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दोस्तो, मेरा नाम राज है, उम्र 35 साल, वैवाहिक जीवन भी अच्छा चल रहा है, मतलब पत्नी की चूत चुदाई भी ख़ूब होती है। नयी नयी शादी के बाद पहले हम लोग सिर्फ़ किस विस करके एक दो स्टाइल में ही चुदाई किया करते थे, मुश्किल से दस मिनटों में काम ख़त्म क्योंकि मेरी पत्नी नए प्रयोग करने में संकोच करती थी और मैं अधूरा सा रह जाता था।
अब क़रीब तीन साल बाद यह हाल है कि जब तक एक दूसरे को मुखमैथुन से सन्तुष्ट ना करें, तब तक लिंग महाशय योनि में प्रवेश नहीं करते। पत्नी के गुदाज स्तनों को चूस कर, बग़लें, गर्दन, कान, पीठ, चूतड़, जाँघें आदि को चूम कर बहुत गर्म करता हूँ और फिर अलग अलग आसान में देर तक चुदाई करता हूँ। और ये सब अन्तरवासना.कॉम की मेहरबानी है, पत्नी को अति कामुकता भरी कहानियां पढ़ने देता हूँ जिससे वो भी पूरा साथ देना सीख गयी है। बस आज तक कभी गुदा-भेदन नहीं करने दिया, उम्मीद है कि लिंग महाशय को ये काम भी करने का मौक़ा जल्द मिलेगा।
चलो अब मेरी पहली कहानी पे आते है, ये मेरे विवाह पूर्व की चुदाईयों में से एक चुदाई की कहानी है। उस समय मैं 25 वर्ष का था और औरों की तरह मुझे भी ब्लू मूवीज़ का शौक़ था, मुझमें भी किसी ‘नमकीन’ को चख़ने की लालसा घर किये हुए थी। तब मेरी नौकरी एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में अलग शहर में लगी और वहाँ एक मित्र के अंकल के घर में पेयींग गेस्ट के जैसे रहने लगा; घर में अंकल, आंटी और उनकी 19 वर्षीय लड़की के अलावा मैं एक, कुल मिला कर चार लोग ही थे।
वैसे तो मैं उन्हें काफ़ी पहले से जानता था और उनकी लड़की (यशस्वी) को भी बहुत पसंद करता था और वो भी मेरे साथ बहुत मस्ती करती थी लेकिन एक सीमा तक।
एक दिन सुबह जल्दी आँखें खुल गयी, घर में देखा तो अंकल और आंटी सैर के लिए गए हुए थे, एक कमरे में उनकी लड़की गहरी नींद में सो रही थी, बहुत ही प्यारी लग रही थी, गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ और स्तन पहाड़ों जैसे उठे हुए थे, दिल कर रहा था कि जाकर ख़ूब प्यार करूँ पर डर भी लग रहा था। फिर भी डरते डरते एक हल्का सा चुम्बन उसके नर्म मुलायम होंठों पे दिया, वो पल आज भी मेरे किए अविस्मरणीय है। फिर हल्के से उसके स्तनों को सहला कर, टी शर्ट के ऊपर से चूम कर वापिस अपने कमरे में आ गया।
उत्तेजना की वजह से मैं बाथरूम में जाकर यशस्वी के बारे में सोचकर 61-62 करने लगा, कुछ ही देर में मेरे लंड से लावा बहने लगा। किसी लड़की को चूमना या स्तन सहलाना मेरा पहला अनुभव था। उस दिन के बाद से उसका व्यवहार मेरे प्रति कुछ बदल सा गया, वो मेरे और क़रीब आने की कोशिश करने लगी जो मुझे भी अच्छा लगने लगा। शायद वो उस दिन गहरी नींद में नहीं थी और मेरी चूमने वाली हरकत जान गयी थी।
दिन बीतते गए और हम क़रीब आते गए। आंटी भी जान गयी थी के हम दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे है, उनकी तरफ़ से भी कोई ऐतराज़ नहीं था।
एक दिन अंकल आंटी को कुछ ज़रूरी काम से दो दिन के लिए मुंबई जाना पड़ गया, चूँकि मैं घर सब के साथ अच्छा घुलमिल गया था तो वे मुझे घर की और यशस्वी की ज़िम्मेदारी दे कर चले गए, यशस्वी की परीक्षा नज़दीक थी इसीलिए वो नहीं गयी।
घर के नित्य कामों के लिए एक कामवाली भी थी जो झाड़ू पोंछा कपड़े बर्तन साफ़ करके चली जाती थी। अब खाना बनाना ना यशस्वी को आता था और ना मुझे, सिवाय चाय या मैगी बनाने के, तो मैं बाहर होटेल से ही खाना पैक करवा के और कुछ फ़्रूट्स भी ख़रीद कर ले आता था।
पहली रात हम दोनों खाना खाने के बाद देर रात तक टीवी देख रहे थे, यशस्वी सोफ़े पर लेटी हुई थी और मैं उसके बाज़ू में बैठा हुआ था। सोफ़े पर बैठे बैठे मुझे नींद आने लगी थी, तभी यशस्वी का हाथ मेरे कानों पे जा लगा, मुझे गुदगुदी सी होने लगी। एक दो बार मैंने उसे रोका लेकिन वो नहीं मानी, मैं उठने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर फिर से सोफ़े पर बिठा दिया। उसके हाथ अपना काम कर रहे थे और मेरे शॉर्ट्स में भी हलचल शुरू होने लगी थी, थोड़ी देर बाद मैं यशस्वी के ऊपर हल्का सा गिर कर, दायां हाथ उसके एक स्तन पर रखकर उसके होंठों को चूम लिया, फिर दाएं गाल पर भी एक चुम्बन दे दिया और उसके स्तन को थोड़ा दबा दिया।
इससे वो थोड़ा सिहर गयी, मैं उठ कर अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गया। थोड़ी देर बाद वो मेरे पास आ कर बैठ गयी, कहने लगी कि उसकी पीठ में दर्द हो रहा है तो मैं उसे थोड़ी मालिश कर दूँ। मैं उठ कर तेल गरम करने गया और इतनी देर में वो अपनी टी शर्ट थोड़ा उँचा करके बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी, मैं मालिश करने लगा, टी शर्ट की वजह से ठीक से मालिश नहीं कर पा रहा था।
इतने में यशस्वी ने ख़ुद अपनी टी शर्ट निकल दी, मैं गर्दन से कमर तक मालिश करने लगा, फिर उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स भी बीच में आने लगी, पूछ कर मैंने ख़ुद ही स्ट्रिप्स खोल दी, अब पूरी नंगी और दूध जैसी गोरी पीठ मेरे सामने थी। कभी कभी बाजू से दिख रहे स्तनों को भी सहला देता था, वो गर्म हो रही थी, थोड़ी आहें भी भर रही थी।
चूतड़ों और जाँघों की मालिश के बहाने उसकी केप्री और पैंटी भी निकलवा ली। यशस्वी अब भी पेट के बल लेटी हुई लेकिन पूरी नंगी। उसे इस हालत में देखके मेरा लण्ड भी अकड़ गया था। गोल गोल चूतड़ों की जम के मालिश की, कभी चूतड़ों की दरार में हल्के से उंगली घुमा देता तो कभी चूत में।
उसकी चूत गिली हो रही थी और उसकी आहें थोड़ी तेज़ हो गयी थी। जाँघों की मालिश के बाद, चुपके से अपनी टी शर्ट और शॉर्ट्स निकाल नंगा होकर उसके चूतड़ों पे बैठ गया, पहले अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और फिर से पीठ की मालिश करने लगा और मेरा कड़क लण्ड कभी उसके चूतड़ों की दरार में घिसने लगा और कभी चूत की दीवारों पर। उसे भी मजा आ रहा था और मुझे भी। यह सब हम दोनों की मौन स्वीकृति से हो रहा था।
कुछ देर बाद वो चीख़ उठी और फिर शांत हो गयी, चूत से पानी बहने लगा था जो जाँघों पर, चादर पर फैल गया। मेरी उंगली को उसके चूतरस में थोड़ा भिगो कर अपनी जीभ से चाट कर देखा तो मुझे बड़ा ही स्वादिष्ट लगा। इतने में चूतड़ों पे घिसते हुए मेरे लंड ने भी उसके गुदा द्वार पर लावा उगल दिया।
चादर के एक कोने से उसको साफ़ करके जैसे ही मैं उठा वो पलट कर पीठ के बल आ गई और मुझे अपनी ओर खिंच लिया, हम दोनों आलिंगनबद्ध हो गए। यशस्वी ने मुझे कसके पकड़ा हुआ था।
फिर उसने मेरे कान में कुछ कहा जिसे सुनकर मैं हैरान हो गया, उसने कहा – राज मैं तुम्हें बेहद पसंद करती हूँ, प्यार भी करने लगी हूँ, मैं ख़ुद चाहती थी कि तुम मुझे पहली बार चोद कर हमेशा के लिए अपना बना लो, मेरी कोरी चूत में अपना लंड डालकर उसे मेरे ख़ून और तुम्हारे वीर्य से सजा दो, आज मौक़ा मिला है तो इसे जाने मत दो, मुझे दो दिनों तक बहुत प्यार करो। अब तक मैं अपनी उंगली को ही तुम्हारा लंड समझ कर चूत की प्यास मिटाती आयी हूँ अब इसे असली लंड दे दो।
हमारे होंठ फिर से आपस में मिल गए, बहुत देर तक एक दूसरे को चूमते रहे। मैंने उसके गालों पर, माथे पर, आँखों पर, कानो पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। कानों की लौ चूसने के बाद उसकी गर्दन को चूमने लगा, वो आहें भरती गई। कंधों को चूमने के बाद उसके गले को भी चूमने लगा, फिर नीचे आते हुए उसके एक स्तन को छोटे बच्चे के जैसा चूसने लगा और एक हाथ से दूसरे स्तन को दबाने लगा, कुछ देर बाद दूसरे स्तन को चूसते हुए पहले वाले को दबाने लगा।
वो भी उत्तेजना में मेरे सर को ज़ोर से अपने स्तनों में दबाने लगी, फिर किशमिश की तरह दिखने वाले चूचुकों को प्यार से काटने लगा तो ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और मेरी पीठ पर अपने नाख़ून चुभाने लगी।
यशस्वी के गुदाज स्तनों को जी भर के चूसने के बाद मैं उसके पेट को चूमते चाटते हुए नाभि-बिंदु को छेड़ने लगा, अपनी जीभ नाभि के आसपास गोलाई में फेरने लगा, फिर नाभि के अंदर घुसाने लगा जिससे वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी, ज़ोर से चिल्लाने लगी, मैं समझ गया कि यह अब झड़ने वाली है, मैंने तुरंत अपनी जीभ उसकी हल्की रोयेंदार चूत पे लगा दिया और आइस क्रीम की तरह चाटने लगा.
कुछ ही सेकंडस् में उसकी चूत ने रस छोड़ दिया जिसे मैंने चटकारे लेकर चाट लिया, चूत के अंदर जीभ डाल कर एक एक बूँद चट कर गया। उसका तो काम हो गया था लेकिन मेरे लंड महाशय तो अकड़े हुए थे, उसकी अकड़ निकालने के लिए मैं यशस्वी से कुछ कहता इससे पहले वो पलट कर मेरे लंड के पास आयी, लंड को चादर से थोड़ा साफ़ करके चूमने लगी, ऊपर से नीचे तक चूमा, मेरे अंडकोशों को मुँह में लेकर चूसने लगी, उसकी यह अदा मुझे दीवाना बना रही थी।
फिर लंड के टोपे पर अपनी जीभ घुमाने लगी, मेरा भी यह पहला अनुभव था जिसके आनंद के सागर में मैं गोते लगा रहा था।
अब उसने लंड को चूसना शुरू किया, एक हाथ से लंड की त्वचा को ऊपर नीचे करते हुए चूसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तब उसे मुँह हटाने को कहा लेकिन शायद उसने अनसुना करके अपनी चूसाई चालू रखी, मैं भी कब तब रोके रखता, वीर्य की धार उसके मुँह में छूटती रही जिसे उसने बाद में थूक दिया क्योंकि एक तो वो गरम था और उसका मुँह में लेना पहली बार था वरना पहली बार में लंड चूसने की भी हिम्मत कोई लड़की नहीं करती। उसने यह सब अपनी सही दोस्तों के साथ ब्लू मूवीज़ देखकर सीखा था, वीर्य का स्वाद उसे नमकीन लगा यह उसने बाद में बताया।
हम दोनों थक चुके थे तो थोड़ी देर एक दूसरे की बाँहों में आराम किया। मैं उठ कर हम दोनों के लिए बादाम वाला गर्म दूध बना कर ले आया, पीने के कुछ देर बाद फ़्रेश होने बाथरूम गए, वहाँ एक दूसरे को शॉवर के नीचे नहलाने लगे। मैं उसकी चूत को साबुन से साफ़ कर रहा था और वो मेरे लंड को। फिर मैं उसके पीछे जाकर उसके स्तनों को साफ़ करने लगा या यूँ कहिए की मर्दन करने लगा. लंड महाशय भी जागते हुए अपनी जगह यशस्वी के चूतड़ों के बीच बना रहे थे।
हम दोनों फिर से उत्तेजित होने लगे, मैं झुक कर उसकी चूत को फिर से चूमने चाटने लगा जिससे उसके पैर काँपने लगे, मैं उसे उठा कर बिस्तर पर ले आया, उसने मेरा लंड पकड़ लिया और अपने मुँह के पास खींचने लगी, उसका इरादा समझ कर मैं 69 वाले आसन में आकर उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड किसी लॉलीपॉप की भाँति चूसने लगी।
हम दोनों दुनिया को भुलाकर एक दूसरे में खोए रहे। अचानक उसने मेरे लंड को प्यार से काट लिया और मैं दर्द से काँप उठा, वो हँसने लगी, मैं उठकर उसकी टाँगे ऊपर करके अपना लंड उसकी पनियाती चूत पे रखकर धक्का लगाने लगा, गीलेपन की वजह से लंड फिसल गया, वो और हँसने लगी। मैं उसके स्तनों को ज़ोर से दबाने लगा, चुचूक़ों को पकड़ के उमेठ दिया, अब वो दर्द से चिल्ला उठी और मैं हँसने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पर लगाया और धक्का लगाने के लिए कहा।
मैंने जैसे ही लंड को हल्के से आगे सरकाया तो उसके चेहरे पर दर्द के भाव साफ़ उभर आ गए, वो मुझे रुकने के लिए मना करने लगी और कहने लगी- राज रुको मत, आज मुझे ये दर्द महसूस करने दो जो जीवन में एक बार ही मिलता है।
मैंने थोड़ा और ज़ोर लगा के लंड को उसकी चूत में आगे बढ़ाया, वो दर्द से चिल्ला उठी, मुझे भी कुछ गरमाहट महसूस हुई, देखा तो मेरी यशस्वी का चूत्घाटन हो चुका था, ख़ून की कुछ बूँदें मेरे लंड पर चमक कर गवाही दे रही थी।
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए बधाई दी और उसने भी मुझे चूम कर बधाई दी, उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन वो ख़ुशी के थे।
फिर हमारी धक्कमपेल शुरू हुई, उसके स्तनों को चूसते हुए, होंठों को, गालों को चूमते हुए हमारी चुदाई चलती रही, सिसकारियों की आवाज़ से बेडरूम गूँजता रहा। कुछ देर बाद मैंने यशस्वी को अपने ऊपर ले लिया, वो अब मेरे लंड पर कूद रही थी, मेरे हाथों में उसके दोनों स्तन थे, कभी दबा रहा था तो कभी चूस रहा था और नीचे से धक्के भी लगाए जा रहा था।
कुछ दस मिनटों बाद वो काँपने लगी तो उसे बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आकर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा, थोड़ी ही देर में उसका पानी निकलने लगा जिसकी वजह से मेरा लंड और तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा और कुछ ही धक्कों के बाद एक चीख़ के साथ मैं भी अपना वीर्य उसकी चूत में भरने लगा।
यशस्वी के चेहरे पर संतुष्टि साफ़ दिखाई दे रही थी।
इन दो दिनों में हमने चार बार चुदाई की और आगे जब भी मौक़ा मिलता था हम एक दूसरे में खो जाते थे।
मैं दो साल उनके घर रहा और हमने कई बार अलग अलग आसनों में चुदाई की।
मेरा तबादला किसी और शहर में हो गया और वो भी आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गयी।
दोस्तो, मेरी पहली कहानी आपको कैसी लगी मुझे ईमेल कर ज़रूर बताना! [email protected]
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