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अब तक इस गर्म हिंदी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि मेरी दीपक के साथ शादी की बात तय हो गई थी. उसने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी. अब आगे…
अगले ही पल मैंने अपने बॉस से फोन करके किसी कम्पनी में उसकी नौकरी लगवाने की बात पक्की करवा दी थी. इसके बाद मैंने उससे कहा- पिंकी अब लड़कों से बच कर रहना. वहाँ किसी को नहीं पता कि तुम चुद चुकी हो. तुम वहाँ पर एक मासूम सी लड़की बन कर रहना और अगर कोई अच्छा लड़का तुम्हारी नज़र में हो, तो पहले मुझे बताना.
अगले दिन मैं दीपक से डॉमिनो पिज़्ज़ा हट पर मिली. मैंने उससे कहा- तुम बताओ, तुमको मैं पसंद हूँ या नहीं? उसने कहा- अगर पसंद ना होतीं तो मैं अपनी दीदी की इतनी खुशामद ना करता. दीदी ने तो पहले यह कह कर ना ही कर दी थी कि तुम्हारे जीजाजी नहीं मानेंगे. उन्होंने इसकी शादी किसी अपने दोस्त के लड़के से करने की सोची हुई है, जो बहुत अच्छी जॉब करता है. मगर मैंने कहा कि दीदी आप एक बार उनसे बात तो करके देखो. अगर मैं कुछ कहूँगा तो वो बहुत नाराज़ होंगे कि मैं उनकी बहन पर गंदी नज़र रखता हूँ. बहुत कहने पर दीदी ने तुम्हारे भाई से बात की. जीजा जी ने पहले तो मना कर दिया, मगर दीदी के बार बार कहने पर उन्होंने कहा कि ठीक है.. मैं पूनम से पूछ कर बताऊंगा.. अगर उसकी एक प्रतिशत भी ना हुई, तो मैं यह नहीं होने दूंगा.
मैंने दीपक से कहा- मुझसे मेरे भाई ने पूछा था और मैंने उनसे आपकी इतनी तारीफ की कि शायद उनके पास सिवा आपको पसंद करने के कुछ बचा ही नहीं था. दीपक ने कहा- आपने मुझ पर बड़ी मेहरबानी की है, जिसके लिए मैं सारी जिंदगी आपका गुलाम बना रहूँगा. मैंने कहा- जी नहीं.. मुझे गुलाम पसंद नहीं है.. मुझे मर्द पसंद है, जो अपनी बात मुझसे जबरदस्ती मनवाए. वैसे एक बात बताऊं, जिस दिन आप मेरे घर पर आए थे.. उसी दिन मुझे अपनी खास जगह पर कुछ होने लग गया था. उसने कहा- खास जगह मतलब? मैंने कहा- आप बेहतर समझते हैं. उसने कहा- जी नहीं.. आप खुल कर बात करो.. जैसे आपने मुझसे पूछा था कि मस्त माल का क्या मतलब. तब मैंने सर झुका कर कहा- तुम्हें देख कर मेरी चूत उस दिन पानी छोड़ रही थी.
दीपक बोला कि वो रोज़ अपने लंड पर मेरे नाम की मुठ मारता रहा, जब तक मेरे यहाँ रहा. मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने कहा- अब तो आपको मैं मिल सकता हूँ ना? मैंने कहा- मिल तो रहे हो. उसने कहा- जी नहीं.. जैसे उस दिन पिंकी के साथ देखा था, उसी तरह से. मैंने कहा- धत्त.. उस बारे में तो मुझे सोचना पड़ेगा. “अच्छा सोच लो और सोच कर ही जवाब दो.. मगर ऐसा जवाब ना देना, जिससे मेरे दिल टूट जाए और लंड रोने लगे. बहुत दिनों से इस दिन को देखने की चाह लिए हुए था.” मैंने कहा- ठीक है, मैं बाद में बता दूँगी. उसने पूछा- पक्का ना. मैंने कहा- जी बिल्कुल पक्का.
दो दिन बाद दीपक का फोन आया- हजूर ने जवाब नहीं दिया. मैंने कहा- जी जनाब.. अपने हज़ूर के दरबार में जाने से पहले बहुत सी तैयारी करनी पड़ती है, जिसके लिए समय होना चाहिए.. और यह समय छुट्टी वाले दिन ही मिलता है. तो जवाब लेने के लिए जनाब ने कम से कम एक छुट्टी तक तो इन्तज़ार किया होता. दीपक ने कहा- ठीक है मैं ही नासमझ था, जिसने बेकार में आपको तंग किया.
इधर पिंकी ने मुझसे बोला कि एक लड़का उसके बहुत आगे पीछे होता है. मैंने कहा- अभी उसको कोई घास ना डालना.. अगर वो सही लड़का होगा तो तुमसे खुद ही बात करेगा. मगर मुझे लगता था कि जब से दीपक ने उससे मिलना बंद कर दिया था.. तब से पिंकी की चूत में कीड़े चल रहे थे.
रात को मैंने बेल्ट वाला डिल्डो बाँध कर उसकी चूत में पेल कर बोला- देख यह चूत तुम्हारी सबसे ज़्यादा कीमती वस्तु है. इस संसार में हर लड़की की एक चूत होती है. अगर वो घर के माल की तरह उसे इस्तेमाल करेगी तो ठीक और मस्त रहेगी और अगर म्यूनिसिपॅलिटी वाले नल की तरह से उसे यूज किया.. तो इसकी कीमत 2 पैसे की भी नहीं रहेगी. सब यही समझेंगे कि जब चाहो, टोंटी खोल लो और दिल करे तो बंद कर दो वरना खुली छोड़ दो. कुछ दिनों बाद उसको बंद भी करो तो वो भी चलती ही रहेगी.
मेरा आशय उसकी समझ में आ गया और वो बोली- दीदी मैं कसम खाती हूँ कि अब मैं किसी लंड को अपने पास नहीं फटकने दूँगी, जब तक वो मुझे अपनी बना कर हमेशा के लिए रखने का वायदा न करे.
उधर छुट्टी वाले दिन मैंने चूत का पूरा मुंडन किया और उस पर सेंट छिड़क दिया, जिससे कोई भीनी भीनी खुशबू आए. बगलों की भी सफाई कर के वहाँ पर भी सेंट लगा लिया और मम्मों पर भी महक फैला ली. ड्रेस भी ऐसी पहनी कि जैसे ही वो मेरा टॉप खोले तो मम्मे बाहर निकल कर उसके मुँह पर जा लगें. स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था.. मगर वो इतनी नीचे तक की थी कि घुटने भी नज़र नहीं आते थे.
मैं दीपक के घर पर जब पहुँची, वो मेरा दरवाजे पर ही इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही उसने मुझे देखा, वो बाहर आ गया और मेरा स्वागत करते हुए घर के अन्दर ले गया. अन्दर जाते ही उसने मुझे कस कर दबा लिया. मैंने कहा- जनाब कच्ची रोटी खाने की आदत छोड़ दो.. उसे पका लो ताकि वो अच्छा स्वाद दे.
वो इस बात को नहीं समझा. वो बोला- अब कहाँ कच्ची है.. यह तो पक चुकी है. मैंने कहा- मेरे बुद्धू राजा पहले मुझे गरम तो कर लो.. ताकि तुम्हें पूरा मज़ा मिले और मुझे भी. मेरी बात सुन कर वो झेंप गया. फिर उसने कहा- आप क्या लेंगी? मैंने कहा- जो तुम पिलाना चाहो.. मैं पी लूँगी. अब मैं तुम्हारी दासी बन कर जिंदगी भर रहूंगी.
उसने शायद पूरी तरह से सुना नहीं था. वो जल्दी से फ्रिज से दो पेप्सी की बॉटल निकाल कर लाया और बोला- पीजिए! पेप्सी पीते हुए मैंने कहा- बहुत ज़्यादा गर्मी है. यह कहते हुए मैंने अपने टॉप के कुछ बटन खोल दिए. जैसे मैं ऊपर बता चुकी हूँ कि अन्दर कुछ था ही नहीं, इसलिए मेरे मम्मे आधे से ज़्यादा बाहर को निकलने लगे.
यह देख कर उसकी पेंट में हलचल होने लगी. मैंने उससे कहा- अपनी पेंट को उतार दो.. इतनी गर्मी है. उसने झट से निकाल दी. मैंने देखा कि फुंफकारता हुआ लौड़ा उसकी ब्रीफ से निकल निकल जा रहा था और पूरा खम्बा बना हुआ था.
मैं खड़ा लंड देख कर भी अनदेखा कर गई. तब उसने मेरे टॉप के बाकी के बटन भी खोल दिए. चूंकि वो मेरे बहुत करीब था इसलिए मैंने भी कुछ इस तरह से रिएक्ट किया कि जैसे ही मम्मे बाहर निकलें, वो उसके मुँह पर जा लगें.
उसने मेरे मम्मों पर अपने होंठों का स्पर्श किया और मस्त हो गया.
मैंने कहा- देखो यह भी बता रहे हैं कि हम तुम्हारे हैं.. तभी तो तुम्हारे मुँह में बिना कोशिश के जा रहे हैं.
उसने अगले ही पल मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और गुलाबी निपल्स को चूसना चालू कर दिया. क्योंकि वहाँ मैंने फ़ूड ग्रेड वाला सेंट लगाया हुआ था, इसलिए उसकी भीनी भीनी खुशबू से वो और ज्यादा उत्तेज़ित होने लगा.
इसी बीच मैंने उसकी चड्डी नीचे कर दी और उसके लंड को हाथ में पकड़ कर बोली- अब से यह मेरा है और किसी की चूत में नहीं जाएगा.. अगर गया तो मेरे से बुरा कोई नहीं होगा. उसने कहा- मैं अब किसी और की चूत को सोच भी नहीं सकता. अगर तुम्हारी ना मिली तो मैं इन हाथों से ही इसे ठंडा करूँगा.
फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले किया और चूसना शुरू कर दिया. वो अपना लंड चुसवाने में इतना मस्त हो गया कि मेरे स्कर्ट को खोलना भी भूल गया. जब उसका लंड मेरे मुँह में अपना पानी छोड़ने लगा, तो वो ‘हुई हुईं..’ करने लगा. जब पूरी तरह से उसका लौड़ा पानी निकाल चुका तो उसको याद आया कि उसने तो मेरी चूत अब तक देखी ही नहीं.. जिसके लिए वो कई दिनों से तरस रहा था.
उसने झट से मेरी स्कर्ट की ज़िप, जो साइड में थी, उसे खींच दिया. उसके खींचते ही मैं पूरी नंगी उसके सामने खड़ी थी. मेरी गोरी चूत को देख कर वो एकदम से देखता ही रह गया.
वो उस पर अपना हाथ रख कर बोला- ओ मेरी चूत रानी.. तुमने मुझे बहुत तरसाया है. पता नहीं कितनी रातें, मैंने तुम बिन बिताई हैं.. तुम्हारी एक झलक देखने के लिए तड़फता रहा. सच में पुन्नी जान मेरा लंड तुमको हर समय याद करता रहा और मैं उसको तुम्हारा नाम ले ले कर हाथों से ठंडा करता रहा.
फिर वो मेरी चुत को छूने लगा. कोई दो मिनट तक चुत के ऊपर चूमता रहा और फिर चूत को चूसने लगा. वो चूत को नीचे से चूसता हुआ ऊपर की तरफ अपनी ज़ुबान ले जाता था और जब चूत का दाना आख़िर में मिलता था तो उसे बहुत प्यार से दबा कर चूसता था.
इस तरह से उसने लगभग दस मिनट तक चूत को चूसा, फिर अपनी ज़ुबान चूत में डाल कर घुमाने लगा. कभी बाएँ कभी दाएँ और कभी ऊपर कभी नीचे. उसने चूत को तब तक नहीं छोड़ा, जब तक उसने अपना पानी नहीं छोड़ा. वो मेरे चूत रस को पूरा हजम कर गया, उसने एक बूँद भी नहीं गिरने दी.
उसके बाद वो मेरे मम्मों के पीछे पड़ गया. मम्मों को दबाना और मरोड़ना और चूसना तो इस तरह से कर रहा था कि क्या बताऊं.. ये तो कोई उससे ही पूछा जा सकता है, जिसका अपने मम्मों को इस तरह से दुर्दशा करवाने का अनुभव हो. मतलब इसको सिर्फ अहसास ही किया जा सकता था, बयान नहीं किया जा सकता.
इसके बाद उसने मुझे चुदाई की मुद्रा में लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसका पूरा लंड.. लोहे का सरिया बना हुआ था, जिसे उसने मेरी चूत में घुसेड़ना शुरू कर दिया. अभी तक तो मैंने रबर का लंड ही लिया था.. मगर आज असली लंड मेरी चूत में जा रहा था. असली लंड आख़िर लंड ही होता है. लंड चूत में.. और हाथ मम्मों पर.. और होंठ मेरे होंठों पर.. वाह क्या चुदाई हो रही थी.
उसका लंड मेरी चूत में बहुत तेज झटके मार रहा था. झटका देता हुआ लंड की चोट जब चूत की जड़ में लगती थी तो उसकी गोलियां भी चुत की फांकों और गांड पर टकरा रही थीं.
आह लंड से असली चुदाई का क्या मस्त मज़ा मिल रहा था. मैं आज समझ सकी कि पिंकी क्यों असली लंड के लिए तड़फती थी. मैं उसे ज्ञान देती थी मगर ज्ञान किस काम का था, मुझे आज समझ में आ रहा था.
पूरी तरह से चोदने के बाद उसने कहा- अब मेरा पानी निकलने वाला है.. इसलिए तुम मेरे लंड पर यह फुकना चढ़ा दो, ताकि मैं चूत में डाल कर इसे बाहर ना निकालूँ. जब यह अपना काम शुरू करे, मैं तब तक इसे अन्दर ही रखूँगा.. जब तक यह खुद ही बाहर ना आए. मैंने उसके लंड पर कंडोम चढ़ा दिया, जो उसके पास था.
फिर वो लंड के धक्के चूत में मारने लगा. अभी भी उसके लंड में इतना दम था कि 2 मिनट तक वो मुझे बेरहमी से चोदता रहा. फिर जब उसका पानी निकलना शुरू हुआ तो वो कुछ हाँफने लगा और मुझे कस कर अपने साथ दबा लिया. कोई 5 मिनट के बाद उसका लंड पूरी तरह से ढीला हो कर बाहर आ गया. तब उसने लंड से कंडोम को उतारा.
इस चुदाई के बाद मेरी तो पूरी तरह से तसल्ली हो गई थी. मगर दीपक का दिल अभी नहीं भरा था, वो बोला- पूनम, जाने से पहले एक बार और करने दो. मैंने कहा- मैं अब तुम्हारा कहना मानती रहूंगी मगर तुम भी मुझे मजबूर ना किया करो. उसने कहा- ठीक है अगर तुम नहीं चाहती तो कोई बात नहीं. मैंने उसकी रोनी सूरत को देख कर कहा- नहीं जी.. मैं तुम्हें अपनी चूत फिर से दूँगी ना.. मगर अभी तो रूको ना.. जाने से पहले दे दूँगी.. क्यों दुखी हो रहे हो.
ये सुन कर वो बहुत खुश हुआ और उसने लंच का ऑर्डर कर दिया, जो थोड़ी देर बाद आ भी गया.
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