This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरा पूरा मुंह गीला हो गया था आधा वीर्य तो मेरे पेट के अंदर चला गया था। मैंने अपना चेहरा उठा कर पापा से कहा- यह क्या पापा… आपने मेरा मुंह गन्दा कर दिया? पापा ने कहा- पिंकी इसे पी जाओ, यह सेहत के लिए अच्छा होता है! मैं पापा का सारा वीर्य पी गयी और फिर से चेहरा झुका कर पापा के लंड को चाटने लगी। उनका लंड पूरा साफ़ करने के बाद मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया और पापा को देखा, उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे।
मैं उनके करीब जाकर उनके होठों को किस करने लगी, उन्होंने मुझे अपनी जांघों पे बिठाया और मुझे किस करने लगे और अपना एक हाथ अपनी बेटी चूत पर रख कर चूत सहलाने लगे।
दो मिनट बाद मैं फिर से मस्ती में डूब गयी, मैं ज़ोर से पापा के होंठों को चूसने लगी। उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी तो मैं एकदम से उछल पड़ी। मेरी चूत में अब से पहले तक उंगली नहीं गयी थी। पापा धीरे धीरे अपनी उंगली चूत के अंदर बाहर करने लगे और मैं मस्ती में भर कर नाचने लगी। मैं कस कर उनसे लिपट गयी और अपनी दोनों जांघों को एक दूसर से चिपका लिया।
पापा की उंगलियों की रफ़्तार और तेज़ हो गई, मैं मस्ती में झूमने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था।
लगभग 5 मिनट बाद मेरा बदन अकड़ने लगा, मेरे शरीर से कुछ पिघल कर मेरी चूत तक जा रहा था, अचानक मैं पापा से कस के लिपट गयी और अपनी चूत को उनके हाथों में दबाने लगी- यआह्ह्ह्ह… पा… पा… आआआ! मेरी चूत से एक तेज़ फुहार निकली और पापा की बाँहों में फैल गयी।
मैं एक चीख मार कर पापा की बांहों में झूल गयी। मैं चरम तक पहुँच चुकी थी।
कुछ देर यूँही पापा से लिपटी रही फिर अपना चेहरा नीचे करके पापा के हाथों को देखा उनका हाथ सफ़ेद गम से भर गया था। मैं एकदम से घबरा गयी और पापा से बोली- ये क्या निकला है पापा? “घबराओ नहीं, ये चूत का पानी है… ये हर मरद औरत के पेशाब करने के रास्ते से तब निकलता है जब वह सेक्स करता है या अपने हाथों से अपने अंग को छेड़ता है.”
मैं निश्चिंत हो गयी और पापा से बोली- पापा, मुझे बहुत मजा आया! क्या आप रोज़ मुझे ऐसे ही प्यार करेंगे? “हाँ बेटी… जब भी तुम चाहोगी! लेकिन अभी तुमने पूरा मजा नहीं लिया है, पूरा मजा उस दिन आएगा जब मेरा लंड अपने चूत के अंदर लोगी!” “पापा तो अपना लंड मेरी चूत में डालो न… मैं पूरा मजा लेना चाहती हूँ.”
“अभी तुम बहुत छोटी हो, अभी तुम मेरा लंड नहीं ले सकती, तुम्हें बहुत दर्द होगा, तुम वो दर्द नहीं सह पाओगी। कुछ दिन और इंतज़ार करो, फिर मैं तुम्हें सेक्स का सही मजा दूँगा.” “ओके पापा, जब आपको लगे कि मैं आपका लंड अंदर ले सकती हूँ तब आप मुझे पूरा मजा दीजियेगा.” पापा बोले- ठीक है… फिलहाल जब तक तुम उस लायक नहीं हो जाती, तब तक तुम ऐसे ही मज़े लेती रहो और हाँ… अपनी मम्मी को भूलकर भी इस बारे में कुछ मत बताना! “ठीक है पापा!”
कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद हम दोनों बाप बेटी नंगे ही लिपट के सो गये। इसी तरह मैंने पापा के साथ बिस्तर में खेलते कुदते दो साल बिता दिए. इस बीच पापा ने मुझे पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार कर लिया था। हालाँकि वो चाहते तो मुझे कभी भी चोद सकते थे। मैं उनसे चुदने के लिए तैयार थी लेकिन उन्होंने सब्र से काम लिया।
इन 2 सालों में पापा ने मुझे मसल के, रगड़ के मेरे कमसिन शरीर को भरपूर जवान लड़की की तरह कर दिया था। मेरा शरीर पहले से ज़्यादा भर गया था और मेरी चूचियों में भी गज़ब का उभार आया था। मेरी कमर पतली थी लेकिन मेरी गांड की शेप पीछे से बला की उभार लिए हुए थी।
मेरा रूप देखकर मेरे साथ पढ़ने वाले लड़कों के लंड तन जाते थे। हर कोई मुझे चोदना चाहता था लेकिन मैं सिर्फ पापा से चुदवाना चाहती थी। मैं घर पहुँच कर अपने रूम में घुसते ही अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार कर फेंक देती और नंगी होकर अपने बदन को चूमती, सहलाती और मसलती… इस वक्त मेरे ख्यालों में सिर्फ पापा ही होते थे।
मम्मी इस बात से पूरी तरह अन्जान थी कि उनकी पीठ के पीछे हम बाप बेटी क्या क्या कर रहे हैं। अब उनका पापा से झगड़ा भी पहले से कम हो गया था। लेकिन उनमें दूरियाँ अभी भी थी… मम्मी पहले से अधिक शराब की आदी हो गयी थी, वो अक्सर खोयी खोयी रहती। पर मैं उन पर ज़्यादा ध्यान न देकर अपने में मस्त रहती और उस दिन के बारे में सोचती जब पापा का लंड मेरी चूत में घुस कर मुझे सेक्स का असली मजा देने वाला था।
आखिर वो दिन भी आ गया।
उस दिन पापा ऑफिस से 8 बजे ही आ गए थे लेकिन हर रोज़ की तरह आज मुझसे एकांत में नहीं मिले… मुझसे दूर दूर रहने का प्रयास कर रहे थे। मैं अगर उनके पास जाती तो वो उठकर कहीं और चले जाते।
मैं दुखी हो गयी… पापा की बेरुख़ी मैं सहन नहीं कर पा रही थी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मुझसे क्या गलती हो गयी जो पापा मुझसे दूर हो रहे हैं। डिनर के टेबल पर भी पापा की नज़रें एक बार भी मेरी तरफ नहीं उठी। मैं जल्दी से डिनर करके अपने रूम में आ गयी और बिस्तर पर गिर कर रोने लगी और सोचने लगी ‘क्यों मेरे अच्छे पापा मुझसे बात नहीं कर रहे हैं… क्या वो हमेशा के लिए मुझसे रूठ गए हैं? क्या मुझे पहले की तरह फिर से अकेले रहना पड़ेगा?’
यही सब बाते सोचते सोचते कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही न चला।
लगभग एक बजे मुझे ऐसा लगा कि कोई मुझे छू रहा है… कोई मुझे आवाज़ दे रहा है। मेरी आँख खुली तो मेरे पापा मेरे बिस्तर पर बैठे थे। उन्हें अपने पास देखते ही मैं उनसे लिपट गयी और रोने लगी।
“पिंकी… क्या हुआ, क्यों रो रही हो?” पापा मेरे आंसू पौंछते हुए बोले। “पापा क्या आप मुझसे नाराज़ हो?” मैं सिसकते हुए बोली। “नहीं बेटी… मैं भला अपनी जान से प्यारी बेटी से क्यों नाराज़ होऊँगा?” “तो फिर आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे थे… पता है मैं कितना रोई हूं.” “ओह… मुझसे गलती हो गयी। दरअसल मैं तुम्हारी मम्मी की वजह से तुमसे बात नहीं कर रहा था।”
“मुझे लगा आप मुझसे फिर कभी बात नहीं करोगे… मुझे फिर से अकेला रहना पड़ेगा।” “नहीं पिंकी… जब तुम्हें कभी अकेला नहीं रहना पड़ेगा। मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ… और आज तो तुम्हें बिल्कुल नहीं रोना चहिये… आज हमारे लिए बहुत खास दिन है।” “ख़ास दिन… वो क्या पापा?” “आज…” वो मेरी चूत पर हाथ रखते हुए बोले- तुम्हारी चूत का उद्घटान है। आज इसमें मेरा लंड अंदर घुसेगा और तुम्हें प्यार का असली मजा मिलेगा। “क्या सच में पापा?” मैं बोली और पापा का हाथ पकड़ कर अपने शॉर्ट्स के अंदर कर दिया।
पापा मेरा इशारा समझ गये, पापा अपने हाथों का दबाव मेरी चूत पर डालने लगे। मैं थोड़ा आगे सरक कर पापा के होंठों को चूसने लगी। पापा भी मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगे। फिर अपना दूसरे हाथ से मेरे एक बूब्स को टीशर्ट के ऊपर से ही कस के दबा दिए।
“आउच…” मैं दर्द से बिलबिलायी, फिर पापा की छाती पर हल्के हल्के घूंसे मारती हुयी बोली- पापा आहिस्ते से बूब्स दबाओ न… मुझे दर्द होता है। “तुम्हें दर्द होता है?” पापा बोले और फिर से उसी जोर से मेरा दूसरा बूब्स भी दबा दिया। मैं फिर से चीख़ पड़ी- आई हेट यू पापा! मैं गुस्से में पापा को घूरती हुयी बोली।
“बट आई लव यू बेटी!” वो मुस्कराए और अगले ही पल अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह…” मेरे मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकली। मैंने इस बार गुस्से में भर कर पापा को धक्का दिया और उन पर चढ़ गयी। फिर उनके बालों को नोचती हुयी उनके होंठों को चूसने और काटने लगी। पापा भी जोश में भर कर मेरे टीशर्ट के अंदर दोनों हाथ डालकर मेरे बूब्स मसलने लगे।
मैं दो मिनट तक उनके होंठों को कुचलती रही फिर अपना चेहरा उठाकर उनको देखा, पापा की आँखें लाल हो रही थी, उनके हाथ अभी भी मेरे बूब्स को धीरे धीरे दबा रहे थे। मेरी आँखें भी लाल नशीली हो उठी थी।
मैंने एकदम से अपने टीशर्ट को नीचे से पकड़ी और एक ही झटके में उतार कर एक और फेंक दिया। वही हाल मैंने अपनी ब्रा का भी किया, फिर पापा के दोनों हाथों को अपने बूब्स पर रखकर दबाने लगी। पापा मेरी नशीली आँखों में झाँकते हुए मेरे बूब्स मसलने लगे। मैं आँखें बंद किये अपनी चूचियों को दबवाती रही।
अचानक से पापा उठ बैठे। फिर मेरे देखते ही देखते अपने बदन से सारे कपड़े उतार फेंके। मैंने भी उनका अनुसरण किया, पलक झपकते ही मैंने अपना शॉर्ट्स निकाल बाहर किया। अब हम दोनों पिता पुत्री एक दूसरे के सामने पूरे नंगे बैठे थे।
पापा अचानक से बिस्तर पर उठ खड़े हुए और अपना लंड हाथ से पकड़ कर हिलाकर मुझे दिखाया। मैं घुटनों के बल सरक कर पापा के पास चली गयी और बिना देर किये उनका लंड मुंह में भर लिया। मेरे गर्म होंठों का स्पर्श पाते ही पापा के मुंह से ‘आह्ह’ निकल गयी।
मैं अब लंड चूसने में इतनी अभ्यस्त हो गयी थी कि पापा का लम्बा पूरा लंड मुंह के अंदर ले लेती थी। मैं पूरा लंड अंदर लेती और जब मुंह से बाहर लाती तो अपने होंठों का दबाव बढ़ा देती। मैं उनका लंड ठीक वैसे ही चूस रही थी जैसे तेल लगे हाथों से लंड की मालिश करते हैं। यह तरीका भी पापा ने ही मुझे बताया था, मैं नहीं जानती उन्होंने कहाँ देखा या सीखा था। बिल्कुल वैसे ही जैसे आइसक्रीम को होंठों से दबाकर चूसते हैं।
लगभग 5 मिनट तक लंड चूसने के बाद पापा ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत पर अपनी लंबी जीभ निकाल कर टूट पड़े। वो मेरे चूत को चाटते हुए मेरी चूत की फांकों पर अपनी जीभ घुसा देते और अंदर से निकलते रस को चूसने लगते।
मैं उनकी इस हरकत से छटपटा उठती और पापा का सर अपनी चूत में दबा देती। वैसे तो पापा पहले भी मेरी चूत चाट चुके थे पर आज उनकी जीभ से जो मजा मिल रहा था वो पहले कभी नहीं मिला। आज पापा की हर हरकत और दिन से तेज थी।
शायद ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि और दिन वो मुझे बहुत प्यार से आराम से मेरे साथ मेरे शरीर के अंगों से खेलते थे लेकिन आज उनके हर हरकत में आक्रमकता थी और यही चीज मुझे मस्त किये जा रही थी। 5 मिनट की चूत चटायी में मैं 3 बार झड़ चुकी थी।
“पापा… अब मैं नहीं रुक सकती। प्लीज अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ और मुझे प्यार का असली मजा चखाओ।” मेरी बात सुनकर पापा ने अपना चेहरा उठाकर मुझे देखा, फिर मुस्कुराते हुए बोले- ठीक है बेटी, एक बार और मेरे सूखे लंड को अपने होंठों से गीला करो। फिर तुम्हें प्यार का असली मजा चखाता हूं!
मैं उनकी बात सुनकर झपट्टा मारने वाले अन्दाज़ में उठी और उनके लंड को हाथों से पकडकर मुंह के अंदर भर लिया। मैं अपने मुंह में थूक जमाकर उनके लंड को अच्छी तरह से गीला किया और फिर बिस्तर पर पसर गई। ये सब मैंने इतना जल्दी किया कि पापा मेरी फुर्ती और व्याकुलता देखकर हैरान रह गये।
फिर वो मुस्कुराते हुए झुके और मेरी चूत पर एक प्यार भरा किस देकर अपना लंड मेरी चूत से रगड़ने लगे। “ओहह पापा… मेरे अच्छे पापा! अपना लंड जल्दी से मेरी चूत में डालो न।”
मेरी यह सेक्स स्टोरी आपको कैसी लग रही है? आप मुझे ईमेल करके अवश्य बतायें. मेरा ईमेल है [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000