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दोस्तो, यह कहानी मेरी और मेरी दीदी की है. मेरा नाम सोनू है और मेरी दीदी का नाम सुमन है. मैं उसे सुमन दीदी बुलाता हूं, आज उसकी उम्र 26 साल है. मैं उससे 2 साल छोटा हूं.
हम एक मिडिल क्लास परिवार से हैं. घर में हम दोनों के अलावा मम्मी और पापा हैं, यह कहानी आज से लगभग 4 साल पहले शुरू हुई. उस समय बाथरूम नहीं होने के कारण दीदी आंगन में नहाती थी. जिस समय दीदी नहाती थी, उस समय हमें और पापा को बाहर आना पड़ता था या जब उसे कपड़े पहन बदलना होता था तो वो हमें बाहर जाने को कहती थी और दरवाजा बंद करके कपड़े बदलती थी. लेकिन कभी-कभी वह दरवाजा बंद करना भूल जाती थी और और अचानक से मैं आ जाता था.
आपको बता दूँ कि मैं जानबूझ कर ऐसा नहीं करता था, लेकिन जब ऐसा होता था तो मुझे कभी दीदी के चूचे दिख जाते थे, तो कभी उसके नंगे चूतड़ दिख जाते थे. जिससे एक बार मेरे मन में थोड़ी सी शर्म भी आ जाती थी, पर अच्छा भी लगता था.
दीदी गुस्सा करती तो मैं बोलता रहता कि दरवाजा बंद कर लिया करो. फिर दीदी कहती कि क्या करूं भाई भूल जाती हूं और वो हंस कर रह जाती थी.
ऐसे ही दिन निकलते गए और 4 साल बीत गए. अब दीदी पूरी जवान हो गई थी, उसके चूचे बड़े बड़े हो गए थे. पिछवाड़ा भी बड़ा हो गया था. उसे देखते ही मेरे मन में कुछ कुछ होने लगता, पर जानता था कि वह मेरी बहन है. फिर भी उसे देखने को मन करता. जब वो झाड़ू लगाती तो उसके गहरे गले वाले कुरते में से उसके मलाई से गोरे चूचों के दर्शन हो जाते. वो भी इस बात को जानती थी कि मैं उसे देखता रहता हूं लेकिन वह कुछ नहीं बोलती.
फिर एक दिन ऐसा आया कि दीदी आंगन में नहा रही थी और वह दरवाजा बंद करना भूल गई थी. मैं उसी समय अन्दर आ गया और नजारा देखकर हैरान रह गया. दीदी उस समय केवल ब्रा पेंटी में थी और उसके बड़े बड़े मम्मे दूध की फैक्ट्री की तरह नजर आ रहे थे. दीदी ने जैसे ही मुझे देखा, वह बैठ गई और तिरछी नजर से मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी. मैं कुछ पल वहां रुका और उसको नजर भर कर देखकर वहां से चला गया.
उस दिन के बाद दीदी मुझसे बहुत फ्रेंडली हो गई थी. यह सब देख कर मेरा मन करता कि मैं अभी दीदी के दूध पी जाऊं लेकिन हिम्मत नहीं होती. फिर घर में हमेशा मां भी रहती थीं.. इसलिए कुछ भी होना सम्भव नहीं था.
एक दिन मेरी नानी की तबीयत बहुत खराब हो गई और मम्मी को उनके पास जाना पड़ा. पापा भी किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर चले गए और घर में मैं और दीदी अकेले रह गए. उस समय दीदी बहुत खुश नजर आ रही थी.. ऐसा क्यों था.. वो मुझे पता नहीं.
अगले दिन मैं घर में बैठकर खाना खा रहा था और दीदी उसी समय नहाने लगी. जब मैं घर में होता तो दीदी कपड़े पहन कर नहाती थी. मैं खाना भी खा रहा था और उसके भीगे बदन को भी देख रहा था. जब दीदी को नहाना हो गया तो दीदी मुझसे बाहर जाने को बोली. मैंने कहा कि दीदी मैं खाना खा रहा हूँ, मैं अभी नहीं जाऊंगा और वैसे भी मैं आपको कई बार देख चुका हूं. तब दीदी बोली- अच्छा बच्चू, अपनी दीदी से होशियारी कर रहा है.
यह कह कर वो मुस्कुराने लगी, लेकिन उसने कपड़े नहीं बदले. मैं भी खाना खाता रहा और उसे देखता रहा. खाना खत्म करके मैं बाहर चला गया, तब दीदी ने कपड़े बदले.
अगले दिन मैं टॉयलेट कर रहा था, तभी दीदी वहां आ गई और उसने मेरा खड़ा लंड देख लिया. लंड देख कर दीदी हंसने लगी. मुझे उसकी हंसी देख कर मजा भी आया और चिढ़ भी आई.
इसके कुछ देर बाद मैं जब खाना खाने बैठा, तभी दीदी नहाने के लिए आ गई और पहले के जैसे कपड़े पहन कर नहाने लगी. आँगन में नहाने के बाद मुझे बाहर जाने को बोली. पर मैंने कहा- दीदी तुमने भी तो मेरा देख लिया है, अब तुम मेरे सामने ही कपड़े बदल लो. वह हंस दी और मना करने लगी, तब मैं उससे विनती करने लगा- दीदी प्लीज़ दीदी… तब दीदी बोली- ओके, मैं कपड़े बदल रही हूं, जितना दिखेगा सो देख लेना.
अब वो अपने गीले कपड़े उतारने लगी. पहले उसने अपना पजामा उतारा, जिससे उसकी नंगी टांगें दिखाई देने लगीं. उसकी टाँगें एकदम चिकनी थीं, उस पर बहुत थोड़े से बाल थे जो सुनहरे रंग से चमक रहे थे. फिर उसने अपनी चड्डी उतारी जो ब्लैक कलर की थी. उसने मेरे सामने ही दूसरी चड्डी पहन ली और इसके बाद अपना पाजामा भी पहन लिया. इस सब क्रिया में मुझे नीचे की कुछ खास चीज ना दिख सकी.
इसके बाद वह अपना कुर्ता उतारने लगी, उस समय वह मेरी तरफ करके पीछे को मुड़ी हुई थी, जिससे उसकी पीठ मुझे दिख रही थी. जिस पर काले रंग की ब्रा की पट्टी चमक रही थी. चूंकि उसकी चूचियां दूसरी ओर थीं जो मुझे दिखाई नहीं दे रही थीं. फिर उसने पीछे हाथ करके अपनी ब्रा भी खोल दी और दूसरी ब्रा पहनने लगी.
तब मैंने दीदी से कहा- दीदी एक बार इधर तो मुड़ो. वो हंस कर बोली- नहीं भाई, जितना दिखता है, बस उतना ही देख लो. मैंने कहा- दीदी, ऐसे में तो कुछ नहीं दिख रहा है.
तो वह ब्रा पहनने के बाद मेरी तरफ मुड़ी और उसकी छोटी सी ब्रा में कैद चूचियां मुझे दिखाई देने लगीं.. जो बाहर निकलने के लिए मचल सी रही थीं. फिर उसने मुस्कुराते हुए अपना कुर्ता भी पहन लिया और बोली- बस अब बहुत हुआ. तब मैंने कहा- दीदी तुमने तो कुछ दिखाया ही नहीं, जबकि तुमने मेरा लंड देख लिया.
वह मेरे मुँह से लंड के शब्द भरी बात को सुनकर हंसने लगी. मैंने फिर कहा- दीदी, तुमने तो मुझे दिखाया तो है ही नहीं, अब मुझे थोड़ा छू ही लेने दो. वह मना करने लगी.
मैंने रिक्वेस्ट की तो वह मान गई और बोली- केवल ऊपर से ही छू लो.
वो अभी भी नहाने की जगह पर खड़ी थी और उसके भीगे भीगे से बाल उसके गाल से चिपके हुए थे, जो क़यामत बरपा रहे थे, दीदी बहुत मस्त लग रही थी. मैं उसके पास गया और पहले उसके गाल से बालों को हटाया और उसकी चूचियों को ऊपर से दबाने लगा. कुछ देर तक दबाने के बाद दीदी गरम होने लगी.
कुछ देर बाद उसको अपने आप पर कंट्रोल किया और अपने आपको मुझसे अलग करके दूर हो गई. फिर वो खाना खाने लगी. मैं अभी भी उसके पास ही बैठा था दीदी मुझसे बोल रही थी कि भाई तुम बहुत शैतान हो गए हो. मैं हंसने लगा और बोला- दीदी आप हो ही इतनी गजब कि और अधिक शैतान बनने का जी करता है. दीदी हंसने लगी.
फिर दोपहर को अचानक बारिश शुरू हो गई. दीदी बाहर से जल्दी से कपड़े उतारने चली गई. लेकिन जल्दी-जल्दी में उसका पैर फिसला और वो कीचड़ में गिर गई, जिससे गंदा पानी उसके शरीर में लग गया. इस सब में कुछ देर हो गई और गंदगी से उसका शरीर खुजलाने लगा.
दीदी कहने लगी- भाई बहुत खुजली हो रही है.. मैं क्या करूं? मैं बोला- पहले तुम नहा लो. वह नहाने लगी, बाहर बारिश हो रही थी जिससे मैं बाहर नहीं जा सकता था. अब दीदी खुजली होने के कारण कपड़े पूरे खोलकर नहाने लगी. मैं भी बारिश होने के कारण बाहर नहीं गया और वहीं बैठा रहा. आज मैं उसे बहुत करीब से देख रहा था.
जब दीदी नहा कर अपना बदन पोंछने लगी तो मैंने देखा उसके शरीर पर कुछ चकत्ते से निकल रहे हैं. मैंने कहा- दीदी, ये लाल लाल चकत्ते से क्या हो गए हैं. वो उन चकत्तों को देख कर बहुत डर गई. मैंने कहा आप घबराओ नहीं मैं तुम्हारे बदन की दवा वाले तेल से मालिश कर देता हूं.
इस पर वो मान गई. मैं बिना समय गंवाए जल्दी से दवा डाल कर सरसों का तेल ले कर आया और तेल को हल्का गर्म कर लिया.
मैंने दीदी से कहा कि आप लेट जाओ.. मैं मालिश कर देता हूँ. वो पेट के बल लेट गई. मैंने कहा- दीदी पहले आप अपने कपड़े तो उतार लो.
उसने जल्दी से अपना कुर्ता उतार दिया और लेट गई. मैं उसके पीछे से पीठ पर मालिश करने लगा. मालिश करते करते मैं अपना हाथ पीठ पर ऊपर ले जा रहा था. मेरा हाथ दीदी की ब्रा में फंस रहा था. मैंने कहा- दीदी यह ब्रा उतार दो. उसने कहा- भाई, तुम ही उतार दो.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और मजे से मालिश करने लगा. उसके बदन की खुजली तो दूर हो गई लेकिन वह गर्म होने लगी थी. मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी थी. मैं भी मजे से उसकी मालिश कर रहा था. अब उसने कहा- भाई, नीचे पैर में भी मालिश कर दो. मैंने कहा- ठीक है दीदी, अभी कर देता हूँ.
यह कह कर मैं उसका पजामा यूं ही खींच कर नीचे करने लगा लेकिन वो नीचे नहीं हो पा रहा था. तब दीदी ने कहा- भाई पहले नाड़ा तो खोलो.
इतना कह कर उसने अपने चूतड़ उठाए और मैंने अपने हाथ को नीचे डाल कर उसका नाड़ा खोल दिया और उसका पजामा नीचे कर दिया. जैसे ही पजामा उतरा, मैं झट से उसकी जाँघों पर मालिश करने लगा. मालिश करते करते मैं अपना हाथ उसकी पैंटी में घुसा देता और उसकी गांड को अपनी हथेलियों से छू लेता. कभी-कभी तो मैं अपना हाथ उसकी चुत तक भी पहुंचा देता. वह मेरे स्पर्श से मदहोश हुए जा रही थी. इधर मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, पर मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया हुआ था. कुछ देर की मस्ती के बाद मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी.
पहले तो दीदी ने हिचकते हुए कहा कि यह क्या कर रहे हो.. लेकिन उसकी इस बात में कुछ खास विरोध नहीं था.
मैंने अपने पैर उसकी दोनों तरफ कर दिया, जिससे मेरा लंड उसकी गांड के पास आ गया और मैं उसकी पीठ पर मालिश करने लगा. मैं अपना हाथ जब आगे ले जाकर उसकी मालिश करता, तो मेरा लंड उसकी गांड में टच हो जाता. उस वक्त मुझे बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने कहा- दीदी, अब घूम जाओ आपकी आगे तरफ भी मालिश कर देता हूं.
वो झट से मान गई और जब वो मुड़ी तो उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई और उसके बड़े बड़े मम्मों की उन्नत चोटियां मेरी आंखों के सामने थीं. वह अपने हाथों से अपने मम्मों को ढांपने की कोशिश करने लगी. मैंने कहा- दीदी जाने दो, इसकी भी मालिश कर देता हूं. उसने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने उसके शरीर पर मालिश करना शुरू कर दिया. पहले मैंने उसकी नाभि में तेल डाल कर उसे लगाने का काम करने लगा. इसी क्रम में मैं अपना हाथ उसकी एक चूची तक ले गया और उसकी चूची पर जोर-जोर से मसलते हुए तेल लगाने लगा. तेल तो, जो भी लगा या न लगा.. लेकिन वो पूरी तरह हॉट हो गई. इधर मेरा भी जी कर रहा था कि मैं अभी इसके चूचों के दूध को पी जाऊं.. लेकिन उसके मम्मों पर दवा वाला तेल लगा हुआ था. मालिश पूरी हो जाने के बाद वो फिर से नहाने के लिए चली गई. उसने अच्छी तरह से साबुन लगाया लेकिन पीठ पर उसके हाथ नहीं पहुंचा रहे थे. पीठ पर तेल लगे होने के कारण सफाई भी जरूरी थी.
तब दीदी ने कहा- भाई मेरी पीठ का तेल तो साफ़ कर दो.
मैं साबुन लेकर पीठ पर लगाने लगा. पीठ से साबुन लगाते हुए मैं उसके पूरे शरीर पर साबुन लगाने लगा और फिर उसे पानी से धोया.
फिर उसने अपने कपड़े पहन लिए. जब वो मेरे सामने आई तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे पकड़ कर एक झप्पी ले ली. उसने कोई ज्यादा विरोध नहीं किया तो मैं उसे किस करने लगा.
अब वो हल्के स्वर में मना तो कर रही थी लेकिन कोई ख़ास विरोध नहीं कर रही थी. मैं समझ गया कि अब हरी झंडी है. मैं उसे रगड़ कर किस करने लगा, वो भी मुझे साथ देने लगी. लगभग दस मिनट बाद मेरा यह किस खत्म हुआ, तो दीदी मुझसे अलग हुई. वो बोली- मुझे पेशाब लगी है, जरा छोड़ मैं पेशाब करने जा रही हूं.
मैं भी दीदी के पीछे पीछे चला गया. जब दीदी पेशाब करने के लिए बैठी, तो पहली बार मैंने दीदी की नंगी चुत को देखा. दीदी की चुत घने बालों के बीच में छिपी थी. मैं उसकी चुत देख रहा था.
तभी दीदी ने टोकते हुए कहा- क्यों रे भाई.. क्या देख रहे हो? मैंने बोला- दीदी आपकी चुत को देख रहा हूं.. आप इसके बालों को क्यों नहीं काटती हो? दीदी बोली- कभी कभी काट लेती हूं लेकिन बहुत दिनों से नहीं काटे हैं.
पेशाब करने के बाद मैंने अपने हाथों से दीदी की चुत को धोया. फिर हम दोनों कमरे में अन्दर आ गए. मैंने उसको चूमते हुए कहा- दीदी, आप बहुत सेक्सी हैं. तब दीदी बोली- तुम झूठ बोल रहे हो ऐसी कोई बात नहीं है. मैंने कहा- दीदी मैं जैसा कहता हूं वैसा करो, मैं तुम्हारी फोटो निकालता हूं, फिर देखना तुम कितनी सेक्सी लगती हो.
अपनी फोटो को निकलवाने के लिए दीदी मान गई. मैं अपना मोबाइल लेकर आया और उसके सेक्सी फोटो निकालने लगा. मैंने उससे कहा- अब अपना कुर्ता और पजामा उतार दो. उसने उतार दिए.
मैंने उसके ब्रा पेंटी में फोटो निकाले. इसके बाद उसने अपने सारे कपड़े पहन लिए. फिर मैंने उसके सेक्सी फोटो उसको दिखाए. वो अपने हॉट फोटो देख कर शर्माने लगी. मैंने कहा- दीदी मैंने कहा था न.. तुम हो ना सेक्सी!
उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं और इसी बात का फायदा उठा कर मैं दीदी को किस करने लगा. अब वो भी साथ देने लगी. किस करते करते एक अपना हाथ उसकी चुत पर ले गया और उसे दबाने लगा.
वो सिसकार उठी- आह आह.. भाई मजा ले रहे हो.. मैंने कहा- क्या तुमको मजा नहीं आ रहा है?
उसने भी बेआवाज हामी भरी और हम दोनों में चूमाचाटी अपने शिखर पर चढ़ने लगी.
आपको हम सगे भाई बहन की चुदाई की कहानी पढ़कर मजा आ रहा है ना? तो प्लीज़ मुझे ईमेल करें. [email protected] कहानी जारी है.
कहानी का अगला भाग: दीदी का नंगा बदन देख जागी मेरी कामुकता-2
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