This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग चिकने बदन-1 में अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपनी बहन के साथ खुली हुई थी, कैसे हम दोनों बहनों ने अपनी शादी से पहले और बाद में भी नए नए लंड खाए और मजा किया. मेरी बहन मेरे घर आई हुई है और हम दोनों ने एक दूसरी की झांटें साफ़ की. अब आगे:
वो बोली- यार, जब से तूने अपने बॉयफ्रेंड का किस्सा सुनाया है न, मन बड़ा बेचैन है। मैंने पूछा- मेरे यार पे दिल आ गया तेरा? वो बोली- हाँ यार … पूछ न उससे अगर वो आ जाए तो … दोनों बहनें मिलकर मज़े करेंगी।
मैंने झट से कनिष्क को फोन मिलाया और उस से बात की मगर वो कहीं बिज़ी था, और बोला- एक घंटे तक आऊँगा। मैंने मंजू से कहा- वो तो एक घंटे तक आएगा। वो बोली- तो एक घंटे तक मैं क्या करूंगी? मैंने कहा- इतनी क्या आग लग गई तेरे? वो बोली- पता नहीं यार, मैं खुद हैरान हूँ। जी कर रहा है कोई भी आ जाए बस, और आ कर पेल दे मुझे! मैंने कहा- तो आ तो रहा है घंटे भर में … एक घंटे तक सब्र कर ले।
मैंने एक टिशू पेपर से पहले अपनी झांट पर लगी सारी वीट साफ की और फिर मैंने एक और टिशू पेपर लिया और मंजू की चूत के आसपास से सारे बालों पर लगी वीट साफ करने लगी। एकदम से चिकनी चूत निकल आई थी उसकी। फिर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर अपनी अपनी चूत को अच्छे से पानी और साबुन से धोया।
मंजू आकर बेड पे लेट गई, मैं तोलिया ले कर आई और अच्छी तरह से उसकी चूत साफ करके, मैंने उस पर हल्की सी मोइश्चराइज़र क्रीम लगा दी। बिल्कुल साफ गोरी चूत जैसे किसी बच्ची की चूत हो। मैंने कहा- तेरी तो चमक गई! मगर मंजू किसी और ही मूड में थी, बोली- सीमा, अपनी उंगली अंदर डाल दे। मैंने कहा- क्या? वो आँखें बंद किए लेटी थी, बोली- डाल दे यार।
मैंने अपनी बड़ी वाली उंगली उसकी चूत में डाली। वो तो पहले से ही गीली थी और मेरी पतली सी उंगली बड़े आराम से उसके अंदर चली गई। वो बोली- एक नहीं, जितनी डाल सकती है उतनी उँगलियाँ डाल दे यार। मैंने अपने हाथ की 4 उंगलियां उसकी चूत में डाल दी।
उसने मेरी कमर को खींच कर अपनी ओर किया, मुझे लगा कि ये अब मेरी चूत में अपनी उंगली डालेगी। मैंने भी अपनी कमर उसके पास करके अपनी टाँगें खोल दी। मगर उंगली डालने की बजाये मंजू ने तो मेरी चूत से मुंह ही लगा लिया। अब चूत तो मैंने भी बहुत चटवाई है, मगर हमेशा मर्दों से। किसी औरत से और वो भी अपनी सगी बहन से चूत चटवाने का यह पहला मौका था। वो जैसे सेक्स की भूख से मरी जा रही थी, मेरी चूत के अंदर तक जीभ डाल कर और मेरी भगनासा को अपने होंठो से चूस चूस कर उसने तो मेरी भी आग भड़का दी थी।
मैंने भी सोचा कि अब जब सब कुछ हम आपस में कर सकती हैं तो ये क्यों नहीं। मैंने भी अपनी उंगलियाँ मंजू की चूत से निकाली और मैं भी उसकी चूत चाटने लगी। दोनों बहनें चुपचाप, मगर हम दोनों की ज़ुबान रुकी हुई नहीं थी, अपने होंठों और ज़ुबान से हम लगातार एक दूसरी को ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा देने के लिए पूरा मन लगा कर चूतें चाट रही थी। जितना मज़ा मुझे अपनी चूत चटवा कर आ रहा था, उतना ही मज़ा मैं मैं मंजू की चूत चाट कर उसे देने की कोशिश कर रही थी। यही सब कुछ मंजू भी कर रही थी।
फिर मंजू घूमी और किसी मर्द की तरह उसने मेरे पाँव पकड़ कर मेरी टाँगें चौड़ी की, जैसे अपना लंड मेरी चूत में डालने लगी हो। मगर उसने अपनी चूत ही मेरी चूत पर रख दी और अपनी कमर हिला कर लगी रगड़ने। उसके इस एक्शन से मेरी चूत में भी खलबली मच गई … मुझे भी उसकी चूत से अपनी चूत रगड़ कर बहुत मज़ा आ रहा था। वो ऊपर से और मैं नीचे से अपनी कमर हिलाती रही। वो नीचे झुकी और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
इतना प्यार तो मेरी बहन ने मुझे पहले कभी नहीं किया था। मैं भी चूस रही थी, एक दूसरी के मम्में दबाये, होंठ चूसे, जीभ भी चूसी, और तब तक एक दूसरी की चूत पर चूत रगड़ी जब तक हम झड़ नहीं गई। पहले मंजू का पानी निकला, साथ ही मेरा भी पानी छूट गया। दोनों बहनों की चूत से निकलने वाले सफ़ेद पानी से झाग सी बन गई, और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में एक दूसरी को चूमते हुये हंसने लगी।
मैंने मंजू से पूछा- आज क्या हो गया था तुझे? वो बोली- पता नहीं यार, बहुत आग लगी थी, बदन में! मैंने पूछा- अब तो शांत हो गई? वो बोली- नहीं, शांत तो तेरे यार का लंड ले कर ही होऊँगी। मैंने कहा- कोई बात नहीं … आता ही होगा वो!
थोड़ी देर बाद वो भी आ गया, जब डोरबेल बजी तो मैं ऐसे ही नंगी ही दरवाजे तक गई, और दरवाजे के पीछे छुप कर ही दरवाजे का लॉक खोल दिया। जब वो अंदर आया तो मुझे नंगी देखकर बड़ा हैरान हुआ- अरे ये क्या, पहले से ही तैयार हो? मैंने कहा- हाँ, और एक सरप्राइज़ भी है तुम्हारे लिए।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने बेडरूम में ले गई। अंदर बेड पर मंजू नंगी पड़ी थी, मगर हमें आते देख उसने अपने बदन पर चादर ले ली। मैंने कहा- आज तुम्हें सिर्फ मुझे नहीं, मेरी बहन को संतुष्ट करना पड़ेगा। वो बोला- अरे वाह, जब आप लोगों से बाज़ार में मिला था, तभी मैंने सोच रहा था कि तुम्हारी बहन भी बड़ी शानदार चीज़ है। और देखो, भगवान ने मेरी सुन ली! कहते हुये वो मंजू के पास गया और मंजू से हाथ मिलाने के लिया अपना हाथ आगे बढ़ाया।
मंजू ने अपनी चादर से अपना हाथ बाहर निकाला और उससे हाथ मिलाया, मगर चादर कंधे से सरक गई और मंजू का एक मम्मा नंगा हो गया। जैसे ही वो ढकने लगी, कनिष्क बोला- अरे अरे अरे … छुपाती क्यों हो, वैसे भी अभी सब कुछ खुलने वाला है तो छुपाओ मत, दिखा दो। और कहते कहते कनिष्क ने मंजू की सारी चादर खींच कर उसे नंगी कर दिया। गोरा भरपूर बदन … वो मंजू के पेट, जांघों पर हाथ फेर कर बोला- अरे यार, क्या बात है, तुम दोनों के बदन बहुत चिकने हैं, मस्त माल हो दोनों!
मैंने आकर कनिष्क को पीछे से आगोश में ले लिया। कनिष्क ने मंजू के दोनों मम्में दबाये और उठ कर खड़ा हो गया। मैं भी जाकर मंजू के साथ ही लेट गई। कनिष्क ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और बिल्कुल नंगा हो गया। उसका 7 इंच का लंड, गुलाबी टोपा सब हमारे सामने था।
लंड देखते ही मंजू उठ खड़ी हुई और उसका लंड हाथ में पकड़ा और चूसने लगी। कनिष्क बोला- चूस मेरी जान चूस … इसी ने तेरी बहन चोदी है, और आज ये तुझे भी छोड़ेगा नहीं।
मैं भी उठ कर कनिष्क के पास आ गई और कनिष्क मेरे होंठों को चूसने लगा, एक हाथ उसका मेरे मम्में पर था तो दूसरे से मंजू के मम्में दबा रहा था। फिर उसने मुझे भी नीचे को धकेल दिया, अब हम दोनों बहनें उसके लंड को चूस रही थी, कभी लंड का टोपा मंजू के मुंह में तो कभी मेरे मुंह में।
लंड चुसवाते हुये कनिष्क ने हम दोनों बहनों के जिस्मों को खूब सहलाया, कभी मेरी चूत में उंगली करता तो कभी मंजू की गांड पर चांटा मारता। दोनों बहनों के बदन को उसने अपने हाथों से भर भर के नोचा। और हम दोनों किसी गुलाम की तरह या फिर कुत्तियों की तरह उसके लंड को चूस चाट रही थी।
फिर मंजू बोली- यार बहुत चूस लिया, अब तो अंदर डाल मेरे। वो तो फटाफट लेट गई उसके लेटते ही कनिष्क उसके ऊपर गया तो मंजू ने अपनी टाँगें खोल दी. और अगले ही पल मेरे यार का लंड मेरी बहन की चूत में अंदर तक समा गया। कनिष्क मेरी तरफ देख कर आँख मारकर बोला- देख तेरी बहन चोद रहा हूँ। तो मंजू बोली- बेटे, मैं तेरी माँ हूँ, तू उसकी बहन नहीं चोद रहा साले, अपनी माँ को चोद रहा है।
उसकी बात सुन कर कनिष्क बहुत हंसा- अरे वाह, साली रंडी तू तो मेरे टाइप की है, क्या मस्त गाली देती है, और भोंक कुतिया। कनिष्क की बात सुन कर मंजू बोली- अगर मैं कुतिया हूँ, तो तू कुतिया का पिल्ला है, तेरी माँ पर गली के 10 कुत्ते चढ़ें होंगे, हरामी तब तू पैदा हुआ होगा, साले मादरचोद, ज़ोर से चोद अपनी माँ को, कुतिया के बच्चे, साले।
मैं भी हैरान थी, क्योंकि कभी मैंने मंजू के मुंह से ऐसी भाषा सुनी ही नहीं थी, मैंने कहा- यार … ये क्या बकवास है, हम यहाँ प्यार करने आए हैं और आप दोनों इस तरह लड़ रहे हो। कनिष्क बोला- अरे मेरी जान, लड़ नहीं रहे हैं, ये भी प्यार है. और फिर मंजू की तरफ मुंह कर के बोला- क्यों मेरी कुतिया माँ, अपने बेटे का लंड अपनी प्यासी चूत में लेकर मजा आया? मंजू बोली- अरे पूछ मत मेरी जान, क्या मस्त लंड है मेरे बेटे का, आह… सच में ज़बरदस्त। शाबाश बेटा, तेरे लंड ने तो तेरी माँ की चूत की खुजली मिटा दी। लगा रह और दबा के चोद अपनी माँ को, शाबाश, और ज़ोर से हा… और ज़ोर से मार।
कनिष्क भी बड़ी ज़ोर ज़ोर से मंजू को चोद रहा था मगर ऐसे लग रहा था, जैसे जैसे वो चोद रहा है, मंजू की तड़प और बढ़ती जा रही है।
मैं एक तरफ बैठी देख रही थी मगर कनिष्क और मंजू तो जैसे मुझे भूल ही गए थे। कितना गंद बका उन दोनों एक दूसरे के लिए, कितनी गालियां दी। इतनी गालियां तो मैंने अपनी सारी ज़िंदगी में नहीं सुनी होंगी. और देखने वाली बात यह कि दोनों में से कोई बुरा नहीं मान रहा था। कनिष्क ने मंजू की माँ, बहन बेटी सब के लिए गंद बका। उसे कुतिया, रंडी, गश्ती, वेश्या, रांड और ना जाने क्या क्या कहा। मंजू ने भी उसकी माँ बहन को खूब गालियां दी। उसकी माँ को भी उसने वही सब शब्द कहे जो कनिष्क उसको कह रहा था।
फिर मंजू का स्खलन हुआ, जब उसका पानी छूटा तब भी उसने कनिष्क को बहुत गाली दी। जब वो शांत हुई, तो कनिष्क बोला- क्यों री छिनाल, साली दो टके की गश्ती, इतनी जल्दी झड़ गई? अभी तक तेरी बहन के यार का लंड तो खड़ा है, इसे क्या तेरी माँ ठंडा करेगी, चल इसे अपने मुंह में लेकर चूस, और अपने दामाद का माल पी साली। उसने मंजू को उसके सर के बालों से पकड़ कर खींचा, उसे दर्द हुआ, वो चीखी भी मगर फिर भी उसने बड़ा मुस्कुरा कर कनिष्क का लंड अपने मुंह में लिया और चूसने लगी।
कनिष्क बेड के बीच अपनी टाँगें खोल कर बैठ गया, अब उसके एक तरफ घोड़ी बन कर मैं उसका लंड चूसने लगी तो दूसरी तरफ मंजू। कनिष्क बोला- वा…ह, क्या मस्त गांड है दोनों कुत्तियों की! और उसने हम दोनों के चूतड़ों पर हाथ फेरा, मगर हम दोनों बहनें उसका लंड चूसती रही, वो हमारे बदन पर यहाँ वहाँ हाथ फेर कर मज़े लेता रहा.
और फिर उसका भी लंड पिचकारी मार गया। ढेर सारा वीर्य निकला जिसे मैंने और मंजू दोनों ने चाटा, कुछ हमने चाट कर खा लिया, कुछ यूं ही बह गया। शांत होने के बाद कनिष्क भी ढीला सा होकर लेट गया और हम दोनों बहने भी उसके अगल बगल उसके साथ चिपक कर लेट गई।
मंजू बोली- सीमा यार … तू अपना ये यार मुझे दे दे। मैंने पूछा- क्यों? वो बोली- अरे यार … क्या मस्त जलील करता है, क्या बढ़िया बढ़िया गाली निकालता है, सच कहूँ तो मज़ा आ गया इसके नीचे लेट कर। सम्पूर्ण मर्द है यार ये! मैंने कहा- अगर इसे तुझे दे दिया तो मैं क्या करूंगी? कनिष्क बोला- अरे यार ऐसा करते हैं न, इस कुतिया का तो यार मैं हूँ ही, जब ये बड़ी कुतिया आया करेगी, तो इस पर भी चढ़ जाया करूंगा।
मंजू खुश होकर बोली- हाँ … पर ऐसा कर, अगली बार अपनी माँ को भी ले आना, तीनों कुत्तियों को एक साथ चोदना। कनिष्क बोला- अरे मेरी माँ को तो मेरा बाप ही सांस नहीं लेने देता, चोद चोद कर उसकी चूत का भोंसड़ा बना रखा है। मैंने पूछा- तूने देखा है? कनिष्क बोला- क्या? अभी मैं बोलने में थोड़ा शर्मा कर गई, मगर मंजू बोली- तेरी माँ का भोंसड़ा और क्या? कनिष्क बोला- हाँ देखा है।
मैंने बड़े हैरान होकर पूछा- तूने अपनी माँ की देखी है। वो बोला- हाँ एक बार देखी थी।
मंजू बड़े शरारती अंदाज़ में बोली- कैसी थी, मज़ा आया देख कर? कनिष्क बोला- अरे बता तो रहा हूँ, बाप ने तो उसका सत्यानाश कर रखा है, तुम दोनों जैसी मस्त नहीं है उसकी।
और उसके बाद भी हम करीब आधे घंटे तक आपस में वैसे ही नंगे लेटे बातें करते रहे। उसके कनिष्क ने एक शॉट मेरा मारा, मगर मैं सेक्स में ज़्यादा शोर नहीं मचाती तो, मुझे चोदने के बाद कनिष्क बोला- तुझे चोदने से अच्छा तो आटे की बोरी में लंड घुसा दो। तभी मंजू बोली- और मेरे बारे में क्या ख्याल है राजा? कनिष्क बोला- हाँ, तू मस्त माल है, जानदार। तुझे तो मैं फिर चोदने का विचार रखता हूँ।
फिर मैं सब के लिए दूध गर्म करके लाई, तीनों ने दूध पिया, उसके बाद कनिष्क ने एक बार और मंजू को जम कर चोदा और दोनों ने खूब माँ बहन की एक दूसरे की। फिर कनिष्क चला गया।
बाद में मैंने मंजू से पूछा- तूने कनिष्क के साथ बड़ी गाली गलौच की? वो बोली- अरे यार, जैसी भाषा उसने मेरे साथ इस्तेमाल की, वैसी ही भाषा मैं उसके साथ इस्तेमाल की, न उसको गम न मुझे गम।
मैं बड़ी हैरान हुई सोच कर कि ‘यार इंसान भी क्या क्या अजीब शौक रखता है।’
शाम को बच्चे आ गए, उसके बाद मंजू और दो दिन मेरे पास रही, मगर उसके बाद हमें ऐसा मौका नहीं मिला क्योंकि बच्चे घर पर ही रहते थे। मगर वापिस जाने के बाद मंजू का फोन आया- अरे सुन, कनिष्क से कहना मैं अगले महीने फिर आऊँगी, बच्चे गोवा जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं, 4-5 दिन प्रोग्राम है, दोनों बहनें मिल कर खूब मज़े करेंगी। और मैं अब अगले महीने का इंतज़ार कर रही हूँ।
[email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000