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कहानी का पहला भाग: चुदासी जवान मौसी ने दिया मुझे सेक्स का ज्ञान-1
आपने मेरी मौसी की चुदाई की इस कहानी में अब तक पढ़ा था मौसी मेरे साथ खाट पर लेटी हुई थीं और उन्होंने अपनी चुत में उंगली से खुद को शांत कर लिया था. अब आगे…
मुझे वही खुशबू आ रही थी, सो मैं भी समझ गया कि मौसी ने उंगली की है. पर मुझे ये नहीं समझ में आया कि मौसी उंगली को अन्दर-बाहर क्यों कर रही थीं और ऐसा करने से वो हाँफ़ क्यों रही थीं. यही सोचते सोचते मैं भी सो गया.
आज मैं ये सोचता हूँ कि मौसी अगर इतनी गर्म हो चुकी थीं, तो मौसी ने मुझसे चुदवाया क्यों नहीं? मुझे ये लगता है शायद मौसी रिश्ते में बेटा होने की वजह से खुद को रोक लेती थीं.
अगले दिन दोपहर को हम दोनों फिर शौच को निकल पड़े. आज मेरे पास बात करने के लिए बहुत कुछ था. बहुत से सवाल थे, जिनका जवाब मुझे जानना था. मैं जल्दी-जल्दी चल रहा था, झाड़ी आते ही मैं बैठ गया, मौसी भी बैठ गईं.
उनके बैठते ही मैंने सवालों की झड़ी लगा दी- मौसी, आपकी वहां अन्दर इतनी गर्मी क्यों थी… मेरी नुन्नू इतनी सख्त क्यों हो गई थी, ये अकड़ कर बड़ा क्यों हो गई, रात में आप वहां उंगली करते करते क्यों उछल पड़ीं थीं और उंगली करते वक़्त आपके मुँह से आवाजें क्यों निकल रही थीं?
इतने सारे सवालों से मौसी कुछ पल बस मुझे देखती रहीं और बोलीं- बाप रे… इतना सब कुछ एक साथ मैं तुझे कैसे बताऊं? तू जब जवान हो जाएगा तो खुद ही समझ जाएगा. यह कह कर मौसी चुप हो गईं.
मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने भी जानने की ज़िद पकड़ ली- मुझे अभी जवान होना है… मैं सब कुछ अभी जानना चाहता हूँ. मौसी मेरी ज़िद के आगे हार गईं और बताने को तैयार हो गईं.
सबसे पहले मौसी ने मुझे बताया- वो जो तेरा नुन्नू है… उससे लंड कहते हैं और ये जो मेरी है… जहाँ तुमने कल उंगली डाली थी, इसे चुत कहते हैं. इस चुत में छेद होता है… जिसमें लंड अन्दर घुसता है.
मैं चुपचाप सब सुन रहा था और मैंने पूछ लिया- मौसी चुत में कहाँ छेद होता है, मैंने तो नहीं देखा? इस पर मौसी ने कहा- रूको, मैं दिखाती हूँ.
वो उठ खड़ी हुईं और चारों ओर नज़र मार कर उन्होंने ये देख लिया कि कोई आस-पास है तो नहीं… और फिर से बैठ गईं.
मौसी ने अपनी चुत की फांकों को अलग करते हुए दिखाया- देखो ये है चुत का वो छेद. यह देखते ही मेरे नुन्नू… नहीं… लंड सख़्त हो गया और जोर से हिलने लगा. मौसी मुस्कुरा दीं और बोलीं- चलो बहुत देर हो गई, नहीं तो तेरी माँ डाटेंगी. मैं उठ नहीं रहा था, मौसी ने मुझे बाकी बातें घर में बताने का वादा करके मुझे वापस ले आईं
रात को खाने के बाद मैं तुरंत ही मौसी के पास चला गया और पूछने लगा, तो मौसी बोलीं- सबको सो जाने दो फिर बताऊंगी. मैं सबके सोने का इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर मैं सुसू करने के बहाने उठा और सबको सोता देख मौसी से आकर बोला- मौसी सब सो गए… अब तो बताओ. मौसी मेरी उत्सुकता को समझते हुए ये पक्का करने उठीं कि सब सो गए हैं या नहीं. वे बोलीं- मैं पानी पी कर आती हूँ. वे पूरा घर देख कर आ गईं.
मौसी अब तैयार थीं… मैं भी तैयार था. मौसी ने कहा- सबसे पहले तुम पेंट उतारो. मैं- क्यों…? ‘कहा ना… उतारो… तब ही बताऊंगी.’
मैंने पेंट उतार दी और उनके सामने खाट पर आ गया. वो भी खाट पर बैठ गईं. पहले तो मौसी ने मेरे खड़े लंड को निहारा और बोलीं- तुम जानना चाहते हो ना कि ये सख्त क्यों हो जाता है? मैंने तुरंत हाँ कहा, तो मौसी ने मुझे अपने पास खींचा और मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं. मुझे बहुत ही अजीब सा नशा होने लगा, मेरा लंड टाइट हो गया और मेरा बदन कांपने लगा. साथ ही मेरा गला सूखने लगा.
मौसी ये सब देख रही थीं और मेरी हालत भी समझ रही थीं. मेरी बुरी हालत देख कर मौसी ने मेरे लंड को छोड़ दिया और मुझे पानी पीने और लंड पर पानी डालने को बोला. मैंने तुरंत पानी पी लिया… क्योंकि आप समझ सकते हो, उस वक़्त मेरी हालत क्या हो रही होगी. लंड पर पानी लगने से वो कुछ नर्म हुआ… और ढीला हो गया.
मैं अब भी कांप रहा था, सो मौसी ने मुझे कसके अपनी बांहों में जकड़ लिया. इससे मुझे कुछ अच्छा लगा, सो मैंने भी उनको और ज़ोर से पकड़ लिया. कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मेरी सांसें शांत हुईं. फिर मौसी ने मेरे हाथ उनके दूद्दू यानि चूचियों पर रख लिए. उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, ऊपर से ही उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपनी चूचियों को दबवाया. मौसी की ठोस चूचियां दबाने से ही मेरा लंड फिर से सख्त हो गया और मेरा शरीर फिर से काँपने लगा.
मेरी ये हालत मौसी से देखी नहीं गई, सो उन्होंने मुझे छोड़ दिया और बोलीं- तुम्हें जवान होने में अभी कुछ दिन और लगेंगे.
ये सुन कर मैं निराश हो गया और मेरा लंड खुद ही नर्म पड़ गया. शरीर अब भी कांप रहा था तो मौसी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और हम सो गए.
अगले कुछ सप्ताह मौसी ने मुझे उनके चूचियों से खेलना सिखाया, मेरी सहन शक्ति बढ़ाई, चुत को रगड़ने से सुख प्राप्ति होती है, ये बताया. चुत में उंगली करना सिखाया. पर कौन सा सुख मिलता है, ये नहीं बताया. मैं जब भी पूछता, तो वो कहतीं- तुम्हारे साथ जब मैं सेक्स करूँगी, तो तुम्हें खुद ही जवाब मिल जाएगा.
इसी तरह मौसी मेरे बदन को छेड़ती रहीं और मुझे जवान करती रहीं. फिर एक दिन पापा गाँव आ गए और दादी की तबीयत भी ठीक हो चली थी.
पापा इसी हफ्ते में मुझे और माँ को वापस शहर चलने को बोलने लगे. मौसी भी समझ चुकी थीं कि मैं वहां ज़्यादा दिन नहीं रहने वाला हूँ. तो मौसी भी जल्दी से अपनी आग बुझाने की फिराक़ में रहने लगीं. उन्होंने इतने दिन में जो मुझे सिखाया उसका इम्तिहान मुझे देना था.
पापा के आने के बाद शौच के लिए मौसी के साथ जाना बंद हो गया था… और जाने के दिन बहुत पास आ गए थे.
जाने के ठीक एक दिन पहले मौसी ने वो मौका निकाल ही लिया. पापा तालाब में अपने दोस्तों के साथ नहाने चले गए. अक्सर मैं भी उनके साथ जाता था, पर मौसी ने मुझे किसी तरह रोक लिया. उधर पापा नहाने गए, माँ खाने बनाने में व्यस्त हो गईं. दादी बिस्तर पर आराम कर रही थीं. किचन और दादी का कमरा एक तरफ था और एक रूम था, जहाँ हम सब सोते थे. माँ किचन में खाने बनाने लगीं. चूंकि लकड़ी से चूल्हा जलता था, सो खाना पकने में काफ़ी वक़्त लगता था. पापा पहले ही निकल चुके थे.
तो ये सबसे अच्छा मौका था मौसी और मेरे लिए… मौसी झट से मुझे अपने साथ दूसरे कमरे में ले गईं और अन्दर से कमरे को बंद कर लिया. मौसी ने कोने में मुझे ले जाकर मेरी पैन्ट उतार दी. उस वक्त मौसी ने फ्रॉक टाइप की ड्रेस पहनी थी… और नीचे चड्डी नहीं पहनी थी. मौसी ने नीचे से फ्रॉक ऊपर कर ली, पीछे से हुक खोल लिए.
अब वे मेरा लंड सहलाने लगीं और मेरे मुँह को अपनी चूचियों में दबाने लगीं. मेरा लिंग भी सख्त हो गया. मेरी भी सासें बहुत तेज चलने लगीं. मैं तो पूरा कांपने लगा. मौसी पागलों की तरह मुझे चूमे जा रही थीं. उन्होंने मेरे लंड को सहला कर पूरा लोहे जैसा सख्त कर दिया और अपनी एक उंगली अपनी चुत में अन्दर-बाहर करने लगीं.
उंगली से चुत का कुछ पानी सा टपक रहा था. मैं नीचे से नंगा खड़ा था और वो भी सिर्फ़ उन जगहों से नंगी थीं जिन जगहों की सेक्स के दौरान ज़रूरत होती है.
उनसे अब रहा नहीं जा रहा था तो मौसी ने लेट कर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया, जो अब लोहे समान सख़्त हो चुका था. उन्होंने दूसरे हाथ से अपनी चुत की फांकों को अलग-अलग किया और खुद ही मेरे लंड को अपनी चुत के द्वार पर टिका लिया. अब मौसी बोलीं- आगे की ओर धक्का दो. मैंने ऐसा ही किया, पर मैं नासमझ था सो लंड कहाँ चुत में घुसने वाला था. पहली बार में दूसरी ओर फिसल गया, मौसी से रहा नहीं जा रहा था सो उन्होंने फिर से मेरे लंड को चुत के द्वार पर रखा और खुद ही चुत की फांकों को खोल कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चुत में हल्के से अन्दर कर लिया और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ों के गोले पकड़ कर अपनी ओर खींचा.
मेरा लंड अबकी बार मौसी की चुत के अन्दर घुस गया, जिससे मौसी की चीख निकल गई, वो चीख को दबाना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने अपने होंठों से मेरे होंठ कसके दबा लिए. उन पर सेक्स चढ़ा हुआ था. सो अब मौसी ने मेरी गांड को पकड़ कर आगे-पीछे करना चालू कर दिया.
वो काफ़ी तेज़ी से मुझे पकड़ कर आगे-पीछे कर रही थीं. मैं भी मदहोश सा था. मुझे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा था. मैं बस उनके गुलाम की तरह उनके इशारों पर नाच रहा था.
इस बीच मैंने नीचे देखा कि मेरा लंड मौसी की चुत में अन्दर-बाहर हो रहा है और मौसी की चुत से लबालब पानी बाहर निकल रहा है. इससे ‘फ़च फ़च…’ की आवाज़ गूँज रही है. मौसी शायद उत्तेज़ना में झड़ चुकी थीं. इसलिए बहुत ही चिपचिपा सा पानी उनकी चुत से निकल रहा था. आज भी जब मैं वो सब याद करता हूँ तो ‘फच फच…’ की वो आवाज़ मेरे कानों में गूंजती है.
मौसी पसीने से तरबतर हो चुकी थीं और मैं भी थक गया था. मौसी भी थक चुकी थीं. शायद उनकी साँसें भरने लगीं और मुझे आगे-पीछे करना और उनका मेरी गांड से पकड़ कुछ ढीला पड़ना शुरू हो गया. इसके बाद मौसी धीरे-धीरे रुक गईं और हांफते हुए मेरे से लिपट गईं. शायद मेरी उस वक़्त इतनी उम्र ना थी कि मेरा स्पर्म निकल पाता, मौसी ये समझ गई थीं.
फिर भी मेरा लंड सख़्त ही रहा. आख़िर में बहुत आगे-पीछे करने के बाद मेरे लंड से सिर्फ़ गर्म चिपचिपा सा पानी ही निकला, जिसे मौसी पी गईं और बोलीं- तुम्हें जवान होने में अभी समय लगेगा. मौसी पूरी तरह पस्त पड़ी थीं और संतुष्ट हो गई थीं.
मैंने अनजाने में ही सही, मौसी को स्खलित कर दिया था. मौसी ने तब तक मुझे पकड़ कर लंड को अपनी चुत पर आगे-पीछे करना नहीं छोड़ा, जब तक पापा के आने की आवाज़ ना आ गई. उनकी आवाज़ आते ही मौसी ने झट से मेरी पैन्ट ऊपर की, खुद के कपड़े ठीक किए, फर्श पर गिरे चुत की पानी को झटपट पौंछा और दरवाज़ा खोल कर हम बाहर आ गए.
इस तरह कम उम्र में ही मैंने चुत में लंड डाल दिया था.
इसके बाद मैं शहर आ गया, पढ़ाई में बिज़ी रहने लगा. पर हमेशा मौसी के साथ बिताए वो लम्हे, मौसी के साथ वो चुदाई… या यूं कहें कि मौसी ने जिस तरह से मुझे चोदा, वो सब मेरे दिमाग में हमेशा बना रहेगा.
जब भी मैं सोचता हूँ तो मेरा लंड सख्त हो जाता है. आज तक ना जाने मैंने उस मौसी के लिए अपने कितना मुठ बहाया होगा. उस वक़्त जब जब मुझे सेक्स का मतलब भी या यूं कहें लंड का इस्तेमाल भी नहीं पता था, उस टाइम चुत तो मिल गई. लेकिन अब जब सेक्स की ज़रूरत मुझे है तो कोई चुत, कोई मौसी नहीं मिल रही है.
उस टाइम जो खुद से बड़ी उम्र की लड़कियों और औरतों को चोदने का चस्का लगा, वो आज भी है.
ये थी मेरी सच्ची आपबीती, अगर आपके मन में कोई प्रश्न, जैसे कि क्या भारत में मौसी या किसी रिश्तेदार के साथ चुदाई होती है, या और कोई सुझाव हो. मेरी ये घटना आपको अच्छी लगी या नहीं… तो मुझे ज़रूर मेल करें.
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