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दोस्तो, सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम। मैं अक्की अपनी पहली कहानी आप सबके बीच लेकर आया हूँ और उम्मीद करता हूँ आपको बहुत पसंद आयेगी।
मेरा नाम अक्की है और मैं मेरठ (उत्तर प्रदेश) के एक गाँव का रहने वाला हूँ, मैं अपने लंड के साईज के बारे में डींग हाँककर टाइम बर्बाद नहीं करूँगा, आप मेरी कहानी से खुद समझ जाइयेगा कि मेरा लंड किसी प्यासी औरत को संतुष्ट कर सकता है या नहीं।
यह बात उस समय की है जब मुझे सेक्स का कोई खास ज्ञान तो नहीं था पर सेक्स की तरफ पूरा रुझान था और उस रुझान का कारण थी पड़ोस की आंटी जिनके अलग अलग तरीकों से मैं उनकी तरफ आकर्षित होता रहता था। चलो आंटी के बारे में बता देते हैं। आंटी का नाम सोनिया है जिनकी उम्र अब 37 वर्ष है और वो आज भी उतनी ही सेक्सी दिखती हैं जितनी तब दिखती थी जब की मैं यह घटना बता रहा हूँ. और उसका कारण है उनको टाइम पर मेरा साथ मिल जाना।
दरअसल हुआ यूँ कि आंटी के दो बच्चे हो चुके थे दोनों ही नादाँ उम्र में थे कि तभी आंटी के पति कैंसर के कारण इस दुनिया को छोड़ कर चले गये। दोस्तो, गाँवों में पहले ऐसा होता था कि बच्चों और कम उम्र में ही विधवा होने के कारण औरत की शादी उसके देवर से करा दी जाती थी तो आंटी की शादी भी उनके देवर से कर दी गई। फिर सब कुछ यूँ ही चलता रहा। गर्मियों के दिनों में आंटी अपने घर के बाहर चबूतरे पर चारपाई बिछा लेती थी, हम मोहल्ले के सभी बच्चे वहीं बैठे रहते थे पर पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता था कि आंटी जानबूझकर मुझसे चिपककर बैठने की कोशिश करती हैं।
मैं उन दिनों गाँव के ही एक स्कूल में 12वीं में पढ़ता था, मैं तब 19 साल का हो चुका था. तो जब लंच होता था तो हम दीवार कूदकर घर आ जाया करते थे। उन आंटी का देवर जो अब उनका पति था वो किराने की दुकान करता था पर दिन में खेत पर जाया रहता था। मैं यह अच्छी तरह से जानता था इसलिये मैं जानबूझकर उनके घर पर अखबार पढ़ने के बहाने गया। आंटी उस समय नहाने के लिये जाने वाली थी। तो वो अखबार देकर नहाने के लिये चली गई और वहीं से मुझसे बातें करती रहीं।
थोड़ी देर बाद उन्होने मुझे आवाज लगाकर कहा- अक्की, अंदर बेड पर कपड़े रह गये हैं, जरा पकड़ा देगा? मैं मन ही मन खुश होता हुआ बोला- अभी लाया आंटी। मैं अंदर गया तो देखा आंटी अपना पेटिकोट और ब्रा वहीं छोड़ गई थी। मैं दोनों कपड़े उठाकर बाथरूम की ओर चल दिया।
मैं जैसे ही हाथ को आगे करके कपड़े देने लगा मेरा हाथ वहाँ तक नहीं पहुँच रहा था तो आंटी बोली- इधर को आकर दे दे, शर्मा क्यों रहा है। जैसे ही मैं आगे बढ़ा, आंटी को देखकर दंग रह गया। आंटी मेरे सामने बस पैंटी में खड़ी थी। आंटी को एकटक निहारता रहा, आंटी ने जब कपड़े पकड़कर हँसते हुए मुझसे कपड़े माँगे तो मेरी नींद टूटी। आंटी हँसकर बोली- जा अखबार पढ़ ले अब। मैं वापस आकर बैठकर अखबार पढ़ने लगा।
ऐसे ही दिन गुजरते रहे, रात को देर देर तक हम आंटी के पास बैठे रहते, कभी आंटी मुझसे चिपककर बैठ जाती तो कभी मैं आंटी से चिपककर बैठ जाता था।
फिर डेढ़ साल बाद यह सर्दियों की बात थी, मैं अब कॉलेज में आ चुका था और शहर में पढ़ने लगा था जिस कारण मेरा दिमाग इन कामों में पहले से ज्यादा दौड़ने लगा था।
रात का टाइम था, आंटी अंदर चारपाई पर लेटी हुई थी। मैं भी रोजाना की तरह रात को उनके घर पहुँचा और जाकर उनकी चारपाई पर बैठ गया। पास में ही उनका छोटा बेटा सोया हुआ था। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे कि तभी आंटी का बेटा रोने लगा तो उन्होंने उसे चुप कराने के लिये अपने चूचे को बाहर निकाला और अपने बेटे के मुँह में दे दिया। हालांकि वो इतना छोटा नहीं था कि वो माँ की दूधी चूसे. थोड़ी देर बाद बात करते करते आंटी ने दूसरे चूचे को भी बाहर निकाल लिया। यह देख मेरे होश उड़ गये। मेरे लंड में अकड़न होने लगी।
क्योंकि उस समय लैम्प जला हुआ था तो इतना अच्छा दिखाई नहीं दे रहा था इसलिये मैंने जानबूझकर आंटी के चूचे को हाथ लगाया और पूछा- आंटी ये क्या है? हाथ लगाते ही मैंने हाथ को पीछे हटा लिया। आंटी बोली- बदमाश! तू सब जानता है। और हँसकर चूचों को अंदर कर लिया। मेरी हिम्मत अब पहले से बढ़ गई थी।
अगले दिन मैंने प्लान किया कि आंटी को किसी तरीके से अपना लंड दिखाया जाये जिससे आंटी खुद उसके बारे में कुछ बात करें और मैं तब ही आंटी को बोल दूँ कि आप मुझे बहुत पसंद हो।
जब आंटी छत पर कपड़े सुखाने के लिये आती थी तो उनकी छत से हमारे घर के एक कमरे के अंदर का एक खिड़की में से दिखाई पड़ता था। मैंने सोचा आंटी को मुठ मारते हुए अपना लंड दिखाता हूँ; क्या पता बात ही बन जाये।
मैं अगले दिन उनके आने से पहले ही कमरे में चला गया और कमरे को सोने के बहाने से अंदर से बंद कर लिया। अब मैं आंटी का कपड़े सुखाने के लिये आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में आंटी कपड़े सुखाने के लिये आ गई।
जैसे ही आंटी आई, मैं लंड निकाल कर खिड़की के सामने खड़ा होकर मुठ मारने लगा।
सब कपड़े सुखाने के बाद आंटी जब नीचे जाने को हुई तो उनकी नजर खिड़की पर पड़ी। मैं तिरछी नजरों से उन्हें देख रहा था पर मैंने ये आंटी को पता नहीं लगने दिया। आंटी ने थोड़ी देर देखते रहने के बाद जानबूझकर खाँसा जिससे मेरी नजर उन पर पड़े।
मैंने आंटी की तरफ देखा और झटके से पीछे को हो गया। मेरा दिल पूरी तेज तेज धड़कने लगा था। थोड़ी देर इंतजार करके मैं जैसे ही आगे को हुआ तो तभी आंटी बिना किसी हाव भाव के देखकर चली गई। मेरी गांड फट गई कि कहीं आंटी मेरे घर पर न बोल दें।
मैं थोड़ी देर बाद घर से निकला और उनके घर के दरवाजे के सामने आँख मलता हुआ घूमने लगा जिससे लगे कि सोकर आया हूँ। तभी आंटी मुझे देखकर घर से बाहर आई और हँसते हुए बोली- सोकर आया है शायद तू? मैं भी हँसकर मन ही मन खुश होता हुआ ‘हाँजी’ बोलकर चला गया। अब मेरी हिम्मत पहले से भी बढ़ गई थी।
अगले दिन मैं आंटी के घर पहुँचा तो आंटी टीवी देख रही थी, मैं भी आंटी के साथ बैठकर टीवी देखने लगा। तभी टीवी में व्हिस्पर का ऐड आया तो मैंने जानबूझकर आंटी से पूछा- आंटी, ये क्या होता है? आंटी हँसकर बोली- ये तेरे मतलब की बात नहीं है। मैं आंटी से बताने की जिद करने लगा पर वो मानने को तैयार ही नहीं थी बल्कि मुझे डाँट दिया तो मैं उठकर जाने लगा।
तभी आंटी ने गुस्से वाली आवाज में ही बुलाया- यहाँ सुन। उस टाइम मेरी हवा खराब हो रही थी। तभी आंटी बोली- देख बता दूँगी! पर प्रोमिस कर तू बतायेगा नहीं किसी को?
मैं यही तो चाहता था, मैं खुश होकर बोला- प्रोमिस आंटी। किसी को नहीं बताऊँगा। आंटी बोली- चल ठीक है, तो गेट बंद करके आ, मैं बताती हूँ।
मैं बहुत तेजी से गेट बंद करके वापस आ गया और गेट बंद किये, आंटी इतने में एक पैड लेकर आ गई थी। आंटी बोली- तू बैठ जा, आराम से। जो बोलूँगी वो करते रहना। मैं वहीं चारपाई पर बैठ गया और आंटी मेरे पास ही खड़ी हो गई।
आंटी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाया और मुझे पकड़ने के लिये बोला, मैंने एकदम से पकड़ लिया। आंटी ने अपनी पैंटी को नीचे खिसकाया और पैड को लगाने लगी। आंटी ने पैड लगाते हुए कहा- एक हाथ छोड़कर पैड को एक बार एडजेस्ट कर मुझसे साड़ी की वजह से दिखाई नहीं दे रहा।
मैं मन ही मन पूरा खुश था क्योंकि जो मैं चाहता था वही हो रहा था। मैंने एक हाथ से साड़ी को छोड़कर उनके पैड को पकड़ा और जानबूझकर अपनी अंदर वाली अंगुली को उनकी चूत पर कसके लगाया। आंटी ने मेरे ये करते ही बहुत तेज ‘ससस्स शस्सस…’ करते हुए सिसकारी भरी। आंटी की चूत पर चिपचिपा सा लगा हुआ था। मैं समझ गया था कि आंटी गर्म हो चुकी है।
मैंने तभी मौका देखते हुए अपनी अँगुली को चूत के छेद में सीधा कर दिया। मेरे ऐसा करते ही आंटी सिसकारी लेने लगी और मुझे अपने पेट पर लगाकर मेरा नाम पुकारने लगी- अक्कीईईई … सस्स शस्सस… आंटी ने आँखें बंद कर ली थी।
मैं पैड हटाकर आंटी की चूत के छेद में अँगुली को बाहर भीतर करने लगा था, मेरे ये करते करते आंटी ने पैड को छोड़कर साड़ी उतार दी फिर आँख बंद में ही बोली- हट जा! नाड़ा खोलने दे। इतना बोलते ही मैंने झट से उनका नाड़ा खोल दिया। आंटी मादकता भरी आवाज में हँसते हुए लिप किस करते हुए बोली- तू तो बहुत तेज हो गया है। और ये बोलते हुए मुझे पीछे धक्का देकर गिरा दिया और मेरी बेल्ट खोलकर मुझे नीचे से नंगा कर दिया; मेरे लंबे-चौड़े लंड को सहलाने लगी और बोली- तू इतना बड़ा कब में हो गया।
मैं आँखें बंद करके मजे ले रहा था कि तभी आंटी ने मेरे सुपारे को मुँह में लेते हुए पूरे लंड को मुँह में ले लिया। बहुत देर तक आंटी चूसती रही, मेरा पहली बार होने के कारण मैं बर्दाश्त नहीं कर सका और आंटी के मुँह में ही छूट गया, आंटी मेरे सारे पानी को चट कर गई और फिर लिप किस करते हुए बोली कोई बात नहीं सीख जायेगा और फिर से लिप लॉक कर लिया। बहुत देर तक होठों को चूसने के बाद हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गये और आंटी ने मुझे चूत चूसने को बोला। मेरा पहली बार था, पर थोड़ी देर बाद मैं मजे से चूसने लगा। तो आंटी पूरी तरह गर्म हो गई। फिर मुझे जल्दी ऊपर आने को बोला।
आंटी ने पैर चौड़े किये और बोली- जब से तेरे अंकल गुजरे हैं मैं तरस गई हूँ, मैंने देवर को अपने पास नहीं आने दिया। बहुत दिनों बाद कर रही हूँ आराम से करना। मैं ‘ठीक है …’ बोलकर लंड को चूत पर रगड़ने लगा। आंटी ने लंड को चूत पर सेट किया और धीरे धीरे डालने को बोला। मेरा पहली बार होने के कारण मैंने जोर लगाया तो चूत गीली होने के कारण एकदम से पूरा घुस गया। आंटी चीख पड़ी- ऊऊ ऊऊऊईईई ईईई … माँ … आराम से बोला था बाबू तुझे। पर कोई बात नहीं सीख जायेगा। मैं रुका रहा, आंटी हँसते हुए बोली- कर अब, अब क्यों रुक गया?
मैंने धक्के लगाने शुरू किये; आंटी मादक भरी आवाजें निकालने लगीं। मेरा एक बार निकल जाने के कारण दूसरी बार में चुदाई बहुत देर तक चली। थोड़ी देर बाद बहुत तेज तेज धक्कों के साथ मैं अंदर ही झड़ गया। बहुत देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। आंटी मेरी कमर पर सहलाती रही।
तब से लेकर आज तक मैं आंटी को चोदता आ रहा हूँ, आंटी ने मुझे जवानी का खेल सिखलाया है। आंटी मुझसे पूरी तरह खुश रहती है और हर चुदाई पर न छोड़ने की कसम खिलाती है। उसके बाद आंटी ने मुझे अपनी बहन, मोहल्ले की ही दो औरतों और एक लड़की की चूत दिलाई है।
उन सबके बारे में आपकी प्रतिक्रिया के बाद लिखूँगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपने सुझाव और प्रतिक्रिया मुझे जरूर भेजिये, मेरी मेल आईडी है – [email protected]
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