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दोस्तो, कैसे हो आप सब लोग, मैं विपुल कुमार उत्तरप्रदेश के एक नगर में रहता हूँ गोपनीयता बनाए रखने के लिए मैं नगर का नाम नहीं लिख रहा हूँ। दोस्तो समय नहीं मिल पाने के कारण कहानी नहीं लिख पा रहा था जिन लोगों ने मेरी पिछली कहानी
पढ़ी थी, वे तो पहचान ही गये होंगे और जिन्होंने नहीं पढ़ी है, वो लोग जाकर पढ़ सकते हैं. मेरी पिछली कहानी थी भाभी की सुहागरात की चुदाई लाइव देखी आप लोगों ने काफी पसंद भी किया, और जिन्होने मुझे ईमेल किये थे उनको धन्यवाद।
दोस्तो, आज जो कहानी मैं लिख रहा हूँ यह कहानी भैया के शादी वाले दिन की है। पिछली कहानी में आपको मैंने बताया था कि जिस फार्म हाउस में शादी हुई थी वहां मैंने एक लड़की को चोदा था. लेकिन कैसे चोदा … वो मैं आपको इस कहानी में बता रहा हूँ. तो चलिए शुरू करते हैं कहानी को।
दोस्तो, भाई भाभी की शादी के लिए जो फार्महाउस बुक किया गया था, वह बहुत आलीशान था, सारा इन्तजाम उसमें था। बहुत से काम की ज़िम्मेदारी मुझे दी गयी थी.
शाम तक सभी लोग फार्म हाउस पर पहुँच गए थे. तब शुरू हुआ शादी का कार्यक्रम। सभी लड़कियाँ भाभियाँ सज-धज के तैयार घूम रहीं थीं और कुछ लोग ऊपर बने कमरों में तैयार हो रहे थे।
फिर शुरू हुआ जयमाला का कार्यक्रम! एक तरफ डीजे बज रहा था और लोग नाच रहे थे, कुछ लोग स्टेज पर फोटो खिंचवा रहे थे. तभी मेरी नजर एक लड़की पर गयी. क्या गजब की मस्त लग रही थी वो! उसने गुलाबी रंग का गाउन पहन रखा था. मेरी नजर उस पर से नहीं हट रही थी. वो अपनी सहेलियों के साथ फोटो खिंचवा रही थी.
अब मैं उससे बात करने का मौका ढूंढ रहा था लेकिन वो मेरी तरफ देख ही नहीं रही थी। मैं सोच रहा था कि अगर इसकी चूत मिल जाए तो मजा आ जायेगा।
फिर वो अपनी सहेलियों के साथ पता नहीं कहाँ गायब हो गयी और मैं भी अपने दोस्तों के साथ डीजे पर डांस करने लगा। डांस करने के बाद जब मुझे भूख लगी तो मैं खाना खाने लगा. तभी मुझे वो फिर वहां दिखाई दी. वो आइसक्रीम खा रही थी तो मैंने सोचा कि अगर ये मिल गयी तो इसे लंड भी ऐसे ही चुसवाऊँगा।
तभी मेरे दोस्त आ गये और बोले- यार हमें तो बस दारू पीनी है, हमारी पार्टी कहाँ है? मैं उनको बाहर ले गया और बोतलें दी. फिर मैं वापस आ गया क्योंकि मैं बिल्कुल भी नहीं पीता हूँ।
अब रात का एक बज रहा था और मैं काफी थक गया था, मुझे नींद भी आ रही थी क्योंकि मैं सुबह से ही इधर-उधर भाग दौड़ के काम कर रहा था। मैंने सोचा चलो कि अब सो लेता हूँ क्योंकि फिर सुबह पाँच बजे विदाई होनी थी. नीचे शादी का कार्यक्रम था और ऊपर दो मंजिल तक कमरे बने थे. मैंने सोचा कि शायद कोई कमरा खाली मिल जाए जिसमें मैं सो सकूँ।
मैं ऊपर गया तो देखा कि पहली मंजिल का कोई भी कमरा खाली नहीं था और काफी लोग सो रहे थे. फिर मैं दूसरी मंजिल पर गया वहां कुछ कमरे खाली थे.
तभी एक कमरे से लड़की की हंसने खिलखिलाने की आवाज़ सुनाई दी तो मैं वहीं रूक गया और ध्यान से कान लगाकर सुनने लगा और समझ गया कि लड़का लड़की का चक्कर है. मैं ऐसे ही सुनता रहा. अन्दर से कुछ इस तरह की आवाज़ आ रही थी ‘आह … रहने दो यार … प्लीज कोई आ जायेगा. आउच … समझा करो ना … यहाँ कोई भी आ सकता है. ही ही ही ही तुम बहुत शरारती हो! प्लीज आज इतना ही रहने दो! तुमने सिर्फ किस करने के लिए बुलाया था, आगे मत करो।’ फिर लड़का बोला- मेरी जान, यहाँ कोई भी नहीं आयेगा. यहाँ सब अपने अपने कमरों में सो रहे हैं. बस एक बार करने दो. फिर मैं चला जाऊँगा।
दोस्तो, मैंने पहले कभी उस लड़की की आवाज़ नहीं सुनी थी और ना ही लड़के की … इसलिए मैं बाहर से नहीं पहचान पाया कि अन्दर वो ही लड़की है जिसको मैंने स्टेज पर फोटो खिंचवाते हुए देखा था. दो तीन मिनट तक तो मैं ऐसे ही सुनता रहा, मैंने सोचा कि कमरे का दरवाजा खुलवाऊँ या नहीं! फिर मैंने सोचा कि चलो जो होगा देखा जायेगा, शायद मेरा काम भी बन जाये।
मैंने दरवाजा खटखटाया तो अन्दर से आवाज़ आनी बन्द हो गई. मैंने दुबारा से खटखटाया और कहा- अन्दर कौन है? दरवाजा खोलो! फिर अंदर से लड़के ने कहा- मैं प्रशान्त हूँ, आप कौन? मैंने अपना नाम तो नहीं बताया और दरवाजा खोलने के लिए कहा तो वह बोला- मुझे नींद आ रही है और मैं सोने जा रहा हूँ.
अब मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था. मैंने कहा- मैं यहाँ का मालिक हूँ और दरवाजा खोल! अगर तूने अब दरवाजा नहीं खोला तो मैं दरवाजा तोड़ दूँगा. जब मैंने ऐसा कहा तो वह डर गया और डरते हुए दरवाजा खोल दिया, दरवाजा खुलते ही मैं अन्दर आ गया और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया। मैंने कहा- कौन है तू? यहाँ क्या कर रहा था? दरवाजा क्यों नहीं खोल रहा था, और कौन है यहाँ तेरे साथ? इस तरह मैंने चार-पांच सवाल एक साथ कर दिये.
उसने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने तेज़ आवाज़ में कहा- बता साले … बताता है या नहीं? और एक थप्पड़ उसके लगा दिया। फिर मैंने कहा- तेरे साथ यहाँ कौन लड़की थी? वो बोला- यहाँ कोई लड़की नहीं थी. उसने लड़की को पहले ही बैड के नीचे छिपा दिया था। परन्तु मुझे तो अआवाज सुनकर मालूम हो गया था कि कोई लड़की तो जरूर है।
मैं- जल्दी बताता है या नहीं? प्रशान्त- भैया, यहाँ कोई नहीं है और मैं तो बस आराम करने के लिए आया था। तभी मुझे डबलबैड के नीचे से चूड़ी के खनकने की आवाज़ सुनाई दी, मैं तुरन्त समझ गया और डबल बैड के नीचे झाँक कर देखा तो वह लड़की छुपी हुई थी। मैंने उससे कहा- अच्छा, तो तुम हो यहाँ पर! चलो ज्यादा सीधी मत बनो, मैंने देख लिया है बाहर निकल आओ!
वो लड़की फिर बाहर निकल आयी। मुझे देखकर वो दोनों बुरी तरह से डर गये थे। मैं- क्या हो रहा था यहां पर? क्या नाम है तुम्हारा? लड़की- जी मेरा नाम शीतल है। मैं- यहां पर क्या कर रहे थे तुम दोनों? शीतल- जी हम लोग बातें कर रहे थे। मैं- झूठ मत बोलो, मैंने बाहर से सब सुन लिया है, बताओ अन्दर क्या कर रहे थे तुम दोनों।
मेरे इतना कहते ही वो लड़की रोने लगी. मैं- रोने की जरूरत नहीं है सच सच बता दो नहीं तो सोच लो फिर क्या होगा। शीतल- हम लोग किस कर रहे थे, प्लीज हमें माफ़ कर दो। मैं- किस नहीं, तुम लोग चुदाई कर रहे थे। प्रशान्त- नहीं भैया, हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया, प्लीज हमें छोड़ दो।
“किस करना तो अच्छी बात है. चलो अच्छा अब मेरे सामने किस करो।” जब मैंने ऐसा कहा तो वह दोनों एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। मैं- जैसा मैं कहता हूँ करते हो या नहीं? फिर शीतल ने प्रशान्त के गाल पर रोते हुए किस किया और पीछे हट गयी तो मैंने कहा- ऐसे करते हैं क्या किस? मैं करके दिखाऊँ किस?
वो लड़की तो कांप रही थी, वो दोनों गिड़गिड़ाने लगे- प्लीज हमें छोड़ दो, हमें जाने दो, प्लीज हमें माफ़ कर दो आगे से हम लोग ऐसा नहीं करेंगे। मैंने कहा- मैं तुम दोनों को छोड़ दूँगा लेकिन पहले जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो. नहीं तो अभी सब लोगों को बुला लूंगा फिर तुम लोग सोच लेना क्या होगा। जब उन्होंने ये बात सुनी तो वो और भी ज्यादा डर गये।
तभी प्रशान्त भागने के लिए दरवाजे की कुंडी (चटखनी) खोलने लगा, मैंने तुरंत उसको पकड़ लिया और कहा- अच्छा, ज्यादा होशियार बनता है भोसडी के! और फिर उसको बाथरूम में बन्द कर दिया. यहाँ के सभी कमरों में होटल की तरह बाथरूम अटैच थे।
अब शीतल और ज्यादा रोने लगी तथा काँपने लगीं फिर मैंने शीतल को पकड़ा और डबल बैड पर बैठाया। मैं- शीतल, अब सच सच बताओ हुआ क्या था और मुझसे बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है। शीतल- मुझे प्रशान्त ने मिलने के लिए यहां बुलाया था और हम लोगों ने बस किस की थी फिर प्रशान्त मुझसे सैक्स के लिए कह रहा था। मैं- अच्छा तो तुम चाहती हो सैक्स करना, तुमने कितनी बार सैक्स किया है। शीतल- जी मैंने और प्रशान्त ने बस एक बार सेक्स किया था। मैं- मेरे साथ करोगी सेक्स? शीतल- नहीं।
जब मैंने उससे सेक्स करने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया, फिर मैं उससे सामान्य बातें करने लगा और प्रशान्त के बारे मे पूछने लगा तो उसने बताया- मैं दीदी(दुल्हन) के पड़ोस में रहती हूँ और प्रशान्त हमारे गाँव में रहता है. प्रशान्त का घर मेरे घर के पास ही में है। जिन दीदी(दुल्हन) की शादी में मैं आयी थी, उनकी मम्मी का प्रशान्त के घर आना जाना है, प्रशान्त भी कभी-कभी दीदी के घर आ जाता था. तभी से हम लोग एक-दूसरे को जानते हैं।
दोस्तो, अब मेरी समझ में आया कि यह लड़की शीतल मेरी होने वाली भाभी के पड़ोस में रहती है और प्रशान्त भी उनके गाँव में रहता है। शीतल के साथ उसके घर वाले भी शादी में आये थे लेकिन वो जयमाला के बाद खाना खाकर चले गये थे और शीतल जिद करके फेरों की रस्म देखने के लिए रूक गयी थी। और वैसे भी यार आजकल सर्दी में कौन रुकना चाहता है शादी में।
मैं- चलो अच्छा अब किस करते हैं। शीतल चुप थी सिर नीचे किये बैठी हुई थी लेकिन उसका मन था किस करने का, मैंने धीरे से उसकी ठोडी पकड़ कर चेहरा ऊपर किया और गाल पर माथे पर किस करने लगा। फिर मैंने उसके होटों पर किया तो वो सिहर गयी. मैं उसका कभी ऊपर का होंट चूसता तो कभी नीचे का … और कभी जीभ चूसता. अब धीरे-धीरे वो मेरा साथ दे रही थी. इस तरह हमारी किस लगभग दस मिनट तक चली.
फिर वो बोली- अब मुझे जाने दो, बहुत रात हो गई है. तो मैंने कहा- जब इतनी रात हो गई है तो अब सुबह ही जाना! और मैं उसे किस करने लगा। फिर मैंने पीछे से उसके गाउन की ज़िप खोल दी और पीठ पर किस करने लगा और उसका गुलाबी गाउन उतार दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा पैंटी में खड़ी थी. उसने बिल्कुल नयी गुलाबी रंग की ही ब्रा पैंटी पहनी थी जो शायद आज ही पहनने के लिए ही ख़रीदी थी।
मैंने उसको गोदी में उठा कर डबलबैड पर लिटा दिया. एक हाथ से उसके स्तन ब्रा के उपर से ही दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूत को रगड़ रहा था. अब वो सिसकारियाँ ले रही थी. कुछ देर तक ऐसा करने से वो पैंटी में ही झड़ गयी.
मैंने उसको बैठाया और पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और गीली पैंटी भी निकाल दी. अब वो मेरे सामने बिल्कुल नग्न अवस्था में बैठी थी। फिर मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े निकाल कर अंडरवियर में आ गया, मेरा लिंग तनकर अंडरवियर में खड़ा हो गया था. मैं ब्रीफ वाला फ्रेंची अंडरवियर पहनता हूँ तो उसमें वो अलग ही पता चल रहा था और शीतल बस उसे ही देख रही थी।
फिर मैंने अपना अंडरवियर उतार कर अलग कर दिया और लिंग चूसने के लिए कहने लगा. उसने ‘ना’ में गर्दन हिला कर मना कर दिया तो मैं अपने लंड को उसके होटों के पास ले गया और उसने कुछ सेकंड के बाद अपनी जीभ मेरे लिंग के सुपारे पर लगा दी और मैं धीरे-धीरे अपना लिंग चूसाने लगा। वो मुश्किल से आधा लिंग ही चूस पा रही थी बिल्कुल जैसे कुल्फी चूसते है मैंने नहीं सोचा था कि मेरी ख्वाहिश इतनी जल्दी पूरी हो जायेगी।
अब मैंने शीतल को लिटा के उसके ऊपर लेट गया और उसके स्तन चूसने व निप्पलों पर काटने लगा. उसकी सीई … सीई … आह … उहहह … आह … उई … सीईईई … की आवाजें निकल रही थी. फिर मैं अपनी जीभ उसके चूत के दाने अर्थात भगनासा पर फिराने लगा. उसकी चूत पर बिल्कुल छोटे-छोटे बाल थे. उसकी उम्र 18-19 साल के आसपास थी और प्रशान्त की 20-21 साल। अब वो कुछ ज्यादा ही तड़पने लगीं तो मैंने सोचा कि अब इसकी चूत फाड़ी जाए.
तो मैंने उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगा दिया और उसके दोनों पैर खोल कर अपने लिंग का सुपारा उसकी चूत के मुंह पर रख दिया, फिर मैंने उसके होटों को अपने होटों से बंद कर दिया और धीरे-धीरे लिंग डालने लगा. बड़ी मुश्किल से सुपारा ही अन्दर गया था और वो छटपटाने लगी. मैंने कुछ सेकंड रूककर जोरदार धक्का लगाया तो आधा लिंग उसकी चूत में चला गया. दर्द के मारे वो छूटने की पूरी कोशिश कर रहीं थीं लेकिन मेरी पकड़ से कहाँ छूटने वाली थी. दस सेकेन्ड बाद मैंने दूसरा धक्का लगा दिया जिससे वो बिलबिला पड़ी, उसकी आँखों में आंसू आ गए और वो रोने लगी. फिर मैं रूक गया और स्तन चूसने लगा।
उसने इससे पहले प्रशान्त के साथ सेक्स जरूर किया था लेकिन उसकी सील नहीं टूटी थी जो आज मैंने तोड़ दी थी। फिर कुछ देर बाद जब वो सामान्य हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किये और नीचे से वो भी मेरा साथ देने लगी। उसका दर्द अब कम हो गया था और उसे मजा आने लगा था.
लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया क्योंकि मैं अन्दर नहीं झड़ना चाहता था। जब मैंने अपना लिंग बाहर निकाला तो वह उसके खून से लाल हो गया था जो उसकी सील टूटने का सबूत दे रहा था।
फिर मैं अपना लिंग और उसकी चूत साफ करके उसको बांहों में लेकर लेट गया और बातें करने लगा. उसने मुझसे काफी सारी बातें की. उसने बताया कि लगभग दो महीने पहले घर पर कोई नहीं था तो प्रशान्त ने चोदने की कोशिश की थी लेकिन जैसे ही उसने लंड अन्दर डाला था मैं चीख पड़ी थी और रोने लगी थी. फिर प्रशान्त भी घबरा गया था और लंड को बाहर निकाल लिया था और फिर हमें तब से कोई मौका नहीं मिल रहा था।
इसके बाद मैंने उसे घोड़ी बना दिया. अब मैं उसे पीछे से घोड़ी स्टाइल में चोद रहा था. उसकी सिसकारियाँ जोर जोर से निकल रही थी तो मैंने उसकी ब्रा को उसके मुंह में ठूंस दिया था जिससे उसकी आवाज़ बाहर ना जाये और प्रशान्त वाली ग़लती मुझसे ना हो जाये। मैंने उसे लिटा के, घोड़ी बना के, डबल बैड पर झुका कर, खड़ा करके, अपने लंड पर बिठा के मतलब हर तरह से कई बार चुदाई की क्योंकि मैं भी पूरे जोश में था और ठंड भी बहुत पड़ रही थी.
इस तरह चुदाई करते करते सुबह के पाँच बज गए तो मैंने सोचा कि अब नीचे चलना चाहिए. फिर मैंने शीतल को कपड़े पहनने के लिए कहा और खुद भी पहने और शीतल को नीचे भेज दिया. फिर कुछ देर बाद मैं भी नीचे आ गया और प्रशान्त को ऊपर ही कमरे के अंदर बन्द कर दिया. नहीं तो वो कुछ भी गड़बड़ कर सकता था.
वैसे मैंने उन दोनों की फोटो भी मोबाइल में खींच ली थी, मैं सोच रहा था कि प्रशान्त की भी गांड मारूँ! लेकिन जब कुँवारी चूत सामने हो तो गांड का क्या करना … और मुझे तो सिर्फ चूत पसंद है।
फिर जब मैं नीचे आया तो भैया ने पूछा- तुम कहाँ थे? तो मैंने कहा- मैं सो गया था. फिर विदाई हो गई और हम सब लोग घर आ गये।
कुछ दिन बाद जब भैया की शादी की एलबम और वीडियो फिल्म बनकर आयी तो मैंने भाभी को फोटो दिखाकर शीतल के बारे मे पूछा, तो भाभी ने बताया कि वो उनके पड़ोस में रहती है और बीए में पढ़ती है.
कुछ महीनों बाद मैंने यह घटना भाभी को बताई तो वो बहुत हंस रही थी और आज भी हंसती है।
फिर जब भी मैं भाभी के मायके जाता तो मौका देखकर शीतल की चुदाई जरूर करता हूँ। तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये कहानी आप लोग प्लीज ईमेल करके मुझे जरूर बताना तो मैं फिर एक नई कहानी लिखूंगा। लड़कियाँ और भाभियाँ मुझे बेहिचक बेझिझक मेल कर सकती हैं। [email protected]
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