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हिंदी सेक्स कहानियों के चाहवान मेरे प्यारे दोस्तो, आप सबने मेरी पिछली चुदाई कहानी आंटी का प्यार और आंटी की चुदाई पढ़ी और उसे बेहद पसंद भी किया. मुझे यह जान के बहुत खुशी हुई और आप सबने जो मुझे मेल किये, सबके मेल का भी बहुत बहुत शुक्रिया। आप सब के इसी सहयोग से अब मैं अपनी एक और नई और सच्ची कहानी के साथ हाज़िर हुआ हूं। मुझे पूरी आशा है कि मेरी यह कहानी भी आपक सब पाठकों को पसंद आयेगी.
तो अब सीधा कहानी पर आते हैं, उससे पहले सभी लड़के अपना लंड हाथ में ले लो और सभी लड़कियाँ, भाभियाँ, आंटियाँ अपनी अपनी चूत में उंगली पेल लो। जैसा कि मै अपने बारे में पहले भी बता चुका हूं कि मैं आतिफ उम्र 25, लखनऊ कर रहने वाला हूँ और अब मेरी इंजीनियरिंग भी पूरी हो चुकी है बस कोई अच्छी सी नौकरी की तलाश में हूँ।
बात कुछ 8 महीने पहले की है जब हमारे घर पर नये किराएदार रहने आये। शौहर और बीवी और उनका एक बच्चा। शौहर का नाम शमीम था और मैं उन्हें शमीम भाई कहता था, और बीवी का नाम शगुफ्ता (काल्पनिक नाम) तो मैं शगुफ्ता भाभी कहता था और उनका 4 साल का बेटा शफी है। शमीम भाई हमारे ही शहर के जल निगम में एक अधिकारी हैं जो कि सुबह ही काम पर चले जाते हैं और रात में लौटते हैं। शगुफ्ता भाभी हाउसवाइफ हैं तो दिन भर घर में ही रहती हैं और जब अकेली बोर हो जाती हैं तो नीचे मेरे घर आ जाती हैं मेरी अम्मी से बातें करने और उनका बेटा शफी जिसने अभी-अभी पास ही के एक प्ले वे स्कूल में जाना शुरू किया है।
शगुफ्ता भाभी दिखने में भी एक घरेलू औरत लगती हैं, साफ रंग की, लंबाई कुछ 5 फुट 8 इंच, दूध एकदम कसे हुए, ना बहुत बड़े और ना ही छोटे। फिगर कुछ 34-30-34 होगा और गांड एकदम टाइट, दिखने में बिल्कुल फिट लगती थीं। सलवार सूट पहनती थी इसलिए ज़्यादा जिस्म नहीं ताड़ पाता था लेकिन जब भी मुझ से बात करती तो मैं बस उनमें खो जाता था।
भाई और भाभी घर में ऊपर के हिस्से में रहते थे और मेरा परिवार नीचे के हिस्से में, ऊपर से अक्सर भाभी और भाई की बात करने की आवाज़ आती थी और अक्सर उन दोनों के बीच में लड़ाई भी होती थी तो उसकी भी आवाजें नीचे तक आती थी। शगुफ्ता भाभी बहुत ही शरीफ और शांत स्वभाव की हैं इसलिए मुझे लगता था कि मेरी दाल नहीं गलेगी भाभी के सामने। मैं शाम में अक्सर छत पर ही टहलता था तो भाभी से भी कभी कभी बात हो जाती थी, बस यूंही सोचते-सोचते कि भाभी को कैसे पटाया जाए 2 महीने गुज़र गए। जब शमीम भाई घर में नहीं होते तो शगुफ्ता भाभी मुझसे ही घर का सामान मंगवाती और कुछ दूसरे छोटे मोटे काम भी करवाती रहती. मुझे भी बहुत मजा आता इस तरह से भाभी की सेवा करने में… यह सोच कर कि शायद इस सेवा का मेवा भी मिल ही जाये किसी दिन!
देखते ही देखते कुछ दिन और बीत गए, तभी एक दिन सुबह के 10 बजे होंगे, शमीम भाई काम पे जा चुके थे और शफी भी स्कूल चला गया था और भाभी अपने घर में अकेली थी तभी माँ ने मुझे आवाज़ दी, मैं अपने कमरे में लेटा था। माँ ने मुझे कुछ बर्तन दिए और कहा कि ऊपर शगुफ्ता भाभी को दे आओ। मैं खुशी-खुशी ऊपर चला गया बर्तन ले के।
जैसे ही मैं ऊपर पहुँचा, तो शगुफ्ता भाभी घर में झाडू-पोंछा लगा रही थी और भाभी ने नाईट लोअर और टॉप पहना हुआ था जिससे उनके दूध और गांड का आकार बिल्कुल साफ पता चल रहा था। मैंने पहली बार भाभी को ऐसा देखा था तो मेरे लंड में करंट सा दौड़ गया।
तभी भाभी ने मुझसे कहा- इतनी जल्दी क्या थी बर्तन देने की, बाद में दे देते! तो मैं बोला- माँ ने दिया तो मैं ले आया! और भाभी मुस्कुराने लगी और मुझसे बर्तन लेकर अंदर रखने चली गयी। मैं भाभी की रसीली गांड घूरने लगा और उन्ही में खो गया, मैंने भी लोअर पहना हुआ था तो लंड का उभार साफ पता चल रहा था जिसे मैं ठीक करने लगा.
तभी सामने से भाभी वापस आ गयी और शायद मुझे लंड ठीक करते देख लिया। मैंने जल्दी से हाथ हटाया और भाभी की तरफ देखने लगा और कहा- मैं नीचे जा रहा हूँ. और भाभी के दूध पर नज़र पड़ी तो घूरने लगा।
भाभी भी कुछ-कुछ समझ गयी थी और फिर अंदर चली गयी और मैं भी नीचे अपने कमरे में जा के अपना लंड पकड़ के लेट गया और भाभी के बारे में सोचने लगा। सोचते-सोचते कुछ दिन और यूं ही गुजर गए.
तभी एक दिन मेरी मां ने मुझसे कहा कि शगुफ्ता आयी थी, कुछ काम है उसे तो तुझे ऊपर बुलाया है। मैं अंदर ही अंदर खुश हो गया और ऊपर दौड़ लगाई तो देखा घर का ज़्यादातर सामान इधर उधर बिखरा है और शगुफ्ता भाभी साफ सफाई कर रही हैं।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी आपने बुलाया था मुझे? तो भाभी बोली- हाँ, आज घर की साफ सफाई करना है तो सोचा कि तुम भी थोड़ी मदद कर दो क्योंकि भारी सामान मैं अकेले नहीं उठा सकती। मैं अंदर ही अंदर खुश हो गया और बोला- क्यों नहीं भाभी, अच्छा किया जो मुझे बुला लिया!
मैंने नीचे जाकर जल्दी से कपड़े बदले और वापस आकर हम दोनों काम में लग गए।
काम करते करते मैंने कई बार भाभी को बहाने से छुआ और भाभी की गांड पर भी हाथ लगाया लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी.
तभी शफी जो कि दूसरे कमरे में सोया हुआ था, उठ गया और उसके रोने की आवाज़ आने लगी। भाभी के हाथ गंदे थे तो मुझसे कहा- शफी को उठा लाओ, मैं हाथ धो के आती हूँ। मैं शफी को गोद में उठा लाया और उसे चुप कराने लगा, तभी भाभी आ गयी।
भाभी शफी को मेरी गोद से अपनी गोद में लेने लगी तभी मैंने भी गोद में देने के बहाने भाभी के दूध दबा दिए जिसे वो भांप गयी और मुझे घूरने लगी। मैं थोड़ा डर गया और फिर काम करने लगा तो भाभी बोली- मैं शफी को खाना देकर आती हूँ।
इतना कुछ होने के बाद मेरा लंड आधा खड़ा हो चुका था और लोअर में साफ पता चल रहा था और अब भाभी भी आ चुकी थी काम में साथ देने के लिए। भाभी ने मेरे लंड का उभार देख लिया था और मुझसे बात करते करते काम करने लगी।
अब भाभी मेरे इशारे समझने लगी थी.
थोड़ी देर बाद घर का सारा काम हो गया तो भाभी चाय बनाने लगी, हमने साथ चाय पी और कुछ बातें की और फिर मैं नीचे अपने घर आ गया और भाभी को याद कर के अपना लंड हिलाने लगा।
अगले 2 दिन बाद मेरे सभी घर वाले बाहर गए थे जो कि शगुफ्ता भाभी को नहीं पता था और मैं घर में अकेला ही था। मुझे पता था, हर रोज़ की तरह शगुफ्ता भाभी दोपहर का खाना बना के नीचे आएंगी माँ से बाते करने… और मैं उसी इन्तज़ार में था। ऊपर से नीचे आने के रास्ते में सबसे पहले मेरा ही कमरा पड़ता है और फिर बाकी के…
उस वक़्त मैं अपने कमरे में लैपटॉप पर ब्लू फिल्म देख रहा था और सिर्फ शॉट्स पहना हुआ था जिसमें से अपना लगभग 7″ इंच का लंड निकाल कर हिला रहा था।
कुछ ही देर बाद मुझे शगुफ्ता भाभी के दरवाजे के बंद करने की आवाज़ आई, मैं समझ गया कि भाभी शायद नीचे आ रही हैं। मैंने जल्दी से नीचे का दरवाजा खोला और ब्लू फिल्म देखते हुए लंड हिलाने लगा क्योंकि दरवाज़ा मेरे पीछे था तो मैंने अपने सामने ही अपना चश्मा रख दिया जिससे पीछे दरवाजा साफ दिख रहा था।
अगले ही पल मुझे दरवाज़े की आवाज़ आई, मेरी धड़कनें तेज़ हो गयी और थोड़ा डर भी लगने लगा लेकिन मैं अपने काम में व्यस्त रहा और पता भी नहीं चला कि भाभी कब दरवाजे पर खड़ी हो गई और मेरे लैपटॉप पर चल रही ब्लू फिल्म देख रही हैं। मैं अपने चश्मे में भाभी को साफ देख रहा था और अपना लंड भी हिला रहा था।
भाभी बिना कुछ बोले सब कुछ देख रही थी और मैं भी अनजान बन के ब्लू फिल्म देख के अपना लंड हिला रहा था और लगभग 2-3 मिनट बाद भाभी चुप चाप ऊपर चली गयी।
मुझे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं भाभी घर पे कुछ बता न दें और सोचने लगा कि क्या करूँ!
तभी भाभी ने मुझे ऊपर से आवाज़ दी। मैं सोचने लगा पता नहीं क्यों बुलाया होगा और ऊपर चल दिया और सीधा भाभी के कमरे में चला गया।
भाभी टीवी देख रही थी, मुझसे पूछने लगी- नीचे घर में कोई नहीं है क्या? तो मैं बोला- नहीं! लेकिन आपको कैसे पता? भाभी बोली- मैं अभी नीचे गयी थी लेकिन कोई नहीं दिखा सिवाए तुम्हारे।
मैंने कहा- तो भाभी अपने बताया क्यों नहीं जब मैं नीचे ही था। भाभी ने कहा- कैसे बताती, तुम इस हालत में नहीं थे और अपने कमरे में बिना कपड़ों के गंदी फ़िल्म देख रहे थे।
अब मुझे थोड़ी शर्म आनी लगी तो मैंने सर नीचे कर लिया और भाभी कहने लगी- कुछ दिनों से मैं तुम्हारी हरकतों पर गौर कर रही हूँ जो कि मुझे ठीक नहीं लगती। मैंने भी अपना बचाव करते हुए कहा- ऐसा कुछ नहीं है भाभी! मैं नीचे देखने लगा और कुछ नहीं बोला।
तब शगुफ्ता भाभी बोली- परेशान मत हो, मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगी, इस उम्र में ऐसा होता है, लेकिन थोड़ा काबू रखो।
तभी मैंने सोचा कि मौका अच्छा है भाभी को पटाने का और बोल पड़ा- भाभी, कंट्रोल ही तो नहीं होता, क्या करूँ? तो भाभी बोल पड़ी- कैसे नहीं होता, मैं भी तो खुद को कंट्रोल में रखती हूं।
तभी मैं बोल पड़ा- भाभी, आप क्यों ऐसा करती हो, आपके तो पति देव हैं ही आपके लिए, मुझ गरीब का कौन है।
इतना कहते ही भाभी के आँख से आँसू आ गए। मैं कुछ समझ नहीं पाया और भाभी से माफी मांगने लगा कि आपको बुरा लगा हो तो मुझे माफ़ कर दीजिये!
तो भाभी बोली- तुम्हारी कोई गलती नहीं… और तुम तो ऐसे सीधे बन रहे हो जैसे तुम हम लोगों के लड़ने की आवाजें नहीं सुनते। मैं सोचने लगा कि भाभी को लगता है सब कुछ पता है। मैं भाभी को चुप कराने लगा और उनके आँसुऑन को खुद ही पौंछने लगा और भाभी ने भी कुछ नहीं कहा।
मैंने सोचा कि लगता है अब बात बन जाएगी. तभी मौका देखते हुए मैंने भाभी के होठों पे किस कर दिया। शगुफ्ता भाभी घबरा कर एकदम से पीछे हो गयी और मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे घूरने लगी।
मेरी भाभी की सेक्स कहानी के अगले भाग में पढ़ें कि कैसे मैंने पड़ोसन भाभी को प्रेम और वासना के जाल में फंसा कर चोदा. [email protected]
भाभी सेक्स स्टोरीज का अगला भाग: भाभी के जिस्म की चाहत-2
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