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मैं अलका रानी को निहारने लगा. “आह … क्या मदमस्त जवानी थी! मन लुभावने चूचुक पर अकड़ी हुई घुंडियां तनी हुई थीं. हरामज़ादी की सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं जिससे उसके चूचुक कभी ऊपर कभी नीच होते. बड़ी सुन्दर सी नाभि. एक निपुण मूर्तिकार द्वारा घड़ी गयी किसी हसीन मूर्ति सी पतली कमर, उसके नीचे ग्रेसफुली फैलता हुआ नितम्ब तक का बदन, फिर उतना ही ग्रेसफुली टांगों तक जाता हुआ साटिन सा चिकना शरीर. सुडौल सुन्दर बाहें. उसके हाथ और पांवों की सुंदरता का बखान मैं पहले ही कर चुका हूँ. मैंने सटाक से अलका को आलिंगन में बांध लिया.
जैसे ही मैंने उसको चूमने के लिए मुंह बढ़ाया तो उसने मेरी ठुड्डी पर उंगली रख के मुझे रोक दिया और फिर मेरे दोनों गाल अपने नरम हाथों में थाम के बहुत ही धीमे स्वर में बोली- निवास अब देर न करो… जल्दी से जो करना है करो… अब रुका नहीं जा रहा… चुम्बन वग़ैरा बाद में.
मैं कौन सा और इंतज़ार करने के मूड में था, फ़ौरन ही अलका की टाँगें फैलायीं, एक कुशन उसके चूतड़ों के नीचे टिकाया और लौड़ा पकड़ के चूत के मुहाने पर सुपारी लगा दी. एक तेज़ सिसकारी लेते हुए अलका बड़े ज़ोर से छटपटाई, हाथ बढ़ा कर उसने लंड को पकड़ लिया और चूतड़ उछाल के सुपारी चूत में घुसा ली. फिर से सिसकारियों की एक धारा उसके मुख से निकली और और ऊँचे से चूतड़ उछाल के उसने लंड भीतर लीलने की चेष्टा की.
अब मैंने एक गहरी सांस भरी और हुमक के एक ज़ोरदार शॉट लगाया तो लंड पूरा जड़ तक चूत में जा घुसा. अलका ने एक किलकारी मारी और मज़े से बेहाल होकर अपना सिर इधर उधर हिलाने लगी. मैं भी बिना धक्का लगाए लंड ऐसे ही चूत में घुसाए चूत की गर्मी और चूत के गर्म गर्म चिकने जूस का आनंद उठाता रहा.
थोड़ी देर के बाद अलका ने ऑंखें खोलीं और मुस्कुरा के प्यार के मद में डूबी हुई आवाज़ में पूछा- क्यों चूत निवास महाशय… यही चाहते थे तुम? “क्यों हराम की ज़नी रांड… अब शर्म नहीं आ रही चूत निवास कहने में?” “अब शर्म करने को तुमने छोड़ा ही क्या है? नंगी पड़ी हूँ तुम्हारे नीचे… गंदे शब्द भी सीख लिए, तीन ही घंटों में तीन कहानियां पढ़ के… बताओ न यही चाहते थे न तुम? इसी के लिए पहले दिन से मेरे पीछे पड़े थे न?” मैं अलका के कान में बोला- हाँ मेरी जान… जब से तुझे देखा था, मैं तेरा दीवाना हो गया था… लेकिन तूने कितना तड़पाया मुझे. पूरे पांच महीने लगे तुझे बिस्तर पर लाने में… मैं भी पक्का चूतनिवास हूँ… हिम्मत नहीं हारी… पीछे पड़ा ही रहा. एक लम्बी सी चुम्मी ली और दोनों चूचुक को हौले से निचोड़ा- सच सच बोल… तू भी तो यही चाहती थी न रांड? बोलते बोलते मैं लम्बे मगर हल्के धक्के भी लगा रहा था.
अलका ने मेरी नाक को तर्जनी और अंगूठे से नोचते हुए हिलाया और आँखें मटका के बोली- अरे बुद्धूराम न चाहती होती तो तुम होते यहाँ मेरे अंदर डंडा घुसाए… आखिर मिला न स्वाद इतने लम्बी कवायद का… पता है जो चीज़ आसानी से हासिल हो जाए उसकी क़दर नहीं होती. मैंने हँसते हुए तीन चार थोड़े से तेज़ धक्के ठोके- बहनचोद बहुत बड़ी हरामज़ादी है तू रंडी… एक हज़ार रंडियां मरी होंगी तब तू पैदा हुई कमीनी.
इस बार अलका ने मेरे कान खींचते हुए कहा- वैसे किसी लगी सोलहवीं रानी?” मैंने जवाब में ज़ोरों से चूचे निचोड़ते हुए कहा- मदमस्त… बेहद चुदासी बदचलन रांड… तू तो मेरी जान है अलका रानी… अब से असलियत में तू अलका रानी हो गई. “हाय चूत निवास तेरे मुंह से अलका रानी सुनने के लिए तो बेताब थी तेरी सोलहवीं रानी… अब दिखा अपना कमाल… आआह तेरा न हल्का शॉट भी बहुत खतरनाक है कुत्ते… आआह… थोड़ा कुदा अपने भोले राजा को… अंदर में महसूस करना चाहती हूँ.”
मैंने आठ दस तुनके मारे तो अलका रानी ने सी सी सी करते हुए मुझे कस के बाँहों में बांध लिया. उसके नाख़ून मेरी बाँहों में घुसे जा रहे थे- राजे ले जा मुझे आसमान की सैर पर… कस कस के ठोक… मर्दन कर दे मेरे बदन का. “चिन्ता ना कर रानी, अभी सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा. मैं भी तेरे मुंह से राजे सुनने को तरस रहा था!” मैं बोला और बड़े ज़ोर से दोनों चूचुक निचोड़े और निप्पलो को कस के उमेठा.
वो सी सी करने लगी तो मैंने और ज़ोर से मम्मे निचोड़े. रानी मस्ती में चूर होकर आहें भर रही थी. उसकी कसमसाहट बढ़ती ही जा रही थी, उसके चूचुक और भी गर्म हो गए थे. अलका रानी के चूचे यूँही मसलते हुए मैंने धक्के ठोकने भी जारी रखे. मध्यम गति से लंड को अंदर बाहर कर रहा था. लौड़े को मैं टोपे तक बाहर निकालता और फिर धमाक से भीतर घुसेड़ देता. साथ ही ज़ोरों से चुचुक को मसल देता. मैंने अपने पंजे चूचियों में गाड़ दिए थे और बड़ी ताकत से मैं उनको नोच खसोट रहा था.
अलका रानी ने कामुकता भरी आवाज़ में कहा- हाय… हाय… अम्मा री… कितना लंबा और मोटा है… राजे ये लौड़ा… भीतर जाता है तो फंसा हुआ सा लगता है… मुझे नीचे अंदर में भरा भरा सा महसूस होता है! मैं बोला- हरामज़ादी रंडी, बस तू आनंद लिए जा… इधर उधर की बातें न सोच… फंसा हुआ इसलिए लगता है कि तेरी चूत अभी काफी टाइट है. कहकर मैंने सटासट कई धक्के टिकाये. चूचे का तो मर्दन अच्छे से हो ही रहा था.
कुछ समय इसी प्रकार चुदाई करने के बाद मैं अलका रानी के ऊपर लेट गया. उसके चूचुक के अकड़े निप्पल मेरी छाती में चुभने लगे. रानी ने भी मज़े लेते हुए अपने नितंब हिला के धक्के के जवाब में धक्के लगाये. मैंने फिर उसके होंठों को चूसते चूसते धक्के थोड़ा तेज़ शुरू किये.
रानी में भी वासना का आवेश बढ़ता जा रहा था, वो बड़े उत्साह से मुंह उचका उचका के अपने होंठ चुसवा रही थी. उसने अपनी बाहें कस के मेरे बदन से लिपटा ली थीं और उसने अपनी मुलायम मुलायम टांगें चौड़ा कर मेरी फैली हुई टांगों में लपेट रखी थीं. उसके पैर मेरे टखनों में फंसे हुए थे.
अलका रानी का रेशमी साटिन जैसा बदन मेरे बदन से चिपक के मेरी वासनाग्नि को अंधाधुंध भड़काए जा रहा था, मेरी सांस तेज़ हो चली थी, माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं. मैंने अलका रानी के होंठ छोड़ के उसकी तरफ देखा, वो भी अब गरम हो चली थी, उसने आधी मुंदी हुई मस्त आँखों से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा, दोनों हाथों मेरा चेहरा पकड़ा और फिर अपनी तरफ खींच के मेरे होंठ चूसने लगी. थोड़ी देर इसी प्रकार चूसने के बाद बोली- राजे… तुमने मस्त कर दिया… अब बड़ा मज़ा आ रहा है… पता है राजे ऐसी मस्त कर देने वाली चुदाई मुझे अपने पति से कभी न मिली… तू तो यार चुदाई का कलाकार है… राजे राजे राजे…
उसका सुन्दर मुखड़ा अपने मुंह से चिपका के मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये. अलका रानी ने भी बड़े मज़े ले ले के अपने होंठ चुसवाये. फिर कुछ देर के बाद मैंने मैंने खुद को थोड़ा सा नीचे को मोड़ा ताकि मेरी रानी के मम्मे मेरे मुंह के पास आ जाएं. अलका रानी के बड़े बड़े चूचुक जैसे ही मेरे मुंह के सामने आये, मेरे बदन में वासना की आग तीव्र से तीव्रतर हो उठी. मैंने बड़े ज़ोर से धमाधम्म फिच्च… फिच्च… फिच्च… की ध्वनि के साथ करारे शॉट टिकाते हुए एक चूची में दांत गाड़ दिये और दूसरी चूची को पूरी ताक़त से हाथों से एसे निचोड़ा जैसे धुलने के बाद तौलिये को निचोड़ते हैं. चूचुक वाकयी में बहुत सख्ताये हुए थे.
अलका रानी गहरी गहरी साँसें लेने लगी. बदल बदल के मैंने चूचियों को चूसना, काटना और मसलना जारी रखा. निप्पल्स को यूँ उमेठा जैसे निम्बू का रस निकालते हैं. अलका रानी अब तड़पने लगी थी. जब मैं ज़ोर से चूचे में दांत गाड़ देता तो अलका रानी की चीख निकल जाती और तब वो ज़ोरों से चूतड़ उछाल के धक्का मारने की चेष्टा करती. उस पर कामावेश बहुत तेज़ चढ़ गया था. उसके मुंह से सीत्कारें निकलने लगी थीं. उसकी आँखें अर्ध मुंदी हुई थीं और हर धक्के में जब सिर ऊपर नीचे होता तो उसके कारण रानी के बाल तितर बितर हो गए थे, माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूंदें उभर आयी थीं.
मैंने खुद को घुटनों पर टिकाया, अलका रानी के मुलायम पांव उठाकर अपने कन्धों पर जमाये और रानी की पतली कमर को थाम के ज़ोरदार धक्कों की झड़ी लगा दी. यारो… रानी के हर धक्के पर इधर उधर उछलते चूचे, रानी के बिखरे हुए बाल, उसके होंठों पर छायी हुई अनंत सुख की मुस्कान, लंड के अंदर बाहर होने पर फचाक फचाक फचाक की आवाज़ें और अलका रानी की ऊँची ऊँची आवाज़ में सिसकारियां इत्यादि सब मिल के वातावरण को अत्यधिक कामुक बना रहे थे.
रानी अब मस्तानी होकर चुदाये जा रही थी और साथ में सीत्कार भी भरती जाती थी. कामुकता के नशे में चूर होकर उसकी चूत दबादब रस छोड़े जा रही थी.
अचानक मैंने धक्कों की स्पीड कम कर दी और बहुत ही हौले हौले लंड पेलना शुरू किया. मैं लौड़ा पूरा चूत के बाहर निकलता और फिर धीरे से जड़ तक बुर के अंदर घुसेड़ देता. रानी तड़प उठी. कहने लगी- राजे… बड़ा मज़ा आ रहा है… मेरा ऐसा दिल कर रहा है कि तुम मेरा कचूमर बना दो… तुम धीरे हो जाते हो तो ये बदन काट खाने को हो जाता है… प्लीज़ राजे पूरी ताक़त से धक्के ठोको. मुझे पता नहीं क्या हो रहा है… बस जी कर रहा है कि तुम मुझे दबोच के मेरा मलीदा बना दो…
फिर उसकी आवाज़ और ऊँची हो गयी- राजे… तोड़ दो… पीस डालो… मैं दुखी आ गई इस बेईमान बदन से… हाय… हाय… .अब मसलो ना… किस बात का इंतज़ार कर रहे हो… मेरी जान निकली जा रही है.
मैंने टनाटन लौड़े को अंदर बाहर करते हुए उसकी रेशमी सी जांघों को मसलना शुरू किया, नोच नोच के हाल बेहाल कर दिया. रानी मस्त होकर चिल्ला चिल्ला रही थी- हाय… हाय… हाय… ऐसे ही राजे ऐसे ही कुचल दे मुझको… आह आह राजा राजे आह… और ज़ोर से ठोक कमीने… हाँ हाँ हाँ कुत्ते अब चूचे को चटनी बना दे मादरचोद… आह आह आह… हाँ हाँ हाँ ये ठीक है… हाँ हाँ हाँ!
मैंने दस बारह खूब तगड़े धक्के ठोके, तो वो पागल सी होकर मेरी बाँहों को नाखूनों से खुरचने लगी. हरामज़ादी ने दोनों बाँहों पर कलाई के ऊपरी भाग पर लम्बी लम्बी खरोंचें मार दीं. बुर से रस छूटे जा रहा था.
और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लंड को रोक के तुनका मारा, रानी चरम सीमा पर पहुंच गई और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे. वो झड़े जा रही थी… अब तक कई दफा चरम आनंद पा चुकी थी; झड़ती, गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती. ऐसा कई मर्तबा हुआ.
अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था. मैंने अलका रानी के उरोज जकड़े जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके और स्खलित हो गया; लंड ने हुमक हुमक के ढेर सारा लावा अलका रानी की चूत को पिला दिया. इस दौरान अलका रानी भी कई बार फिर से झड़ी.
हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं. झड़ के मैं रानी के ऊपर ही पड़ गया. रानी आँखें मींचे चुपचाप पड़ी थी और अभी अभी हुई विस्फोटक चोदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी. हम दोनों पसीने में लथ पथ हो गए थे.
काफी देर के बाद अलका रानी की तन्द्रा भंग हुई तो उठ के बैठ गयी और बड़े दुलार से मुरझाए हुए लंड को सहलाने लगी. लंड से बातें भी किये जा रही थी हरामज़ादी- हाय हाय मेरे भोले राजा… तुमने तो आज समां बांध दिया… क्या खोज खबर ली मेरी बुर की… पुच्च पुच्च पुच्च लंड की चुम्मियाँ लीं… आह भोले राजा… तुम जितने भोले दीखते हो उतने हो तो नहीं… पुच्च पुच्च पुच्च… पुच्च पुच्च पुच्च… अच्छा जी… फिर से जोश चढ़ने लगा राजा जी को… पुच्च पुच्च पुच्च… क्या बोले… और चुम्मी चाहिए… लो राजा लो पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च… .हाय मेरी माँ मैं भोले राजा पर सड़के जॉन… राजे देख यह मिस्टर तो तन तना गए… फूल के कुप्पा हुए पड़े हैं महाशय… पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च.
अलका रानी ने लौड़े पर चुम्मियों की बौछार कर दी. फिर स्वयं को अच्छे से सेट किया और गप्प से सुपारा मुंह में ले लिया. उसके गरम रसीले मुंह में जाते ही लौड़ा फुनकारें मारने लगा.
रानी ने पहले तो पूरे लौडे को नीचे से ऊपर तक चूमा, टट्टे सहलाये और फिर बड़े दुलार से खाल पीछे खींच के टोपे को नंगा किया. टोपे को नीचे ऊपर से पहले तो सूंघा और फिर प्यार से उसने जीभ सब तरफ फिरानी शुरू कर दी. चाट चाट के सुपारी को टुन्न कर डाला. लंड फुदक फुदक के अपनी बेसबरी दिखा रहा था. सुपारी को खूब चाटने के बाद अलका रानी ने लंड मुंह में और गहरा घुसा लिया और धीमे धीमे करके पूरा का पूरा जड़ तक लंड मुंह में ले लिया. अब वो चटखारे ले ले कर चूसने लगी जैसे लोग आम चूसते हैं.
लंड का टोपा, जो फूल के कुप्पा हो गया था, रानी के मुंह के अन्दर गले से सटा हुआ था और वो मुखरस निकाल निकाल के दबादब चूसे जा रही थी. जब वो मुंह आगे पीछे करती तो उसके महा उत्तेजक मम्मे भी फ़डक फ़डक कर इधर उधर हिलते डुलते और मेरे मज़े को सैंकड़ों गुणा बढ़ा देते. यारो, मस्ती में मैं चूर हो गया था.
अलका रानी लंड चूसने के साथ साथ मेरे अंडे भी बड़े हल्के हल्के हाथ से सहला रही थी. मेरे मुंह से अब आहें निकल रही थीं. कभी कभी लौड़े की जड़ को कस के दबा देती. कई बार उसकी उँगलियों ने अण्डों और गांड के बीच के मुलायम भाग को दबाया, जिससे मज़े से मेरी किलकारियां निकल गयी; सी सी करता हुआ मैं झड़ने के क़रीब जाने लगा; उसका सिर पकड़ कर जो मैंने चार तगड़े धक्के मारे हैं तो लंड धम्म से झड़ा. ऐसा लगा कि लंड एक पटाखे की तरह फट गया हो. झर झर करके लंड तुनके मारता और हर तुनके के साथ एक बड़ी सी वीर्य की बूंद रानी के मुंह में उगल देता.
रानी ने अब लौडा थोड़ा बाहर कर लिया था, सिर्फ सुपारी मुंह में थी. वो सारा का सारा मक्खन पी गई. जब लंड उसके मुंह में ही बैठ गया तो उसने बाहर निकाल दिया. एक छोटी बूंद लौड़े के छेद पर बैठी हुई थी. अलका रानी ने उसे भी अपनी जीभ से चाट लिया. मैं भी लंड की तरह मुरझा के दीवान पर पसर गया. अलका रानी मेरे बग़ल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी.
चुदाई की हिंदी कहानी जारी रहेगी. आपका चूतनिवास [email protected]
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