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मेरी स्टूडेंट से सेक्स कहानी के पहले भाग स्टूडेंट से सेक्स: जवान लड़की को दबा कर चोदा-1 अब तक आपने पढ़ा किस प्रकार मैं अपनी ही स्टूडेंट को पटा कर उसे चूमने में कामयाब रहा था. इस वक्त मैं उसके स्तनों और चूचुकों को सहला रहा था.
अब आगे..
मेरा हाथ धीरे धीरे उसकी कमीज को ऊपर की उठा रहा था. वो भी कामवश मेरा सहयोग करने लगी. थोड़े से प्रयास के बाद ही उसकी कमीज उसका साथ छोड़ चुकी थी. काले रंग की ब्रा में उसके दूध से गोरे वक्ष बहुत ही आकर्षक लग रहे थे. इतना सब कुछ होने के बाद भी मैं उसके होंठों पर अपना कब्जा किए हुए था.
एक कली खिलकर फूल बनने को आतुर हो रही थी और मैं लगातार पिछले 15 मिनट से एक भंवरे की भांति उसके होंठों का रसपान किए जा रहा था. उसके हाथ मेरे कंधों और कमर पर फिसल रहे थे. ये उसकी आतुरता को दर्शा रहे थे.
मैंने एक झटके में उसकी ब्रा को उसकी बदन से अलग कर दिया. ब्रा उसके मखमली कंधों से फिसलते हुए उसका साथ छोड़ती चली गयी. अब मेरे हाथ अनावृत वक्षों को स्नेह व कोमलता से सहला रहे थे. कविता की आहें अब बढ़ती जा रही थीं.
मैंने उसके दाएं चूचुक को अपने होंठों में लिया और एक छोटे बच्चे की भांति पीने लगा. उसकी आहें अब सिसकारियों में बदल रही थी. वो मुझे रोकने का प्रयास करने लगी और मेरा मुँह पीछे धकेलने लगी. मैंने उसके वक्ष को पीना बंद किया और पीछे हट गया. मेरा इस तरह पीछे हटना उसे और अधिक बेचैन कर गया. उसने झट से मेरा सिर पकड़ा और अपने वक्ष पर रख दिया. उसका इशारा पाकर मैं उसके चूचुक को फिर से चूसने लगा.
जहां मैं उसके चूचुकों का रस बारी बारी से पी रहा था. वहीं वह भी अब पीछे नहीं रही और मेरी शर्ट को ऊपर की ओर खींचने लगी.
मैंने सीधे होकर एक ही झटके में अपनी शर्ट को उतार फेंका. मैंने नीचे बनियान नहीं पहनी हुई थी, जिसके कारण मेरा चौड़ा सीना और कंधे उसके सामने अनावृत थे.
एक पल के लिये हमारी नजरें मिलीं और फिर धीरे से उसने अपनी पलकें झुका लीं.
मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया. जैसे ही हमारी नजरें फिर से मिलीं, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. अब वह भी उन्मुक्त होकर मेरे होंठों का रसपान करने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह का भ्रमण करने लगीं.
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उठाकर अपने बेडरूम की ओर चल पड़ा. वह अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को थामे खुद को संभाल रही थी.
मैंने धीरे से उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
एक बारगी जहां मैं उसके कोमल अधनंगे बदन को निहार रहा था, वहीं वह भी मेरी ओर कामुक निगाहों से निहार रही थी. उसकी आंखें धीरे धीरे बंद होती चली गईं.
मैं उस पर झुक गया और उसके वक्षस्थलों के अग्र भागों से खेलने लगा. वो आहें लेने लगी. मैंने देर ना करते हुए अपना एक हाथ उसकी सलवार की डोर की ओर बढ़ा दिया. चंद ही लम्हों में उसकी सलवार उसका साथ छोड़ चुकी थी.
मैं उसकी नीले रंग की प्रिंटेड पैंटी के ऊपर से उसकी योनि को सहलाने लगा. उसके हाथ भी मेरी कमर पर पूरी शिद्दत से चल रहे थे. मेरी एक उंगली पैंटी की साइड से अन्दर जाकर उसकी कोमल योनि के दाने से खेलना शुरू कर चुकी थी. उसकी आहें फिर से मादक सिसकारियों में बदल रही थीं.
मैंने अपना लोवर उतार दिया. कच्छे के अन्दर से मेरा लिंग फाड़कर बाहर निकलने को आतुर था. मैंने उसकी पैंटी को उतारना शुरू किया तो उसने भी सहयोग करते हुए अपने कूल्हे ऊपर की ओर उठा दिए.
उसकी चुत पर हल्के हल्के बाल उसकी चुत की शोभा को बढ़ा रहे थे. मैं उसकी टांगों के बीच आकर बैठ गया और उसकी चुत को देखने लगा. जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैं उसकी चुत की ओर झुका और उसकी चुत को चाटने लगा.. तो वो हाथ-पैर मारने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने कच्छे के ऊपर से अपने लिंग पर रख दिया और उसे सहलाने की इशारा किया. वो धीरे-धीरे मेरा लिंग सहलाने लगी.
मैं उसकी चुत चाट रहा था और वो मेरा लिंग मसलने मे मस्त थी. कमरा हम दोनों की आहों और कामुक सिसकारियों से गूँज रहा था.
अब मुझसे सहना मुश्किल हो रहा था. असली खेल शुरू करने का वक्त आ चुका था.
मैं खड़ा हुआ और अपना कच्छा निकाल फेंका. उसकी नजर मेरे 7 इंच लंबे लंड पर पड़ी तो वो घबरा गई. उसे इस खेल का सब कुछ पता था, लेकिन अब तक अनछुई थी. वो बोली- सर.. बस.. सर.. अब आगे नहीं.. मुझे डर लग रहा है. मैंने कहा- डर किस बात का? अभी तक तो जो मजा आया है, वो कुछ भी नहीं है. असली मजा तो अभी बाकी है. “नहीं सर आपका बहुत बड़ा है. मुझे डर लग रहा है. कहीं कुछ हो गया तो?” मैंने उसे प्यार से चूमते हुए उसे समझाने का प्रयास किया- देखो.. डरो मत कुछ नहीं होगा.. ये तो जितना बड़ा होता है.. उतना ही मजा आता है. ये सब तो बने ही इसीलिए हैं. अगर फिर भी तुम्हें लगेगा तो मैं रूक जाऊँगा.. बस.
वो मानने का तैयार नहीं हो रही थी तो मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए कहा- ओके.. चलो फिर ऊपर ऊपर से तो प्यार कर सकते हैं. अगर तुम्हारा मन नहीं है तो मैं आगे कुछ नहीं करूंगा.
इतना कहकर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे फिर से गर्म करने कर प्रयास करने लगा. मेरा एक हाथ उसके चूचुक को सहलाने में मस्त हो गया था. थोड़ी ही देर में वह फिर से सहयोग करने लगी. मेरी उंगली अब उसकी गुलाबी चुत के दाने पर थी और अपना कमाल दिखा रही थी. थोड़ी ही देर की बात थी कि वह फिर से पूरी तरह गर्म हो गई और मेरा लिंग पकड़कर खींचने लगी.
मैं भी इसी मौके की तलाश में था मैं धीरे धीरे उसके ऊपर आ गया और अपने आपको उसकी टांगों के बीच सैट कर लिया. वो चुपचाप मेर नीचे पड़ी थी और खुद अपने हाथ से मेरा लिंग अपनी चुत पर सैट कर रही थी. मैंने भी देर ना करते हुए अपने लिंग का दबाव बढ़ाना शुरू किया और अपना रास्ता तलाशने लगा.
अनचुदी चुत का मुँह बहुत टाईट था. इसलिये मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ फिक्स किए और एक जोरदार झटका दे दिया.
मेरा एक चौथाई लंड उसकी चुत में घुस चुका था. उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो दर्द के मारे अपने हाथ पैर मारने लगी.
अगर मेरे होंठों ने उसके होंठों को लॉक न किया होता तो उसकी चीख बाहर निकल पड़ती. मैंने बिना कोई देर किए, एक ओर झटका दिया और मेरा लंड उसकी चुत की दीवारों को फैलाकर अन्दर तक उतरता गया. वो अपने हाथ पैर मार रही थी. उसकी स्थिति को देखते हुए मैं थोड़ी देर रूक गया और उसके सामान्य होने तक उसके चूचुकों और होंठों को चूसता रहा. वो मुझे बराबर धकेलने का प्रयास कर रही थी. लेकिन मेरी मजबूत पकड़ के नीचे दबी होने के कारण अपने प्रयास में कामयाब न हो सकी.
थोड़ी ही देर में मेरे प्रयासों से वह सामान्य हुई और मैं धीरे धीरे बड़े प्यार से अपने लिंग को उसकी चुत में आगे पीछे करके चोदने लगा.
अभी भी मेरा लंड पूरी तरह उसकी चुत में नहीं गया था. दो इंच तक तो अब भी बाहर था. अब वो भी मजा लेने लगी थी, वो अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर वह भी खुद को चोदने में मेरी मदद करने लगी. मैंने उससे कहा- कैसा लग रहा है? उसने मेरी छाती में एक मुक्का मारा और शर्माकर आंखें बंद कर लीं.
मैंने कहा- अगर कहो तो अभी पूरा लंड अन्दर नहीं गया है. थोड़ा सा बाहर है. एक झटका देकर उसे भी अन्दर कर दूँ.. मजा आ जाएगा. उसने बंद आंखें किए हुए ही मौन स्वीकृति में अपना सिर हिला दिया. मैंने एक झटका दिया और अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वो हल्के से चीख पड़ी.
लेकिन उसकी इस चीख में अब आनन्द की अनुभूति साफ सुनाई पड़ रही थी.
मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चुत में पेल रहा था. वो भी अपनी बांहें मेरे कंधों पर रखकर मुझे अपनी ओर खींच रही थी. दस मिनट तक प्यार से चोदते चोदते मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पूरे कमरे में उसकी चुत का बाजा बजने की आवाजें गूंजने लगीं. वो भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मुझे सहयोग करने लगी.
तभी उसने एक जोरदार हिचकी ली और अपना माल गिरा दिया. लेकिन मेरा माल अभी निकला नहीं था. उसके रस से उसकी चुत और भी चिकनी हो गई थी. जिस वजह से मेरा लंड अब तेजी से एक पिस्टन की तरह उसकी चुत में अन्दर बाहर हो रहा था. वो अब भी सिसकारियां ले रही थी.
पांच मिनट की जोरदार चुदाई करने के बाद मैं उस पर निढाल होकर गिर पड़ा और मैंने अपना माल उसकी चुत में गिरा दिया. वो प्यार से मेरे माथे और कंधों को चूम रही थी.
लगभग 15 मिनट के बाद हम उठे, तो वो बेड पर गिरे खून के निशान देखकर घबरा गई. मैंने उसे प्यार से समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है. पहली पहली बार ये सब होता है. आज तुम्हारी चूत का उद्घाटन था, इसलिये ये खून निकला है. अब आगे तो बस मजे ही मजे हैं.
फिर हम बाथरूम जाकर फ्रेश होने लगे. वो अब भी मुझसे शर्मा रही थी. उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किये तो मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. मेरी प्यास अभी भी बुझी नहीं थी और शायद उसकी भी नहीं. वो भी मेरे चुबनों का उत्तर चुंबनों के रूप में देने लगी.
मैं खड़ा हो गया और अपना लंड उसके मुँह की ओर कर लिया. वो अपनी आंखों एक सवाल सा लिये मेरी तरफ देखने लगी. मैं हंसने लगा और मैंने अपना लिंग उसके मुँह की ओर बढ़ा दिया. मेरा लिंग इस समय सिकुड़कर 4 इंच का हो गया था. वो मेरे इशारे को समझते हुए लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
बस 5 ही मिनट में मेरा लंड फिर से तनकर 7 इंच का हो गया. लेकिन इस बार लंड की मोटाई पहले से कुछ ज्यादा ही हो गयी थी.
मैंने उसे सोफे के किनारे पर खड़ा करके आगे की ओर झुकाया और अपना लंड एक ही झटके में उसकी चूत में उतार दिया. वो एकदम होने वाले इस हमले से अंजान थी. इसलिये उसके मुँह से एक चीख निकल पड़ी. मैंने जोरदार झटके देते हुए उसे चोदना जारी रखा. वो जोरदार सिसकारियां लेने लगी.
पन्द्रह मिनट तक इसी तरह चोदने के बाद मैंने उसे उठाया और बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया.
मैं बेड पर कमर के बल लेट गया और उसे ऊपर आने के लिये कहा. वो चुदाई के आसनों से अभी अंजान थी, इसलिये मैंने उसे अपने ऊपर किया और उसकी चूत पर लंड सैट करके उसे ऊपर नीचे होने के लिये कहा. वो मेरे की अनुसार ऊपर नीचे उठक बैठक लगाने लगी. ये उसका पहला अनुभव था इसलिये वो बहुत मादक हो रही थी. मैं उसके संतरे जैसे उरोजों को अपने हाथों से दबाने लगा.
लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और मेरे ऊपर गिर पड़ी. लेकिन मेरा तो अभी टाईम बाकी था. मैंने उसे नीचे लिटाया और अपने लंड को उसकी चूत पर सैट करके पेलम पेल चोदने लगा. वो नीचे पड़ी पड़ी सिसकियां लेती रही.
पद्रह मिनट की ठुकाई के बाद मैंने अपना माल उसकी चूत में उतार दिया और उस पर गिर पड़ा. बहुत दिनों के बाद मुझे चुदाई का मजा आया था. चुदाई के बाद वो तैयार होकर जाने लगी. मैंने उससे पूछा- क्या बाकी के लैटर्स नहीं लेना है? वो हंस दी और बोली- अब मुझे कोई डर नहीं है.. उन्हें आप ही रखे रहिए.
वो चली गई. इसके बाद तो ना जाने कितनी बार मैंने उसकी चुदाई की. वो भी हर बार न केवल आसानी से मान जाती थी.. बल्कि खुद भी मेरे लंड की सवारी के उत्सुक रहती थी.
दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ये कहानी. वैसे तो ये सच्ची कहानी है लेकिन मनोरंजन के लिये इसमें कुछ काल्पनिक चर्चा को भी जोड़ा गया है.
इसके अलावा मैंने एक और लड़की को चोदा है. जिसकी कहानी फिर कभी आपके साथ साझा करूंगा. आपका योगी स्टूडेंट से सेक्स की कहानी पर अपनी राय देने के लिये आप मुझे मेरी ईमेल [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं.
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