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कहानी पढ़ने वाले सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. मैं प्रतिभा सोलापुर से हूँ. आज मैं आप सभी के सामने मेरी गांड चुदाई की घटना लेकर हाजिर हुई हूँ. यह चुदाई की कहानी मेरे पति और मेरे बीच की है. मैं किसी भी तरह की झूठी कहानी लिखना नहीं चाहती थी इसलिए मैंने अपने पति के साथ अपनी सच्ची चुदाई की कहानी लिखना ठीक समझा.
हमारी शादी हुए 18 साल पूरे हो गए हैं, फिर भी हम दोनों हर रोज चुदाई करते हैं. मेरे मासिक के दिनों को छोड़ कर, ऐसा एक दिन भी नहीं निकलता, जिस दिन हम दोनों ने चुदाई नहीं की हो. मेरे पति, जिनका नाम प्रवीण है, मुझे नई नई पोजिशनों में काफी देर तक चोदते हैं, जो मुझे बहुत पसंद है. मेरे पति की खासियत है कि जब तक वो नहीं चाहते, तब तक उनका वीर्य लंड से बाहर नहीं आता. इसलिए मेरी चुत पति से चुदने के लिए हमेशा तैयार रहती है.
मेरे मोटे मोटे चूतड़ों के बीच कसी हुई मेरी गांड और मेरी फूली हुई चुत मेरे पति के लिए सबसे पसंदीदा जगहें हैं. साथ ही मेरे बड़े बड़े मम्मे मेरे पति को बहुत ही ज्यादा पसंद हैं.
चूत को हर तरह से बजाने के बाद एक बार मेरे पति को मेरी गांड की चुदाई करनी थी, लेकिन उस वक्त मेरी गांड का उद्घाटन नहीं हुआ था, जिस वजह से मेरी गांड एकदम टाईट थी. मेरे पति का लंड काफी मोटा है. जब उन्होंने अपने मोटे लंड से मेरी गांड मारने की इच्छा जाहिर की, तो मैं एकदम से डर गई. क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरे पति का मोटा मूसल लंड मेरी गांड में आसानी से नहीं घुसेगा, ये मूसल मेरी गांड को फाड़ देगा.
तब भी मैंने अपने पति को मना नहीं किया. क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते हैं और वे अपनी जवान बीवी को किसी भी तरह का दर्द नहीं होने देंगे. उन्होंने मुझे चूम कर याद दिलाते हुए कहा- क्या तुमको मुझ पर भरोसा नहीं है. उनकी इस बात से मैं चुप हो गई और उनको गांड मारने के लिए हामी भर दी.
पति ने मेरी गांड में उंगली करना शुरू की, जिससे मुझे शुरूआती दर्द हुआ, पर तेल से सनी उंगली ने मेरी गांड में अन्दर तक जाकर मुझे गुदगुदी करना शुरू कर दी. मुझे भी ठीक लगा कि चलो धीरे धीरे लंड जाने लायक भी रास्ता हो ही जाएगी.
इसके बाद मेरे पति ने दो बार मेरी गांड में अपना लंड घुसना चाहा. उनके प्रयासों से मेरी गांड में उनके लंड का सुपारा घुस भी गया था, लेकिन जब मुझे बहुत दर्द हुआ तो मेरे पति को मेरी गांड से लंड निकालना पड़ा था.
उन्होंने उस दिन मेरे दर्द को समझते हुए अपने लंड से मेरी चुत का भी मजा नहीं ले पाया था. मुझे बड़ा बुरा लग रहा था कि मैं अपने पति को गांड चोदने का मौका नहीं दे पा रही थी.
फिर मुझे अच्छी तरह से याद है कि पिछले साल नवम्बर की वो 4 तारीख थी. उस दिन हमारी बेटी कॉलेज गई थी. घर में केवल हम पति पत्नी दोनों ही थे. हमेशा की तरह मैं अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर, कमर का ऊपर वाला हिस्सा मतलब मेरा पेट मम्मे और सर बेड पर रख कर लेट गई. मैंने अपना दायां पैर फर्श पर रखा था और बायां पैर घुटनों में मोड़कर बेड पर रख दिया था.
मैं आपको बता देती हूँ कि हम दोनों पति पत्नी दिन में कभी भी किसी भी समय मूड बन जाने पर शौक से चुदाई कर लेते हैं, इसलिए मैं अक्सर चड्डी पहनती ही नहीं हूँ. पता नहीं कब मेरी जान का चुदाई का मूड बन जाए और वे मुझ पर चढ़ने को आतुर हो जाएं. या फिर पता नहीं कब मेरा मूड बन जाए और मैं अपने पति के सामने अपना छेद खोल कर औंधी हो जाऊं. इसलिए चड्डी पहनना मुझे फालतू का काम लगता था.
इस तरह कभी भी मूड बन जाने पर अपने पति से चुदवाने में मुझे बहुत मजा आता था. उस दिन मेरा मूड बना हुआ था और मैं चुदाई की पोजीशन में पड़ी थी. मैंने पति को आवाज देकर अन्दर आने को कहा, मेरे पति अन्दर आकर देखा मेरी गोरी गांड और दोनों कूल्हों के बीच से मेरी चुत चुदने के लिए तैयार थी.
ये देखकर मेरे पति का लंड तन कर सात इंच का हो गया. मेरे पति ने पीछे से आकर अपनी पेंट और चड्डी एक साथ निकाल कर अपना लंड मेरी चुत की दरार पर रख दिया. वे अपने हाथ को मेरी गांड पर हल्का हल्का फेरने लगे.
उनके कामुक और मादक स्पर्श से मेरी चुत में हलचल मच गई. मैंने अपने पति को लंड चुत में घुसाने के लिए कहा तो उन्होंने अपना लंड थूक से गीला कर के मेरी गांड को दोनों हाथों से फैलाकर अपना मोटा लंड मेरी चुत में घुसाने के लिए चुत के दरार पर रख दिया. लंड चूत की फांकों में जैसे ही सैट हुआ तो मेरे पति ने एक हल्का सा धक्का मार दिया. इस झटके से मेरे पति का आधा लंड मेरे चिकनी चुत में सट से घुस गया. तभी दूसरा करार धक्का मारकर मेरे पति ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चुत में घुसेड़ दिया.
मेरे पति का लंड चुत में घुसते ही मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गई. उनका आज ये धक्का जरा जोर से लग गया था. यह तो अच्छा हुआ कि वहां मेरी चीख सुनने वाला कोई नहीं था. मेरे पति आज पता नहीं किस जोश में थे. उन्होंने मेरी चीख को नजरअंदाज किया और वे मुझे इसी पोज में दस मिनट तक चोदते रहे.
मुझे चुत में लंड के झटके तो मस्त लग रहे थे. मेरी चुत की खुजली भी मिट रही थी, लेकिन मेरे इस पोजीशन में ताबड़तोड़ लंड के झटकों से मेरे पैर में दर्द होने लगा था. मैंने अपने पति से कहा- यार, पैर में दर्द हो रहा है … जरा अपनी शंटिंग रोको. इस बात को सुनकर मेरे प्यारे पति ने अपना लंड मेरी चुत से निकाल दिया.
मैंने राहत की सांस ली और अब मैं बेड के किनारे अपनी गोरी गांड रख कर सीधे लेट गई. मैं दोनों पैर उठाकर घुटनों के जोड़ से फैलाए. पैरों को सहारा देने के लिए पीछे से हाथ डालकर मैंने अपने पैर फैलाकर रख लिए.
अब मेरे पति अपना लम्बा और मोटा लंड हाथ से हिलाते हुए मेरी चुत में डालने के लिए करीब को आये, तो मैंने उनको मेरी चुत में लंड डालने के लिए मना कर दिया.
मेरे पति ने मुझसे सवालिया शक्ल से पूछा- क्या हुआ भोसड़ी वाली.. साली चुत तो खोल कर रखी हो.. और चुत में लंड ना डालने की कह रही हो? मैंने कहा- चुत चोदना बाद में … अब तुम आज अपना लंड मेरी गांड में डालकर चोदो. पति ने कहा- तुम्हें दर्द होगा. मैंने कहा- दर्द सह लूँगी … लेकिन तुम्हारे लंड से आज गांड चुदवा कर ही मानूंगी.
फिर क्या था … पति ने वैसलीन की डिब्बी उठाई और थोड़ी सी वैसलीन लेकर उंगली के जरिये मेरी गांड में डालकर उंगली अन्दर बाहर करने लगे, जिससे मेरी गांड खुल गई और मेरे पति की उंगली मेरी गांड में आसानी से अन्दर बाहर होने लगी. आज मैंने भी अपनी पूरी गांड ढीली कर दी थी, जिससे गांड का छेद खुल गया था.
अब मेरे पति ने थोड़ी सी वैसलीन को अपने लंड के सुपारे के सामने लगा दिया. इसके बाद उन्होंने अपने दांए हाथ से मेरी गांड को फैलाकर अपना लंड बांए हाथ में पकड़ कर गांड के छेद पर सैट कर लिया. फिर लंड को हाथ में ही पकड़ कर वे मेरी गांड में घुसाने लगे.
आहिस्ता आहिस्ता पति के लंड का सुपारा मेरी गांड घुसता जा रहा था. वैसे मुझे थोड़ा सा दर्द हो रहा था.. लेकिन मैं दांत पर दांत दबाए हुए गांड मरवाने पर तुली हुई थी.
कुछ ही देर की मशक्कत से मेरे पति के लंड का सुपारा मेरी गांड में घुस गया था. उधर मेरे पति बिना रूके अपने लंड को मेरी गांड में सरकाते जा रहे थे. वे उंगली में वैसलीन लेकर लंड के बाहर रहने वाले में हिस्से में लगाते जा रहे थे. वैसलीन की चिकनाहट की वजह से उनका लंड मेरी गांड में फिसलता हुआ आसानी से घुसता जा रहा था. मेरी गांड की दीवारें इस वक्त मेरी हिम्मत के कारण शांत होकर दर्द सहन कर रही थीं.
अब तक मेरे पति का आधा लंड मेरे गांड में घुस गया था. लंड को और अन्दर न घुसेड़ कर इस बार मेरे पति अपना लंड बाहर निकालने लगे. तो मेरी गांड में गुदगुदी सी होने लगी. मेरे पति ने अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाला और फिर गांड में घुसाने लगे. अब ये खेल मुझे अच्छा लगने लगा था. मेरे पति अपना आधा लंड ही मेरी गांड में अन्दर बाहर करके मेरी गांड चोदने लगे.
अब मुझे भी मजा आने लगा. मैं दर्द को भूलकर मदमस्त होकर गांड चुदवा रही थी. आप विश्वास नहीं करोगे कि आधे घंटे से ज्यादा देर तक मैं अपनी गांड चुदवाती रही थी.
फिर मेरे पति ने अपना लंड मेरी गांड में से निकाल लिया और मुझे बेड के किनारे मेंढक जैसा बना दिया, जिससे मेरी गांड बेड के किनारे बाहर को आ गयी. मेरे पति ने फिर से थोड़ी सी वैसलीन अपने उंगली पे लेकर मेरी गांड में डाल दी और थोड़ी वैसलीन अपने लंड के सुपारे के सामने लगा दी. फिर उन्होंने वही क्रिया दुहराई. अपने बांए हाथ से मेरी गांड को थोड़ा फैलाया, दांए हाथ में अपना लंड पकड़कर मेरी गांड के छेद पर सैट किया और लंड को मेरे गांड में घुसाने लगे. मेरी गांड वैसलीन से बहुत ही चिकनी हो गई थी और अब गांड का छेद भी लंड की मोटाई के मुताबिक़ खुल गया था. इस बार मेरे पति का लंड आसानी से मेरे गांड में घुस रहा था. आधा लंड मेरी गांड में एकदम से घुस गया था. लेकिन मेरे पति बिना रूके लंड को मेरे गांड में घुसाते रहे.
कुछ ही देर की कोशिशों के बाद मेरे प्यारे पति का पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया था. सच में मुझे अपनी गांड में अपने पति का लंड लेकर बहुत मजा आ रहा था. मेरे मुँह से लगातार आवाजें आ रही थीं.
मेरे पति अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाकर अपना मोटा लंड मेरी गांड में डालकर धकापेल चोद रहे थे. मैं अपनी गांड चुदवाने का भरपूर आनन्द उठा रही थी. पति देव अपना पूरा लंड मेरी गांड में डालकर फिर से पूरा लंड बाहर निकाल लेते थे, सिर्फ सुपारा ही मेरी गांड में रहता था. मुझे दर्द की जगह आज जन्नत का मजा मिल रहा था.
करीब पन्द्रह मिनट तक मेरी गांड चोदने के बाद गांड से लंड निकालकर उन्होंने मेरी कुलबुलाती चुत में घुसेड़ दिया. पांच मिनट तक मेरी चुत चोदने के बाद फिर से अपना लंड मेरी गांड में डालकर मेरी गांड मारने लगे. मैं तो जन्नत में सैर कर रही थी.
पूरे एक घंटे तक मेरे पति मेरी गांड और चुत अदल बदल कर चोदते रहे. मेरे पति का बहुत दिनों का सपना था कि वे मेरी चुत और गांड बदल बदल कर चोदें. आज उनका वो सपना पूरा हो गया था. मेरे पति आज बहुत खुश थे. मेरी गांड चोदने की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी. मैंने पहले भी बताया था कि मेरे पति की खासियत है कि जब तक वो नहीं चाहते, तब तक उनका वीर्य लंड से बाहर नहीं आता.
मेरे पति से अपनी गांड चुदवाकर मैं बहुत खुश थी. ऐसा लग रहा था कि मैंने पहले ही पति से अपनी गांड क्यों नहीं चुदवाई. अब तो मैं मेरे प्यारे पति को अपनी गांड हफ्ते में दो बार चोदने के लिए ऑफर करती हूं.
मेरी गांड चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताना और प्लीज़ मुझसे कोई उम्मीद न करना. मेरे लिए मेरा पति का लंड ही काफी है. [email protected]
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