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कहानी का दूसरा भाग: मेरी बीवी पांचाली-2
एक ने रीना के कंधे से उसका आँचल नीचे सरका दिया- छोड़ो भाभी, अब ये लाज शर्म सब त्याग दो। अब हम सब दोस्त हैं। कहते कहते उसने रीना की साड़ी का पल्ला उसके कंधे से उतार दिया।
बेशक रीना ने फिर से एकदम अपना आँचल ठीक कर लिया, मगर इस दौरान सिर्फ एक सेकंड के लिए ही सही, मगर सब सुर्ख लाल लो कट ब्लाउज़ में रीना के मस्त गोरे मम्मों को देख लिया था।
एक बोला- अरे भाभी, अब क्या शर्म करती हो, अब तो हमने आपके मम्मे देख लिए, क्या मस्त गोल मम्मे हैं। अब तो ये साड़ी उतार ही दो. कह कर वो आगे बढ़ा तो रीना उठी और थोड़ा दूर जाकर खड़ी हो गई।
पांचों ने एक बार आपस में एक बार एक दूसरे को देखा और फिर सबने मेरी तरफ देखा। मैं तो वैसे ही बुत्त बना बैठा रहा।
फिर एक ने हिम्मत की और उठ कर रीना के पीछे गया और उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया। रीना चिहुंकी, मगर उसने उसे रोका नहीं। तो उसने रीना का आँचल फिर से नीचे को सरकाया और उसका आँचल नीचे गिरा दिया। आँचल नीचे गिरते ही उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और रीना के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ लिए और दबा दिये। रीना ने अपना सर पीछे उसके कंधे पर ही टिका लिया तो उसने रीना का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और रीना के होंटों को अपने होंठों से चूम लिया।
जब रीना ने भी बड़े आराम से उसको चूमने दिया तो सभी खड़े हो गए और सबने रीना को चारों से तरफ से घेर लिया। सबके सब बड़ी ललचाई नज़रों से रीना को देख रहे थे। मैंने अपना ध्यान सिर्फ अपने गिलास की ओर रखा, मुझे पता था कि अब सब बिना कोई देर किए रीना को चोदने वाले हैं, हाँ अगर रीना कोई विरोध करे तो ठीक है, नहीं तो आज मैं अपने सामने अपनी आँखों से अपनी पत्नी को गैर मर्दों से चुदवाते हुये देखूंगा। वैसे कभी कभी मेरे दिमाग में यह विचार आता तो था, मगर आज ये बात सच होने जा रही थी।
जो आदमी रीना के होंठ चूस रहा था, जब उसने देखा कि उसके सब साथी उसके आस पास आ गए हैं, तो उसने उन बारी बारी उन सब के हाथ पकड़ कर रीना के सीने पर रखे। सब बारी बारी से रीना के मम्मे दबा कर देखे। पहले ब्लाउज़ के ऊपर से ही मगर जल्द ही उन्होंने उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिये। नीचे गोरे बदन पर सुर्ख लाल ब्रा और भी कहर बरपा रहा था। ब्लाउज़ के दोनों पल्ले खोल कर एक बोला- देख यार, क्या ज़बरदस्त माल है साली। साली छिनाल के मम्मे तो देख, कितने रसीले हैं। दूसरा बोला- अबे मादरचोद अगर रसीले हैं तो चूस ले, किसने रोका है।
तो उसने रीना की ब्रा ऊपर उठाया और उसके दोनों मम्मे बाहर निकाल लिए। हल्के भूरे निप्पल वाले गोरे, भरे हुये मम्मे। सब के सब कुत्तों की तरह उसके मम्मों पर टूट पड़े, कभी कोई दबाता तो कभी कोई चूसता। इतने में किसी ने रीना की साड़ी भी खोल, कोई उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल रहा था, कोई उसका ब्लाउज़ और ब्रा उतार रहा था। बीस सेकंड में ही उन्होंने मेरी प्यारी पत्नी का चीरहरण करके उसे बिल्कुल नंगी कर दिया।
दो लोग उसके सामने नीचे बैठ कर उसकी जांघों और चूत को सहलाने, चाटने लगे दो उसके मम्मों पर चिपके हुये थे और पीछे वाला उसकी गांड पर अपना लंड निकाल कर घिसा रहा था और रीना के मुँह कभी अपनी जीभ डाल देता, कभी उसकी जीभ चूसता।
अपनी पत्नी को पाँच मुश्टंडों के बीच फंसी देख, मेरा भी मन कर रहा था कि मैं भी उनके साथ जाकर रीना के मखमली जिस्म का आनंद लूँ। मगर मैं उसको बहुत चोद चुका था। उसको गैरों से चुदवाते देखने का अपना अलग ही आनंद था, तो मैं सिर्फ अपनी जगह पर बैठा उनको देखता रहा।
रीना को नंगी करने के बाद वो लोग अपने भी कपड़े उतारने लगे। कुछ ही सेकंड में वो सब भी नंगे हो गए और पाँच शानदार कड़क लंड रीना के आस पास थे। रीना ने भी दो लंड अपने हाथों में पकड़ रखे थे और वो भी उनको हिला रही थी।
मगर अब वो वक़्त आ चुका था, जब सबके सब्र का बांध टूट चुका था। एक ने नीचे ही रीना को लेटा दिया और खुद अपना लंड रीना की चूत पर रखा और बोला- ले मेरी जान, आज तेरी चूत का उदघाटन करके मैं तुम्हें अपने क्लब में शामिल करता हूँ। रीना ने मेरी तरफ देखा, जैसे वो मुझसे अपनी चूत किसी दूसरे को सौंपने की इजाज़त मांग रही हो। मैंने भी अपना शराब की गिलास ऊपर को उठा कर चीयर्ज किया।
अगले ही पल रीना थोड़ा ऊपर को उठी, उसका मुँह थोड़ा सा खुला, एक हल्की सी ‘आह…’ और रीना की आँखों में जैसे कोई नशा तारी हो गया ही। उसकी इस हल्की सी आह ने मुझे बता दिया कि तेरी खूबसूरत बीवी की चूत में किसी दूसरे का लंड घुस चुका है। मुझे थोड़ा अजीब लगा, थोड़ा बुरा लगा, थोड़ी सी अपने पर ग्लानि भी आई। मगर अब इससे पीछे नहीं जाया जा सकता था।
चूत में लंड घुसा कर उसने रीना को धीरे धीरे चोदना शुरू किया। बाकी के आस पास बैठे, रीना के जिस्म को नोच रहे थे, रीना के सर के अगल बगल बैठे तो बारी बारी से अपने लंड रीना को चुसवा रहे थे। रीना की छाती के अगल बगल बैठे दोनों उसके मम्मे, पेट और जांघों को मसल रहे थे। और जो रीना को चोद रहा था, उसने रीना की दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख रखी थी।
थोड़ा चोदने के बाद वो हटा और दूसरे को बोला- ले मेरे यार, तू भी मज़ा ले इस रंडी की चूत का। रीना बोली- अरे यार, मैं तो तुम लोगों की दोस्त हूँ, मुझे यार कहो, रंडी तो मत कहो! तो जो दूसरा आगे आया था, उसने बड़ी बेरुखी से अपना लंड रीना की चूत में धकेला और बोला- साली मादरचोद, जो औरत अपने पति के सामने अंजान लोगों से अपनी चूत चुदवाए, उसे क्या सती सावित्री कहेंगे। तू साली रंडी है रंडी। रंडी, रंडी, रंडी, रीना रंडी! उसकी बात सुन कर सबके सब हंसने लगे।
मुझे अपनी पत्नी पर बहुत दया आई कि बेचारी कहाँ फंस गई। ये तो साले उसकी माँ चोद रहे हैं। अब तो उनकी चुदाई भी आक्रामक हो गई। वो रीना को ऐसे चोद रहे थे जैसे पैसे देकर लाएँ हों। मैंने एक बार कहा भी- भाई लोग आराम से, अपना ही माल है। तो एक बोला- अबे चुप बे भोंसड़ी के, भड़वा साला, साले अपनी बीवी पाँच अंजान लोगों के आगे लेटा दी और वो मुफ्त की दारू के लिए। मेरी बीवी अगर इतनी सुंदर होती, तो मैं कभी भी ऐसे लोगों के बीच में नहीं आता। बाकी सब ने भी उसकी बात में अपनी हामी भरी।
रीना बोली- तो इसका मतलब कि आप लोगों का कोई वाइफ स्वैपर्ज़ क्लब भी नहीं है? वो सब हंस दिये- अबे भोंसड़ी की, तेरी चूत मारने का प्रोग्राम तो हमने तब ही बना लिया था, जब हमने तुम्हें महल में देखा था। तुम्हारे मोटर साइकिल के टायर में कील भी हमने लगाई थी। मगर हैरानी की बात है, फिर भी तुम्हारा मोटर साइकिल इतनी दूर चल गया। इस हवेली में हम कल भी आए थे और सोच रहे थे कि अगर कोई बढ़िया आइटम मिल जाए तो यहीं इसी हवेली में अपनी मौज मस्ती करें। तुमने सोचा नहीं कि इस वीरान हवेली में ये गद्दा कहाँ से आया, जिस पर लेट कर तू अपनी माँ चुदवा रही है। ये हमने ही रखा था कल!
रीना बोली- तब तो तुम सब के सब हरामी हो। सब हंस पड़े. एक बोला- हाँ, अगर तेरे जैसी हरामखोर रंडियाँ न हों, और तेरे पति जैसे चूतिया लोग न हों, तो हम क्या कोई भी हरामी न होता। मुझे अपने आप पर शर्म आ रही थी। मगर रीना इस सब के बावजूद भी जैसे मज़े कर रही हो। वो हंस हंस कर उन से बातें कर रही थी।
फिर जो रीना को चोद रहा था, बोला- ए रंडी, मेरा पानी गिरने वाला है, बता कहाँ गिराऊँ, तेरी चूत में या तेरी माँ के भोंसड़े में? रीना बोली- अरे मेरी माँ की भोंसड़ी तो अब बूढ़ी हो गई, तू मेरी चूत में ही गिरा हराम के जने। वो बहुत खुश हुआ- अरे देखो रे साली कुतिया, अपनी ही बिरादरी की है। रीना बोली- अब जैसे हरामी मुझे पेल रहे हैं, उनकी सोहबत की कुछ असर तो मुझ पर होगा ही।
उस आदमी ने रीना की चूत को अपने माल से भर दिया। मैं देख सकता था कि जब उसने अपना लंड रीना की चूत से निकाला तो उसके साथ उसके बहुत सा गाढ़ा सफ़ेद वीर्य भी रीना की चूत से बह कर बाहर निकल आया। रीना तृप्त थी, उसके चेहरे पर संतुष्टि थी, खुशी थी, एक चमक थी। यह चमक मैंने सेक्स के दौरान रीना के चेहरे पर पहले कभी नहीं देखी थी। तो क्या रीना को भी ये गैंग बैंग, ये गैर मर्दों से चुदवाना पसंद है। मुझे तो उसने कभी नहीं बताया, पर अब उसका दमकता चेहरा तो यही बता रहा था।
फिर तीसरा आया और उसने रीना को खूब जम कर पेला और रीना की खूब माँ बहन एक की। वो भी अपना गर्म माल से रीना की चूत को भर कर नीचे उतरा। अगला आया तो बोला- सुन रंडी, मैं तुझे नहीं चोदने वाला। मैं नीचे लेटूँगा, और तू ऊपर आकर मुझे चोदेगी, चल खड़ी हो। कह कर उसने रीना के चूतड़ पर एक जोरदार चपत मारी।
रीना का चूतड़ लाल हो गया और वो अपने चूतड़ को सहलाती उठ खड़ी हुई। वो नीचे लेटा तो रीना उसके ऊपर आ बैठी, उसने खुद लंड को अपनी चूत पर सेट किया और नीचे को बैठती गई। वीर्य और उसकी अपनी चूत के पानी से लबालब हुई उसकी चूत बड़े आराम से उस आदमी का लंड निगल गई। उसने रीना के दोनों मम्मे पकड़ लिए जो पहले ही सबने दबा दबा कर गुलाबी कर दिये थे। जब रीना खूब उछल उछल कर ऊपर नीचे अपनी चूत खुद ही चुदवाने लगी तो उस आदमी ने रीना को नीचे को किया और उसे अपनी बांहों में कस लिया और उसके होंठ चूसने लगा। रीना भी उसके होंठों में अपने होंठ देकर मस्त थी तो उसने रीना को बड़ी कस कर अपने सीने से चिपका लिया।
तभी उसका एक साथ पीछे से आया और उसने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और रीना की गांड पर अपना लंड रखा। रीना एकदम से उछली- अरे नहीं पीछे नहीं, मैं पीछे नहीं करवाऊँगी। तो वो बोला- अबे चुप साली कुतिया की औलाद, अब तो तेरी गांड भी मारेंगे, और तेरे जिस्म के जिस भी छेद में लंड घुस सकता है, घुसेड़ देंगे। रीना ने कहा- अरे नहीं यार, मेरे पति से पूछ लो, मैंने आज तक ये काम नहीं किया। एक बोला- अरे तेरे खसम तो दम ही नहीं है, तू छोड़ उसे और चुपचाप मज़े ले.
एक बंदे ने अपना लंड रीना के मुँह में डाला और उसके सर के बाल पकड़ कर उसका मुँह अपने लंड से ही चिपका लिया। और फिर पीछे से उस दूसरे बंदे ने अपना लंड रीना की गांड में धकेल दिया। जब उसके लंड का टोपा रीना की गांड में घुसा तो जैसे रीना की आँखें बाहर निकल आई हो, उसका चेहरा लाल हो गया, आँखों से आँसू निकल आय। मगर मुँह में लंड होने की वजह से वो चीख भी नहीं पाई और उस बंदे का मोटा काला भद्दा सा लंड मेरी रीना की कुँवारी गांड को फाड़ कर अंदर घुस गया।
बिना रीना के दर्द की परवाह किए, बिना रीना के रोने की परवाह किए, वो यमदूत अपना लंड रीना की गांड में धकेलता रहा और तब तक नहीं रुका जब तक उसका आधे से ज़्यादा लंड रीना की गांड में नहीं चला गया। जब इतना लंड घुस गया, तो फिर वो लगा चोदने। वो रीना की गांड मार रहा था, उसके हिलने से रीना हिल रही थी, और रीना के हिलने से नीचे लेटे आदमी को खुद ब खुद रीना से चुदवाने का मज़ा आ रहा था।
अब रीना के तीनों बड़े सूराखों में लंड थे, और तीनों मिल कर रीना के तीनों सूराखों को चोद रहे थे। मुझे रीना पर बहुत दया आ रही थी मगर अब तो कुछ भी नहीं हो सकता था। मैं सिर्फ वहाँ फर्श पर लेटा, अपने सामने ये सब होते हुये देख रहा था। मैं सब देख समझ तो रहा था, मगर इस हालत में नहीं था कि जाकर अपनी रीना को इन दरिंदों की गिरफ्त से छुड़वा सकूँ।
मेरे सामने ही वो बारी बारी आकर रीना को चोदते रहे। जिसका जहां दिल करता, वो वो रीना के उस सुराख में अपना लंड डाल कर पेलता। शाम तक वो मेरी बीवी को चोदते रहे, नोचते रहे, मसलते रहे और गालियां बकते रहे। सब ने दो दो बार रीना के चूत, गांड और मुँह सब को चोदा।
इस घटना के बाद कितने दिन तक हम दोनों मियाँ बीवी सहज नहीं हो पाये, मगर इस घटना ने हमारा जीवन ही बदल दिया। मैं जहां रीना के सामने और दब्बू बन गया, वहीं रीना और भी बिंदास हो गई। मुझे मालूम है कि रीना के दो और लोगों से इस वक़्त नाजायज ताल्लुकात हैं, वो बड़ी बेशर्मी से उनसे चुदवाने जाती है, और अब तो चूत गांड मुँह सब में चुदवाती है. और अब तो वो अक्सर मुझे कह देती है- बहुत दिन हो गए यार … किसी गैर मर्द से नहीं चुदवाया, चलो न वहीं घूमने चलते हैं, शायद उस हवेली में फिर से वही मज़े करने को मिल जाएँ।
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