़े बैठ गए थे. बस निकल पड़ी.
खिड़की के टूटे हुए शीशे से जोर की हवा अन्दर आ रही थी. बुड्डों ने अपने कम्बल निकाल लिए. मैं तो ठंड से मरा जा रहा था. ऐसे में गाड़ी औरंगाबाद रुक गयी.. जो लोग उतरे उनकी जगह जो लोग खड़े थे, वो लपक कर बैठ गए. मैं फिर अपनी जगह फंस गया. मेरे बाजूवाले बूढ़े भी आगे चले गए थे. बस फिर चल पड़ी.
आगे एक घंटे के बाद बस एक ढाबे पर रुक गई और मैं भी नीचे उतरा. मेरी खाना खाने की इच्छा नहीं थी. बस टहल रहा था कि पास में एक जनरल स्टोर था. वहां पर शो-केस में कंडोम के पैकेट लगे हुए थे. उसे देखकर मेरे मन में हलचल होने लगी. वहाँ से 2-3 लोगों ने पैकेट खरीदे.
मैं उस दुकानदार के पास गया और उससे पूछा कि कोई जुगाड़ हो सकता है क्या? वह बोला- साहब, अकेले सफर कर रहे है क्या? मैंने हां में जवाब दिया.
उसने कहा- आज आपका नसीब अच्छा नहीं है. जो दो धंधेवाली आती हैं, साली आज वे भी नहीं आईं.. नहीं तो 300 रु में एक शॉट हो जाता. मैं अपने नसीब को कोसता रह गया. एक तो 25 दिन से प्यास नहीं बुझी थी. ऊपर से ठंड की हालत में लंड भी चुनमुन हो रहा था. मैं मन ही मन में अपनी बीवी के साथ वाले पल याद करने लगा और मेरा लौड़ा पैंट के अन्दर खड़ा हो गया.
मुझे जाने क्या सूझी, सोचा कि कंडोम लेकर बस में मुठ मारूँगा और कंडोम फेंक दूंगा. मैंने एक कामसूत्र का पैकेट ले लिया. साथ ही में उसके यहां से एक गर्म बड़ी सी शॉल भी ले ली और बस में आ गया.
बस अब चलने लगी थी. सिर्फ पीछे वाली लाइन में मैं अकेला था जबकि आगे पूरी बस भरी थी. आधे घंटे बाद सारे लोग सो गए. मैं अपने सेक्स की दुनिया के पल याद करते हुए अपना लौड़ा ऊपर से सहला रहा था कि अचानक बस रुक गयी. बाहर बहुत लोगों का शोर आ रहा था. शायद कोई दूसरी सरकारी बस फेल हो गई थी. उस बस वाले उन लोगों को हमारी गाड़ी में आगे भेज रहे थे. बहुत सारे लोग अन्दर आ गए और जहां जिसे जगह मिल गई, वे वहीं बैठने लगे. इतने में मेरे तरफ 10 से 11 लोग आ गए, सभी शक्ल से देहाती लग रहे थे. उनमें से 3-4 महिलाएं भी थीं. उनके साथ 2-3 बच्चे भी थे. सारे मर्द सीटों पर बैठ गए, अब जगह बची नहीं थी, तो औरतें नीचे पैरों के पास बैठ गयी. एक औरत मेरे पैरों के ठीक सामने बैठी. उसके बगल में 6 या 7 महीने का बच्चा होगा. उसके बाजू में 2 बूढ़ी औरतें बैठ गई थीं.
मुझसे तो हिलते भी नहीं बन रहा था. जो उनके मर्द थे, वे सारे शराब पिये हुए थे. बहुत बास आ रही थी. मेरे मन को बहुत बुरा लगा कि मर्द होकर खुद सीट पर बैठ गए और बूढ़ी और जवान औरतों को नीचे बिठा दिया.
इन सबमें मेरा ध्यान अब मेरे सामने बैठी औरत पर गया. शायद 23 या 24 साल की देहाती औरत थी. उसका गेहुंआ रंग था, दूध से भरे चुचे 36 साइज़ के होंगे. उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया और एक बार अपने मर्दों की तरफ देखा. मैं डर गया और सोने का नाटक करने लगा.
बस आगे बढ़ना शुरू हो गई और फिर आगे निकल पड़ी. जोर की ठंड थी और मेरी खिड़की से जोर की हवा आ रही थी. मैंने अपने को शॉल में लपेट लिया. उतने में उस औरत का बच्चा ठंड से रोने लगा. उसने उसके मर्दों की तरफ देखा, सब सो गए थे. दोनों बूढ़ी औरतें भी चिपक कर सो गई थीं. बेचारी के पास ठंड से बचने के लिए कुछ नहीं था.
उसने मेरी तरफ देख के बोली- बाबूजी, जरा खिड़की बंद कर दो, जोर से हवा चल रही है, मेरे बच्चे को ठंड लग रही है. मैंने कहा- खिड़की का कांच टूटा है, खिड़की तो बंद है. उसने ऊपर खिसककर देखा, जिससे वह मेरे करीब को हो गई.
अब उसका मुँह मेरे पेट के पास था और इस वजह से उसके स्तन मेरे दोनों घुटनों पर दब गए. मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा. उसे ये महसूस हुआ और वो फिर से नीचे खिसक गई. उसके स्पर्श से मैं गरम हो गया. अब मैं सोचने लगा कि इसका फायदा कैसे उठाया जाए. एक तरफ उसके मर्द पीकर सो रहे थे और हम दोनों की नींद उड़ गई थी.
मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे पास कोई चादर होगी, वो ओढ़ लो. बच्चे को ठंड लग जायेगी, बेचारा बीमार हो जाएगा. उसने कहा कि उसके पास चादर नहीं है. फिर मैं चुप रहा. दो मिनट के बाद फिर उसे भी और बच्चे को भी ठंड लगने लगी.
इस बार वो चुपके से मेरे करीब खिसक गयी. अब वो मेरे पैरों के बीच में चिपक गयी थी. मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे जगाया और उसके कान के पास जाकर कहा कि बच्चे को ठंड लग रही है, तो उसे मेरे शॉल से लपेट दो, मेरी शॉल बड़ी है, कोई दिक्कत नहीं होगी. उसका बच्चा ठंड से उससे चिपक कर सो रहा था. वो दूध पीने के लिए उसकी छाती को खोलने की कोशिश कर रहा था. उसने कहा- ठीक है.
मैंने उसके पूरे बदन पर शॉल डाल दी. इससे मैं और वो दोनों शॉल से ढक गए थे. अब उसने अपनी छाती खोल के बच्चे को दूध पिलाना शुरू किया, बच्चे के दूध चूसने की आवाज मेरे कानों में आ रही थी. मैं बहुत गर्म हो गया और मेरा लौड़ा पेंट में तंबू बना रहा था. मैंने धीरे धीरे अपनी पैंट को घुटनों तक उठाया. अब तक उसका बच्चा भी सो गया था. बस के धक्के से उसके खुले स्तन मेरी पिण्डलियों से टकरा रहे थे. वो भी सो रही थी. उसका और मेरा सिर्फ मुँह शॉल से बाहर था. बाकी पूरा क्लोज था. उसके नरम थन मेरे पैर से लग रहे थे, उसमें से दूध भी आ रहा था, जो मुझे गीला लग रहा था.
मैंने अब आगे बढ़ने का काम किया. मैंने अपनी पैंट की जिप खोली और लौड़े को बाहर निकाल लिया. फिर मैंने अपना सिर आगे की सीट पर टिकाया और सोने का नाटक करने लगा.
फिर धीरे से मैंने उसके एक स्तन पर हाथ रखा. उसका 36 का स्तन गर्म और मुलायम लगा. मैंने धीरे से दूध दबाया. वो सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी, पता नहीं. एक बार और आराम से उसके स्तनों पर हाथ फेरते हुए पूरा दूध पकड़ कर आराम से दबाया.
इस बार वो जग गई, उसने मुझे देखा मैं तुरंत सोने का नाटक करने लगा और हल्की आंखों से देखने लगा कि वो क्या करती है. उसने उसके मर्दों की तरफ देखा, सब सो रहे थे.
अब उसने अचानक अपने हाथ कंधे पर लिए और अपना सर शॉल के अन्दर ढक लिया. उसके दोनों हाथ मेरे हाथों पर आ गए थे. उसने मेरे हाथ अपने स्तनों से हटा दिए. मैं पागल हो रहा था, मेरा लौड़ा कड़क हो गया था. मैंने उसके दोनों हाथ जो मेरे घुटनों पर थे, उसको पकड़ कर अपनी जांघों के बीच लौड़े को ना छुए, ऐसे रख दिये.
उसने कुछ नहीं बोला.
मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ निकलने पर भी उसने अपना ब्लाउज बंद नहीं किया था. मैं कुछ देर शांत रहा, लेकिन मेरा लौड़ा उछाल मार रहा था. शायद उसे ये महसूस हुआ, उसकी उंगली धीरे से मेरे लौड़े को टच कर गयी. मेरी तो जान जा रही थी. मैंने धीरे से अपने दोनों घुटने पास लाने शुरू कर दिये, उससे उनके स्तन मेरे घुटनों में दब गए. अब उसने 2 से 3 उंगलियां मेरे लौड़े के पास लाकर उसे छू लिया. मैं दोनों घुटने अन्दर कभी बाहर कर रहा था, शायद उसने मेरा लौड़ा देख लिया क्योंकि अब उसका सर मेरे पेट के सामने उठा हुआ था. मैंने अपना लौड़ा तो पहले ही खोल कर रखा था, मुझे अपने लौड़े के ऊपर उसका हाथ महसूस हुआ. उसने मेरे हथियार को पकड़ लिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी. अब मैंने भी उसके चेहरे से अपना हाथ फेरते हुये धीरे से उसके गालों से होते हुये उसके होंठों पर अंगूठा टिका दिया. उसके होंठ खुल गए. मेरा अंगूठा उसके मुँह में घुस गया. वो उसे चूसने लगी.
मैं अब अपना दूसरा हाथ उसके स्तनों पर फेरने लगा. वो गरम हो गयी थी और लौड़ा जोर से ऊपर नीचे कर रही थी. अब मैंने अपना अंगूठा उसके मुँह से बाहर निकाल लिया, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने दूसरे स्तन पर रख लिया.
अब मैं कहां रुकने वाला था, मैंने अपना सर फिर से सामने वाली सीट पर लगाया. तो मेरा लौड़ा उसके मुँह के सामने आ गया था. वह समझ गयी और उसने लौड़ा मुँह में भर लिया और धीरे से चूसने लगी.
मैं तो जैसे स्वर्ग में था, क्योंकि मेरी बीवी ने आज तक कभी मेरा लंड मुँह में नहीं लिया था. मैंने भी उससे कभी जबरदस्ती नहीं किया था. ये मेरा पहला अनुभव था. मैं उसके मम्मे दबा रहा था, पूरा दूध निकलकर मेरे हाथ गीले हो गए थे और उसके स्तनों पर चिकनाई आ गई थी. वह लंड चूस रही थी, मैं दूध दबा रहा था.
मैंने उत्तेजना में अपना मुँह बंद कर लिया था. वह अब जोर से लंड चूस रही थी, मेरा हाथ भी उसके स्तन जोर से दबा रहा था. अचानक वह उठी, उसने अपने मर्दों को देखा. वो खड़ी हो गयी. अब मेरा शॉल उसके स्तनों पर नहीं था. उस चांदनी की रोशनी में भी मुझे उसकी भरपूर गोलाईयां दिख गईं.
मुझे समझ नहीं आया कि ये अचानक खड़ी क्यों हो गई, जबकि नीचे उसका बच्चा सो रहा था. उसने अब झट से मेरी तरफ पीठ की.. और अपनी साड़ी ऊपर उठाई. शॉल को फिर से ओढ़ लिया और मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर सैट किया, आराम से अन्दर डाला और आगे की सीट पे झुकाव किया.
मैं समझ गया और मैंने भी पीछे से उसकी चूत में झटके देना शुरू किया. मुझे डर भी लग रहा था और रहा भी नहीं जा रहा था. पांच मिनट के बाद मेरा माल बाहर आ गया. वह भी सिकुड़ गई, मेरा वीर्य उसकी जांघों के सहारे चुत से बाहर आ गया. वह उठी और अपनी साड़ी से चूत को पौंछते हुए उसे नीचे की और फिर नीचे बैठ गयी.
अब मैंने नीचे झुककर उसे एक किस किया और थैंक्यू बोला. तभी उसने अपना हाथ अपने स्तनों पर रखकर मेरे चेहरे पर अपना दूध उड़ाया और हंस दी.
मैंने उंगली से चेहरे के ऊपर का दूध पी लिया. उसने अपना ब्लाउज बंद कर दिया. वो मेरे सोये हुए लौड़े को सहला रही थी. उतने में उसका बच्चा फिर जग गया. मैंने अपना लौड़ा अन्दर किया और चैन लगा कर सो गया.
सबेरे जब नींद खुली तो उन लोगों का स्टॉप आ गया था. उसके साथ के मर्दों को जबरदस्ती जगाना पड़ा कि भैया उतरो, स्टॉप आ गया है.
मैंने कभी बाहर की औरत से सम्बंध नहीं बनाये, लेकिन पत्नी अगर आपको बहुत दिनों तक लिफ्ट नहीं दे, तो मन भटकता है. हर औरत सेक्सी लगती है. मैं तो आज पैसे देकर भी चुदाई करने वाला था. अपने नसीब को कोस रहा था, पर उसके घर में देर है.. अंधेर नहीं.
जाते समय उसने मुझे स्माइल दी, आज वो मुझे अपनी बीवी से भी सुंदर लग रही थी. मेरा मचलता मन उसने शांत किया था.
आपको मेरी कहानी कैसी लगी है मेरे मेल पर रिप्लाई देना. [email protected]
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