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हैलो पाठको, मेरा नाम विशेष है.. आज मैं आपके सामने अपनी सासू माँ की और अपनी आप बीती डर्टी कहानी पेश करने जा रहा हूँ. मैं आशा करता हूँ कि आप सबको ये सेक्स स्टोरी पसंद आएगी.
मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं और मेरी ससुराल मेरे ही शहर में है. मेरे सास ससुर अकेले रहते हैं. मेरी सास मोहिनी, जिनकी उम्र तकरीबन 45 साल होगी. उनकी आयु जरूर पैंतालीस साल की है, मगर वो दिखने में अभी 30-35 की ही लगती हैं. उनका साइज़ 36-30-34 का है. जब भी मैं उनकी उठी हुई गांड को देखता हूँ तो मेरी लार टपकने लगती है. मैं ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ता था, जब उन्हें टच करने का अवसर मिलता. वे भी मेरी तरफ कनखियों से देखती रहती थीं. लेकिन मैं उनकी इस नजर कभी समझ नहीं पाया था.
एक बार मेरे ससुर जी को बाहर उनके बेटे के पास जाना पड़ा तो वो मेरी बीवी को भी अपने साथ ले गए. वे बोले कि चलो तुम्हें भी घुमा लाता हूँ. हालांकि उन्होंने मुझसे भी साथ चलने को कहा था, पर मुझे छुट्टी नहीं मिल रही थी. इसलिए मैंने साथ जाने से मना कर दिया.
मेरी सास मोहिनी ने कहा- ठीक है. मैं दामाद जी का ध्यान रखने के लिए यहीं रुक जाऊंगी. दामाद जी इतने दिन तक यहीं मेरे साथ ही रह लेंगे. मैं रहूँगी तो इनके खाने पीने का ख्याल भी रख लूँगी. इस बात पर मेरी बीवी और ससुर राजी हो गए.. और अपने जाने की तैयारी करने लगे.
जिस दिन मेरी बीवी और ससुर बाहर गए, मैं और मेरी सास मोहिनी उन्हें स्टेशन छोड़ने गए थे. उनकी शाम को 7.30 बजे की ट्रेन थी. उनकी ट्रेन जाने के बाद स्टेशन पे ही मैं और मेरी सास मोहिनी एक दूसरे को देखने लगे.
मैंने कहा कि अब कहिए मम्मी.. अब क्या प्लान है आगे का.. अब तो आप और हम अकेले ही रह गए हैं. तो वो बोलीं कि हां आज का खाना बाहर ही खाते हैं. मैंने कहा- ठीक है.
फिर हमने एक होटल में डिनर किया और रात करीब 10.30 बजे हम घर पहुंच गए. उस रात मौसम बहुत सुहाना और ठंडा हो रहा था क्योंकि बारिश का मौसम आने ही वाला था, तो हवा भी तेज़ चल रही थी. मेरी कार में अंधेरा था और मेरी सासू मोहिनी मेरे बाजू वाली सीट पर बिंदास बैठी थीं.. उनका पल्लू भी उनके मम्मों से हटा हुआ था, मैं जब भी गियर चेंज करता तो मेरा हाथ उनकी जांघों से टकरा जाता.. और वो हर बार फिर थोड़ी संभल कर बैठने का नाटक करने लग जातीं.
उस दिन मेरी सास मोहिनी ने स्काई ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी और स्टेशन की भागदौड़ में उनकी साड़ी उनकी नाभि से भी नीचे हो गयी थी.. इसका उन्होंने ध्यान भी नहीं दिया था.. या वे ध्यान देना नहीं चाहती थीं.
इतने में ही बारिश शुरू हो गयी, तो मैंने कहा- मम्मी जी, कार की खिड़की बंद कर लो, पानी अन्दर आ रहा है. तो बोली- पहली बारिश है.. और वैसे भी घर ही तो जाना है, भीग जाने दो. मैंने कहा- ठीक है.
यह कह कर मैंने भी अपनी खिड़की खोल दी. मैंने देखा बारिश की हल्की हल्की बूँदें उनके चेहरे पे पड़ रही थीं और उनके बालों पे ओस की बूँद जैसी लग रही थीं..
घर आते आते वो थोड़ी ज्यादा ही भीग गयी थीं. मैंने कार पोर्च में पार्क खड़ी की और वो घर का गेट खोलने लगीं.
दरवाजे का की-होल थोड़ा नीचे को था. तो सासू को जरा झुकना पड़ा.. और जैसे ही वो झुकीं.. उनका पल्लू पूरा नीचे गिर गया और गांड थोड़ा बाहर को निकल आई. इससे हुआ ये कि उनकी पतली साड़ी में से उनकी पेंटी की आउटलाइन दिखने लगी. जब वे दरवाजा खोल कर पलट कर मुझे अन्दर आने को कहने के लिए घूमी तो मेरे लंड में तो मानो आग लग गई, उनकी आधे से ज्यादा चूचियां ब्लाउज से बाहर दिख रही थीं क्योंकि उन्होंने पल्लू नीचे ही गिरा रहने दिया था.
यह देख कर मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया. लॉक खुलते ही हम दोनों घर में घुसे तो घर में भी अंधेरा था. हमारे यहां लाइट की बहुत दिक्कत थी, ज़रा भी हवा चलती तो लाइट गोल हो जाती थी.
उन्होंने कहा- उफ़फ्फ़ … फिर लाइट चली गयी.. अब पता नहीं रात कैसे कटेगी. तो मैंने कहा- मम्मी चिंता मत करो, मैं साथ हूँ तो आपकी रात खराब नहीं होने दूँगा. वे हल्की से हंस पड़ीं. मुझे उनकी हंसी में कुछ मतलब समझ आया.
इतने में उन्होंने एमर्जेन्सी लाइट जलाई और मुझे देख कर फिर से हँसने लगीं. वो बोलीं कि मैं कपड़े चेंज कर लेती हूँ, आप बैठो.. फिर आप चेंज कर लेना. मैंने कहा- ठीक है.
सासू माँ अपने रूम में चली गईं. अंधेरा होने की वजह से उन्हें डर लग रहा था तो वो आवाज देते हुए बोलीं कि मैं दरवाजा बंद नहीं कर रही हूँ क्योंकि मुझे डर लगता है. मैंने कहा- ठीक है, आप चिंता मत करो. मैं अन्दर नहीं आऊंगा और वैसे भी अगर आ गया तो मुझे अंधेरे में कुछ दिखेगा ही नहीं. तो इस पर वो बोलीं- वैसे भी बेटा … अब इस उम्र में मेरे पास तुम्हें दिखाने लायक कुछ है भी नहीं.
फिर मैं हंसते हुए ड्रॉइंग रूम में बैठ गया. मगर मेरे दिमाग़ में अभी भी उनका गिरा हुआ पल्लू और बाहर झाँकते दूध और निकली हुई गांड चल रही थी.
इतने में ही उनकी चिल्लाने की आवाज़ आई तो मैं दौड़ कर गया.. और जाते जाते ध्यान आया कि वो कपड़े बदल रही हैं तो मैं दरवाजे पे ही रुक गया. मैंने पूछा- क्या हुआ? तो मोहिनी जी बोलीं- अभी मेरे पैर के ऊपर से रेंगते हुए कुछ गया.
मैंने हिचक छोड़ दी और अन्दर आ गया. मैंने देखा कि उनकी साड़ी का पल्लू गिरा हुआ है और उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं. इस स्थिति में उनके दूध ऊपर नीचे हो रहे थे. मैंने बाहर से चाँद से आती हुई रोशनी में उन्हें देखा तो वो एकदम परी लग रही थीं.
उनकी लिपस्टिक उनके होंठों पर इतने अंधेरे में भी चमक रही थी और बार बार उनके होंठ मुझे पुकार रहे थे. मैं उनके पास को गया और मैंने कहा- मैं यहीं खड़ा हूँ.. आप कपड़े बदल लो.. मैं इधर नहीं देखूँगा. वो बोलीं- ठीक है.. आप कहीं मत जाना.
अब मैं बेड पर उनकी तरफ पीठ करके बैठ गया और मुझे उनकी चूड़ियों और गहनों की खनकने की आवाज़ आ रही थी. इतने में मेरे पास उनकी साड़ी उड़ती हुई आई और मेरी गोदी में गिरी. मुझे समझ आ गया कि ये साड़ी उन्होंने मेरी तरफ जानबूझ कर ही फेंकी है.
मैंने थोड़ा सा कनखियों से देखा तो वो पेटीकोट और ब्लाउज में खड़ी अलमारी में से कुछ निकालने की कोशिश कर रही थीं.
मगर उन्हें मिल नहीं रहा था तो वो बोलीं कि बेटा ज़रा मेरे कपड़े निकालने में मेरी मदद कर दो. मैंने भी हरामी बनने की सोच कर कहा- ठीक है.. अभी निकाल देता हूँ. मैं उनके पास जाकर खड़ा हो गया तो बोलीं- क्या हुआ निकालो ना?
मैंने हाथ उनकी तरफ बढ़ा दिए. वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो बेटा? मैंने कहा कि आपने ही तो कहा- कपड़े निकालने में मेरी मदद करो. तो वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगीं और बोलीं कि अरे बुद्धू बेटा.. मैं ये नहीं.. मैं तो अलमारी से कपड़े निकालने को बोल रही थी. मैंने कहा- ओह.. मुझे लगा कि शायद आप अपने…
और मैं ऐसा बोलते बोलते चुप हो गया. फिर वो पीछे को, अलमारी की तरफ अपनी पीठ और गांड मेरी तरफ करके घूमी. फिर पता नहीं क्या हुआ कि वे एकदम से बोलीं- ठीक है मेरे ही कपड़े उतारने में मदद कर दो, बाकी मैं कर लूँगी, मेरा ब्लाउज पीछे से हुक वाला है, बस आप इसे खोल दो.
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गयी. मैं उनके पास गया और उनकी पीठ पे हाथ रख कर ऐसी एक्टिंग करी, जैसे मुझे हुक नहीं मिल रहे हो. वो कंधे हिलाने लगीं, उन्हें शायद कुछ अजीब सा लगा हो.
इतने में मैंने उनकी गर्दन पे एक किस कर दिया तो वो एकदम से दूर होके बोलीं- बेटा, ये क्या कर रहे हो? तो मैंने कहा- आप बहुत सुंदर लग रही हो.. तो मेरी इच्छा हुई कि आपकी सुंदरता के लिए आपको कुछ इनाम दूँ, तो मैंने दे दिया.
वो मुस्कुराईं और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया. मेरी सासू माँ के कड़े दूध मेरी छाती से टकराए, तो मैंने उन्हें कसके बांहों में भर लिया और उनके गालों पे किस करने लगा. मैंने उनकी गर्दन पे अपनी उंगलियां चलानी शुरू कर दीं.
अब सब कुछ खुल गया था, मेरी सास मेरे साथ सेक्स करने को मचल रही थीं.
मेरी उंगलियां उनकी गर्दन के पीछे से होती हुई.. आगे उनके ब्लाउज के कोने तक आ गईं. मेरी सास मोहिनी जी की सांसें तेज़ चलने लगीं और उनकी उंगलियों की पकड़ मेरे पे और बढ़ गई. फिर मैंने उनके होंठों पे अपने होंठ रख दिए और हम एक दूसरे की सांसों में खोने लगे. इतने में उन्होंने अपने होंठ खोल दिए और मेरी जीभ उनके मुँह में अन्दर उनकी जीभ से लड़ने लगी. दो पल बाद ही हमारी लार एक दूसरे में मिलने लगीं.
फिर उनके हाथ मेरी पीठ पे रेंगने लगे और उन्होंने मेरी पैन्ट में खुरसी हुई शर्ट बाहर निकाल दी. मैं अपना हाथ उनकी पीठ पे ब्लाउज के नीचे ले गया और उनकी स्किन को छूते ही जैसे उन्हें करेंट सा लगा.
वो थोड़ा सा उचकीं और एक आआ आहह भरी. साथ ही उन्होंने अपनी छातियों को और मेरे करीब कर दिया. फिर मैंने अपने हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी गांड पे ले गया और उंगलियों से जैसे ड्रॉइंग बनाने लगा. वो भी अपनी गांड को इधर उधर हिलाने लगीं.
फिर मैंने अपने एक हाथ उनके दूध पे रख दिया और हल्के हल्के से उनके दूध पे भी ड्रॉइंग सी बनाने लगा.
अब वो पूरी तरह से मेरी हो गई थीं. मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेड पे ले गया. इतने में ही लाइट भी आ गयी तो वो शर्मा गईं और अपना मुँह अपने हाथों से छुपाने लगीं. उनके पैर बेड के बाहर लटक रहे थे. मैंने नीचे फर्श पर बैठे कर उनकी सैंडिल उतार दीं और उनके पैरों को सहलाने लगा.
वो बोलीं कि जब भी तुम मेरे पैर छूते थे.. तो मुझे कुछ अजीब सी फीलिंग होती थी.. आज समझ में आया कि वो सब क्यों होता था. क्योंकि तुम्हारे अन्दर भी उतनी ही आग लगी थी, जितनी कि मेरे अन्दर लगी है. मैंने कहा- हां..
फिर मैंने उनके पैरों की उंगलियों को चूमना शुरू किया तो वो सिसकारियां लेने लगीं- आहह उम्म्म्म ममम ऊऊहह बेटा.. आज मेरी हर इच्छा पूरी कर दो.. मैंने कहा- हां सासू माँ, आज तो मैं आपकी और मेरी दोनों की हर इच्छा पूरी कर दूँगा.
फिर मैं उनको चूमते हुए थोड़ा ऊपर उनके पैरों की एड़ियों तक आ गया तो उनकी पायल बजने लगी. एक हाथ से मैं उनके पैर पे हाथ फेर रहा था और दूसरे हाथ से मैं उनके पेट पे ड्राइंग सी बना रहा था. वो अपनी गांड को हिलाते हिलाते उचक रही थीं और मुँह से तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी- ह्म्म्म्म म आहह बेटा आअहह ओह…
फिर मैं उनके पास पलंग पे आकर बैठ गया और उन्हें भी उठाकर बिठा दिया. अब उन्होंने अपना काम शुरू किया और मेरी शर्ट के सारे बटन खोल कर मेरी बेल्ट उतार दी. फिर मेरी जीन्स भी खींचने लगीं.. थोड़ी देर में ही मैं उनके सामने सिर्फ़ अपनी जॉकी में था; उन्होंने मेरी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ के सहलाना शुरू कर दिया. तो मेरा लंड फूल के जॉकी से बाहर आने को करने लगा.
वो बोलीं- इसे क्यों क़ैद करके रखा है.. इसे आज़ाद तो कर दो. मैंने कहा- क़ैद मैंने किया है ताकि तुम्हारे हाथों से आजाद हो सके.
उन्होंने अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को एक किस किया और उनके होंठों की लिपस्टिक का हल्का सा निशान मेरी अंडरवियर पे पड़ गया. वो अंडरवियर उसके बाद मैंने कभी नहीं पहनी और आज तक संभाल के रखी है.
फिर उन्होंने अपने हाथ मेरी गांड के नीचे से मेरी अंडरवियर के अन्दर डाले और एक ही झटके में मेरा लंड फुदक कर बाहर उनके मुँह के सामने स्प्रिंग की तरह हिलने लगा.
फिर उन्होंने झुक कर कहा- आज मैं तुम्हें बताऊंगी कि मैं क्यों इतने दिनों से तड़प रही थी. और ऐसा कहते कहते उन्होंने अपनी मुट्ठी में मेरा लंड पकड़ लिया. किसी कॉर्क की बॉटल की तरह मेरा लंड मेरी सास के हाथ में था. दूसरे हाथ से वो मेरे बॉल्स को सहला रही थीं.
‘ह्म्म्म्म .. आआआहह.. साआसूउउउ माँआ आआहह.. मेरी मनमोहिनीई ईईई..’ मेरे कामुक स्वर कमरे में गूंजने लगे.
फिर उन्होंने मेरे प्यूबिक रीजन पे अपने होंठ रख दिए और अपने होंठ वहां फिराने लगीं. इससे मेरे लंड का साइज़ और बढ़ने लगा. धीरे धीरे करते हुए वो मेरे लंड पे आ गईं और फिर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
अ.. आहह.. दोस्तो क्या मस्त फीलिंग थी.. मैं शब्दों में बयान तो नहीं कर सकता.. मगर फिर भी कोशिश कर रहा हूँ.. मेरी सासू माँ के गीले गीले मुँह से मेरा लंड और भी गरम हो रहा था और बढ़ता ही जा रहा था. इतना बड़ा मेरा लंड आज तक कभी नहीं हुआ था.
दोस्तो, मेरी सास की चूत चुदाई की डर्टी कहानी पर आपके कमेंट्स चाहूँगा. [email protected] कहानी जारी है.
कहानी का अगला भाग: मेरी प्यारी चुदासी सासू माँ-2
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