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मेरे जूनियर की बीवी अलका रानी आँखें मींचे चुपचाप पड़ी थी और अभी अभी हुई विस्फोटक चोदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी. हम दोनों पसीने में लथ पथ हो गए थे.
थोड़ी देर आराम करने के बाद मेरे दिल में अलका रानी के शरीर का स्वाद चखने की तीव्र इच्छा जाग उठी. मैं तुरंत उठा और रानी के पांवों के पास जाकर नीचे फर्श पर बैठ गया. अलका रानी के पैर कितने सुन्दर हैं ये फिर से बताने की आवश्यकता नहीं है. पहले दोनों पांवों को एक कुत्ते की तरह सुड़क सुड़क करते हुए सूंघा. आह! यारों उसके पैरों की नेचुरल सुगंध से मेरे नथुने भर गए. वाहः क्या बात है!
चुदास बिना देरी किये सातवें आसमान में पहुँच गयी. मैंने सूंघ सूंघ के तलवों से चाटने की शुरुआत की. पंजा सहलाते सहलाते मैं तलवे पर भूखे कुत्ते जैसे जीभ फिराने लगा. तलवे बेहद चिकने और मुलायम थे. मैंने अंगूठे और उँगलियों के नीचे तलवों पर जो उभार होते है उन्हें बारी बारी से मुंह में लेकर चूसा. रानी मज़े में बिलबिलाने लगी थी. तलवे चाट के मैंने अलका रानी की एड़ियां चूसीं. रानी का बदन फड़फड़ाने लगा था. कम्पन की एक लहर हर थोड़ी थोड़ी देर में उसके शरीर में कौंध जाती.
फिर नंबर आया उन नशीले पैरों की उंगलियां और अंगूठे चूसने का. बड़ा मज़ा लेते हुए और चटखारे भरते हुए मैंने चूस चूस के मज़ा लूटा. रानी तो इतनी देर में बेहाल हो चली थी. उसकी सांसें तेज़ और बदन गर्म हो गया था. बदन अब बार बार झुरझुरी ले रहा था. जैसे ही मैंने उँगलियों के बीच के भाग पर जीभ से टुकुर टुकुर की तो अलका रानी के सब्र का बांध टूट गया. नितम्ब उछालकर बड़े ज़ोर से रानी झड़ी.
“आह… हाय राजा क्या करते हो? तुम बहुत सताते हो. ऐसे जीभ का कमाल दिखते हो तो पता नहीं क्यों मेरे बदन में बिजली दौड़ने लगती है. पूरा बदन ऐंठ जाता है. ऐसा क्यों होता है… बताओ ना राजे.” “ये निशानी है कि तुझे वासना ने जकड़ लिया है… अब जब तक तेरी जम कर बार बार चुदाई नहीं होगी, ये अकड़न और ये गरमा गरम बिजली यूं ही तुझे दुखाती करती रहेगी. लेकिन पहले तू अपना बदन अच्छे से चटवा मादरचोद वेश्या.” मैंने रानी को चाटने की गति तेज़ कर दी. मैं जान गया था कि पूरा बदन मैं चाटूँ उसके काफी पहले यह रांड लौड़ा चूत में घुसेड़ने के लिए शोर मचाने लगेगी.
रानी ऐसे छटपटाने लगी जैसे मछली बिना जल के तड़फती है. जब मैंने उसकी नाभि में जीभ घुसा के भीतर घुमाई तो रानी ने मेरे बाल जकड़ के मेरा सिर ऊपर को खींचा और मेरे मुंह को चूचियों पर लगा दिया. उसने मेरे बाल कस के पकड़ लिये थे और वहशियों की तरह वो मेरा मुंह अपने चूचुकों में ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे कि मेरा मुंह चूचियों में घुसेड़ देना चाहती हो. अब उसे चुदने की गहरी इच्छा बावला बनाये जा रही थी.
मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली. चूत पूरी तरह रस से सराबोर थी. उंगली घुसते ही वो एकदम से कंपकंपा उठी और हाय हाय करने लगी.
मैंने करवट लेकर रानी को पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया. तुरंत उसने अपनी टांगें फैला लीं. एक तकिया मैंने उसकी गांड के नीचे टिका दिया और पहले उसकी प्रदेश पे हाथ फेरा. झांट प्रदेश एकदम सफाचट था. शायद आज ही उनको साफ़ किया था. ताज़ा ताज़ा चिकना चिकना लग रहा था.
इतनी देर की मस्ती से लौड़ा तो लोहे की रॉड सरीखा हो गया था. हरामी मेरे पेट को सुपारी से टक्कर मारने की कोशिश में था.
लंड चूत के मुहाने पे जमा के मैंने एक ज़ोर का धक्का दिया. लौड़ा फ़ुनफ़ुनाता हुआ चूत में घुस गया. चूत क्योंकि बहुत रसा रही थी, इसलिये लंड घुसने में बिल्कुल भी दिक्कत न हुई. चूत में रस की अधिकता से खूब पिच पिच मच गई जबकि लंड को तो बड़ा मज़ा आया गरम गरम चूत रस की बौछार में भीग के.
इतना कह कर मैंने दोनों हाथों से रानी के उरोज पकड़ लिये और उन्हें भींचे भींचे ही धक्के पे धक्का लगाने लगा. धक्के के साथ साथ चूचुक मर्दन भी खूब ज़ोरों से हो रहा था. दोनों मज़े के सागर में डूबे हुए थे. कुछ देर तक इसी प्रकार धक्के लगाने के बाद मैंने लंड बाहर निकला अलका रानी को पलट के पेट के बल कर दिया. उसके चूतड़ ऊपर उठाये और पलक झपकते ही धम्म से लंड को पीछे से चूत में पेल दिया.
फिर मैंने राजधानी एक्सप्रेस की रफ़्तार से जो धक्के ठोके तो रानी की सिसकारियाँ बंध गई. हर करारे शॉट पर रानी के मुंह से ‘हैं’ की आवाज़ निकलती. मैं लंड को पूरा बाहर खींचता फिर सटाक से फिर से एक लम्बे ताकतवर धक्के के साथ ठूंस देता. लौंडे की अलका रानी की बच्चे दानी पर दबादब ठोकरें लग रही थीं. मैं कल्पना कर रहा था कि इन ज़बरदस्त झटकों से रानी के चूचे किस प्रकार से नाच रहे होंगे. हम दोनों की साँसें बेहद तेज़ हो चली थीं. जल्दी ही चरम सीमा के पार हो जायँगे हम दोनों काम वासना के शिकार.
तभी रानी ने हकलाते हुए कहा- राजे, प्लीज़ मैं थक गयी हूँ. तेरे नीचे दब के चुदना चाहती हूँ… मादरचोद आजा ऊपर… कुचल दे मुझको अपने बदन से… जल्दी प्लीज़ज़्ज़… बस अब ज़्यादे देर नहीं बची. मैंने तुरंत रानी को उठा कर पलटाया जिससे उसके मुंह मेरी तरफ हो गया, और फिर धड़ाम से लंड चूत में दिए दिए दीवान पर लेट गया. वो नीचे थी और मैं उसकी इच्छा के मुताबिक ऊपर. अलका रानी को लिपटा लिया, उसने भी टाँगें कस के मेरी टांगों में लपेट लीं. फिर रानी के शरीर को रगड़ रगड़ के मैंने चोदना शुरू किया.
धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… .
मेरे टट्टों में भारीपन महसूस होने लगा था. मुझे पता चल गया कि अब मैं स्खलित होने के बहुत करीब हूँ. रानी तो बार बार चरम आनंद को प्राप्त हो रही. तभी एक बिजली का करंट जैसा मेरे टट्टों में लगा, मैंने एक सुपर पावरफुल शॉट ठोका और एक विस्फोट के साथ मैं अलका रानी अलका रानी की चीख मारता हुआ झड़ गया. रानी भी उसी क्षण राजे राजे राजे की पुकार लगाती लगाती स्खलित हो गयी.
मैं और अलका रानी निर्जीव से पड़े थे. इतनी लम्बी लम्बी दो दो चुदाई की वर्ज़िश के बाद सांसों को काबू करने में लगे थे. हमारे शरीर पसीने में लथपथ हो गए थे. 10-15 मिनट के बाद मैं उठा और अलका रानी की चूत प्रदेश को छू के देखा. चूत, झांटों वाला स्थान और काफी गहराई तक जांघें उसके चूत रस व मेरी मलाई के मिले जुले माल से सनी हुई थीं. मैंने झुक के चाट के सफाई करने के लिए जैसे ही मुंह चूत से लगाया तो रानी ने मुझे रोक दिया.
“राजे मादरचोद ये मेरा है… पहले तेरा लंड साफ करूंगी… फिर तू उंगली से समेट समेट के ये सारा मसाला मेरे मुंह में दे… इस पर तेरा कोई हक़ नहीं है कमीने.” मैंने कहा- ओके अलका रानी जी, जैसी मैडम की आज्ञा.
अलका रानी भी उठ गयी और मेरे लंड को बड़े प्यार से चाट के साफ करने लगी. थोड़ी देर में लंड खड़ा होने लगा तो एक थपकी देकर बोली- अब चुप चाप पड़ा रह कुछ देर… ज़्यादा मस्ती सूझ रही हरामज़ादे को. भोले राजा इतना ज़्यादे पकवान खाओगे तो बदहज़मी हो जायगी… मेरी लाडो तेरी ही तो अमानत है… कहीं भागी जा रही क्या… अब थोड़ा आराम कर महाबदमाश भोले राजा जी.
जब रानी लौड़ा पूरा साफ़ कर चुकी तो मैंने उंगली से जांघों का माल समेट के रानी के मुंह में उंगली दे दी. अलका रानी ने बड़ा स्वाद लेते हुए उंगली चूस ली. फिर इसी प्रकार मैंने उंगली से बाकी का भी सारा माल मत्ता इकट्ठा करके रानी को चुसवा दिया. तीन चार उंगली में सब सफाई हो गयी. फिर मैंने जीभ से चाट के सब जगह को चकाचक कर दिया.
मैंने पूछा- क्या हाल है मेरी रानी का… स्वाद आया चुदाई में? चुद जाने के बाद तू बहुत ज़्यादह खूबसूरत लग रही है. “रहने दो!” रानी बनावटी गुस्से से बोली- अब ध्यान आया है अपनी रानी का… जब मेरे स्तनों को कुचल रहे थे तब ध्यान ना आया तुमको… और मेरे भीतर जो अपना मूसला घुसेड़कर मेरे अंदर का मलीदा बना दिया तब भी ना ख्याल आया अलका रानी का… अब हाल पूछ रहे हैं.
“अच्छा सच सच बताना… तेरे चूचियाँ जब मैं मसल रहा था तो मज़ा आया था या नहीं?” मैंने पूछा. रानी ने धीमे से सिर हिला के बताया ‘हाँ मज़ा आया था!’ और शर्मा के उसने अपनी आँखें बंद कर लीं.
मैंने फिर पूछा- चुदाई में भी मज़ा आया या नहीं? उसने इतराते और शरमाते हुए कहा- ऊं हूँ… क्या पूछे जाते हो… मुझे शर्म लगती है. फिर उसने मेरा मुंह चूम लिया और मेरे कान में फुसफ़साई- हाँ राजे… बड़ा मज़ा आया. अब मेरे बदन की अकड़न भी दूर हो गयी.
उसने प्यार से फ़िर मेरा एक लम्बा सा चुंबन लिया, फिर बोली- अच्छा राजे मैं ज़रा बाथरूम जाकर आती हूँ… बड़ा प्रेशर बन रहा है चुदाइयों के बाद… यूँ गई और यूँ आयी! अलका रानी ने जैसे ही उठने का प्रयास किया मैंने उसे रोक दिया- रुको रुको मेरी जान… अभी एक ज़रूरी काम तो हुआ ही नहीं… तेरा स्वर्ण रस पीना बाकी है न… इस ग़ुलाम के होते हुए मैडम को बाथरूम जाना पड़े ये तो हो ही नहीं सकता.
इतना कह कर मैं नीचे फर्श पर बैठ गया और रानी के सेट होने का इंतज़ार करने लगा. “क्या राजे तू सचमुच स्वर्ण रस पियेगा… यार मैं तो अभी तक ये समझ रही थी कि कहानी को ज़्यादा दिलचस्प बनाने के लिए तू ऐसा लिखता है.”
“जानू… तू मेरे मुंह पर लगा न चूत को… फिर देख माँ की लौड़ी… बहनचोद कुतिया फिर कभी बाथरूम जाने का नाम न लेगी हराम की ज़नी रांड.”
“ले बहन के लंड, ले… तू खुश रह कमीने.” अलका रानी दीवान पर एकदम मेरे मुंह के सामने उकड़ूँ बैठ गयी. अब रंडी की मदहोश कर देने वाली चूत मेरे मुंह की तरफ देख रही थी. मैंने आगे को झुक कर मुंह को चूत से सटा दिया. रानी ने पहले तो 5-6 बूँदें धीरे धीरे निकालीं. मैंने बरसों के प्यासे की तरह उनको मुंह में लेकर भली भांति घुमाया और निगल लिया. तब तो रानी ने अमृत की धारा छोड़ दी. तेज़ी से अलका रानी का स्वर्ण रस मेरे मुंह में जाने लगा. मैं आनंद मग्न होकर पीता चला गया. बहुत बहुत ज़ायकेदार था रानी का रस. यारों बहन के लौडों आनंद से गांड फट गयी बहनचोद. थोड़ी देर में रानी खाली हो गई. अंत में 8-10 बूंदें झटक झटक के निकालीं और फिर माल ख़त्म.
“रानी मेरी जान मैं तुझ पर कुर्बान… .मज़ा आ गया यार अलका रानी… आह आह आह आह आह… हाय मैं मर जाऊँ.”
“मरा तो पड़ा ही है तू मेरे इश्क़ में और कितना मरेगा बहनचोद… राजे तूने आज अपनी अलका रानी का दिल जीत लिया… खरीद लिया मुझको… बस इसी तरह जीवन भर मुझे अपनी रखैल बना के रखियो.” रानी ने दोनों हाथों में मेरा चेहरा थाम के चुम्मियों की बौछार कर डाली.
तब तक रानी बहुत तक गई थी और मैं भी कुछ आराम चाहता था. हम एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर कुछ समय तक लेट कर प्यार की बातें करते रहे. न जाने कब आंख लग गई.
नींद खुली तो सुबह के 5 बजने वाले थे. मैंने सोती हुई रानी को निहारा. वो जिस स्थिति में सोई हुई थी, उसमें उसके नितम्ब और उनके बीच में छुपी उसकी गांड दीख रही थी. काफी देर तक मैं टकटकी लगाए उसकी सुन्दर गांड के छोटे से छेद को देखता रहा. लौड़े ने अपना निशाना ताड़ के उछल कूद शुरू कर दी थी.
मैंने गांड के सुराख़ पर जीभ फिरानी शुरू की ही थी कि रानी की नींद टूट गई. अलका रानी आधी नींद में कसमसाई. बाहें उठा कर अंगड़ाई ली. तब तक उसको गांड पर घूमती जीभ के गीले स्पर्श का अनुभव हो चुका था. फिर जो होना चाहिए था वही हुआ. रानी की जीवन में पहली बार गांड मारी गई. हरामज़ादी गांड मरवाते हुए भी खूब झड़ी. गांड में लौड़ा घुसाकर मैं अपनी दोनों उंगलियां आगे ले जाकर चूत की भगनासा को दबा दबा के सहला रहा था.
गांड मरने का काम पूरा होते होते सुबह के 6 बज गए. लोगों के जागने का टाइम हो चला था इसलिए मैंने झटपट कपड़े पहने और अलका रानी की 8-10 चुम्मियाँ लेकर चुपके से पिछले दरवाज़े से निकल कर अपने घर चला गया.
तो यह था बहनचोद अलका रानी को अपनी रानी बनाने का किस्सा. यह तो केवल शुरुआत थी. इसके बाद तो जब तक जूसीरानी मायके से वापिस नहीं आ गई, रोज़ रोज़ सभी रातें चुदाई में ही व्यतीत हुई. जूसी रानी के आ जाने के बाद मैंने अलका रानी को होटल में बुला कर चोदना शुरू किया. हर शनिवार को मैं जूसी रानी से बहाना बनाता की मुझे एक दिन के लिए मुंबई काम से जाना है. मैं शाम की फ्लाइट से जाता और रानी उसी दिन सुबह की फ्लाइट से चली जाती. होटल में चेक इन करके मेरा इंतज़ार करती.
एक हाउसवाइफ की चुदाई यह सिलसिला कई साल चला. फिर सत्य नारायण को इंग्लैंड में एक बहुत अच्छी जॉब मिल गई तो ये लोग वहां चले गए. एक दो बार मेरा जाना हुआ इंग्लैंड तो खूब चुदाई हुई. तीन चार महीने पहले अलका रानी भारत आयी थी, किसी शादी में, तो चार दिन चुदाई पर चुदाई करके पिछले कई वर्षों का हिसाब बराबर किया. जाते हुए अलका रानी मुझे चेतावनी दे गई कि अगली चुदाई तो उसकी कहानी लिखने के बाद ही होगी. बहुत नाराज़ थी कि उसके बाद वाली रानियों की तो कहानी लिख के छप भी गयीं लेकिन उसकी अभी तक नहीं छपी. अब यह शिकायत भी दूर कर दी मैंने अलका रानी की.
इस कहानी को मैं बेगम जान, मेरी मल्लिका ए आलिया महान महारानी अंजलि को समर्पित करता हूँ. आपका चूतनिवास [email protected]
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