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आप सभी अन्तर्वासना प्रेमियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार. मैं आपका दोस्त सोनू दोबारा आप लोगों के सामने अपनी आगे की कहानी लेकर हाज़िर हुआ हूँ. मेरी पिछली सेक्स स्टोरी मेरी मॉम है या रांड-2 को पढ़ने के लिए धन्यवाद. कई भाइयों ने और उनकी बहनों ने ईमेल करके कहानी को बहुत सराहा, उन सभी का मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.
पिछले भाग में आप सबने पढ़ा के कैसे मॉम अपने घर के नौकर से चुदाई करवा के कॉलेज के लिए निकल गईं. मैं भी मुठ मार कर थक के सो गया. अब आगे..
क्यूंकि मुझे सफर की थकान थी तो मैं भी फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया और मॉम की चुदाई को सोच सोच कर मुठ मारी और जैसे ही बिस्तर पर गिरा, बेखबर होकर सो गया. मैं अभी सो ही रहा था कि अचानक मैंने मेरे सर पर किसी का हाथ महसूस किया. नींद के मारे मेरी आँखें खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी. जैसे तैसे मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो देखा कि मॉम मेरे बेड पे बैठी हैं और मुस्कुराते हुए मेरे सर पे अपना हाथ फेर रही हैं. मॉम को देखते ही सुबह की सारी घटना मेरी नजरों के सामने घूमने लगी. मॉम की वो बोल्डनेस.. वो होंठ भींच भींच कर चुदाई करवाना वगैरह वगैरह.. मेरे दिमाग में ये सब घूमने लगा.
मॉम- अरे सोनू उठ गया बेटा.. तू कब आया, तूने आने की कोई खबर भी नहीं दी. मैं अभी भी सुबह की घटनाओं में ही डूबा हुआ था और मॉम मुझसे सवाल पूछ रही थीं.
तभी मॉम ने मुझे हिलाया- क्या हुआ सोनू कहाँ खोया है? मैं तुझसे ही बात कर रही हूँ. मॉम मुस्कुरा कर मेरी तरफ देख रही थीं. मैंने घड़ी की तरफ देखा. दोपहर के 2.30 बज चुके थे. मैं उठ कर बैठ गया- अरे मॉम, आप आ गईं कॉलेज से. यह कहकर मैंने मॉम को हग किया. मॉम- हाँ मैं तो आ गई, पर तूने आने की कोई खबर क्यों नहीं दी? मैं- मॉम मैं आप लोग को सरप्राइज देना चाहता था. मॉम को क्या पता था कि मुझे कितना बड़ा सरप्राइज़ मिल गया. मैं कहकर बेड से उठ गया.
मॉम ने कहा- चल फ्रेश हो जा मैंने खाना लगवा दिया है. जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जा.
अब मेरा मॉम को देखने का नजरिया ही बदल गया था. कभी उनका कराहता हुआ, चिल्लाता हुआ चेहरा मुझे याद आता. कभी उनकी ज़ुबान से निकले हुए ‘फ़क मी.. फ़क मी..’ की आवाज़ कान में गूंजती. कभी मैं मॉम के मम्मों को निहारता, तो कभी मॉम की गांड को देखता. मेरे लिए सब कुछ बदल गया था.
खैर.. ये सब उधेड़बुन मेरे दिमाग में चलती रही और मैं फ्रेश होकर नीचे खाने के लिए चला गया.
नीचे डाइनिंग टेबल पर मॉम और नवीन खाना लगा रहे थे. सब कुछ इतना सामान्य लग रहा था, जैसे कि सुबह इन दोनों के बीच कुछ हुआ ही न हो. नवीन एक आज्ञाकारी नौकर की तरह सर झुका सब काम कर रहा था. नवीन को देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि सुबह यही आदमी उसी के सामने खड़ी मेरी मॉम को कुतिया की तरह गलियां दे दे के चोद रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज ही मेरा जन्म हुआ हो और मैं इस घर की अन्दर की दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा हूँ. बहरहाल मैं भी सामान्य बर्ताव करने लगा. मैंने और मॉम ने खाना खाया और बहुत सारी बातें की.
इसके बाद दिन सामान्य दिनों की तरह गुजरने लगे. मैं मॉम और नवीन पर कड़ी नज़र रखने लगा था. उसी बीच पापा भी वापस आ गए. पापा के आने के दो दिन बाद ही दीदी भी अपनी कॉलेज की ट्रेनिंग से वापस आ गईं. दीदी को देख कर तो मेरी आँख फटी की फटी रह गईं.
ओ माय गॉड.. बला का फिगर हो गया है दीदी का. जिस दिन दीदी आईं, उसने जीन्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी. दीदी के चूचे टी-शर्ट की वजह से और भी ज्यादा उभर कर दिख रहे थे. उनके चूचे पहले से भी बड़े लग रहे थे. पहले दीदी की ब्रा का साइज 40 डी था, मुझे लगता है, अब बढ़ गया होगा क्यूंकि दीदी पैडेड ब्रा पहनती हैं, इसलिए उनके चूचे और भी ज्यादा राउंड मेलॉन्स की तरह दिखते हैं. दीदी की गांड तो दीदी की बॉडी से बहुत बाहर निकली हुई थी, ऐसा लग रहा था, जैसे पीछे से अलग से एक्स्ट्रा चूतड़ लगवाए हों.
खैर अब सब लोग घर पर ही थे. दीदी की भी अभी कुछ दिन छुट्टियां थीं. अब नवीन और मॉम को मिलने का मौका भी नहीं मिलता था.
फिर एक दिन जब हम सब डिनर कर रहे थे. तभी नवीन किचन से आया और पापा के पास आकर बोला- मालिक हमारे घर से फोन आवा रहा. हमारी लुगाई की तबियत ठीक नहीं है, ऊ हमको बुलाये हैं.
ये सुनते ही मॉम तेज़ आवाज़ से बोल पड़ीं- क्या?? हम सब मॉम की तरफ देखने लगे. जैसे कि इतनी जोर से बोलने जैसा क्या हो गया. तभी मॉम ने लड़खडाते शब्दों में कहा- मम..मेरा मतलब है तुम अचानक चले जाओगे तो घर में कामकाज की दिक्कत हो जाएगी. यह कहकर मॉम खामोश हो गईं और सब लोग सामान्य होकर अपना अपना खाना खाने खाने लगे.
थोड़ी देर कुछ सोचने के बाद पापा ने कहा- ठीक है दो दिन बाद चले जाना.
यह सुन कर नवीन ख़ुशी ख़ुशी वापस किचन में चला गया. मॉम के चेहरे का रंग फीका पड़ गया था.
मैं मन ही मन सोच रहा था कि मॉम नवीन के जाने की खबर सुन कर शॉक हो गई हैं. मैं ये भी सोच रहा था कि नवीन के जाने से पहले मॉम उससे ज़रूर मिलेंगी. अब मैं उन पर और कड़ी नज़र रखने लगा.
दिन में तो मैं तो में घर पर ही होता था तो सब पता रहता था. रात में जागना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था. तभी मेरे शैतानी दिमाग ने करवट बदली. मैं मार्किट गया और वहां से एक स्पाई कैमरा खरीद कर ले आया. जिसके साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड हो जाता था. अब मेरी रात की प्रॉब्लम भी हल हो गई थी.
मैंने उसको किचन में ऐसी जगह छुपा कर फिट कर दिया, जहाँ से किचन का पूरा नज़ारा दिखाई दे सके. क्यूंकि नवीन किचन में ही सोता था.. तो मुझे यकीन था कि मॉम नवीन से किचन में ही मिलने आएंगी.. क्यूंकि घर में उनके मिलने की और दूसरी कोई जगह मुनासिब नहीं थी.
बहरहाल दो दिन बीत गए. आज नवीन के जाने का दिन था. आज उसकी कानपुर स्टेशन से दस बजे की गाड़ी थी. मैं भी आज जल्दी उठ गया था. दीदी के अलावा घर के और लोग भी जाग रहे थे जबकि दीदी सो रही थीं. पापा ऑफिस के लिए तैयार हो रहे थे और मॉम कॉलेज के लिए तैयार हो रही थीं.
पापा ने मुझसे कहा कि मैं नवीन को स्टेशन छोड़ दूँ और उसके टिकट की व्यवस्था कर दूँ. मैंने पापा को हाँ बोल दिया.
पर मेरा पूरा ध्यान कैमरे की तरफ था. क्यूंकि मॉम डैड जग रहे थे तो मैं कैमरा नहीं निकाल सका. देखते ही देखते आठ बज गए. मॉम डैड अपने अपने काम पे निकल गए और मैं भी नवीन को लेकर स्टेशन निकल गया. मैं नवीन को स्टेशन छोड़ कर वापस आया इस सब में करीब दो घंटे लग गए.
घर आते ही मैं पहले सीधा किचन में गया.. कैमरा जहाँ लगाया हुआ था, वहीं लगा था.. किसी ने उसे नहीं देखा था. मैंने कैमरा निकाला और फोरन अपने रूम में आ गया. अपना लैपटॉप निकाल कर कैमरा अटैच किया और वीडियो सर्च करने लगा. सारी रिकॉर्डिंग फ़ास्ट फॉरवर्ड करके देखने लगा. आखिर मुझे वो मिल ही गया, जिसके लिए मैंने इतना सब जतन किया था. मेरी मेहनत रंग लाई.. वीडियो मिल गया. मैंने वीडियो प्ले किया.
रात के करीब डेढ़ बज रहे थे, नवीन किचन में ज़मीन पर लुंगी और कुर्ते में सो रहा था. पूरे कमरे में सन्नाटा था. आउटडोर लाइट्स जल रही थीं, जिससे किचन के अन्दर का सारा नज़ारा साफ साफ दिखाई दे रहा था. करीब दस मिनट बाद कमरे की ख़ामोशी को भंग करते हुए किचन के दरवाज़े की खुलने की आवाज़ आई. कैमरे के एंगल में डोर भी दिखाई दे रहा था. वो मॉम ही थीं. मॉम ने सफ़ेद रंग का स्लीपिंग गाउन पहना हुआ था. होटों पर रेड लिस्टिक थी, जोकि मॉम हमेशा लगाए रहती हैं.. और बालों को पोनी टेल बनाया हुआ था.
मॉम ने आहिस्ते से किचन का दरवाज़ा वापस बंद कर दिया और अन्दर से कुण्डी लगा दी ताकि कोई अचानक से आ न जाए. मॉम दबे पांव चलते हुए नवीन की तरफ बढ़ने लगीं, नवीन बिलकुल बेखबर खर्राटे लेता हुआ सो रहा था.
मॉम चलते हुए नवीन के पैरों के पास पहुंच गईं. नवीन अभी भी बेखबर सो रहा था. मॉम नवीन को देख कर मुस्कुराने लगीं और अपने गाउन की डोरी को खोल कर उसे ढीला कर दिया. अब मॉम का गाउन बीच से खुल गया था और गाउन के अन्दर तक दिखाई देने लगा. जिसे देख कर मेरा लंड झटके से खड़ा हो गया.
ओ माय गॉड.. मॉम ने ब्लैक कलर की जाली दार ब्रा, ब्लैक पेंटी एंड उसके ऊपर सनी लियोनी जैसे पेंटीहोज पहनी हुई थी. मॉम के चुचे काली जालीदार ब्रा में एकम कसे हुए थे. उन जालियों से मॉम के गोरे गोरे चुचे झलक रहे थे.. और पैंटीहोज़ में तो मॉम क़यामत लग रही थीं. कॉलेज की एक सीधी साधी सी दिखने वाली प्रिंसिपल के पीछे इतनी सेक्सी औरत छुपी है, मुझे पता नहीं था.
मॉम ज़मीन पर बैठ अपने पैर के दोनों पजों के बल बैठ गईं, जिससे मॉम की चुत फ़ैल गईं जोकि पेंटी के ऊपर से भी साफ दिखाई दे रही थी. मॉम नवीन के पैर को हिला कर जगाने लगीं. नवीन खर्राटे लेकर सो रहा था. मॉम के दो तीन बार हिलाने पर भी नवीन नहीं उठा. तो मॉम अपने घुटनों को ज़मीन पर रखकर नवीन के ऊपर झुक गईं और अपने दोनों हाथों से नवीन की लुंगी.. जो कि बीच से सिली हुई नहीं थी, खोल दी.
अब नवीन के नीचे का बदन नंगा हो गया था. नवीन अब भी बेखबर सो रहा था. उसका मुरझाया हुआ लंड भी उसी की तरह सो रहा था. मॉम अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख कर नवीन के ऊपर घोड़ी की तरह झुक गईं, जिससे नवीन का लंड बिलकुल मॉम के मुँह के सामने आ गया था. मॉम अपना मुँह लंड के करीब ले गईं और उसी अवस्था में नवीन के मुरझाये हुए लंड को जीभ निकाल निकल कर चाटने लगीं.
नवीन अभी भी बेखबर सोया हुआ था. मॉम ने चाट चाट कर नवीन का लंड पूरा गीला कर दिया था. फिर मॉम ने अपना मुँह नवीन के लंड की नोक पर लगाया और एक सिप खींचा. नवीन का दो इंच का मुरझाया हूँ लंड सुप.. की आवाज़ के साथ मॉम के मुँह में घुस कर गायब हो गया.
मॉम उसके मुरझाये हुए लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं. अब नवीन का लंड आहिस्ता आहिस्ता टाइट होने लगा था. नवीन भी नींद से जग गया था; उसने सर उठा के देखा तो मॉम उसका लंड चूस रही थीं.
मॉम भी आँख उठा कर नवीन की ओर देख कर मुस्कुराने लगीं. नवीन ने आह की आवाज़ के साथ दोबारा अपना सर तकिये पर रख दिया. लंड अब पूरी तरह से फूल कर तन चुका था और मॉम सप सप करके लंड को चूसे जा रही थीं; नवीन भी ‘आह आह..’ कर रहा था. फिर नवीन ने अपने हाथ से मॉम का सर पकड़ लिया और अपने लंड पे ऊपर नीचे करने लगा.
करीब सात आठ मिनट लंड चूसने के बाद मॉम लंड को मुँह से बाहर निकल कर घुटने के बल खड़ी हो गईं और उसी तरह से चल कर नवीन के लंड के ऊपर आ गईं. लंड के सामने आकर मॉम ने अपने दोनों घुटने भी हवा में उठा लिए और पैर के पंजों के बल बैठ गईं.
अब मॉम की चुत बिलकुल नवीन के लंड के सीध में थी और इस तरह बैठने से मॉम की चुत ने अपना मुँह भी खोल दिया था. मॉम ने झट से अपने एक हाथ से अपनी पैंटी चुत से एक साइड खिसका दी और एक हाथ से थोड़ा सा थूक अपने मुँह से निकाल कर अपनी चुत के अन्दर लगा दिया. फिर नवीन का लंड पकड़ कर अपनी चुत के छेद पर सैट कर दिया. मॉम ने जैसे ही नवीन के लंड पे थोड़ा सा दबाव दिया. लंड गप की आवाज़ के साथ सीधा मॉम की चुत में घुस गया. मॉम और नवीन दोनों की आह निकल गई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… दोनों ही कराहने लगे. मॉम ने अपने दोनों हाथों से अपने चुचे दबोच लिए.
थोड़ी देर में मॉम अपनी चुत को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर नीचे करने लगीं. मॉम जब ऊपर उठतीं तो नवीन का लंड पूरा दिखने लगता. मॉम जब बैठतीं तो नवीन का लंड चुत में समां कर गायब हो जाता. कुछ देर इसी तरह ऊपर नीचे करने के बाद.. मॉम ने अपनी गति को तेज़ कर दिया और तेज़ तेज़ नवीन के लंड पर उछलने लगीं.
इसी बीच नवीन ने अपने हाथ बढ़ा कर मॉम के चूचों को पकड़ने की कोशिश कर रहा था. तभी मॉम ने अपने हाथ से अपने मम्मों को ब्रा के बाहर निकाल दिए. नवीन बीच बीच मॉम के मम्मों को पकड़ लेता तो मम्मे मचलने बंद हो जाते और नवीन के हाथों में पिसने लगते. जब नवीन मॉम के मम्मों को नहीं पकड़ता तो मॉम के चुचे मॉम के साथ साथ उछलने लगते.
मॉम तेज़ तेज़ सीत्कारें लेते हुए अपने आप को खुद ही चोद रही थीं ‘आह आह आह.. उह उह.. ओ माय गॉड.. ओह्ह..’ मॉम अपनी कामुक आवाजों में नवीन को बड़बड़ाए जा रही थीं ‘घर क्यों जा रहा है कमीने.. आह.. आह. मेरी चुत में मज़ा नहीं आ रहा है, जो अपनी औरत को चोदने जा रहा है हरामी..’
नवीन कराहते हुए- आह… नहीं मालकिन. आपको चोदना तो किसी अप्सरा को चोदने से कम नहीं. मैं तो सपने में भी कभी आप जैसी औरत नहीं चोद सकता था. वो असल में हमारी लुगाई को बच्चा होने वाला है. इसी लिए जाना पड़ेगा. मॉम- कमीने गाँव में अपनी बीवी को चोदता है. यहाँ मुझे चोदता है.. हरामी कहीं के.. ले चोद.. ले चोद.. आह आह.. मैं गई..
ऊई ओह.. कहकर मॉम नवीन के लंड पे एकदम से बैठ गईं और अपनी चुत को नवीन का लंड डाले हुए ही आगे पीछे होकर चूत को लंड पर घिसने लगीं. नवीन भी कराहने लगा- आह.. हम भी गए मालकिन.. आह आह.. हमारा भी छूटने वाला है.. ओह ओह.. आह.. कहकर नवीन झटके लेने लगा.
मॉम ने भी नवीन की कमीज को मुठ्ठी से पकड़ लिया. दोनों एक साथ ही झड़ने लगे. करीब दो मिनट तक नवीन मॉम की चुत में अपना माल गिराता रहा. थोड़ी देर मॉम ऐसे ही नवीन के लंड पे बैठी रहीं.
फिर मॉम ने अपने घुटने हवा में उठा लिए और अपने पैर के पंजों के बल बैठ के अपनी चुत को देखने लगीं. नवीन भी मॉम की चुत की तरफ देखने लगा. मॉम आहिस्ता आहिस्ता ऊपर उठने लगीं. थोड़ा ऊपर उठते ही नवीन का लंड पुक करके चुत से बाहर निकल गया. साथ ही नवीन के लंड का पानी भी चुत से निकल कर नवीन के लंड पर गिर गया. मॉम वहीं साइड में ज़मीन पे लुढ़क कर लेट गईं और हांफने लगीं. नवीन और मॉम दोनों हांफ रहे थे.
मेरी मॉम की अपने नौकर के साथ मस्त चुदाई की हिन्दी कहानी के लिए आपके ईमेल आमंत्रित हैं. बस सेक्स स्टोरी के मजे लीजिएगा.. और अच्छी मेल भेजिएगा. [email protected] मेरी माँ की चुदाई कहानी जारी है.
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