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नमस्ते मेरा नाम नेहा है, ये नाम बदला हुआ है. मैं आपको अपनी ज़िंदगी की कुछ खास बातें मेरे फर्स्ट सेक्स के बारे में बताने जा रही हूँ.
पहले मैं आपको अपनी फिगर के बारे में बता देती हूँ. मेरा फिगर 36-24-36 का है और कॉलेज के सारे लड़के मेरी उफनती जवानी पर समझो मरते थे. मैं जिधर से निकल जाती थी, लड़के मुझे देख कर आहें भरने लगते थे. उनकी आहें मुझे उनके द्वारा कसी जाने वाली फब्तियों में सुनाई दे जाती थीं. हालांकि मुझे भी ऐसा लगता था कि यदि लड़के मुझ पर कमेन्ट पास नहीं करेंगे, तो मेरा सजना संवारना बेकार है. इसलिए मैं भी बस बिना कुछ जबाव दिए उनकी बातों का रस लेते हुए आगे बढ़ जाती थी.
इस तरह से समय निकलता रहा और मुझे भी आखिर एक लड़का पसंद आ गया. उसको मैंने अपना बॉयफ्रेंड बना लिया. उसका नाम रवि था, वो दिखने में बहुत ही हैंडसम था.
रवि की आकर्षकता पर पूरे कॉलेज की लड़कियां फिदा थीं, पर वो मुझसे बहुत प्यार करने लगा था. हम दोनों कुछ ही दिनों एक अच्छे बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड की तरह मिलने जुलने लगे थे. हालांकि हम दोनों ने अभी तक ‘सब कुछ’ नहीं किया था, बस मेरा उसके साथ इतना ही था कि साथ में घूमना फिरना हो जाता था. मैंने उसको हाथ लगाने तक की परमीशन नहीं दी थी. वो भी मुझसे सच्चा प्यार करता था, इसलिए उसने मेरे बदन से खेलने की हिमाकत कभी नहीं की.
उसकी इस बात से मैं बहुत खुश थी. जबकि मेरी सहेलियों को उनके बॉयफ्रेंड चोद तक चुके थे.
एक दिन की बात है, हम दोनों एक मूवी देखने गए. फिल्म हॉल में एकदम कोने वाली सीट पर हम दोनों बैठे हुए थे. टाकीज में ज्यादा भीड़ भी नहीं थी. मुझे आज रवि के साथ फिल्म देखने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था.
उस फिल्म में हीरो एक लड़की साथ किस करता है. वो सीन देखते हुए रवि ने मौके पर चौका मार दिया और उसने आज पहली बार मेरी कमर मे हाथ डाल दिया.
चूंकि आज मुझे भी मजा आ रहा था, सो मैंने भी उससे कुछ नहीं कहा क्योंकि इस वक्त मैं भी फिल्म देखते हुए बहुत गर्म हो गई थी. मुझे उसका यूं मेरी कमर में हाथ डालना अच्छा लग रहा था. जब उसने देखा कि मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की है, तो उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने धीरे से हाथ मेरी जीन्स में अन्दर डाल दिया और वो मेरी चूत को सहलाने लगा. आज मेरी चूत पहले से ही पानी छोड़ने लगी थी क्योंकि मैं इस मूवी को देख कर आलरेडी बहुत गर्म हो चुकी थी.
रवि का हाथ मेरी चूत तक पहुंचा तो मैंने भी अपनी टांगें खोल दीं. इससे रवि मेरी जरूरत को समझ गया और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत में उंगली डाल कर सहलाने लगा. कुछ ही देर बाद में झड़ गई. रवि मेरी हालत से समझ गया कि मैं झड़ गई हूँ. उसने अपना हाथ रोक दिया.
उतने देर में इंटरमिशन हो गया और हॉल में लाइटें जल गईं. रोशनी होते ही रवि ने अपना हाथ मेरी जींस से बाहर खींच लिया. मैंने भी अपने कपड़े ठीक कर लिए. मैंने देखा कि रवि बहुत गर्म हो चुका था और उसके चेहरे से वासना की लकीरें साफ़ दिखाई दे रही थीं. उसने मुझसे मूवी छोड़ कर कहीं बाहर किसी होटल में जाने के लिए बात की, पर मैंने उसे मना कर दिया.
उसके चेहरे पर कुछ उदासी सी छा गई. मैंने पूछा- क्या हुआ? उसने बुझे से स्वर में कहा- कुछ नहीं. मैंने कहा- बुझे से क्यों बोल रहे हो? रवि- क्या तुमको इसका कारण नहीं मालूम है? मैंने हंस कर कहा- हां मालूम तो है. वो एकदम से बिफर गया- मैंने तो तुझे मज़ा दिया और तू मुझे ऐसा ही अधूरा छोड़ना चाहती है.
मैंने उससे कहा- यार, तुम समझने की कोशिश करो न! रवि- क्या कोशिश करूँ? मैं- यही कि मैं ये सब नहीं करना चाहती हूँ. रवि- हर बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड ये सब करते हैं. मैंने ही इतने दिनों से कंट्रोल रख कर तुम्हें किस भी नहीं किया.
मैं चुप होकर उसकी बात सुनती रही. मैंने प्यार से उसका हाथ अपने हाथ में लेने की कोशिश की, तो उसने मेरा हाथ छिटक दिया. मैंने कहा- यार प्लीज़ इतना गुस्सा मत हो … आई लव यू! मगर रवि को इस बात का गुस्सा था कि मैंने अपना मजा लेकर उसे प्यासा छोड़ दिया. रवि बोला- ठीक है … आज भी मैं कुछ नहीं करूँगा. उसने अपना छोटा सा मुँह बना लिया और उठ कर बाहर जाने लगा. उसे यूं देख कर मुझे उस पर तरस आ गया.
रवि मुझे बहुत प्यार करता था. मुझे मालूम था कि वो मेरे चाहने तक मुझे नहीं चोदेगा. मैंने एक बार इस बात को सोचा और उसका साथ देना तय कर लिया. मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे फिर से सीट पर बैठा दिया. अब मैंने उससे कहा- मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है. चलो होटल चलते हैं और जो गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड करते हैं, वही आज हम दोनों भी करेंगे. अब खुश न?
मैंने देखा कि रवि के चेहरे पर खुशी समा नहीं रही थी. सच कहूँ दोस्तो, मेरी ही प्यास नहीं बुझी थी इसलिए मैं खुद जल्दी से मेरे फर्स्ट सेक्स के लिए रवि की बात मान गई.
इसके बाद हम दोनों ने हॉल छोड़ दिया और बाहर आ गए. रवि पहले मुझे एक रेस्टोरेंट में ले गया. हम दोनों उधर कॉफ़ी और नमकीन लेने लगे. उधर से ही रवि ने फोन से एक बड़े से होटल में कमरा बुक किया और मुझे उधर ले गया. उसने होटल पहुंच कर अपना बुक किए हुए कमरे की बात की और हम दोनों एक वेटर के साथ रूम तक पहुंच गए.
वेटर ने हमको रूम दिखाया और कुछ सामान की जरूरत के बारे में बताते हुए कहा- सर कोई भी जरूरत हो तो प्लीज़ फोन कीजियेगा.
मैं कमरे के अन्दर चली गई मुझे बाहर खड़ा होना जरा कम अच्छा लग रहा था. मैंने दरवाजे से ही देखा कि रवि ने उसको एक सौ का नोट दिया और कहा कि जब तक मैं न बुलाऊं, हमको डिस्टर्ब मत करना. वेटर ने ओके कहते हुए रूम के बाहर डोंट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा दिया.
रवि भी अन्दर कमरे में आ गया. अन्दर आते ही उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया. वो ज़ोर से मेरे मम्मे दबाकर मुझे किस करने लगा था. मैंने उससे दूर होते हुए कहा- अरे यार इतनी भी क्या जल्दी है … पहले डोर तो लॉक कर दो, कोई देख लेगा. रवि ने कहा कि ये ऑटोमैटिक लॉक है, एक बार दरवाजा बंद हो जाने पर जब तक खुद नहीं खोलो, ये नहीं खुलेगा. मैंने उससे छेड़खानी करते हुए कहा- बड़ी जानकारी है … क्या पहले भी इधर आ चुके हो?
रवि मुझ पर झपटने को हुआ तो मैं दूर भाग गई और मैंने उससे कहा- प्लीज़ दरवाजे को अन्दर से कुण्डी भी लगा दो. उसने डोर अन्दर से लॉक किया और भागते हुए मेरे पास आ गया. उसने मुझे बेड पर गिरा दिया और मुझे किस करने लगा. मैंने भी उसके आगे समर्पण कर दिया और चित लेट गई. रवि मेरी सहमति जान कर जोरों से मेरे मम्मे दबाने लगा और मेरे टॉप के ऊपर से ही उन्हें चूसने लगा.
मैंने भी रवि के सर को अपने दूध पर दबा लिया. फिर रवि ने धीरे धीरे नीचे जाते हुए मेरे टॉप को हल्का सा उठाया और मेरी नाभि पर चुम्मी की. मैं एकदम से सिहर गई. इसके बाद वो मेरी जींस के ऊपर से ही मेरी जांघ पर जोर से चूमने लगा.
मैंने उसको मनमानी करने दिया, मुझे खुद बहुत मजा आ रहा था. फिल्म हॉल की अधूरी आग ने मुझे खुद चुदासा सा कर दिया था. फिर रवि ने मेरी जींस को पेंटी समेत नीचे खींच दिया. अभी मैं कुछ समझ पाती, वो मेरी चूत चाटने लगा.
मैं उसकी इस हरकत से आपे से बाहर हो गई और कुछ ही पलों की चूत चुसाई से मैं झड़ गई. चूत चाटकर साफ़ करने के बाद भी रवि मेरी तरफ कहां देख रहा था. वो तो ज़ोर से चूत चाटने में लगा रहा. इससे मैं जल्दी ही फिर से गर्म हो गई.
अब रवि मेरे निप्पल चूस रहा था. अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था. मैंने रवि से कहा- अब सहन नहीं हो रहा यार … जल्दी से डाल दो. रवि ने मुझे छेड़ा- क्या डाल दूँ जल्दी से? मेरे फर्स्ट सेक्स के लिए मैंने कहा- साले, अपना लंड घुसेड़ दे और क्या डालेगा?
रवि ने मुझे इतना बिंदास बोलते हुए सुना तो वो भी एकदम गर्म हो गया और मुझसे गाली बोलते हुए उसने कहा- तो ले साली मेरा मोटा लंड खा ले. रवि के लंड डालते ही समझो, मेरी तो जान ही निकल गई उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसका इतना बड़ा लंड जब मेरी चूत में गया, तो ऐसा महसूस हुआ कि जैसे मैं मर ही गई.
कुछ देर तक सील टूटने की पीड़ा झेली और फिर जैसा कि अपनी चुदक्कड़ सहेलियों से पहली चुदाई के दर्द के बाद मजा आने का सुना था, ठीक वैसा ही … बल्कि शायद महसूस करने में, उससे उन सुनी सुनाई बातों से भी ज्यादा मजा आने लगा था. हम दोनों ही जन्नत की सैर कर रहे थे.
फिर रवि मेरे मम्मों को सहलाते हुआ मुझे जोरों से चोदने लगा. मेरे कंठ से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ‘हूउ … उह … आहा … अहा … और ज़ोर से हां … हां … बस मेरा अब निकलने ही वाला है … आह … रवि मेरी जान आह … एयेए … आआ … आह मर गई … मेममरा … निकल गया … आह … बस हो गया!’
मैं समझो कट कट कर रिसने लगी. मैं एकदम से निढाल हो गई. मेरे झड़ने के कुछ ही देर बाद रवि भी मेरी चूत में ही झड़ गया और मेरे ऊपर निढाल होकर कुछ देर पड़ा रहा. फिर वो मुझे किस करने लगा. मैं भी उसके नीचे दबी अपने आपको पूर्ण संतुष्ट महसूस करते हुए उससे लिपटी पड़ी थी.
इसके बाद तो रवि ने मुझे कई बार चोदा. मैं उसकी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी.
मेरे प्यारे दोस्तो, यह मेरे फर्स्ट सेक्स की कहानी एकदम सच्ची है. आप मुझे कमेंट्स करके बताना कि मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी.
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