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मेरे गांडू दोस्तों को एक अपने जैसे शौक के मारे का सलाम. दोस्तो कभी कभी ऐसी गड़बड़ हो ही जाती है. मैं मिलने किसी से गया था, मिला कोई दूसरा ही. वो मेरे दोस्त का दोस्त था और वह उसी दोस्त की गांड मारने आया था. इसी गड़बड़झाले में उसने मेरी गांड मार दी. अब लंड को कहीं न कहीं तो पेलना ही था. खैर उसके लंड को तो मजा आ गया, उसका काम चल गया. इस चक्कर में एक जबरदस्त लंड ने मेरी गांड को फाड़ कर रख दिया, हालांकि मजा मुझे भी आया, पर साथ में दर्द भी बहुत हुआ.
आप भी इस सेक्स स्टोरी को सुनें कि मैं कैसे फंस गया.
मैं अब लगभग सत्ताइस अट्ठाइस साल का हो गया था. मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी. वे दोस्त यार सब जो मेरी गांड मारते थे, व जो मेरे से गांड मरवाते थे… सभी अपनी अपनी जगह चले गए. कुछ की नौकरी लग गई, कुछ अपने शहर में काम करने लगे. मेरी भी जॉब लग गई थी. मुझे नौकरी करते लगभग एक डेढ़ साल हो गया था. उन दिनों मैं छुट्टी पर घर आया हुआ था और अब लौट कर ड्यूटी पर वापस जा रहा था. मुझे ग्वालियर से बस से झांसी जाना था वहां से दूसरी बस से आगे जाना था.
बस स्टैंड पर पता चला कि एक बस दतिया तक जाएगी, वहां से अगली बस मिल जाएगी. मैं बिना सोचे समझे कंडक्टर के आश्वासन पर बैठ गया. दतिया जाकर पता चला कि झांसी जाने वाली बस जा चुकी है. अब फिलहाल कोई बस नहीं है. मैं उदास सा एक बैंच पर बैठा था कम रोशनी थी… कि तभी एक व्यक्ति मेरे करीब से गुजरा, उसने मुझे पहचान लिया.
उसने मेरा नाम लेकर पुकारते हुए कहा- भैया…! मैं चौंक गया, फिर उसे ध्यान से देखा तो मैं भी बोला पड़ा- अरे राम…? वह- हां हां बोलो… मेरा पूरा नाम बोलो. मैं- राम… सु…ख…! वह प्रसन्न हुआ बोला- चलो याद आ गया, भले देर से सही.
मेरी पुरानी कहानी अनजान फौजी से गांड मराई का पात्र था.
मैं- अब तुम बड़े हो गए हो.
वो लगभग पच्चीस छब्बीस का रहा होगा. काफी तगड़ा हो गया था, मूँछें भी रख ली थीं. फिर इस वक्त रोशनी भी कम थी… इसलिए मुझे उसको पहचानने में जरा देर लगी- माफ करना भाई पहचानने में देर हुई. फिर तुम भी तो अचानक मिले ना!
हम लगभग चार पांच साल बाद मिल रहे थे.
राम सुख- चलो माफ किया, यहां कैसे? मैंने उसे अपनी राम कहानी सुनाई बताया… उसे बताया कि मैं नौकरी में हूँ… और काम पर वापस जा रहा हूँ. वह बोला- हां अब झांसी को तो कोई गाड़ी सुबह ही मिलेगी. अब धीरज रखो कोई चारा नहीं. अगर ठीक समझो तो मेरे साथ चलो. उसने बताया कि वो अब कन्डक्टर से ड्राइवर हो गया था, उसने ड्राइवरी सीख ली थी, सर्टीफिकेट और लाईसेंस भी बनवा लिया था. अब वो बस चलाता था. उसकी बस वहीं खड़ी थी, गर्मी का मौसम था. वो बोला- हम लोग छत पर सोएंगे, सुबह तुम्हें झांसी पहुंचा दूंगा.
मरता क्या न करता, मेरे पास उसकी बात मानने के सिवाए कोई चारा न था. मैं उसके साथ उसकी बताई बस की छत पर पहुँचा. तभी उसने बस की सीटें नीचे से लाकर छत पर बिछा ली थीं, उन्हीं पर हम दोनों लेट गए. लगभग ग्यारह बजे रात का समय हो गया था. हम लोग थके थे सो जल्द ही सो गए.
रात को नींद में लगा कोई मेरे साथ चिपका हुआ लेटा है, वह मेरे बदन को सहला रहा था. मैं थोड़ा़ थोड़ा जाग गया, आधी नींद में था. पहले तो वह मेरे सीने को सहला रहा था, फिर पेट पर हाथ फेरने लगा. फिर उसने नीचे का सफर शुरू किया. अब वह धीरे धीरे मेरे पेट के निचले हिस्से पेडू को सहला रहा था.
मेरी नींद खुल गई पर मैं चुपचाप लेटा रहा, शायद राम सुख का कोई साथी था. बगल से रामसुख कुनमनाया तो उसने फिर से हाथ हटा लिया. कुछ पल बाद उस बंदे ने मेरी ओर करवट बदल ली. अब उसने अपनी एक जांघ मेरी जांघों के ऊपर रख दी. उसकी जांघ भारी व मोटी थी. दूसरी जांघ मेरी जांघ से सटी थी. उसका लंड खड़ा हो गया था और मेरी जांघ से टकरा रहा था. वह मेरी बायीं ओर लेटा था.
अब उसने अपनी बांई बांह को मेरे सीने के ऊपर रख कर मुझे ओर करीब किया और अपनी दाहिनी बांह मेरी गर्दन के नीचे से निकाल ली. मुझे मजा आ रहा था इसलिए मैंने कोई विरोध नहीं किया. उसने दायीं कोहनी मोड़ी और अपना मुँह मेरे गालों के करीब लाकर अपने होंठ मेरे गालों से छुलाए, अपनी बायीं बांह फिर नीचे लाया और पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगा.
मेरा भी लंड खड़ा हो गया. उसने धीरे से मेरी पैन्ट के बेल्ट खोला, फिर बटन खोले. मैं चित लेटा रहा. उसने मेरा अंडरवियर नीचे खिसकाने का प्रयास किया. तब मैंने कमर उचकाई तो मैं नंगा हो गया. अब वह मेरा लंड सहला रहा था. उसकी धीमी प्रतिक्रिया हो रही थी- बहुत मोटा है… मस्त है…
यह बात वह मेरे कान के पास अपना मुँह लाकर फुसफुसाते हुए कह रहा था. शायद मुझे मक्खन लगा रहा था. फिर उसने अपनी पैन्ट खोली, अपना अंडरवियर नीचे किया. उसका फनफनाता लंड मेरी जांघ से टकराने लगा.
फिर उसने अपनी बायीं बांह मेरी कमर पर लपेट ली और मुझे अपनी तरफ करवट दिला दी. अब उसका लंड मेरे लंड से टकरा रहा था. वह मेरा लंड तो पहले से ही सहला रहा था, अब उसने मेरे लंड को अच्छी तरह पकड़ लिया.
वह दाहिनी करवट से मेरी तरफ था, मुझे उसने करवट दिलाई, तो मैं उसके सामने बायीं करवट से हो गया था. उसने मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैं उसका लंड पकड़े रहा तो उसने मेरे हाथ पर हाथ रख कर अपना हाथ हिलाया. मुझे सड़का मारने का लंड हिलाने का इशारा था.
जब मैंने उसका लंड मजबूती से पकड़ा तो महसूस हुआ कि अच्छा खासा लम्बा मोटा मस्त हथियार था.
उसने मेरा लंड छोड़ कर अपना हाथ मेरी कमर पर लपेट लिया, मुझे और करीब चपेटा. फिर जो हाथ कमर पर था, उसे थोड़ा नीचे कर लिया. पहले तो वो मेरी दाहिनी जांघ सहलाता रहा, फिर जांघ के पीछे सहलाने लगा. इस तरह उसने अपने हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ाए और मेरे चूतड़ सहलाने लगा.
अब वो मेरे चूतड़ों को सहलाते सहलाते चूतड़ मसलने लगा और बोला- यार क्या मस्त चीज है तू.
फिर अपनी उंगली से मेरी गांड का छेद टटोलने लगा. छेद मिलने में कितनी देर लगती है. जल्दी ही वो अपनी बीच की उंगली मेरी गांड पर धीरे धीरे घुमाने में लग गया. उसने मेरा एक जोरदार चुम्बन लिया और एकदम से मेरे होंठ चूसने लगा… और जोश में आ गया. उसकी जो उंगली मेरी गांड को सहला रही थी, वह एकदम से मेरी गांड में घुसा दी.
मैं दर्द से चिल्लाया ‘आ… आ… ब… स…’ वो जरा रूक गया और मेरे चिल्लाने से चौंक गया. मेरी गांड दर्द के मारे एकदम टाइट हो गई. उसकी उंगली बाहर आ गई, मैंने चूतड़ भींच लिए. उसने दुबारा कोशिश की, पर चूतड़ इतने टाइट थे कि अब उंगली चूतड़ों में घुसाने में उसको परेशानी होने लगी.
मैं सामान्य हुआ तो वो फिर से मेरे चूतड़ों को हल्के हल्के से सहलाने लगा. फिर मेरे कान के पास मुँह लाकर बोला- यार थोड़ी ढीली कर ना… अच्छा अब धीरे धीरे करूंगा बिल्कुल नहीं लगेगी. फिर वो मेरे पेट पर हाथ फेरने लगा. कुछ ही पल बाद आगे बढ़ कर उसने मेरा लंड फिर से पकड़ लिया. वो लंड पर जोर से मुट्ठी बांधता… फिर ढीली करता. मेरा लंड उनकी इस हरकत से और ज्यादा तनतना गया, सख्त हो गया, फूल गया.
फिर तभी जाने क्या उसका मूड हुआ वो बोला- तेरा तो बहुत मस्त है. मेरी मारेगा? उसने इतना ही कहा और मेरे जबाव का इन्तजार किए बिना वो एकदम पलट गया. उसने मेरी तरफ पीठ कर ली अपनी ऊपर वाली टांग घुटने से आधी मोड़ ली. मेरा लंड पकड़ कर अपनी गांड के पास खुद अपने हाथ से करने लगा.
लंड को अपनी गांड के छेद से लगा कर वो बोला- डाल दे यार. मैंने भी लंड पर थूक लगाया, सुपारा उसकी गांड पर रखा ही था, मैंने धक्का दे दिया. मेरा लंड उसकी गांड के अन्दर घुस गया. वो अपनी गांड बहुत ढीली किए हुए था. एक हल्की सी मीठी कराह के साथ बोला- आह… पेल दे… रूक मत हाँ जोर लगा. मैं धक्का दे रहा था, अन्दर बाहर अन्दर बाहर कर रहा था. वो मेरे से ज्यादा गांड हिला रहा था- हाँ बहुत अच्छे शाबाश…
मैं पूरे दम से उसकी गांड में लगा हुआ था. कुछ ही देर में मैं हाँफने लगा. मेरे साथ ही वो भी कमर हिला रहा था और गांड चला रहा था. फिर वो औंधा हो गया मैं उसके ऊपर चढ़ गया. उसके चूतड़ मुझे ज्यादा बड़े लग रहे थे. वो मोटा तो नहीं… पर दोहरे बदन का था… मेरे से थोड़ा ज्यादा स्थूल था. उसके चूतड़ बड़े और जांघें मोटी थीं, पर तब भी कमर जोर से हिला रहा था.
हम दोनों पन्द्रह बीस मिनट तक लगे रहे. फिर मैं झड़ गया मेरा पानी उसकी गांड में ही छूट गया. मैं हांफ रहा था और वो मुस्करा रहा था. बोला- दम ले ले… मैं पसीने पसीने हो गया था. वैसे ही गर्मी का मौसम था.
करीब बीस मिनट बाद मैं शांत हुआ तो वो बोला- अब मेरी बारी है. मैं इन्कार की स्थिति में नहीं था. पैन्ट अंडरवियर तो वैसे भी खुला हुआ था. मैंने उसकी तरफ पीठ की, वो मेरे कंधे को धक्का देते हुए बोला- दोस्त औंधे हो जाओ… दूसरी कोई पोजीशन मुझे पसंद नहीं है.
मैं औंधा हो गया, वो चढ़ बैठा. उसके वजन से जांघें दब गईं. वो भारी था, अपने घुटने मोड़ कर मेरी जांघों पर बैठ गया और अपने लंड पर थूक लगा लिया. फिर उसी थूक से भीगी उंगली मेरी गांड पर रखी और छेद सहलाने लगे. तो मेरी गांड एकदम सिकुड़ गई. वो कड़क आवाज में बोला- हरकत नहीं. मैं बोला- डर से हुई है. वह बोला- अभी लंड छुलाया नहीं कि गांड फटने लगी. पहले भी तो मराई ही होगी किसी से? मैंने कहा- यह बगल में लेटा है, इसी ने मारी… इससे पूछो.
राम सुख ने सिर उठाया पर मुस्कारा दिया लेकिन चुप रहा. वह गांड मराई देख रहा था और सोने का अभिनय कर रहा था.
अब उसने थूक से लिपटी उंगली मेरी गांड में घुसेड़ दी. मैं ‘आ… आ…’ कर उठा. पर वो उंगली डाले रहा. थोड़ी देर में पूरी उंगली गांड में ठूंस दी और अन्दर बाहर करता रहा. फिर एक उंगली निकाल कर उसने अब दो उंगलियां मेरी गांड में ठूंस दीं. मैं तड़प उठा, पर उसने पूरी अन्दर तक दोनों उंगलियां ठूंस दीं और उन्हें चलाने लगा.
ऐसा उसने दो तीन मिनट तक किया और उंगलियां बाहर निकाल लीं. अब वो लंड सहलाता हुआ बोला- देख अब डाल रहा हूँ… नखरा नहीं करना… गांड ढीली कर ले, मन पक्का कर.
इतना कह कर उसने मेरी टांगें खुद चौड़ी कर दीं. एक बार फिर गांड पर थूक लगाया और लंड का सुपारा टिका कर धक्का देकर अन्दर कर दिया. मैं दर्द से चिल्ला दिया- आ… अह… वो बोला- तू वायदा तोड़ रहा है. मैंने कहा- बहुत मोटा है थोड़ा धीरे करो. वह बोला- अभी तो सुपारा ही डाला है… तू नया लड़का नहीं है. खेला खाया हुआ है… मेरा लंड तो कमसिन लौंडे हँस कर ले जाते हैं और दुबारा तक गांड मराने आते हैं.
उसकी इस बात पर मुझे हँसी आ गई और उसी का फायदा उठा कर उसने अपना पूरा मूसल मेरी सलोनी गांड में पेल दिया. मैंने होंठ कस कर बंद कर लिए, आंखें मींच लीं… आवाज घुट कर रह गई. वो बोला- शाबाश… पूरा चला गया.
फिर वो लंड डाले रूका रहा. कुछ पल बाद खेल शुरू हो गया. उसका मूसल लंड धक्कम पेल धक्कम पेल अन्दर बाहर अन्दर बाहर होने लगा. मैं उसके लंड की चोटों पर चोटे गांड फाड़ू ठोकरें झेलता रहा… झेलता रहा… गांड चौड़ी किए लेटा रहा. मेरी गांड लाल हो गई. तभी उसका पानी छूटा और वो मेरे ऊपर चढ़ कर लेटा रहा.
फिर कुछ पल वो मेरे ऊपर से उठा. हम बगल बगल में लेटे रहे.
लगभग एक दो घंटे बाद मैंने रामसुख को जगाया. हम दोनों बस से नीचे उतरे. वहां एक सार्वजनिक शौचालय में लेट्रिन गए, ब्रश किया. राम सुख मुझे एक कमरे में ले गया और बोला- यार उसको तो तूने खुश कर दिया, अब मैं क्या करूँ? मैंने कहा- क्या यार तू भी मारेगा? ले मार ले! मैं पैन्ट उतारने लगा, अंडरवियर नीचे किया और बोला- तू तो पुराना यार है बोल?
उसने भी अपने कपड़े उतारे और बोला- देखो… दादा कह रहे थे नखरा नहीं, मेरे से भी नखरा नहीं. मैं- अरे रामसुख साले तेरे दादा ने मेरी गांड फाड़ कर रख दी… तू इसे नखरा कह रहा है. ऐसा घोड़े जैसा मोटा लम्बा लंड आधा घंटे तक मेरी रगड़ी… अभी तक चिनमिना रही है… फिर खुद सौ किलो से कम नहीं… ऊपर चढ़ा रहा… नस नस दुख रही है. रामसुख- बढ़ा चढ़ा कर फालतू बातें नहीं कर… मुझे चूतिया मत बना… टाइम कम है.
उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया. मेरा लंड निकाला और अपने हाथ से सड़का मारने लगा. उसने अपना अंडरवियर खोला और बोला- जल्दी कर. वो मेरे से लिपट गया और जोरदार चुम्बन ले डाला.
“साले तू रात भर उस मोटे को चोद सकता है तो मेरी मारने में क्या परेशानी है. तू ठीक पौन घंटे लगा रहा रिकार्ड तोड़ दिया… तूने रात को उसकी गांड मारी, जिसने हम सबकी मारी. करीब आठ दस ड्राइवर कन्डक्टर उससे मरवा चुके हैं. जाने क्यों कल उसकी खुजलाई शायद तेरा लंड देख कर, मुझे भी चोद, मैं तेरा पुराना आशिक हूँ.”
रामसुख गांड खोल कर खड़ा था. मैंने उसे दीवार से टिका दिया. उसने वहीं टांगें चौड़ी कर ली. खड़े खड़े ही उसकी गांड मारी.
अब शायद पांच बजे होंगे, मैं गांड मारते हुए बोला- भाई रामसुख लग तो नहीं रही? वह गांड उचकाते हुए बोला- मैं तेरे जैसा नखरेबाज नहीं हूँ… जितनी दम हो पेल ले. मैं- अब दम कहां बची, पर दम लगा रहा हूँ… तुझे भी दम लगाना पड़ेगी बोल? वह भी गांड हिलाते हुए बोला- मैं तो लगा ही रहा हूँ. मैं- अरे अभी तो लगा रहा है, बाद में मेरी बारी पर.
राम सुख- तेरी बारी! क्या मतलब? मैं- अरे! मैंने तेरी इच्छा पूरी की, अब तू मेरी पूरी नहीं करेगा? वह- भैया रात भर उससे मरवाई तब भी इच्छा बाकी बची? मैं- अरे वह तेरा सेठ मालिक है, उससे मजा उतना कहां आया, जो दोस्त से कराने में आता है, बोल करेगा? वह- अच्छा पहले मुझे तो ढंग से चोद, मैं संतुष्ट हुआ तो तुझे संतुष्ट करूंगा.
मैं लंड के धक्के लगाने लगा. लंड का रात को ही पानी निकला था, अतः थोड़ी और देर लगी. मैं थका भी था, बदन ढीला भी था. कुछ देर बाद मेरा पानी छूटा.
वह मुस्करा रहा था.
मैं- अब मेरी बारी? वह- देर हो गई यार, लोग जाग गए हैं अगली बार करा लेना. मैं- यार बना मत रामसुख… बातें न बना जल्दी कर.
मैं वहीं फर्श पर लेट गया. मैं अकेले अंडरवियर बनियान में ही था. रामसुख मेरे ऊपर चढ़ बैठा, उसने थूक लगा कर लंड पेला. मेरी रात से ही फैली थी. वो बहुत धीरे धीरे लंड डाल रहा था. वैसे तो उसे जल्दी पड़ रही थी, पर मेरी गांड में लंड जाते ही सब भूल गया. अब वह मस्ती से चोद रहा था… क्या मारू धक्के थे… क्या मस्त लंड कमाल कर रहा था, मजा आ गया.
कुछ देर बाद हम दोनों निपटे, तो वह मेरी ओर देख रहा था. वो कह ही नहीं पा रहा था.
मैंने कहा- यार रात वाले दादा और राधे कक्का की ऐसी तैसी… तुमने क्या मजा दिया… अब तो तुम्हारा हथियार भी मस्त है… क्या लंड है यार… क्या मस्त चुदाई की… क्या पेला…
वह खुद की प्रशंसा सुन कर प्रसन्न हुआ. मैंने उसके कान में धीरे से कहा- तुम्हारा वह जो नया लौंडा नमकीन क्लीनर है… उसकी दिलाओगे? क्या मक्खन मलाई चॉकलेट लौंडा है… जीभ लपलपा रही है. वह बोला- जीभ लपलपा रही है या उसकी मारने को लंड सुरसुरा रहा है… सही सही बोलो.
मैं मुस्कराने लगा.
वह बोला- उसे अगली बार पटाएंगे… इधर से निकलो तो रूकना, वह साला लालची बेईमान है… भेन के लंड को हर चीज के पैसे चाहिए… मेरे कई बार रूपए मार चुका है, साला लौटाने के नाम पर बहाने बना देता है. सीधा दिखता है, पर बहुत चालू है. मैं कोशिश करूंगा, पर एक शर्त पर, तुम्हें पहले मेरी मारना पड़ेगी. नखरा नहीं, मुझे तुमसे करवाने में जो आनंद आता है वैसा किसी से नहीं. मैं- बस ज्यादा मक्खन न लगा. मुझे भी तेरे से करवाने में बहुत मजा आता है. हम एक दूसरे की मारेंगे दोस्त हैं, पर नया माल नया माल है, बहुत माशू क है, वायदा कर दिलवाएगा, कैसे भी उसे पटा, मुझे उसकी चाहिए. उसे दारू पिला, रुपये दे, कुछ भी कर… मेरी जान बस तू उसकी दिलवा दे.
कुछ देर बाद हम बस में बैठे, वहां झांसी पहुंचे. दादा भी झांसी बस स्टैंड में भी बहुत प्रतिष्ठित थे, बहुत सारे लोग उन्हें सलाम राम राम कर रहे थे. उसने मुझे दूसरी बस में बैठा दिया, मुझे सीट दे दी गई. बस के ड्राइवर व कन्डक्टर ने उनके पैर छुए व कहा- दादा आपकी सवारी फ्री जाएगी.
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