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मयूरी ने इस वक्त का नियंत्रण पूरी तरह से अपने हाथ में लिया हुआ था, उसको पता था कि अब उसके पापा उसके इस कामुक और आकर्षण शरीर के हवस जाल में पूरी तरह फंस चुके हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो वो अब तक मयूरी को जोर से डाँट चुके होते उसकी ऐसी हरकतों के लिए. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं है अब तक, मतलब वो अपने पापा को अपने प्रेमजाल में फंसाने में कामयाब रही है. इसी आत्मविश्वास के साथ वो आगे बढ़ी और अपना अगला साहसी कदम रखने लगी.
वो अपने पापा के गोद में बैठने ही वाली ही थी कि जानबूझकर वो अपनी चूत वाली जगह और जाँघों को वो बैठने के क्रम में अपने पापा के मुँह के पास सटा देती है. उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी तो उसके अंतःअंगों का सीधा स्पर्श उसके पापा के होंठों और नाक से हो गया.
मयूरी के इस आघात का पापा पर सीधा असर पड़ा. उसकी चूत की खुशबू और स्पर्श जैसे ही पापा की मुँह और नाक पर पड़ी, वो मदहोश हो गए, एक क्षण के लिए उनको एक अलग ही रोमांच का अनुभव हुआ. अब तक वो अपनी बेटी की इस खूबसूरत काया और जवानी का पूरी तरह कायल हो चुका था. अब उसके अंदर का पिता पता नहीं कहा चला गया, वो अपने आप को जो महसूस कर पा रहा है वो है ‘बस एक मर्द’ जो इस वक्त बहुत ही ज्यादा कामुक हुआ पड़ा है. इस कामुकता की वजह से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और हर बार से कुछ ज्यादा ही टाइट था इस वक्त क्योंकि इस समय वो अपनी खुद की बेटी के शरीर को चोदने और भोगने का रोमांच अनुभव कर रहा था.
खैर, मयूरी अब पापा की गोद में बैठ गयी अपनी दोनों टाँगें अपने पापा के दोनों तरफ फैला कर. और वो अपने पापा की एकदम नजदीक बैठी है इसलिए जरा सा भी हिलने-डुलने पर उसकी चूचियां उसके पापा की चेहरे से टकरा रही थी. उसने बातचीत शुरू की- पापा… मुझे बहुत अच्छा लग रहा है बहुत दिनों बाद आपकी गोद में बैठकर! पापा- अच्छा? मयूरी- हाँ पापा, अपने तो मुझे प्यार करना छोड़ ही दिया है. पापा- अच्छा… सॉरी बेटा… आजकल मैं शायद काम में कुछ ज्यादा व्यस्त रहता हूँ. मयूरी- वो तो ठीक है… पर आपको मेरे लिए भी वक्त निकालना चाहिए… वरना मुझे कौन प्यार करेगा? पापा- एकदम सही बात… अच्छा… एक बात बताओ? मयूरी- क्या पापा? पापा- आप अपने पापा को प्यार करते हो? मयूरी- हाँ पापा! पापा- कितना? मयूरी अपनी दोनों बांहें फैलाती हुई- इतना सारा… आ…
और ऐसा करते हुए उसने अपने पापा के चेहरे को अपनी बांहों में भर लिया. इससे अब पापा का चेहरा पूरी तरह से मयूरी की बांहों और चूचियों में कैद हो गया. मयूरी ने अपने पापा को अपनी बाँहों में जोर से दबा लिया और पापा ने उसकी चूचियों की कोमलता को एकदम नजदीक से महसूस किया. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठे रहे, फिर पापा ने भी अपने दोनों हाथ से बेटी को जोर से पकड़ लिया और मयूरी की गांड को जोर से दबा दिया. वो बहुत देर तक इसी अवस्था में रहे. दोनों को इस अवस्था में एक अलग ही सुख का अनुभव हो रहा था.
तभी पापा ने पीछे से अपने हाथ से अपनी बेटी की गांड को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर दिया. मयूरी को भी बड़ा मजा आने लगा और आनन्द में वो अपने मुँह से निकल रही आहों को रोक नहीं पाई- आ… आह… पापा… पापा बेटी की गांड को सहलाते हुए- क्या हुआ बेटा? मयूरी- कुछ नहीं पापा… बहुत अच्छा लग रहा है… आई लव यू पापा! पापा- आई लव टू मेरा बच्चा…
और ऐसा कहते हुए पापा ने मयूरी की गांड की दरार में अपना हाथ डाल दिया. मयूरी की पकड़ और तेज़ हो गयी और उसने और जोर से अपने पापा को बांहों भींच कर दबा लिया. पापा समझ गए कि मयूरी को भी आनन्द आ रहा है और वो इस पापा के इस काम में राजी भी है.
मयूरी- आ… आह… पापा…
अशोक कुछ नहीं बोला और अपने हाथ की एक उंगली मयूरी की गांड की दरार से होते हुए उसकी गांड की छेद में डालने लगा. मयूरी को अब बहुत ज्यादा आनन्द आने लगा, उसने अपने होंठ पापा की होंठों पर रख दिए और जवाब में पापा ने भी अपने होंठों से उसके निचले होंठ को कैद कर लिया. और इस तरह शुरू हो गया पहली बार एक प्रगाढ़ चुम्बन का दौर एक पिता और पुत्री के बीच … दोनों बाप बेटी चुम्बन के दौर का पूरी तरह से आनन्द लेने में जुट गए.
इसी दौरान अशोक ने अपने एक साथ से मयूरी की गांड के एक उभार को छोड़ दिया और मयूरी की जादुयी चूचियों पर अपना हाथ फेरने लगा. मयूरी थोड़ा पीछे हटी और अपनी बांहों की पकड़ को थोड़ा ढीला करते हुए अपने पापा को उसने अपनी चूचियों को पकड़ने और मसलने का रास्ता दिया.
इसी बीच अशोक ने अपनी बेटी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों का नाप ले लिया. और फिर उनको नायाब चूचियों को जो कि बड़ी-बड़ी और भारी-भारी होने के साथ-साथ उतनी ही कड़ी और टाइट थीं, को पहले तो दबाने और फिर जोर-जोर से मसलने में लगे. मयूरी की आहें अब तेज़ हो गयी.
थोड़ी देर ऐसे ही मयूरी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसनले के बाद अशोक उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर कर दिया पर उसको निकाला नहीं! चूँकि मयूरी ने बिल्कुल ढीला-ढाला टॉप पहना हुआ था वो भी बिना ब्रा के तो इस हिसाब से उसके टॉप को निकलने की कोई जरूरत भी नहीं थी, थोड़ा सा ऊपर करते ही वो पूरी तरह दिख भी रहा था और पकड़ा भी जा सकता था, लगभग उसके उतार देने जैसी ही बात थी.
अब अशोक ने मयूरी की चूचियों को और जोर से पकड़ा और थोड़ी देर दबाने के बाद उसने अपने होंठों को मयूरी के होंठों से अलग कर उसकी चूचियों पर रख दिया. अशोक अब मयूरी की चूचियों को अपने होंठों से जोर-जोर से चूस रहा था. थोड़ी ही देर में उसने अपना दूसरा हाथ, जो बेटी की गांड के छेद में व्यस्त था, को वहां से आजाद कर उसको मयूरी की चूचियों पर लगा दिया, इस तरह से अशोक अब पूरी तरह अपना ध्यान उन विशाल और बहुत ही आकर्षक गोरी चूचियों को चूसने और मसलने में व्यस्त हो गया.
मयूरी की आहें अब और भी तेज़ हो रही थी पर वो अपने पर नियंत्रण रखे हुए थी क्योंकि वो अपनी आवाज़ को बाहर नहीं जाने देना चाहती थी. वैसे अगर घर को कोई सदस्य ये सब सुन ये देख भी लेता तो इस स्थिति में कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला था … पर वो फिर भी सावधानी से आगे बढ़ना चाहती थी.
करीब 15 मिनट तक मयूरी की चूचियों का आनन्द लेने और उनपर जुल्म ढाने के बाद अब अशोक पूरी तरह बेशरम और उत्तेजित हो चुका था. मयूरी इस समय उसकी गोद में बैठी हुई थी, उसका ढीला सा टॉप उसके गले तक ऊपर किया हुआ था जिससे वो अर्धनग्न अवस्था में थी. अशोक ने मयूरी को पीछे धकेल दिया जिस से वो पीछे की तरफ गिर गयी और अशोक ने अपने पैर खींच लिए. अब मयूरी अशोक के सामने लेटी हुई थी, अशोक ने उसके स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया जिस से वो उसकी चूत के दर्शन कर पाए. मयूरी ने इसमें उसकी पूरी सहायता की और अपने दोनों पैर फैला कर उसका स्वागत किया.
अशोक के सामने अब उसकी बेटी बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी, हालाँकि उसने कपड़े तो पहने हुए थे पर वो मयूरी का शरीर का कोई भी भाग ढकने में कामयाब नहीं था. अशोक ने अपने हाथ से मयूरी की चूत को सहलाया और वो उसकी गुलाबी चूत को देखकर एकदम उस पर मोहित हो गया.
मयूरी की चूत अब तक बहुत गीली हो चुकी थी. उसकी चूत पर कोई बाल नहीं था और वो बहुत ही प्यारी लग रही थी. अशोक ने मयूरी की चूत को धीरे धीरे सहलाते हुए पूछा- बेटा? मयूरी- हाँ पापा… आह… अशोक- क्या तुम्हारी इस प्यारी सी चूत में कभी किसी का लंड गया है या इसकी सील टूट चुकी है? मयूरी- पापा… मुझे माफ़ कर दीजिये पर मेरी इस चूत की सील टूट चुकी है.
अशोक- कोई बात नहीं बेटा… अच्छा एक बात बताओ… मयूरी- आह… आ… हाँ… आह… पापा… अशोक उसकी चूत में उंगली डालकर घुमाते हुए- तुमने अब तक कितने लोगों का लंड लिया है? और कितनी बार? मयूरी- आह… पापा… अब तक… आह… दो लोगों ने इस चूत में अपना लंड डाला है… दो-दो बार… आह… अशोक- कोई बात नहीं… तुम्हारी चूत तो अब भी बिल्कुल कंवारी लग रही है मेरी जान… तुम चिंता मत करो… इसको मैं खूब चोदूँगा… वैसे किस-किस से चुदवाया है तुमने अब तक? मयूरी- ये मैं आपको बाद में बताऊँगी पापा… पर मैं वादा करती हूँ कि बता दूंगी.
अशोक- ठीक है… अब इस चूत को तीसरे लंड का स्वाद चखना है आज. मयूरी- पापा… मैं आपसे से शुरू से ही चुदना चाहती थी… आपको हमेशा माँ को चोदते हुए देखकर अपने चूत में उंगली करती थी और सोचती थी कि काश मैं आप से चुदवा पाती… आपका लंड अपने चूत में वैसे ही डलवा पाती जैसे आप माँ की चूत और गांड में डालते हैं. आज इतने वर्षों बाद मेरा सपना पूरा होने वाला है. अशोक- मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी बेटी मेरे बारे में ऐसा सोचती है… नहीं तो मैं तुम्हें कभी का चोद देता मेरी जान… तुम्हें बड़ा होते हुए देखकर मेरा भी हमेश मन करता था तुम्हें चोदने को. कई बार तो तुम्हारा ख्याल अपने मन में रखकर तुम्हारी माँ को चोदता था मैं. पर आज देखो, हम दोनों की ख्वाहिशें पूरी होने वाली हैं.
और ऐसा कहते ही अशोक ने मयूरी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और और अपनी जबान से उसको चाटने और चोदने लगा. कुछ ही मिनट में मयूरी की चूत से ढेर सारा पानी निकल गया जिसको अशोक ने चाट-चाट कर साफ कर दिया.
इतनी देर में मयूरी हांफ सी गयी, फिर भी वो अपने इस पिता-पुत्री की चुदाई के खेल में रुकना नहीं चाहती. वो अपने पापा से बोली- पापा? अशोक- हाँ मेरी जान? मयूरी- क्या मैं आपका लंड चूस सकती हूँ? अशोक- बिल्कुल मेरी जान… मुझे बहुत ख़ुशी होगी… तुम्हें शायद नहीं मालूम पर मैंने कई बार अपने सपने में तुम्हें अपना लंड चुसाया है… आज वो सारे सपने पूरे कर दो मेरी सेक्सी बेटी.
अशोक ने ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकाला और अब मयूरी के सामने उसके पिता का टनटनाते हुआ लंड है जिसको उसने छुप छुप कर कई बार देखा था. करीब से इस लंड को देखने और छूने का उसका पहला मौका था.
मयूरी ने बड़े प्यार से अपना पिता के लंड को पकड़ा और उसके टोपे की चमड़ी को पीछे कर दिया. उसने जायजा लिया कि अशोक का लंड विक्रम और रजत के लंड से थोड़ा पतला पर ज्यादा लम्बा है. उसने उसी समय अपने मन में ठान लिया कि अपनी गांड की सील तो मैं इसी लंड से खुलवाऊँगी, थोड़ा पतला होने से ये आराम से कम दर्द में उसकी गांड का दरवाजा खोल सकता था.
मयूरी ने अशोक के लंड को थोड़ा सहलाने के बाद अपने होंठ उस पर रख दिए. पहले तो उसक बड़े प्यार से चूमा और फिर उसको घप से अपने मुँह में घुसा लिया. अब मयूरी अपने पिता के लंड को किसी रंडी की तरह चूस रही थी. अशोक के लिए यह अनुभव उसके सपने के पूरा होने जैसा था. इस समय वो बिल्कुल स्वर्ग का अनुभव कर रहा था. उसके मुँह से भी आहें निकल रही थी पर वो अपने आवाज़ पर काबू किये हुए था.
करीब 10 मिनट के लंड चुसाई के बाद अशोक के लंड से प्रेमधारा निकल पड़ी. उसके लंड से निकले एक-एक बून्द वीर्य को मयूरी ने पी लिया. उसका पूरा मुँह अचानक से निकले अशोक के वीर्य से भर गया. पर वो बहुत ही ख़ुशी और गर्व से अपने पिता के लंड से निकले वीर्य को स्वाद ले ले कर पी रही थी.
अशोक के लंड से वीर्य निकलने के वावजूद भी उसका लंड मुरझाया नहीं था. उसने मयूरी को बिस्तर पर लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया. फिर उसने मयूरी से अनुमति ली- बेटी? मयूरी- हाँ पापा… आह… अशोक- तो फिर डाल दूँ अपना लंड तेरी इस प्यारी सी चूत में? मयूरी- प्लीज पापा… अब देर ना करो… मैं इस लंड को अपने चूत में लेने को बहुत ही ज्यादा आतुर हूँ… डाल दो अपना लंड मेरी चूत में पापा… अपनी बेटी को अपनी बीवी बना लो पापा… अपनी रंडी बना लो मुझे… अशोक- जरूर मेरी जान… आज से तुम मेरी बेटी ही नहीं मेरी बीवी भी हो और मेरी रंडी भी…
और ऐसा कहते हुए अशोक ने एक जोरदार धक्का अपने लंड से लगाया और उसका लंड पूरा का पूरा मयूरी की चूत में समा गया, कारण था मयूरी की चूत का जरूरत से ज्यादा गीला होना. अपने पिता के साथ होने वाली चुदाई की उत्तेजना में उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ रखा था जिससे उसकी चूत बहुत ही ज्यादा चिकनी हो गयी थी.
अशोक का लंड पूरा का पूरा मयूरी की चूत के अंदर था, उसने धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू किया. हालाँकि मयूरी पहले से चुदी हुई थी पर फिर भी उसकी चूत बहुत ही टाइट थी और इस बात का अहसास अशोक को हो रहा था. उसको अपने लंड में थोड़ा-थोड़ा दर्द का भी अनुभव हो रहा था पर उत्तेजना चरम सीमा पर थी.
उसने चुदाई शुरू की और कमरे में दोनों की जाँघों की तकरने की थप-थप की आवाज़ गूंज रही थी, साथ ही साथ मयूरी की तेज़ चुदाई की वजह से आहें भी निकल रही थी.
मयूरी ने अशोक का लंड पहली बार अपनी चूत में लिया था पर उसको बहुत ही ज्यादा आनन्द आ रहा था. अशोक का लंड थोड़ा पतला तो था पर लम्बा ज्यादा था और इस वजह से उसको चुदाई का एक अलग ही अनुभव हो रहा था. अशोक चुदाई के साथ साथ मयूरी की चूचियों को मसल भी रहा था.
करीब 10-12 मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए. अशोक ने अपना वीर्य अपनी बेटी की चूत में ही गिरा दिया. फिर बहुत थकान के कारण दोनों बिस्तर पर कटे हुए वृक्ष की तरह गिर गए और आराम करने लगे.
अभी थोड़ी देर ही आराम किया था दोनों ने कि उनको किसी के अपने कमरे की तरफ आने की आवाज़ सुनाई दी. दोनों अपने सपनों की दुनिया से बाहर आये, मयूरी और अशोक दोनों अपने कपड़े ठीक करके बिस्तर पर ठीक से बैठ गए.
मयूरी बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ी हुई कि तभी… कमरे के दरवाजे धकेलते हुए शीतल अंदर दाखिल होती है.
शीतल जैसे ही कमरे में घुसी, उसको अंदर चुदाई की खुशबू का अहसास हुआ. उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी जिसकी चादर अस्त-व्यस्त पड़ी थी. वो समझ गयी कि बेटी मयूरी ने अपने बाप अशोक का लंड अपने चूत में डलवा लिया है.
पर वो अनजान बनते हुए बोली- चलो दोनों लोग… खाना तैयार है… और वक्त भी हो गया है. अशोक- हाँ… तुम चलो मैं आता हूँ.
शीतल मुस्कुराती हुई चली गयी और खाने की मेज पर खाना लगाने लगी. अशोक ने मयूरी की होंठों को फिर से चूमा, उसकी चूचियों को जोर से दबाया और फिर मुस्कुराते हुए बोला- मयूरी बेटा… मयूरी- हाँ पापा… अशोक- मुझे अपनी चुदाई का मौका देने के लिए धन्यवाद… तुम्हें चोदकर मुझे जीवन का असल आनन्द मिला है. मयूरी- मुझे भी बहुत सुख की अनुभूति हुए है पापा… आपको भी धन्यवाद… पर अभी तो आपको बहुत कुछ करना है… मेरी गांड की सील अभी भी खुली नहीं है… आपको इसको भी खोलना है और मुझे अब रोज़ चोदना है. अशोक- जरूर मेरी जान… अब तो मैं तुम्हें रोज़ ही चोदूँगा… और कल तेरी गांड का दरवाजा भी खोल दूंगा.
मयूरी- बिल्कुल पापा… फिर मैं आपको एक और सरप्राइज दूंगी… अशोक- वो क्या? मयूरी इठलाती हुई- वो तो आपको कल पता चलेगा… चलो खाने चलते हैं.
थोड़ी देर में सब लोग बाहर हॉल में आ गए, सब लोग सामान्य दिखने का प्रयास कर रहे थे पर अंदर से सब एक दूसरे से कुछ छुपा रहे थे. घर का पिता अपने बाकी सदस्यों से छुपा रहा था उसने थोड़ी देर पहले अपनी बेटी को इसी घर में चोद डाला. विक्रम और रजत यह कि थोड़ी देर पहले वो अपनी माँ के अंतःअंगों के साथ अपनों हवस मिटने में व्यस्त थे. शीतल अपने पति से यह छुपा रही थी कि वो अपने बेटों से कुछ अलग ही सम्बन्ध स्थापित करने वाली है.
बस मयूरी ही थी जिसको सब पता था. आखिर वो इस पूरी घटना की रचियता थी.
घर के तीनों मर्द खाने की टेबल पर हाथ मुँह धोकर बैठे और शीतल और मयूरी रसोई में से कुछ खाने का सामन लाने के बहाने इकट्ठी हुई. जैसे ही दोनों को थोड़ा अकेले में वक्त मिला, दोनों ने एक दूसरी को अपने साथ हुई घटना का पूरा ब्यौरा हंस हंस कर बताया.
फिर सब मिलकर खाना खाकर सोने चले गए.
बाप बेटी सेक्स कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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