This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मैं राज शर्मा एक बार फिर से हाजिर हूँ एक और मजेदार किस्से के साथ। मैं आप लोगों का बहुत आभारी हूँ, जिन्होंने मेरी कहानी जिगोलो बनने की सच्ची कहानी और खूबसूरत पंजाबन की प्यास को काफी सराहा।
मैं नई कहानी पर आता हूँ। यह रियल सेक्स कहानी मेरी एक ट्रिप की है जब मैं एक शादी में शामिल होने के लिए देहरादून जा रहा था। मैंने दिल्ली से स्लीपर बस ली। पूरी रात का सफर था पर मैं बस निकलने से कुछ सेकंड पहले ही बस स्टैंड पंहुचा था, टिकट ले लिया था पर सीट नहीं मिली। मैं खड़े खड़े ही बस में चल पड़ा इस उम्मीद में के शायद आगे जाकर कोई सीट मिल जाएगी। हालाँकि काफी देर तक सीट नहीं मिली।
मैंने कंडक्टर से पूछा तो उसने बताया लास्ट सीट की कार्नर सीट मेरठ में खाली हो जाएगी पर आप आगे निकल जाओ वरना कोई और बैठ जायेगा। मैं धीरे धीरे आगे पंहुच गया। मेरठ पार करके बाई पास पर कार्नर सीट पर बैठा लड़का उतर गया और झट से मैं वहां बैठ गया. कम्फर्ट अपनी जगह है और दुनियादारी अपनी जगह।
मेरे बराबर में एक लेडी बैठी थी और शायद उसके राइट साइड में उसकी माँ या सास! खैर मुझे क्या लेना, रात हो रही थी और सब सोने लगे थे। मैं सामने वाली सीट पर दोनों हाथ रखकर और हाथों पर सर रखकर सोने लगा।
मेरे पड़ोस में बैठी लेडी भी सो रही थी। मेरी आँख लगने के कुछ देर बाद एक झटके पर मेरी आँख खुली तो मुझे फील हुआ कि मेरे हाथ में कुछ है गोल सा मुलायम सा। मैंने सोचा हाथ खींच लूँ पर अगर वो जाग गयी तो बवाल हो जायेगा। मुझे घबराहट सी हुई कि अगर किसी को पता चला तो पिटाई लग जाएगी। मैंने हाथ वही रखा रहने दिया। थोड़ी सी घबराहट और उसके शरीर की गर्मी से मेरे पसीने छूट रहे थे। हालांकि दिसंबर का महीना था बहुत ठण्ड थी पर मेरी ठण्ड गायब हो चुकी थी।
थोड़ी देर बाद मैंने यह जानने के लिए कि वो सो रही है या जाग रही है थोड़ा सा हाथ को हिलाया। पर उसने कुछ रेस्पोंड नहीं किया। हालांकि मेरी इस हरकत से उसके निप्पल टाइट होने लगे थे। शायद उसने जानबूझ कर अपना पूरा वजन मेरे हाथ पर डाल दिया। अब मैं चाह कर भी अपना हाथ नहीं निकाल सकता था। अच्छी बात यह थी कि बस में लाइट बंद थीं और अँधेरा था।
मेरठ से मुजफ्फरनगर आने तक काफी सीट खाली हो गयी। मेरे पड़ोस की लेडी की माँ/सास सामने वाली सीट के ऊपर वाली स्लीपर पर चली गई। शायद उसकी रिलेटिव जाने के बाद वो भी टेंशन फ्री हो गयी थी और मेरी ओर खिसक गयी। बस में बहुत काम सवारियां बची थीं पर मैं और वो लास्ट सीट पर सोने की एक्टिंग करते हुए वही बैठे रहे। मेरे मन में भी गुदगुदी होने लगी थी और मैं थोड़ा और हाथ चलने लगा। हालांकि मुझे निश्चित तौर पर नहीं पता था पर मुझे महसूस हुआ कि वो भी सिसकारियाँ ले रही है। पर हम बिना कुछ हरकत करे ऐसे ही बैठे रहे।
मुज्ज़फरनगर से कुछ आगे जाकर बस एक ढाबे पर रुकी। शायद टाइम हुआ होगा कोई साढ़े दस या ग्यारह… सब लोग बस से उतरे और ढाबे पर कुछ खाने चले गए। बस 30 मिनट रुकने वाली थी। बस के खाली होते ही उस लेडी ने कुछ हरकत की और मैं और ज्यादा घबरा और अपना हाथ खींच लिया।
इससे वो लेडी उठ गयी और मेरी तरफ शरारत भरी नज़रों से देख कर बोली- क्या चल रहा है? मैंने कहा- मुझे नहीं पता। उसने कहा- तुम्हारा हाथ और तुम्हें ही नहीं पता? मैंने कहा- वो गलती से नींद में चला गया। वो बोली- बताऊँ क्या लोगों को? मैंने इंग्लिश कहा- इट वास नॉट इन्टेंशनली, गलती से हुआ। वो बोली- मुझे सब पता है तुम जैसे लड़कों का! और उठ कर बस से नीचे चली गयी।
मैं डर गया था कि कहीं ये जाकर अपनी रिलेटिव से या किसी और से न कह दे। खैर मैं भी नीचे उतरा और कुछ खाने के लिए खरीदने लगा। सोचा अगर इसने किसी से कहा तो मैं भाग जाऊंगा। पर मैं काउंटर से आया तो देखा वो आराम से अपनी रिलेटिव के साथ कुछ खा रही थी। मैंने चैन की सांस ली। पर वो लेडी को देख कर मैं हैरान रह गया, शायद 32 से 35 के बीच की उम्र होगी। गोरा रंग, गठा हुआ शरीर, गोल चेहरा और लाल लिपस्टिक। बस मैं अँधेरे में उसे देख नहीं पाया था ठीक से। मेरे अंदर ही अंदर एक संतोष हुआ के इतनी खूबसूरत औरत मेरे पास बैठी थी।
उसने मुझे इग्नोर सा कर दिया और अपनी रिलेटिव के साथ खाती करती रही। मैंने भी कुछ खाया और सब बस में बैठ गए। थोड़ी देर बाद बस चल पड़ी, मैं एक स्लीपर सीट पर जाने लगा तो उस लेडी ने मुझे इशारे से बुलाया और कहा- तुम्हारी सीट तो ये थी? मैंने कहा- नहीं, इट्स ओके, मैं स्लीपर पर बैठ जाऊंगा या आप स्लीपर पर चले जाओ, मैं यहाँ बैठ जाता हूँ। उसने कहा- तुम नाराज हो क्या? तुमने जानबूझ कर नहीं किया ना… तो क्यों परेशान हो, मैं नाराज नहीं हूँ। मुझे नींद नहीं आ रही क्या हम थोड़ी देर बात कर लें? मैंने कहा- कोई प्रॉब्लम नहीं! और मैं वहां बैठ गया।
हमारे बीच थोड़ी देर तक एक दूसरे को जानने पहचानने की बातें हुयी। उसने बताया कि उसका नाम पूनम है और वो अपनी सास के साथ देहरादून जा रही है, अपने घर। उसका हस्बैंड देहरादून में टेलीफोन डिपार्टमेंट में काम करता है। उसका पति टिपिकल सरकारी नौकरी वाला है और घर वालों ने उसकी शादी लड़के की नौकरी देख कर कर दी। उसका पति शराब पीता है और उसको टाइम नहीं देता। इसीलिए वो नाराज होकर अपने घर आ गयी थी दिल्ली में। और अब उसकी सास उसे समझा कर वापस ले जा रही है। उसका पति उस से 9 साल बड़ा है और एक अच्छा पति नहीं है। उसकी शादी को 5 साल हो गए पर उसके कोई बच्चा भी नहीं है।
मैंने भी अपने बारे में बताया और फिर दिल्ली की चीज़ों को लेकर डिस्कशन चलता रहा। इतने में उसको नींद आ गयी और वो मेरे कंधे पर सर रख कर सोने लगी (या शायद सोने का नाटक कर रही थी)। मैंने अपना हाथ घुमा कर उसके ऊपर रख दिया जिस से उसे थोड़ी काम ठण्ड लगे। मैंने देखा उसकी आँखों में आंसू थे तो मैंने उसे समझने की कोशिश की। उसने मुझे जोर से गले लगा लिया। थोड़ी देर तक हम ऐसे ही रहे। मैंने अपना हाथ घुमा कर उसकी कमर में डाल दिया और उसे और अपने पास खींच लिया। थोड़ी देर बाद उसने अपना चेहरा उठाया पर आँखें बंद रखी।
मैंने बिना देर किये अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए। उसने कस के मेरी पैन्ट पकड़ ली और खुद को मेरे हवाले कर सा दिया। हम कुछ देर तक ऐसे ही रहे। उसने कहा- तुम्हें लग रहा होगा कि ये कैसी औरत है कि शादीशुदा होने के बाद भी ऐसे कर रही है। मैंने कहा- कोई बात नहीं, इंसान को वही करना चाहिए जिसमें उसे ख़ुशी मिले।
मैंने उससे पूछा कि वो ऊपर स्लीपर पर जाकर सो जाये अगर चाहे तो, रात भर का सफर अभी बाकी है। उसने कहा- नींद तो आ रही है पर तुमसे बात करके अच्छा लग रहा है। मैंने कहा- चलो, मैं स्लीपर में तुम्हें सुला कर आ जाऊंगा।
करीब 12:30 पर वो स्लीपर में चली गयी और मैं भी मौका देख कर उसके स्लीपर में चला गया। हमने स्लीपर अंदर से लॉक कर लिया और परदे डाल दिए। मेरे दिमाग में भी पूरी प्रोग्राम चल रहा था बस मैं पहल करने से बच रहा था।
मैं जैसे ही उसके स्लीपर में गया, उसने मुझे लिटा कर अपना सर मेरे सीने पर रख दिया। मैंने उसके चेहरे को ऊपर लिया और किस करना शुरू कर दिया। रोड पर आते जाते वाहनों की लाइट परदे के किनारे से बस में आ रही थी और उसका खूबसूरत चेहरा चमक रहा था। मैंने उसे कस के पकड़ा और उसके होंठों को काफी जोर से चूस लिया। उसने मुझसे खुद को अलग किया और बोली- बहुत भरे पड़े हो? मैंने कहा- पता नहीं कल हम कहाँ होंगे, मैं इस रात को पूरी तरह से जीना चाहता हूँ।
उसने एक कातिलाना स्माइल देकर मेरे होंठ अपने होंठों में ले लिए और मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया। मेरे पैन्ट में मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। जिसकी वजह से मुझे थोड़ा असुविधाजनक लग रहा था। मैं उसके किस के बीच उसके ब्लाउज में हाथ डाल कर उसके स्तनों को दबाने लगा।
थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा और फिर उसे घुमा कर मैं ऊपर आ गया। हमारा किस चलता ही रहा। मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर फिरना शुरू किया। उसकी नाभि काँप रही थी और उसकी कमर हलकी रोशनी में गज़ब ढा रही थी। थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा और मैंने मौका देख कर उसके नाभि के नीचे से उसके पेटीकोट में हाथ डाल दिया उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- ये नहीं। मैंने कहा- इस कंडीशन में मत रोको, ये रात पता नहीं दुबारा मिलेगी या नहीं! पर वो नहीं मानी।
मेरा हाथ अब भी उसकी पैन्टी की इलास्टिक के अंदर था बस उसकी चूत थोड़ा सा दूर। मैंने हाथ नहीं निकाला, बस अपना किसिंग करना चालू रखा। उसने अभी भी अपने हाथ से मेरा वो हाथ अपने पेटीकोट के ऊपर से पकड़ा हुआ था। मैंने उसे और सिड्यूस किया और मौका देखते ही अपना हाथ उसकी चूत तक पंहुचा दिया। उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और हटाने लगी। पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने फिर मौका देख कर अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी।
उसकी पैंटी बहुत गीली हो चुकी थी जिस वजह से मेरी उंगली आसानी से उसकी चूत में चली गयी। उसकी सिसकारी निकल गयी और वो बोली -रा आ आ ज… इस्स.. बस रुक जाओ। मैं लगा रहा और उसे पूरी तरह गीला कर दिया। वो सेक्स के नशे में होने लगी थी और उसने अपना हाथ हटा लिया।
मैं उठा और उसकी साड़ी खोल कर साइड में रख दी। और फिर से किसिंग करते हुए उसकी चूत को उंगली से सहलाता रहा। थोड़ी देर में मैंने उसकी पैंटी निकाल दी। मैं उठ कर उसके पैरों के पास पहुंचा और उसके पेटीकोट में मुंह डाल कर उसकी जांघों को चाटने लगा। वो अभी भी सिसकारियाँ ले रही थी, कराह रही थी और मेरे बालों को खींच रही थी।
मेरा एक हाथ उसके ब्लाउज में था और उसके निप्पलों से खेल रहा था। मैंने धीरे से मुंह ऊपर किया और उसकी चूत पर लगा दिया। उसने मेरा सर पकड़ कर धकेला और बोली- ये नहीं, ये अच्छी चीज़ नहीं है, इसे मत करो। पर उसके चूत की खुशबू और उसकी मुलायम चूत को फील करते हुए मैं नहीं रुका और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और लगा रहा। थोड़ी देर में वो झड़ गयी और उसने मेरे चेहरे को अपनी जांघों से दबा लिया।
थोड़ी देर में उसने पकड़ ढीली की तो मैं उसके पेटीकोट के ऊपर से ही बाहर निकल पर उसके चेहरे के पास पहुँचा, हम दोनों एक ही पेटीकोट में फंसे थे, उसकी आँखें बंद थी और चेहरे पर संतुष्टि के आंसू बह रहे थे। मैंने पूछा- क्या हुआ? और उसने अपना सर मेरे सीने में रख कर मुझे कस कर पकड़ लिया। मैंने पूछा- क्या हुआ? तुम इसके लिए मना क्यों कर रही थी?
उसने बताया कि उसने ऐसा कभी नहीं किया तो उसे एहसास नहीं था। मैंने कहा- लिकिंग तो की होगी? उसने कोई रिप्लाई नहीं किया और हम दोनों के शरीर से पेटीकोट को नीचे कर दिया।
उसने मुझे नीचे लिटाया मेरी शर्ट और इनर्स उतार दिए, फिर मेरे माथे को, गलों को, होठों को, गले को, सीने को चूमते हुए नीचे पहुंच गयी और चैन खोल कर अंडरवियर के अंदर से मेरे लण्ड को निकाल कर चूसने लगी। क्या चूस रही थी यार… एक हाथ उसका मेरे लण्ड पर था और मुंह में बाकी का लण्ड। और जिस तरह से वो ऊपर जीभ फ़िर रही थी, मुझे लगा कहीं मैं पहले ही ना झड़ जाऊं। फिर उसने मेरी पैन्ट और अंडरवियर भी उतार दिए।
फिर वो वापस ऊपर आई और मुझे किस करने लगी। थोड़ी ठण्ड लगने लगी थी तो उसने अपना शॉल हमारे ऊपर डाल लिया। मैंने उसका ब्लाउज भी खोल दिया और उसकी ब्लैक ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल चाटने लगा। फिर मैंने उसे पूरी तरह से लिटा दिया और अपने पर्स से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर चढ़ाने लगा।
उसने मुझे रोक और कहा- इसके बिना करो। मैंने कहा- नहीं, सेफ्टी जरूरी है। उसने कहा कि उसे कोई प्रॉब्लम नहीं है और अगर करना है तो बिना इसके करो। मैंने सोचा कि इतनी सुन्दर औरत मेरे सामने है, ऐसे नहीं रह सकता और मैंने कंडोम साइड में रख दिया।
फिर मैं नीचे पंहुचा और उसकी चूत में लण्ड घुसाने लगा। “आह आ आ ह…” क्या फीलिंग थी, उसकी मुलायम चूत में लण्ड आराम से चला गया क्यूंकि वो पहले ही बहुत गीली हो रही थी पर पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। मैं मिशनरी पोजीशन में था, मैंने हाथों से उसकी टाँगें उठाई और एक दो धक्कों में पूरा लण्ड अंदर भेज दिया।
वो लगातार कराह रही थी और हल्की आवाज में आवाजें निकल रही थी- बस धीरे! धीरे! हाँ बस ऐसे ही ओहह हह.. आअह.. हाह… आहाँ… धीरे… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर से… रा रा आ आ ज… लव यु ओह हहह! थोड़ी देर बाद उसने मुझे जोर से पकड़ा और झड़ गयी।
थोड़ा रिलेक्स करने के बाद मैंने उससे कहा कि वो घूम जाये। उसने कहा- पीछे से नहीं। मैंने कहा- पीछे नहीं कर रहा, तुम रुको तो! और ऐसा कह कर उसको घोड़ी सा बना दिया। पर बस की छत नीचे थी तो थोड़ी झुकी हुयी घोड़ी बनाया। और घूम कर पीछे से उसकी चूत में लण्ड डाल कर धक्के मारने लगा। मैंने दोनों हाथों से उसके बूब्स पकड़ रखे थे और धक्के दे रहा था। बीच बीच में जीभ से उसकी कमर चाट रहा था। कभी उसकी ब्रा के हुक्स को पकड़ कर धक्के मार रहा था।
वो कराह रही थी और मेरे हाथों पर नाख़ून मार रही थी। थोड़ी देर में वो फिर से झड़ गयी और अपनी चूत से मेरा लण्ड दबा कर नीचे लेट गयी। मैं उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा और ऊपर से शॉल डाल लिया। थोड़ी देर बाद उसने पूछा- तुम्हारा हो गया क्या? मैंने कहा- नहीं। और उसने मुस्कुरा कर मेरे गाल पर काट लिया।
मैंने कहा- तुम सकिंग करके कर दो। उसने कहा- तुम लेटो! और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल कर आगे पीछे होने लगी। हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूस रहे थे, चाट रहे थे और कराह रहे थे।
उसे फिर से जोश चढ़ रहा था और उसने मुझे दांतों से जगह जगह काटना शुरू कर दिया, ‘आ आ ह ह आह… आह…’ ये आवाज धीमी धीमी हमारे कानों में जा रही थी और एक दूसरे और उत्तेजित कर रहे थे। उसने कहा- अब तुम ऊपर आ जाओ। और मैंने उसे नीचे लिटा कर फिर से मिशनरी पोजीशन में आ गया।
मैं झड़ने वाला था पर कोशिश कर रहा था कि पूनम के झड़ने के बाद झडूं! मैंने एक उंगली उसकी चूत पर लगाई और बस कुछ धक्कों में वो फिर से झड़ गयी और मैं भी कुछ और धक्कों में झड़ गया। उसने मुझे चूमा और मैं साइड में आ गया, उसने मेरी बांह पर अपना सर रख कर मुझे पकड़ कर लेट गयी। ठण्ड थी तो मैं शॉल से हम दोनों को ढक लिया।
उसने कहा- आज मैं पूरी हो गयी. और कहा- मुझे अपने साथ ले चलो, मैं अपने पति के पास नहीं जाना चाहती। मैंने कहा- ये पॉसिबल नहीं है, पर मैं तुम्हारे साथ हूँ हमेशा। और ऐसे ही बातें करते हुए हम सो गए।
काफी समय बाद उसने मुझे उठाया, वो मेरे साथ लेटी हुयी थी, वो बोली- कपड़े पहन लें, देहरादून पहुँचाने ही वाले होंगे हम! हमने अपने कपड़े पहने और फिर लेट गए। मैं फिर सो गया और देहरादून पहुंच कर आँख खुली।
सुबह के 5:00 बजे थे, पता नहीं पूनम कब चली गयी। मुझे लगा कुछ पीछे छूट सा गया हो और मैं जल्दी से अपना बैग लेकर बस से निकला। पर मेरे बस से निकलने से पहले ही वो निकल चुकी थी। मैंने आस पास बहुत देखा पर वो नहीं दिखी और मुझे बड़ा अफ़सोस सा हुआ।
खैर मैं वो रात कभी नहीं भूल पाऊँगा और ऐसा सोच कर मैं अपने रिलेटिव के घर चला गया। मैं पूनम को भूल नहीं पा रहा था।
शाम को मेरे पास एक फ़ोन आया और वो पूनम बोल रही थी। उसने बताया के उसने मेरे फ़ोन से अपने फ़ोन पर मिस कॉल लेकर मेरा नंबर सेव कर लिया था। मुझे बड़ा सुकून सा मिला। उसने बताया कि दिल्ली में वो कहाँ रहती है और नेक्स्ट टाइम जब भी वो दिल्ली आएगी, मुझसे मिलेगी।
दो महीने बाद वो दिल्ली आई और हम मिले भी। हमारा मिलने का सिलसिला शुरु हो गया, वो जब भी दिल्ली आती है हम मिलते हैं। दिल्ली की मीटिंग का किस्सा भी शेयर करूँगा। तब तक के लिए मुझे इज़ाज़त दीजिये।
मेरी आई डी पर अपने सुझाव भेजना ना भूलें। अगली कहानी तक के लिए विदा। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000