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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मुझ प्रभा रांड का जिस्मानी प्रणाम स्वीकार हो.
आप लोगों ने मेरी पिछली दोनों कहानियों माँ बेटा सेक्स: बेटे ने मेरी हवस मिटाई माँ बेटा चुदाई: बेटे ने मेरी हवस मिटाई-2 को इतना सराहा, उसके लिए आप सभी का अपने नंगे मम्मों से शुक्रिया अदा करती हूँ.
दोस्तो, अब आपको आगे की कहानी बताती हूँ.
तय समय के अनुसार हम सभी कलकत्ता जाने के लिए स्टेशन पहुंच गए और ट्रेन के आते ही उसमें बैठ गए. सोनू ने फर्स्ट एसी का पूरा केबिन बुक किया था तो हम सब आराम से बैठ गए, दोपहर का टाइम था खाना खाया और थोड़ी देर के लिए लेट गए.
करीब 5 बजे शाम को मेरी नींद टूटी, लेकिन सोनू और शिवानी अभी भी सो रहे थे और मैंने भी उन्हें नहीं जगाया. अब हम अपने शहर से काफी दूर आ चुके थे, ट्रेन में थे. मैंने सोचा कि क्यों न बेटे के जागने के पहले उसे सरप्राइज दे दूँ.
मैंने ऑनलाइन एक हॉट पेंट सफ़ेद रंग की मंगवाई थी, वो और एक लाल रंग का टॉप बिल्कुल पतले कपड़े का.. जिससे मेरी ब्रा साफ़ नज़र आ सके और हाई हील्स की सैंडिल मंगवाई थीं, तुरंत निकाल कर उस सबको पहन लिया और चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगी.
करीब 6 बजे शिवानी जग गयी और उठते ही उसने मुझे नीचे से ऊपर तक घूरा जैसे कि मैं उसके लिए कोई अनजान औरत हूँ. लेकिन फिर उसने ध्यान से देखा और मुझसे कहा- मम्मी तुम तो पहचान में ही नहीं आ रही हो इन कपड़ों में, एकदम हीरोइन लग रही हो.
मुझे लगा था कि वो गुस्सा करेगी, लेकिन उसकी ऐसी बातें सुनकर मुझे हिम्मत बंधी और मैंने उससे कहा- बेटी, तेरे पापा के जाने के बाद तू तो जानती ही है, मैं कितनी ज्यादा दुखी रहने लगी थी, अब हम नए शहर में जा रहे हैं, तो सोचा कि थोड़ा मैं भी अपने मन की कर लूँ.. इस ज़िन्दगी में ख़ुशी ढूँढ लूँ.
इस पर शिवानी ने कहा- मम्मी मैं बस तुम्हें खुश देखना चाहती हूँ.. क्यूंकि मैंने तुम्हें हमेशा रोते हुए देखा है. तुम्हें जिसमें ख़ुशी मिले, तुम वो करो.. मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा. इसलिए मम्मी तुम्हें जो दिल करे वो करो, मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी. अपनी बेटी के मुँह से अपने मन की बात सुनकर अन्दर ही अन्दर मैं बहुत खुश हो रही थी कि चलो मेरी बेटी मेरे मनमुताबिक बात कह रही है.
फिर मैंने शिवानी से कहा- बेटी, तेरे पापा के बाद अब तेरा भैया ही मुझे खुश करता है. अगर तुझे बाहर वालों के सामने अपने भैया को अपना पापा बोलना पड़े, तो बुरा तो नहीं लगेगा तुझे? शिवानी- मम्मी मैं जानती हूँ और मैंने देखा भी है कि भैया आपको बहुत खुश कर देते हैं, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.. अगर बाहर वालों के सामने मुझे भैया को पापा बोलना पड़ेगा तो मैं बोलूंगी.. बस आप खुश रहो मम्मी. मैंने हिलकते हुए कहा- आह.. मेरी अच्छी गुड़िया बेटी. और मैंने अपनी बेटी के माथे को चूम लिया.
करीब 6.30 में सोनू की नींद खुली और उठते के साथ उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसने आंखें बड़ी की और मेरी गोरी गोरी जांघों को निहारने लगा. फिर उसने नज़र उठा के मेरे तने हुए बूब्स की तरफ देखा. तभी शिवानी बोली- भैया मम्मी अच्छी लग रही है न.. हीरोइन के जैसे? सोनू- हाँ मेरी बहन.. मम्मी एकदम हीरोइन लग रही है. अब थोड़ा चाय नाश्ता कर लिया जाए.
उसने चाय मंगवाई और हम तीनों ने चाय पी. अब सोनू ठीक मेरे सामने बैठ गया और अपने पैरों को मेरे पैरों से सहलाने लगा. थोड़ी देर बाद वो अब अपने पैरों से मेरे घुटने तक की टाँग को अपने पैरों से सहला रहा था.
तभी शिवानी बोल पड़ी- भैया, मम्मी तुम्हारे साथ बहुत खुश हों.. ये देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता है. सोनू- हाँ बहन, मैं भी मम्मी को खुश रखने की पूरी कोशिश करता हूँ. इतना कहकर सोनू ने अपने पैर मेरी गोद में रख दिए.
इन्हीं सब बातों में 8 बज गए और रात का खाना आ गया. हम सब हाथ धोकर खाने बैठे, तभी शिवानी ने कहा- मम्मी मैंने तुम्हें उस दिन भैया की गोदी में बैठ के खाते छुप के देखा था. तुम्हें वैसे अच्छा लगता है न खाना?
मैं थोड़ी सकपका गयी कि तभी शिवानी बोल पड़ी- मम्मी तुम हमेशा भैया की गोदी में बैठ कर ही खाना खाया करो. यह सुनते ही सोनू ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे अपने ओर खींच कर मुझे अपनी जांघों पे बिठा लिया. शिवानी ने चुपचाप अपनी प्लेट उठायी और ऊपर वाली बर्थ पे जाकर बैठ गयी.
मैंने खिड़की के पर्दो लगा लिए और सिर्फ रीडिंग लाइट जला दी. सोनू ने सिर्फ बॉक्सर और टीशर्ट पहना था. उसका खड़ा लौड़ा मुझे मेरी गांड में महसूस हो रहा था. सोनू ने कहा- मम्मी तुम लेट जाओ. मैं खाने का निवाला तुम्हारी जांघों से चाट चाट के खाना चाहता हूँ. तभी मैंने कहा कि ठीक है.. तुम मेरे बदन पे निवाला रख कर खाओ.. लेकिन मैं तुम्हारे लौड़े पे रखा निवाला ही अपने मुँह में लूँगी.
इतना कहते ही मेरी आँखों में हवस उतरने लगी और मैं चुपचाप लेट गयी अब सोनू ने रोटी और सब्जी का पहला निवाला मेरी नाभि पे रखा और चाटने लगा. फिर धीरे धीरे पूरे पेट पर टॉप उठा कर और फिर मेरी जांघों पर रख कर खाना खाया.
इसके बाद सोनू खड़े होकर अपने लौड़े पे खाने का निवाला रखता जाता और मैंने उस निवाले को मुँह में लेने के लिए उसके लंड को भी चूसती जाती और निवाला भी खाती जाती.
इस तरह से हम दोनों ने खाना खाया और फिर सोनू ने रसगुल्ले निकाले और मुझे खड़े होने के लिए बोला. मैं खड़ी हो गयी और सोनू ने अचानक से दो रसगुल्ले लेकर उन्हें हाथों से दबा के मेरी पैंटी में डाल दिए. हॉफ पेंट के ऊपर से ही रसगुल्ले मेरी चुत तक पहुंच गए. सोनू ने रसगुल्ले मसल दिए, जिससे उनका सारा रस मेरी सफ़ेद हॉट पेंट में साफ़ नज़र आने लगा और मेरी जांघों से उसका रस टपकने लगा, जिसे मेरा बेटा चाटने लगा.
तभी शिवानी भी खाना खा के नीचे आ गयी. हम दोनों हड़बड़ा कर अपनी अपनी सीट पे बैठ गए. तभी वेटर आया और खाने की खाली प्लेट लेकर चला गया.
मेरी जवानी उफान मार रही थी तो मैंने खुद से केबिन की कुण्डी लगायी और शिवानी को कहा- बेटा, तुम्हारे भैया मुझे अब प्यार करेंगे. तभी शिवानी बोली- मम्मी, ट्रेन में रहने दो.. इससे अच्छा कल शादी के बाद करना.. तुम्हें ज्यादा ख़ुशी होगी. मुझे उसकी बातें न चाहते हुए भी माननी पड़ीं.
फिर हम लोग चुपचाप सो गए अपनी अपनी सीट पर मनमसोस कर लेट गई.
अगली सुबह 7 बजे हम कोलकाता पहुंच गए. हम तीनों ट्रेन से उतरे और एक गाड़ी बुक की. सोनू ने पहले एक होटल में एक कमरा लिया, फिर नाश्ता कर के करीब 10 बजे हम मार्किट गए और वहां जाकर मैंने एक लहंगा लिया. सोनू ने पायजामा कुरता और शिवानी ने अपने लिए स्कर्ट और टॉप ख़रीदा.
फिर मिठाई और जयमाला का हार लेकर हम तीनों सीधे मंदिर पहुंचे, सोनू ने पहले से ही वहां विवाह की बुकिंग की हुई थी.
करीब बारह बजे हम मंदिर पहुंचे. कुछ समय बाद पंडित जी आए और पहले वर को यानि सोनू को बिठाया फिर थोड़ी देर बाद वधू को पुकारा, तो मैं जाकर सोनू के बगल में बैठ गयी.
करीब तीन घंटे पूजा के बाद पंडित जी ने सोनू ने मंगलसूत्र पहनाने को कहा, तो शिवानी ने सोनू को मंगलसूत्र दे दिया और सोनू ने प्यार से मेरे गले में पहना दिया. फिर कुछ मन्त्रों के बाद पंडित जी के कहने पर सोनू ने मेरी मांग में अपने नाम का सिंदूर भर दिया.
अपने ही बेटे की बीवी बन के मुझे अन्दर ही अन्दर अजीब भी लग रहा था, लेकिन फिर अपनी ख्वाहिश का सोच कर अच्छा भी लगा कि चलो नया शहर है, यहाँ तो कम से कम अपनी ज़िन्दगी जी लूँ. करीब छह बजे शादी संपन्न हुई, पंडित जी ने अपनी दक्षिणा ली और हमे आशीर्वाद दिया.
हम फिर होटल आए, वहां होटल वालों ने स्वीट सुहागरात के लिए गुलाब के फूलों से कमरा सजाया हुआ था.
हम तीनों ने पहले खाना खाया और शिवानी ने कहा- मम्मी, मैं आपकी और पापा की सुहागरात देखना चाहती हूँ. मुझे थोड़ी हिचकिचाहट हुई.. तभी सोनू ने कहा- ठीक है.. तू सोफे पे बैठ के सब देखना.
अब हम कमरे में आ गए दरवाज़े की कुण्डी लगायी और बेड पर आकर बैठ गए. सोनू ने पहले से ही बियर मंगवाई हुई थी, सो हमने पहले पीने की सोची.
शिवानी वहीं सोफे पे बैठ के हमारी फोटो खींच रही थी और हमारी यादों को यादगार बनाते हुए वीडियो बना रही थी.
सोनू ने मुझे खड़ी होने को कहा, मैं खड़ी हो गयी तो सोनू ने मेरी गांड पकड़ कर मेरी नाभि में जीभ डाल दी और चाटने लगा. उसने मेरी कमर पे दांत से काटा, जिससे मैं नीचे से ऊपर तक सिहर गयी और मैंने आंखें बंद कर लीं. तभी सोनू ने शिवानी को बोला- शिवानी थोड़ी हेल्प कर दे.
शिवानी फटाफट आयी, सोनू ने कहा कि धीरे धीरे ये बोतल से बियर अपनी मम्मी के लहंगे में डालती जाना.. एकदम धीरे धीरे नाभि के नीचे से डालना.
शिवानी ने तुरंत ही मेरी नाभि के नीचे से बियर गिरानी शुरू कर दी और तभी सोनू अचानक से मेरे लहंगे में घुस गया. वो मेरी जांघें पकड़ कर अन्दर ही बैठ गया.. और उसने मेरी चुत पे मुँह रख कर और पैंटी के ऊपर से चुत चूसना शुरू कर दिया.
मेरी हवस की आग ने दस्तक दे दी. मुझसे अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था. मेरी चुत में पानी भी आ रहा था और मेरा बेटा बियर में सनी हुई मेरी चुत के पानी का मिश्रण को चूस चूस कर पी रहा था. मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
आधी बोतल ख़त्म हुई ही थी कि सोनू ने मेरी चुत पे दांत से काटा और दांतों से ही पकड़ के मेरी पैंटी खींच के उतार दी. अब सीधा मेरी चुत में सोनू ने अपनी जीभ घुसा दी और मेरी चुत को अपने मुँह में भर के चूस रहा था. चूस क्या रहा था.. वो चूत खा रहा था.
मैंने अपने हाथ शिवानी के कंधे पे रखे हुए थे और शिवानी बियर उड़ेल रही थी. अपनी माँ की चुदाई में वो बहुत मदद कर रही थी.
एक बोतल खाली होते होते मेरी चुत में आग लग चुकी थी. तभी सोनू मेरे लहंगे से बाहर निकला और वो मुझे कसके पकड़ते हुए चूमने लगा. वो मेरे होंठों को चूस रहा था, मेरी जीभ चूस रहा था.
फिर वो मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर कस कस के मसलते हुए मेरे होंठों को चूस रहा था. उसने एकाएक मेरी चोली पीछे से खोल दी. अब मैं अपने बेटे के सामने सिर्फ लाल ब्रा में आ गयी थी.
शिवानी फिर से हमारी फोटो खींचने में लग गयी. मैंने सोनू का मुँह पकड़ा और अपने मम्मों में घुसा कर रगड़ने लगी. तभी शिवानी ने चुपके से आकर पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. मेरे निप्पल्स तन चुके थे और एक एक करके मेरा बेटा, जो अब मेरा पति बन चुका था, वो उन्हें दांत से काट रहा था.. फिर चूस रहा था.
तभी मुझे महसूस हुआ कि सोनू ने मेरे लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया और मेरा लहंगा एक झटके में नीचे आ गया. अब मैं पूरी नंगी हो चुकी थी.
सोनू ने मुझे अपनी गोदी में उठाया और बेड पे पटक दिया. साथ ही वो खुद भी सारे कपड़े निकाल चुका था. उसका मोटा लम्बा लौड़ा देख के मेरी चुत से पानी का झरना बहने लगा, मैंने तुरंत ही बैठ कर उसका लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह में लेकर लंड चूसने लगी. सोनू ने एक हाथ से मेरे चूचे पकड़े.. दूसरे हाथ से मेरे बाल और अपने मोटे मूसल जैसे लौड़े से मेरा मुँह चोदने लगा. मैं भी उसके लौड़े को अपने गले तक लेकर अपना मुँह अपने ही बेटे से छिनाल के जैसे चुदवा रही थी.
करीब 15 मिनट तक अपना मुँह ढंग से चुदवाने के बाद अब मेरी चूत चुदवाने के लिए जैसे तड़प रही थी. मुझे शुरू से ही गाली सुनते हुए चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता था, तो मैंने सोनू से कहा- पतिदेव हो गए हैं आप मेरे.. अपनी बीवी को गन्दी से गन्दी गालियां दीजिये.. ताकि मेरे जिस्म का एक एक अंग जोश से भर जाए और मैं आपको पूरा मज़ा दे सकूं.
तभी शिवानी बोल पड़ी- सोनू भैया.. सॉरी पापा.. मम्मी को खूब खुश कर देना आज.. जो बोले वो करो आप. सोनू- साली कल तक सती सावित्री मेरी मम्मी थी.. और आज से मेरी पत्नी है. तुझे तो चोद चोद के मार डालूंगा साली रांड. यह सुनते ही मेरी चूत से झरने का बहना शुरू हो गया और मैंने कहा- आओ मेरे पति देव.. साले अपनी बीवी की चूत में अपना मोटा मूसल डाल के मेरी आग ठंडी करो.. लेकिन उससे पहले मैं चाहती हूँ कि तू पहले मेरी गांड भी मार ले.
मेरा इतना कहना था कि सोनू ने मुझे झट से कुतिया बना दिया और और झट से बिना देर किए मेरी गांड में अपना मोटा मूसल लंड एक ही बार में पेल दिया. मैं दर्द से चीख पड़ी लेकिन तभी सोनू ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. वो हाथों से मेरे कंधे को पकड़ के मेरी गांड कस कस के चोदे जा रहा था. मेरा ही अपना बेटा मेरी गांड मार रहा था.
करीब बीस मिनट तक मेरी गांड पे चांटे मारते हुए गांड मरवा के मुझे थोड़ी सी भी शांति नहीं मिली, उलटे चुदवाने की आग और धधक गयी. मैं- अरे मादरचोद, अब मेरी चूत भी तो चोद साले भड़वे … तभी तो पक्का मादरचोद बनेगा तू, बस पति बनने से नहीं होता है अपनी बीवी को रांड की तरह कस के चोदना पड़ता है भोसड़ी के.
मेरा इतना कहना था कि सोनू ने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर लेट के सीधा अपना लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया. माँ कसम मुझे लगा कि मैं जन्नत में हूँ. सोनू- साली रांड की औलाद.. छिनाल तुझे तो नंगी करके घुमाऊंगा.. मैं बाहर भी पेलूँगा तुझे.. आज तो बस सुहागरात की चुदाई है.. कल से दिन रात तुझे चोदता ही रहूँगा साली कुतिया.. ले लंड खा. मैं- और कस कस के धक्के मार मादरचोद..
मैंने दोनों पैर उसके कंधे पे रख दिए ताकि उसका लौड़ा मेरे बच्चेदानी को छू ले. सोनू- साली आज ही गर्भवती भी करूँगा मैं तो तुझे कुतिया बनेगी न मेरे बच्चे की माँ.. साली कुतिया? मैं- हाँ मेरे हरामी मरद.. बनूँगी ही तेरे बच्चे की माँ.. रंडी बना दे मुझे बेटे एकदम खुली रांड बना दे.
मेरे बेटे सोनू ने करीब चालीस मिनट तक मुझे चोद चोद के मेरी चूत का भोसड़ा बना के रख दिया.
सोनू- अब गिरने वाला है साली प्रभा, तेरी चूत में ही गिराऊंगा माँ की लौड़ी. मैं- गिरा दे बेटा.. अब तो पति है तू मेरा जो दिल करे, कर मेरे साथ.. मेरा भी गिर रहा है आह..
और तभी मेरा और सोनू का साथ में ही गिर गया और हम वैसे ही सो गए. सोनू मेरे ऊपर लौड़ा बिना निकले ही पड़ा था.
करीब दो घंटे बाद मैं पेशाब करने उठी तो देखा शिवानी सिर्फ अपनी पैंटी के अन्दर हाथ घुसा कर सोई पड़ी है. मुझे हंसी आ गयी, पर मैंने किसी से कुछ नहीं कहा और फिर चुपचाप आकर सो गयी.
अगले दिन हम नए फ्लैट में शिफ्ट हो गए.
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