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मेरा नाम आलम है, मैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहता हूं. अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियां पढ़ने के बाद मेरा भी दिल अपनी कहानी लिखने का किया. यह मेरी इस साईट की पहली सेक्स स्टोरी है अगर कोई गलती हो जाए तो माफ़ी चाहता हूं.
यह कहानी मेरी और मेरी चाचीजान की है जिनका नाम जरीना है. उनकी उम्र 32 साल है लेकिन वो देखने में किसी जवान लड़की से कम नहीं लगती हैं. मेरी चाची का फिगर 34-30-36 का होगा. उनका एक 3 साल का बच्चा है, जो अपनी अम्मी की तरह क्यूट है. वो मुझसे काफी घुल मिल गया है.
उनके शौहर सऊदी में रहते हैं और दो साल में एक बार आते हैं. तो आप खुद समझ सकते हैं कि उनकी अपने शौहर के बिना कैसे गुजरती होगी. उनके घर का ज्यादातर बाहर का काम में ही करता हूं, जैसे सब्जी लाना, उनके बेबी को बाहर घुमाने ले जाना आदि. पहले तो मैं उन्हें अपनी अम्मी के समान ही समझता था, लेकिन एक दिन की घटना ने मुझे बदल के रख दिया.
यह बात कुछ दिन पहले की है. उस दिन सन्डे था तो मेरी स्कूल की छुट्टी थी, मैंने अपनी अम्मी से बोला कि मैं चाचीजान के यहाँ जा रहा हूँ. और सुबह सुबह ही चाची के यहाँ चला गया. चाची के घर में अन्दर जाने के बाद देखा कि उनका बेबी तो सो रहा है मगर जरीना चाची नहीं दिखाई दे रही हैं.
तभी बाथरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया कि जरीना चाची नहा रही हैं. मैं ज़ोर से बोला- मैं भी सोचूँ चाची कहाँ चली गईं. चाची भी बाथरूम से ही बोलीं- तुझको छोड़ कर कहाँ जाऊँगी. मैं उनकी इस बात को सुन कर हंसने लगा.
तभी चाची ने कहा- आलम मैं तौलिया तो वहीं रख कर भूल आई हूँ, मुझे जरा तौलिया उठा कर दे देना. मैं चाची के रूम से तौलिया ले आया और बाथरूम के बाहर खड़े होकर बोला- अब आपको अन्दर आकर कैसे दूँ? चाची बोलीं- तू तो मेरे बेटे जैसा है, फिर शरम कैसी?
इतना कह कर उन्होंने अपना हाथ बाथरूम के दरवाजे में थोड़ी जगह करके बाहर निकाला और मैं उन्हें तौलिया पकड़ा ही रहा था, मगर उनके साबुन लगे होने के कारण उनका पैर स्लिप हो गया और वो बाथरूम में ही फिसल गईं.
उन्हें चोट लग गई तो वे ज़ोर से दर्द की वजह से चिल्लाने लगीं कि आलम बेटा मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं उठ कर खड़ी नहीं हो पा रही हूं, अन्दर आकर मेरी हेल्प करो. मैं बोला कि आप कपड़े पहन लो, फिर मैं अन्दर आऊं. तो उन्होंने कहा कि मेरे हाथ में दर्द बहुत है, मैं कपड़े नहीं पहन पाऊँगी, मैं तौलिया लपेट लेती हूँ. मैंने कहा- ठीक है.
और उन्होंने जैसे तैसे तौलिया लपेटी तो मैं अन्दर गया तो देखा कि चाची का शरीर आधे से ज्यादा दिख रहा है, उनके चूचे बड़े होने के कारण तौलिया में छुप नहीं पा रहे थे और उनकी चिकनी जाँघें ऊपर तक साफ दिखाई दे रही थीं.
ये नजारा देख कर मेरी तो हालत ही खराब हो गई. मैंने जैसे तैसे अपने आपको कंट्रोल किया और चाची को बोला- आप मेरे कंधे पे हाथ रख कर रूम तक चलो. उन्होंने मेरे सहारे चलने की कोशिश की, मगर उनके पैर ने उनका साथ ना दिया और वो गिरने लगीं तो मुझसे बोलीं- तुम मुझे अपनी गोद में उठा कर ले चलो.
इतना सुन कर मेरा दिल और जोर से धड़कने लगा. आज तक मैंने किसी औरत को इतने करीब से कभी नहीं छुआ था और फिर औरत भी पूरी हुस्न की मालकिन, जिसको देख कर ही अच्छे अच्छे लोगों की हालत खराब हो जाए. मैं कुछ सोचने लगा तो चाची बोलीं- इतना शर्माओ मत, मुझे बहुत दर्द हो रहा है और वैसे भी यहाँ कोई नहीं है, जो तुम्हें देख लेगा.
चाची की ये बात सुन कर मुझमें थोड़ी हिम्मत आई और मैंने चाची को अपनी गोदी में उठा लिया. मेरा एक हाथ उनकी पीठ से होकर उनके चूचे तक था और दूसरा उनकी कमर के नीचे था. जब मैंने चाची को उठाया तो चाची बोलीं- आलम बेटा, मुझे कस के पकड़ना, गिरा मत देना.
इतना सुनते ही मैंने उन्हें और जोर से पकड़ लिया. अब उनके चूचे मेरे हाथों को महसूस कर रहे थे. सच में क्या मस्त चूचे थे.. वैसे भी आधे से ज्यादा तौलिया से बाहर थे. मैं चाची को बाथरूम से उठा कर उनको रूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया. चाची बोलीं- शुक्रिया आलम, तुमने मेरी इतनी हेल्प की. मैंने कहा- चचीजान, इसमें शुक्रिया वाली क्या बात ये तो मेरा फर्ज़ था.
उन्होंने कहा- फिर एक काम और कर दो, मेरे पैर और हाथ में बहुत दर्द हो रहा है, थोड़ी तेल की मालिश कर दो. मैंने कहा- ठीक है. उन्होंने कहा- अल्मारी में तेल की शीशी रखी है, निकाल लाओ.
मैं तेल की शीशी निकाल लाया और चाची से पूछा कि कहां पर दर्द हो रहा है. उन्होंने कहा कि हो तो पूरी बॉडी में रहा है, मगर तुम जहाँ भी लगा पाओ. मैं बोला कि ठीक है, देखते हैं कहाँ कहाँ लगा पाऊँगा.
मैंने हाथ पर थोड़ा सा तेल लिया और चाची की टांग के निचले हिस्से घुटने पर लगाने लगा. थोड़ी देर वहाँ पर मालिश करने के बाद चाची ने कहा कि थोड़ा और ऊपर लगाओ, वहाँ ज्यादा हो रहा है. फिर मैंने तौलिया को थोड़ा और ऊपर सरकाया और जैसे ही वहां पर हाथ रखा चाची ने आँख बंद कर लीं और मुझसे बोलीं कि तुम मालिश बहुत अच्छी तरह करते हो. मैंने कहा- हाँ, आपने कभी मौका ही नहीं दिया. चाची मुस्कुरा कर बोलीं- आज मौका मिला है, कर दो अच्छी तरह से..
मैं मन में बुदबुदाया कि हां आज तो मौके पर चौका मारूँगा डियर चाची. फिर मेरा हाथ धीरे धीरे और ऊपर उनकी टाँगों के बीच स्पर्श करने लगा और चाची मदहोश होने लगीं और मेरा हाथ ज़ोर ज़ोर से दबाने लगीं. उनकी वासना जो बहुत समय से सोई हुई थी, जागने लगी. एक मीठी धारा का प्रवाह उनके शरीर में पानी की तरह बहने लगा था. मैं भी अपनी सारी हदें तोड़ने के लिए बेकरार था, बस उस तौलिया की सरहद मुझे उनसे दूर किए हुए थी.
मेरी उंगलियां अब कुछ ज्यादा ही शरारत करने लगीं थीं, चाची का दर्द भी शायद जा चुका था. मेरे हाथ अब चाची की चूत के आस पास ही मालिश कर रहे थे. शायद आज ही चाची ने नीचे के बाल साफ किए थे, तभी उनकी चूत की दरार किसी मखमल से कम नहीं लग रही थीं. जैसे जैसे मेरे हाथ उनकी चूत को स्पर्श करते, उनकी मादक चीख निकल जाती.
अब चाची की चूत में रस बहने लगा था जो किसी रसीले आमरस की तरह मेरे हाथ को महसूस हो रहा था.
चाची मस्ती में आँख बंद किए हुए थीं और दोनों हाथों की मुट्ठी ज़ोर से बंद किए हुए थीं. शायद अब उनके सब्र का बांध टूटने को तैयार था और उस बाँध के टूटने पर यक़ीनन मेरा डूबना भी तय था. मेरी भी हालत खराब होने लगी थी. मेरे पेंट का उभार कुछ ज्यादा ही होने लगा था. चाची ने अब अपने पैर घुटनों तक ऊपर उठा लिये, जिससे उनके पैरों में मेरा लंड स्पर्श करने लगा. मेरे हाथ उनकी चूत की और मेरा लंड उनकी टाँगों की मालिश कर रहे थे.
अब उनकी जुबान पर बस मेरा ही नाम ‘आलम आह ऊह ऊई..’ के साथ निकल रहा था. उन्होंने मुझसे कहा कि ऊपर भी मेरे दर्द हो रहा है.. यहाँ भी मालिश कर दो. मैंने पूछा- कहाँ पे? वो बोलीं- कंधे से पेट तक.. इतना सुनना ही था कि मैंने झट से कहा- जरूर.. आप जहां बताओ, वहाँ करेंगे.
मैं तो चाची के इस निमंत्रण का इन्तजार ही कर रहा था. मैं इसी स्थिति में थोड़ा और ऊपर होकर उनकी कमर के बिल्कुल नजदीक आकर उनसे चिपक गया और थोड़ा सा तेल हाथों में लेकर उनके कंधे पर लगाने लगा. कन्धे पर तेल लगाने की वजह से मेरे हाथ उनके चूचे जो आधे से ज्यादा खुले थे, उनपे टच हो रहे थे और नीचे मेरा लंड उनकी चूत में घुसने को बेकरार था. जैसे जैसे मैं ऊपर उचक कर कंधे पर तेल लगाता, वैसे वैसे मेरा लंड उनकी चूत में चुभता जाता और चाची की सिसकारियाँ बढ़ती जातीं.
अब चाची पूरी तरह से मेरे आगोश में समाना चाहती थीं. मेरे हाथ कंधे से हट कर चाची के घुटनों की तरफ आकर कुछ शरारत करना चाह रहे थे. इतने में चाची का हाथ मेरे हाथों की तरफ बढ़ा, मुझे लगा शायद चाची मुझे रोकेंगी, लेकिन ये मेरी सोच से उल्टा हुआ और चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद ही अपने दूध पर रख कर एक दूध दबा दिया.
ये तो जैसे मुझे क्रिकेट की फ्री हिट मिल गई हो, फिर मेरे हाथ पूरी तरह से चाची के चूचे पर थे.
क्या बताऊँ यारो, कितने सॉफ्ट और मुलायम चूचे थे. बस चाची के मम्मों को पी जाने का जी चाहता था. मेरे हाथ अब उनके चूचों को गेहूँ के आटे की तरह गूंध रहे थे और चाची भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थीं. मैं इसी इन्तजार में था, मैंने चाची को बोला कि ये तौलिया तेल लगने से खराब हो जाएगी, क्या इसे मैं हटा दूँ?
चाची बोलीं- जरूर.. जैसा तुम्हें ठीक लगे.
मैंने जरा भी देर न करते हुए तौलिए को उस मखमली बदन से दूर किया और अब मेरे सामने पूरी तरह से नंगी चाची थीं. शायद खुदा ने उन्हें फुर्सत में तराशा था. चाची मुझसे बोलीं- तुम्हारी भी शर्ट और पेंट खराब हो जाएगी, तुम भी उतार दो. मैं बोला कि मेरे दोनों हाथों में तेल लगा है, चाची तुम खुद उतार दो.
वो शर्ट उतारने के लिए मेरे सीने के करीब आ गईं. जैसे ही उन्होंने 2 बटन खोले, मैंने आगे बढ़ कर उनके होंठों को चूम लिया. चाची बोलीं- थोड़ा सब्र तो करो मेरे राजा, अब मैं तुम्हारी ही रानी हूँ. फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतार कर पेंट उतारने के लिए हाथ बढ़ाया, जो मेरे तने हुए लंड में टच हुआ.
चाची बोलीं- अब तो तू पूरा जवान हो गया है. मैंने कहा- हां फिर भी आप ने इतना तड़फाया भी है. वो बोली- आज नहीं तड़पाउंगी. इतना सुनना ही था कि मैंने अपने होंठ चाची के होंठों से जोड़ दिए और उनके होंठों का रस पीने लगा.
अब मैं भी सिर्फ अंडरवियर में था, चाची ने मेरा लंड हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया. शायद चाची चुदाने को पूरी तरह से तैयार थीं. मैंने भी चाची को किस करते करते बेड पर लिटा दिया.
चाची ने मेरी अंडरवियर उतार दी. मेरा 7 इंच का मोटा लंड चाची के चेहरे से टच हो रहा था. चाची ने मुँह खोला और अच्छे से लंड चूसने लगीं. इधर मेरे हाथ चाची की चूत की उंगलियों से चुदाई कर रहे थे.
उनकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. अब मैंने चाची की टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं और अपना लंड चाची की चूत पे सैट करके हल्का सा धक्का लगाया ही था कि चाची की चीख निकली- उई अम्मी.. मर गई… शायद इतने दिनों की लंड की भूखी होने के कारण उन्हें दर्द का एहसास होने लगा था.
मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करता रहा, कुछ देर बाद चाची से मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है.. दर्द तो नहीं हो रहा है? चाची बोलीं- आलम मेरे राजा अब बहुत अच्छा लग रहा है.. आज मुझे इतना चोदो कि मैं तुम्हारी हमेशा के लिए रखैल बन जाऊँ.
यह सुन कर तो मेरे लंड में और भी ज्यादा ताक़त आ गई. मैंने ज़ोर से धक्का मारा और मेरा लंड पूरा चाची की चूत में घुस गया. अब मै ज़ोर ज़ोर से चाची को चोद रहा था और चाची के चूचे किसी बॉल की तरह ऊपर नीचे होते जाते थे.
करीब 15 मिनट के बाद मुझे लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूँ. मैंने लंड चूत से निकाल कर चाची के चूचे के ऊपर सारा पानी गिरा दिया. चाची ने अपनी बॉडी पर मेरे लंड रस को मल लिया.
इसके बाद मैं चाची के पास ही लेट गया. कुछ देर बाद उठ कर चाची के बाथरूम में नहाने के बाद अपने कपड़े पहन कर घर वापस जाने लगा, तो चाची बोलीं- आलम तुम मालिश बहुत अच्छी तरह से करते हो. कल फिर आकर कर देना.
इस तरह से चाची के संग चुदाई की शुरूआत हुई, इसके बाद तो चाची की मालिश और चुदाई का काम रोज का हो गया था.
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दोस्तो, ये मेरी पहली कहानी चाची की चुदाई की… आप अपने विचार प्लीज़ मेल जरूर करना ताकि मैं अपनी अगली कहानी भी जल्द ही लेकर आऊं. [email protected]
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