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विक्रांत ने जल्दी से खाना खत्म किया क्योंकि उसे अकीरा से बात करनी थी। वो उसकी तरफ चुम्बक की तरह खिंचा चला जा रहा था। अकीरा के कई मैसेज आ चुके थे पर बच्चों के सामने वो रिप्लाई नहीं कर सकता था इसलिए उसे अपने कमरे में आने की जल्दी थी।
अपने कमरे में आते ही उसने टीवी ऑन कर न्यूज़ चैनल लगाया और अकीरा को मैसज किया- हैलो! अकीरा- जनाब को टाइम मिल गया? विक्रांत- सॉरी पर तुम तो जानती हो मेरे बच्चे हैं वो भी तुम्हारी उम्र के… उनके सामने कैसे… अकीरा- मैंनें तो विक्रांत राठौर के बहादुरी के किस्से सुने थे, वो विक्रम राठौर इतना डरपोक कैसे हो गया। विक्रांत- तुम कोई जासूस हो क्या? सब जानती हो कुछ भी करती हो और आज लंच कैसे भिजवाया तुमने? अकीरा- जासूस नहीं हूं पर जानती सब हूँ। विक्रांत- कैसे? अकीरा- लम्बी कहानी है जब मिलोगे तब बताऊँगी।
विक्रांत- मिलना तो न जाने कब होगा। अकीरा- तुम हुक्म करो तो मैं अभी चंडीगढ़ आ जाऊं? विक्रांत- हा…हा… हा! तुम भी न कुछ भी कहती हो। दिल्ली से चंडीगढ़ इस समय? न मुमकिन! अकीरा- अगर आ गयी तो? विक्रांत- तुम जो भी कहोगी, मैं करूँगा। अकीरा- पक्का? खाओ मेरी कसम कि जो भी मैं कहूँगी वो तुम करोगे? विक्रांत घड़ी में टाइम देखते हुए- 9 बजे हैं, अगर तुम 12 बजे से पहले आ गईं तो आज रात के लिए मैं तुम्हारा गुलाम। उसे लग रहा था कि कितना भी तेज क्यों न कार ड्राइव करे 250-300 किलोमीटर का सफर तय करने में 4-5 घंटे तो लगेगें ही। अकीरा- मुझे मंजूर है। तो टाइम नोट कर लो! विक्रांत- कर लिया। अब क्या कर रही हो? अकीरा- कपड़े उतार रही हूँ! विक्रांत- क्यों? आना नहीं है क्या? अकीरा- बोड़म महाराज, कपड़े उतारूँगी नहीं तो चेंज कैसे करूँगी।
अकीरा ने इस मैसेज के साथ अपनी फ़ोटो भी विक्रांत को भेज दी। पतले से गुलाबी रंग के गाउन में उसके बदन एक एक घुमाव और उभार दिख रहा था, ऊपर से मासूमियत भरा उसका चेहरा देख विक्रांत फिर से उत्तेजित हो गया। अनजाने में उसका हाथ लन्ड पर चला गया और वो फूल स्पीड मुठ मारने लग पड़ा। अकीरा विक्रांत का मैसेज न आने पर समझ गयी थी कि जनाब कहाँ बिजी हैं- जनाब हाथ से करने की क्या ज़रूरत है, मैं आ तो रही हूँ। विक्रांत चौंक गया कि इस लड़की को कैसे सब पता चल जाता है- तुम भगवान हो क्या? अकीरा- ऐसा ही समझ लो… पर जो भी हूँ बरसों से तुम्हें प्यार करती हूँ। विक्रांत- बरसों से कैसे? हमने तो कुछ हफ्ते पहले एक दूसरे से बात की थी न वो भी ऑनलाइन?
अकीरा- यह सब छोड़ो, बोला न मिल के सब बताऊँगी. और 11 बजे एयरपोर्ट लेने आ जाना मुझे। 10 मिनट में मेरी फ्लाइट है। विक्रांत- तुम… तुम सच में आ रही हो? पागल हो क्या… इतनी रात को? मैंने तो मजाक किया था। अकीरा- कितनी बार कहूँ कि तुम्हारे प्यार में मैं सच में पागल हूँ। अब बोर्ड पे हूँ बाई… लव यू।
विक्रांत का तो सिर घूम गया, एक बार तो उसे लगा कि उसे चक्कर आ रहा है। उसने पानी पिया और पिछले दिनों हुई सब चीज़ों को टटोलना शुरू किया। मैंने इसे हैंगआउट नहीं किया… इसने किया था… इसके पास मेरा ईमेल आईडी होना चाहिए… पहला मैसेज आया था 25 जुलाई को… 25… 25… दिनेश दिल्ली गया था… क्या काम था उसे? विक्रांत खुद से ही सवाल कर रहा था और जवाब उसे मिलते जा रहे थे। “दिनेश… दिल्ली… केस… उसके बेटे का केस था… पुलिस… हेडक्वार्टर…” जवाब उसे मिल चुका था कि अकीरा ने उसे कैसे ढूंढा. पर यह थी कौन और उसे कैसे जानती थी? सवाल पेचीदा था और टाइम कम!
उसने जल्दी से ब्लू जीन्स और सफेद शर्ट पहनी और घर से बाहर निकल गया. उसने अपनी ऑडी A8 स्टार्ट की और एयरपोर्ट की तरफ ड्राइव करना शुरू किया. अभी एक घंटा था उसके पास उसने अपनी रफ्तार धीरे रखी क्योंकि वो एयरपोर्ट पहुंचने से पहले इस अकीरा नाम की पहेली को सुलझा लेना चाहता था।
“अकीरा… पुलिस हेडक्वार्टर… फ्लाइट से आ रही है… अमीर है… रात को आ रही है कॉन्फिडेंट है… यस… पुलिस ऑफिसर!” विक्रांत ने गाड़ी रोक दी और मोबाइल पे गूगल पे सर्च किया ‘IPS akira’ एक सेकंड के बाद सब कुछ वो समझ चुका था क्योंकि वकीपीडिया पे जानकारी थी नेम- अकीरा रघुवंशी ऐज- 27 ओक्यूपेशन- आईपीएस पेरेंट्स- जीवन एंड रूपाली रघुवंशी।
विक्रांत अचानक अपने अतीत में चला गया, जीवन उसके ही साथ ऑर्मी में था, लगभग 8-9 साल पहले वो उनके घर गया था तब वो अकीरा से मिला. अकीरा और वो घंटो बातें किया करते. अकीरा ने अपने प्यार का इज़हार तब भी किया था और विक्रांत को भी वो अच्छी लगती थी. पर दोस्त की बेटी… फिर उम्र में इतना अंतर… ऐसी बातों ने उसे रोक लिया और चंडीगढ़ वापिस आ गया और कुछ ही महीनों बाद उसे खबर मिली कि जीवन का पूरा परिवार एक विमान दुर्घटना में मारा गया। विक्रांत अपनी यादों के घेरे से बाहर आया और एयरपोर्ट की तरफ चल पड़ा।
वो जैसे ही एयरपोर्ट पहुंचा, अकीरा का मैसेज आ गया कि वो गेट पे है और उसका इंतजार कर रही है। विक्रांत का दिल ज़ोर जोर से धड़कने लगा था। उसने दूर से अकीरा को पहचान लिया, अकीरा ने हल्के ग्रे रंग की स्किन टाइट जीन्स और फ्लोरल लूज़ टॉप पहनी हुई थी। जिसमें से उसके गोरे सुडौल कंधे साफ नजर आ रहे थे. सब मर्द उसे ललचाई नज़रों से घूर रहे थे।
विक्रांत यह सोचता हुआ आगे बढ़ रहा था कि गले मिलूँ, हेलो करूँ या सिर्फ हाई से काम चला लूँ. पर उसके कुछ करने से पहले ही अकीरा भाग के आई और उसके साथ लिपट गयी। अकीरा संभलते हुए- देखा मैंने अपना वादा पूरा कर लिया न! विक्रांत- ऑफिसर साहिबा, आप कुछ भी कर सकती हैं, अब बोलिये, गुलाम के लिए क्या हुक्म है। अकीरा हैरान होते हुए- तो तुमने दिनेश जी से बात की? विक्रांत- नहीं, उसकी जरूरत नहीं पड़ी. देश की सबसे छोटी और खूबसूरत ऑफीसर को कौन नहीं जानता। अकीरा- ह्म्म्म… हैंडसम एंड इंटेलिजेंट मैन।
विक्रांत- तो कहाँ चलना है? अकीरा- ताज… रूम बुक है। विक्रांत- घर नहीं चलना? अकीरा- जब ज्यादा दिनों के लिए आऊंगी तब चलूँगी।
विक्रांत अकीरा को उसकी कमर में हाथ डाल के अपनी तरफ खींच लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है- सुबह जाना है क्या? अकीरा- ह्म्म्म… पर उसकी बात हम बाद में करेंगे। विक्रांत- तो अब क्या करें? अकीरा- प्यार बस प्यार। विक्रांत- यहीं पे? चलो होटल चलें।
कुछ समय के बाद दोनों होटल के एक आलीशान कमरे के बिस्तर पर लेटे हुए थे, अकीरा विक्रांत से लिपटी हुई थी और उसके दिन भर की दास्तान सुन रही थी। अकीरा- बहुत थक गए होगे न तुम? जाओ नहा लो। विक्रांत- ठीक है, पर अकेले नहीं नहाऊंगा, तुम्हें मेरे साथ नहाना होगा। अकीरा- बड़े वो हो? पर मैं अपने कपड़े खुद नहीं उतारूंगी, तुम्हें मेरी हेल्प करनी होगी। विक्रांत- हम्म… आंखें बंद करो फिर।
अकीरा ने अपनी आँखें बंद कर ली, विक्रांत ने धीरे से उसकी टॉप को उतार दिया अकीरा के गोरे गोरे और 38डी साइज के मम्में काली रंग की 36डी साइज की ब्रा में पिंजरे में कैद कबूतरों की तरह तड़प रहे आज़ाद होने को। “बला की खूबसूरत तुम!” विक्रांत ने धीरे से अकीरा के कान में कहा और उसके होंठों को चूम लिया. अकीरा का पूरा बदन काँप गया।
विक्रांत ने अपने भी कपड़े उतार दिए, अब वो केवल कच्छे में था, उसने जानबूझ कर कच्छा नहीं उतारा, वो चाहता था कि उसके अजगर को अकीरा खुद आज़ाद करे। अकीरा की आँखें अभी भी बंद थीं, विक्रांत ने उसे लिटा दिया और उसकी स्किन टाइट जीन्स उतारी। अकीरा की टाँगें पतली मुलायम और किसी साँचे से ढली जान पड़ती थी। उसकी काले रंग की पैंटी उतारने से पहले विक्रांत ने उसकी टाँगों को चुम्बनों से नहला दिया। अकीरा की चूत बिल्कुल गुलाब की कली थी बेहद छोटी और गदराई हुई मुश्किल से एक इंच से ज्यादा बड़ा गुलाबी रंग का छेद ने विक्रांत के 10 साल के कंट्रोल को तोड़ दिया सब कुछ भूल के उसने पगलों की तरह उसने अपना कच्छे को उतार फेंका और अपने नौ इंची अजगर को अकीरा की चूत पे रख ज़ोर का झटका दे मारा. लौड़ा तो चूत में नहीं गया पर इस अचानक हुए हमले से घबरा कर अकीरा ने अपनी आँखें खोल ली और विक्रांत के मूसल लन्ड को फटी आंखों से देखती रह गयी। अकीरा- हे राम… इतना बड़ा? उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
अकीरा की आवाज़ सुनकर विक्रांत को होश आया कि वो क्या करने जा रहा था। विक्रांत- मुझे माफ़ कर दो अकीरा, तुम्हारे इस अप्सराओं से भी सुंदर रूप ने मुझ पर जादू कर दिया था। अकीरा उठ कर घुटनों के बल बैठते हुए- ओह देखूँ तो शैतान दिखता कैसे है? अकीरा ने अपने छोटे पतले मुलायम हाथों से विक्रांत के हैवी लन्ड को पकड़ लिया- कितना मोटा और लम्बा है तुम्हारा लन्ड… और इसके टोपे को तो देखो एक दम फूला हुआ टमाटर लग रहा है वो भी आधा किलो का!
अकीरा ने धीरे धीरे अपने हाथों को विक्रांत के लन्ड पर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। विक्रांत- आह… आह… अकू… बड़े प्यारे हाथ हैं तुम्हारे आह आह… अकीरा- इतना मूसल लौड़ा है थक गई मैं तो… विक्रांत- आह आह… अब मत रुकना प्लीज… आह आह… वो आँखें बंद किये हुए बोला.
अकीरा का यह पहला अनुभव था ऊपर से इतने हैवी लन्ड की मुठ मारते मारते वो सच में थक गई थी पर वो विक्रांत का मजा खराब नहीं करना चाहती थी इसिलए वो नीचे झुकी और अपना पूरा मुँह खोल के लन्ड को मुँह में ले लिया पर सिर्फ टोपे से उसका मुँह भर गया।
मुँह की गर्मी विक्रांत से बर्दाश्त न हुई और एक लंबी आह के साथ उसने अकीरा के मुँह में ही झड़ना शुरू कर दिया। अकीरा का मुँह वीर्य से भर गया, होंठ वीर्य से लथपथ हो गए. उसने खाँसते हुए लन्ड मुँह से निकाल दिया, लन्ड ने मुँह से बाहर आते ही एक के बाद एक उटियाँ करनी शुरू कर दी और अकीरा लगभग सारी विक्रांत के वीर्य से नहा गयी।
विक्रांत ने आंखें खोली तो अकीरा को वीर्य लथपथ पाया। विक्रांत- ओह गॉड, तुम तो पूरी भीग गयी। अकीरा- ऐसा भी कोई करता है क्या? देख़ो तो क्या हालत कर दी है तुमने और तुम्हारे इस उल्टी महाराज ने।
पर तभी उसकी नज़र विक्रांत के लन्ड पर पड़ी और उसकी हँसी छूट गयी। विक्रांत- क्या हुआ अभी नाराज़ हो रही थी और हँस रही हो। अकीरा- नीचे देखो… जनाब अभी भी तने हुए हैं, खुद को गंदा कर लिया है।
विक्रांत ने देखा तो सच में उसका लन्ड वीर्य से बुरी तरह लथपथ था, अभी भी कड़क था और ऐसे लग रहा था जैसे वो मक्खन से लथपथ हो। वो हँस पड़ा। विक्रांत लन्ड साफ करने के कपड़ा खोजने लगा पर अकीरा ने उसे रोक दिया. “इसे साफ न करूँ?” अकीरा- इतनी अच्छी लुब्रिकेशन और कँही मिलेगी? अकीरा ने अपनी टाँगें खोल के अपनी चूत दिखाते हुए कहा। विक्रांत- इसे मत दिखाओ यार, तुम्हारी चूत को देखते ही मुझे कुछ होने लगता है। अकीरा- क्यों अच्छी नहीं लगी मेरी चूत? विक्रांत- अच्छी नहीं, मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी में इससे प्यारी और चूत नहीं देखी। अकीरा- तुमने बहुत सी लड़कियों की देखी हैं क्या? विक्रांत- अकीरा शायद तुम्हें अच्छा न लगे पर सच यही है… मैंने 100 से ज्यादा औरतों के साथ संभोग किया है। सच बात तो यह है मुझ से ज्यादा ये रूपाली को पसंद था उसे सेक्स करने से ज्यादा मुझे दूसरी औरतों के साथ सेक्स करते हुए देखना पसंद और यह उसकी सनक थी। पर सच में तुमसे सुंदर न कोई लगी और न किसी चूत तुम्हारी चूत जैसी थी। अकीरा- पता है. रूपाली दीदी की यह आदत मुझ में भी है। कभी कभी मैं भी सोचती हूँ कि तुम्हें किसी और के साथ सेक्स करते देखना कितना रोमांचक होगा।
विक्रांत ने अकीरा को बाँहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पे रख उस के फूलों से मीठे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. धीरे धीरे वो अकीरा पर चढ़ता गया, उसने अकीरा को लिटा दिया और खुद भी उसके ऊपर आ गया, उसने अकीरा की ब्रा को खोल दिया, अकीरा के मम्में ब्रा में भी खूबरसूरत लग रहे थे पर अब तो उसके 38डी आकार के गोल गोल सुडौल और दूध से सफेद मम्मों पर एक एक इंच के गहरे गुलाबी रंग के चुचूक वैनिला आइसक्रीम पे स्ट्राबेरी जैसी लग रहे थे। “तुम इतनी टाइट ब्रा क्यों पहनती हो?” उसने अकीरा मम्मों पर हाथ फेरते हुए पूछा। “टाइट ब्रा न पहनूँ तो सब घूरते ही रहें!” अकीरा ने जवाब दिया।
विक्रांत ने अपने होंठ अकीरा बड़े और कड़े निप्पल पर रख दिये और मम्मों को दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया, उसका मुँह भर गया, वो काफी देर तक चूस्ता ही रहा।
फिर एक हाथ से उसने अपने लौड़े को अकीरा की चूत पर सेट किया और मम्मों को चूसते हुए लन्ड को अकीरा की चूत पर रगड़ने लगा। अकीरा के बदन में हल्की हल्की अकड़न आने लगी और हर गुज़रते पल के साथ अकीरा की आहें तेज़ और तेज़ होती जा रही थी। विक्रांत समझ गया कि अभी नहीं तो कभी नहीं… उसने अपने लौड़े को अकीरा की नाजुक चूत की फांकों पे सेट करके ज़ोरदार शॉट लगा दिया. अकीरा- आह… माँ… मार दिया… विक्रांत- बहुत दर्द हो रहा है? अकीरा- नहीं हँसी आ रही है… किसी का होता है इतना बड़ा? लन्ड है या खम्बा? अकीरा ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।
अकीरा ने गर्दन उठा कर देखा तो अभी केवल टोपा ही अंदर जा पाया था और कहाँ वो सोच रही थी कि इतना दर्द हो रहा है तो पूरा ही चला गया होगा। विक्रांत ने अपने दोनों हाथों से अकीरा के खरबूजों जैसे मम्में पकड़ लिए और अपनी पूरी ताकत से धक्का लगाया। अकीरा की जोरदार चीख पूरे कमरे में गूँज गयी। अकीरा की आँखें दर्द के कारण ऊपर चढ़ गईं। विक्रांत ने नीचे देखा तो सफ़ेद चादर खून के लाल रंग से नहा चुकी थी पर आधा लन्ड अभी भी बाहर था।
विक्रांत ने आँखें बंद कर ली और एक के बाद एक शॉट पेलता चला गया जब तक कि लन्ड अकीरा की कसी हुई चूत में पूरा न समा गया। चूत इतनी टाइट थी कि उसे लग रहा था कि उसका लन्ड निचुड़ जाएगा। उसे चरम सुख का अनुभव हो रहा था. उसने आँखें खोली तो अकीरा ने अपने दोनों हाथों से अपना मुँह कस के बंद किया हुआ था और उसका पूरा चेहरा आँसुओं से भीगा हुआ था। दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और विक्रांत ने अकीरा को अपनी बांहों में भर लिया। अकीरा- ई लव यू विक्रांत। विक्रांत- लव यू टू, और बहुत बहुत शुक्रिया मेरे लिए इतना दर्द सहने के लिये। उसका लन्ड अभी चूत में ही फंसा हुआ था और वो कसाव महसूस कर रहा था। अकीरा विक्रांत को चूमते हुए- तुम्हारे लिए कुछ भी। मैं ठीक हूँ तुम कर सकते हो।
अकीरा ने अपनी टाँगें विक्रांत की हिप्स पर कस ली और बाजुओं से उसे अपने आगोश में ले लिया। विक्रांत ने हल्के हल्के झटके लगाना शुरू किया और अकीरा की कामुक आहों से पूरा कमरा संगीतमयी हो उठा “आह… आह… आह… ओह माँ… उम्म… विक्रांत… विक्रांत… आह…आह…” उस के नाखून विक्रांत की पीठ में जगह जगह गड़ गए। विक्रांत की रफ्तार बढ़ती ही जा रही थी, वो किसी पागल घोड़े की तरह अकीरा को पेलते जा रहा था और अकीरा की चूत का मंथन करता जा रहा था.
इतने ज़बरदस्त मंथन के आगे अकीरा ज्यादा देर टिक न पाई, अचानक उसने अपने नाखून बुरी तरह विक्रांत की पीठ में गाड़ दिए और एक लंबी आह के साथ भरभरा के झड़ना शुरू कर दिया और काफी देर तक झड़ती चली गयी, पूरा बिस्तर उसके पानी से गीला हो गया।
अकीरा झड़ने के बाद थक के निढाल होती हुई- आज तो जान ही निकाल दी तुमने, कैसा लन्ड है तुम्हारा! पूरा बदन दर्द कर रहा है पर मजा भी स्वर्ग जैसा आया। तुम्हारी फैन तो थी ही मैं… पर तुम्हारे अजगर की तो गुलाम हो गई हूँ. दिखाओ तो इतनी मेहनत के बाद कैसे लग रहे हैं अजगर महाराज?
विक्रांत लौड़े को अकीरा की चूत से बाहर निकालते हुए- लो देख़ो, यह रहा, जो सजा देनी है इसे दे दो, आज बड़ा तंग किया न इसने तुम्हें। अकीरा- ओह गॉड इट्स हार्ड इवन नाउ, यार क्या खिलाते हो इसे? अब इसे कैसे शांत करोगे यह तो और डिमांड कर रहा है। विक्रांत- एक राउंड और हो जाये? अकीरा डॉगी पोजीशन में आते हुए- बिल्कुल… तो करें शुरू?
विक्रांत अकीरा के पीछे आ गया और अकीरा की चूत जो अब सूज गयी थी, उस पर अपने लन्ड को सेट करके उसने एक जोरदार झटका मारा और लन्ड चूत के सारे अवरोधों को तोड़ता हुआ जड़ तक समा गया। वो किसी घोड़े की तरह उस पर चढ़ गया और उसके मम्मों को पकड़ के उसे बुरी तरह चोदना चालू कर दिया. अकीरा- आह आह… विकी, फाड़ दी तुमने आज मेरी… आह कल तो चल भी नहीं पाऊँगी. विक्रांत- सब तेरी इस चूत की गलती है… आह… आह साली हद से ज्यादा टाइट है… आह… अहह… वो उसके मम्मों को निचोड़ते हुए अकीरा की ठुकाई करता जा रहा था।
विक्रांत के ज़ोरदार झटकों से अकीरा के नरम मुलायम चूतड़ लाल होने लगे थे। अकीरा ने मजबूती से चादर को पकड़ रखा था पर फिर भी हर शॉट उसे आगे की और धकेल देता। विक्रांत भी अपने चरम पर आ गया था उसने अब लम्बे लम्बे घस्से मारना शुरू किए वो अपने मूसल लन्ड को पूरा बाहर निकाल लेता और फिर पूरा एक झटके में पेल देता.
20- 25 शॉट्स के बाद दोनों एक साथ झड़ गए।
विक्रांत और अकीरा की काम लीला न जाने कितने राउंड तक चली पर इस राउंड के बाद उन्होंने वोडका पी और कई बार चरम सुख का अनुभव करने के बाद दोनों के दूसरे से लिपट के गहरी नींद में डूब गए पर वोदका पीने के बाद क्या हुआ ये विक्रांत को याद नहीं रहने वाला था।
सुबह लगभग 8 बजे बेल बॉय के बार बार बेल बजाने पर विक्रांत की नींद खुली, उसका सिर दर्द कर रहा था और चक्कर आ रहा था, टेबल एब्सोल्यूट वोडका की खाली बोतल पड़ी थी. “यह कब पी हमने? मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा… और अकीरा कहाँ हैं?” वो सोचने लगा।
विक्रांत ने पूछा तो बेलबॉय ने बताया कि अकीरा उसके लिए ब्रेकफास्ट का ऑडर करके गयी थी। विक्रांत ने ब्रेकफास्ट ले लिया, दरवाजे को कुंडी लगा के वापिस आ गया और सोफे पर धम्म से बैठ गया- तो वो चली गयी बिना गुडबाय कहे ही चली गयी? उसने खुद से कहा।
अकीरा के बारे में सोचते सोचते वो नहाने चला गया और काफी देर तक शावर लेता रहा। कपड़े वैगरह पहन के जब वो फ्रेश हो गया तो उसका ध्यान बिस्तर पर गया जिस पर काफी जगह खून के धब्बे थे। “कल फिर मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया… इसिलए शायद वो बिना कुछ कहे ही चली गयी… बुरा मान गयी होगी.” उसने खुद से कहा।
पर तभी उसे टेबल पर एक कागज़ नज़र आया। अकीरा ने लिखा था: विक्रांत आई लव यू… कल की रात के लिए थैंक्स! मैं अपने प्यार के हाथों ही लड़की से औरत बनना चाहती थी और तुमने यह तोहफा मुझे दिया, इसके लिए बहुत बहुत प्यार। मुझे एक खुफिया मिशन पर जाना था और 6 बजे की फ्लाइट थी. सोते हुए तुम इतने प्यारे लग रहे थे कि तुम्हें जगाने का मन नहीं हुआ। कल रात तुम घर से बिना बताए ही चले आये थे पर टेंशन मत लेना, दिनेश जी से मेरी बात हो चुकी है, उन्होंने तुम्हारे घर पर बता दिया है कि तुम्हारा दोस्त बीमार था जिसके कारण तुम्हें जल्दी में घर से निकलना पड़ा। कल तुमने मुझे स्वर्ग सा सुख तो दिया पर आखिरी राउंड में तुम आपा खो बैठे और किसी पागल घोड़े की तरह मुझे चोदते रहे पर इसका बदला अगली बार पूरा कर लूँगी. और मैंने कल रात की वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली थी, भेज दूँगी लास्ट की एक घंटे की रिकॉर्डिंग देख लेना तुम्हें सब याद आ जायेगा। मैं जानती हूँ एक बार सेक्स करने के बाद तुम खुद पर काबू नहीं रख पाते इसलिए मैं चाहती हूँ कि जब तक मैं दूर हूँ तुमसे, तुम मेरे लिए कुछ करो, वो मैं तुम्हें फ़ोन पर बताऊँगी कि क्या करना है। तुम्हारे फ़ोन में एक प्राइवेट नंबर वाला सिम डाल के जा रही हूं उसमें मेरा प्राइवेट नंबर भी फीड है। इसका कारण यह है कि जिस मिशन पर हूँ मैं उसमें मुझे किसी से बात करने की इजाज़त नहीं है। अपना ध्यान रखना तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी… अकीरा।
विक्रांत ने फ़ोन उठाया तो उस प्राइवेट नंबर पे अकीरा ने वीडियो भेजी हुई थी। पर उसने वीडियो को ऑफिस में देखने का निश्चय किया और नाश्ता करने लगा।
कामुकता से सराबोर यह चुदाई की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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