This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
रात का खाना खा कर जब मैं सोने के लिए बिस्तर पर लेटा तब पापा फ़ोन पर किसी से बात कर रहे थे और उनकी बातों एवं चेहरे के हावभाव से मुझे अंदेशा हुआ कि वे ऋतु आंटी के साथ रात का कार्यक्रम तय कर रहे थे। मैं इस अवसर को गंवाना नहीं चाहता था इसलिए लैपटॉप को चालू करने उपरान्त उस पर आंटी के घर लगे तीसरे कैमरे को भी चालू कर दिया। उसके बाद मैं बिस्तर पर सोने की मुद्रा में आँखें बंद करके लेट गया लेकिन कान बाहर के दरवाज़े की आहट सुनने के लिए सजग थे।
उस रात भी पापा साढ़े दस बजे दबे पाँव बाहर निकले और दरवाज़ा बंद होते ही मैं लैपटॉप में सीढ़ियों में लगे कैमरे की रिकॉर्डिंग चालू कर के देखने लगा। पापा ने धीरे धीरे सीढ़ियाँ उतर कर ऋतु आंटी के दरवाज़े पर दस्तक दी और दो क्षण में वह खुला और आंटी ने पापा को गले लगा कर चूमा और खींचते हुए घर के अंदर ले गयी। उन दोनों के घर के अंदर जाते ही मैंने तुरंत आंटी के बेडरूम वाले कैमरे को रिकॉर्डिंग चालू करके लैपटॉप की स्क्रीन पर देखने लगा। कुछ देर के बाद ऋतु आंटी के साथ पापा ने बेडरूम में प्रवेश किया और बिस्तर पर बैठ गए तब मैंने कैमरे को थोड़ा सा घुमा सही किया ताकि वहां का नज़ारा साफ़ दिखे।
बिस्तर पर बैठते ही ऋतु आंटी ने पापा की गर्दन में अपनी बांहों की माला डाल कर उन्हें अपनी ओर खींचा और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगी। पापा ने भी उन्हें अपने आगोश में ले कर उनका साथ देने लगे तथा दस मिनट तक चुम्बनों का दौर चलता रहा। जब ऋतु आंटी की सांस फूलने लगी और वह पापा से अलग हुई तब पापा ने पूछा- तुम्हारे पति कितने बजे गए थे? ऋतु आंटी बोली- वे साढ़े आठ बजे चले गए थे।
पापा ने पूछा- तो तुम तब से अब तक क्या करती रही? ऋतु आंटी ने उत्तर दिया- मैं सफाई कर रही थी। पापा बोले- कैसी सफाई, घर तो अभी भी गंदा दिख रहा है। ऋतु आंटी बोली- घर की नहीं, तुम्हारी पसंदीदा जगह की। पापा ने तुरंत कहा- तो दिखाओ वह जगह?
ऋतु आंटी ने कहा- इतने भी उतावले मत हो, जब समय आएगा तब दिखा दूंगी। अभी तो तुम मेरी योनि में हो रही जलन को बुझाने के लिए जल्दी से मुझे उत्तेजित करो। पापा ने उनकी नाइटी को ऊपर करने की चेष्टा करते हुए कहा- अरे, जब तक तुम इसे नहीं उतारोगी, तब तक मैं तुम्हें कैसे उत्तेजित कर सकूँगा?
ऋतु आंटी ने तुरंत अपनी नाइटी के ऊपर के चार बटन खोले और उसमें से अपनी बाजूं बाहर निकाल कर उसे कमर तक नीचे सकारते हुए अपने दोनों उरोज को पापा के समक्ष करते हुए कहा- यह लो मुझे उत्तेजित करने का सामान। अब जल्दी से काम पर लग जाओ।
पापा आगे झुक कर आंटी के एक उरोज की चूचुक को मुंह में ले कर चूसने लगी और दूसरे उरोज को अपने हाथ से मसलने लगे। दो मिनट के बाद उन्होंने दूसरे उरोज को मुंह में ले लिया और पहले वाले उरोज को एक हाथ से मसलने लगे तथा दूसरे हाथ को उनकी नाइटी में डालने लगे।
आंटी ने पापा की मंशा को भांपते हुए तुरंत उनके हाथ को नाइटी से अलग कर दिया और अपने हाथ से नाइटी के ऊपर से खुद ही अपनी योनि को सहलाने लगी। लगभग पाँच मिनट के बाद आंटी ऊँचे स्वर में सिसकारियाँ लेने लगी तथा योनि के ऊपर रखा हाथ से उसे बहुत ही तेज़ी से सहलाने लगा।
दो मिनट के बाद आंटी के शरीर में जब थोड़ी कंपकंपी हुई तब उन्होंने थोड़ा ऊँचा हो कर अपनी नाइटी को कमर और नितम्बों से नीचे सरका कर उतार दी और पूर्ण नग्न हो कर लेटते हुए पापा से कहा- आओ मेरे राजा, जल्दी से अपना लिंग मेरे मुंह में दे दो और तुम भी बिल्कुल साफ़ करी हुई अपनी पसंदीदा जगह को चाट लो।
यह सुनते ही पापा ने झटपट से अपने सभी कपड़े उतार कर नग्न हुए और अपने लिंग को ऋतु आंटी के मुंह में दे कर 69 की मुद्रा में लेट कर उनकी बाल रहित चमकती हुई योनि को चाटने लगे। कुछ घंटों पहले आंटी के जघन-स्थल पर उगे बालों से ढकी हुई जो योनि थी वह अब मुझे बिल्कुल साफ़ और चमकते हुए जघन-स्थल के बीच में से बाहर झांकती हुई दिख रही थी। पापा जिस योनि को अपनी जीभ से चाट रहे थे उसकी सुन्दर बनावट को देख कर मेरे मन में भी उसे पाने की चाहत के अंकुर फूटे लेकिन उस समय वह मेरी प्राथमिकता नहीं होने के कारण मैंने अपना ध्यान कैमरे की रिकॉर्डिंग ओर ही केंद्रित रखा।
दस मिनट की पारस्परिक लिंग चुसाई एवं योनि चटाई के बाद जब दोनों अलग हुए तब पापा ने बिस्तर पर सीधी लेटी आंटी की टांगों को चौड़ा करके अपने हाथ से उनकी गुलाबी रंग की योनि का मुंह खोला और अपना छह इंच लम्बा एवं दो इंच मोटा लिंग को उसमें डाल दिया। ऋतु आंटी इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि इससे पहले की लिंग को योनि में डालने के बाद पापा धक्का लगा कर उसे अंदर बाहर करते वह खुद ही नीचे से उछल उछल कर वह काम करने लगी। कुछ ही क्षणों के बाद पापा भी धक्के लगाने लगे और जल्द ही कमरे में ऋतु आंटी की योनि में से फच फच का स्वर गूँजने लगा। लगभग पाँच मिनट के बाद ऋतु आंटी के मुंह से तेज़ सिसकारियाँ निकलने लगी और देखते ही देखते जब उनका शरीर अकड़ने लगा तब वह पापा से चिपक गयी जिस कारण पापा को रुकना पड़ा।
जैसे ही आंटी की पकड़ ढीली हुई पापा ने बहुत तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए और आंटी की सिसकियों एवं सीत्कारों की परवाह किये बिना उनके कामोन्माद की स्थिति में पहुँच कर निढाल होने तक लगाते ही रहे।
उसके बाद अगले पाँच मिनट तक पापा धीरे धीरे संसर्ग करते रहे और जब आंटी दोबारा से उछलने एवं ऊँचे स्वर में सिसकारियाँ भरने लगी तब वह फिर से तेज़ धक्के लगाने लगे। दोनों दो मिनट का तेज़ संसर्ग करते हुए जब आंटी ने एक बहुत तेज़ सीत्कार भरी और अपनी दोनों टांगों के बीच में पापा को दबोचा तब पापा ने भी ऊँचे स्वर में हुंकार भरी और चार पाँच झटकों में अपना सारा वीर्य आंटी की योनि में स्खलित कर दिया।
एक घंटे के संसर्ग में से पन्द्रह बीस मिनट तक लगातार धक्के मारते रहने के कारण पापा थक चुके थे इसलिए वह अपने लिंग को आंटी की योनि से निकाले बिना उनके ऊपर ही लेट गए। अगले लगभग पच्चीस मिनट तक दोनों बिना कोई हरकत किये एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे और उसके बाद जैसे ही पापा हिले उनका सिकुड़ा हुआ लिंग आंटी की योनि से बाहर आ गया। लिंग के योनि से बाहर आते ही उसमें से दोनों का मिश्रित रस बाहर बहने लगा तब आंटी फुर्ती से उठी और अपनी योनि को हाथ से दबा कर बाथरूम की ओर भागी।
पापा भी उनके पीछे पीछे बाथरूम में चले गए और पाँच छह मिनट के बाद दोनों ने वापिस बेडरूम में आ कर कपड़े पहन लिए। कुछ देर तक एक दूसरे के साथ चिपककर खड़े रहने के बाद पापा ने आंटी के होंठों को चूमा और बेडरूम से बाहर निकल गए। मैंने तुरंत सीढ़ियों के कैमरे की रिकॉर्डिंग को लैपटॉप के पटल पर देखना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में आंटी के घर का दरवाज़ा खुला और उसमें से पापा एवं आंटी बाहर आये तथा कुछ देर तक दोनों ने कोई बात करी और फिर आंटी ने पापा के होंठों को चूमा। इसके बाद जब पापा सीढ़ियां चढ़ने लगे तब मैंने फटाफट लैपटॉप बंद किया और अपने बिस्तर पर आँखें मूंद कर लेट गया तथा कुछ ही देर में ही मुझे नींद आ गयी।
अगले दिन सुबह मेरे कॉलेज की छुट्टी थी इसलिए मैं देर तक सोता रहा और जब पापा ऑफिस जाने लगे तब उन्होंने मुझे जगाया। पापा के जाने के बाद मैंने नहा धो कर नाश्ता किया और लैपटॉप पर रात की रिकॉर्डिंग को फिर से देखा तथा आगे की कार्यवाही पर विचार करने लगा। दो विकल्पों में से पहले के बारे में सोचा कि अगर मैं पापा से बात करूँगा और वह मेरी बात नहीं माने तथा उन्होंने आंटी को भी सचेत कर दिया तो बात बिगड़ जाएगी। उनको आंटी के घर पर मेरे द्वारा लगाये गए कैमरे के बारे में भी सब पता चल जायेगा तथा वह मेरे द्वारा एकत्रित किये गए सभी प्रमाण भी नष्ट कर देंगे। इसलिये मैंने दूसरे विकल्प के बारे में सीधा आंटी से बात करने की सोची क्योंकि उन्हें बात फ़ैलने से होने वाली बदनामी के डर दिखा कर भी बात मनवाई जा सकती थी।
उसके बाद मैंने तुरंत लैपटॉप में से पिछले कुछ दिनों की सभी वीडियो को गूगल ड्राइव पर तथा अपने मोबाइल में सहेज ली और कमर कस के नीचे की मंजिल की ओर चल पड़ा। ऋतु आंटी के घर के बाहर पहुँच कर मैंने दरवाज़ा खटखटा कर खुलने की प्रतीक्षा करने लगा लेकिन जब दो मिनट तक वह नहीं खुला तो दोबारा खटखटाया। दूसरी बार खटखटाने के कुछ ही क्षणों में दरवाज़ा खुला और सामने सिर के गीले बालों पर तौलिया बांधे और गीले बदन पर चिपकी नाइटी में ऋतु आंटी सामने खड़ी थी।
उन्हें देख कर लगता था कि जब मैंने पहली बार दरवाज़ा खटखटाया था तब वह नहा रही थी और दूसरी बार खटखटाने पर वह गीले बदन को नाइटी में ढक कर वह उसे खोलने के लिए आ गयी थी। मुझे देखते ही वह बोली- अरे अनु तुम हो, आओ अन्दर आ जाओ। क्या हुआ कोई ज़रूरी काम आन पड़ा है या फिर तुम कहीं बाहर जा रहे हो?
मैंने घर में घुसते हुए बैठक में खड़े हो कर कहा- नहीं आंटी, ऐसा कुछ भी नहीं है। बस आप से एक बहुत ही आवश्यक मसले पर परामर्श करना था। क्योंकि ज़्यादातर आप इस समय पर खाली ही होती है इसलिए मैंने आपका दरवाज़ा खटखटा दिया। लगता है की मैंने आपके नहाने में खलल डाला है। अगर आप के पास अभी समय नहीं है या मैंने आपको असमय परेशान किया है तो मैं क्षमा चाहता हूँ। आप के पास जब भी खाली समय होगा वह बता दीजिये मैं तब आ जाऊंगा।
मेरी बात सुन कर आंटी बोली- अनु, तुमने तो कभी परेशान किया ही नहीं है, हमेशा मेरी सहायता ही करी है। तुम तो अधिकतर मेरा दरवाज़ा तभी खटखटाते हो जब बाहर जाते समय अपने घर की चाभी देनी होती है या फिर कोई ज़रूरी संदेशा देना होता है। फिर मुझे सोफे पर बिठा कर पानी देते हुए उन्होंने कहा- हाँ, जब तुमने दरवाज़ा खटखटाया था तब मैं स्नान कर रही थी और मुझे बीच में से ही उठ कर दरवाज़ा खोलने आना पड़ा। तुम थोड़ी देर के लिए यहाँ बैठो तब तक मैं स्नान पूरा करके आती हूँ और फिर हम आराम से बात करेंगे।
मैंने अपना सिर हिलाते हुए सोफे पर बैठ गया और आंटी नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम में चली गयी। वहाँ बैठे बैठे मेरे मन में आंटी के कमरे में रखे कैमरे को अपने साथ वापिस ले जाने का सोचा लेकिन यह जानने के लिए अगर रात को पापा आंटी के घर आये तो वह उनसे क्या कहती है मैंने ऐसा करने का विचार त्याग दिया।
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000