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दोस्तो, मेरा नाम किरण है(किरण लड़कों का नाम भी होता है), मैं पुणे महाराष्ट्र का रहने वाला कॉलब्वॉय हूँ, मैं दिखने में स्मार्ट हूँ, कद काठी भी ठीक ठाक है.
मैं आज मेरी पहली और सच्ची कहानी लिखने जा रहा हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप इसे पसंद करेंगे.
मैं पुणे में अपने भैया के साथ रहता हूँ. भैया एक इंजीनियर हैं लेकिन अभी उनकी शादी नहीं हुई है. तो खाना बनाने के लिए हमने एक मेड भाभी रख ली थी, जो हमारे पड़ोस में ही रहती थी. वो भाभी गुजरात की थी. गुजराती भाभी दिखने में एकदम अप्सरा जैसी थी, भरे हुए बदन की; उसकी उम्र कोई 29 साल की थी, उसके चूचे और गांड बाहर को निकले हुए थे. उसका पति मुंबई में जॉब करता था और महीने में मुश्किल से एक बार ही उससे मिलने आ पाता था. वो जब चलती थी तो ऐसा लगता था कि उसको पीछे से कस के पकड़ लूँ और अपना पूरा 6 इंच का लंड भाभी की चूत और गांड के अन्दर घुसेड़ दूँ.
लेकिन मैं सोचता था कि अगर भैया को पता चल गया तो सब रायता फ़ैल जाएगा तो इसके लिए मैंने एक प्लान बनाया.
जब वो दूसरे दिन खाना बनाने आई तो मैं सुबह उठकर तैयार हो चुका था और भैया उसके आने से पहले ही जॉब पर चले जाते थे क्योंकि उनको ऑफिस में लंच मिलता था.
अब मैं उसके आने से पहले तैयार रहने लगा और उसको कुकिंग में हेल्प करने लगा. वो भी मुझसे बातें करने लगी थी. धीरे-धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. मैं उससे इधर-उधर की बातें करने लगा. मैंने उसकी फैमिली के बारे में जानना चाहा तो उसने बताया कि उसकी नई-नई शादी हुई है और उसका पति सिर्फ़ पैसा कमाने के पीछे भागता है.
धीरे-धीरे मैं समझ गया कि यह भाभी भी बहुत दिनों से चुदाई की प्यासी है. मैं उसके और भी क्लोज़ आने लगा. वो भी मुझसे काफ़ी घुल-मिल गई. कभी मैं उसके साथ थोड़ी मस्ती करता था, तब भी वो कुछ नहीं कहती थी. मैं उसको छूने का कोई चान्स नहीं छोड़ता था, उसने भी मुझे पहचान लिया था, मेरी दिल की बात को वो अब समझने लगी थी.
एक बार भैया को ऑफिस के काम से एक महीने के लिए गुजरात के जाम नगर शहर में जाना पड़ा तो मैं खुशी से झूम उठा क्योंकि मुझे भाभी के साथ सेक्स करने के चान्स ज़्यादा दिखने लगे थे. जब भैया जाम नगर चले गए और मैंने गुजराती भाभी को चोदने का प्लान बना लिया.
एक दिन निर्मला भाभी सुबह खाना बनाने के लिए आ गई, तो मैंने उससे कहा- अभी सिर्फ़ सुबह का ही खाना बनाओ और शाम को फिर से खाना बनाने के लिए आ जाना. वो बोली- ठीक है.
इसके बाद रोज की तरह हमारी बातें शुरू हो गईं और वो खाना बनाकर चली गई. अब मैं पूरे दिन भर उसका इंतज़ार करता रहा, लेकिन शाम को वो देर से दस बजे आई. मैंने पूछा- इतनी देर क्यों कर दी? तो उसने कहा कि उसे कुछ काम था. मैंने बोला- ठीक है.
वो किचन में चली गई, मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया. उससे बात होने लगी, उसने मुझसे पूछा कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? तो मैंने कहा- हमारी ऐसी किस्मत कहाँ… और आप जैसी दोस्त होते हुए मुझे गर्लफ्रेंड की क्या ज़रूरत है. तो वो हंसने लगी और बोली- मैं तुम्हारे उम्र की तो नहीं हूँ तो मैं तुम्हारी फ्रेंड कैसे हो गई? मैंने कहा- आप मुझसे इतनी अच्छी बातें करती हैं, कुछ प्राब्लम हो तो सलाह भे ले लेती हैं.. तो आप मेरी फ्रेंड ही हुई ना..! तो उसने बोला- हाँ वो तो है.
मैं हॉल में चला आया और टीवी ऑन करके देखने लगा.
इसके दो मिनट बाद उसने मुझे आवाज़ दी और फ्रीज़ से सब्जी निकालने को बोली. फ्रीज़ तो उसके पीछे ही था, फिर भी मैं गया और फ्रीज़ से सब्जी निकाली और उसके पीछे खड़ा रहके सिर्फ़ हाथ उसके आगे किया, तो मेरा हाथ उसके मम्मों से छू गया.
वो कुछ नहीं बोली और किचन की टेबल के नीचे का सामान लेने के लिए पीछे को सरक कर नीचे झुक गई.
तब उसकी मस्त गांड मेरे लंड को छू रही थी. मैंने नाइट पैन्ट पहनी थी, उस वजह से मेरा 6″ का हथियार ऐंठ गया और उसको महसूस हो गया.
तो अब मैं फ्रीज़ और उसके बीच में फंस गया था और मेरा लंड अकड़ता जा रहा था. मैं पागल हो रहा था, उसने भी नीचे झुककर लंड को देखा और मुझे ताड़ कर मुस्कान दी. तो मेरी समझ में आ गया कि वो क्या चाहती है.
मैंने अपना लंड थोड़ा आगे को प्रेस किया तो उसने भी गांड को पीछे सरका दिया. अब मेरा कंट्रोल नहीं हो रहा था. तब वो ऊपर को हो गई और मेरी तरफ मुड़ गई. झुकने की वजह से उसका पल्लू नीचे गिर गया था, जिसे उसने ठीक करने की कोशिश नहीं की. मैंने उसके बड़े-बड़े मम्मों को देखा और देखता ही रह गया.
मैंने झट से उसे अपनी बांहों में भर लिया और किस करने लगा. तब उसके बड़े चूचे मेरी छाती में दब रहे थे. मैंने उसके पूरे गाल को खूब चूमा. उसने भी अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए.. तो मैं जोर जोर से चूसते हुए उसे किस करता रहा. फिर मैंने उसके गले के ऊपर आ गया, वो भी बहुत गरम होने लगी थी और ‘उम्म्म… अम्म्ह उउम्म हाह…’ करने लगी.
मैंने उसके चूचों को अपने हाथों से दबाया तो वो और भी गरम हो गई. फिर नीचे होकर मैंने उसकी नाभि को चूम लिया तो भाभी एकदम तड़फ़ उठी. अब मैंने उसकी नाभि जोर से चूम लिया तो वो पागल सी हो गई.
मैं उस को उठा कर बेडरूम में लाया और पलंग पर पटक कर झट से भाभी के ऊपर टूट पड़ा. वो भी मुझे अपनी बांहों में जोर जोर से खींच रही थी, उसे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं उसके मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से जोर-जोर से दबा रहा था.
मैं चूमते-चूमते नाभि के नीचे चला गया और पैर चूमते हुए उसकी साड़ी को ऊपर उठाते हुए कमर तक ले आया और ऊपर को चूमता चला गया. वो भी मेरे ऊपर चढ़ गई. वो मुझे जोर-जोर से चूसने लगी, किस करने लगी. इस तरह जब काम वासना हावी हो गई तो हम दोनों ने कपड़े उतार दिए.
भाभी ने नीचे मेरे लंड को हाथ में लेकर अपने मुँह में ले लिया और मस्त रंडी की तरह से चूसने लगी. करीब 5 मिनट तक लंड चूसने के बाद मेरा पानी निकल आया. लेकिन उसने लंड चूसना नहीं छोड़ा, पहले तो उसने पानी गटक लिया और तब भी लंड को जोरों से चूसती रही. इससे मेरा फिर से खड़ा हो गया.
फिर मैं उसकी चुत पर टूट पड़ा, उसकी टांगों को फैला कर भाभी की चुत को चाटने लगा. वो बोली- उम्म आह.. अब कंट्रोल नहीं होता.. जल्दी से लंड अन्दर डाल दो.
मैंने अपना तना हुआ लंड उसकी चुत में एक झटके से डाल दिया तो वो जोर से चीख उठी. फिर मैंने धीरे-धीरे से चोदना शुरू किया. अब वो मीठे दर्द से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी.
फिर मैंने उसको कुतिया के पोज़ में चोदा. करीब 20 मिनट के बाद मैं उसकी चुत में ही झड़ गया. कुछ देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में भर लिया और चूस कर उसको साफ कर दिया.
उस दिन से मैंने उसके साथ बहुत बार सेक्स किया. वो भी मेरे लंड के ऊपर फिदा हो गई थी और बाद में उसने अपनी बहुत सी सहेलियों को मुझसे चुदवाया. वो सब मेरे लंड की चुदाई से खुश हैं.
इस तरह मैं कॉलब्वॉय बन गया. अब पूना की कई सारी चुदासी औरतें मुझसे चुदवा कर खूब खुश हैं.
आपको मेरी ये गुजराती भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. आप मुझे मेल करके ज़रूर बताइएगा. [email protected]
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