This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
हैलो साथियो, मेरा नाम गगनदीप कौर है। मेरा कद 5’10” है.. मेरा शरीर भरा हुआ है.. एकदम गोरा-चिट्टा। मैं पंजाब की रहने वाली हूँ.. कमीज़-सलवार ही पहनती आई हूँ.. जीन्स का मुझे कोई शौक नहीं है।
यह कहानी उस वक्त से शुरू होती है जब मैं अपनी पढ़ाई कर रही थी। मेरी गाण्ड पीछे को निकलने लगी थी और मम्मे एकदम फूल गए थे.. टाइट भी हो गए थे। मेरी गोरी टांगों पर छोटे-छोटे बाल आने शुरू ही हुए थे.. और बगलों पर भी सुनहरे रेशमी बाल आने लगे थे। मैंने वैक्सिंग नहीं करवाई थी।
हमारे घर एक में नौकरानी रहती थी जिसका एक बेटा था.. उसका नाम श्याम था। उसकी हाइट 5’1″ थी.. वो भी अपनी माँ के साथ आ जाता था। उसकी माँ काम करने लगती और वो मेरे साथ कैरम खेलने लग जाता।
एक दिन मैं कॉलेज से वापिस आई.. मैं अपने कमरे में कपड़े चेंज करने चली गई। मैंने पहले अपनी कमीज़ उतारी.. फिर वाइट ब्रा का हुक खोला.. मैं अभी सलवार का नाड़ा खोल ही रही थी कि मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी, मैं देख कर शॉक हो गई कि श्याम वहाँ पर खड़ा मुझे देख रहा है.. उसने अपना एक हाथ पैन्ट पर रखा था। मैंने झट से अपने ऊपर तौलिया ले लिया.. वो भी मुझे देखता पा कर वहाँ से चला गया।
फिर रात को मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया.. वो बहुत डरा हुआ था। मैं- आज तुम क्या देख रहे थे.. बताओ तुम्हें शर्म नहीं आती? वो- सॉरी दीदी.. आगे से नहीं देखूँगा.. मैं- यह सब अच्छा नहीं है.. तुमने यह सब क्यों किया? वो- दीदी.. वो.. मुझ.. मुझे आप बहुत सुंदर लगती हो।
मैं तो शॉक सी हो गई.. मैंने सोचा शायद यह अभी नई जवानी का असर है। मैं- अच्छा.. तो मैं क्या करूँ? वो- दीदी मुझे आपको नंगी देखना है प्लीज़ एक बार।
मैंने सोचा शायद इस लौंडे को मुझ पर प्यार आ गया है। मेरी भी जवानी मुझे कुछ हरामीपन करने को खींचने लगी। मैं- ओके, ठीक है। मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिए.. मैं एकदम नंगी हो गई।
वो मुझसे हाइट में काफ़ी छोटा था इसलिए मैं नीचे बैठ गई। उसने मुझे जफ्फी डाल ली.. उसका लण्ड भी एकदम कड़क हो गया। फिर उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। मुझे मजा आ रहा था तो हम दोनों बिस्तर पर आ गए.. मैं बिस्तर पर लेट गई।
वो मेरे जिस्म को चूमने लगा, उसने कहा- मुझे आपसे ‘करना’ है। मैं- लेकिन नहीं.. मैं अभी कुंवारी हूँ.. मैं नहीं कर सकती। वो ज़िद करने लगा.. मैंने उसे बहुत समझाया.. लेकिन वो अपनी ज़िद पर अड़ा रहा।
वो- तो दीदी, अपनी गाण्ड मरवा लो प्लीज़। मैं- नहीं.. उसमें बहुत दर्द होगा.. वो भी कुंवारी है। वो रोने लगा.. मैंने डिसाइड किया कि गाण्ड ही मरवा लेती हूँ। मुझे पता था कि गाण्ड की गली चूत से भी टाइट होती है.. दर्द होगा.. लेकिन मैं अपनी जवानी की आग से मजबूर हो गई थी। फिर मैं राजी हो गई।
उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा.. मैं घोड़ी बन गई। वो मेरी बैक पर आ गया। उसने अपने लण्ड को मेरी गाण्ड पर एड्जस्ट किया.. और धकेलने लगा.. लेकिन उसका लौड़ा अन्दर नहीं गया। मुझे दर्द होने लगा.. मैंने उसे टेबल से तेल लाकर दिया।
मैंने अपनी गाण्ड को हाथों से खोला उसने काफी सारा तेल अन्दर तक डाल दिया, फिर लण्ड को छेद पर रखा.. मेरी गाण्ड एकदम टाइट थी। मेरी गाण्ड में बाल भी आए हुए थे.. मुझे पता था कि इनकी वजह से काफ़ी दर्द होगा। फिर उसने लण्ड को अन्दर किया.. मुझे उसका लण्ड अन्दर जाता फील हुआ।
उसने और एक धक्का दिया.. मुझे दर्द होने लगा. मेरी गाण्ड को चीरता हुआ उसका लण्ड आधा अन्दर चला गया. मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने अपना मुँह तकिया में दबा लिया और चादर को कस कर पकड़ लिया।
उसने और ज़ोर लगाया.. लण्ड पूरा अन्दर तक ठेल दिया। मेरी आँखों में पानी आ गया। मैं रोने लगी.. लेकिन मैंने अपनी आवाज़ बंद रखी। उसने अपना लौड़ा धीरे से बाहर किया और फिर अन्दर पुश किया।
अब वो मस्ती में अन्दर बाहर करने लगा, उसकी साँसें तेज हो गई थीं.. उसके मुँह से मज़े की सिसकारियाँ निकल रही थीं। मेरी गाण्ड के बालों ने मेरी आँखों से आंसुओं की नदी बहा दी। उसके मोटे लवड़े की वजह से फँस-फँस कर अन्दर बाहर हो रहा था।
तभी उसके मुँह ‘अहह.. दीदी… ईईईई..’ निकला, उसने अपना पूरा लण्ड अन्दर कर दिया और एक पिचकारी मेरी गाण्ड के अन्दर निकाल दी। उसने फिर पीछे करके लण्ड अन्दर पेला और सारा पानी अन्दर ही निकाल दिया। मुझे उसका पानी अपनी गाण्ड में गहराई तक जाता महसूस हुआ। मेरी गाण्ड एकदम गरम सी हो गई थी। फिर वो ऊपर से नीचे उतरा और चला गया।
इस घटना के बाद मुझे काफी ग्लानि हुई और मैंने उस नौकरानी के विषय में उल्टा-सीधा कहना शुरू कर दिया और उसको अपने घर से दूर कर दिया ताकि श्याम से मेरा अब किसी भी तरह से मिलना संभव नहीं हो सके। इसके कुछ समय बाद मुझे अपने शहर से बाहर पढ़ने जाना पड़ा और अपनी जवानी की इस भूल को मैं भूल गई।
दोस्तों मेरे जीवन की इस घटना ने मुझे भविष्य में क्या हासिल होने वाला था.. इसको मैं पूरी सच्चाई से आप सबके सामने लिखने का प्रयास कर रही हूँ.
यह अगली घटना तब की है जब मैं 27 की थी और मेरी शादी जम्मू में कर दी गई थी। शादी के अगले दिन ही मेरे पति को ज़रूरी काम आ गया.. वो अगले दिन ही यूपी चले गए। मैं परेशान सी हो गई। मैं सेक्स के बारे में नहीं सोचती थी.. मुझे इतना पता था कि मेरे पति मेरे बिना कितने बैचन हो रहे होंगे।
फिर अगले दिन मैंने सोचा कि पति को फोन करती हूँ.. क्योंकि मैंने लाल रंग का चूड़ा.. हाथों-पैरों पर मेहंदी और झांजरें डाली हुई थीं, मैं नई दुल्हन बन कर आई थी। तभी मेरे पति का फोन ही आ गया, उन्होंने कहा- तुम भी यहाँ ही आ जाओ.. मुझे काफी दिन लग जाएँगे। मैंने अपनी सास को बताया.. उन्होंने कहा- चली जाओ.. कोई बात नहीं।
मेरा एक भतीजा भी था.. जो अभी 18 साल का था.. वो 12वीं में पढ़ता, वो मुझसे उम्र में काफी छोटा था.. उसकी हाइट 5’2″ थी.. वो मुझे चाची जी कह कर बुलाता था। वो भी मेरे साथ जाने की ज़िद करने लगा। सकी माँ ने समझाया. फिर मैंने कहा- दीदी कोई बात नहीं.. जाने दो।
वो बहुत खुश हुआ.. और मेरे साथ चल पड़ा। मैंने सोचा चलो अपने भतीजे का तो साथ बना। उसका नाम रविंदर था.. मैं उसे रवि कह कर बुलाती थी।
फिर हम लोग रात तक अम्बाला पहुँच गए। यहाँ से हमारी ट्रेन अगली सुबह की थी. रवि- चाची जी.. क्यों ना हम आराम कर लें.. बहुत रात हो गई है।
मैंने भी उसकी बात पर खुद के बारे में सोचा कि एक तो मैंने ग्रीन कलर का कमीज़-सलवार पहना हुआ था और मैं एकदम दुल्हन की तरह सजी हुई थी। जब मैं चलती.. तो पैरों से झांजरों की आवाज़ आती.. मैं- हाँ रवि.. हम लोग एक रूम किसी होटल में ले लेते हैं।
स्टेशन के पास एक होटल में जाकर हमने कमरा ले लिया।
रूम बहुत अच्छा था डबलबेड था.. रजाईयाँ भी थीं.. क्योंकि जनवरी का महीना था। हमने होटल के रेस्टोरेंट में खाना खाया।
मैं- रवि तुम्हें कुछ और तो नहीं चाहिए? वो- नहीं चाची जी.. अब सोने चलते हैं। मैं- ओके जी चलो।
हम लोग सोने के लिए अपने कमरे में चले गए.. रज़ाई एक ही थी काफ़ी बड़ी थी। रात को सोने से पहले मैंने सबको फोन करके बता दिया कि हम दोनों होटल में रुके हैं. फिर मैंने लाइट ऑफ की.. और सो गई। मैंने अपनी पीठ रवि की तरफ की हुई थी।
थोड़ी ही देर बाद रवि ने मुझे पीछे से कस कर चिपका लिया। मैं एकदम शॉक सी हो गई.. मैंने सोचा बच्चा है.. कोई बात नहीं। पर फिर उसने अपने हाथ मेरे मम्मों पर रख दिए और नीचे से मेरी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
मैं पीछे मुड़ी.. तो देखा उसने अपनी पैन्ट उतारी हुई थी और अपने लण्ड को मुठिया रहा था। मुझे देख कर उसने झट से पैन्ट पहन ली। मैं- यह क्या कर रहे हो? वो चुप रहा.. उसने अपना मुँह नीचे कर लिया।
मैंने थोड़ा गुस्से में कहा- अभी तुम्हारी मम्मी को बताती हूँ। वो- नहीं चाची जी, प्लीज़ मत बताओ। वो रोने लगा। मैं- तो फिर बताओ.. तुमने ये सब इतना गंदा कहाँ से सीखा? वो- मैंने एक गंदी फिल्म देखी थी.. इसलिए मैं गलत सोचने लगा था।
मैंने सोचा.. और अनुभवी होने के नाते मुझे पता था कि इस नई उम्र के लड़कों में काम-शक्ति बढ़ने लग जाती है। मैंने कहा- आगे से नहीं करना.. ओके। उसने मुँह लटका लिया और चुप सा हो गया।
मैं- क्या हुआ.. मैंने कुछ ग़लत कह दिया? मैं उसे नाराज़ नहीं करना चाहती थी तो मैं उसे मनाने लगी।
वो- चाची प्लीज़ मुझे आपके साथ करना है.. आप बहुत हॉट हो। मैं यह सब सुनकर फिर से शॉक रह गई। मैं- नहीं.. मैं तुमसे बड़ी हूँ.. मेरी तो अभी शादी ही हुई है.. जब तुम्हारी होगी.. तुम अपनी वाइफ से कर लेना.. ओके। मैंने देखा उसका लण्ड पैन्ट में खड़ा हुआ था।
उसने बड़ी मासूमियत से कहा- चाची शादी तो बाद में होगी.. आज तो आप मेरे साथ आज की रात में हो ही.. प्लीज़ चाची एक बार।
मैंने उसे बहुत समझाया पर.. शायद जवान होने के कारण उसमें मुझे देख कर कामवासना ज़्यादा चढ़ गई थी। मुझे आज फिर से अपनी नौकरानी के बेटे श्याम की याद हो आई थी। मेरी चूत भी फड़क उठी तो मैंने कहा- ठीक है लेकिन किसी को बताना नहीं ओके। वो- ओके चाची जी।
वो बहुत खुश हुआ.. उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए.. वो एकदम नंगा हो गया। मैंने सोचा इसे तो शर्म भी नहीं.. कैसा मस्त लड़का है यह… मैंने मुस्कराते हुए कहा- अरे यह क्या रवि.. तुमने सारे कपड़े उतार दिए.. तुम बहुत गंदे हो।
उसने सिर्फ़ नीचे निक्कर ही पहनी थी। उसमें उसका लंड खड़ा हुआ था।
वो- अरे चाची जी शर्म की क्या बात.. आप और हम ही तो हैं। मैं- अच्छा.. भतीजे जी.. अपने यह सब कहाँ से सीखा.. बताओ। वो- वो.. चाची.. मैंने एक गंदी फिल्म देखी.. तभी से मेरा मन करने लगा। मैं- रवि यह सब नहीं देखते.. अभी इन सब चीज़ों में बहुत टाइम पड़ा है। मैंने उसे समझाते हुए कहा।
वो- लेकिन चाची जी आज मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है। फिर उसने अपनी पैन्ट भी उतार दी..
मैं मुँह पर हाथ रख कर हँसने लगी। उसका लण्ड एकदम खड़ा हुआ था.. उम्र के हिसाब से काफ़ी बड़ा और लंबा था, उसके लण्ड पर अभी तक एक भी बाल नहीं था.. ना ही शरीर पर.. उसका रंग मुझसे काला था।
मैंने अभी तक कपड़े नहीं उतारे थे। वो बोला- अरे.. चाची जी यह क्या.. आप भी कपड़े उतारो ना। मैं- नहीं.. पर.. वो- नहीं चाची उतारो प्लीज़।
कह कर वो मेरे पीछे आकर मेरी कमीज़ की जीप खोलने लगा। मैंने उसे हटाया और कहा- रुक.. उतार देती हूँ। यह कह कर मैंने अपनी कमीज़ उतार दी। नीचे वाइट ब्रा थी। फिर उसने मेरी ब्रा खोलने की कोशिश की.. पर वो बहुत टाइट थी.. सो उससे नहीं खुली। फिर मैंने अपने हाथों से वो भी खोल दी।
मेरी ब्रा के खुलते ही.. वो मेरे गोरे बदन पर टूट सा पड़ा। मुझे पता था कि इस उम्र के लौंडे के अन्दर एकदम ताजगी भरा जोश होता है और इस उम्र में उनकी उत्तेजना बहुत अधिक होती है।
फिर उसने मुझे सलवार उतारने को कहा। मैं पहले तो ना करती रही.. पर मेरा भतीजा ही इतना ज़िद्दी था.. कि मुझे उतानी ही पड़ी।
अब मैं 27 साल की पकी हुई जवान माल.. एक 18 साल के गर्म लौंडे के सामने पूरी नंगी हो चुकी थी।
वो- चाची जी आपने हाथों.. बांहों और पैरों पर मेहंदी और चूड़ियाँ क्यों पहनी हैं? मैं- अरे शादी के बाद दुल्हन यह सब पहनती है।
मेरे हाथों से लेकर पूरी बांहों पर लाल गहरी मेहंदी लगी हुई थी। नीचे पैरों से लेकर.. घुटनों तक मेहंदी लगी थी। हर एक पल मेरी पायल और चूड़ियाँ छन-छन कर रही थीं।
मेरे गोरी टांगों पर कुछ बाल भी थे और बगलों पर भी.. क्योंकि वैक्सिंग को कुछ दिन हो गए थे.. तब भी मैं काफ़ी सेक्सी लग रही थी।
फिर उसने मेरे सिर के बाल भी खोल दिए। वो- चलो चाची जी.. बहुत मन कर रहा है। यह कहते ही उसने मेरी टांगों को ऊपर तक उठा दिया।
फिर मैंने उससे कहा- रूको यार.. मैं यह सब नहीं कर सकती। वो- क्यों चाची? मैं- क्योंकि अभी तक मैं कुंवारी हूँ और अभी तो तुम्हारे चाचा ने भी मेरे साथ कुछ नहीं किया.. वो नाराज़ हो जाएँगे..
वो फिर मुँह लटका कर चुप सा हो गया। फिर कुछ सोचने के बाद उसने पूछा- चाची, एक बात बताओगी? मैं- हाँ जी बोलो? वो- चाचा आपके कौन से छेद में डालेंगे?
मैं बेसमझ सी जरूर हो गई.. पर मेरी गाण्ड में कुलबुली मचने लगी थी। मैं- मतलब.. मुझे समझ नहीं आया रवि? वो- चाची जी मैंने फिल्म में देखा था कि लड़की के दो छेद होते हैं। मैंने उससे कहा- चाचा मेरे आगे वाले में डालेंगे.. पर क्यों पूछा? वो- तो चाची मैं पीछे से कर लेता हूँ।
मैं फिर मजे में गनगना उठी, एक बार फिर मेरी गाण्ड बजने की स्थिति बन रही थी।
मैं- अरे बुद्धू.. कोई पीछे भी डालता है.. यहाँ नहीं डालते.. तुम अभी नासमझ हो.. तुम्हें शायद पूरी जानकारी नहीं है। वो- नहीं चाची.. डालते हैं.. मैंने फिल्म में देखा था.. प्लीज़ चाची।
मैं मचलने लगी कि यह तो सैट ही हो गया। हालांकि मुझे पता था कि गाण्ड की कसावट चूत से भी ज्यादा टाइट होती है। अब उसे खुश करने के लिए.. और खुद की पिपासा के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा। मैं- नहीं.. मैं नहीं करूँगी.. बहुत दर्द होता है.. तुम रहने दो। वो नाराज़ हो कर लेट गया।
फिर थोड़ी देर मैंने उसे मनाया- देखो रवि.. वैसे तो यह सब अपनी चाची के साथ नहीं करते.. पर मैं तुम्हें मौका दे रही हूँ.. ओके नाराज़ मत हो मुझसे। वो खुश हो गया और मेरे होंठों पर किस कर दी, मेरी थोड़ी सी लिपस्टिक उसके होंठों पर लग गई। वो- चाची, आपको बहुत दर्द होगा क्या? मैं- कोई बात नहीं तुम कर लो.. ओके.. लेकिन ध्यान से.. ये मेरा पहली बार है।
जबकि आपको मैंने बताया था कि मेरी बजी हुई थी। इतने दिनों के बाद मेरी गाण्ड एकदम अन्दर से फिर से जुड़ गई थी.. कुँवारी और टाइट जैसी हो गई थी.. शायद शादी के बाद सबसे पहले मेरी गाण्ड मारी जाएगी.. यही मेरी किस्मत में लिखा था।
दोस्तो, मेरे जीवन की इस होने वाली घटना से मुझे भविष्य में क्या हासिल होने वाला था.. इसको मैं पूरी सच्चाई से आप सबके सामने लिखने का प्रयास कर रही हूँ तथा अगली कड़ी में आपसे पुनः मिलती हूँ.. तब तक के आपसे विदा चाहती हूँ। मुझसे अपने विचारों को साझा करने के लिए ईमेल कीजिएगा.. मुझे इन्तजार रहेगा.. बस अपनी भाषा को सभ्य रखिएगा।
कहानी जारी है। [email protected]
गांड चोदन कहानी का अगला भाग : पंजाबन लड़की की गांड चोदन कहानी-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000