अनजानी दुनिया में अपने-3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

दोस्तो, सभी अन्तर्वासना के पाठकों को जॉर्डन का प्यार भरा नमस्कार। प्रस्तुत है मेरी कहानी अनजानी दुनिया में अपने का तृतीय भाग। जैसा कि आपने मेरी कहानी के पिछले भाग अनजानी दुनिया में अपने-2 में पढ़ा कि दिव्या और कामिनी को मैं कोटा ले आया था, अब वे मेरे साथ फ्लैट में थी।

उन दोनों को मैंने बाइक पे बैठाया, बीच में दिव्या और पीछे कामिनी।

मैंने साइड मिरर से देखा कि दोनों बहुत खुश हैं, दिव्या मुझसे चिपकी हुई थी उसके चूचे मेरी कमर पर महसूस हो रहे थे, मैंने जरा सा पीछे मुँह किया तो दिव्या ने हंसकर मेरे गाल पे चूम लिया और मैंने भी खुश हो कर बाइक की स्पीड बढ़ा दी।

लगभग 3 घंटे बाद हम लोग कोटा पहुँच चुके थे, दोनों ने काफी समय बाद शहर देखा तो दोनों उत्सुक हो रही थी.

आखिर हम मेरे फ्लैट पर पहुँच गए. मैंने दरवाजा खोला और दोनों को अंदर जाने के लिए बोला, उनके जाने के बाद मैं अंदर आया।

अंदर आते ही दोनों को कुर्सियों पे बैठाया और उनसे मैंने कहा- कामिनी जी और दिव्या, ये घर जितना मेरा है उतना ही तुम्हारा है, अब जैसे चाहे वैसे इस घर में रहो, अब से तुम्हारे बुरे दिन खत्म हो गए हैं। मेरा इतना बोलते ही दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और कामिनी मेरे पैरों में गिर पड़ी, उन्हें उठाया और उन्हें गले से लगाया, साथ ही दिव्या को पास बुलाकर उसे गले से लगाया।

दोनों को बाथरूम व किचन दिखाया, उन दोनों को फ्रेश होकर नहाने को कहा और मैंने बाहर से कुछ नाश्ता लाने की सोची, और दोनों को कहकर बाहर आ गया। मेरा मन बहुत खुश था, दिल में सुकून था।

मैं कुछ खाने के लिए पैक करवाकर वापिस फ्लैट में आ गया था, वे दोनों नहा धोकर बैठी थी, मैंने जैसे ही उन्हें खाना दिया, दोनों खाने पर टूट पड़ी, यह देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी.

फिर हम आगे की योजना बनाने में व्यस्त हो गए, अब शाम हो चली थी, रात का खाना फ्लैट में ही बनाने का प्लान बनाया। दोनों मां बेटी ने मिलकर खाना बनाया, इसी दौरान दिव्या मेरे पास आकर बोली- देखो, मैंने दिल के आकार की रोटी बनाई है! उसकी इस मासूमियत भरी बात पर मेरे चेहरे पर मुस्कान छा गयी. हम सब ने साथ बैठकर खाया।

जब सोने की बारी आई तो दिव्या की मां बोली- हम बाहर हॉल में सो जायेंगी। मैंने कहा- क्यूँ? ये घर क्या सिर्फ मेरा है? कामिनी जी, दिव्या मेरी जिंदगी है, मेरी जिंदगी पर मुझसे ज्यादा उसका हक है, इसलिए आज के बाद आप दोनों इस बेडरूम में सोयेंगी और मैं बाहर हॉल में। मेरी इस बात पर दोनों निरुत्तर हो गयी और फर्श की तरफ देखने लगी। इस तरह मैं बाहर सो गया और वो दोनों अंदर।

रात को लगभग 1 बजे मेरी नींद किसी आवाज से खुल गयी, जब मैंने उठकर देखा तो कामिनी बालकनी में खड़ी थी, मैं उसके पास चला गया, जब मैंने उसके कंधे पर हाथ रख के पूछा- क्या हुआ? तो वह बोली- आज उनकी बहुत याद आ रही है, इस पहाड़ सी जिंदगी मैं किसके कंधे पर सर रखूं? यह सुनकर मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उसे बोला- देखो कामिनी जी, वो इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन शायद उन्होंने ही मुझे तुम लोगों से मिलवाया है, मेरा भी इस दुनिया में कोई नहीं है, मुझे भी आप लोगों की जरूरत है, हम सब एक परिवार की तरह रहेंगे। उसका चेहरा ठुड्डी से पकड़कर उसकी आँखों में झांककर मैंने उससे पूछा- रहोगी ना? इस पर वो भरभराकर रोते हुए मेरे सीने से लग गयी।

लगभग 5 मिनट तक मेरे सीने से चिपकी रही, उसकी गर्म गर्म सांसें अब मुझे महसूस होने लगी थी, मेरे लन्ड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी, यह बात उसे भी महसूस हो गयी थी, उसने मुझे और ज्यादा कसकर पकड़ लिया।

अब मैंने उसे गोद में उठाकर अंदर लाकर लिटा दिया, थोड़ा ऊपर होकर मैं उसके चेहरे की तरफ देखने लगा, वो भी मेरी तरफ देख रही थी, अचानक वो ऊपर की ओर हुई और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। शुरुआत में तो वो धीरे धीरे होंठ चूस रही थी लेकिन कुछ देर बाद वो बुरी तरह मेरे होठों को काट काटकर चूसने लगी, साथ ही मेरा एक हाथ अपने मम्मे पर रख दिया. मैं भी उसका मुलायम लेकिन तना हुआ मम्मा बुरी तरह मसलने लगा, अब उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसी आवाजें आने लगी।

फिर अचानक वो उठ खड़ी हुई और जल्दी जल्दी मेरी पैन्ट उतारने लगी, साथ ही उसने मेरी अंडरवीयर भी उतार दी, मेरे लन्ड को हाथ में लेकर चूमा, फिर उसकी चमड़ी पीछे करके टोपे के ऊपर जीभ फेरने लगी, इससे मेरे शरीर में सिहरन की सुरसुरी दौड़ गई, वो मेरी तरफ देखकर बोली- आज मैं इस लन्ड का 3-4 बार रस पियूंगी। यह सुनकर मेरे मुंह से आह निकल गई।

अब वह मेरे लन्ड को मुँह के अंदर लेने लगी, पूरा अंदर ले जाती फिर पूरा बाहर निकाल लेती. फिर टोपे को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगती, फिर लन्ड पूरा अंदर ले जाती. इससे मेरे शरीर में आनन्द की लहर दौड़ जाती। मेरे मुंह से आह आह आह की आवाजें निकलने लगी.

वो अब और तेजी से लन्ड को अंदर बाहर करने लगी, मेरी आँखें बंद होने लगी, मेरा शरीर का रक्त मुझे आनंद के आखिरी गोते की ओर ले जाने लगा जिसे हम ज़न्नत कहते हैं. मेरे शरीर ने एक झटका खाया और तेज पिचकारी के साथ मेरा माल निकलने लगा जिसे कामिनी बड़े चाव से चाट रही थी। कुछ ही देर में सारा रस चाट डाला उसने, लेकिन उसने लन्ड को छोड़ा नहीं।

मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए, इस बार भी उसने नीचे कुछ नहीं पहना था, कुछ देर उसके मम्मों को खाने के बाद उसे अपने ऊपर उल्टा इस तरह लेटा लिया कि उसकी चूत का मुंह मेरे मुंह पर सेट हो जाये। उसकी चूत की महक मेरे नथुनों में घुस गई और मेरे मुंह से ‘अम्म यस…’ निकल गया तो कामिनी बोली- क्या मिल गया? मैंने कहा- खजाना मिल गया! मेरी यह बात सुनकर वह हसंते हुए बोली- लूट लो यह खजाना। यह कहकर फिर से मेरे लन्ड को चूसने लगी.

मेरा लन्ड भी चूत की खुशबू मिलते ही वापिस रंगत में आ गया। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत के होठों से छुआ दी, आह… नमकीन सा स्वाद! अब मैंने पूरी जीभ अंदर घुसेड़ दी, साथ ही उसके दाने को अंगुली से सहलाने लगा, इससे कामिनी की प्यास अचानक से बढ़ गयी और वो मेरे लन्ड को जोर जोर से चूसने लगी, मैंने भी चूत चाटने की रफ्तार बढ़ा दी, हम दोनों के शरीर आग की तरह तप रहे थे लेकिन कामुकता के खेल की रफ्तार धीमी नहीँ होने दी.

10 मिनट की चुसाई के बाद हम दोनों के शरीर अब चरम पर आने को थे, हम दोनों की आवाजें हॉल में गूंज रही थी. शुक्र है कि दिव्या के कमरे का दरवाजा बंद था वरना वो जग जाती। अचानक मेरे शरीर ने फिर से झटका खाया और फूट पड़ा, जैसे ही मेरे लन्ड की पिचकारी कामिनी के मुंह से टकराई, वैसे ही कामिनी की चूत का दरिया भी बहने लगा और वो आआआ आआआ आआहम्म… की आवाज के साथ कांपने लगी और अपना पानी मेरे मुंह में छोड़ने लगी।

हम दोनों ने एक दूसरे के अंगों को ढंग से चाटा, फिर अलग हुए लेकिन कामिनी मेरे लन्ड को नहीं छोड़ रही। कुछ देर बाद वह फिर से उसपे जीभ फिराने लगी, अब मेरे लन्ड में दर्द होने लगा, जब मैंने उसे कहा कि दर्द हो रहा है तो वह बोली- यह घोड़ा है और घोड़े कभी थकते नही।

यह सुनकर मेरे लन्ड में फिर से जोश आने लगा। अब कामिनी मेरे लन्ड को जोर जोर से नहीं चूस रही थी, बल्कि आराम से जीभ फिराते हुए सहला रही थी, लन्ड के मूतने वाले छेद के ऊपर अपनी जीभ को रगड़ने लगी. अब मुझे दर्द की जगह मजा आने लगा, लन्ड भी फन उठाने लगा।

जब लन्ड पूरी तरह तन गया, तब मैं उठा और उसके ऊपर आ गया, लन्ड का टोपा उसकी चूत पर टिका दिया, थोड़ी देर पहले उसने मुझे दर्द दिया था तो अब मैंने बेरहमी दिखाने की सोची और एक ही झटके में सारा लन्ड उसकी चूत की जड़ में उतार दिया, वो इतनी जोर से चिल्लाई कि पूरे मोहल्ले को सुन जाता.

लेकिन ऐन वक्त पर मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया था। थोड़ी देर बाद मैंने हाथ हटाया तो बोली- आज तो मार ही दिया तुमने, इतने सालों से चुदी नहीं हूँ। मैंने उसकी तरफ फ्लाइंग किस दी और उसके मम्मों को हाथ से दबाने लगा, उसकी आंखें बंद होने लगी, मैं भी अब गाड़ी को पटरी पर लाने लगा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी.

2 मिनट बाद ही उसका बांध टूट गया और वो बह गई। मैंने प्रश्न भरी नजरों से उसकी तरफ देखा तो बोली- तुम्हारे लन्ड की आग में पिघल गयी मैं। आज के बाद मैं आपकी गुलाम और आप मेरे राजा। यह तन और मन आपका हो गया है।

मैं भी उसकी इन प्यार भरी बातों में इमोशनल हो गया और लन्ड बाहर निकाल लिया, उसने फिर से लन्ड को होंठों के हवाले कर दिया, लगभग 10 मिनट चूसने के बाद लन्ड भी उसके मुंह में पिघल गया। फिर एक बार उसने एक एक बूंद चाट ली।

अब हम नंगे ही आराम करने लगे, उसे अपने पास लाकर मैंने उससे कहा- कामिनी, मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूं, क्या तुम मुझे दोगी? इस पर वह बोली- तुम कुछ भी मांग लो, मैं तुम्हे मना नहीं करूँगी, वैसे भी दिव्या के अलावा मेरे पास कुछ है नहीं।

मैं उठ बैठा और उसका हाथ पकड़ कर अपनी नजरें नीची करते हुए उससे कहा- क्या मैं दिव्या को अपने जीने की वजह जिंदगी भर के लिए बना सकता हूँ? कामिनी यह सुनकर गहरी सोच में डूब गई।

दोस्तो, आजके लिए बस इतना ही, बाकी की कहानी अगले भाग में। अपना प्यार बरसाते रहना मुझे मेल करके। मेरा मेल आई डी [email protected] है। शुक्रिया।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000