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प्रिय दोस्तो, मेरा एक गे दोस्त था शाकिर, गोरा माशूक था, पर बहुत चालाक एकदम कमीना था. साला मेरे से बातें तो बहुत मीठी मीठी करता था, मेरी ही हम उम्र भी था, मेरे से तगड़ा था और दादा किस्म का भी था. क्लास में उसका रौब था, वो मेरे पर मरता भी था. पर दोस्तो, गलती उसकी ज्यादा नहीं थी, मैं ही उसकी बातों में आ गया था. पर कुछ मेरी आदत का भी दोष था.
माशूक और नमकीन लौंडा होने के कारण मेरे पर कई लौंडेबाज मरते थे और मैं भी कच्ची उम्र से गांड मराते मराते गांड मारने मराने का शौकीन हो गया.
अब तक मैं सात लौंडों से अपनी गांड मरा चुका था. शाकिर ने ज्यादा लोगों से गांड मराई थी, उन्हीं दादा लोगों की दम पर तो साला उचकता था. वे उसे सपोर्ट करते थे. सारे स्कूल के लड़के जानते थे वह गांडू है. अब तो वो कई लौंडों की गांड मारने भी लगा था. वो स्कूल के लौंडेबाज मास्टरों से भी गांड मरवाता था. वे मास्टर उसे नकल करवाते, वायवा आदि में उसे ज्यादा नंबर दिलवा देते थे.
मैं भी बहुत माशूक नमकीन बेशरम या कह लें, स्मार्ट किस्म का गे था. उस वक्त हम दोनों लगभग जवानी की दहलीज पर रहे होंगे. मैं भी अब थोड़ा चालाक हो गया था, जल्दी किसी के अंटे में नहीं आता था.
कुछ दिनों से शाकिर मुझसे ज्यादा ही मीठी मीठी बातें करने लगा. वैसे तो वह पहले से ही मुझ पर मरता था. वह क्लास में सबके सामने जबरदस्ती कई नमकीन लौडों के गाल काट चुका था, चूम चुका था. वो उनकी गांड में उंगली कर देता था. उसने मेरे गाल भी कई बार चूमे थे. सबके सामने मेरे पीछे चिपक कर अपना खड़ा लंड मेरी गांड पर रगड़ देता था. पर अब ज्यादा ही मक्खन लगा रहा था. मैं समझ गया कि भोसड़ी वाला अब मेरी गांड मारना चाहता है.
मैंने एक दिन उसके गाल पर चिकोटी काटी तो उसने कुछ न बोला तो मैंने उसके गाल पर हिम्मत से चूमा जड़ दिया, वो मुस्कुरा उठा. इससे मेरी और हिम्मत बढ़ी.
एक दिन पानी पीते समय नल पर जब वह एकान्त में झुका हुआ था. मैंने पेंट के ऊपर से उसके चूतड़ सहला दिए. पहले तो वह शांत रहा. फिर मैंने अन्दर हाथ डाल कर उसकी गांड में उंगली कर दी.. तो वह मुस्कुरा दिया. शाकिर बोला- बेटा, मैं तेरी गांड में उंगली के बजाए कुछ और डालूंगा, फिर मत कहना.
तब मैंने समझौते में उसका लंड पकड़ कर हिला दिया, वह खुश हो गया. वह मुझे अपने घर ले गया.
कुछ ही दिनों में वो मेरा ज्यादा करीबी दोस्त बन गया. हम दोनों एक दूसरे के लंड पकड़ कर हिलाते, एक दूसरे के गाल चूमते, साथ साथ घूमते खेलते पढ़ते.
एक दिन शाम को वो मेरे घर आया, हम दोनों मैथ्स के सवाल हल करते रहे. फिर बोला- चल तालाब पर घूम आएं. मैं उसके साथ चल दिया.
रास्ते में एक और उसके परिचित रिश्ते के भाई इरशाद मिले. इरशाद भाई ने पूछा- कहां जा रहे हो? उसने बताया कि तालाब के उस पार घूमने जा रहे हैं. वे मोटर साईकिल पर थे, बोले- उधर कितनी देर रूकोगे? वह बोला- बस घूम कर आते हैं. वो बोले- बैठो बाइक से चलते हैं.
हम दोनों लपक कर बैठ गए. उसने गाड़ी स्टार्ट की.. फरवरी का महीना था. तब शाम के छः बज रहे थे. हम लोग चले और उस पार पहुँचे तो शाम उतर आई. वे हमें शहर से बहुत दूर ले गए, चार पांच किलामीटर दूर अपने खेत पर ले गए, वहां एक कमरा था. उन्होंने बेर तोड़े, कुछ अमरूद खिलाए.
फिर हम लोग बैठ गए. भाई साहब मुझे बार बार देख रहे थे. कभी कभी गालों पर हाथ फेर देते, कभी पीठ पर हल्के से हाथ फेरते, कभी चूतड़ सहलाते.
उन्होंने मेरे सामने दिखा कर जबरदस्ती शाकिर का गाल चूम लिया. वे हम दोनों से पांच साल बड़े होंगे. शाकिर जैसे ही गोरे स्लिम सुन्दर माशूक से लगते थे. हम दोनों से थोड़े लम्बे भी थे.
कमरे में एक ही खटिया थी. हम तीनों उस पर बैठे हुए थे. भाई साहब लेट गए और उन्होंने मेरी तरफ करवट ले ली. वे बार बार मेरी पीठ पर हाथ फेर रहे थे, पर वे कुछ कह नहीं पा रहे थे. उनकी मुझसे कहने में गांड फट रही थी. शाकिर ने कुछ इशारा किया और उठ कर किवाड़ लगा दिए. मैं कुछ समझ पाता तब तक इरशाद भाई ने मेरे गले में हाथ डाल कर मेरे गाल पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और उनका खड़ा लंड मेरी पीठ से टकराने लगा.
फिर वे अपने हाथ के जोर से मुझे पलंग पर लिटाने लगे. शाकिर मुस्कराते हुए मेरे पास आया, मेरे पैन्ट के बटन खोलने लगा, मेरे से बोला- भाई साहब तेरे पर मरते हैं, परसों तेरे को देखा तो बोले इसकी दिलवाओ तो मैं तेरे को ले आया.. अब इनसे करवा ले. मैंने कहा- मैं दो से नहीं करवाऊंगा.. मेरी फट जाएगी. वह बोला- अबे यार, मैं भी तेरे पर मरता हूं, पर अभी तेरी नहीं मारूंगा.. तू आज भाई साहब को खुश कर दे. वह मुझे मक्खन लगाने लगा- मेरा दोस्त, राजा भैया.. चल जल्दी से खोल दे.
उसने मुझे पुचकारते हुए मेरी पैन्ट के बटन खोल दिए. मैंने कहा- तेरे को मेरे से करवाना पड़ेगी. वह मेरा लंड चूसने लगा और बोला- हाँ ठीक है, तू मेरी मार लेना, बस अब तू लेट जा.
भाई साहब ने अपने हाथ के इशारे से मुझे लिटा दिया. इरशाद भाई मेरी पीठ के पीछे चिपके थे, इरशाद ने अपने हाथ पर थूका और मेरी गांड पर चुपड़ने लगे. फिर थूक से भिड़ी हुई एक उंगली मेरी गांड में डाल दी. इरशाद भाई अपनी उंगली मेरी गांड में अन्दर बाहर करने लगे.
फिर उन्होंने दो उंगलियां डालीं और अन्दर बाहर हिलाईं. जब उनको लगा गांड ढीली हो गई तो उन्होंने अपने लंड पर थूक लपेटा और मेरी गांड पर टिका कर अपनी एक टांग मेरी कमर पर रखी और जोर का धक्का दे दिया. उनके भयंकर खुले सुपाड़े वाला लंड मेरी गांड में झटके से घुस गया. मेरी गांड में मूसल लंड गया तो बरबस ही अपने आप मेरी चीख निकल गई- आ आ ओ ओह.. बहुत मोटा है..
इरशाद भाई शुरू हो गए. फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी कमर पर लपेटा और एक और जोर का धक्का दे दिया ‘हूं हूं हूं.. ले..’ मेरी ढीली गांड महसूस कर बोले- हां बस ऐसी ही ढीली किए रहो.. एक ही झटके में मजा आ गया, यार शाकिर तुम्हारा दोस्त मेरा पूरा लौड़ा अन्दर ले गया ज्यादा नखरे भी नहीं किए.. तुम तो परसों अपनी गांड बार बार गलत समय सिकोड़ रहे थे.. लंड डालना मुश्किल कर दिया था. मुझे बहुत जोर लगा कर लंड पेलना पड़ा था. जबकि ये तो देखने में तुमसे कमजोर ही है, हां माशूक बहुत है.
फिर इरशाद भाई मेरे चूतड़ सहलाते रहे.. थोड़ी देर लंड डाले रहे, पर धक्के रोक दिए.
शाकिर- भाई साहब, आपने मेरी गांड में एकदम से पेल दिया था, उस वक्त मुझे लगा था कि मेरी गांड फट गई. बाद में आपने भी तो छोड़ा कहां था.. पूरा लंड गांड में डाले रहे.. और धचाधच पेलते रहे. आपने आध घंटे तक रगड़ा था, मेरी गांड लाल कर दी थी, आज तक चिनमिना रही है. आपका हथियार भी तो सांड जैसा जोरदार है. बाद में तो मेरी गांड पूरी ढीली हो गई.. साली अभी तक खुली खुली सी है.
इरशाद भाई- अरे शाकिर, चूतिया मत बनाओ.. तुमने मेरे से ही कोई पहली बार नहीं चुदवाई.. भोसड़ी के कई लंड गांड में डलवाए हैं. फिर उस दिन जान बूझ कर नखरा कर रहे थे, कर रहे थे कि नहीं? बाद में तो लंड की ठोकरों से ढीली हो ही जाती है. कोई नया लौंडा होता तो अधमरा हो जाता.. लंड तुम्हारी बदमाशी से घुस ही नहीं पा रहा था. तुम मुझे बना रहे हो.. साले उस दिन शकूर का लंड चुपचाप ले गए कि नहीं? उनका हथियार तो मेरे से ड्योढ़ा है.. और ज्यादा मोटा भी है. पूरा सांड के जैसा जवान मर्द है.. बोल है कि नहीं?
शाकिर- भाई साहब यह बात तो आप मेरे से बेहतर जानते हैं.. शकूर अंकल तो आपकी गांड ही मारना चाहते थे. आपने ही रात को जगह बदल दी. मुझे उनके घोड़े जैसे लंड से चुदवाना पड़ा. उन्होंने गांड फाड़ कर रख दी, मेरा मुँह बंद कर लिया था इसलिये चिल्ला नहीं पाया था. फिर आप तो उस कमरे में सो ही रहे थे और मेरी गांड मराई देख रहे थे. उधर चार पांच लड़के आपके बराबर में सो भी रहे थे, यदि मैं चिल्लाता तो वे सब सुन लेते तो मुझे सबसे गांड मराना पड़ती. आपने तो उनके लंड की ठोकरें कई बार हंस हंस कर झेली हैं. उनसे कई बार मरवाई है. आपने कई बड़े बड़े लंड अपनी गांड में डलवाए हैं. आप अच्छी तरह जानते हो कि जब लंड गांड में घुसता है तो दर्द करता ही है. माशूक लौंडे आवाज करते ही हैं. आप तो अब भी मेरे से बड़े माशूक हो, तो अब क्या हुआ अब भी लौंडे हाथ में लंड लिए आपके पीछे दौड़ते हैं और आप भी लोगों को खुश करते ही हो. अभी कल ही आपने सुरेश और महेन्द्र पहलवान दोनों से एक साथ मरवाई थी. वे तो दोनों आपके पुराने दोस्त हैं.
इरशाद- मादरचोद मुझे पता नहीं था तू मुझ पर मरता है.. साले मेरी गांड मारना चाहता है. जब चाहे मेरी मार लेना, जहां तक उन लौडों की बात है, वे सब शकूर से मरवा चुके हैं. सब जाग रहे थे पर शकूर के माल पर हाथ साफ नहीं करते. वैसे सब गांडू हैं, लौंडे बाज हैं. उन सबने एक दूसरे की मारी है. उनमें से दो ने मेरी भी मारी है और एक जो चिकना सा था, उसकी शकूर भाई ने ही मुझे दिलवाई थी.
मैं उन दोनों की बकचोदी सुन रहा था और इरशाद के लंड का मजा ले रहा था.
अब इरशाद भाई ने मुझे औंधा कर दिया था. वे मेरे ऊपर चढ़ बैठे, औंधे हो गए मेरी टांगें अपने हाथ से दूर दूर कीं और गांड में पेला हुए लंड पूरा जड़ तक पेल दिया. इसके बाद चूतड़ उठा उठा कर लंड अन्दर-बाहर, अन्दर-बाहर करने लगे. अभी वे बड़े धीरे-धीरे धक्के लगा रहे थे. शाकिर वहीं खड़ा खड़ा देख रहा था उसका भी लंड पैन्ट में से उचक रहा था.
फिर इरशाद ने एकदम से पूरा पेला और थोडा रूके. मेरी गांड अपने आप कुलबुलाने लगी, उसमें से हल्की हल्की हरकत होने लगी. इरशाद भाई को मजा आया तो वे मेरे कान के पास अपना मुँह लाकर धीरे से फुसफुसाए- वाह यार मजा बांध दिया तुमने.. किससे गांड मराना सीखा, बड़ा मास्टर गांडू रहा होगा.. बहुत अच्छे मेरी जान. इरशाद ने मेरे गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया और मेरे होंठ चूसने लगा. अब वो धीरे धीरे धक्के देने लगा.
कुछ देर बाद उसने पूछा- लग तो नहीं रही? दो तीन धक्के के बाद लंड डाले रूक हुआ था. मैंने अब गांड में ज्यादा हरकत शुरू की. गांड को ढीली टाइट, ढीली टाइट की. उसके लंड पर गांड छल्लों का जोर पड़ा तो इरशाद मस्त हो गया. उसको ऐसा लग रहा था कि मेरी गांड उसका लंड चचोर रही है. अब वह लंड अन्दर बाहर, अन्दर बाहर करने लगा. मैं भी बार बार चूतड़ उचकाने लगा.
वह बोला- आह.. मार डाला तुम कमसिन उम्र के नए गांडू गांड मराने के इतने उस्ताद खिलाड़ी कैसे बन गए.. वाह मेरे छोटू मास्टर क्या फूल सी कोमल गांड पाई है.. वाह..
अब वो जोर जोर से लंड पेलने लगा. वो जोर जोर से लंड अन्दर बाहर, अन्दर बाहर करते हुए धक्कम पेल, धक्कम पेल मचाने लगा. मैंने भी गांड ढीली छोड़ कर लंड के हवाले कर दी. मुझे उसके मोटे लंड से दर्द हो रहा था, गांड जलने लगी थी, पर चुपचाप लेटा रहा.
दस मिनट में वो पूरी मस्ती में आ गया था. मुझे भी मजा आ रहा था. इरशाद का पूरा ध्यान लंड पेलने में ही था. उसकी सांस जोर जोर से चल रही थी ‘हूं हूं हूं..’ की आवाज आ रही थी. मेरी गर्दन के पीछे गर्म सांसें महसूस हो रही थीं. इरशाद का लंड एकदम गरम हो गया था. उसके झटके भी जोर से लगने लगे थे. बस वो थोड़ी देर में झड़ गया और मेरे ऊपर गिर गया.
फिर बगल में लेट गया और कान में फुसफुसाया- दोस्त ज्यादा लगी तो नहीं? मजा आया? मैंने कहा- बहुत मजा आया. तुमने बड़ी धीरे धीरे गांड मारी.. ज्यादा तकलीफ नहीं हुई.. तुम भी तो एक्सपर्ट चोदू हो. वह बड़ा बेशर्म था, बोला- कभी मेरी भी मारना. ‘जरूर..’ वो मेरे लंड को पकड़ कर बोला- यार तेरा हथियार तो मस्त है. हाथ में लेकर हिलाया और मुँह में लेकर लंड चूसने लगा. ‘मैं भी तुम्हें ऐसा ही मजा दूंगा, अभी मेरी गांड मारनी हो तो बोलो?’ मुझे शाकिर की लेनी थी तो मना कर दिया.
फिर हम अलग हो गए, कपड़े पहन लिए. उसने एक बार फिर मेरे को गले लगाया जोरदार चूमा और फिर बोला- वाह दोस्त वाह मजा बांध दिया.
तभी शाकिर किवाड़ खोल कर बोला- चलें? पर अब इरशाद मेरी तरफ था, बोला- मादरचोद बदल मत.. तूने इस लौंडे से क्या वायदा किया था? बोल.. बोल? शाकिर फिर से हँस दिया, अनजान बन कर बोला- क्या? इरशाद ने आगे बढ़ कर किवाड़ दुबारा लगा दिए और जोर से कहा- किवाड़ नहीं पैन्ट खोल.. भोसड़ी के.
शाकिर हँसते हुए बोला- वाह भाई साहब.. उस लौंडे की अभी मार ली तो उसकी तरफ हो गए.. ठीक है. मैं भी देख लूंगा, आपको ये लौंडा मैंने दिलाया है, जिसकी गांड का आपने मजा लिया. इरशाद ठंडा पड़ा बोला- भाई तू चाहे तो मेरी मार ले, पर इस लौंडे से वायदा कर के लाया था कि मरवाएगा. ये तेरा ही दोस्त है कि नहीं?
इरशाद ने आगे बढ़ कर शाकिर की पैन्ट खोल दी, अंडरवियर नीचे खिसका दिया और उसके चूतड़ चूम लिए. फिर अपनी उंगली में थूक लगा कर उसकी गांड में घुसेड़ कर घुमाने लगा. फिर मनाते हुए कहा- चल मेरा भैया! लेट जा अच्छा भैया!! इरशाद ने उसका एक चुम्बन ले लिया.
शाकिर लेट गया, वह सीधा लेटा था. फिर उसने करवट ली, मैंने उसकी पीठ के पीछे लेट कर उसकी एक टांग टेढ़ी की, अपनी उंगली में थूक लगा कर उसकी गांड में डाली. वह उंगली डालते वक्त नखरा करने लगा- आह आह लग रही है. मैंने कहा- यार चूतिया मत बना, ये उंगली है साले.. लंड नहीं.
वो हँसने लगा, उसकी कलई खुल गई. तब तक उसकी ही पैन्ट में से इरशाद ने वैसलीन की शीशी ढूंढ निकाली और मुझे दे दी. अब शाकिर ने खुद ही शीशी का ढक्कन खोला, फिर उंगलियों में लेकर अपनी गांड में लगा कर दोनों उंगलियां डाल लीं.
अब वह चुप था तो मैंने उसकी गांड में उंगली को घुसेड़ दिया. वो औंधा सा होकर लेट गया. मैंने अपने लंड पर वैसलीन मली थूक लगाया, उसकी गांड पर टिकाया कर जोर लगाया. तो वह जोर से चिल्लाया- लग रही है. उसने गांड टाइट की, पर जोर के धक्के से सुपाड़ा अन्दर चला गया. इरशाद ने उसके चूतड़ों पर चांटे मारे- ढीली कर साले..
वो उन्हें देखने लगा और गांड ढीली कर दी. तब मैंने पूरा अन्दर डाल दिया और अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा. मैंने थोड़ी टांगें चौड़ी करने को कहा, उसने कर लीं. अब मैं जोर जोर से लंड पेलने लगा. वो इरशाद से बोला- तुम इसे लौंडा कहते हो.. इसका लंड तो बड़ा गांड फाड़ू है.
उसने गांड सिकोड़ने की कोशिश की, पर अब पूरा लंड अन्दर था. दो तीन ठोकरों में उसकी गांड ढीली पड़ गई. अब वह ‘आह आह उई उई.. लग रही है..’ चिल्लाता रहा. पर मैं पेलता रहा.
तब तक इरशाद ने एक तकिया, जो नीचे पड़ा था.. मुझे दिया. मैंने उसकी कमर के नीचे लगा दिया.. इससे शाकिर की गांड ऊंची हो गई. अब मेरे धक्के जोरदार हो गए थे. वह भी चुप हो गया और उसकी गांड अपने आप हरकत करने लगी. वह सहयोग करने लगा तो मैंने जोश में आकर धक्कम पेल मचा दी. वह मुस्कुरा रहा था- वाह बेटे.. तू तो बड़ा जोरदार है.. ऊं.. हां.. और जोर से दम लगा दे.. रूक ले दम ले ले.. आह… हां.. फिर जोर लगा.
वह लंड का मजा ले रहा था. उसने गांड ढीली छोड़ दी और चूतड़ उचकाने लगा था. उसने मजे में मेरा ही चूमा ले लिया. मैं करीब पच्चीस मिनट तक उसकी गांड मारने में लगा रहा.
अब मैं झड़ गया तो वह खुश हो गया. हम दोनों अलग हुए, कपड़े पहने. दस मिनट तक यूं ही सुस्ताते रहे.
इरशाद ने कहा- अब तुझे हम दोनों में से जिसकी मारना हो मार ले. तेरी वजह से इतना माशूक मस्त लौंडे की मारने को मिली. तूने तबियत खुश कर दी.. बोल मेरी मार ले.. मारेगा? वह मेरी ओर देखने लगा. मैं बोला- मैं तैयार हूँ.
मैंने अपनी पैन्ट फिर से खोल दी और उसको अपने चूतड़ दिखाते बोला- लेट जाऊं? वह मुस्कराते हुए बोला- तेरी तो अभी चिनमिना रही होगी.. भाई साहब ने अभी कस के रगड़ दी.. अभी नहीं, फिर कभी. ये तो तेरे पर जुल्म होगा. मैं- नहीं भाई शाकिर.. उन्होंने मेरी गांड बड़े प्यार से मारी है, रगड़ी नहीं. तू दिल की पूरी कर ले.. मैं तैयार हूँ. मुझे कोई दर्द नहीं है.. मेरी गांड फिर से फ्रेश है. शाकिर- नहीं भाई तू मेरा दोस्त है, फिर कभी मार लूँगा. इरशाद- तो मेरी मार ले. शाकिर- नहीं भाई.. फिर कभी, आप दोनों का शुक्रिया.. चलो अब चलें.
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