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अन्तर्वासना की इंडियन सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले सभी पाठकों को रिशू का मादकता भरा नमस्कार! दोस्तो, आपने मेरी कहानियाँ पढ़ी और मुझे प्यार दिया, कामुकता भरा ई-मेल किया, आपकी मेहनत से मेरी कहानी अन्तर्वासना की बेस्ट लोकप्रिय कहानियों की सूची में शामिल की गयी, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
मैं आप सभी से निवेदन करूँगी, खासकर नये पाठकों से कि आप मेरी इस कहानी का मजा लेने के लिये मेरी सभी कहानियाँ शुरू से पढ़ें क्योंकि मेरी अभी तक की सभी कहानियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं.
अब मैं अपनी कामुकता से भरी सच्ची कहानी को आगे बढ़ाती हूँ.
उस रात पहली बार मेरी पूरी चुदाई हुई थी, वो भी 2 बार लगातार, मामा ने मेरी चुदाई करते हुए गांड देखने के बाद मेरी गांड भी मारने की कोशिश की पर मुझे दर्द होने के वजह से मैंने मामा को मना कर दिया तो मामा जी ने ज़िद नहीं की क्योंकि वो मुझे बहुत प्यार करते थे. चुदाई के बाद हम दोनों इतने थक गये थे कि कब नींद आ गयी, पता ही नहीं चला.
सुबह मैं नींद में ही थी कि मुझे अपनी चुची में गुदगुदाहट का अहसास होने लगा. मैंने जब आँख खोली तो देखा कि मामा आज मुझसे पहले ही जाग गये थे और मेरी चुची सहला रहे थे. मैं समझ गयी कि मामा आज मॉर्निंग वाली चुदाई करेंगे. मैं भी यही चाहती थी क्योंकि मैंने कहीं पढ़ा था कि मर्दों में सुबह नींद खुलने के बाद सबसे ज़्यादा चुदाई की इच्छा होती है और बहुत ही प्यार और कामुकता भरी चुदाई करते हैं.
मैं भी गर्म सी होने लगी. अचानक से मुझे याद आई कि रात की चुदाई के बाद मैं बिना चूत धोये सो गयी थी. मुझे लगा कि मामा मेरी चूत तो अभी ज़रूर चाटेंगे और रात की चुदाई का मामा के लंड और मेरी चूत का रस तो मेरी चूत में ही लगा होगा, मैंने सोचा कि मैं अपनी चूत धोकर आती हूँ, मैं मामा से बोली- मैं आती हूँ थोड़ी देर में! तो मामा बोले- मुझे चुदाई करनी है, अभी मत जाओ. मैं बोली- मैं आती हूँ ना बाथरूम से सू सू करके!
तो मामा ने मना नहीं किया, मैं उठ कर कपड़े पहनने लगी तो मामा ने पूछा- कपड़े क्यों पहन रही हो? नंगी ही जाकर आ जाओ ना! मैं बोली- बाहर के रूम की खिड़की खुली हुई है, कोई देख लेगा क्यूंकि हम लोगों का कामन बाथरूम है. तो मामा कुछ नहीं बोले.
जब मैं बाथरूम में गयी और पेंटी निकाल कर चूत धोने बैठी तो मेरी चूत से मादकता भरी खुशबू आ रही थी जैसे कि मामा जी का लंड मेरे आस पास ही हो. जब मैंने चूत पे हाथ डाला तो सारा रस सुख गया था और मेरी चूत में चिपचिपाहट सी लग रही थी. मैंने चूत को अच्छे से धोया और सूखे कपड़े से पौंछ डाली, फिर भी मेरी चूत से खुशबू आ रही थी.
मैं कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर आ गयी, मैंने सोचा कि जब उठ गयी हूँ तो रात के झूठे बर्तन धो लेती हूँ, फिर चुदाई करवा लूँगी मामा जी से ताकि चुदाई के बाद मामा जी को जल्द से चाय और नाशता दे दूँगी. मैं केवल पेंटी और टॉप में थी. बाथरूम जाने से पहले मैं जल्दी जल्दी में केवल पेंटी और टॉप ही पहन पाई थी क्योंकि बाथरूम से वापस आने के बाद चुदाई ही करवानी थी. मैं किचन में जाकर बर्तन धोने लगी.
अचानक से मामा किचन में आ गये और मुझे पीछे से दबोच लिया, मेरी गांड में पेंटी के ऊपर से मामा का लंड चुभ रहा था, मैं समझ गयी कि मामा नंगे आ गये हैं. गले के ऊपर से मामा मेरी टॉप में हाथ डाल कर मेरी चुची मसलने लगे. मैं बोली- मामा जी, आप मुझे थोड़ा समय दो, मैं बर्तन धोकर रूम में आती हूँ, उसके बाद आपको अपनी बहन की बेटी के साथ जो करना है, कीजिएगा.
पर मामा जी मानने वाले कहाँ थे, मामा जी बोले- आज मैं अपनी भानजी की चूत की चुदाई किचन में ही करूँगा. मैं बोली- यहाँ कैसे करेंगे? चोट लग जाएगी. मामा बोले- तुम देखती जाओ! मामा ने झट से मुझे अपनी ओर घुमाया और मेरे होंठ चूसने लगे, मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया. अब मैं मामा जी को क़िस भी कर रही थी और लंड भी पकड़े हुई थी. मामा मेरे हाथ में अपना हाथ रख कर आगे पीछे करने लगे जिससे मामा का लंड मेरे हाथ में रगड़ खाने लगा. मैं भी मामा जी के लंड के आगे के गुलाबी हिस्से को हाथ में मसलने लगी.
फिर मामा ने मेरी झट से मेरी पेंटी और टॉप उतार दिए और मेरी चुची को मुँह में लेकर चूसने लगे. मैंने भी अपनी चुची को दोनों हाथ से ऊपर की ओर सहारा दिया और गला को पीछे की ओर झुका कर अपने छाती को आगे की ओर तान दी. मेरी दोनों चुची और भी उभर कर मामा के मुँह में समा गयी, मामा जी का एक हाथ मेरी कमर को पकड़े था और दूसरा हाथ मेरी गांड के पीछे से मेरी चूत सहला रहा था, मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आने लगा था. हर बार चुदाई में मामा जी एक अलग सा अहसास दिला रहे थे
मैं गर्म हो गयी थी, मेरी चूत से पानी निकलने लगा था, मैं बड़बड़ाने सी लगी थी- मामा जी, जल्दी से चोदिये, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मामा जी को भी लगा कि मेरी चूत पूरी गीली हो गई है, उन्होंने मुझे किचन की स्लैब पर बैठा कर मेरी दोनों जाँघों को फैला कर अपने होंठ मेरी चूत के होंठों से लगा दिए। मेरी चूत से एक भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी जो मामा को पागल बना रही थी. मेरी चूत मामा के मुँह में समा सी गयी थी और मामा मेरी चूत के दाने पे अपनी जीभ फेर रहे थे. मुझे एक गुदगुदाहट सी महसूस हो रही थी चूत के अंदर, मामा जी मेरी चूत के दाने को ऐसे अपनी ओर खींच रहे थे जैसे मेग्गी खा रहे हों.
मामा जी ने मेरी चूत चाट चाट कर पूरा पानी साफ कर दिया. अब मामा जी मुझे किचन के स्लैब से नीचे उतारा और खुद बैठ कर अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगे, ऊपर नीचे करने लगे. मेरी नज़र जब मामा जी लंड पे पड़ी, मैं सहम सी गयी, इस बार सबसे ज़्यादा विशाल और मोटा लग रहा था, एकदम कड़ा सा ऊपर की ओर तना हुआ था. मैंने मामा से पूछा- आज इतनी बड़ा क्यों दिख रहा है आपका लंड, और कैसे घुसेगा मेरी चूत में? तो मामा बोले- मॉर्निंग टाइम है ना इसलिए इस टाइम में सबसे ज्यादा रस भरा होता है इसलिये लंड ज़्यादा तना हुआ और खड़ा और मोटा लंबा होता है, किसी ना किसी तरह से घुसा दूँगा.
फिर मामा बोले- अब जल्दी से मेरा लंड चूस कर गीला कर दो ताकि गीला लंड तुम्हारी चूत में आसानी से घुस जाए. मैं मना करने लगी और बोली- आज बहुत मोटा और लंबा है, मुँह में नहीं जा पाएगा. मामा ज़बरदस्ती मेरा सर पकड़ कर मेरे मुँह में लंड सटाने लगे, मामा एक हाथ से अपना लंड पकड़े हुए थे और दूसरे हाथ से मेरा सर, मेरे मुँह को मामा जी का लंड छूने लगा, मामा जी के लंड से एक मादक सी, कामुकता भरी खुशबू आ रही थी जैसे मामा जी रात में चुदाई के बाद लंड साफ ना किया और लंड में लगा हुआ रस लंड पे ही सूख गया हो.
मैं मदहोश सा होने लगी, मैं सोचने लगी कि अगर खुशबू इतनी मादक है तो मुझे चूसने में कितना मज़ा मिलेगा. मैं मान गयी और मामा जी का लंड चूसने लगी, मामा जी का लंड इतना मोटा था कि सिर्फ़ टोपा ही मेरे मुँह में जा पा रहा था. जैसे ही लंड मेरी मुँह के अंदर गया, मुझे कुछ खुरदरा सा लगा और थोड़ी देर बाद मुझे लंड खट्टा और नमकीन सा लगने लगा, मैं समझ गयी कि रात की चुदाई के बाद मामा जी ने लंड नहीं धोया, इसलिए लंड में लगा रस सूख कर मामा जी के लंड में ही चिपक गया है. इसलये पहले लंड चूसने में खुरदरा सा लग रहा था और खुशबू भी आ रही थी.
मैं अब मामा के लंड की खुशबू ले लेकर चूस रही थी. अब मामा जी का लंड पूरी तरह से गीला हो चुका था, अब मामा लंड मेरे मुँह से निकाल कर नीचे उतर गये. फिर मामा ने मुझे स्लैब की ओर मोड़ कर झुका दिया, मैंने दोनों हाथ से स्लैब को पकड़ लिया, मामा फिर मेरे चूतड़ के पीछे से मेरी चूत सहलने लगे, मेरी चूत दोबारा से सूख चुकी थी, मामा जी ने नीचे झुक कर अपने दोनों हाथ से मेरे चूतड़ फैला कर गांड के पीछे से मेरी चूत चाटने लगे, मैंने भी और ज़्यादा झुक कर अपनी गांड फैला दी ताकि मामा आसानी से चूत चाट सकें और मज़ा लेने लगी.
बीच बीच में मामा जी की जीभ मेरी गांड के छेद में चली जाती थी तो मेरी गांड के अंदर अजीब सी गुदगुदी होने लगती थी और मैं सिसकारियाँ भरने लग जाती थी, साथ ही साथ मैं अपनी गांड को अंदर की ओर खींच लेती थी जिससे मेरे दोनों चूतड़ एक दूसरे से चिपक जाती थी और मामा की जीभ मेरे चूतड़ों के बीच फँस सी जाती थी.
मामा जी को समझ आ चुकी थी कि मुझे गांड का छेद चटवाने में मज़ा आ रही है. तब मामा ने अपने दोनों हाथ से मेरे दोनों चूतड़ कस कर पकड़ कर फैला दिए और मेरी गांड के छेद को जीभ से सहलाने लगे. मैं आँख बंद कर के ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी और सोचने लगी अगर गांड चटवाने में गांड के अंदर इतनी गुदगुदी हो रही है तो गांड मरवाने में कितना मज़ा आएगा. वैसे भी मैंने कल रात मामा से वादा किया था कि आज रात मामा जी को गांड मारने दूँगी, गांड के अंदर की गुदगुदी से मेरी चूत से गर्म रस निकालने लगी थी, शायद मैं झर गयी थी, खड़े होने की वजह से सारा रस मेरी जाँघों पे बह गया था और जाँघ गीली हो गयी थी. मामा जी भी समझ गये कि एक बार मेरा रस निकल चुका है इसलिए चुदाई कर देनी चाहिए.
मामा जी खड़े हो गये और अपने लंड पे ढेर सारा थूक लगाया, मेरी गांड और चूत पे भी ढेर सारा थूक लगा दिया. मेरे चूतड़ थूक से पूरे गीले हो गए थे. मामा जी ने अपना गीला लंड मेरी चूत पे सटा दिया. मैं स्लैब की ओर झुकी हुई थी किचन में, अचानक से मामा जी ने धक्का मारा, आधा लंड मेरी चूत में घुस गया. मुझे दर्द होने लगा क्योंकि मेरी चूत अभी भी बहुत कसी हुई थी, मामा आधा लंड ही अंदर बाहर करने लगे.
फिर अचानक से एक और जोरदार धक्का मार दिया तो मामा जी का पूरा का लण्ड मेरी चूत को चीरते हुए मेरी चूत में समा गया, मैं दर्द से कराहने लगी. मामा ने लंड को चूत में घुसा छोड़ दिया और मेरी दोनों चूचियों के निप्पल को पीछे से सहलाने लगे, मेरी चुची में एक तरंग सी दौड़ने लगी जिससे मेरी चूत का दर्द धीरे धीरे कम होने लगा. मामा अब धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगे, मुझे मज़ा आने लगा.
कुछ ही देर में मामा ने मेरी चुदाई की रफ़्तार तेज़ कर दी, मामा जी की जाँघें ज़ोर ज़ोर से मेरे चूतड़ों पर टकराने लगी, मेरे चूतड़ गीले होने के वजह से किचन में ज़ोर ज़ोर की पच पच की आवाज़ गूंजने लगी, मेरी भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज़ किचन में गूंजने लगी.
थोड़ी देर पीछे से चुदाई करने के बाद मामा ने मुझे अपनी ओर चेहरा करके स्लैब पर बैठा दिया और मेरी दोनों जाँघें फैला कर फिर से चूत चाटने लगे, थोड़ी देर चूत चाटने के बाद मामा ने सामने से मेरी चूत में लंड घुसा दिया और खड़े खड़े मेरी चुदाई करने लगे. स्लैब पे बैठ कर मैंने भी मामा को अपने दोनों पैर से लॉक कर लिया और दोनों हाथ से मामा के गले को पकड़ लिया. चूंकि मामा खड़े खड़े चुदाई कर रहे थे इसलिए मामा अपने दोनों हाथ से मेरी कमर लॉक करके ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे.
10 मिनट तक चुदाई करने के बाद मामा ने रफ़्तार बढ़ा दी, मैं समझ गयी कि मामा का रस निकलने वाला है, इस चुदाई के दौरान मेरा तो दो बार रस निकल चुका था इसलिए मैं भी चाहती थी कि मामा जी जल्दी झड़ जायें क्योंकि मेरी चूत में दर्द सा होने लगा था. रफ़्तार बढ़ने के साथ ही मैंने अपने बदन को और कड़ा कर लिया, मामा को और ज़ोर से लॉक कर लिया, इससे मेरी चूत और कस गई, मामा जी का लंड मेरी चूत के अंदर कस कर रगड़ खाने लगा.
कुछ ही देर में मामा के लंड ने अपना सारा रस मेरी चूत में उड़ेल दिया, मामा जी पसीना पसीना हो गये थे, थक कर खड़े खड़े मेरे गले से लिपट गये, मैं स्लैब पर ही बैठी रही, मेरे होंठ मामा जी के कान के पास थे. मैं अपने दाँतों से मामा जी के कान को काटने लगी, मामा भी मुझे गले पे चूमने लगे.
मैं धीरे से मामा के कान बोली- आपकी झांट के बाल बड़े बड़े हो गये हैं साफ कर लीजिएगा. आज मुझे आपका पूरा लंड जड़ तक चाटना है. मामा जी भी मेरी कान में बोले- तुम भी आज शाम से रात की चुदाई तक सू सू रोक कर रखना. मैंने पूछा- क्यूँ? तो मामा बोले- कुछ अलग तरह से चुदाई करनी है. मैं तो मामा जी की चुदाई की दीवानी हो गयी थी इसलिए हर बात मानने को मैं तैयार थी, मैं बोली- ठीक है रोक कर रखूँगी.
फिर हम दोनों अलग हुए, मामा जी फ्रेश होने बाथरूम चले गये, मैं पूरे कपड़े पहन कर किचन में चाय नाश्ता बनाने लगी.
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