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दोस्तो, मैं गौरव गुजरात से हूँ. मैं 20 साल का हूँ, मेरा कद 6 फिट है और लंड 7 इंच लम्बा है.
ये बात 4 महीने पहले की है, नेहा भाभी मेरे पड़ोस में रहती हैं, वे 27 साल की एक मदमस्त 32-28-34 के फिगर वाली माल हैं. सच में वो एक सेक्स बम्ब हैं. जब भी वो नाभिदर्शना साड़ी पहन कर बाहर निकलती हैं तो क्या बताऊं… मेरा बुरा हाल हो जाता है.
नेहा भाभी रोज जॉगिंग के लिए जाती थीं. मुझे उनको चोदने का बड़ा मन था इसलिए मैं भी उसी चक्कर में सुबह मॉर्निंग-वाक के लिए जाने लगा. मुझे लगता था कि कभी तो भाभी को चोदने का मौका मिलेगा.
जब कई दिन ऐसा करते हुए हो गए तो एक दिन मैंने भाभी से बात करने की ठान ली और पार्क में जिधर भाभी जॉगिंग कर रही थीं, मैं उधर उनके करीब को चला गया. मैंने उनके उछलते मम्मों को देखा, तो उन्होंने भी मेरी तरफ देखा. हालांकि भाभी ने जॉगिंग करना बंद नहीं किया और तभी मैंने अपना परिचय दिया- हाय.. आई एम गौरव, आपका पड़ोसी.. भाभी- हाँ देखा है मैंने.. कैसे हो? मैंने- गुड, आपसे बात करने का मन कर रहा था. भाभी- क्यों? मैंने- बससस्स यूं ही.. आपका नाम क्या है? नेहा भाभी ने रूखा सा जबाव दिया- नेहा.. अच्छा अब मुझे जाना है, यू एंजाय! नेहा भाभी ने इतना सा उत्तर देकर बिना मेरी कोई बात सुने आगे कदम बढ़ा दिए.
उस दिन दोपहर में मैं उनके घर गया और उनके घर का दरवाजे पर दस्तक दी. कुछ पलों बाद नेहा भाभी एक बहुत ही मस्त येल्लो साड़ी में बाहर आईं. भाभी एकदम हॉट एंड सेक्सी लग रही थीं. मैंने- हैलो, दरअसल वो मेरी मॉम ने ये कुछ प्रसाद भेजा था, हमारे घर आज पूजा थी तो..! भाभी- ओह ओके.. आओ अन्दर आओ..
मैं भाभी के घर के अन्दर चला गया. शायद भाभी घर में अकेली थीं. मैं सोफा पर बैठने को बढ़ा ही था कि भाभी बोलीं- एक मिनट रूको, मैं अभी ये रख कर आती हूँ. भाभी अन्दर किचन में जाने लगीं तो मैं ठगा सा खड़ा रह कर भाभी की मटकती गांड को खुले मुँह से देखने लगा. कुछ ही पलों में भाभी खाली प्लेट लेकर वापस आ गईं.
मैं- क्या कोई नहीं है घर पे? भाभी- नहीं, जब मेरे हब्बी ऑफिस जाते हैं.. तो मैं अकेली ही होती हूँ. मैं- अकेले बोर नहीं होती आप? भाभी- हाँ लेकिन क्या कर सकते हैं, मुझे ज्यादा फ्रेंड बनाना भी पसंद नहीं हैं न. मैं- कोई बात नहीं, आज से मैं आपका फ्रेंड..! भाभी- अच्छा जी, आपको फ्रेंडशिप का बड़ा शौक है! मैं- हाँ मुझे न्यू फ्रेंड्स बनाना बहुत पसंद है. भाभी- ओके, ये लो अपनी प्लेट.. मैंने जबरन खुद को ठेलते हुए कहा- जब भी बोर हों, बुला लेना.. अब तो हम फ्रेंड हैं. भाभी- ओके..
मैं अपने घर वापस आ गया और अगले दिन सुबह जॉगिंग के समय भाभी से फिर मुलाकत हुई. मैंने- हाय.. भाभी- हैलो.. मैंने- आप डेली जॉगिंग करती हो इसलिए आपका फिगर इतना मेंटेंड है. भाभी- हम्म.. मैंने- आपको बात करना पसंद नहीं है क्या? रिप्लाइ ही नहीं करती हो आप? भाभी- मैंने कहा था ना.. मुझे फ्रेंड बनाना पसंद नहीं है. मैंने- लेकिन मैंने तो आपको फ्रेंड बना लिया. भाभी- अच्छा जी.
हमने थोड़ी बातें की और वो चली गईं. फिर 4-5 ऐसे ही चलता रहा और धीरे-धीरे वो भी मेरे से कंफर्टबल होने लगीं. अब हम डेली वाक पर मिलते और बात करते, लेकिन अब तक सब नॉर्मल था. अब मैंने सोचा कि अब कुछ करना चाहिए.. सो मैं फिर से उनके घर गया. मैंने- हैलो भाभी, कैसे हो? भाभी- हैलो.. आओ अन्दर, आज घर पर कैसे? मैंने- कुछ नहीं बस आपको देखने का मन कर रहा था. भाभी- ओके.. बैठो मैं पानी लाती हूँ.
भाभी गांड मटकाते हुए किचन में गईं और अचानक मुझे उनके गिरने की आवाज़ आई.
मैं भाग कर किचन में गया और देखा कि भाभी किचन के फर्श पर गिरी पड़ी थीं. मैं- अरे ये क्या हुआ? भाभी- पैर फिसल गया.. मुझे सहारा दो..
मैंने हाथ बढ़ाया और उन्हें सहारा देकर खड़ा किया. जैसे ही मैंने भाभी के एक हाथ को छुआ और उनकी कमर में हाथ डाल कर उनको उठाया.. मैं उत्तेजना से गनगना गया. ये मेरा भाभी को छूने का पहला मौका था. मैंने इस मौके का पूरा फायदा भी उठाया. मैं अब भी भाभी का हाथ पकड़े हुए खड़ा था और मुझे लगा कि उनको खड़े रहने में बहुत दिक्कत हो रही थी. मैंने उनका हाथ अपने कंधे पर रखा और उनके कमर को पकड़ कर उन्हें बेडरूम तक ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया.
भाभी को काफ़ी दर्द हो रहा था, मैंने कहा- मैं डॉक्टर को बुला लेता हूँ. भाभी- हम्म..
मैंने डॉक्टर को कॉल किया, वो 15 मिनट में आ गए. उन्होंने नेहा भाभी को चैक किया और उनसे कहा- आपकी कमर में मोच आ गई है, अब 4-5 दिन तक कोई भारी सामान मत उठाना.. और ना ज़्यादा घूमना, बस आराम करना. ये कहते हुए डॉक्टर ने कुछ दवाई दे दीं. मैंने भी उन्हें रेस्ट करने का कहा और घर आ गया.
अगले दिन मैं भाभी के घर गया, उन्होंने काफ़ी देर से दरवाजा खोला. मैं- हाय भाभी- सॉरी वो कमर में मोच है ना.. तो थोड़ा चलने में दिक्कत है. मैं- इट्स ओके भाभी.
अब भाभी लंगड़ा कर चलने लगीं तो मैंने आगे बढ़ कर फिर से उनकी कमर पकड़ ली और उन्हें बेडरूम तक सहारा दिया. मैं- कल से कोई आराम है? भाभी- हाँ थोड़ा सा तो है, लेकिन दर्द अब भी बहुत है. मैं- मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हूँ? भाभी- ओके वो जैल लगा कर थोड़ी कमर की मालिश कर दो प्लीज़. मैं मुस्कुराया और जैल ले आया.
उन्होंने हरे रंग की साड़ी पहनी थी. भाभी उलटी होकर लेट गईं तो मैंने उनकी कमर पर जैल लगाया और भाभी की मालिश करने लगा. मैंने सोचा यही चान्स है भाभी को चोदने का, मैंने कहा- भाभी, जैल से आपका ब्लाउज गंदा हो जाएगा.
उन्होंने एक पल के लिए कुछ सोचा और अपना ब्लाउज पीछे से खोल दिया. मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा.
‘भाभी ये ब्रा की स्ट्रॅप खोल दूँ? प्राब्लम हो रही है..’ भाभी- ओके..
मैंने अब भाभी के पेटीकोट के अन्दर हाथ करके उनकी पिछाड़ी के ऊपर के हिस्से में हाथ फेरते हुए मालिश करना शुरू कर दी. भाभी की गांड पर हाथ लगते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. अब तो मैंने जानबूझ कर अपना लंड थोड़ा एड्जस्ट किया ताकि वो भाभी के चूतड़ों की दरार में टच होता रहे. मैं बड़े मनोयोग से उनकी मालिश कर रहा था और अपने लंड को उनके चूतड़ों से रगड़ रहा था.
कुछ ही देर में भाभी भी कुछ उत्तेजना सी महसूस करने लगीं.. लेकिन इससे आगे कुछ नहीं हुआ. मैंने भाभी की मालिश की, उन्होंने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और मैं चला आया.
अगले दिन मैं फिर भाभी के घर गया और फिर उनसे मालिश करवाने का पूछा, तो भाभी ने हाँ कह दिया. आज मैंने कहा- भाभी आप ये साड़ी उतार दो, इससे जैल लगाने में काफ़ी दिक्कत होती है. भाभी- ओके..
मुझे यकीन नहीं हो रहा था.. उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी और वे सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने औंधी लेट गईं.
मैंने भाभी की मालिश शुरू की, तभी उन्होंने हाथ पीछे करके ब्लाउज और ब्रा को खोल दिया. मैं फिर से लंड उनके चूतड़ों की दरार में रगड़ने लगा. आज मैंने एक बोल्ड स्टेप लिया. मालिश करते-करते हल्के से उनके बगल में हाथ डाल कर चूचे दबा दिए. उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मैंने ऐसा कई बार किया.. लेकिन उनका कोई विरोध नहीं हुआ.
अब मुझमें काफ़ी कॉन्फिडेन्स आ गया, मैंने कहा- भाभी आप तो बहुत खूबसूरत हो.. भैया बहुत लकी हैं. भाभी- थैंक्यू.. लेकिन इससे क्या फायदा.. उन्हें तो अपने काम से टाइम ही नहीं है.
भाभी की इस नाराजगी भरे कमेंट्स से मुझे ग्रीन सिग्नल सा मिला, मैंने धीरे से कहा- तो हम क्या मर गए हैं भाभी? यह सुन कर भाभी एकदम से सर घुमा कर मेरी आँखों में देखने लगीं. पहले तो मैं डर गया कि मैंने कुछ ग़लत तो नहीं बोल दिया लेकिन तभी अचानक भाभी ने मुझे पकड़ा और उठ कर किस कर लिया.
आअहह.. क्या रसभरे होंठ थे… मैंने भी भाभी के होंठों को चूमने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हम दोनों ऐसे ही 5 मिनट तक किस करते रहे. मैंने उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. भाभी ने मेरी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं, तो मैंने उनका अधखुला ब्लाउज और लटकती ब्रा को उतार दिया.
आह शी वाज़ टॉपलेस नाउ..
भाभी ने एक मीठी मुस्कराहट बिखेरी और अपने मम्मों को बड़ी कामुकता से हिलाया. जैसे वो कह रही हों कि ‘मेरे चूचों को चूसो न.’ मैंने भाभी के एक चूचे को मुँह में भर लिया और निप्पल काटने लगा. भाभी कामुकता से सीत्कारने लगीं.
मैंने बारी-बारी से उनके दोनों निप्पल काटे, वो बस आँख बंद करके चूचियां चुसवाने का मजा लेते हुए मोन कर रही थीं. उन्होंने मेरे पेंट की ज़िप खोली और लंड बाहर निकाल लिया.
भाभी के लंड पकड़ते ही मेरे लंड ने एक तुनकी सी मारी, भाभी मेरी आँखों में देखते हुए मुस्कुराईं तो मैंने आँख मार कर अपने होंठों पर बड़े ही अश्लील भाव से जीभ फेरी. भाभी इसका मतलब समझ गईं और उन्होंने मेरे मोटे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ फेर कर मुझे इशारा कर दिया. भाभी की जुबान का मेरे लंड के सुपारे पर फिरना क्या हुआ, मेरे मुँह से एक मीठी सी आह निकल गई.
इधर मेरी आह.. निकली और बस भाभी ने लंड को गप से अपने मुँह में भर लिया और सन्नी लियोनि जैसे लंड को चूसने लगीं. उऊ.. ओह.. क्या फीलिंग थी.. भाभी गपागप लंड चूसे जा रही थीं. पहले उन्होंने लंड को चूसा, फिर मेरी गोटियों को भी चूसने लगीं. सच में भाभी जी बड़ी क्लासिक चुसक्कड़ थीं.. वो तो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे उन्हें कभी ऐसा लंड चूसने को मिला ही ना हो.
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने भी जल्दी से उनके पेटीकोट को उतार दिया और उनकी चुत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा. मैंने पैंटी के ऊपर से भाभी की चुत पर हाथ फेरते ही महसूस कर लिया था कि भाभी की चुत सफाचट है. मैंने अगले ही पल उनकी पैंटी उतार दी और चुत पर जीभ रख दी.
आह.. भाभी तो अपनी चुत पर जीभ का स्पर्श पाते ही सीत्कारने लगीं. मैंने चुत में अपनी जीभ डाल दी और उन्हें टंग से चोदने लगा. भाभी मोनिंग कर रही थीं. थोड़ी ही देर की चुत चुसाई में वो झड़ गईं और मैंने उनका रस पी लिया. कुछ देर के लिए भाभी निढाल हो गईं. उनका दर्द मानो गायब हो चुका था.
कुछ देर बाद मैं फिर से भाभी की चुत को चूमने लगा. भाभी ने सिहर कर कहा- अब डाल भी दे कमीने.. अब कंट्रोल नहीं होता. मैंने एक पल भी देर नहीं की और झट से अपना मूसल भाभी की चुत के मुहाने पर टिका दिया. भाभी तो जैसे चुदास से तड़फ रही थीं उन्होंने अपनी कमर उठा कर मेरे लपलपाते लंड को अपनी चूत में खींच लिया. आह.. उनका चूतड़ों का उठाना हुआ और मेरे ठोकर लगाना हुआ.. इससे हुआ ये कि एक ही बार में मेरा आधा लंड भाभी की चुत में घुस गया था.
भाभी मानो तृप्त हो गईं उनके कंठ से एक मीठी से आह निकल गई. भाभी ने अपनी चुत में मेरे लंड को जज्ब करते हुए भाभी ने आँखें बंद कर लीं और मोन करने लगीं. मैं भाभी की चिकनी चुत का कायल हो गया था.. और पूरा लंड पेलने के बाद मैं भाभी की चुत में हल्के-हल्के झटके मारने लगा. मेरे हर झटके पर भाभी की मादक आवाज़ आती- आअह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म्म फक मी.. चोदो.. जल्दी.. आअहह.. मेरा लंड भाभी की चुत के अन्दर-बाहर हो रहा था और वो सीत्कार करे जा रही थीं.
मैंने उन्हें 15 मिनट तक धकापेल चोदा और लंड निकाल कर उनके खुले मुँह में लगा दिया. मेरा सारा माल भाभी के मुँह में गिर गया.. भाभी ने बड़े मजे से मेरा रस पी लिया. हम दोनों ने एक लम्बा किस किया और मैंने खुद अपने वीर्य का स्वाद चख लिया. इसके बाद कुछ देर का आराम और फिर से चुदाई.
यह थी मेरी सेक्स स्टोरी.. मुझे पता है कि मैं एक अच्छा लेखक नहीं हूँ, लेकिन मैंने इस सेक्स स्टोरी को लिखने का प्रयास किया.
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