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अन्तर्वासना के सभी पाठकों और लेखकों को नमस्कार. उम्मीद करता हूँ कि लंडों को चूतों और चूतों को लंडों की गर्माहट मिल रही होगी.
मेरा नाम सन्दीप है और मैं अम्बाला का रहने वाला हूँ. मैं एक सरदार परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ. यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है, तो लिखने में कोई ग़लती हो तो माफ़ करना.
बात उस समय की है, जब मैं बी.टेक. की पढ़ाई कर रहा था. घर में पढ़ाई का माहौल ना होने के कारण मुझे शहर में किराए का कमरा लेना पड़ा. मैं 5 फुट 7 इंच का अकेला नौजवान लड़का हूँ, तो मुझे कोई भी कमरा देने के लिये राज़ी नहीं हो रहा था.
तब मुझे मेरे एक मित्र ने मानव चौक के नज़दीक एक कमरा बताया. मैं क़रीब 11 बजे उस घर पर पहुँचा. दरवाजे पर 4-5 बार घण्टी बजाई, तब अन्दर से एक औरत ने गेट खोला. उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो अभी-अभी नहा कर आयी थी. गीले बालों में से ख़ुशबूदार महक मुझे आज भी याद है. मैंने उनसे कमरे के बारे में बातचीत की और बताया के मुझे कमरा 3-4 साल के लिए चाहिए. उन्होंने मेरी बात अपने पति से करवाई और मुझे कमरा देने के लिए वो राज़ी हो गए.
उन्होंने मुझे अपने पीछे आने को कहा कि आप कमरा देख लीजिए. जब वो चल रही थीं तो उनकी गांड बहुत मटक रही थी.
दोस्तो, हर किसी की कोई ना कोई कमज़ोरी होती है.. मेरी कमज़ोरी है मोटी गांड. दिल ने कहा कि कमरा जैसा मर्ज़ी हो, इस माल को हाथ से जाने नहीं देना. कमरा ठीक ठाक था, तो मैंने पैसे दे दिए और अगले दिन आने का बोल कर वापिस आ गया.
वो पंजाबी खत्री परिवार था. मेरी मकान मालकिन का नाम हिना था, उनकी उम्र 30-32 साल थी. उनके पति एक प्राइवेट बैंक में क्लर्क थे. उनका एक 5 साल का लड़का भी था.
मैं अपनी मकान मालकिन के बारे में बता दूँ उनकी हाईट 5 फुट 4 इंच थी. वो दूध की तरह गोरी चिट्टी थीं. जब हँसती थीं, तो उनके गालों में डिम्पल पड़ते थे. बिल्लौरी आंखें, लम्बे बाल, बला की ख़ूबसूरत और ऊपर से 36-32-36 की फ़िगर उनके हुस्न में चार चाँद लगाती थी. हिना भाभी एक ऐसी सुंदर परी थीं, जिनके साथ ज़िन्दगी बिताने की कल्पना हर एक देवर करता है. मैंने जब पहली बार उन्हें देखा तो बस देखता ही रह गया.
मैं उनके घर रह कर अपनी पढ़ाई करने लगा. मेरे इम्तिहान सिर पर थे, तो कालेज से हमें फ़्री कर दिया और मैं अपने आपको एकाग्र करके अपनी परीक्षा की तैयारी में लग गया.
मकान मालिक सुबह 9 बजे घर से चले जाते थे और शाम को 6-7 बजे घर आते थे.. तो घर में सिर्फ़ मैं और हिना भाभी ही होते थे. उनका लड़का ऋषि 1 बजे स्कूल से आता था. मुझे छोटे बच्चे अच्छे लगते हैं, तो मुझे जब भी समय मिलता.. मैं ऋषि के साथ खेलने लग जाता.. या हिना भाभी को बाज़ार से कुछ मंगवाना होता, तो वो मुझे अपने बोल देती थीं. बड़ी जल्दी ही हिना के साथ मेरी अच्छी पटने लगी. मैं पूरे परिवार के साथ घुल मिल गया और कई बार तो ऋषि रात को मेरे साथ ज़िद करके सो जाता था.
कुछ दिन बाद रात की ताक-झाँक होने लगी. वो ऐसे हुआ कि उस घर में मेरे दिन गुज़रने लगे थे. मैं ज़्यादातर रात को पढ़ता हूँ.. क्योंकि उस समय डिस्टरबैंस कम होती है.
मैं आपको बता दूँ कि मेरे और उनके कमरे के बीच में सिर्फ़ एक स्टोर रूम है. और पीछे बालकनी में एक ही टॉयलेट है.
एक रात क़रीब 2-2:15 बजे मुझे किसी के सुबकने की आवाज़ आयी. मेरी जिज्ञासा हुई कि पता करूँ कि क्या हुआ है.. पर रात बहुत हो गयी थी तो दरवाज़ा खटखटाने की हिम्मत नहीं हुईं.
मैं पीछे बालकनी में गया और वहां से उनके कमरे में झाँकने की सोची. छोटी लाइट ऑन थी, हिना भाभी रो रही थीं, उन्होंने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी डाली हुई थी और भैया घोड़े बेच के सोए हुए थे.
दिल तो हुआ कि जाकर उनके आंसू पोंछ दूँ और अपनी बांहों में ले लूँ, मगर मजबूर था. मैं वहीं खड़ा उनको देखता रहा थोड़ी देर में वो लेट गईं और लाइट बंद कर दी.
मैं अपने कमरे में वापिस आ गया और सोचने लग गया कि इतने ख़ुशमिज़ाज चेहरे पर आंसू क्यों.. और वो भी चुपके-चुपके? अब रह रह कर उनका जिस्म मेरी आंखों के सामने आ रहा था. सोचते सोचते कब मेरी आंख लग गयी पता ही नहीं लगा.
फिर मैंने एक दिन हिना भाभी को नहाते हुए देखा. हम सब सुबह खाना एक साथ खाते थे. पर हिना भाभी को रोते देखने के बाद अगली सुबह मैं जानबूझ कर सोया रहा और भैया के जाने का इंतज़ार करने लगा. उनके जाने के बाद हिना भाभी मेरे कमरे में आईं और उन्होंने मुझे उठाने के लिए आवाज़ दी, पर मैं चुपचाप सोता रहा.
वो घर की सफ़ाई करके नहाने के लिए चली गईं. मैं उठ कर बालकनी में गया वहां वाशिंग मशीन में हिना भाभी की ब्रा और पेंटी पड़ी थी. मैंने उठा कर उसकी सुगंध ली और उसमें खो गया. मैं टॉयलेट में झाँकने के लिए कोई छेद ढूँढने लगा, तभी मेरी नज़र रोशनदान पर पड़ी. उस तक पहुँचना मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं था. अन्दर झाँक कर देखा तो आंखें खुली रह गईं. मेरी आंखों के सामने हुस्न की मलिका खड़ी थी. भाभी के बड़े बड़े मम्मे, सुडौल शरीर, उस पर पानी की वजह से उनका बदन लश्कारे मार रहा था. मुझे ऐसा लगा जैसे स्वर्ग की किसी अप्सरा को देख रहा हूँ.
मैंने देखा कि वो नहाते वक्त अपनी चूत को उंगली से छेड़ रही हैं. मुझसे भी रहा नहीं गया और अपना लंड निकाल के उसकी रेल बनाने में लग गया. मेरे एक हाथ में हिना भाभी की पेंटी थी, दूसरा हाथ लंड पर लगा था और मेरी नज़रें अर्जुन की तरह मछली की आंख पर लगी थीं. बस फ़र्क़ इतना था कि यहां मछली की जगह हिना भाभी की चूत थी.
वो नहा कर कपड़े डालने लगीं तो मैं फटाफट अपने कमरे में वापिस आ गया. तब मुझे हिना भाभी के रोने का कारण समझ आया. हिना भाभी नहा कर आईं तो मैं सोने का नाटक करने लगा.
उन्होंने मुझे हिला कर उठाया और खाना खाने का बोल कर चली गईं. मैं उनकी मटकती गांड को देखता रहा.
कई दिन ऐसे ही ताक झाँक में गुज़र गए. मुझे इतना तो पता लग गया था कि हिना भाभी अपने पति से ख़ुश नहीं हैं, पर ख़ुश होने का नाटक करती हैं. वो एक भारतीय गृहणी की तरह अपनी ज़िंदगी काट रही थीं. पर उनको लेकर मेरे दिल में कुछ और ही ख़्वाब बन रहे थे. मैं उनको असली ख़ुशियां देना चाहता था, जिसकी वो हक़दार भी थीं.
हिना भाभी ने मेरी नज़रें पढ़ ली थीं. ये बातें उन्होंने मुझे बाद में बतायी. रोज़ हिना भाभी को नहाते हुए देखना और उनकी ब्रा पेंटी को सूँघना मेरी दिनचर्या सी बन गयी थी. मैं यह भूल गया था कि हिना भाभी को शक भी हो सकता है. मेरे बदले बर्ताव और नज़रों से कहीं ना कहीं भाभी को शक हुआ कि कुछ तो है. उन्होंने जानने के लिए तरकीब लगाई.
एक दिन उन्होंने ब्रा और पेंटी को मशीन में कपड़ों के नीचे रख दिया और मैं इस बात से बेख़बर अपने नित्य के काम में ब्रा पेंटी उठाई, सूँघी, हिना भाभी को नहाते देखा और लंड महाराज की रेल चला दी. उस दिन भाभी जल्दी नहा कर बाहर आ गईं और मैंने जल्दी जल्दी में ब्रा पेंटी मशीन में ऊपर ही गिरा दी और दौड़ कर अपने रूम में चला गया.
अब तक हिना भाभी जान चुकी थीं कि क्या खेल चल रहा है, पर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा. जैसा चल रहा था, उन्होंने वैसे ही चलने दिया. कहीं ना कहीं उनको भी मुझे अपना बदन दिखने में मज़ा आ रहा था. वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित हो रही थीं.
अब वो और खुल कर मुझसे बात करने लगीं और हँसी मज़ाक़ में हम दोनों एक दूसरे को छूने भी लगे. इसकी शुरुआत उनके मुझे जगाने को लेकर हुई. वे मुझे अब टांगों की जगह मेरे गाल सहला कर जगाने लगी थीं. हालांकि मैं अब तक बेख़बर था कि मेरे खेल का पर्दाफ़ाश हो चुका है.
ख़ैर आग दोनों तरफ़ लगी थी.. तो बस सब यूं ही चलता रहा.
फिर हिना भाभी का खेल शुरू हुआ और ऐसे हुआ कि मैं उसमें फंस गया.
एक दिन उन्होंने हरे रंग का कुर्ता पहना था. उस कुरते के पीछे से जिप लगी थी. जल्दबाज़ी में वो जिप बंद करना भूल गयी, या जानबूझ कर ऐसा किया कि उस जिप के खुले रहने की वजह से उनकी काली ब्रा और कमर तक उसका नंगा बदन दिख रहा था. वो घर से बाहर जाने लगीं. अचानक मेरी नज़र उस खुली जिप पर पड़ी, तो मैंने आवाज़ लगा कर उनको रोका. मैंने उनको बताया कि भाभी आपकी जिप खुली है.
तो वो शर्मा गईं और मुझे बंद करने के लिए बोलने लगीं. मैं पहली बार इतने क़रीब उनके नंगे बदन को देख रहा था और ब्रा की पट्टी को देखता हुआ उनके हुस्न के जाल में खो गया. तभी हिना भाभी ने मुझे चिकोटी काटी और बोलीं- कहां खो गए जनाब.. जल्दी बंद करो.. मुझे ऋषि को लेने जाना है. मैंने उनकी पीठ पर उंगलियां धीरे धीरे चलाते हुए जिप बंद कर दी. उनकी बाज़ू को पकड़ के अपनी तरफ़ घुमाया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
ये सब इतनी जल्दी हुआ कि उनको संभलने का मौक़ा ही नहीं मिला. उन्होंने मुझे धक्का दे कर पीछे किया और बोलीं- क्या कर रहे हो सैंडी.. ये ग़लत है? पर मैंने फिर से उनको किस करने की कोशिश की. आपको तो पता ही है कि शेर के मुँह में ख़ून लग जाए तो वो अपने शिकार को ऐसे कैसे छोड़ दे.
मैंने उन्हें दीवार के साथ लगा दिया और उनको किस करने लगा. वो मुझसे छूटने की कोशिश करती रहीं. मैंने एक हाथ उनके मम्मों के ऊपर हाथ रख दिया और उन्हें दबाने लगा. वो थोड़ी ढीली पड़ गयी थीं, मैं उनके होंठों का रस-पान कर रहा था और मेरा हाथ उनके शरीर की पैमाइश कर रहा था. अभी वो मेरा साथ तो नहीं दे रही थीं, पर मेरा विरोध भी नाममात्र का कर रही थीं.
मेरा लौड़ा तना हुआ लोवर फाड़ के बाहर निकलने को हो रहा था. मैंने अपना लौड़ा हिना भाभी के शरीर से रगड़ना शुरू कर दिया और हाथ उनकी गांड पर चलाने लगा.
तभी बेल बजी और वो मुझसे छूट कर देखा कि कौन है, फिर ऋषि को लेने चली गईं. ऋषि के सामने तो मैं कुछ करना नहीं चाहता था, तो मैं घूमने चला गया.
खेल मैं खेल रहा था, पर इसका पूरा प्लान हिना भाभी का रचा हुआ था, जो मुझे उन्होंने बाद में बताया.
जब मैं घर लौट कर आया तो मकान मालिक जल्दी घर आ गए थे. उन्हें देख कर मेरी गांड फट गयी कि कहीं भाभी ने मेरी शिकायत तो नहीं कर दी.
मैं चुपचाप अपने कमरे में चला गया और पढ़ने का बहाना करने लगा. हिना भाभी ने अपनी पति को कुछ भी नहीं बताया था. तभी मुझे मालूम हुआ कि मकान मालिक भैया को दो दिन के लिए शहर से बाहर जाना था, तो इसी वजह से आज वो जल्दी आ गए थे. उन्होंने अपनी तैयारी की और मुझे स्टेशन तक छोड़ के आने को कहा.
मैं मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि आज मेरी कामना पूरी हो सकती है. मैं घर आया, खाना खा कर थोड़ी देर ऋषि के साथ खेला. अभी हिना भाभी भी नॉर्मल व्यवहार कर रही थीं. वो ऋषि को सुलाने अपने कमरे में चली गईं. मैं अपने मन में सोच रहा था कि बेटा आज कुछ कर ले मौक़ा है, वरना हाथ मलता रह जाएगा.
मैं थोड़ी देर बाद भाभी के कमरे में झाँकने की कोशिश करने लगा, अन्दर ऋषि सोया हुआ था.. पर हिना भाभी कहीं दिख नहीं रही थीं. तभी पीछे से आवाज़ आयी- क्या झाँक रहे हो? मैं हक्का बक्का रह गया. चोर की चोरी पकड़ी गयी थी.
मैं पीछे घूमा, तो देखा भाभी ने पिंक रंग की नाइटी पहनी हुई थी, उसमें उनके मम्मों का उभार क़हर ढा रहा था. मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या ग़ज़ब माल लग रही थीं.
मुझ पर कामवासना हावी हो रही थी. मैंने उनको पकड़ लिया और उनके होंठों को फिर से चूम लिया. उन्होंने मेरे मुँह पर थप्पड़ दे मारा, जिससे मुझे ग़ुस्सा आ गया. मैंने उनके दोनों हाथ कस के पकड़ लिए और उनके निचले होंठ को दांतों के बीच में पकड़ लिया. वो दर्द से सिसकी लेने लगीं. मैंने अपना हाथ कमर में डाल कर भाभी को अपने से चिपका लिया. उनके शरीर की ख़ुशबू मुझे पागल कर रही थी. मैं उनके होंठ चूस रहा था और हाथ से उनके चूतड़ दबा रहा था. इस वक्त उनकी सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं और वो भी गर्म हो रही थीं.
धीरे धीरे उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया था. मैं समझ गया कि लोहा गर्म है, बस सही से हथौड़ा मारने की ज़रूरत है.
मैंने अपना हाथ भाभी के मम्मों के ऊपर रखा और उन्हें नाइटी के ऊपर से ही रगड़ने लगा. मैं उन आमों को अपने हाथों में पकड़ना चाहता था तो मैंने ज़ोर से नाइटी को खींच दिया, जिस कारण वो फट गयी. मैंने भाभी को जकड़ा और गोदी में उठा कर उन्हें अपने रूम में ले जाकर बेड पे गिरा दिया और पूरी नाइटी आगे से फाड़ दी.
मैं उनके ऊपर आ गया और उनके दोनों हाथों में हाथ फँसा कर पकड़ लिए. लड़कियों की कामवासना का एक महत्वपूर्ण अंग होता है.. उनके कान के पास और गर्दन की जगह. मैं उन्हें वहां चूमने लगा.. बीच बीच में मैं उनके कान पर दांतों से हल्का सा काट देता था, जिससे वो सिहर रही थीं.
भाभी अपनी टांगें रगड़ रही थीं.. उनकी चूत तड़प रही थी. मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा ऊपर कर दी.
आह.. क्या तराशे हुए मम्मे फुदक रहे थे.. वो बिल्कुल टाइट थे, उन मम्मों के ऊपर हल्के भूरे गुलाबी रंग के निप्पल तने हुए थे. ज़िंदगी में मैंने बहुत मोमे दबाए थे, पर उस जैसा कसाव किसी में भी नहीं था.
यक़ीन मानो दोस्तो, टाइट मम्मों का जो मज़ा होता है, वो कहीं नहीं है.
मैंने अपना मुँह उनके एक मम्मे पर रख दिया और धीरे धीरे उसे चूसना शुरू किया. मैं कभी जीभ से निप्पल छेड़ता तो कभी मम्मे को मुँह में लेके चूसता, तो कभी हल्के से काट लेता.
उनके मुँह से कामुक सिसकारी निकल रही थी. ऐसा ही मैंने दूसरे मम्मे के साथ किया. हिना भाभी मज़े से आंखें बंद करके पूरी मस्त हो रही थीं. उनका शरीर आग बरसा रहा था. शायद उन्हें कई दिन बाद इतना प्यार मिला था.
अब मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए. वो भी मेरा साथ देने लगीं. उन्होंने मेरा एक होंठ दांतों में दबाया और उसे चूसने लगी. कभी वो मेरी जीभ चूसतीं, कभी मैं उनकी. फिर मैंने अपना हाथ उनकी पेंटी पर रखा वो बिल्कुल गीली हो गयी थी. उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और अपनी चूत दबवाने लगीं.
मैंने अपनी टी शर्ट और लोअर उतारा, बस अंडरवियर रहने दिया. मैं उनके पैरों पे किस करता हुआ उनकी टांगों पर किस करने लगा. उनकी क्या मस्त गोरी टांगें थीं. मैंने उनकी पेंटी उतार दी. उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. मैंने उनकी चूत को किस किया और उनकी चूत को जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटा.. तो उनके मुँह से ‘आह.. ऊह.. सीईईई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्म्म्म्म्..’ निकलने लगा था.
मैंने उनकी चूत चूसी और उनके दाने से खेलने लगा. भाभी पागल हुए जा रही थीं, उन्होंने मेरे सिर को अपनी चूत पे दबा दिया. फिर बहुत जल्दी ही उनकी टांगें काँप उठीं और उनकी चुत का सारा माल निकल गया. मैंने चाट कर चूत को साफ़ कर गया.
अब भाभी बहुत शर्मा रही थीं. उन्होंने मुझे होंठों पे बहुत ज़ोर से किस किया. मुझे बेड पे लेटा कर उन्होंने मेरे पूरे शरीर पर किस किया. मुझे बहुत मज़ा आया वो मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगीं. उनकी क़ातिल अदाएं मुझे उनका और अधिक दीवाना बना रही थीं.
वो उठीं और मेरे लंड के ऊपर बैठ गईं. उनकी चूत गीली थी और लौड़ा भी गीला था.. तो बड़े आराम से चूत में जा रहा था. पर साथ ही साथ रगड़ भी खा रहा था, जिस वजह से वो बहुत आराम आराम से मज़े लेकर लौड़ा अन्दर ले रही थीं. हिना भाभी की ‘आह… ह्म्म्म्म्म.. सीईई..’ की आवाज़ें मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मुझे पता था कि ये कई सालों की भूखी हैं, तो मुझे ख़ुद से ज़्यादा उन्हें संतुष्ट करना था.
जब मेरा लौड़ा भाभी की चूत में पूरा चला गया, तो उन्होंने मुझे होंठों पर बहुत ज़ोर से किस किया और उछल-उछल कर लौड़ा अन्दर बाहर करने लगीं.
क़रीब 10-15 मिनट वो मेरे ऊपर बैठ कर चुदती रहीं और थक गईं. मैंने उनको एकदम से पकड़ा और लौड़ा चूत के अन्दर समेत ही उनके ऊपर आ गया. अब जोश दिखाने की बारी मेरी थी. मैंने भाभी की दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और उनको चोदना चालू कर दिया. भाभी के मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं- हां.. ऐसे ही.. ऊई माँ.. और तेज़.. हाय मर गयी.. उम्मम.. लव यू.. मैं कब से इस दिन का इंतज़ार कर रही थी.. रोज़ तुम्हारे बारे में सोच के चूत में उंगली करती थी..
उनकी बात सुनकर मैं चौंका तो पर मैंने दिमाग न लगाते हुए बस अपनी स्पीड बढ़ा दी. थोड़ी ही देर में भाभी का पूरा शरीर अकड़ा और उनका माल निकल गया. साथ ही साथ थोड़ा सा उसका मूत भी निकल गया.
मैंने अपना लौड़ा निकाला और भाभी की चूत चाटने लगा. मैंने उनको घोड़ी बनने को कहा और पीछे से लौड़ा उनकी चूत में फ़िट करके शुरू हो गया. मैंने अपने लंड को क़ाबू में रखा और तब तक पानी नहीं छोड़ा, जब तक वो पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो गईं. जैसे ही मेरा काम होने वाला होता, मैं रुक जाता और उनको चूमने लग जाता.
आखिर मैं हुंकार भरते हुए झड़ गया. मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया और वो मुझे बहुत प्यार से किस करने लगीं. जब वो बेड से उठने लगीं तो उनकी टांगों में दम नहीं बचा था. वो लड़खड़ाते हुए उठीं, तो मैंने भाभी को सहारा दिया.
उस रात हमने क़रीब 10 पोज़िशन में कई बार सेक्स किया और भाभी की चूत ने कई बार पानी छोड़ा. अगले दो दिन भाभी ने अपनी चूत खूब चुदवाई. उसके बाद जब भी हमें मौका मिला, हमने ख़ूब मज़े किए. आज भी हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
बाक़ी की चुदाई की कहानी अगले भाग में लिखूंगा. धन्यवाद. [email protected]
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