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दोस्तो, अभी कुछ दिन हुये, मुझे एक लड़के की ई मेल आई, वो अपनी कहानी मुझसे लिखवाना चाहता था। मैंने उससे बात की और धीरे धीरे उसने मुझे कुछ बहुत ही आश्चर्यजनक बातें बताई। जो मैं आपको बताता हूँ।
हैलो दोस्तो, मेरा नाम हैप्पी है, मैं दिल्ली में रहता हूँ। बचपन से ही मेरी आदत रही है कि मैं सबके काम बड़े दौड़ दौड़ कर करता हूँ। इसी वजह से मेरे घर में सब लोग, आस पड़ोस में भी कोई भी काम होता मुझसे ही कहते- हैप्पी, ये ला कर देना, हैप्पी, जा भाग कर ये समान लेकर आना. और मैं झट से दौड़ कर जाता, और एक मिनट में जो भी समान मुझसे मंगवाया जाता, वो मैं ला देता।
हमारे घर में हमारे साथ हमारे चाचाजी भी रहते थे। एक दिन चाची जी ने बुलाया और मुझे पास की दुकान से कुछ लाने को कहा। मैं दौड़ा दौड़ा गया और सामान लेकर लौट आया।
जब मैं वापिस चाची के कमरे में गया, उस वक़्त चाची अपनी गुड़िया को दूध पिला रही थी। मैं जब उनके पास उन्हें सामान देने गया, तो मैं उनका गोरा, मोटा बोबा देख कर हैरान रह गया। मेरी तो नज़र उनके बोबे पर ही गड़ गई। चाची ने मेरे हाथ से सामान लिया और जब देखा कि मैं उनके बोबे को देखे जा रहा हूँ, तो उन्होंने पूछा- ऐ हैप्पी, क्या झांक रहा है? मैं झेंप गया- जी कुछ नहीं चाची। वो बोली- पिएगा।
पहले तो मैं समझा नहीं, मुझे लगा शायद कुछ ठंडा पूछ रही हैं, मगर शायद चाची को पता चल गया कि मैं उनकी बात नहीं समझा हूँ, तो वो अपने ब्लाउज़ में से दिख रहे बोबे पर अपनी उंगली से छूकर बोली- इसका पूछ रही हूँ, ये पिएगा, क्या? अब ये तो मेरे मन की मुराद पूरी हो रही थी पर मैं कुछ नहीं बोला. तो चाची ने मेरी तरफ देखते हुये, अपने ब्लाउज़ को दूसरी तरफ से उठाया और अपना दूसरा बोबा बाहर निकाला। कितना बड़ा बोबा, गोरा और सामने भूरे रंग का इतना बड़ा सारा निप्पल जो बाहर को निकला हुआ था, बोबा बाहर निकाल कर वो बोली- ले आ जा, पी ले!
मैं सोचूँ, पीऊँ के न पीऊँ? मगर चाची के दोबारा पूछने पर मैं आगे बढ़ा और जैसे ही मैं अपने मुँह चाची के बोबे के पास किया उन्होंने मेरा सर पकड़ा और अपना निप्पल मेरे मुँह से लगा दिया। मैंने चाची का निप्पल अपने मुँह में लेकर अंदर को चूसा तो मेरा तो मुँह उनके दूध से भर गया। हर बार चूसने पर मुँह भर भर के दूध आया। मगर ये मेरी ज़िंदगी का पहला ऐसा तजुरबा था, जिसमें मेरी लुल्ली खड़ी हो गई। मुझे नहीं पता चला, पर चाची ने देख लिया और मेरी निकर के ऊपर से ही मेरी लुल्ली को पकड़ कर बोली- अरे इसे क्या हुआ, ये क्यों खड़ी हो गई? मैं एकदम से चौंका और चाची का बोबा छोड़ के उठ बैठा मगर चाची ने मेरी लुल्ली नहीं छोड़ी, बल्कि अपने हाथ से उसे हल्के हल्के सहलाती रही।
चाची के सहलाने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैंने फिर से चाची का बोबा अपने मुँह में ले लिया, तो चाची ने मेरी निकर के अंदर हाथ डाल कर मेरी लुल्ली पकड़ ली और उसे खींच कर नीचे को करने लगी, मगर इस में मुझे दर्द सा हुआ, तो मैंने चाची का बोबा चूसना छोड़ दिया और उठ कर बाहर भाग आया, सीधा छत पे गया, वहाँ अपनी निक्कर खोल कर देखा। बेशक चाची सहला रही थी, मगर मेरी लुल्ली कि अंदर से उन्होंने थोड़ा सा गुलाबी सी गोली बाहर को निकाल दी थी। कितनी देर मैं छत पर बैठा रहा, जब तक के मेरी लुल्ली फिर से नर्म और छोटी सी नहीं हो गई। मगर इतना ज़रूर था कि चाची के मेरे लुल्ली को सहलाना मुझे बहुत अच्छा लगा।
एक दो दिन बाद चाची ने फिर मुझसे कोई सामान मंगवाया, मैं जब सामान लेकर आया, तो चाची उस वक़्त कपड़े धो रही थी। मैं चाची के सामने खड़ा रहा। उनके ब्लाउज़ में झूलते उनके बड़े बड़े गोरे गोरे बोबे मैं देख रहा था। मेरा मन कर रहा था कि चाची मुझे फिर से अपना दूध पिलाएँ।
जब चाची ने इस बात को नोटिस किया कि मैं उनके बोबे घूर रहा हूँ, तो वो बोली- क्यों रे, आज फिर चूची पीने का है क्या? मैंने थोड़ा बेशर्मी से हाँ में सर हिला दिया। वो बोली- फिर रुक थोड़ी देर! मैं जाकर कमरे में बैठ गया।
कपड़े धोने के बाद चाची आई, अलमारी से अपने कपड़े निकाले और बाथरूम में चली गई। बाथरूम बेडरूम के साथ ही था। चाची अंदर जा कर नहाने लगी और नहा कर बाहर आई। उन्होंने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ ही पहना था। बाहर आकर उन्होंने अपने बाल खोले और बेड पे लेट गई। मैं उन्हें देखता रहा। फिर मुझे से बोली- चल आ इधर!
मैं उठ कर उनके पास गया, तो उन्होंने अपना ब्लाउज़ के बटन खोल दिये, उन्होंने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी, बटन खोल कर उन्होंने एक बोबा मेरे सामने कर दिया, जिसे मैं पीने लगा, पर मेरा हाथ दूसरे बोबे पर गया, और मैंने उनका ब्लाउज़ हटा कर उनका दूसरा बोबा भी नंगा कर दिया और उससे खेलने लगा, फिर खुद ही उनका दूसरा बोबा भी चूसने लगा। थोड़ा चूसा, तो दोनों बोबे अपने हाथ में पकड़ लिया, कभी ये चूसता तो कभी वो चूसता और साथ में खेलते हुये दबा भी रहा था।
चाची बोली- तू दूध पी रहा है, या मेरी चूचियों के साथ खेल रहा है? मैं कुछ नहीं बोला, मगर चाची ने फिर से मेरी निक्कर पर हाथ फेर कर देखा, मेरी लुल्ली फिर से अकड़ी हुई थी। चाची ने मेरी निकर की साइड अपना हाथ अंदर डाला और मेरी लुल्ली को पकड़ कर सहलाने लगी.
आज चाची थोड़ा ज़ोर ज़्यादा लगा रही थी। मुझे दर्द था, मगर चाची के बोबों से खेलने का उनको चूसने का मजा भी बहुत था, मुझे नहीं पता चला कब चाची ने मेरी लुल्ली की सारी चमड़ी पीछे हटा दी। अब चाची दूध आता ही बहुत था, मेरा तो पेट भर गया मगर चाची के बोबों से अब भी दूध टपक रहा था, वो बोली- और पी ले! मैंने कहा- नहीं पेट भर गया है, मैं जाऊँ? चाची ने अपना हाथ मेरी निकर से निकाल लिया।
मैं फिर छत पर आया और देखा कि मेरी लुल्ली की गोल गुलाबी गेंद पूरी तरह से बाहर आ चुकी थी। मगर मुझे इसमें भी बहुत अच्छा लगा।
अब जब मैं आस पड़ोस की किसी आंटी के घर का कोई काम भी करता तो मेरा दिल करता के वो आंटी भी मुझे अपना दूध पिलाये, चाहे दूध आए, या न आए, पर चुसवाए ज़रूर, और मेरी लुल्ली से भी खेले। मगर सिर्फ चाची ही थी, जो मेरी लुल्ली से खेलती थी।
धीरे धीरे मैं चाची के साथ इतना खुल गया कि खुद ही उनका ब्लाउज़ उठा कर उनकी चूची चूस लेता, वो कभी नहीं रोकती थी। मगर अब मेरी ख़्वाहिश बढ़ती ही जा रही थी। एक दिन दूध पीते पीते मैंने चाची की सुसू वाली जगह पर छू दिया। चाची बोली- यहाँ क्या हाथ लगता है रे? मैंने कहा- क्या आपके भी मेरी तरह ऐसी है? चाची बोली- देखेगा? मैंने कहा- हाँ!
वो उठी, पहले जा कर दरवाजा बंद करके आई और आकर मेरे सामने बेड पर बैठ गई, बोली- देख ये बात अपने बीच ही रहे, किसी को बताना मत, ठीक है? मैंने किसी बड़े आज्ञाकार बच्चे की तरह हाँ में सर हिलाया।
उन्होंने थोड़ा सा उठ कर अपनी साड़ी पहले घुटनों तक उठाई, फिर जांघों तक और फिर पूरी ऊपर पेट तक उठा ली। नीचे उनके दोनों टाँगों के बीचे बहुत सारे घने बाल उगे थे, मुझे सिर्फ बाल दिखे। चाची ने अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर दी, पूरी खोल दी, बीच में एक दरार सी दिखी, जिसमे से गंदा सा काला सा मांस बाहर को निकला हुआ था, और आस पास बाल ही बाल। मुझे बेशक वो चीज़ गंदी लगी, मगर फिर मुझे उसे छूकर देखने की इच्छा हुई, मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उनके बालों को छुआ।
चाची ने अपने दोनों हाथों से उस जगह को खोला तो अंदर से एकदम गुलाबी रंग की फांक से दिखी। चाची बोली- क्या कहते हैं इसे, पता है? मैंने ना में सर हिलाया, तो चाची बोली- इसे चूत कहते हैं, फुद्दी कहते हैं, भोंसड़ी कहते हैं। मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था।
चाची बोली- चाटेगा इसे? मैंने ना कर दी तो वो बोली- तो अपनी चुसवाएगा? मैं चुप रहा तो चाची ने आगे बढ़ कर मेरी निकर नीचे करके मेरी खड़ी हुई लुल्ली को अपने हाथ में लिया और फिर अपने मुँह में ले लिया।
ऐसा मजा तो मुझे आज तक नहीं आया था। चाची ने अपने मुँह में लेकर इतनी ज़ोर से मेरी लुल्ली को चूसा के उसकी चमड़ी पीछे रह गई और गोली बाहर आ गई। चाची मेरी गोली को भी जीभ से चाट गई, और नीचे दो गोटियाँ थी, उनको भी अपने मुँह में लेकर चूस गई। मेरी लुल्ली और आसपास की सारी जगह को चाची ने अपने थूक से गीला कर दिया।
उसने फिर मुझसे पूछा- चाटेगा इसे? इस बार मैं ना नहीं कर पाया, जब चाची ने अपनी टांगें फिर से चौड़ी की और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत से लगाया तो मैंने खुद ही जीभ निकाल कर उनकी चूत को चाट लिया। चाची मेरी लुल्ली को सहलाती रही और मैं मज़े मज़े में उनकी चूत को चाटता रहा, कितनी देर चाटता रहा। जब तक मेरा बदन न अकड़ गया, मुझे ऐसा लगा जैसे बदन से जान ही निकल जाएगी। चाची ने भी मेरा चेहरा अपनी जांघों में दबा लिया।
उस दिन के बाद मैं और चाची आगे ही बढ़ते चले गए। फिर एक दिन चाची ने मुझसे कहा- आज एक नया खेल खेलेंगे। मैंने पूछा- वो क्या? चाची ने पहले अपनी साड़ी ऊपर उठाई और अपनी चूत नंगी कर करके दिखाई। आज चाची ने अपनी चूत शेव कर दी थी, एक भी बाल नहीं था, चाची की चूत पर। मैंने चाची की चूत देख कर कहा- आज बहुत बढ़िया लग रही है।
जब चाची ने अपनी साड़ी उठाई तो मैंने भी अपनी निकर उतार दी, मेरी लुल्ली तो पहले से ही तनी पड़ी थी। चाची बोली- आज तुम अपनी लुल्ली मेरे यहाँ अंदर डालोगे? मैंने क्या मना करना था। जब चाची बेड पे अपनी टाँगें फैला कर लेट गई तो मैंने उनकी टाँगों के बीच में बैठ गया, चाची ने मेरी लुल्ली पकड़ी और अपनी चूत पर रख ली, मैं आगे को हुआ तो मेरी लुल्ली चाची की चूत में घुस गई।
फिर चाची ने कहा- अब अपनी लुल्ली को कभी बाहर निकालो, कभी अंदर डालो, इसे आगे पीछे करो। जैसे चाची कहती गई, मैं करता गया। इसमें मुझे तो मजा आ रहा था, मगर चाची को कोई मजा नहीं आया, वो बोली- तुम्हारी लुल्ली बहुत छोटी है। मैंने कहा- पर मुझे ऐसा करने में मजा आ रहा है। चाची बोली- अगर तुम्हें मजा आ रहा है, तो करते रहो। मैं कितनी देर चाची की चूत में अपनी लुल्ली अंदर बाहर करता रहा। फिर मुझे वही जैसे दौरा पड़ता है, वैसे हुआ, और उसके बाद मैं शांत हो कर लेट गया।
कुछ दिन बाद मैंने फिर चाची से वैसे ही करने को कहा, मगर उन्होंने मना कर दिया। अब तो चाची मेरी पत्नी जैसे बन गई थी, मैं अक्सर उनके जिस्म को छूता रहता। उनके गुप्त अंगों को छूना, सहलाना आम बात थी। मगर सिर्फ चाची ही ऐसी थी जो मुझे हर काम करने के बदले अपने जिस्म से खेलने देती थी, मगर पड़ोस की और कोई आंटी ऐसा नहीं करने देती थी।
फिर चाचा को बड़े शहर में नौकरी मिल गई और वो सपरिवार हमें छोड़ कर चले गए। मुझे बहुत दुख हुआ, उसके बाद मैं अक्सर चाची को याद करके रोता। मैं चाहता था कि कोई और आंटी, भाभी या दीदी मेरे साथ वैसे ही खेले मगर कोई ऐसी नहीं थी, जो मेरा दर्द समझे। कई बार मैं चाची के कमरे में जा कर उन बीते हुये लम्हों को याद करता।
धीरे धीरे वक़्त बीतता गया, अब मेरी लुल्ली पूरा लंड बन चुकी थी, मैं आज भी चाची को याद करता था। कभी कभार फोन पे बात हो जाती थी, मगर जब बात होती तो घर के सब लोग आस पास होते थे तो मैं चाची से वो बात नहीं कर पाता।
जब मैंने अपना मोबाइल लिया, तो मैंने एक दिन चाची को फोन मिलाया, उनसे बात की और सब पुरानी बातें उनको याद कराई। मगर चाची ने कहा कि शहर जाकर उनको कोई दूसरा दोस्त मिल गया है, जो उनको हर तरह से खुश करता है, इसलिए मुझे वो बातें सब भूल जानी चाहियें। मुझे बड़ा दुख हुआ।
मैं पढ़ाई के साथ साथ नौकरी की तलाश भी कर रहा था। एक दिन एक दोस्त ने बताया कि उसने एक नया काम शुरू किया है, जिसमें पैसा भी है, और मजा भी। मैंने पूछा- क्या काम है? वो बोला- मैं एक कॉल बॉय हूँ। मैंने कहा- कॉल बॉय, वो क्या होता है? वो बोला- जैसे रंडी होती है न, पैसे के लिए चूत मरवाती है, वैसे ही मैं पैसे के लिए औरतों की चूत मारता हूँ।
मुझे ये काम बड़ा अच्छा लगा, पैसा भी और मजा भी। मैंने भी उससे कह दिया कि मुझे कोई ऐसा ही काम दिलवा दे।
कुछ दिन बाद उसने मुझे फोन करके कहा- सुन एक पार्टी आई है, उन्हें दो लड़के चाहिए, तू चलेगा मेरे साथ? मैंने झट से हाँ कर दी।
अगले दिन वो आया और मुझे अपनी बाईक पर बैठा कर ले गया। हम दोनों एक बड़े होटल में पहुंचे, रिसेप्शन से रूम नंबर पूछ कर ऊपर गए, रूम का दरवाजा खटखटाया। अंदर से एक औरत की आवाज़ आई- आ जाओ, खुला है।
हम दोनों अंदर गए, तो अंदर एक खूसूरत साफ सुथरा कमरा जो ए सी से ठंडा किया हुआ था। अंदर दो औरतें थे, एक बेड पे बैठी थी और एक पास में पड़े सोफ़े पर बैठी थी, दोनों टीवी देख रही थी। हम अंदर आए तो उन्होंने टीवी बंद कर दिया, पहले हमे ऊपर से नीचे तक बड़ी अच्छी तरह से देखा, मैंने भी उनको देखा, दोनों कोई 35-36 साल की होंगी। दोनों ही बहुत गोरी, सुंदर, बड़े ही स्टाइलिश कपड़े पहने हुये।
हमें उन्होंने पास में बैठाया, पीने को ठंडा जूस दिया। जूस पीते पीते एक बोली- तो तुम दोनों ये कम कब से कर रहे हो? मेरा दोस्त बोला- जी मैंने तो तकरीबन एक साल से काम कर रहा हूँ, ये आज पहली बार आया है। जो औरत सोफ़े पर बैठी थी, मुझे देख कर बोली- पहले कभी किसी को चोदा है? मैंने हाँ में सर हिलाया। उसने फिर पूछा- किसे? मैंने कहा- अपनी चाची से किया था। मेरा जवाब सुन कर दोनों बहुत हंसी।
फिर सोफ़े वाली बोली- भाई देखो ये वाला तो मैं ही लूँगी, तुम दूसरे को ले लो। जब हमारा बंटवारा हो गया, तो मेरा दोस्त तो जा कर उस औरत के साथ बेड पे लेट गया।
मैं वहीं बैठा रहा, तो सोफ़े वाली भाभी बोली- इधर आओ। मैं उठ कर उसके पास गया तो उसने मेरे खड़े खड़े ही मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरी जांघों और मेरे लंड पर हाथ फेर कर देखा, फिर बोली- पहले नहा लें। उसके साथ मैं बाथरूम में चला गया।
मैंने अपने कपड़े उतारे तो वो भी मेरे सामने बिना किसी शर्म के नंगी हो गई, मुझे चाची का नंगा बदन याद आया मगर चाची मोटी थी, ये हल्के बदन वाली थी मगर बहुत ही गोरी थी। उसने आगे बढ़ कर फव्वारा चलाया और मेरे सामने ही अपने बदन पे पानी डाल कर नहाने लगी। मैं भी उसके पास गया और मैंने पीछे से हल्के से उसको अपनी आगोश में ले लिया। उसने अपना सर पीछे को मेरे सीने पे रखा लिया, मैंने अपने दोनों हाथों में उसके बोबे पकड़े और बहुत ही आहिस्ता से दबाये। फव्वारे के पानी उसके बोबों से होकर उसके पेट के ऊपर से उसकी गोरी चिकनी चूत को धोता हुआ जांघों से नीचे जा रहा था।
उसके दोनों छोटे छोटे चूतड़ मेरे लंड से लग रहे थे, मैंने अपना लंड उसके चूतड़ों से सटा दिया और उसके बोबों को ज़ोर से दबाया। उसने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया तो मैंने उसके होंटों को किस किया मगर उसने तो मेरा होंठ ही अपने दाँतों से दबा लिया और मेरे होंठ को चूस डाला। उसकी इस एक हरकत ने ही मेरे लंड को लोहे जितना सख्त कर दिया, मैंने अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ा तो वो घूम गई, मेरी तरफ घूम कर वो नीचे बैठ गई, मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ा, उसकी चमड़ी पीछे हटा कर उसका टोपा बाहर निकाला और आँखें बंद कर के अपने मुँह में ले लिया। उसको पता नहीं कितना मजा आया, मगर मेरे लिए तो जैसे आनन्द का सागर बह निकला हो।
फव्वारे से पानी चलता रहा और वो मेरा लंड चूसती रही। 4-5 मिनट उसने अपनी आँखें नहीं खोली और चूसती रही। फिर उठ कर खड़ी हुई और बोली- अब तुम चूसो. मैंने पहले उसकी गर्दन के आस पास किस किया फिर नीचे को होकर उसके बोबे की निप्पल से टपक रहा पानी चूसा। इस पानी में भी मुझको चाची के दूध का टेस्ट आया। फिर उसके पेट से पानी पीता पीता, मैं उसकी चूत तक आया। उसकी चूत से जल की धार बह रही थी, मैंने अपना मुँह लगाया और उसकी चूत को अपने मुँह के अंदर खींच लिया। उसने एकदम से मेरे सर के बाल अपने हाथों में पकड़ लिए। फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत अंदर तक चाटी और तब तक चाटी जब तक कि वो अपनी चूत को मेरे मुँह पर ही नहीं रगड़ने लगी।
मैं तो चाहता था कि इसका पानी मैं चाट चाट कर ही गिरा दूँ मगर वो संभली और बोली- चलो बेड पर चलते हैं। हम बाथरूम से बाहर आए।
मेरा दोस्त अपनी पार्टनर को घोड़ी बना कर चोद रहा था। हमने अपने बदन भी नहीं सुखाये, गीले बदन सीधे बेड पे आए, उसने अपने पर्स से एक कोंडोम निकाल कर मुझे दिया, मैंने वो कोंडोम अपने लंड पे चढ़ा लिया। उसने मेरा लंड पकड़ा और खींच कर अपनी चूत से लगा लिया। मेरे हल्के से दबाव से मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। एक हल्की सिसकी के बाद वो बोली- सी… मुझे खा जाओ, प्लीज़, जितनी देर तुम मुझे चोदोगे, उतनी देर तुम मेरा कुछ न कुछ चूसते रहना बस।
मैंने सबसे पहले उसके होंठ ही अपने होंठों में लिए। इतनी सुंदर औरत को तो छू कर मजा आ जाए और मैं तो उसे चोद रहा था। मैंने कभी उसका ऊपर का होंठ तो कभी नीचे का होंठ, कभी गाल, कभी थोड़ी, कभी गर्दन, कभी चूचे, खूब दबा दबा कर चूसे। सिर्फ 6-7 मिनट की चुदाई में ही वो झड़ गई।
मैंने कहा- आप तो बहुत जल्दी फारिग हो गई? वो बोली- पर तुम मत होना, लगे रहो, जितनी ताकत लगा सकते हो लगाओ.
मैंने उसको बहुत चोदा, कभी लेटा कर, कभी घोड़ी बना कर, कभी खड़ी करके कभी अपनी ऊपर बैठा कर। बार बार आसान बदल कर मैंने उसे करीब आधा घंटा और चोदा। मेरा दोस्त तो कब का फारिग हो चुका था बल्कि उसकी पार्टनर भी मुझे देख रही थी।
आधे घंटे की चुदाई के बाद जब वो थक गई, फिर मुझसे बोली- अब तुम भी अपना काम खत्म करो. मैंने जल्दी जल्दी चुदाई करके अपना माल भी गिरा दिया।
जब मैं फारिग हो कर लेट गया, तो दूसरी औरत मेरे पास आई, और बोली- क्या तुम मुझे भी ऐसे ही चोद सकते हो? मैंने कहा- जी बिल्कुल, पर अभी थोड़ा रेस्ट कर लूँ। वो बोली- कोई दिक्कत नहीं।
उसके बाद थोड़ा खाने पीने के करीब एक घंटे बाद मैं दूसरी औरत को चोद रहा था।
जब मैं वापिस आया, तो मेरी जेब में 5000 रुपये थे। 2500 मेरे काम के और 2500 उन भाभियों ने इनाम दिया था। दिल को बड़ा अजीब सा लगा के देखो क्या ज़माना है, औरतें खुद पैसे दे कर गैर मर्दों से चुदवा रही हैं।
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