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मेरा नाम अतुल है और यह मेरी पहली हिंदी सेक्स कहानी है. अगर कोई ग़लती हो तो कृपया माफ़ कीजिएगा और हो सके तो मुझे मेरी ग़लती के बारे में ज़रूर बतायें ताकि मैं आगे वह ग़लती ना करूँ.
अब कहानी पर आते हैं. यह कहानी मेरी और मेरी बुआ की लड़की की है, उसका नाम मेनका है, वह मुझसे उमर में 6 साल बड़ी है. वह हमारे पूरे परिवार मैं सबसे सुंदर हैं. अपने नाम की ही तरह वो किसी भी साधु की तपस्या भंग करने का हुनर रखती है. बात उस समय की है जब मैं 18 साल का था.
दीदी बहुत अच्छी थी, जब भी मम्मी की तबीयत खराब हो जाती थी तो मम्मी दीदी को बुला लेती थी. दीदी भी मुझे बहुत प्यार करती थी. मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह जो हो सकता वो उनके लिए करता था. जब भी वो आ जाती थी तो उनके लिए प्यार से कुछ कुछ लाता रहता था, कभी हॉट-डॉग तो कभी चाऊमीन. मैं उन्हें शुरू से ही बहुत प्यार करता था. मैंने कभी दीदी को गलत तरीके से नहीं देखा था.
लेकिन जो होना होता है उसे कौन रोक सकता है. उस समय मम्मी सीढ़ियों से गिर गयी थी तो उनकी पीठ में फ्रॅक्चर हो गया और दो महीने के लिए बेड-रेस्ट के लिए बोला गया इसलिए पापा ने दीदी को बुला लिया. पापा एक मल्टी-नॅशनल कंपनी में काम करते हैं इसलिए वो घर पर ज़्यादा नहीं रह पाते थे.
दीदी के आने से मैं खुश तो था लेकिन मम्मी के लिए दुखी था क्योंकि अब मम्मी का चलना मुश्किल था दो महीने के लिए.
लेकिन दीदी ने आकर मुझे और मम्मी को संभाल लिया और घर का सारा काम संभाल लिया. दीदी इतना काम करती थी, फिर थक भी जाती थी तो मैंने सोचा कि मैं दीदी को जितना खुश कर सकता हूँ उतना तो करूँ. इसलिए मैं अपनी पॉकेट-मनी से रोज दीदी के लिए फास्ट फूड या कभी कुछ ओर खाने के लिए लाने लगा. मैं जब भी कुछ लाता दीदी की आँखें खुशी में झूमने लगती और दीदी प्यार से मेरे गालों पर एक पप्पी कर देती. मुझे भी बहुत अच्छा लगता था दीदी को खुश देख कर भी और क़िस्सी लेकर भी.
दीदी मेरे ही कमरे मैं सोती थी, हम रोज बातें करके सो जाते थे.
एक दिन दीदी ने कहा- अतुल, तेरी छुट्टियाँ कब शुरू होंगी? मैंने बताया- दीदी बस दो दिन बाद शुरू हो जायेंगी. तो दीदी की आँखों में एक चमक़ आ गयी, वो मैंने पहली बार देखी थी.
मैंने दीदी से पूछा- दीदी क्या हुआ? कोई काम था क्या? मेनका दीदी- नहीं, बस ऐसे ही, मैं सोच रही थी कि तू कॉलेज चला जाता है, मैं पूरे दिन घर मैं बोर हो जाती हूँ. खैर अब तेरे साथ मस्ती करूँगी और तुझे एक ज़रूरी बात भी बतानी है. मैं- कौन सी बात दीदी? मेनका- है एक बात… जो मैं तुझे बहुत समय से बताना चाहती हूँ लेकिन बता नहीं पाई. अब दो दिन बाद ही बताऊँगी, अभी सो जा मेरे प्यारे भाई! मैं- ओ के प्यारी दीदी!
दो दिन तक मैं सोचता रहा कि आख़िर दीदी कौन सी बात बताना चाहती हैं.
फिर वो दिन भी आ गया. मेरी सर्दियों की छुट्टियाँ पड़ गयी. रात को मम्मी को खाना देकर दीदी जब रूम में आई तो मैंने दीदी को परेशान करना शुरू कर दिया- बताओ ना दीदी, क्या बात है जो आप मुझसे इतने दिनो से कहना चाहती थी लेकिन कह नहीं सकी? दीदी मेरे पास आई और बोली- अतुल, ध्यान से मेरी बात सुनना और गुस्सा मत होना मुझसे! मैं- दीदी, कैसी बातें करे हो आप मैं आप पर कैसे गुस्सा हो सकता हूँ?
फिर दीदी ने मेरी गालों पर धीरे से हाथ रख कर कहा- मैं जानती हूँ अतुल कि तू मेरा छोटा भाई है लेकिन तू इतना प्यारा है और मेरा इतना ख्याल रखता है कि अब मुझे कुछ कुछ होने लगा है तेरे लिए, मैं अब यहाँ इसलिए आती हूँ ताकि तुझसे मिल सकूँ. अतुल मुझे तू बहुत अच्छा लगने लगा है. ‘आई लव यू…’
मैं बस देखता ही रह गया और दीदी ने मेरे लबों पर चुम्बन कर दिया. मेरे पूरे तन बदन में करेंट दौड़ उठा, मेरी कामुकता जाग उठी… लेकिन ये मेरी दीदी थी, मैंने दीदी को हटाया.
मेनका- अतुल, क्या मैं तुझे अच्छी नहीं लगती? मैं- लेकिन दीदी, आप मेरी दीदी हो! दीदी ने एक किस और की और कहा- भाई, प्यार रिश्ते नाते देख के नहीं होता, बस हो जाता है.
मेनका- क्या मैं तुझे अच्छी लगती हूँ? बस ये बताओ? मैं- हाँ दीदी, लेकिन पापा?
मेरे कुछ कहने से पहले ही दीदी खुशी से झूमने लगी जैसे उनकी कोई बरसों पुरानी दुआ भगवान ने आज सुन ली हो. दीदी को खुश देख कर मुझे भी बहुत अच्छा लगा. मेनका- तुम उनकी चिंता मत करो, ये बात हम दोनों के अलावा और किसी को नहीं पता चलेगी.
फिर दीदी मुझे किस करने लगी लेकिन मैंने आज तक ये सब कुछ नहीं किया था इसलिए मैं थोड़ा हिचक रहा था. मेनका- अतुल, तूने कभी किसी लड़की को किस नहीं किया क्या? मैं- नहीं दीदी! मेनका- कोई नहीं भाई, आज मैं तुझे सिखाती हूँ कि एक लड़की को कैसे प्यार करते हैं.
दीदी ने धीरे धीरे मेरे और अपने कपड़े निकाल दिए. आज पहली बार मैंने दीदी को बिल्कुल नग्न देखा था. मेरा लंड खड़ा होने लगा था. मैं- दीदी मुझे नीचे कुछ हो रहा है. मेनका- अतुल, कोई बात नहीं, मैं सब ठीक कर दूँगी.
दीदी मुझे बेड पर गिरा कर मेरे पूरे बदन को चूमने लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मेनका- अतुल, मैं तुझे बहुत प्यार करती हूँ और मैं पूरी की पूरी तेरी होना चाहती हूँ. मेरी आग को आज बुझा दे. मैं- दीदी कैसे लेकिन? दीदी नीचे आ गयी और मुझे अपने ऊपर ले लिया. मेनका- मेरी चुत को चाट न प्लीज़!
मैं दीदी की चुत को चूसने लगा. पहले तो मुझे थोड़ी घिन आई लेकिन बाद में मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. फिर दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं- आहह दीदी आह… बहुत अच्छा लग रहा है… आअह आह दीदी! मेनका- गुउ उउम्म आअहह… हाँ भाई…
दीदी मेरे लंड को अपने दोनों हाथ में पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी. मुझे उनकी आँखों में एक अलग ही चमक दिख रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी आग में जल रही हों और मुझसे उसको शांत करवाना चाहती हों. मैं भी दीदी को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था. दीदी मेरे पिंक टोपे को बार बार अपने मुँह में लेकर उसको अपनी लार से गीला कर रही थी. वो उसे अपने होठों में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.
मैं- आहह आह दी…दी… आह मुझे कुछ हो रहा है दी…दी… कुछ आ रा है बाहर दीदी… दीदी मेरा सूसू आ रहा है आप मुँह हटा लो ना प्लीज़… लेकिन दीदी ने मेरी बातों को अनसुना कर दिया और मेरे लंड से कुछ सफेद सफेद निकल गया जिसको दीदी ने पूरा का पूरा पी लिया. मैं- छी… छी… दीदी आपने मेरा सूसू क्यूँ पिया?
मेनका- भाई सूसू सफेद कब से होने लगा और वो भी इतना गाढ़ा… हा हाहा मेरे बुद्धू भाई! दीदी मेरे भोलेपन पर हंसने लगी. मुझे शर्म आ गयी इसलिए मैं सर नीचे करके अपनी नादानी से शर्मसार हो गया.
मेनका- अरे मेरे भाई को शर्म आ गयी… मेरा प्यारा भाई, अभी तू छोटा है इसलिए तुझे कुछ पता नहीं है लेकिन इसमें इतना दुखी होने की बात नहीं, मैं अपने भाई को सब समझा दूँगी. ओके… दीदी- चलो अब तेरे दूसरे लेसन का टेस्ट होगा. जैसे मैंने तेरा पानी निकाला है वैसे ही अब तू भी मेरा पानी निकाल!
फिर दीदी नीचे आ गयी और मैं उनके ऊपर आकर उनके बदन के हर हिस्से को चूमने लगा. मैं इतना भी नासमझ नहीं था इंग्लिश मूवी तो मैंने देखी ही थी, मैंने दीदी के दोनों बूब्स को हाथों में पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया… मेनका- आह आह आह आह… भाई, ये कहाँ से सीखा तूने… आह आ आह आहहह… ऐसे ही भाई आअहाह्ह ऐसे ही मेरी जान… खा जा मुझे अतुल… चूस ले मेरा दूध… खा जा मुझे… आ अहह्ह्ह…
फिर मैं दीदी की नाभि को चूसने लगा, उसमें अपनी जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगा. मेनका- आह आह अतुल, इतना मजा मुझे कभी नहीं आया… आइ लव यू अतुल! मैं- आई लव यू टू दीदी! मेनका- नहीं अतुल, अब मैं तेरी दीदी नहीं रही, अबसे हम दोनों प्रेमी प्रेमिका हैं. तो अबसे तू मुझे नाम लेकर बुलाया करेगा. मैं- ओके दी… सॉरी मेनका! मेनका- हम्म अब ठीक है जान…
फिर मैं और नीचे जाने लगा और मेनका की चूत मेरे सामने खुली रखी थी जैसे मुझे अपने पास आने का निमन्त्रण दे रही हो. मैं- मेनका, मैं तुम्हारी चूत को प्यार कर लूँ? मेनका- अतुल, ये भी कोई पूछने की बात है अब तो मैं पूरी की पूरी तेरी हूँ… तू जो चाहे वो कर सकता है मेरे साथ!
इतना कहना ही था कि मैंने एकदम अपनी गीली जीभ मेनका की चूत पर रख दी और ज़ोर ज़ोर से चूत को चाटने लगा. मेनका- आह आह आअह्ह हह अतुल, ये क्या कर दिया आह आह बहुत अच्छा लग रहा है… ऐसे ही करता रह… ऐसे ही मुझे प्यार करते रहना अतुल हमेशा! मैं- मेनका, मैं अब पूरा का पूरा तुम्हारा हूँ… हमेशा ऐसे ही तुम्हें प्यार करता रहूँगा.
और मैं अपनी जीभ की नोक बना कर मेनका दीदी की चूत में घुमाने लगा. हमें प्यार करते हुए करीब 20 मिनट हो गये थे. मेरा लंड मेनका की चूत को चाटने की वजह से फिर से खड़ा हो गया था लेकिन इस बार वो मुझे कुछ ज़्यादा ही बड़ा लग रहा था.
मेनका- आह आह अतुल, चूसते रहो मेरी चूत को, मेरा आ…आह आहह्हा हाअ आहहाहा निकलने वाला है आह अहह… अतुल मैं… आह अतआ… गयी… अतु…ल… आहहहह्ह… और मेनका दीदी की चुत का ज्वालामुखी फट गया. मेनका के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे.
मेनका- अतुल, आइ लव यू सो मच… मैं- आइ लव यू टू जान… मेनका- तेरा लंड तो फिर से खड़ा हो गया? और इस बार तो यह और भी बड़ा लग रहा है… ला इसको सेकेंड राउंड के लिए तैयार करती हूँ.
और मेनका मेरे लंड को अपने दोनों हाथों में लेकर ऊपर नीचे करने लगी. फिर अपने मुख में लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया. मेरा लंड तो फटने की तरह हो गया था… मेरे लंड का लाल टोपा फूल कर पिंक हो गया था. मैं- मेनका आह… मेरा लंड आह या आह आह फॅट रा है आह… कुछ करो वरना मैं मर जाऊँगा… आह आ…
मेनका- ऐसे ही थोड़ी मरने दूँगी मैं अपने राजा को… अभी तो इसे एक ज़रूरी काम करना है.
मेनका बेड पर लेट गयी और मुझे अपने ऊपर आने को कहा. मैं मेनका के ऊपर आ गया और फिर उसने अपनी चूत को अपनी दोनों उंगलियों से खोल कर कहा- अतुल, अब मत तड़पाओ, चोद दो मुझे… मेरी चूत मैं अपना लंड डाल दो… बना लो मुझे अपनी रानी… मेरे राजा… बजा दो मेरा बाजा… फाड़ दो मेरी चूत को आज… अपने अजगर से…
मैं अपना खड़ा लंड मेनका की चूत में धीरे धीरे डालने लगा. जैसे जैसे लंड चूत में जाने लगा, हम दोनों को दर्द होने लगा. मैं- आह मेनका आह मेनका… मुझे बहुत दर्द हो रहा है… दीदी आह आह मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा है मेनका… आह!
मेनका- कोई नी अतुल… सब ठीक हो जाएगा, आह्ह्ह आह आह तुम्हारी सील टूटी है आज इसलिए दर्द हो रहा है. मैं- आपको भी दर्द हो रहा है? मेनका- हान… आह आहहाः मेरी भी आह आह सील आह आह!
मेनका को ऐसे तड़पते देख मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल दिया… तो मैंने देखा मेरे लंड पर खून लगा हुआ था. मुझे दर्द भी हो रहा था लेकिन मेनका को दर्द में देख कर मैं अपना दर्द भूल गया था.
मेनका- आहाह्ह आह आह अतुल, आह क्या हुआ? लंड क्यूँ निकाला बाहर? मैं- नहीं मुझे नी करना ये सब, इससे आपको दर्द हो रहा है बहुत… मैं आपको दर्द में नहीं देख सकता बस! मेनका- ऑ-ऑ मेरे प्यारे राजा शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन कुछ देर बाद सब ठीक हो जाता है मेरे राजा… और तुझे किसने कहा कि मुझे दर्द हो रहा था? मुझे ये सब महसूस करना है जान… अब तू डाल रहा है अंदर या मैं ज़बरदस्ती करूँ तेरे साथ मेरे राजा?
और वो हंसने लगी. मैंने मेनका के दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिए और ज़ोर से एक धक्का मेनका की चूत में मारा. मेनका- आह आहा आह हा… मेरे राजा, आह आह मर गयी आह अहहहहा… फाड़ दी मेरी चूत आहह आह आह मेरे राजा… मार मार मार ज़ोर ज़ोर से मार अपनी जान की चूत में धक्के… आह आह हा … चोद चोद मुझे मेरे राजा… बजा दे मेरी चूत का आज बाजा…
मैं मेनका की चूत मारता रहा. उसे चोदते हुए मुझे करीब 15 मिनट हो गये थे. सर्दी के मौसम में भी हम दोनों पसीने पसीने हो गये थे. मेनका तो अब बहुत थक गयी थी. मैं- आह आह मेनका, मेरा निकलने वाला है… आह आह अहहहह… मैं आह आह गया… मेनका- आह हा आह आह अहहहा आ जा मेरे राजा, मेरे अंदर ही आ जा… मैं भी गयी बस आह आह हा अह्हहह… गयी… आह आह आह… मेरे… आह आह राजा…
और मैं और मेनका एक साथ आ गये.
हम दोनों थक गये थे और एक दूसरे को ऐसे ही बांहों में लेकर सो गये. मेरा लंड अभी भी मेनका की चूत में था.
यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी जो मैंने आप सबको बताई.
आपको मेरी हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी. बताना ना भूलें. आप मुझे मेल कर सकते हैं. [email protected]
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