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प्रिय अन्तर्वासना पाठको दिसम्बर 2017 में प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
एक शाम जब मैं और रिया घर पे आराम कर रही थी. रिया ने कहीं से जुगाड़ करके सुला रासा की वाइन मंगाई थी और हम दोनों सोफे पे पसर के उस बेहतरीन वाइन की चुस्कियां ले रही थी. थोड़ी देर बाद रिया ने हमारे इंटरनेट टीवी पे यू ट्यूब पे कोई वीडियो प्ले किया। किसी तनहा पार्टी टापू का वीडियो था. लोग पार्टी कर रहे थे, एक दूसरे को शराब से नहला रहे थे, नाच रहे थे. मगर सबसे बड़ी बात थी कि वे सारे के सारे नंगे थे, कोई शर्म हया नाम की चीज नहीं थी. उनका ऐसा उन्मुक्त लाइफ स्टाइल देखकर हमारी चुत में धीरे धीरे आग लग रही थी.
मैंने रिया से पूछा- कहां की है यार ये फिल्म? अपनी चुत को अपनी उंगली से घिसते हुए उसने कहा- थाईलैंड में लीला आयलैंड है जो एक न्यूड पार्टी आइलैंड है. यहाँ किसी को भी कपड़े पहनने की जबरदस्ती नहीं है, कोई भी अपनी मर्जी से पार्टनर चुनता है. यहाँ एक सेक्स पार्टी भी चलती है. इस पार्टी का नियम है कि एक बार तुम ऐसी पार्टी का हिस्सा बन गई तो तुम किसी को भी मना नहीं कर सकती। जिसे तुम पसंद आयी वो तुम्हें चोद के ही मानेगा! भले वो एक हो या पूरे सौ!
मैंने अपनी आँखें तरेर के कहा- यार रिया, ऐसे कैसे किसी भी लल्लू से कोई लड़की चुदवा लेगी यार? तो उसने कहा- ऐसे किसी को भी एंट्री नहीं मिलती यहाँ। सब कुछ वेरीफाई करने के बाद ही आपको परमिट मिलता है. यहाँ तक कि आपको अपनी एच. आय. वी. रिपोर्ट भी देनी पड़ती है! और शुरुआत में फीस भी इतनी ली जाती है कि सामान्य आदमी यहाँ जाने की भी नहीं सोच सकता।
मैंने दिल ही दिल में वहां का मंजर देखते हुए कहा- यार, जाना चाहिए एक बार यहाँ! तेरी खुजली तो मिट जाएगी कम से कम!
रिया झट से उछलकर मेरे पास आयी और अपने हाथ से मेरे मम्मे रगड़ कर बोली- चल फिर चलती हैं दोनों! पूरी पार्टी में एक भी लड़के को कुंवारा नहीं छोड़ेंगी हम! हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी.
खाली हुए गिलास भरते हुए मैंने पूछा- लेकिन तुम्हें इस जगह की इतनी सारी जानकारी कहां से मिली जान? सिगरेट सुलगते हुए रिया बोली- कहीं से सुना था तो पहले इंटरनेट पे देखा और फिर वहां के फ्रंट डेस्क से फ़ोन पे बात करके सारी बातें मालूम कर ली.
मैंने आँखें तरेर कर पूछा- मतलब कमीनी, तू सही में वहां जाने की सोच रही है?
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मेरी एक साली है, मेरी बीवी से तो बड़ी है, 54 साल की हो चुकी है, मगर अब भी मुझे वो बहुत पसंद है, दूध जैसी गोरी, और खूब भरा हुआ बदन। आज भी अगर वो मुझे ऑफर करे तो मैं 100% उसको चोद दूँ। उसकी दो बेटियाँ है, दोनों जवान है, बड़ी की शादी हो चुकी है, मगर मैं अपनी साली की दोनों बेटियों को अपने ख्यालों में चोद चुका हूँ। सच में कहाँ मिलती हैं।
बात तब बनी जब मेरी साली की बड़ी बेटी के बेटा हुआ। पहले तो मैं अपनी पत्नी के साथ उसका बच्चा देखने गया, सभी रिश्तेदार थे तो कोई खास बात नहीं हुई, जो भी रिश्तेदारी थी, हम निभा कर आ गए। करीब दो महीने बाद फिर मेसेज आया कि बड़ी बेटी आई हुई है, आप भी आकर मिल जाओ। हम फिर मिल आए, उस दिन मैंने देखा। नीतू, मेरी साली की बेटी ने कैप्री के साथ एक बिन बाजू की टी शर्ट सी पहन रखी थी जिसमें से दिखता तो कुछ नहीं था, मगर हाँ, टी शर्ट की बाजू से इतना मुझे दिख गया कि उसने अपने ब्रा के पीछे वाले हुक नहीं लगा रखे थे, ताकि बच्चा बार बार दूध पिये तो हुक खोलने की ज़रूरत न पड़े, बस टी शर्ट और ब्रा उठाई और उसे दूध पिला दिया। मैं तो सोच रहा था कि कभी ऐसा मौका भी मिले जब मैं उसे दूध पिलाते हुये देखूँ और बहाने से उसके मम्मे के दर्शन भी कर लूँ।
एक बार बहुत पहले जब वो हमारे घर आई थी तो उसके सोते हुये, मैंने मम्मे दबाये थे, तब तो वो थी भी बस 18-19 साल की, छोटे छोटे मम्मे थे उसके, अब तो उसके मम्मे खूब भारी हो रहे थे, और दूध से भरे हुये थे। मैंने उसकी टी शर्ट पर दूध से गीला होने के निशान देखे थे।
हमारा दो तीन दिन रुकने का प्रोग्राम था। ना जाने क्यों मुझे लगा के नीतू कुछ उदास उदास सी है। मैंने बातों बातों में उस से पूछा भी- क्या बात है नीतू, तू बड़ी चुप चुप सी है, तू तो घर की रौनक है, सबसे ज़्यादा तू बोलती है, फिर अब क्या हुआ? वो बोली- कुछ नहीं मासड़जी, बस वैसे ही। तभी उसकी माँ, यानि मेरी साली बोल पड़ी- वो बस बेबी करके ना!
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जीजाजी ..ऽ..ऽ…
हल्की-सी देर तक खिंचती आवाज जो एक सुरीली-सी फुसफुसाहट में यकायक टूटती है। कुछ लोग बोलते हैं तो ऐसा लगता है उसमें संगीत बज रहा हो। बातों की धारा में हँसी की तरंगें। सदा प्रसन्न रहने की प्रकृति से उत्पन्न स्वाभाविक हँसी पर तैरती वह सांगीतिक आवाज! काश वह आवाज जिन्दगी भर के लिए मेरे साथ होती!
जीजाजी ..ऽ..ऽ…
आह! शादी के बीस साल गुजर जाने के बाद भी यह पुकार कलेजे में हूक पैदा करती है। फोन पर भी वह आवाज कानों में मिसरी घोलती है। मेरी शादी तय होने के अगले दिन ही मुझे देखने आई थी और उसके दमकते रूप के साथ उसकी हँसी मिश्रित मीठी आवाज कलेजे में नश्तर की तरह उतर गई। वह अपनी बहन से कितनी ज्यादा सुंदर थी! काश यही मेरी बीवी बनती! उस दिन मैंने कितना सिर धुना। काश इस लड़की को मैं पहले देख लेता। बरसों इंतजार क्यों न करना पड़े, कर लेता, पर शादी इसी लड़की से करता। लेकिन अब तो बात पक्की हो चुकी थी। और कल्पना में तमाम आकाश-पाताल के कुलाबे मिलाने (अपनी ‘लड़की’ को गोली तक मार देने की भी) के बावजूद पक्की हो चुकी बात से फिर सकना गवारा नहीं हुआ। यों मेरी वाली ‘लड़की’ भी कम सुंदर और ‘सुभाषी’ नहीं थी लेकिन साली तो उससे बढ़कर थी।
शादी के बाद मैं अपनी पत्नी के रूप-सौंदर्य और गुणों में खो गया। उसने अपने प्यार और सौंदर्य से मुझे मोह कर रखा। लेकिन शादी के बीस साल बाद आज भी रात के अंधेरे शयनकक्ष में कल्पना करता हूँ कि पिंकी की गर्म संघर्ष के क्षणों में उसकी कराहटों की – ”आ..ऽ..ऽ..ह… ऊ..ऽ..ऽ..ह… ऍं..ऽ..ऽ..ह!!” ”जीजाजी..ऽ..ऽ…” मन के सन्नाटे में गूंजती रहनेवाली आवाज। हाय !!
वह मुझे अपना सबसे प्रिय व्यक्ति कहती है। ‘मेरे सबसे प्यारे जीजाजी’ आप बहो.ऽ.त बहो.ऽ.त अच्छे हैं, (‘हो’ को खींचकर बोलती है) ‘ये मेरा लक है कि आप जैसे जीजा मिले’। मैं पूछता हूँ आपका लक या दीदी का? ”दीदी का”… और मंद छलकती हँसी। मुझे उस समय और बहुत जोर से लगता है उसके मन में भी वही आग जल रही है जो मेरे मन में। लेकिन भले मानुस की झिझक छूट लेने नहीं देती।
लेकिन निरंतर जलने वाली दिल की आग का शायद कोई अलौकिक असर होता होगा! कहानियों से बाहर भी कभी ख्वाब अप्रत्याशित रूप से हकीकत बन जाते हैं। कभी सोचा न था कि सौंदर्य की वह उमड़ती नदी मेरे पहलू में बहेगी – इत्मीनान से, रात भर, और मैं उसकी धारा में डूब-डूबकर स्नान करूंगा। वह भी अकेले नहीं, अपनी पत्नी, उसकी बहन के साथ। उस रात एक नहीं, दो नदियाँ बहीं – रूप, रस, रंग की उमड़ती धाराएँ। अस्तित्व का रेशा-रेशा, पोर-पोर धन्य हो गया।
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मेरा नाम आलिया है. यह सेक्स कहानी मेरे अपने बेटे के साथ मेरा सच्चा माँ बेटा सेक्स एक्सपीरियेन्स है. मेरा निकाह 22 साल की उम्र में ही हो गया था और वो भी मुझसे 10 साल बड़े आदमी से. शुरू शुरू में मुझे बड़ा अजीब सा लगता था पर अब आदत सी हो गई थी. निकाह की पहली रात ही मैं समझ गई थी कि मेरा शौहर मुझे चुदाई का पूरा सुख नहीं दे सकता है. मैं किसी तरह से अपनी भावनाओं को अन्दर ही अन्दर रख कर जिये जा रही थी. मेरे शौहर जो सेक्स के लिए ज्यादा रूचि नहीं रखते थे, इसलिए मैं अपनी जवानी में भी पूरी तरह से चुदाई का मज़ा नहीं ले सकी.
मेरा मन बहुत करता कि किसी और के पास जा कर चुत की भूख मिटा आऊं, पर मुझे बदनामी का डर लगा रहता था, इसलिए मैंने आज तक किसी बाहरी आदमी से नहीं चुदवाया. शादी के एक साल बाद ही मैंने एक लड़के अरमान को जन्म दिया और उसके 6 साल बाद एक लड़की आयशा को जन्म दिया.
मेरे शौहर का इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का बिजनेस था तो हमें पैसे की कोई कमी नहीं थी. बस इस तरह हमारी फैमिली खुशी खुशी जिंदगी चल रही थी.
यह बात गर्मी के दिनों की है, जब मेरे शौहर काम के सिलसिले में आउट ऑफ कंट्री गए हुए थे, उस समय बच्चों के छुट्टियां चल रही थीं, इसलिए घर में मैं, मेरा लगभग जवान हो चुका बेटा और उससे छोटी बेटी घर में अकेले थे. मेरे शौहर के जाने के बाद एक दिन मैं मेरे बेटे के कमरे की सफाई कर रही थी तो मुझे उसकी चड्डी मिली. मेरे बेटे की चड्डी उसके वीर्य से भीगी हुई थी. तब मुझे लगने लगा कि मेरा बेटा अब जवान हो गया है.
मैं जरा मुस्कुराई, फिर अपने काम में लग गई लेकिन काम ख़त्म करने के बाद मैं अपने बेड में लेटी हुई थी, तभी मुझे फिर से उस चड्डी की याद आने लगी, उसकी मीठी मीठी गंध की याद आने लगी. उस समय मुझे कुछ कुछ होने लगा और मैंने अपनी उंगली चड्डी के अन्दर चुत में घुसेड़ दी और अन्दर बाहर करने लगी.
तभी घर की डोरबेल बजी और मैंने अपने आपको ठीक किया और गेट खोलने गई. बाहर मेरी बेटी मेरे बेटे के साथ खड़ी थी. मैं गेट खोलने के बाद उन्हें डांटने लगी कि धूप में खेलने मत जाया करो, बीमार हो जाओगे.
फिर वो हाथ मुँह धोने चले गए. मैं भी किचन की जा रही थी कि मैं अपने रूम के बाथरूम की तरफ गई तब मैंने अपने बेटे को पेशाब करते देखा. मुझे ये देख कर बड़ा अजीब लगा क्योंकि मेरे बेटे का लंड 6 इंच लंबा था, जब कि मेरे शौहर का लंड भी मुश्किल से 4 इंच का था. ये देखने के बाद मैं हिल गई थी, पर मैंने अपने आपको संभाला और वापस किचन में आ गई. मुझे लगने लगा कि मुझे वो सब नहीं देखना था, पर मुझे नहीं पता था कि मेरा बेटा वहां पेशाब कर रहा है.
वैसे भी मेरे बेटे और बेटी का कमरा ऊपर है इसलिए कभी कभार एमर्जेन्सी में वो मेरा बाथरूम यूज कर लिया करते थे. लेकिन मेरे बेटे का लंड देखने के बाद मुझे बार बार उसका लंड ही दिखाई दे रहा था. उसका लंड सांवला सा, लंबा, मोटा, कुँवारा लंड.. आह.. ये सब सोच कर मेरे मुँह और चुत में बार बार पानी आ रहा था.
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मेरा नाम अनीश है, मैं पुलिस महकमे में क्लर्क हूँ। आमदनी अच्छी है, थोड़ा बहुत ऊपर से भी बन जाता है, इस लिए पैसे की कोई दिक्कत नहीं। खाता पीता हूँ, रंगीन मिजाज हूँ, यार दोस्त भी ऐसे ही हैं। अभी शादी नहीं हुई है, सिर्फ 25 बरस का ही हूँ। 2 महीने पहले मेरी बदली दूसरे शहर में हो गई। एक यार दोस्त की मदद से किराए का मकान भी मिल गया।
अकेला रहता हूँ, इस लिए अक्सर शाम को घूमने के लिए, कभी सिनेमा, कभी माल, कभी बस अड्डे या रेलवे स्टेशन पर चला जाता हूँ। रेलवे स्टेशन और बस अड्डे जाने का फायदा यह है कि आपको कोई न कोई जुगाड़ मिल जाता है। मैं भी 2-4 दिन बाद यहाँ वहाँ घूम लेता था और अपने पानी निकालने का जुगाड़ हो जाता था।
एक दिन ऐसे ही मैं शाम के 6 बजे के करीब बस अड्डे पे बैठा आने जाने वाले लोगों की और देख रहा था, हाथ में पॉप कॉर्न का पैकेट था। तभी मेरे पास आ कर एक आदमी बैठ गया। देखने में ठीक लग रहा था, गरीब ज़रूर था, मगर फटेहाल नहीं था। मैंने उसकी ओर देखा, उसने मुझे स्माइल पास की। मैंने पूछा- कहाँ जाना है? वो बोला- कहीं नहीं। मैंने पूछा- तो? वो बोला- जैसे आप बैठे हो, वैसे मैं बैठा हूँ।
मैंने उस से पूछा- मैं कैसे बैठा हूँ। वो बोला- आपको मशीन चाहिए, और मेरे पास मशीन है। मैं समझ गया कि ये तो दल्ला है।
मैंने पूछा- कैसी मशीन? उसने एक हाथ के अंगूठे और उंगली से गोल बनाया और दूसरे हाथ की उंगली उस गोल चक्कर के अंदर बाहर करके मुझे चुदाई का इशारा कर कर बताया। मैंने पूछा- मशीन कौन है तेरी? वो बोला- मेरी बीवी है।
मुझे बड़ी हैरानी हुई, साला अपनी बीवी का दल्ला है। मैंने कहा- कैसी है? वो बोला- एक दम मस्त, गोरी चिट्टी, भरपूर! मैंने पूछा- कितने पैसे? वो बोला- 1000/- एक शॉट के!
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