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दोस्तो, मेरी पिछली कहानी मालिक की बेटी की कामवासना में आपने पढ़ा कि बुआ जी ने मुझे और अनु दीदी को सेक्स करते हुए देख लिया था. अनु मेरे नीचे लेटी थी और उस वक्त वो अपनी चुत में मेरा मस्त लंड लिए हुए पड़ी थी. अनु बुआ जी को नहीं देख पाई थी. शर्म या अपनी इज़्ज़त को ध्यान में रखते हुए शायद बुआ जी ने उस समय कुछ नहीं कहा.. लेकिन यकीन मानिए मेरी जबरदस्त गांड फट गई थी. मुझे पूरा यकीन था कि अब नौकरी तो जाएगी ही, मालिक जेल में भी बंद करा दे, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. इससे हुआ यह कि मेरा अच्छा ख़ासा मस्त खड़ा लंड.. एकदम से चूहा हो गया.
मैंने लंड निकालते हुए अनु से कहा कि कुछ गड़बड़ लग रही है. शायद उधर कोई था. उसने मेरी बात सुनी तो तुरंत कपड़े पहने और वहाँ से निकल गई.
शाम तक का टाइम बिताना मेरे लिए पहाड़ जैसा हो गया था और बहुत डर भी लग रहा था. मैंने सोचा कि चाचा को फोन करके सब बता देता हूँ, लेकिन सोचा कि अभी देखते हैं, जब ज़्यादा ग़लत लगेगा तो चाचा को फोन करूँगा.
शाम के करीब 5 बजे बुआ जी का फोन मेरे मोबाइल पे बजा. उनका नंबर देखते ही मेरा शरीर काँपने लगा. मैंने डरते हुए फोन उठाया. बुआ जी गरजती आवाज़ में कहा- कहाँ हो तुम, तुरंत ऊपर मेरे पास आओ. इससे पहले कभी उन्होंने मुझसे ऐसे बात नहीं की थी. मैं समझ गया कि आज तो थप्पड़ पड़ेंगे और जेल भी जाना पड़ेगा.
खैर हिम्मत करके ऊपर गया और चुपचाप उनके सामने आंखें नीची करके खड़ा हो गया. बुआ जी ने गुस्से से गरजते हुए कहा- मैं तुम्हें अपने घर का सदस्य समझती थी, भाई जैसा प्यार दिया तुमको… और तुमने, जिस थाली में खाया, उसी में छेद किया, नमकहराम.. भैया को आने दो, तुम्हें जेल में ना करवाया तो कहना, तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आई, अपनी छोटी बहन से गंदा काम करते हुए?
मैं बहुत डर गया था कि आज तो सब खत्म हो गया है, बस किसी तरह से जान बच जाए और मैं यहाँ से भागूं.
तभी मेरे दिमाग़ ने कहा कि बुआ को बात सब खुल कर बताना चाहिए, हो सकता है जान बच जाए. मैंने हाथ जोड़ कर कहा- प्लीज़, आप मुझे कुछ कहने का अवसर तो दो. उन्होंने घूर कर देखा और मुझसे गुर्राते हुए कहा- बोलो.
तो मैंने हिम्मत करके उनको शुरू से लेकर अब तक का सब कुछ बताया कि कैसे उस लड़के ने अनु दीदी को प्रेगनेंट किया था और मैंने उनका अबॉर्शन करवाया था और किन हालत में अनु दीदी और मेरे बीच में सेक्स हुआ, अगर मैं नहीं करता तो अनु दीदी किसी और से मजा लेतीं और फिर से चक्कर में फंस जातीं. मैंने बुआ जी को ये भी बताया कि मैं अनु दीदी से शादी नहीं करूँगा और अनु दीदी भी एकदम क्लियर है, हमारा रिश्ता सिर्फ़ अनु दीदी की शादी तक का है और मैं आज ही नौकरी छोड़ कर चला जाता हूँ. बस आप मुझे माफ़ कर दो और किसी को कुछ ना कहो.
कुछ देर तक डांट पिलाने के बाद बुआ जी ने उस टाइम मुझे जाने दे दिया. बड़ी मुश्किल से रात कटी. इस बीच अनु दीदी का फोन आया तो मैंने कहा कि कुछ नहीं हुआ है. लेकिन मुझे डर है कि शायद किसी ने हमें देख लिया है, इसीलिए हमें अब सावधान रहना चाहिए और कुछ दिन तक ज़्यादा बात नहीं करनी चाहिए.
अनु भी मान गई. सुबह सब नॉर्मल था, सेठ जी, सेठानी जी ने कुछ नहीं कहा. सारे काम हर रोज की तरह हो रहे थे. मैं सेठ जी फैक्ट्री में छोड़ कर आया. इस सब का मतलब यही था कि बुआ ने अभी तक बम्ब नहीं फोड़ा था. यह महसूस करके मुझे थोड़ी सी राहत हुई कि शायद जेल तो नहीं जाना पड़ेगा, पर हां नौकरी तो पक्का जाएगी. क्योंकि बुआ अब मुझे घर में तो रहने नहीं देगी.
करीब 12 बजे बुआ जी का फोन आया, उन्होंने गुस्से में कहा- गाड़ी निकालो, मुझे कुछ मार्केट में काम है. मैं तैयार हो गया था. बुआ जी ने गुस्से से मुझे देखा और पीछे बैठ गई. मेरी गांड फट रही थी कि ये औरत जाने क्या करेगी.
उन्होंने एक पार्क के सामने गाड़ी रुकवाई और मुझे पार्क में चलने को कहा. वहाँ उन्होंने दुबारा से विस्तार से सारी बात पूछी. मैंने सब कुछ बताया और कहा कि सिर्फ़ आपके घर की इज़्ज़त की खातिर ऐसा हो गया है, वरना मैं कितने साल से काम कर रहा हूँ. आज तक आपको भी नज़र उठा के नहीं देखा.
और ये सच भी था.
बुआ जी को यकीन हो गया था और मुझे कहा कि मैं नौकरी और इज़्ज़त की खातिर आज के बाद कभी अनु से बात नहीं करूँगा. मैंने भी हां कर दिया.
मैंने सारी बात फोन करके अनु को बताई कि उस दिन बुआ जी हमें देख लिया था और उन्होंने मुझे तुमसे दूर रहने को कहा है.. वरना मुझे जेल जाना पड़ेगा. अनु मान गई कि अब हम कुछ दिन बिल्कुल बात नहीं करेंगे. वो भी बहुर डर गई थी.
उसी शाम को बुआ जी अनु से सारी बात पूछी और अनु ने भी सब सच बता दिया और कहा कि प्लीज़ पापा मम्मी को नहीं बताएं. बुआ जी ने भी अपना वचन निभाया और सेठ, सेठानी को कुछ नहीं बताया.
धीरे धीरे सब नॉर्मल हो गया. अनु और मैं सिर्फ़ फोन पे बात करते थे, मिलना बंद कर दिया था. लेकिन मैं बुआ जी की नज़रों में कुछ फर्क महसूस कर रहा था.
कुछ दिनों बाद, जब मैं बुआ जी के साथ गाड़ी में जा रहा था तो उन्होंने कहा- सतीश, वैसे अगर तुम नहीं होते तो अनु तो सच में फंस जाती और कोई और जाने इस बात का कितना नाजायज़ फायदा भी उठाता हमसे, सच कहूँ तो तुमने इज़्ज़त ही बचाई है. अनु तो छोटी है, उसे तो ज़्यादा पता नहीं है. मैंने कहा- बुआ जी, मानता हूँ कि मुझे और अनु को ज़्यादा नहीं करना चाहिए था, लेकिन सच ये है कि उसने आदमी को एक बार फील कर लिया था. मैं नहीं तो कोई और ऐसा करता और वो ज़्यादा फंस जाती. चूँकि मैं अपनी हैसियत जानता हूँ, इसलिए सिर्फ़ अनु की शादी का वेट था. पर जब से आपने कहा है, मैंने उससे बात भी नहीं की है और आप भी तो सब समझती है ना, आप तो मुझसे भी बड़ी हैं. आपका भी तो ब्वॉयफ्रेंड होगा, आपने भी तो फील किया होगा.
बुआ जी ने चुदाई की बात को समझते हुए कहा- हां, मैं मानती हूँ कि उस समय जो हुआ ठीक था, पर अब तुम अनु के साथ कुछ नहीं करोगे और हां मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है.. ना ही था. कॉलेज में एक दोस्त ज़रूर था, बस उससे ज्यादा कुछ नहीं था. वैसे अनु से पहले तुम्हारी कोई लड़की दोस्त तो रही होगी.
उनकी इतनी बिंदास बात सुनकर मैं भी खुलने लगा था, मैंने कहा- अरे कहाँ बुआ जी, दिल्ली आ कर ही पता लगा कि लड़के लड़कियां आपस में दोस्ती करते हैं. फिर जब अनु दीदी ने बताया कि वो लड़का उनके साथ सेक्स कर चुका है, तो मुझे बड़ा अजीब लगा कि इतनी छोटी उमर में यहाँ सब कुछ हो जाता है. मैं 24 साल का हूँ और आप 28 की हो. मैं तो फिर भी अनु दीदी के साथ था. आपने तो कुछ भी नहीं देखा. लेकिन बुआ जी ने इस पर कुछ नहीं कहा और हम घर आ गए.
अगले दिन, सेठ जी फैक्ट्री चले गए सेठानी जी अपनी सहेलियों के साथ चली गईं.
अनु दीदी दूसरे ड्राइवर के साथ कॉलेज चली गईं. तभी बुआ ने मुझे ऊपर बुलाया. मैं ऊपर गया तो वो नाइटी में थीं और अपने कमरे की अलमारी से कुछ तलाश कर रही थीं.
मैं उनकी कामुक अवस्था देखते ही समझ गया कि ना तो नौकरी जाएगी, ना ही जेल जाना पड़ेगा. अब तो बुआ जी भी अपनी चूत देंगी. मैंने तुरंत सोच लिया कि अबकी बार कोई गलती नहीं करूँगा. उनकी नाइटी में से ब्रा पेंटी साफ़ दिख रही थी, शायद उन्होंने सब कुछ जानबूझ कर ही इस ड्रेस को पहना था. अब तो मैं चूत का खिलाड़ी हो गया था.
मैंने कहा- बुआ जी आपने बुलाया? बुआ- सतीश, मैं तुमसे ज़्यादा बड़ी नहीं हूँ, मेरा नाम लिया करो या फिर बड़ी दीदी बोला करो. मैं- ठीक है बड़ी दीदी, आज के बाद बड़ी दीदी कहूँगा, नाम तो नहीं ले सकता.. सब कुछ सोचने लगेंगे. बड़ी दीदी- अच्छा सुनो, मैं एक डायरी तलाश रही हूँ, प्लीज़ तुम जरा मेरी हेल्प कर दो. “जी, बड़ी दीदी…”
वो जानबूझ कर पलंग के नीचे देखने लगीं. उस समय उनकी मस्त गांड उभर कर बाहर आ गई और छोटी सी पेंटी उनके चूतड़ों में फंसी, गजब ढा रही थी. पहली बार मैंने फील किया कि उनका बदन तो अनु जैसा ही मस्त है. उनकी 34″ की चुची, 30″ की कमर और 36″ के चूतड़ों को देख कर ही मज़ा आ गया.
उनकी उभरी गांड देख कर मेरा लंड उठने लगा. मैंने उसे अपने अंडरवियर में सैट करना चाहा, लेकिन हो नहीं रहा था. मैं- दीदी, आप रहने दो.. मैं देखता हूँ. दीदी- अरे तुम देख ही नहीं पाओगे.. तू तो बस मेरी हेल्प कर.
वो उठ कर सीधी खड़ी हो गई. उन्होंने मेरे खड़े लंड को शायद देख लिया था.
उन्होंने एक स्टूल मँगवाया और उस पर चढ़ कर देखने लगीं. मैंने स्टूल को पकड़ा हुआ था, उस समय मेरा मुँह उनके चूतड़ों के पास था. शायद जानबूझकर उन्होंने ऐसा किया था. मैंने बचने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो धीरे धीरे पीछे हो रही थीं. आख़िर मेरे गाल उनके एक चूतड़ से टच हो गए. मैं भी नहीं हिला, समझ तो वो भी गई थीं. फिर उन्होंने मुड़ने के बहाने अपने दूसरे चूतड़ को भी मेरे गाल से टच करवाया. मौके पर चौका मारते हुए मैंने उनके चूतड़ों पे अपनी गरम सांस छोड़ते हुए किस कर दिया.
आह बड़ा मखमली एहसास था. गद्देदार थे उनके चूतड़, बड़े दिनों बाद औरत के चूतड़ों को इतने करीब से देखने का मौका मिला था.
जब उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे से उनके दोनों चूतड़ों के बीच में हल्का सा किस कर दिया. वो थोड़ी सी कसमसाईं लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा. मैं समझ गया कि चुत का इंतज़ाम हो गया है. अब तो बुआ और भतीजी दोनों की चुत मिला करेगी.
दीदी- अरे यहाँ तो नहीं मिल रही, इस तरफ देखती हूँ. यह कहकर वो घूम गईं और अब उनकी चुत मेरे सामने थी. एकदम मस्त खुशबू आ रही थी, शायद बुआ जी ने अपनी चूत में कोई सैंट लगाया हुआ था.
वो थोड़ा सा आगे को आईं तो उनकी जांघें मेरे गालों के पास थीं. मैंने हिम्मत करके उनकी जाँघ को हल्का सा चूम लिया, उन्होंने कुछ नहीं कहा. धीरे से मैंने उनकी चुत के पास अपने होंठ लगाए, नाइटी का कपड़ा बिल्कुल महीन था, बड़ा प्यारा एहसास हुआ.
बुआ- अरे यहाँ भी नहीं है, चलो हटो सतीश यहाँ भी नहीं है. “दीदी, अच्छे से देखो ना.. मिल जाएगी.” “देख ली है और हां, आज के लिए इतना मज़ा काफ़ी है, समझे.. मैं सब समझती हूँ कि तुम क्यों कह रहे हो.” “दीदी, सच बताओ न.. कभी भी आपका कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं रहा?” “हां रे, सच में कोई नहीं रहा.” “तो आपका कभी मन नहीं हुआ कुछ करने का?”
अब हम दोनों थोड़ा खुलने लगे थे. “चलो आज थोड़ा बात करते हैं, तुम चाय लोगे?
उन्होंने इलेक्ट्रिक केतली में पानी गरम करते हुए चाय की डिप डालते हुए चाय बनाई और कप हाथ में लेकर वो बेड पे बैठ गईं. मैं नीचे बैठ गया.
“पहले तो कभी मन नहीं हुआ था, सोचती थी कि सब शादी के बाद करूँगी, लेकिन जब से अनु का पता चला है, मन तो करता है कुछ, लेकिन बहुत डर लगता है कि कुछ ग़लत ना हो जाए, अगर तुम ना होते तो अनु तो बेचारी फंस जाती.” “हां, बात तो आपकी सही है, लेकिन जो मन में हो, वो करके देखना चाहिए. जिंदगी में जाने कैसा कोई मिलेगा. आपको डरने की बजाए ऐसा कोई देखना चाहिए, जिस पर आपको विश्वास हो कि उसके साथ सब ठीक रहेगा.” “कह तो तुम ठीक रहे हो, लेकिन ऐसा कहां से लाऊं. मैं तो कॉलेज भी नहीं जाती, वैसे भी एकाध साल में शादी हो ही जानी है.”
“अगर आप कहें तो मैं हेल्प करूँ?” “नहीं रे, मैं ऐसे ही किसी के साथ कुछ नहीं करना चाहती.” “अरे नहीं दीदी, मैं किसी और की नहीं अपनी बात कर रहा हूँ, आप कहें तो मैं आपकी हेल्प कर सकता हूँ.” “पागल हो क्या, अभी तो अनु के साथ थे, अब मुझे कह रहे हो, दोनों हाथों में लड्डू चाहिए क्या तुम्हें?” “ऐसी बात नहीं है दीदी, आपको तो पता है. अब मैं अनु से बात नहीं करता और ना ही करूँगा, आप मुझ पे यकीन कर सकती हैं.” “अभी तुम जाओ, बाद में बात करते हैं.” “वैसे दीदी, एक बात कहना चाहता हूँ, आप बहुत सुंदर हो, भगवान ने आपको तसल्ली से बनाया है. आपका अंग अंग देखने लायक है. जो आपको पाएगा किस्मत वाला होगा.”
यह कहकर मैं आ गया, मैं जानता था कि जल्दी से कुछ नहीं मिलने वाला, बस थोड़ा टाइम और लगेगा.. फिर सब उछल उछल कर मिलेगा, अपनी किस्मत में ही इनकी चूत चोदना लिखा है. कमरे में आ कर बड़ी दीदी के नाम की मुठ मारी. अनु से नॉर्मल बात की. उसे बताया कि दीदी ने कुछ नहीं कहा है, थोड़ा टाइम और अलग रहना ज़रूरी है.
अगले दिन फिर बड़ी दीदी ने बुलाया. आज उन्होंने मस्त सलवार सूट पहना था और चाय बना रखी थी. “सतीश, तुम मेरे बारे में कल क्या कह रहे थे झूठ मूट ही सब कहते रहते हो.” मैं समझ गया कि इसकी चूत में खलबली मच रही है- अरे दीदी, झूठ नहीं.. सब सच कह रहा था, भगवान कसम आप बहुत सुंदर हो.. गजब की सुंदर हो आप.. पूरा शरीर ऊपर से नीचे मस्त है आपका.
“अच्छा, तुम्हें मेरे शरीर में सबसे सुंदर क्या लगता है?” “सच कहूँगा तो आप मुझे मारोगी.” “कुछ नहीं कहूँगी, लेकिन जो भी मन में हो सच सच बताना.” “दीदी, आप सच में बहुत सुंदर हो, आपके गाल बहुत प्यारे हैं, आपका गोरा रंग है, होंठ गुलाबी हैं.. एकदम मस्त, कितनी प्यारी गर्दन है आपकी सुराही जैसी.. दीदी.. आप कहें तो मैं छू कर बताता हूँ.” “ठीक है.. बता!”
मैं उनके पास बेड पैर जा के बैठ गया और उनके गालों को हाथ में लिया, उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं.
“दीदी, आपकी गर्दन कितनी प्यारी है और आपके कानों की लौ तो और भी मस्त है.. आपके कंधे कितने प्यारे हैं. जानती हो दीदी, आपकी ये चुची बहुत प्यारी है.” मैंने उनकी एक चुची को हाथ में ले लिया और वो “आअहह..” करने लगीं..
आँख बंद करके काँपने लगी थीं,
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उन्होंने कुछ नहीं कहा. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और चूमने लगा.
“सतीश रहने दो ना प्लीज़, कुछ हो रहा है.” “होने दो ना दीदी, मज़ा लो ना जिंदगी का, अनु तो पूरा खा पी के बैठी है, आप ही ऐसे रह रही हो बस.”
उन्होंने कुछ नहीं कहा, मैंने उनके बदन पे हाथ फिराना शुरू कर दिया, वो तड़पने लगीं और मुझे अपनी साथ चिपका लिया. मैंने उनको चूमना शुरू किया, गाल पे, गर्दन पे खूब चूमा. फिर धीरे धीरे उनके कुर्ते को ऊपर उठाया, गजब की सुंदर थी वो.. एकदम गोरी, आंखें बंद करके बस मज़ा ले रही थी.
मैंने दीदी की ब्रा को ऊपर उठाया और दोनों कबूतरों को आज़ाद किया, गजब का नशा था. एकदम गोल गोल चुची और उनका दाना भूरे रंग का.. आह.. मज़ा आ गया. मैंने धीरे से एक निप्पल चूसा तो दीदी ने आहह भरी- “सतीश, प्लीज़ रहने ना कुछ हो रहा है, आहह… आह.. प्लीज़ रहने दो ना. “दीदी आज मत रोको, तुम तो सच में गजब का माल हो, अनु ने तो फिर भी लंड का मज़ा लिया हुआ था, तुम तो कुँवारी हो दीदी, तुम्हारी चुत की सील तो मैं ही तोड़ूँगा.” “नहीं सतीश, प्लीज़ रहने दो ना, ये सब शादी के बाद करूँगी मैं.. प्लीज़ रहने दो ना..”
लेकिन दीदी कहते हुए मुझे अपनी बांहों में ही खींच रही थीं, वे छोड़ ही नहीं रही थीं.. बस जबरदस्त मज़ा ले रही थीं.
मैंने धीरे धीरे उनका शर्ट और ब्रा निकाल दी और अपना शर्ट बनियान भी उतार दिया. उनके नंगे बदन को अपने नंगे बदन से चिपकाया, तो आग लग गई. दीदी की मस्त मस्त चुचियां मेरी छाती से लगी थीं. दीदी आहें भर रही थीं और आंखें बंद किए बस मज़ा ले रही थीं- नहीं सतीश, प्लीज़ कुछ मत करो ना, मेरी बात मान जाओ ना, फिर कभी कर लेना, आज रहने दो, देखो कोई आ जाएगा, बहुत बदनामी होगी. “दीदी, प्लीज़ आज मत रोको मुझे.. कुछ हो जाने दो ना, प्लीज़ पूरे कपड़े निकाल दो ना एक बार.” “प्लीज़ दीदी, करने दो ना.”
मैं ऐसे कहता जा रहा था और वो मना करती जा रही थी, लेकिन मैंने बिस्तर पे लिटाकर उनकी सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया था. जब मैं उनकी सलवार निकालने लगा तो उन्होंने उसको पकड़ लिया- प्लीज़ सतीश और नहीं करो, इतना ही बहुत है, मैं मर जाऊंगी.
मैंने उनके हाथ को हटाया और धीरे से उनकी सलवार को निकाल दिया, गजब की जांघें थीं उनकी, केले के तने की तरह चिकनी, उस पर जरा सी पेंटी गजब ढा रही थी. दीदी सिर्फ़ आंखें बंद किए लेटी थीं और कांप रही थीं.
मैंने धीरे से अपनी पेंट और अंडरवियर भी उतार दिया और धीरे से दीदी की पेंटी भी निकाल दी. हम दोनों अब नंगे हो चुके थे, लेकिन दीदी आंखें बंद करके ही लेटी रहीं.
मैंने उनको पैरों से चूमना शुरू किया, उनके पैरों की उंगलियों को मुँह में ले के चूसा, वो आहह आहहा करने लगीं. धीरे धीरे मैं उनकी जाँघों तक पहुँचा, वो मचल रही थीं. फिर आहिस्ते से उनकी चुत पे अपना मुँह रखा तो उस वक्त वो बहुत काँपने लगीं. सच में ये उनका पहली बार था, क्योंकि अनु भी इतना नहीं काम्पी थी.. वो तो बड़े आराम से लंड खा गई थी.
मैंने दीदी का हाथ अपने लंड पे रखा, उन्होंने झटके से हटा लिया और आंखें खोल कर देखा- हाय, ऐसा होता है क्या आदमियों का? कितना अलग सा है ना.. गिलगिला सा! उन्होंने लंड हाथ में भर लिया और ऊपर नीचे करने लगीं, जैसे खिलौना मिल गया हो.
“दीदी, मुँह में ले कर देखो ना मज़ा आएगा, अनु तो गजब का चूसती है.” उन्होंने लंड मुँह में ले लिया, क्या जन्नत थी. दीदी ने थोड़ी देर ही लंड चूसा. तब तक मैं उनको हर जगह से चूम रहा था. उनका शरीर गजब का खुशबूदार था.
धीरे धीरे मैं उनके ऊपर आ गया, उनकी टाँगें चौड़ी कर लीं और अपना मूसल उनकी कुँवारी चूत पे लगा दिया. उन दीदी की चूत गर्म गर्म थी और वो आंखें बंद करके बस लंड के घुसने इंतजार कर रही थीं. “प्लीज़ सतीश, मत करो ना इतना सब कुछ.. रहने दो ना, फिर कभी कर लेना तुम्हें मना नहीं करूँगी मैं.. कसम से.” “दीदी, प्लीज़ अब मत रोको, जो हो रहा है हो जाने दो.. अब तो आप सिर्फ़ मज़ा लो.”
मैंने धीरे से अपना लंड उनकी कुँवारी चूत में घुसाया, बहुत टाइट थी. वो चिल्लाने लगीं- आह बाहर निकालो सतीश.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ रहने दो.
लेकिन मैं जानता था कि आज अगर नहीं किया तो फिर नहीं मिलेगी. मैंने ज़बरदस्ती लंड चूत में घुसा दिया. दीदी चिल्लाने लगीं, मैंने उनका मुँह बंद किया और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया. थोड़ी देर रुकने के बाद धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया.. तब उनको थोड़ा ठीक लगना शुरू हुआ.
उसके बाद मैंने उनको चोदना शुरू किया, उनकी चुची को चूसा. काफ़ी समय तक चोदा. मैंने दीदी को चोद कर कली से फ़ूल बना दिया था.
मैंने अपना माल उनके पेट पे निकाला, वो भी दो बार डिसचार्ज हुईं. काफी देर के बाद हम उठे, देखा तो खून निकला हुआ था, कुँवारी चूत की सील भंग हो गई थी.
“तुम रुके क्यों नहीं सतीश, ऐसा करना ज़रूरी था क्या?” “दीदी.. सच बताओ, मन तो आपका भी बहुत था ना?” “हां, मन तो था.. ख़ासकर अनु के किस्से के बाद तो बहुत था.. वैसे सेक्स बड़ा मजेदार होता है. जब आदमी ऊपर आता है, औरत के शरीर को मसलता है, तो मज़ा आ ही जाता है यार.”
अब मैं दीदी का यार बन गया था. उनकी चूत में लंड जो पेल चुका था. “दीदी.. अब कभी भी परेशान नहीं रहना, जब तक शादी नहीं होती.. हम एक दूसरे हो ऐसे ही मज़े देंगे.” “ठीक है सतीश.. लेकिन तुम प्लीज़ साथ रहना.. वैसे तुम्हारा बदन बहुत अच्छा है. अनु तो ठीक तुम्हारे नीचे आई थी, वैसे तुमने उसको तसल्ली से मसला होगा.” “हां दीदी, अनु ने मुझे सिखाया है ये सब.. उसकी मैं बहुत तसल्ली से लेता था. दीवानी है मेरी वो.. उसको मेरे लंड की बहुत प्यास थी.” “मैं मानती हूँ, अच्छा चलो फटाफट कपड़े पहनो.. बहुत टाइम हो गया है.”
उसके बाद मैं कपड़े पहनकर अपने रूम में आ गया.
दोस्तो, मैंने शादी होने तक अनु को और बुआ जी को बहुत चोदा. लेकिन बुआ जी कभी पता नहीं चला कि मैं अनु को चोदता हूँ और ना ही कभी अनु को पता चला कि मैं उसकी बुआ की लेता हूँ. लेकिन एक दिन भांडा फूट ही गया और आगे क्या हुआ, उसके लिए अगली कहानी का इंतजार कीजिएगा.
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आगे की कहानी: मालिक की बेटी के बाद उसकी बहन की चुदाई-2
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