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मेरा नाम श्याम है, मैं पुणे का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 27 साल है.. लंबाई 6 फिट है. मेरी बॉडी एक पहलवान की तरह है. मैंने पुणे में पढ़ाई खत्म की, अब तक इधर मैं दोस्तों के साथ रहता था. उसके बाद जब मेरी जॉब लगी, तब मैं अकेले रूम लेकर रहने की सोची.
अब मैं अपने एक दोस्त को लेकर रूम ढूंढने निकला. एक गली में मुझे एक बोर्ड दिखाई दिया, उस पर लिखा था कि रूम भाड़े से देना है और नीचे कॉन्टैक्ट नंबर दिया हुआ था.
मैंने उस नंबर पर फोन किया तो उधर से एक औरत की मस्त आवाज आई- हैलो जी, कौन बोल रहा है? मैंने बताया कि मैंने आपका एक बोर्ड देखा है, जिसमें रूम भाड़े से देना है.. लिखा था. उन्होंने हां बोला तो मैंने उनसे कहा कि मुझे रूम किराये पर लेना है, क्या आप मुझे रूम दिखा सकती हैं?
वो बोली- आप रूम देखने कब आओगे? मैंने कहा- मैं तो बाहर ही खडा हूँ. वो बोली- ओह… ठीक है, आती हूँ.. रूको.
थोड़ी देर के बाद एक औरत घर से बाहर आई और बोली- जी आपने ही अभी फोन किया था?
मैंने हां में सिर्फ सिर हिलाया क्योंकि मैं उन्हें देखता ही रह गया. वो आंटी बहुत खूबसूरत थीं और उन्होंने इस वक्त बाल खुले छोड़े हुए थे. उसके बाद उन्होंने बैठने को बोला. बाद में वो रूम दिखाने के लिए लेकर गईं.
रूम तीसरे माले पे था. मैं उनके पीछे चल रहा था. क्या मस्त लग रही थी आंटी पीछे से. उनकी मटकते हुई गांड देखता ही रह गया.
उन्होंने रूम खोला और रूम दिखाने लगी. मैंने रूम देखने के बाद उन्हें बता दिया कि मुझे रूम पसंद आया है. मैं रहने कब से आ सकता हूँ? तो उन्होंने बताया- कल से रहने आ सकते हो.
मैंने रूम के किराये के एडवांस पैसे दिए और चला आया. वापस आने के बाद मैं उनके बारे में सोचता रहा कि मालकिन कितनी सेक्सी है. मैंने उस रात उनके नाम की मुठ भी मारी.
दूसरे दिन मैं अपना सारा सामान लेकर रूम पर गया. तब मालकिन आंटी मेरे साथ रूम पर आईं और उन्होंने सब बताया कि ये नल से पीने का पानी आता है और दूसरे से इस्तेमाल करने का है.
जब ये सब आंटी बता रही थीं, तब वो थोड़ी सी झुकी हुई थीं, तो मैं पीछे से उनकी गांड देख रहा था. इस वक्त उनकी साड़ी थोड़ी बाजू में हो गईं थी, तो उनकी ग़ोरी सी पीठ दिख रही थी और सफेद ब्रा भी दिख रही थी. उसके बाद वो अपनी गांड मटकाते हुए चली गईं.. मैं बस उनकी ठुमकती गांड में खो सा गया.
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए. मैं आंटी को जब तब छिप कर देखने का प्रयास करता रहता. हालांकि मेरी भी गांड फट रही थी कि कहीं कुछ कर दिया और बवाल हो गया तो इज्जत की माँ चुद जाएगी.. इसलिए बस उन्हें याद करके लंड हिला लेता था.
एक दिन मेरे कमरे में पीने का पानी नहीं आया था और मेरे पास भी पीने का पानी खत्म हो गया था. मैं मालकिन आंटी के पास पीने का पानी लेने गया, तब आंटी के घर पर शायद कोई नहीं था. मैं सीधे घर के हॉल में आ गया और आवाज लगाई- आंटी कहां हो?
किसी ने आवाज नहीं दी तो मैं अन्दर चला गया तो देखा आंटी नहाकर अभी आई थीं और बेडरूम में कपड़े बदल रही थीं. मैं तो देखता ही रह गया आंटी सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थीं. मैंने थोड़ा सा खांसा तो आंटी ने पीछे मुड़ कर देखा और बोला- तुम यहाँ कैसे?
जब वो मेरी तरफ घूमी थीं तो मैं उनके उभारों को देखता ही रह गया. क्या गोरे थे उनके चूचे और काले रंग की ब्रा में आंटी बहुत सेक्सी लग रही थीं. उन्होंने मुझे देखा और अपने कपड़ों को ठीक किया लेकिन मुझसे कुछ नहीं कहा. मुझे उनकी हालत देख कर लग रहा था मानो वे किसी गहरी सोच में हों.
मैं अब तक बाहर हॉल में आकर सोफे पर बैठ चुका था.
एक मिनट बाद जब आंटी बाहर आईं तब मैंने ध्यान से देखा कि वास्तव में आंटी कुछ परेशानी में दिख रही थीं. मैंने पूछा- कुछ परेशान सी लग रही हो आप? तो उन्होंने बुझी सी आवाज में बोला- तुम नहीं समझोगे. मैंने उन्हें सोफे पर बिठाया और बोला- मुझे भी बताओ कुछ.. क्या परेशानी है? क्या मैं आपके कुछ काम आ सकता हूँ?
आंटी पहले तो गुमसुम रहीं. फिर जब मैंने उनसे जोर देकर और अपनापन दिखाते हुए कुछ बताने पर जोर दिया. तब उन्होंने बताया कि ये उनकी दूसरी शादी है और उनके पति उन्हें ज्यादा वक्त नहीं देते हैं. उनकी बातों से मालूम हुआ कि उनके पति दिन में काम पर जाते थे.
फिर मैंने दिलासा देते हुए उन्हें कहा कि मैं हूँ ना.. आपको जब भी अकेलापन महसूस हो तो आप मुझसे बातें कर सकती हो. अकेले में मैं भी बोर हो जाता हूं.
फिर हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. कुछ ही दिनों में हम दोनों हर मुद्दे पर बेबाक बोलने लगे. उन्होंने अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बताया. उनके पति उनको रात में हाथ तक नहीं लगाते थे.
एक दिन मैं दोपहर में गर्मी होने के कारण रूम में अंडरगारमेंट्स में घूम रहा था. तभी रूम का दरवाजा बजा तो मुझे याद ही नहीं रहा कि मैंने पूरे कपड़े नहीं पहने हैं.
मैं वैसे ही दरवाजा खोलने चला गया. जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा आंटी सामने खड़ी थीं. पर मैंने उन्हें देखा तो वो थोड़ा सा हंस रही थीं. तब मुझे ध्यान आया कि मैं सिर्फ अंडरगारमेंट्स में हूँ.
मैंने अपने लंड पर हाथ रखते हुए बोला- आओ आंटी अन्दर आ जाओ.. क्या काम था, मुझे बुला लेतीं. तो वो बोली- मैं रूम का भाड़ा लेने आई थी. पर तुम तो बड़े ही अच्छे अंदाज में स्वागत करते हो.
में थोड़ा सा शर्मा गया और वो मस्त हंस रही थीं. मैं समझ गया कि आंटी कुछ मूड में दिख रही हैं. मैं सीधे आंटी के पास जाकर बैठ गया और बोला- आंटी, मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ. मैं उनकी आंखों में देखने लगा, वो भी कुछ नहीं बोल रही थीं. सिर्फ मेरे लंड को देखते ही जा रही थीं.
तभी मैंने अपने होंठ उनके होंठों पे रख दिए. वो भी किस करने में मेरा पूरा साथ देने लगीं. मैंने अपना एक हाथ उनके उभरे हुए उभारों पे रख दिया और मसलने लगा. वो इस कारण थोड़ी मचलने लग गईं.
हमारा किस करने का सिलसिला करीब 15 मिनट चला, उसके बाद मैं उन्हें गर्दन पर चूमने लगा. आंटी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए कामुक सिसकारियां भरने लगीं. मैंने तुरंत उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनके उभारों को ब्लाउज के ऊपर से ही चूसने लगा. उनकी आँखें बंद थीं और वो जोर जोर से सिसकारी भर रही थीं- आ आ आ आ ऐसे ही चूसो.. बहुत महीनों से ऐसा सुख नहीं पाया है.
मैं भी गरम हो चुका था. मैंने भी किस करते करते उनके पेट पर किस किया तो वो और ज्यादा मचल गईं.
फिर मैंने उनकी साड़ी खोली.. फिर उन्हें वासना से देखते हुए उनका ब्लाउज़ खोला और देर न करते हुए ब्रा भी उतार दी. जैसे ही उनकी ब्रा उतारी, उनके कबूतर मेरे सामने आ गए. मैं उन पर टूट पड़ा.. और चूसने दबाने लगा.
उनके कबूतर क्या मुलायम और गोरे थे. उनके उभारों को एक हाथ से दबा रहा था और एक हाथ से लहंगे को नीचे उतार रहा था. उसके बाद मैंने दोनों हाथों से जोर लगा कर लहंगा उतार फेंका. आह.. मैं देखता ही रह गया. आंटी सिर्फ पेंटी में क्या सेक्सी माल लग रही थीं.
मैंने उनकी पेंटी भी उतार फेंकी. अब मेरे सामने थी उनकी चिकनी चूत.. आह.. क्या मस्त चूत थी आंटी की.. मस्त साफ़ की हुई चुत थी. मैं तो आंटी की चूत पर एकदम से टूट पड़ा. मैंने उन्हें लिटा दिया और अपने मुँह से आंटी की चुत चाटने लगा. वो भी पैर फैलाते हुए ज़ोर ज़ोर से सिसकारी भरने लगीं- आह ओह.. उई आह और जोर से आह आह..
आंटी मेरे सिर को अपने हाथों से चूत पर दबाने लगीं. दस मिनट बाद वो झड़ गईं. अब मेरी भी हालत खराब हो गई थी. मैंने भी अपना लंड उनके मुँह में देने लगा तो वो मेरा लंड देख कर बोलीं- अरे बाप रे इतना बड़ा है तुम्हारा लंड! मैं उनसे बोला- हां चूसो आंटी इसको.. कब से आपके लिए तड़फ रहा है. आंटी आँख मार कर बोलीं- कब से तड़फ रहा है? मैंने कहा- उसी दिन से आंटी, जब से आपके पास कमरे को लेने के लिए बात करने आया था. उसी दिन दो बार हाथ से लंड हिला कर रस निकालना पड़ा था.
आंटी हंस दीं और बोलीं- सच में उसी दिन मैंने भी सोच लिया था कि तेरे लंड से ही अपनी चुत की खुजली मिटवाऊंगी. मैंने आंटी के निप्पल मसलते हुए कहा- हाँ आंटी, मेरी गांड फट जाती थी कि कहीं आप नाराज न हो जाओ. आंटी- हां तूने बहुत देर कर दी.. मैं भी देखती रहती थी कि तू मुझे देख कर बस अपना लंड सहला कर रह जाता था. मैं कहा- आंटी अब देर न करो लंड आपके मुँह में जाने के लिए मचल रहा है.
आंटी ने भी जल्दी से लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. मैं भी आंखें बंद करके लंड चुसाई का मजा ले रहा था. आंटी क्या मस्त लंड चूस रही थीं. आंटी लंड चूसते हुए मेरी गोटियों को भी सहला रही थीं, जिससे मुझे आंटी की चुत चुदाई की मचने लगी.
उधर आंटी भी सिसिया कर कहने लगीं- अब देर न कर.. बस जल्दी से लंड को मेरी चूत में पेल दे.. मेरी आग बुझा दे. मैंने भी देर न करते हुए लंड उनके मुँह से निकाला और चूत पर रगड़ने लगा. वो चिल्लाने लगीं- आह.. तड़पाओ मत जल्दी चूत में डालो लंड को. मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ, जल्दी चोदो मुझे.
मैंने फिर लंड का सुपारा चूत पर रखा और एक जोर का धक्का दे मारा.. मेरा आधा लंड चुत के अन्दर चला गया. आंटी इतनी बार चुदी होने के बाद भी जोर से चिल्लाईं- उई ममाँ मर गई रे..
उनको थोड़ा बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उनकी बहुत महीनों से ऐसी चुदाई नहीं हुई थी. मैं थोड़ा रूक गया और उन्हें किस करने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने अपना आधा लंड भी अन्दर डाल दिया. वो अब मजे ले रही थीं और आंटी के मुँह से चुदास की मस्ती में आवाजें निकल रही थीं- आह चोद मुझे और जोर से चोद.. मैं आज से तेरी हो गई जानू.
थोड़ी देर के बाद आंटी फिर से झड़ गईं. अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने पूछा- माल कहां निकालूँ? उन्होंने बोला- अन्दर ही निकाल दो. फिर मैं भी दस धक्के लगा कर आंटी की चुत में ही झड़ गया. इसके बाद हम दोनों ऐसे ही बेड पे पड़े रहे.
उस दिन हमने और 2 बार चुदाई की, आज उनके मुँह पर बहुत खुशी थी. उन्होंने बोला- ऐसा सुख मुझे आज तक नहीं मिला था.
फिर हम साथ में नहाने गए. नहाने के बाद आंटी ने कपड़े पहन लिए.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता था, तब हम दोनों सेक्स कर लिया करते थे. उसके बाद उसने अपनी और दो सहेलियों को मेरे से सेक्स करवाया. आपको मेरी कहानी कैसे लगी जरूर बताना. जरूर मेल करना. [email protected]
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