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हाय फ्रेंड्स, आज जो मैं आपको जो सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ, वो असल में मेरी और मेरे पापा के साथ सेक्स की स्टोरी है.
मेरी उम्र जब जवानी की अठखेलियाँ लेने लगी तब पहली बार मैंने अपने पापा को मम्मी की चुदाई करते देखा तब मेरे मन में अपने ही पापा से चुदवाने की इच्छा जाग उठी।
दोस्तो मेरा नाम अंकिता है, मैं पूरी 18 साल की हो चुकी हूँ और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी। एक बार मैंने पापा को मम्मी को चोदते देखा तो इतना मज़ा आया कि रोज़ देखने लगी।
मैं पापा की चुदाई देख इतनी मस्त हुई थी कि अपने पापा को फंसाने का जाल बुनने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गई। पापा को मैंने फंसा ही लिया। अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद में बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती। पर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नहीं लिया था।
मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मायके जा रही थी। रात में पापा ने मुझे अपनी गोद में खड़े लण्ड पे बिठाकर कहा था- बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने का मतलब बताएँगे।
मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गई थी। पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को चोदते देख सकूँ। ऐसा मैंने ही कहा था।
फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बिठाकर उनकी चूत को चाटकर दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचक कर चोदा फिर दोनों सो गए।
अगले दिन मम्मी को जाना था। आज मम्मी जा रही थी। पापा ने मेरे कमरे में आ मेरी चूचियों को पकड़ कर दो तीन बार मेरे होंठ चूमे और लण्ड से चूत दबा कर कहा- तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छोड़कर आता हूँ, फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा दूंगा। मैं बड़ी ख़ुश थी।
पापा चले गए तो मैं घर में अकेली रह गई। मैं अपनी चड्डी उतार पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी। मैंने सोचा कि जब तक पापा नही आते अपनी चूत को पापा के लण्ड के लिए उंगली से फैला लूँ।
तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। मैंने चूत में उंगली पेलते हुए पूछा- कौन है? ‘मैं हूँ उमेश!’
उमेश का नाम सुन मैं गुदगुदी से भर गई। उमेश मेरा 20 साल का पड़ोसी था। वो मुझे बड़े दिनों से फांसना चाह रहा था पर मैं उसे लाइन नहीं दे रही थी। वो रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूची दबा देता और कभी गांड पर हाथ फेर कहता- रानी, बस एक बार चखा दो।
आज अपनी चूत में उंगली पेल मैं बेताब हो गई थी। आज उसके आने पर इतनी मस्ती छाई कि बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया। मुझे उसके इशारों से पता चल चुका था कि वो मुझे चोदना चाहता है। आज मैं उससे चुदवाने को तैयार थी। उमेश के आने पर सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार चुदवा कर मजा लिया जाए। यही सोचकर दरवाजा खोल दिया।
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला उमेश फ़ौरन अन्दर आया और मुझे देखकर खुश हो मेरी चूचियों को पकड़ कर बोला- हाय रानी, बड़ा अच्छा मौका है। मैं उसकी हरकत पर सनसना गई। उसने मेरी चूचियों को छोड़ कर पलट कर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत टाइट हैं। हाय बहुत तड़पाया है तुमने, आज जरूर चोदूंगा।
‘हाय भगवान, छोड़ो पापा आ जाएंगे।’ ‘डरो नहीं मेरी जान, बहुत जल्दी से चोद लूँगा। मेरा लण्ड मोटा नहीं है दर्द नहीं होगा।’ वो मेरी गांड सहला बोला- हाय, चड्डी नहीं पहनी है, यह तो बहुत अच्छा है।
बाप बेटी की चुदाई की पूरी कहानी मेरी सेक्सी आवाज में सुन कर मजा लें!
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