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नमस्कार दोस्तो, आपका दोस्त राज शर्मा एक बार फिर से! इस बार की कहानी बिलकुल ताज़ा है, अभी कुछ दिन पहले की ही कहानी है, चुत के रसिया राज ने एक और चुत पर अपने लंड की मोहर लगा दी। कोई सीलबंद चुत तो नहीं थी पर थी बेहद प्यासी तड़पती चुत।
मेरी एक गर्लफ्रेंड है प्रेरणा; दिल्ली में रहती है। गर्लफ्रेंड क्या है बस चुत का जुगाड़ है। अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ते पढ़ते उससे चैटिंग शुरू हो गई और फिर एक बार दिल्ली में मुलाक़ात हुई। मुलाक़ात इतनी लम्बी चली कि वो चुदने के बाद ही वापिस अपने घर गई।
प्रेरणा लगभग 27-28 साल की है, रंग गोरा है भरा भरा बदन। एक प्राइवेट कम्पनी में काम करती है। जब मुलाक़ात हुई तो बात कहानियों से शुरू हुई और फिर सेक्स की बातें करते करते वो इतनी गर्म हो गई कि कैफ़े से शुरू हुई मुलाक़ात होटल के रूम में बेड तक पहुँच गई।
“राज … तुम्हारी बातों ने मेरे बदन में खलबली मचा दी है … लगता है जाते ही बॉयफ्रेंड से चुदवाना पड़ेगा चुत ठंडी करने के लिए!” प्रेरणा ने सेक्स की आग में सुलगते हुए आह भरते हुए कहा। “प्रेरणा जी … यह क्या बात हुई … अंगीठी हम सुलगायें और हाथ कोई और सेक जाए?” “मतलब?” “मतलब भी अब मुझे ही बताना पड़ेगा क्या जी?” “क्या आप?” प्रेरणा ने बात अधूरी छोड़ते हुए प्रश्नात्मक ढंग से कहा। “क्यों … मैं भी तो तुम्हारा दोस्त हूँ … और जिस चीज के लिए आपको बॉयफ्रेंड याद आ रहा है वो तो मेरे पास भी है … फिर इंतजार क्यों करना … बस आदेश करो बन्दा सेवा में हाज़िर है.” मैंने सीधे तौर पर चुदाई के लिए उसको आमंत्रित किया। “पर आपके साथ कैसे?” “वैसे ही जैसे आप अपने बॉयफ्रेंड के साथ …”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई और बोली- आप बहुत तेज हो राज जी … पहली ही मुलाक़ात में बेडरूम दिखाना चाहते हो? “मुलाक़ात बेशक पहली है पर जरूरत तो दोनों की एक ही है … और फिर आप तो जानती ही हैं कि मैं ठहरा चुत का रसिया … बस हाँ कहो और फिर देखो बन्दा कैसे खुश करता है आपको!” मैंने प्रेरणा के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा तो वो थोड़ी ना नुकर के बाद मान गई।
मैंने झट से होटल में रूम बुक किया और प्रेरणा को लेकर पहुँच गया होटल के कमरे में। प्रेरणा शायद पहली बार किसी अनजान के साथ आई थी चुदाई का मजा लेने। वो थोड़ा नर्वस सी थी।
कमरे में आते ही मैंने दरवाजा बंद किया और प्रेरणा का हाथ पकड़ कर उसको अपनी तरफ खींचा तो तो थोड़ा लरजते हुए मेरे पास आई। मैंने उसको अपनी बाहों में कैद कर लिया और पहले उसके माथे पर और फिर सीधा उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। प्रेरणा का बदन कांप रहा था, वो शर्मा रही थी।
“प्रेरणा अगर ऐसे शरमाओगी तो फिर मजा कैसे आएगा … शर्म छोड़ो और खुल कर मजा लो … ताकि आज के बाद जब भी किसी से चुदो तो राज की याद जरूर आये!”
मेरे कहने से प्रेरणा भी अब थोड़ा खुलने लगी और वो भी चुम्बन लेने-देने में अपना योगदान करने लगी। ऐसे ही होंठ चूसते चूसते मेरे हाथ उसकी छाती पर उभरी दो पहाड़ियों का नाप लेने लगे। मस्त कठोर चुचियाँ थी प्रेरणा की। जब मैंने उसकी चूची को मसला तो उसके मुंह से आह निकल गई और उसकी चुदने की चाहत सिसकारियों के रूप में बाहर आने लगी थी।
समय का अभाव था तो मैंने जल्द से जल्द काम निपटाने की सोची और बिना देर किये उसके कपड़े एक एक करके कम करने शुरू किये तो कुछ ही पल में वो मेरे सामने अपनी छोटी छोटी झांटों में छुपी चुत लिए नंगी खड़ी थी। नंगी होने के बाद वो थोड़ा फिर से शरमाई पर उसकी शर्म को दूर करने के लिए मैंने भी अगले ही पल अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके नंगे बदन को अपनी बांहों में भर कर अपने होंठ उसके होंठों पर लगा दिए और मेरे हाथ फिर से उसकी कठोर चुचियों का मर्दन करने लगे। एक हाथ से उसकी चूची मसलते समय मेरा दूसरा हाथ उसकी नंगी गांड पर घूम रहा था जो थोड़ी ही देर में उसकी झांटों से होता हुआ उसकी चुत के मुहाने पर पहुँच गया। जैसे ही मैंने ऊँगली से प्रेरणा की चुत के दाने को सहलाया वो झुरझरी लेते हुए मुझसे लिपट गई।
प्रेरणा की चुत गीली हो गई थी। मैंने प्रेरणा को उठा कर बेड पर लेटाया और अपने होंठ उसकी टपकती चुत पर रख दिए। स्वादिष्ट नमकीन पानी और महकती चुत को चाटने में मजा आ गया था। मैं जीभ से उसकी चुत के दाने को सहलाने लगा और बीच बीच में उसे अपने होंठों और दाँतों से हल्के हल्के काट भी लेता था। चुत ज्यादा चुदी हुई नहीं थी और टाइट लग रही थी। कुछ देर की मेहनत से ही प्रेरणा की चुत पानी पानी हो गई थी।
मैंने उठ कर अपना लंड उसके होंठों तो से लगाया तो प्रेरणा ने भी बिना किसी हिचक के लंड अपने मुँह में भर लिया। मस्त लंड चूसा प्रेरणा ने। ऐसा लग रहा था जैसे इस काम में उसे पूर्ण महारत हासिल हो। कुछ देर चूसने के बाद उसने लंड बाहर निकाला। लंड प्रेरणा के थूक से गीला हो गया था।
“राज … पहले ही चुत भट्टी बनी हुई है जल्दी से लंड डाल कर इसकी गर्मी निकाल दो मेरे राजा जी!” “अभी लो मेरी सरकार!” कह कर मैंने अपना अकड़ कर लोहा हुआ लंड प्रेरणा की चुत के मुहाने पर टिका दिया। “राजा जी … आराम से डालना … मेरे बॉयफ्रेंड से मोटा है आपका हथियार … बाद में पता लगा चुत फाड़ ही डाली!” “चिन्ता क्यों करती हो मेरी रानी … इस काम में तो मास्टर डिग्री ली हुई है.”
मैंने लंड का दबाव चुत पर बढ़ाना शुरू किया तो प्रेरणा के चेहरे पर दर्द के भाव उभरे। प्रेरणा की चुत अपने ही कामरस से भीगी होने के कारण चिकनी हो गई थी जिससे लंड धीरे धीरे चुत में फिसलता चला गया। चुत भट्टी की तरह गर्म थी और टाइट भी थी। चुत की दीवारे लंड से चिपकी हुई थी और लंड को अन्दर आसानी से जाने नहीं दे रही थी। मैंने थोड़ा सा उचक कर एक जोरदार धक्का लगाया तो आधा लंड चुत को फैलाता हुआ अन्दर घुस गया।
लंड अन्दर जाते ही प्रेरणा की चीख निकल गई और वो दर्द के मारे थोड़ा सा छटपटाई। पर क्योंकि वो पहले भी चुद चुकी थी और उसको पता था कि आगे आगे कितना मजा आने वाला था तो वो सह गई और उसने कसकर मेरी कमर पर अपने हाथ लपेट लिए। मैंने भी बिना देर किये दो और जोरदार धक्के लगा कर पूरा लंड चुत में घुसा दिया और कुछ पल के लिए रुक गया।
“राज … तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और लम्बा है … सीधा बच्चेदानी से टकरा रहा है … पूरी भर गई मेरी चुत तुम्हारे लंड से!” कुछ देर बाद जब दर्द कुछ कम हुआ तो प्रेरणा मुझसे बोली। “तुम्हारी चुत भी बहुत गर्म और टाइट है … सच में बहुत शानदार चुत है तुम्हारी!”
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए और फिर तो कमरे में आहें और सिसकारियाँ ही सुनाई दे रही थी। लगभग आधा घंटा प्रेरणा और मैं एक दूसरे से उलझे रहे और घपाघप चलती रही। आसन बदल बदल कर हुई चुदाई में प्रेरणा तीन बार झड़ कर ठंडी हो गई थी। जब तीसरी बार झड़ी तो मेरे लंड ने भी उसका साथ देते हुए उसकी चुत गर्म गर्म वीर्य से भर दी।
“राज … बहुत मस्त चुदाई करते हो तुम यार … मेरा बॉयफ्रेंड तो पाँच मिनट से ज्यादा नहीं चोद पाता और झड़ जाता है … तुमने तो मेरा तीन बार पानी निकाल दिया वो तो कभी कभी मेरे झड़ने से पहले ही हथियार डाल देता है.” प्रेरणा हाँफती हुई बोली।
कुछ देर आराम करने के बाद प्रेरणा एक बार और चुदी और फिर हम दोनों अपने अपने रास्ते चले गए।
उस दिन की चुदाई से प्रेरणा मेरी दीवानी हो गई थी। अब तो उसका लगभग हररोज फ़ोन आने लगा था। वो इंतज़ार करती थी कि कब मेरा दिल्ली आना हो और वो मुझसे चुदवाये। अगले दो साल में मैंने उसको पचास से ज्यादा बार चोदा।
अभी एक महीना पहले उसका फ़ोन आया तो वो बोली कि वो मुझे एक सरप्राइज देना चाहती है और जब भी बात होती वो उसका जिक्र जरूर करती।
अभी कुछ दिन पहले मेरा दिल्ली जाना हुआ तो मैंने उसे बता दिया। वो बड़ी खुश हुई। दिल्ली पहुँचने तक ही उसके दो तीन फ़ोन आ गए। मुझे शाहदरा जाना था तो उसने एक जगह बताई और वहाँ मिलने को कहा।
अपना काम निपटा कर मैं जब उसकी बताई जगह पर पहुँचा तो वो वहाँ पहले से ही खड़ी थी। मेरे गाड़ी रोकते ही वो जल्दी से गाड़ी में बैठ गई और आते ही एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया उसने मेरे गाल पर। “आज बड़ी खुश हो … क्या ख़ास बात है मैडम आज?” “अभी बताती हूँ … अभी तो बस तुम चलो.” “पर चलना कहाँ है?” उसने एक पता दिया जो किसी सोसाइटी का था। मैं उसके बताये रास्ते से होते हुए उस सोसाइटी में पहुँच गया। मुझे लगा कि शायद किसी सहेली का फ्लैट होगा जहाँ चुदने का मूड होगा आज मैडम का।
मन में थोड़ी उथलपुथल सी थी पर मैं फिर भी चुपचाप उसके पीछे पीछे चलता रहा और वो मुझे वहाँ सातवीं मंजिल पर ले गई। एक फ्लैट के सामने जाकर उसने बेल बजाई। मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था पर वो मुझसे दो साल से चुद रही थी और फिर आज उसने सरप्राइज देने का कहा तो मन में आया कि कहीं आज ये प्रेरणा अपनी किसी सहेली की चुत तो नहीं चुदवाने वाली मुझसे?
खैर कुछ देर बाद दरवाजा खुला तो अन्दर से एक लगभग पैंतीस साल की औरत ने एक आकर्षक मुस्कान के साथ दरवाजा खोला। देखने में मस्त लग रही थी वो औरत। महँगी जालीदार साड़ी में लिपटी बिना बाजू के ब्लाउज में वो क़यामत लग रही थी। दरवाजा खोल कर वो अन्दर चली गई।
मैंने प्रेरणा से पूछा तो वो बोली- अन्दर आ जाओ सब बताती हूँ। मैं चुपचाप उसके साथ अन्दर चला गया।
अन्दर जाकर सोफे पर बैठे तो वो क़यामत सी लगने वाली औरत जिसका नाम मधुबाला था अपने हाथ में तीन गिलास शरबत लेकर आई और हमारे सामने बैठ गई।
लेखक की मेल आईडी नहीं दी जा रही है.
कहानी का अगला भाग: गर्लफ्रेंड से मिला तोहफा-2
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